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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

पाकिस्तान में मुसलिम आतंकवादियों ने सिखों का सिर काटकर गुरूद्वारे में फैंका

(कशमीरघाटी में मुसलिम आतंकवादियों द्वारा मारे गए सिखों के पास उनके परिबारजन विलाप करते हुए)
हम लगातार हिन्दूओं-सिखों का ध्यान मुसलिम आतंकवाद की ओर खींचने का प्रयत्न कर रहे हैं लेकिन एक तो हिन्दू-सिख ये समझजने को तैयार नहीं दूसरा मुसलिम आतंकवादियों व उनके समर्थकों का सूचना तन्त्र इतना ताकतबर है कि वो इस सच्चाई को हिन्दूओं-सिखों तक किसी भी स्थिति में नहीं पहूंचने देना चाहता। इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस्लाम जिस क्षेत्र या देश में भी गया है वहां कतलो-गारद हिंसा अशांति के सिवा कुछ भी नहीं रहा ।बार-बार ये कहा जाता है कि इस्लाम हिंसा कतलो-गारद की शिक्षा नहीं देता पर सच्चाई इसके विलकुल विपरीत है।दुनिया का कोई भी देश या क्षेत्र ले लो जो मुसलिम विहीन हैं सिर्फ वही क्षेत्र इस कतलो गारद से मुक्त है ।जहां मुसलिम अबादी 10 प्रतिशत से कम है वहां वेशक जिहाद का खुला हिंसात्मक स्वारूप देखने को नहीं मिलता ।भारतीयों को ये सब समझने के लिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं ।आज विभाजित भारत के इस हिस्से पर अगर हम नजर दौड़ायें तो एक बात सपष्ट देखने को मिलती है कि जहां-जहां खुद को हिन्दू मानने बालों की जनशंख्या अधिक है वहां-वहां शांति है पर जहं कहीं भी हिन्दू जनशंख्या कम है वहां आग लगी है हर रोज हिंसा हो रही है बम्म-विस्फोट हो रहे हैं ।कुछ लोग कई बार बांमपंथी आतंकवाद को हिन्दू आतंकवाद की संज्ञा देने की मूर्खता करत बैठते हैं पर वो ये भूल जाते हैं कि वांमपंथी खुद को हिन्दू नहीं मानते न ही वो ये हिंसा हिन्दू –धर्म के प्रचार प्रसार के लिए करते हैं (बैसे भी बांमपंथियों के प्रचार-प्रसार का तरीका भी मुसलिम आतंकवादियों के तरीके से कोई अलग नहीं है) जबकि मुसलिम आतंकवाद एक योजना के अनुसार इस्सलाम के प्रचार-प्रसार के लिए हिंसा करते हैं जिसे वो जिहाद कहते हैं।इसी जिहाद को आगे बढ़ाते हुए कशमीर में इस्लामी आतंकवादियों का राज्या स्थापित करने के लिए मुसलमानों ने हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाकर हजारों हिन्दूओं को मौत के घाट उतारकर लाखों को घरबार छोड़ने पर मजबूर किया ।इसी जिहाद की कड़ी को भारत में मुसलिम आतंकवादियों राज्या स्थापित करने के लिए देश भर में हिन्दूओं को निसाना बनाकर लगातार हमले किए जा रहे हैं जिसे तरह-तरह के कुतर्क देकर इन मुसलिम आतंकवादियों के ठेकेदार जायज ठहराने की कोशिस कर रहे हैं ताकि ये जिहादी आतंकवाद आगे बढ़ता रहे। पाकिस्तान में गैर-मुसलिमों का लगभग सफाया किया जा चुका है कुछ गिने चुने बच गए हैं उन्हीं पर इस्लाम अपनाने के लिए लगातार दबाब बनाया जा रहा है जब वो नहीं माने तो उन्हें जजिया कर देने के लिए बाध्या किया गया । जब वो मुसलमानों को दबाब में नहीं आए तो उन्हें अगवा कर उन पर जुल्म ढाय गय ।जब ये सिख इन जुल्मों के बाबजूद गुरूओं की शिक्षा पर अडिग रहे तो इन्हें हलाल कर इनमें से दो के सिर गुरूद्वारे में फैंक दिए गए। जो कुछ आज ये सिखों के साथ किया गया कमोवेस दुनिया के हर हिस्से में जहां कहीं भी मुसलमान बहुमत मे हैं गैर-मुसलिमों के साथ यही सब किया जा रहा है ।पाकिस्तान में हिन्दूओं के साथ भी यही सब किया गया ।अब कैसे कहें कि मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं या फिर आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता।मुसलिम आतंकवाद के प्रति कबूतर की तरह आंख बंद कर काम नहीं चलने बाला जरूरत है तो हिन्दू-सिखों को मिलकर कुछ एसे रास्ते निकालने की जिनसे हिन्दूओं-सिखों की आने-बाली पिड़ीयों को इन मुसलिम आतंकवादियों के हिंसक अत्याचारों से बचाया जा सके।

(कशमीर घाटी में मुसलमानों द्वारा कतल किया गया हिन्दू)

अभी नहीं तो कभी नहीं जागो जगाओ और परमपूजनीय गुरूगोविंदसिंह जी के बताए मार्ग पर आगे बढ़ो व अपनी आने बाली पिढ़ीयों को सुरक्षिक करो

सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

गोआ में मडगांव के बहाने हिन्दुविरोधी-भारतविरोधी मिडीया ईसाई मिसनरी एंटोनियो की गुलाम सरकार का देशभक्त हिन्दूओं पर एक और हमला


मेरे प्यारे हिन्दूओ आपको जरूर याद होगा कि किस तरह ईसाई मिसनरी एंटोनियो माइनो मारियो के इसारे पर लैफ्टीनैंट कर्नल पुरोहित जैसे देशभक्त सैनिक व साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसे क्रंतिकारियों को झूठे मामलों में फंसाकर उन पर मकोका लगा दिया गया जिसे माननीय मकोका न्यायलय ने वाद में मनघड़ंत(झूठा) पाकर खारिज कर दिया गया ।




आपको यह भी याद होगा कि किस तरह एंटोनियो माइनो मारियो के इसारे पर तत्कालीन कानून मंत्री हंसराजभारद्वाज को एंटोनियो माइनो मारियो के हमबतन-हमराज व पार्टनर क्वात्रोची के लंदन बैंक में जब्त बोफोर्स-दलालीकांड की रकम को छुड़बाने के लिए लंदन भेजा गया और रातों-रात सारी रकम निकलवा ली गई। जब मानीय नयायलय ने उस रकम को जब्त रखने के आदेश दिए तब तक सारा काम निपट चुका था।



आपको यह भी जरूर ध्यान में होगा कि अभी हाल ही में एंटोनियो की गुलाम मनमोहन सरकार ने किस तरह बोफोर्स दलाली कांड में एंटोनियो माइनो मारियो के सह अभियुक्त क्वात्रोची को सब मुकदमों से मुक्त करने की अंतिम सफल कोशिश की । माननीय न्यायलया में कोइ अड़चन न आये इसके लिए एक अभियुक्त के सहयोगी को सरकारी बकील नियुक्त करबा दिया । क्या इससे बढ़ी बेशर्म और गद्दार सरकार आपने कभी देखी है ।



आपको जरूर यह भी याद होगा कि माननीय सर्वोच न्यायालय ने जिहादी आतंकवादी मुहम्मद अफजल को 19 नमम्वर 2006 को फांसी तय की थी जिसे गद्दारों की समर्थक ये हिन्दुविरोधी सरकार आज तक लटकाय हुए है। यह वही सरकार है जिसने हैदराबाद बम्मविस्फोटों के दोसियों को जेल से रिहा कर एक-एक आटोरिक्सा दिया ।



