धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
शनिवार, 8 मई 2010
अब अमेरिका तय करेगा कि भारत में कौन देशभक्त और कौन गद्दार
हम एक लम्बे समय से कह रहे हैं कि सेकुलर गिरोह की सरकार भारत के सुरक्षा हितों को विदेशी ताकतों के इसारे पर नुकसान पहंचा रही है जिसके प्रमाण हम आपको दे रहे हैं । इसी कड़ी में एक और प्रमाण सामने आया है कि अमेरिका ने भारत को बताया कि अंडेमान में तैनात भरत का एक सैनिक अधिकारी गद्दार है अब प्रश्न ये उठता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि ये अधिकारी अमेरिकी खुखिया ऐजेंसीयों को वो सूचनायें देने से मना तो नहीं कर रहा था जो अमेरिका चाहता है।हम अच्छी तरह जानते हैं कि अमेरिका एक ऐसा ईसाई देश है जो अपने राष्ट्र के हित व ईसाईत के प्रचार-प्रसार के लिए कुछ भी कर सकता है ऐसे में कैसे विस्वास किया जा सकता है कि जो अमेरिका कह रहा है वो भारत के हित में है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये अमेरिका ही है जिसने पाकिस्तान को धन व हथियार देकर भारत से लड़ने के काविल बनाया है ये वो अमेरिका है जिसने जिहादी आतंकवादियों की फौज खड़ी की अपने देश के हित साधने के लिए अब उन्हे मार व मरवा रहा है। ऐसे में अमेरिका के इसारों पर भारत सरकार के चलने का मतलब है देशहित के साथ खिलवाड़।आपको याद होगा कि अमेरिका के इसारे पर ही लैफ्टीनैंट कर्नल पुरोहित जी को जेल में डाल कर हिन्दू क्रांतिकारियों की झूठी परिकलपना खड़ी करने का षडयन्त्र किया गया है जिसके लिए सरकार पिछले दो वर्ष से एक ऐसे भंवर में फंसी हुई नजर आ रही है जो उसके गले की फांस बन गया है क्योंकि सेकुलर गिरोह की सरकार ने विना सबूत के अमेरिकी इसारे पर हिन्दूओं को जेल में डाल कर अपने लिए एक ऐसी समस्या खड़ी कर ली है जो भविष्य में कभी भी एक बड़े गृह युद्ध का रूप ले सकती है क्योंकि सरकार के पास इन हिन्दूओं के विरूद्द एक भी प्रमाण नहीं है इसकी पुष्टी मकोका कोर्ट कर चुका है जिस दिन हिन्दूओं के सबर का बांध टूट गया उस दिन क्या होगा ये तो भविष्य ही तय करेगा।भारत में अमेरिका के हस्तक्षेप के प्रमाण तब भी मिले थे जब भारतीय कसटम अधिकारियों ने मुंबई हबाई अड्डे पर FBI के अधिकारियों को अबैध रूप से भारत में लाये जा रहे जासूसी उपकरणों के साथ पकड़ा था।अमोरिका की असलियत तब भी सामने आई जब ये पाया गया कि अमेरिकी जासूस ने मुंबई पर हमला करवाने में भूमिका निभई थी अमेरिका की बदनियती का पर्दाफास तब भी हुआ था जब उसने भारत के सुरक्षा अधिकारियों को हेडली से बातचीत करने से रोक दिया था। अभी हाल ही में अमेरिका ने भारत की सरकार पर दबाब बनाकर एक ऐसा परमाणु जिम्मेवारी सबन्धित बिल पास करवाने की कोशिस की (अभी भी जारी है) जो भारतीयों की सुरक्षा को खतरे में डालने की खुली छूट अमेरिकी कंमपनीयों को देता है वो भी विना कीसी भरपाई के जोखिम से मुक्त। कुल मिलाकर हम अमेरिका से सहयोग के विरोधी नहीं लेकिन सुरक्षा अधिकारियों की देशभक्ति का सर्टीफिकेट अमेरिका जारी करे ये देश की सुरक्षा के साथ गद्दारी के समान होगा।
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2 टिप्पणियां:
तथ्यों पर आधारित शंका / आज ये अमेरिका जिसको हम खिला सकते है हमारे कुकर्मी और भ्रष्ट नेताओं की वजह से हमारे हर मामले में टांग अराता है / हमारे देश के इमानदार अधिकारीयों को भी बेईमान और भ्रष्ट बनाने का काम कर रहा है, जिससे उसका अपना स्वार्थ सिद्ध होता रहे /
nice
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