कल बलागवाणी पर अपना ध्यान अचानक एक नाम पर गया जो की जगह-जगह लिखा पाया गया। फिर अचानक अपनी निगाह एक ऐसे लेख पर पड़ी जो एक नेक महिला द्वारा लिखा प्रतीत हुआ। फिर हमने जानने की कोशिश की कि आखिर मामला क्या है।
सब जगह जाकर पता चला कि एक पत्रकार ने एक लड़की के साथ बलातकार कर उसे गर्भबती बनाकर अपने माता पिता को अपने गर्भ का बास्ता देकर उनकी छाती पर मूंग दलने भेज दिया।
क्योंकि बालातकारी एक पत्रकार था इसलिय मिडीया से जुड़े लोगों ने इस बालातकार को प्यार का चोला पहनाने की भरपूर कोशिश करते हुए लड़की की मौत के लिए इस बालातकारी को जिम्मेबार ठहराने के बजाय लड़की के माता पिता को कटघरे में खड़ा करने का भरपूर प्रयास किया जो अभी जी जारी है। इन में से कुछ चैनलों ने तो एक खुशहाल परिबार की बरबादी पर को अपनी आय वोले को TRP बढ़ाने का जरिया ही बना लिया ।इनकी वेशर्मी देखो कि जिस बलातकारी के विरूद्द FIR दर्ज करवाकर जेल में डलवाने की कोशिश होनी चाहिए थी उसी कातिल को ये चैनल प्रेमी बताकर पेश कर रहे थे ।
अब मानबता के सत्रु इन दुष्टों को कौन समझाए कि प्यार वो एहसास है जिसमें शारीरिक शोषण की कतई जरूरत महसूस नहीं होती ।प्यार देने का नाम है लेने का नहीं । जो ब्यक्ति अपने मां-बाद से प्यार नहीं कर सकता वो भला दूसरे से क्या प्यार करेगा ।आप बताओ जिस मां ने इन बच्चों को अपनी कोख में रखकर अपने खून से जिन्दा रखकर इनकी हर शुख-सुविधा का ख्याल रखकर इन्हें पाल पोस कर बढ़ा किया।अपने से ज्यादा आगे बढ़ाने के लिए अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा इनकी शिक्षा पर खर्च किया ।उन मां-बाप की सारी जिंदगी की कमाई गई मान-मर्यादा को जिस तरह से इस दुष्ट ने मिडीया में बैठकर उछाला क्या कोई प्यार करने वाला इस तरह से उछाल सकता है ?
हम बात कर रहे हैं इसी दुष्ट के मां-बाप की ।जाओ जाकर उन्हें पूछो कि उनके बेटे के इस कुकर्म से उनका सिर गर्व से उंचा हुआ है या फिर शर्म से झुक गया है। प्रश्न साधारण सा है कि अगर इस दुष्ट को उस लड़की से प्यार था तो फिर गर्भ कैसे ठहर गया। अगर गर्भ ठहर गया तो इस ब्यक्ति ने कोर्ट में जाकर शादी क्यों नहीं कर ली।क्योंकि जब मां-बाप की इजाजत के विना ये समाजिक मर्यादाओं को पार करने का मादा रखता है तो फिर शादी करने का मादा क्यों नहीं। आज हम कह रहे हैं कि अगर इस दुष्ट को सजा नहीं हुइ तो घात लगाय बैठे इस जैसे लाखों बयाभिचारी लड़कियों को अपनी काम वासना की पूर्ति का खेल बनाकर उन्हें आतमहत्या करने पर मजबूर करेंगे।
जिस तरह ये पशु SEX को ही अलौकिक प्यार का प्रायवाची बनाने पर तुले हैं उसे देखकर तो हीर-रांजा,लैला-मजनू व सोनी-महिवाल की रूह भी कांप जाती होगी ।हमारे विचार में अगर ये दुष्ट उस लड़की से सच में प्यार करता होता तो न ये सारीरिक सबन्ध बनाकर उसे गर्भवती करता क्योंकि प्यार में तो प्रेमी प्रेमिका की सुरक्षा के लिए अपने प्राण तक देने से नहीं चूकता तो शारीरिक सबन्धों से खुद को रोकना कौन सी बढ़ी बात है।अगर ये वेसमझी में हुआ था तो भी ये इसके पास कोर्ट में जाकर शादी करने का रास्ता था। हम जानते हैं कि कोई लड़की कितनी भी बहादुर क्यों नहो इस तरह की स्थिति पैदा होने पर उसे एक पक्के साथी की जरूरत होती है लेकिन परीक्षा की इस घड़ी में जिस तरह इस दुष्ट ने उसे अकेला छोड़ा उसेस तो यही साबित होता है कि इसका एकमात्र मकसगद वासना की पूर्ति है न कि कोई प्यार की भावना।