· आज यही हिन्दुविरोधी-भारतविरोधी मुसलिम आतंकवादियों व ईसाई दलालों की समर्थक सरकार सरारती तत्वों द्वारा किए गए बम्मविस्फोटों मे मारे गए निर्दोष शांतिप्रिय देशभक्त धार्मिक संस्था के सदस्यों के परिबारजनों को संतावना देने के बजाए उन मारे गए देशभक्तों के विरद्ध ही आरोप पर आरोप लगाय जा रही है।(for more information visit Hindu Jaguriti Samiti) आपको याद होगा कि यह वही गद्दारों की सरकार है जिसने मुसलिमजिहादी आतंकवादी इसरत जहां के मरने पर मुआबजा दिया था और देशभक्तों के मरने पर देशद्रोह का केश दर्ज कर दिया उस मुसलिम जिहादी आतंकवादी को निर्दोस सिद्ध करने के लिए ये गद्दार आज भी प्रयत्न कर रहे हैं ।



· मुम्बइ में इस गद्दारों की सरकार ने जिन मुसलिम जिहादीयों को बचाने के लिए हिन्दूक्रंतिकारियों पर झूठे आरेप लगाये और इन आरोपों को आगे बढ़ाने के लिए जिस अधिकारी का दुरूपयोग किया कुदरत का न्याय देखो वो अधिकारी उन्हीं मुसलिम जिहादी आतंकवादियों के हाथों मारा गया ।तब भी इस गद्दार मिडीया व राजनितिक दलों के घर-कुदालों ने उस हमले में हिन्दुओं को फंसाने का भरपूर प्रयास किया।



· कहते हैं जिसका कोई नहीं उसका भगवान होता है आज देशभक्त हिन्दु लगभग लावारिस व अनाथ सा जीबन जीने को मजबूर हैं । इन हालात में हम भगबान से यही प्रर्थना कर सकते हैं कि जिस तरह उसने आज तक धर्म-रक्षकों का साथ दिया है आगे भी अपना आशीर्बाद धर्मरक्षक देशभक्तों पर बनाए रखे ताकि हम इन गद्दारों के षडयन्त्रों को असफल कर अपनी प्यारी भारतमाता को इन गद्दारों से मुक्त करवा सकें। पर गीता में कहा गया है कर्म प्रधान है आओ मेरे प्यारे जागरूक हिन्दुओ खुद सक्रिए हो जाओ व बौद्धिक गुलाम हिन्दुओं को जगाकर इस हिन्दूक्रति का निर्णायक शूत्रपात करो ..... जागो हिन्दू जागो .

रविवार, 21 फ़रवरी 2010

वन्देमातरम् का विरोध देशद्रोह नहीं तो और क्या है ?





जब हमने सुना कि स्वामीरामदेव जी देववन्द में जा रहे हैं तो लगा कि मुसलिम जिहादी आतंकवादियों की जन्मदाता जमात की सोच में बदलाब आ रहा है

लेकिन इस यात्रा के आस-पास जो कुछ घटा उस सबने हमारे जैसे अति आशाबादी करोड़ो लोगों को इस सच्चाई का सामना करबा दिया कि मुसलमानों का एक

बड़ा बर्ग 1947 में भी गद्दार था आज भी गद्दार है और तब तक गद्दार रहेगा जब तक इन गद्दारों का हिन्दूक्रांति के माध्यम से दिमाग ठीक नहीं कर दिया

जाता । आप सोच रहे होंगे कि क्या बजह है कि ये गिने-चुने गद्दार बार-बार भारत के मान-सम्मान को मलियामेट करते हैं बेगुनाह भारतीयों का खून बहाते हैं

देश का विभाजन करबाते हैं फिर भी जिन्दा बच जाते हैं । इसकी सबसे बड़ी बजह यह है कि इन मुसलिम जिहादी आतंकवादियों के समर्थक व पोषक बाद्धिक-

गुलाम हिन्दु 1947 में भी सता मे थे आज भी सता में हैं और तब तक सता में रहेंगे जब तक इन बोद्धिक गुलाम हिन्दुओं की बुद्धि को ठीक नहीं कर दिया

जाता ।अब प्रश्न यह उठता है कि इन गद्दारों की बुद्धि को ठीक कौन करेगा और कैसे करेगा । हमारे विचार में इन गद्दारो को ठीक करने के लिए हमें उन गिने

–चुने नेताओं,पत्रकारों व बुद्धिजीवियों को गोली से उड़ाना होगा जो हर वक्त देश की निर्दोश जनता का खून बहाने बाले मुसलिमजिहादी आतंकवादियों- बामपंथी

नकस्लियों माओवादियों के अनुकूल महौल वनाकर उनके द्वारा किए गए हर कत्लयाम को जायज ठहराकर मासूम मुस्लिम बच्चों व दलितों और आदिवसियों को

कत्लोगारद की अंधेरी दुनिया मे धकेल देते हैं । अब प्रश्न उठता है कि गोली मारेगा कौन । देखो ये गौर करने का सबसे महतवपूर्ण विन्दु है इसका सीधा सा

उतर है कि जितने भी लोग आज देशभक्त होने का दावा कर रहे हैं देश के लिए मरमिटने की कशमें उठा रहे हैं,लेख लिख रहे हैं, भाषण दे रहे हैं उन सबको

अपना मुंह बन्द कर एक दूसरे के साथ सम्पर्क कर संगठित होकर योजना बनाकर इस काम को अन्जाम देना चाहिए।अब आप सोचेंगे कि हथियार कहां से

आयेंगे । देश में जब इन गद्दार आतंकवादियों को भारत के शत्रु देशों व लोगों से हथियार मिल सकते हैं तो क्या ये मुमकिन है कि देशभक्तों को भारत के मित्र

लोगों व देशों से हथियार न मिलें ।बैसे भी इन गद्दारों को खत्म करना सुरक्षाबलों का काम है जब गद्दार नेता व बुद्धिजीवी सुरक्षबलों को इन गद्दारों का खात्मा

करने से रोक रहे है तो सुरक्षबलों को खुद देशभक्त लोगों व संगठनों से सम्पर्क कर उनकी इस पवित्र कार्य में सहायता करनी चाहिए।

कोइ भी विवेकशील ब्यक्ति हमें ये सुभाब देगा कि कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए व कानून को अपना काम करने देना चाहिए । बस यहीं पर समस्या पैदा होती है ये गद्दार कानून को ही तो अपना काम नहीं करने दे रहे ।क्या अफजल को फांसी हमने सुनाई थी नहीं न माननीय सर्वोच न्यायालय ने आदेश दिया था कि अफजल को 19 नम्मवर 2006 को फांसी पर चढ़ा देना चाहिए ।आज 19 नम्मवर 2009 आने वाला है क्या कानून को अपना काम करने दिया गया । नहीं न

अब आप सोचो कि जिस स्थान पर वन्देमातरम् का विरोध कर देश की सम्प्रभुता को ललकारा जा रहा हो क्या उस स्थान पर देश के कानून के प्रतिनिधि को सुरक्षबल भेजकर गद्दारों को गोली से उड़ाकर या कानून के अनुसार जो भी सजा बनती हो वो सजा देनी चाहिए या नहीं सबका जबाब होगा हां कानून के अनुसार जो भी सजा बनती है वो देनी चाहिए । लेकिन यहां तो देश का गृहमन्त्री अपने आप जाकर गद्दारों का हौसला बढ़ाता बेचारा कानून क्या करेगा ।

