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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

मोदी जी के प्रधानमन्त्री बनने पर इन गद्दारों का क्या होगा?-----संदर्भ Fai+ ISI+KAC+Secular Traitors

न तो ये उदारवादी हैं न धर्मनिर्पेक्षतावादी न ही मानवाधिकारवादी ये तो ISI द्वारा खरीदे गए वो भारतविरोधी ऐजेंट हैं। इन्हें आप चाहे जो भी कहो उदारवादी, धर्मनिर्पेक्षतावादी, मानवाधिकारवादी या भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों-मानवताविरोधियों के लिए लाभदायक मूर्ख या फिर गद्दार लेकिन भारत व मानवता को बचाने के लिए, आतंकवादियों के मददगार इन ISI के भारतविरोधी ऐजेंटों का खात्मा बहुत जरूरी है।
बरसात के मौसम में भारत में एक तुफान खड़ा हो रहा था क्योंकि जुलाई 2011 में FBI ने अमेरिका में ISI द्वारा संचालित गिरोह Kashmir American Council (KAC) के माध्यम से पाकिस्तान सरकार और ISI के भारत विरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम करने वाले KAC के सरगना गुलामनवी फई
clip_image002clip_image004को इसलिए गिरफ्तार किया था क्योंकि वो भारतीय धर्मनिर्पेक्षतावदियों की ही तरह अमेरिकी सिनेटरों को भी भारतविरोधी काम करवाने के लिए खरीद ऱहा था । KAC के सरगना के भारत के बहुत से भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों के साथ सबन्ध सामने आ रहे हैं। भारत के देशभक्त संगठनों और सुरक्षाबलों को बदनाम कर व भारतीयों का खून बहाकर भारत को अस्थिर करने का जो काम ISI ने सयद गुलाम नवी फई को सौंपा था उस काम को सयद गुलाम नवी फई भारत के इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों/ उधारवादियों/ दानबाधिकारवादियों के सहयोग से अन्जाम दे रहा था।
क्योंकि FBI से प्राप्त इस सूची में अधिकतर उन इस्लामिक आतंकवाद समर्थक गद्दारों के नाम हैं जो भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार व मिडीया(ELECTRONIC +PRINT) की आँखों के तारे हैं इसलिए इन दोंनों ने मिलकर इस तुफान को दबा दिया । लेकिन हम भी तब तक चुप नहीं बैठने वाले जब तक इन गद्दारों के हिन्दूविरोधी-देशविरोधी कुकर्मों को आम जनता तक नहीं पहुंचा देते।
FBI के गुप्तचर साराह वैब तिंडेन ने कोर्ट में दिए गए दस्तावेजों में बताया "मैं मानता हूं कि सयद गुलाम नवी फई ने पाकिस्तान सरकार से लगभग 5,00,000 से 7,00,000 अमेरिकी डालर प्रति वर्ष प्राप्त किए।“ हलफनामे के अनुशार दुष्प्रचार को वार-वार दोहराने और शब्दशः प्रसार के लिए फई द्वारा दिए गए व्यक्तव्यों में से 80% उसे पाकिस्तान के जासूसी संगठन ISI द्वारा दिए गए थे। “KAC के वाकी बचे 20% सन्देश सयद गुलाम नवी फई के वो विचार हैं जिन्हें पहले से ही ISI की सवीकृति मिली हुई थी। पर वो ISI द्वारा नहीं दिए गए । ”
FBI के अनुसार डा. सयद गुलाम नवी फई एक पेड ऐजेंट है जिसे ISI में अबदुल्ला के नाम से जाना जाता है । फई के डिप्टी ब्रिगेडियर जाबेद अजीज खान,ब्रिगेडियर सोहेल महमूद और लैप्टीनैंट कर्नल तौकीर बट्ट हैं। FBI के अनुसार ISI ब्रसल में अबदुल मजीद द्वारा संचालित त्रेमबू का कशमीर और लंदन में नाजीर एहमद द्वारा संचालित शालों का कशमीर नाम के दो और भारतविरोधी गिरोहों को भी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए चलाती है।