अगर विना किसी समाजिक व परिबारिक जिम्मेवारी के SEX करने को प्यार कहते हैं तब तो ये कहना पड़ेगा कि सबके सब जानबर एक दूसरे से प्यार ही तो करते हैं क्योंकि उन्हे SEX करने के लिए किसी शादी या समाजिक मर्यादा की दरकार नहीं होती न हीं बच्चे पैदा करने पर कोई परिबारिक जिम्मेवारी भी बहन नहीं करनी पड़ती है। कितनी अजीब बात है कि सभ्य समाज की सब मर्यादाओं को तार-तार कर पशुप्रबृति के अनुशरण को आधुनिकता का नाम देकर जायज ठहराने की कोशिस की जाती है। लगातार बदन पर कम होते कपड़ों पर आपति उठने पर कम कपड़े महनने को भी आधुनिकता कहा जाता है अगर कम कपड़े पहनना या कपड़े न पहनना आधुनिकता है तब तो हमारे पशु सबसे ज्यादा आधुनिक हैं क्योंकि वो तो कभी भी कहीं भी किसी भी मौसम में कपड़े नीं पहनते हैं वाह क्या आधुनिकता है अरे सीधे क्यों नहीं कहते कि तुम्हें पशु बनना है सीधे कहो पशुओं को कौन रोक सकता है न कोई समाज न कोई धर्म न कोई मर्यादा।
हमारी निगाह में यही बजह है कि ये आधुनिक लोग गर्भ धारण करने के वाद ये निश्चत करवा लेते हैं कि पैदा होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की और लड़की होने पर उसका कत्ल करवा देते हैं क्योंकि इन्हे दूसरों की इज्जत से जो खेलना होता है।
इन पशुओं को हर समाजिक मर्यादा अपनी बासना की पूर्ति का रोड़ा दिखने लगती है। तभी तो ये लोग गांव के जीबन के आधर सतम्भ गोत्र पर भी हाय तौवा मचाते हैं क्योंकि इन पशुओं को अपनी काम-वासना की पूर्ति के रास्ते में कोई रूकाबट सहन नहीं इन्हे पशुओं की तरह विना किसी मर्यादा या जिम्मेवारी के अपना सिकार चाहिए। लोगों से सुना था पढ़े-लिखे लोग बेबकूफ होते हैं आज सरयाम देख रहे हैं कि पढ़े लिखे सिर्फ वेवकूफ नहीं पर निरे पशु होते हैं। अब इन पशुओं को कौन समझाये कि समाज में जिस तरह से आर्थिक विषमता बढ़ रही है उसमें गरीब ब्यक्ति की मां-बहन-बेटी-पत्नी की सुरक्षा की गारंटी ये मान मर्यादायें ही हैं बरना गांव के ही सो कालड पढ़े लिखे पशु गांव की हर मां-बहन-वेटी-पत्नी को अपनी बासनाओं का सिकार बना दें । वेचारे गरीब प्रशासन से किसी न्याय की तो कोई उम्मीद कर नहीं सकते। क्योंकि प्राशासन पर भी ऐसे ही पशुओं की पकड़ है ये पशु कुछ की इज्जत से खुद खिलवाड़ करेंगे तो कुछ को प्रसासनिक व राजनैतिक आकाओं को सौंप देंगे। हाल ही में हिमाचल में एक प्रसासनिक अधिकारी कुछ इसी तरह की अबस्था में पकड़ा गया है।
आप बताओ कि इन जानवरों को कौन समझाये कि समाजिक मर्यादाओं के टूटने पर सबसे ज्यादा शोषण महिलाओं का ही होता है। हम कितने ही ऐसे पढेलिखे लोगों को जानकते हैं जिन्होंने अनकों महिलाओं(उनकी पत्नी को मिलाकर) को गर्भबती बनाकर उनका गर्भपात करवाकर उन्हें अपंग बना दिया।
अरे भाई मानबता की खातिर रोक सकते हो तो रोक लो इन आधुनिक पशुओं को बरना ये लोग मानब को दानब बनाकर ही दम लेंगे।
अन्त में हमारे विचार में प्यार करना कोई अपराधत नहीं लेकिन जिसके मन में प्यार नाम का अंश भी मौजूद है वो सबसे पहले खुद को जन्म देने वाली मां से प्यार करेगा और जो अपनी मां से प्यार करेगा वो ऐसा कुछ नहीं करेगा जो उसकी मां या दूसरे की मां को शर्मशार करे । जो अपनी मां से प्यार नहीं करता वो भला किसी दूसरे से क्या प्यार करेगा। हम तो उस मां को जानते हैं जिनका सारा संसार उनके बच्चे होते हैं जिनकी जिन्दगी का सबसे बढ़ी जिम्मेवारी व खुशी अपने बच्चे की शादी होती है ।अन्त में इतना ही कहेंगे कि जो मां से प्यार नहीं करता वो भला किसी और से क्या प्यार करेगा ?
धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
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12 टिप्पणियां:
aap ka vichar bilkul sahi he inhen rokna ya jad se nasht karna hi ek samadhan he
श्री मान जी यह आपकी दूर अन्देशी है ,जो आप की आंख ये सब देख रही है, नही तो आज किसी के पास वक्त ही नही है,बस जो दिखाया जाता है ,उसे ही देख सुन रहे हें...इस पक्ष को तो कोई देख ही नही रहा है...आनर किलिंग का नाम दे लगे है..सारे नये तरह के उग्रवादी...चैनल वाले..लानत है...ऐसे व्यापार पर ..थू
धन्यवाद..आप को ...लगे रहो..जै हिन्द
जिसके मन में प्यार नाम का अंश भी मौजूद है वो सबसे पहले खुद को जन्म देने वाली मां से प्यार करेगा और जो अपनी मां से प्यार करेगा वो ऐसा कुछ नहीं करेगा जो उसकी मां या दूसरे की मां को शर्मशार करे । जो अपनी मां से प्यार नहीं करता वो भला किसी दूसरे से क्या प्यार करेगा। हम तो उस मां को जानते हैं जिनका सारा संसार उनके बच्चे होते हैं जिनकी जिन्दगी का सबसे बढ़ी जिम्मेवारी व खुशी अपने बच्चे की शादी होती है ।अन्त में इतना ही कहेंगे कि जो मां से प्यार नहीं करता वो भला किसी और से क्या प्यार करेगा ?
आपके इन विचारों ने दिल छू लिया .....
www.lekhnee.blogspot.com
आपसे सहमत हूँ
तुम डरो नहीं क्यूँकि जब तक महफूज़ अली, फिरदौस जी और मेरे जैसे मुसलमान हिन्दुस्तान में है आप लोगों का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता.
आपके विचार सही है.
आपसे सहमत हु,बहुत ही तथ्यपरक आलेख धारा के विपरीत लिखा है, बधाई के पात्र है आप. निरुपमा की मौत क्या हुई धंधेबाज पत्रकारों की चांदी हो गया, हर कोई प्रगतिशील होने का दिखाबा कर रहा है. अपनी बहन और बेटी की शादी तो अपनी जाति और धर्म में ही करेगा, परन्तु यही बातें कोई बाप अपनी बेटी को पत्र में लिखता है तो ओ उसको धमकी दिखता है.अपनी बहन बेटी को तो बुरका में ढक कर रखेगा परन्तु पाठक की बेटी को एक बेहयाई संसथान का ब्याव्चारी लड़का सालों से बलात्कार करता रहा उसके नजर में उस लड़के का कोई दोष नहीं.
उलटा ये हल्ला बोलने बाले निरुपमा के माँ बाप पर ही उसके मौत का आरोप चिल्ला चिल्ला कर लगा रहे है, कहते है न की "चोर के दाढ़ी में तिनका"
जबकि वस्तुस्थिति चीख चीख कर कह रहा है की निरुपमा की मौत का कोई जिम्मेवार है तो ओ है प्रियभांशु प्रियभांशु प्रियभांशु -------------.
इस बेचारी लड़की के साथ सालों साल तक ये लड़का शादी का झांसा देकर बलात्कार करता रहा परन्तु अंत तक इसने निरुपमा से शादी नहीं किया, परिणाम हमारे और आपके सामने है एक बिन ब्याही माँ समाज और परिवार के मुंह दिखने के काबिल नहीं रही और मौत को गले लगा लिया. एक बात आप नोट करेंगे निरुपमा की मौत की खबर सबसे पहले दिल्ली से प्रियभांशु ने ही सबको दिया है, क्या प्रियभांशु को सपने आया था ? नहीं ये एक सुविचारित हत्या है और शक के घेरे में कोई है तो ओ है प्रियभांशु
@ इस्लाम की दुनिया के लेखक से क्षमा प्रार्थी हूं कि उनके बलाग पर लगी तसवीर हमें विचलित करती है इसलिए आपके कांमेंट हटाने पड़े ।आशा है आगे आप जब भी टिप्पणी करें तो इस तरह से करें कि वो फोटो हमारे ब्लाग पर दिखाई न दे।आशा है आप हमें क्षमा करेंगे
सुनील दत्त
सहमत हूँ
is tarah ke lekh likh kar aap kya kahana chahte hain.aakhir aap bhi patrkaarita hi kar rahe hain....ya shayad kuchh sidhe sadhe logon ki sahanubhootiyan bator rahe hain....aap bhool rahe hain ya fir dekh ke bhi andeka kar rahe hain ki ye kyoon hota hai.jabki aap ko achhi tarh pata hai ki is tarah ki durghatnaon ko roka ja sakta hai,ye itna bhi mushkil kaam nahin hai,bas jaroorat hai kuch baton ko jaanne samajhne aur logon ko samjhane ki.lekin na hi aap na hi koi aur chahta hai ki aisa ho,.... aur main ba itna hi kah sakta hoon ki yadi yah janne me dil chadpi hai to mujhse khul kar charcha kar sakte hain. dhanyawad...
आपसे हम जरूर चर्चा करना चाहेंगे लेकिन आपका कोई ता हमारे पास हो तब न
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