अब वक्त आ गया है कि हम सच का सामना करें और देशभक्त और देशभक्तों के समर्थकों व गद्दारों और गद्दारों को समर्थकों को पहचान कर अपने आप को देशभक्तों को चुनकर उनके साथ आगे बढ़े और हिजड़े बनकर तमासा न देखें ,कानून,दया,मानबता का बहाना बनाकर अपनी बुजदिली को तर्क देकर छुपाने की कोशिश न करें ।

सच मे हम स्वामी रामदेव जी के हैसले की दाद देते हैं कि उन्होंने गद्दारों के वीच जाकर भी देशभक्ति से ओतप्रोत भाषण दिया पर दुख होता है कि भारत मात की जय या वन्देमातरम् कहने का हौसला वो भी न जुटा सके वैसे भी जिन गद्दारों के साथ भारत विरोधी भारत सरकार खड़ी हो उन गद्दारों के सामने भारत माता की जय या वन्देमातरम वोलने का मतलव है गद्दारों की सरकार से पंगा लेना ।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

धर्म के आधार पर आरक्षण कांग्रेस की हिन्दुविरोधी-देशविरोधी मानसिकता का एक और प्रमाण



1857 का स्वतन्त्रता संग्राम एक एक ऐसी घटना थी जिसने अंग्रेजों को इतना डरा दिया कि उन्हें हर पल भारत में क्राँति की नइ सम्भावनायें दिखाइ देने लगी ।उन्हें लगा कि अब भारत को गुलाम बनाए रखना उनके बस की बात नहीं। क्योंकि यहां के लोग महरानी लक्ष्मीवाई,मंगलपांडे जैसे क्रांतिकारियों की आत्मा की आवाज को समझकर अपने आप को मातृभूमि को आजाद करवाने के लिए बलिदान करने की राह पर निकलने लगे हैं। बस इसी डर ने उन्हें भारत में एक एसा दल त्यार करने पर बाद्य किया जो देखने में हिन्दुस्थानियों का लगे लेकिन बफादार अंग्रेजों के प्रति रहे।
1885 में ऐ ओ हयूम के नेतृत्व में अंग्रेजों के स्वपनों को भारत में साकार करने के लिए कांग्रेस की स्थापना की गई। 1885 से आज तक कुछ अपबादों को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस भारत में अंग्रेजियत के प्रचार-प्रसार व हिन्दूत्व के विरोध का सबसे बड़ा अधार सत्मभ है। यही वो दल है जिसने 1947 में गोरे अंग्रेजों के चले जाने के बाद भी आज तक कभी भारतीयों को आजादी का एहसास नहीं होने दिया। इसी दल की कढ़ी मेहनत और दृड़ निस्चय के परिणाम स्वरूप आज सब भारतीय जात-पात, सांप्रदाय, भाषा, क्षेत्र के नाम पर एक दूसरे का खून बहा रहे हैं। जब कभी भी इस दल को लगता है कि देश में शांति-एकता और भाई-चारे का दौर शूरू हो रहा है तो ये दल अपनी फूट डालो और राज करो की निति में से कोई न्या तीर चलाकर एसी आग लगाता है जिसकी तपस बर्षों तक हिन्दुस्थानियों को जलाती रहती है।
इसी फूट डालो और राज करो की निति के परिणामस्वरूप 1947 में भारत का विभाजन हो गया। दो हिस्से मुसलमानों के लिए एक हिस्सा हिन्दुओं के लिए। विभाजन की भूमिका त्यार की अंग्रेजों ने कांग्रेसियों के साथ मिलकर ।जिसे सिरे चढ़ाया पुराने कांग्रेसी मुहम्द अली जिन्ना ने 1946 में मुसलमानों को हिन्दूओं के विरूद्ध सीधी कार्यवाही का आदेश देकर। जिसके परिणाम स्वरूप मुसलमानों ने सारे देश में हिन्दूओं पर हमले शुरू कर दिए सारा देश हिन्दूओं की कब्रगाह बनने लगा धारे-धीरे हिन्दूओं को समझ आने तगा कि अगर बचना है तो मुकाबला करना पड़ेगा । धीरे-धारे हिन्दूओं ने अपने आप को संगठित कर मुसलिम जिहादियों का मुकाबला करना शुरू किया । जैसे ही हिन्दूओं ने मुसलिम जिहादियों को उन्हीं की भाषा में जबाब देना शुरू किया तो कांग्रेसियों से बर्दास नहीं हुआ और कांग्रेसियों के नेता ने मुसलिम जिहादियों को बचाने के लिए अनसन शुरू कर दिया। बेचारे बौद्धिक गुलाम हिन्दु कांग्रेसियों के बनाए मकड़जाल में ऐसो फंसे कि आज तक निकल न पाये।
मुसलमानों ने एकजुट होकर सारे पाकिस्तान से हिन्दू-सिखों का लगभग नमोनिसान मिटा दिया ।जो गिने-चुने रह गए उनका कत्लयाम आज तक जारी है।बर्तमान भारत से भी मुसलमान धीरे-धीरे पाकिसस्तान जा रहे थे तभी कांग्रेसियों ने हिन्दूओं को लहूलुहान करने के लिए एक और चाल चली और मुसलमानों को पाकिस्तान जाने से रोक दिया। जिहादियों के रणनितीकार तो पहले ही त्यार बैठे थे अपने जिहादी बीज का कुछ हिस्सा बर्तमान भारत में छोड़ देने के लिए ताकि बचे खुचे भारत को भी लगातार तहुलुहान करने के बाद हिन्दूविहीन कर दिया जाए।
1947 में भारत विभाजन के बाद मुसलिम जिहादियों की एकमात्र नीति रही अधिक से अधिक बच्चे पैदा कर भारत में अपनी जनशंख्या बढ़ाना व अलगावबाद की भावना जागृत रखना । इन उदेश्यों की पूर्ति के लिए ही जिहादियों ने हमेशा परिबार नियोजन व बन्देमातरम् का बार-बार विरोध किया । उन की इस रणनिती को सफल बनाने के लिए कांग्रेसियों ने उन्हें न केबल लोजिसटिक सहायता उपलब्ध करबाइ बल्कि उनकी अलगावबादी नीतियों को सहारा देने के लिए हर तरह के कानून बनाए। मतलब अंग्रेजों द्वारा सौंपी गई भूमिका को कांग्रेस आज तक निभाती चली आ रही है।
अब आप समझ सकते हैं कि क्यों कांग्रेस मुसलमानों व इसाईयों को धर्म के आधार पर आरक्षण की बात कर रही है। कांग्रेस का 1885 से आज तक जो उदेश्य सपष्ट दिखता है वो है हिन्दुविरोध-देशविरोध वोले तो गद्दारी। बरना हर कोई जानता है कि अंग्रेजों और इसाईयों को आरक्षण देने की बात तो केबल गद्दार हिन्दुविरोधी ही कर सकते हैं की देशभक्त नहीं। आओ जरा विचार करें कि मुसलमानों और इसाइयों को आरक्षण क्यों नहीं मिलना चाहिए ।
संविधान धर्म(सांप्रदाए) के आधार पर आरक्षण की इजाजत नहीं देता। क्योंकि धर्म के आधार पर फूट डालो और राज करो की नितीयों के परिणामस्वरूप ही भारत का एक से अधिक बार विभाजन(अफगानीस्तान,पाकिस्तान,बंगलादेश) हो चुका है। आज कोइ भी विवेकशील ब्यक्ति इस आग से खेलने का दुहसाहस नहीं कर सकता। एसा केबल गद्दार ही कर सकते हैं। जो लोग कह रहे हैं कि संविधान की इस पंक्ति को हटा देना चाहिए उन्हें समझना चाहिए कि अगर ये पंक्ति हटानी ही है तो देश की 100% नौकरियां हिन्दूओं के लिए आरक्षित कर देनी चाहिए।
मुसमानों और इसाईयों ने हिन्दुओं को लगभग 1000 वर्ष तक गुलाम बनाकर रखा। इस दौरान मुसलमानों व इसाइयों ने हिन्दूओं पर अनगिनत जुल्म ढाए। हिन्दुओं के आस्थास्थल मन्दिर गिराए। मां-बहन-बेटियों की इज्जत से खिलबाड़ किया। नौकरियों पर हर तरह से पहला अधिकार मुसलमानों व इसाईयों को दिया गया ।हिन्दुओं के साथ जानबरों से भी बदतर बरताव किया गया।इन ईसाईयों और मुसलमानों को आरक्षण देना न हिन्दूओं की हैसियत है न इन्हें आरक्षण की जरूरत है। बैसे भी कोई गुलाम(हिन्दू) अपने सासक (मुसलमान और इसाइ ) को आरक्षण देने की हैसियत कहां रखता है।
मुसलमानों ने तो न केबल हिन्दुओं को गुलाम बनाकर रखा बल्कि अखण्ड भारत के चार टुकड़े कर तीन पर अपना 100% कब्जा कर लिया। जब भारत के बाकी तीन हिस्सों अफगानिस्तान,पाकिस्तानव बंगलादेश में मुसलमानों को 100% आरक्षण प्राप्त है तो फिर भारत में 100% आरक्षण हिन्दूओं को क्यों नहीं।
जो इसाइ आज भी धन-बल के जोर पर हिन्दूओं को धर्मपरिबर्तन करने पर बाध्य कर रहे हैं उन इसाइयों को आरक्षण कैसा। आज भी देश के अधिकतर शिक्षण संस्थान जिनमें भारत के अधिकतर प्रभावशाली लोगों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं ईसाईयों के खब्जे में हैं। जो इसाइ आज भी देश के हर बड़े पद पर विराजमान हैं उन्हें आरक्षण की क्या जरूरत।
आज जब भारत सरकार एक इसाई एंटोनिये माइनो मारियो की गुलाम है देश का रक्षामन्त्री एक इसाइ है। एंटोनियों के सब के सब सलाहकार या तो इसाइ हैं या फिर मुसलमान । ऐसे में मुसलमानों और इसाईयों को आरक्षण की बात करना हिन्दुविरोध- देशविरोध के सिवा और कुछ नहीं ।
कुछ लोग ये तर्क देते हैं कि ये इसाइ और मुसलमान वो नहीं जिन्होंने हिन्दुओं को गुलाम बनाया था ये तो हिन्दुओं से ही इसाइ व मुसलमान बने हैं । प्रशन पैदा होता है कि ये मुसलमान और ईसाई इसलिए बने ताकि इन्हें गरीवी व छुआछूत से छुटकारा मिल सके जो कि नहीं मिल सका फिर तो इन्हें बापस हिन्दु बन जाना चाहिए क्योंकि जिस उद्देशय को लेकर ये धर्मभ्रष्ट हुए बो उदेशय ही पूरा नहीं हुआ। कम से कम धर्म का पालन तो करें और आरक्षण का फायदा भी लें । बैसे भी संस्सार का एकमात्र मानब धर्म हिन्दुधर्म ही तो है बाकी सब तो राजनितीक विचारधारायें हैं आज नहीं तो कल विलुप्त हो जांयेंगी।
जो मुसलमान बन्देमातरम् का विरोध कर रहे हैं वो राष्ट्रवाद के हर पैमाने से गद्दार हैं अत: गद्दारों को आरक्षण की बात गद्दार ही कर सकते हैं देशभक्त नहीं। इसे समय का न्याय ही कहेंगे कि जो लोग आईबीएन7 पर वन्देमातरम् का विरोध कर रहे थे वो ही आरक्षण की मांग भी उठा रहे थे। मतलब आप समझ सकते हैं।
रही बात गरीवी की तो इस संसार में हिन्दूओं से ज्यादा गरीब और बदनसीब कौन है जिनके देश पर मुसलमानों और इसाइयों ने कब्जा कर लिया और वो वेचारा कुछ न कर सका। हिन्दुओं के देश को मुसलमानों ने चार हिस्सों में बांट कर उनमें से तीन पर अपना कब्जा जमाकर हिन्दू को वहां से निकाल दिया। अब उसे चौथे हिस्से से निकालने की त्यारी चल रही है। पांच लाख से अधिक हिन्दू तो अकेले कशमीर घाटी से बेघर कर दिए गए बचारा हिन्दू कुछ न कर सका ।मां-बहन बेटियों की इज्जत तार-तार की की गई बेचारा हिन्दू कुछ न कर सका नबालिग बच्चों को हलाला कर दिया गया बेचारा हिन्दू कुछ सका। न्याय की बात तो दूर कोइ दुनिया में सन्तावना तक देने वाला कोई नहीं । अगर बास्तब में मुसलमान गरीब होते तो वो परिबार नियोजन का विरोध नहीं करते ।देशभर में बम्मविस्फोट कर हिन्दुओं का खून नहीं बहाते। अगर इसाइ गरीब होते तो वो बड़ी शिक्षण संस्थाओं व सेवा के नाम पर प्रलोभन देकर हिन्दूओं को धर्मपरिबर्तन कर इसाई बनने पर बाध्या नहीं करते। बास्तब में अगर कोई गरीब है तो वह हिन्दु है । लेकिन हिन्दू की बदनशीवी यह है कि उसकी गरीवी पर कोइ ध्यान देने बाला नहीं उल्टा ये गद्दार उसे और गरीव दीन हीन बनाने पर तुले हैं।
रही बात अल्पसंख्यक होने की तो दुनिया में अगर कोई अल्पसंख्यक है तो वो हिन्दू है । अगर अकेले देश की बात की जाए तो दुनिया के लगभग 200 देशों में हिन्दू अलपसंख्यक है बताओ जरा कितने देशों में हिन्दूओं को विसेषा अधिकार प्राप्त हैं या आरक्षण प्राप्त है आरक्षण या विशेषा अधिकार तो दूर समान अधिकार तक प्राप्त नहीं हैं।

अन्त में हम तो यही कहेंगे कि जो भी भारत के नागरिक हैं और देश के प्रति बफादार हैं उन्हें वो सब अधिकार मिलने चाहिए जो भारतीय नागरिक को प्राप्त हैं लेकिन धर्म के आधार पर किसी को भी कोई विशेषाधिकार नहीं देना चाहिए ।इसी में हम सब का भला है।

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी

चाहे हम हों कितने तगड़े , मुंह वो हमारा धूल में रगड़े,
पटक पटक के हमको मारे , फाड़ दिए हैं कपड़े सारे ,
माना की वो नीच बहुत है , माना वो है अत्याचारी ,
लेकिन - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .


जब भी उसके मन में आये , जबरन वो घर में घुस जाए ,
बहू बेटियों की इज्ज़त लूटे, बच्चों को भी मार के जाए ,
कोई न मौका उसने छोड़ा , चांस मिला तब लाज उतारी ,
लेकिन - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .


हम में से ही हैं कुछ पापी , जिनका लगता है वो बाप ,
आग लगाते हुए वे जल मरें , तो भी उसपर हमें ही पश्चाताप ?
दुश्मन का बुरा सोचा कैसे ??? हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी ???
अब तो - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .


बम यहाँ पे फोड़ा , वहां पे फोड़ा , किसी जगह को नहीं है छोड़ा ,
मरे हजारों, अनाथ लाखों में , लेकिन गौरमेंट को लगता थोडा ,
मर मरा गए तो फर्क पड़ा क्या ? आखिर है ही क्या औकात तुम्हारी ???
इसलिए - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .


लानत है ऐसे सालों पर , जूते खाते रहते हैं दोनों गालों पर ,
कुछ देर बाद , कुछ देर बाद , रहे टालते बासठ सालों भर ,
गौरमेंट करती रहती है नाटक , जग में कोई नहीं हिमायत ,
पर कौन सुने ऐसे हाथी की , जो कोकरोच की करे शिकायत ???
इलाज पता बच्चे बच्चे को , पर बहुत बड़ी मजबूरी है सरकारी ,
इसीलिये - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .


वैसे हैं बहुत होशियार हम , कर भी रक्खी सेना तैयार है ,
सेना गयी मोर्चे पर तो - इन भ्रष्ट नेताओं का कौन चौकीदार है ???
बंदूकों की बना के सब्जी , बमों का डालना अचार है ,
मातम तो पब्लिक के घर है , पर गौरमेंट का डेली त्योंहार है
ऐसे में वो युद्ध छेड़ कर , क्यों उजाड़े खुद की दुकानदारी ???
इसीलिये - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .


सपूत हिंद के बहुत जियाले , जो घूरे उसकी आँख निकालें ,
राम कृष्ण के हम वंशज हैं , जिससे चाहें पानी भरवालें ,
जब तक धर्म के साथ रहे हम , राज किया विश्व पर हमने ,
कुछ पापी की बातों में आ कर , भूले स्वधर्म तो सब से हारे ,
जाग गए अब, हुए सावधान हम , ना चलने देंगे इनकी मक्कारी ,
पर तब तक - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .


रचयिता : धर्मेश शर्मा , भारत
मुंबई दिनांक २०.०९.२००९
संशोधन , संपादन : आनंद जी.शर्मा

रविवार, 14 फ़रवरी 2010

भारत से गद्दारी कर पाकिस्तान का गुणगान करने बाले गद्दारों के नाम खुला संदेश

भारत से गद्दारी कर पाकिस्तान का गुणगान करने बाले गद्दारों के नाम खुला संदेश
13 फरबरी 2010 को महाराष्ट्र के पुणे शहर में मुसलिम आतंकवादियों द्वार किए गए जिहादी हमले में 9 लोग मारे गए व लगभग पचास लोग घायल हुए । पाकिस्तानियों के लिए लड़ने बाले व देशभक्तों को गाली गलौच करने बाले शाहरूख व उस जैसे सब लोगों से हम सिर्फ इतना ही कहेंगे कि समझदार लोग जिस पत्र में खाते हैं उस पत्र में छिद्र नहीं करते । हां अगर इन लोगों को पाकिस्तानियों से इतना ही लगाब है तो ये लोग पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते क्योंकि 1947 में पाकिस्तान का निर्माण ही इन जैसे गद्दारों के लिए किया गया था । पाकिस्तान उन लोगों के लिए बनाया गया था जो वन्देमातरम् का गान अमनी शान के खिलाफ समझते हैं गद्दारी और नमक हरामी जिनकी रग-रग में है । जो खाते–रहते भारत में हैं गुणगान पाकिस्तान और मुसलिम आतंकवादियों का करते हैं । कहां है इन गद्दारों की मां एंटोनियो माईनो मारियो ,उसका लाल और इन दोनों का गुलाम दिगविजय सिंह कोई जाकर बताए उसे कि पुलिस के लोग अपनी जान की बाजी लगाकर मुसलिम आतंकवादियों को पकड़ने बाले हैं । कहीं ये आतंकवादी इन पुलिसबालों के हाथ न आ जायें इसके लिए ये गद्दार जल्दी से इन आतंकवादियों के घर जाकर बैठ जाए और कह दे ये निर्देष हैं एंटोनियों के लाल हैं इन्हें कोई न पकड़े । पकड़ना है तो जाकर देशभक्त संगठनों के कारकर्ताओं को पकड़ें जो हर वक्त देशभक्ति का राग अलाप कर इन गद्दारों के बने बनाए खेल को विगाड़ रहे हैं । पर इस दिगविजयसिंह को यह भी बता देना कि इन आतंकवादियों का अगला निशाना इटली के निवासी हैं कहीं ये पहुंचते –पहुंचते इन सब गद्दारों की मां एंटोनियो तक न पहुंच जायें। फिर क्या करोगे।
जागो मेरे प्यारे सर्वधर्मसम्भाव में विस्वास रखने बाले हिन्दू भाईयो ,इस देश को अपनी मां मानकर वन्देमातरम् का गान करने बाले देशभक्त मुसलिम भाईयो बचा लो अपने तिल- तिल मिटते हिन्दू राष्ट्र भारत को क्योंकि जिस दिन ये पाकिस्तान हो जाएगा तो न हिन्दू बचेंगे न शांतिप्रिय देशभक्त मुसलिम भाई ही बचेंगे । अगर कोई बचेगा तो सिर्फ मुसलिम आतंकवादी व उनके गुलाम।
हम देशभक्त हिन्दूमुसलिम भाईयों से यही कहेंगे कि पहचानो उन मुसलिम गद्दारों को जो ये आतंकबाद फैला रहे हैं व उन मुसलमानों को जो इन आतंकवादियों को सरण दे रहे हैं इन्हें निर्दोश बताकर इस मुसलिम आतंकवाद को आगे बढ़ा रहे हैं पहचानों उन हिन्दूओं को जो हिन्दू होकर हिन्दूओं से गद्दारी कर न मुसलिम आतंकवादियों का साथ देकर आपके बच्चों को मौत की ओर धकेल रहे हैं ।
देशभक्तों के शव्र का इमत्हान न लो गद्दारो
अगर ये सवर टूट गया
तो न कोई गद्दार बचेगा न कोई इन गद्दारों का मददगार
समझो हम समझा रहे हैं जो न समझे तो मिट जाओगे
खुद तो मिटोगे पर हिन्दूओं की बर्षों से कमाई सहनशीलता को भी मिटा डालोगे

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय


ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
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बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

देशभक्त कांग्रेसियों के नाम एक खुला पत्र

देशभक्त कांग्रेसियों के नाम एक खुला पत्र
आज तक हमने जो देखा-सुना-समझा वो लिखा।हमने कोसिस की सैकुलर गिरोह के हिन्दूविरोधी-देशविरोधी कुकर्मों को देश के सामने रखने की । इन कुकर्मों को देख कर हमारे अन्दर जो आक्रोश पैदा हुआ उसके परिणामस्वारूप हमने एक पुस्तक नकली धर्मनिर्पेक्षता लिख डाली जो अपने ब्लाग http://samrastamunch.spaces.live.com पर उपलब्ध है । सुना था मन की बात लिखने के बाद मन हल्का हो जाता है और मनुष्य हिंसक होने से बच जाता है एसा हुआ भी।परन्तु जैसे ही हमने अपना ध्यान किसी और रचनात्मक विषय पर लगाने की कोशिश की तब तक सैकुलर गिरोह ने कोई और बड़ा हिन्दूविरोधी देशविरोधी कुकर्म कर दिया ।इस सैकुसर गिरोह का सबसे बड़ा घटक अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी है।आज हमने फैसला किया है कि इसी पीर्टी के अन्दर काम कर रहे देशभक्त कांग्रेसियों से सीधी बात की जाए ।
मेरे प्यारे देशभक्त कांग्रेसी भाईयो हम समझते हैं कि कांग्रेस की सथापना से लेकर आज तक कांग्रेस में जहां एक तरफ नेताजी सुभाषचन्द्र बोस,शहीद भगत सिंह ,वीर साबरकर जैसे घोर राष्ट्रवादी रहे हैं तो दूसरी तरफ गद्दारों या यूं कहें देशविरोधियों-हिन्दूविरोधीयों की भी कभी कमी नहीं रही है। हम अपना ध्यान केंद्रित करेंगे सिर्फ 1947 के बाद की घटनाओं पर।
15 अगस्त 1947 को धर्म(सांप्रदाय) के आधार पर भारत का विभाजन होने के बाद जब पाकिस्तान और बंगलादेश को हिन्दूविहीन कर दिया गया तो भारत में मुसलमानों को रखने का क्या औचित्या था उसवक्त कांग्रेस के अनेक देशभक्त लोगों ने बार-बार मुसलमानों को देश में न रहने देने की बकालत की थी फिर भी गद्दार कांग्रेसियों ने मुसलमानों को भारत में रखने का फैसला क्यों किया?
आज देश पर बार-बार हो रहे मुसलिम आतंकवादी हमलों के बाद आप समझ सकते हैं कि कौन सही था कौन गलत ?

अगर मुसलमानों को भारत में इस आधार पर रखा गया कि मुसलमान देशभक्त हैं और सर्वधर्मसम्भाव में विस्वास रखते हैं तो फिर वन्देमातरम् की चार पंक्तियों को छोड़ कर वाकी पंक्तियों को क्यों काट दिया गया?
जब भारत को हिन्दू राष्ट्र नहीं घोषित किया गया तो फिर देश में अल्पसंख्यकबाद के नाम पर धर्म के आधार पर कानून क्यों बनाए गए?
जब सारा देश एक है तो फिर मुसलिमबहुल कश्मीरघाटी की बजह से जम्मु-कश्मीर में अलग संविधान,अलग कानून,धारा 370 क्यों ?
1955 में जब हिन्दू पर्सनल ला समाप्त कर हिन्दूओं को देश के संविधान के अनुसार जीवन यापन करने के लिए कहा गया तो फिर मुसलिम पर्नसनल ला को समाप्त कर क्यों मुसलमानों को संविधान के दायरे में नहीं लाया गया?
समाजिक बुराईयों के नाम पर हिन्दूओं की अनेक मान्याताओं पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया तो फिर बुर्के और आतंकलादियों की नर्सरी मदर्सों पर प्रतिबंध क्यों नहीं?
जब संविधान में धर्मनिर्पेक्ष शब्द नहीं था तो 1977 में इसे संविधान में क्यों जोड़ा गया?
जब संविधान में समानता का अधिकार है तो फिर नियम जाति,क्षेत्र,सांप्रदाय,भाषा के आधार पर क्यों?
जब केरल में मुसलीम लीग को सरकार बनाने का अधिकार प्राप्त है तो फिर पंजाब में सिखों की सरकार न बनने देने के प्रयास कर क्यों भिंडराबाले को पाला गया?
1984 में जब साहवानो केश में माननीय सर्वोच न्यायलया ने मुसलिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून पारित किया तो उसे त्तकालीन कांग्रेस सरकार ने क्यों शरीयत का हबाला देकर रद्द कर दिया ?
1986 में जब खुद स्वर्गीय राजीब गांधी जी ने पूजा अर्चना कर अयोध्या में मन्दिर के कार्यों को आगे बढ़ाया तो फिर बाद में उस मन्दिर को क्यों मस्जिद कहकर पुकारा गया ?
कांग्रेस बार-बार गुजरात का मुद्दा उछाल कर हिन्दूओं को घेरने की बात करती है जहां मुसलांनों द्वारा लगाई गई आग के परिणामस्वारूप 2000 से कम मुसलमानों का कत्ल हुआ तो फिर कशमीर घाटी पर चुप्पी क्यों जहां 60000 हिन्दुओं को कत्ल कर पांच लाख के घार बार उजाड़ दिए गए ?
2004-2009 के वीच में
क्यों मुसलिम जिहादी आतंकवादियों को बचाने के लिए पोटा हटाकर न्या कानून नहीं बनाया गया?
क्यों प्रधानमन्त्री ने मुसलिम बहुल जिलों के विकास की बात कर एक तो मुसलमानों को अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने के लिए उकसाया दूसरा विकास को हिन्दू-मुसलिम के नाम पर बांटने का कुकर्म किया?
क्यों सेना में मुसलमानों की गिनती कर सुरक्षबलों में सिर्फ मुसलमानों की भर्ती कर सुरक्षाबलों को धर्म के आधार पर बांटन का प्रयास किया?
सेना के सैनिकों को बहनों द्वारा भेजी राखी को पहनने पर आपती क्यों ?क्या खतना करवा चुके लोगों को सेना में भरती न करने का साहस है? क्योंकि दोनों ही धार्मिक चिन्ह हैं।
बच्चों की छात्रवृतियों का सांप्रदायिक आधार पर बंटबारा क्यों?

क्यों भगवान राम के अस्तित्व को नकारने का दुस्साहस किया गया?
क्यों बाबा अमरनाथ जमीन के बहाने हिन्दू को नीचा दिखने का छडयन्त्र रचा गया?
क्यों बजट को हिन्दू-मुसलिम के नाम पर बांटा गया ऐसा देश के विभाजन से पहले किया जाता था जिसका परिणाम देश के विभाजन के रूप में सामने आया
जब संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण का निषेध करता तो फिर क्यों पहले आंध्रप्रदेश में फिर देश में मुसलमानों को आरक्षण देने का बार-बार षडयन्त्र रचा जा रहा है?
जब कांग्रेस सरकार सिरोमणी गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी,हज कमेटी व वक्फ बोर्ड जैसी सांप्रदाय आधारित संस्थाओं को लगातार आगे बढ़ा रही है फिर हिन्दु संगठनों को बार-बार बदनाम करने के षडयन्त्र क्यों?
जब मुसलीमलीग,देववन्द जैसे देशविरोधी संगठनों पर सरकार लगातार मेहरबान है तो फिर देशभक्त संगठनों को अपमानित करने के बार-बार प्रयास क्यों?
जब हिन्दू साधु सन्तों सैनिकों को अपमानित कर जोर जबरदस्ती से मकोका लगाकर(जिसे माननीय न्यायालया ने गलत करार देकर हटा दिया) जेलों में विना किसी अपराध के जेलों में बंद कर दिया गया तो फिर मुसलिम जिहादी आजंकबादी कातिलों के प्रति हमदर्दी व नर्मी क्यों ?
पंजाब में भिंडराबाले को पालकर देश को लहुलूहान कर दने के बाबजूद भिंडराबाले की तर्ज पर राज ठाकरे को बढ़ाबा क्यों?
सरकार का काम होता है लोगों को सुरक्षा देना फिर महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री द्वारा क्षेत्रबाद का जैहर फैलाकर आग लगाने का काम क्यों ?

जिन सुरक्षाबलों के सैनिकों ने पार्लियामैंट पर हमले के दौरान अपनी जान की बाजी लगाकर इन कांग्रेसी नेताओं की जान बचाई उन्हीं का अपमान कर मुसलिम जिहादी आतंकवादी की फांसी पर इतनी देर क्यों?
हज यात्रा के लिए प्रति मुसलमान 60000 रूपए की सहायता और हिन्दुओं पर कुम्भ मेले में जाने के लिए अतिरिकत जजिया कर क्यों ?

बटाला हुऊस इन्काउंटर के दौरान अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों के जान-माल की रक्षा करने बाले शहीद मोहन चन्द शर्मा का अपमान कर मुसलिम आतंकवादी सहजाद को बचाने के लिए कांग्रेसियों द्वारा सुरक्षाबलों पर हमला क्यों ?
जरा सोचो कि कांग्रेस वही सब नहीं कर रही है जो औरंगजेब व बाबर जैसे मुसलिम आतंकवादी राक्षसों ने किया था?
मेरे प्यारे देशभक्त कांग्रेसियो जरा सोचो सांप्रदायिक आधार पर सबकुछ बांट दने के बाद क्या देश बचेगा ?

अगर देश नहीं बच पायेगा तो फिर क्या आप बचोगे ?

क्या कश्मीर घाटी,पाकिस्तान बंगलादेस अपगानीस्थान में गद्दार-मुसलिमप्रस्त कांग्रेसियों को बख्स दिया गया ?
नहीं न
तो फिर ये मुसलिम आतंकवादी देशभक्त कांग्रेसियों को बख्स देंगे ऐसा आप कैसे सोच सकते हैं ?
हम समझते हैं कि देश को बचाने के लिए कांगेस को गद्दारों से मुक्त करवा देशभक्तों के हाथ में देना जरूरी है क्या आप ये काम कर पांयेंगे ?
अगर हां तो उठाओ आबाज सब देशभक्त आपको अपने साथ खड़े मिलेंगे...
जागरूक लोगों को भी सोचना चाहिए कि इतने सारे फूट डालो और राज करो के कदम कांग्रेस द्वारा उठाये जाने के बाद भी क्यों मिडीया इनके विरूद्ध आबज नहीं उठाता ?
प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा बरना हम समझेंगे कि ...

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

कांग्रेस की फूट डालो और राज करो की निती न जाने क्या-क्या गुल खिलाएगी ?

कांग्रेस की फूट डालो और राज करो की निती न जाने क्या-क्या गुल खिलाएगी ?
15 अगस्त 1947 को आखंड भारत का विभाजन कांग्रेस के माध्यम से अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की निती का परिणाम था । सबको उमीद थी कि कांग्रेस इससे सबक लेकर वर्तमान भारत में एसा कोई काम नहीं करेगी जो भारतीयों को जाति, क्षेत्र, सांप्रदाय(धर्म) ,भाषा के आधार पर बांटे । आज 2010 में अगर हम पिछले 62 वर्ष में से 10 वर्ष निकाल दें तो वाकी सारा समय कांग्रेस का ही सासन रहा । इस समय में कांग्रेस ने जितने भी नियम बनाय उन सब अगर तार्किक आधार पर विसलेशण किया जाए तो हम पांयेगे कि लगभग हर कानून जाति, क्षेत्र, सांप्रदाय(धर्म) ,भाषा के आधार पर बनाया गया । ढूंढने पर हो सकता है कि ऐसे कुछ कानून मिलें जो जो गलती से भारतीयों के लिए बनाए गए हों पर मोटे जौर पर लगभग हर कानून का आधार जाति, क्षेत्र, सांप्रदाय(धर्म) और भाषा ही है। कानून तो कानून राज्यों तक का निर्माण प्रसासनिक आधार पर करने के बजाए ऐसे ही विभाजनकारी आधारों पर किया गया गया । यही बजह है कि देश में आज जितने भी राजनितीक दल हैं उनके निर्माण का आधार भी कहीं न कहीं जाति, क्षेत्र, सांप्रदाय(धर्म) ,भाषा ही है। कांग्रेस की इसी विभाजनकारी फूट डालो और राज करो की निती के परिणामस्वरूप ही भारत में मिडीया भी अपने प्रोग्राम जाति, क्षेत्र, सांप्रदाय(धर्म) ,भाषा के आधार पर ही बनाता है । कांग्रेस की इसी फूट डालो और राज करो की निती के परिणामस्वरूप ही भारत विरोधी विदेशी ताकतों ने देश में मानवाधिकार संगठनों व मिडीया के नाम पर दर्जनों भारत-विरोधी गिरोह त्यार कर डाले । इन्हीं गिरोहों में छुपे गद्दार समय-समय पर छोटी सी बात को इतनी तूल दे देते हैं कि लगता है जैसे गृहयुद्ध की स्थिति बन गई हो । ये गद्दार भारत विभाजन की बातें ऐसे करते हैं मानों शालाद में गाजर मूली खा रहे हों ।
महाराष्ट्र में मराठी गैर मराठी के नाम पर जो कुछ किया जा रहा है उसका आधार कहीं न कहीं इस राज्या का भाषा के आधार पर निर्माण है। राज ठाकरे ने उतर भारतीयों के विरूध जब जहर उगलना शुरू किया तो हमने अपने ब्लाग पर लिखा था कि जिस तरह कांग्रेस ने पंजाब में अकालियों को हटाकर अपनी सरकार बनबाने के लिए भिंडरावाले को पाल-पोस कर आगे बढांया था ठीक उसी तरह महाराष्ट्र में शिवसेना को कमजोर करने के लिए कांग्रेस राज ठाकरे को पाल-पोस कर आगे बढ़ा रही है । पंजाब में कांग्रेस द्वारा लगाइ गई आग की कीमत हजारों हिन्दू-सिखों को अपने प्राण देकर चुकानी पड़ी थी । जिसकी चिंगारीयां आज तक यहां वहां देखने को मिलती हैं ।जिन हिन्दू-सिखों का खून का रिस्ता है उनमें से एक को तोड़ कर इस कांग्रेस की इस विभाजनकारी निती ने अलपसंख्यक बना डाला । सायद भारतीयों को तोड़ने की हसरत इस कांग्रेस की अभी तक पूरी नहीं हुई थी इसीलिए महाराष्ट्र में ठण्डी पड़ चुकी इस चिंगारी को महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री ने ड्राईवर के लाइसैंस के साथ मराठी भाषा जोड़ कर शुलगाया । बस फिर क्या था कांग्रेस का दलाल राज ठाकरे तो पहले से त्यार बैठा था उसने मौका हाथों हाथ लिया । बस फिर क्या था बोट-बैंक के चक्कर में शिवसेना भी कूद पड़ी इस विभाजनकारी राजनिती में । हम तो कहते हैं कि उतर भारतीयों के विरूद्ध आग चाहे राजठाकरे उगले या शिवसेना। दोनों पर कार्यवाही करने की जिम्मेवारी सरकार की है लेकिन जब सरकार का मुखिया ही जहर उगलने लगे फिर कार्यावाही कौन करे ?
इन हालात में संघ ने उतर भारतीयों की रक्षा की जिमेवारी उठाकर अपनी विचारधारा के अनुरूप एक नेक कदम उठाया है। संघ को इस बात के प्रति सचेत रहने की जरूरत है कि कहीं कांग्रेस सरकार उसको उलझाने के लिए कोई और डरटी गेम न खेले । संघ को शिवसेना से भी बात कर उसे उसकी गलती का एहसास करवाना चाहिए।
हम तो शिवसेना से यही कहेंगे कि या तो शिवसेना भगवा चोला उतारकर खुद को देशभक्त कहना छोड़ दे या फिर अपने आप को फूट डालो और राज करो की कांग्रेस की निति से दूर कर ले । ये दोनों चीजें साथ-साथ नहीं चल सकतीं । जो देशभक्त भगवा का समर्थक वोटर है वो कभी भी क्षेत्रवाद या भाषावाद की बात करने बालों को वोट नहीं डाल सकता । शिव सेना को समझना चाहिए कि हमलोगों ने आज तक अगर शिव-सेना का समर्थन किया तो सिर्फ इसलिए कि जिहादी आतंकवाद के विरूद्ध महाराष्ट्र मे जो भी आबाजें उठीं उनमें से सबसे उंची आबाज शिवसेना की थी और आज भी है । लेकिन अगर शिवसेना देशभक्ति की जगह क्षेत्रवाद या भाषावाद को अपनी विचारधारा बनाती है तो फिर हम इसे गद्दारी ही कहेंगे और गद्दारों के साथ कोई देशभक्त खड़ा नहीं हो सकता। शिवसेना को समझना चाहिए कि देश पर जिहादी आदंकवाद का जो खतरा मंडरा रहा है उसे देखते हुए देश को शिवसेना की जरूरत है लेकिन राष्ट्रवादी विचारधार के साथ । शिवसेना को समझना चाहिए कि मराठी गैर मराठी की बात कर शिवसेना विल्कुल वैसी ही गद्दारी कर रही है जैसी कांग्रेस ने कश्मीर में धारा 370 लगाकर की थी और आज भी कर रही है।
ऱाहुल गांधी का सुरक्षाबलों को मराठी-गैरमराठी में बांटने बाला बयान न केवल राहुल की सोच का दिवालियापन उजारग करता है पर साथ ही कांग्रेस की फूट डालो और राज करो की निती को भी आगे बढ़ाता है । कांग्रेस के लिए यह कोई नई बात नहीं । इससे पहले कांग्रेस सेना को मुसलिम-गैर मुसलिम के आधार पर बांटने का षडयन्त्र कर चुकी है जिसे सेना प्रमुख जे जे सिंह जी ने अपनी समझदारी व दृड़ता से असफल कर दिया।
विहार में जब राहुल ने अपनी सोच का दिवालियापन प्रकट करते हुए वर्तमान भारत के सबसे अधिक प्रगतिशील व शांतिप्रय राज्य पर सिर्फ इसलिए हमला किया क्योंकि वहां पर हिन्दूत्वनिष्ठ व देशभक्त सरकार काम कर रही है तो विहार के कांग्रेसी हिन्दू कार्यकर्ताओं के सब्र का बांध टूट पड़ा और उन्होंने राहुल पर कुर्सियां जूते चप्पल फैंक कर उसकी सोच के दिवालिएपन का करारा जबाब दिया।हमें इन्तजार है उस वक्त का हर भारतीय इस राहुल की सोच के दिवालिएपन को समझकर एसा ही करारा जबाब दे।
शिव सेना को समझना चाहिए कि अगर वो मराठी-गैरमराठी के मुद्दे पर उतर भारतीयों को निशाना बनाती है तो फिर उसमें और राहुल में कोई फर्ख नहीं रह जाएगा। राहुल द्वारा विभाजन की बातें करना मिडीया और हमें इसलिए ज्यादा बुरा नहीं लगता क्यों वो एक विदेशी मां की औलाद है और उसी विदेशी की संगत में पल बढ़ रहा है वो भारतियों को बांटने के सिवा और कर भी क्या सकता है। पर शिव सेना द्वारा एसी बात करना किसी भी हालात में न ये मिडीया,न भारतीय जनता स्वीकार कर सकती है क्योंकि हमें शतप्रतिशत विस्वास है कि शिवसेना के लोग भारतीय हैं। हां अगर सिवसेना के लोग भी कांग्रेसियों की तरह विदेशीयों के हाथों विक कर उनकी कठपुतली बन चुके है तो उन्हें खुलकर कांग्रेस के साथ हाथ मिला लेना चाहिए।
राहुल गांधी ने खुद कहा है कि भारत का चपा-चपा सब भारतीयों का है यहां पर इटालियन माइनो मारियो व उसकी सन्तानों का कोई हक नहीं । राहुल गांधी की इस बात पर अमल करते हुए शिव सेना को मराठी-गैरमराठी का मुद्दा छोड़ कर भारत के प्रधानमंत्री को इस इटालियन एंटोनियो माइनो मारियो से आजाद करवाने के लिए संघर्ष छेड़ देना चाहिए या फिर अपनी पार्टी का नाम बदल कर उसका कांग्रेस में विलय कर देना चाहिए। क्योंकि ऐसी विभानकारी बातें कर शिव सेना छत्रपतिशिवाजी के नाम को बदनाम कर रही है ।शिवाजी भारत के वो महान योद्धा हैं जिन्होंने मरतेदम तक अपनी तलबार का रूख हिन्दूओं की ओर नहीं होने दिया चाहे वो गद्दार हिन्दू मुसलिम जिहादीयों के साथ क्यों न जा मिले हों । इतिहास गवाह है इस बात का कि छत्रपति शिवाजी की तलवार जब भी उठी हिन्दूओं की रक्षा के लिए उठी । शिव सेना को उस छत्रपति शिवाजी की सौगंध जो अपना हाथ या जुवान उतरव भारतीय हिन्दुओं के विरूद्ध उठाए। शिव सेना को तो चाहिए कि छत्रपति शिवा जी के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए कांग्रेस के दलाल राज ठाकरे व कांग्रेस की विभाजनकारी नितीयों से उतर भारतीयों की रक्षा करे ।
हमें संका हो रही है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि उतर भारतीयों में छुप कर आने वाले मुसलिम जिहादियों की बढ़ती शंख्या से घबराकर शिव सेना शिर्फ जिहादियों की बात न कर सब के सब उतर भारतीयों को निशाना बना रही हो । मतलब शिवसेना अब इतनी कमजोर हो गई है कि जिहादी आतंकवादियों के विरूद्ध बोलने की उसकी ताकत न रही हो ।तब तो ये और भी चिन्ता का विषय है। अगर ऐसा है तब तो शिवसेना को बैसे ही मुंह बन्द कर लेना चाहिए क्यों छत्रपति शिवाजी के नाम पर बना संगठन अगर इतना कायर और ढरपोक हो चुका है कि अपनों को अपना शत्रु मानने लग पड़ा है तो फिर उसे अस्तित्व में रहने का कोई हख नहीं। बैसे भी शिव सेना को समझना चाहिए कि भारत हमेशा हिन्दूओं की आपसी फूट के परिणाम स्वरूप ही पहले मुगलों का फिर अंग्रेजों का गुलाम हुआ और आजकल एक ईटालियन एंटोनियोमाइनोमारियो का । अब शिव सेना को खुद ये निर्णय करना है कि उसका मकसद छत्रपति शिवाजी के बताए मार्ग पर आगे बढ़ते हुए हिन्दूओं को संगठित कर एक समर्थ स्वतन्त्र स्वाभिमानी भारत का निर्माण करना है या फिर कांग्रेस की फूट डालो और राज करो की निती पर आगे बढ़ते हुए एक कमजोर,गुलाम भिखमंगे इंडिया का। अगर अब भी हमारी बात शिवसेना को समझ न आए तो हम उनसे यही कहेंगे कि शिवसेना के लोग हर-रोज स्वामिरामदेव जी को आस्था चैनल पर शुबह 5.30 से 7.30 व शाम को 8 से 9 तक सुनें, समझें और फैसला करें कि क्या देशभक्त लोगों द्वारा एसी विभाजनकारी हरकतों के लिए साधन ,समय व उर्जा बर्बाद करना उचित है वो भी उस समय जब भारत पर लगातार जिहादी हमले हो रहे हों।