1995 में सयद गुलाम नवी फई ने ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को लिखा कि आप जानते हैं कि अब हमें साथ में काम करते हुए 10 वर्ष से अधिक हो गए हैं।(अगर आकंड़ों के हिसाब से देखें तो फई 1985 ले लेकर गिरफ्तारी तक इस्लामिक आतंकवादी गतिविधियों को भारत में अन्जाम देने व भारतविरोधी महौल वनाने के षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा था। 1985-86 वही वर्ष है जब संसार में इस्लामिक आतंकवादियों ने अलकायदा की स्थापना की व ISI ने अपने इन धर्मनिर्पेक्षतावादी सहयोगियों की मदद से कश्मीर घाटी में अल्लहा टाईगरस जैसे दर्जनों इस्लामिक आतंकवादी गिरोहों की ।
ये वही वर्ष है जब कश्मीर घाटी में हिन्दूओं का कतलयाम शुरू हुआ परिणामस्वारूप 1985-86 से 2006 तक 60000 हिन्दूओं का कत्ल किया गया व लगभग 500000 हिन्दूओं को वेआबरू कर वेघर किया गया। कुलमिलाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाकर कशमीरघाटी को हिन्दूविहीन कर दिया गया ।अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।) clip_image006
1995 में सयद गुलाम नवी फई ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को आगे लिखते हैं कि इतने लम्बे समय से मैंने आपके और आपसे पहले आए अन्य लोगों के साथ बहुत मिलजुल कर काम किया है। हमने बहुत अधिक समय, उर्जा,प्रतिबद्धता के साथ अपने भारतविरोधी उद्देश्यों को रणनिती और योजना बनाकर अन्जाम दिया है। पाकिस्तानी अधिकारी सयद गुलाम नवी फई का बजट बढ़ाकर उसे बताते गए कि उसे क्या करना है और उसे किस-किस को खरीद कर भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने में लगाना है।
J&K पुलिस के महानिदेशक कुलदीप खोड़ा ने पत्रकारों को बताया “सयद गुलाम नवी फई का नाम पहले भी बहुत से भारतविरोधी षडयन्त्रों में आता रहा है जैसे कि अमेरिका ने पहले ही बता दिया था कि ISI के बजट को भारतविरोधी गतिविधियों खासकर जम्मू कशमीर में अन्जाम देने के लिए लगाया जा रहा है।”
ISI द्वारा संचालित गिरोह KAC के सरगना सयद गुलाम नवी फई को कांग्रेस पर वार्षिक कशमीर शान्ति समेलन की आड़ में भारतविरोध-हिन्दूविरोध में अग्रणी राजनीतिज्ञों ,परजीवियों, दानवाधिकारवादियों और अलगाववादियों के लिए सम्मेलन आयोजित करने के लिए बहुत अच्छी तरह जाना जाता है। बैसे तो ये भारत और पाकिस्तान की आजाद आबाज होने की आड़ लेता था लेकिन न्याय विभाग ने बताया कि समेलन में कौन से विन्दूओं को उठाना है ये ISI द्वारा ही बताया जाता था व कौन-कौन वक्ता वोलेंगे इसकी स्विकृति भी ISI द्वारा ही प्रदान की जाती थी।
अब भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण बात ये है कि कौन-कौन गद्दार भारत में ISI द्वारा संचालित आतंकवादी गतिविधियों को अनजाम देने के लिए सयद गुलाम नवी फई के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अनजाम देने के लिए भारत के सुरक्षाबलों और देशभक्तों को बदनाम करन के लिए काम कर रहे थे। ये वही गद्दार हैं जिनकी मदद से इस्लामिक आतंकवादी व धर्मांतरण के ठेकेदार अपने भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देकर सुरक्षाबलों व हिन्दूओं का कत्लयाम कर उन्हें ही अपराधी बताने में सफल रहे। ये ISI से प्राप्त पैसे का ही असर है कि भारत में मुसलमानों द्वारा हिन्दूओं पर हमला कर शुरू किए गए सांप्रदायिक दंगों के लिए भी इन ISI ऐजेंटों ने हिन्दूओं व सुरक्षाबलों को दोषी ठहराकर भारत की छवि दुनिया में खराब करने के षडयन्त्र रचे।(अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
आओ पहले उन गद्दार उदारवादियों और धर्मनिर्पेक्षतावादियों की ये सूची देखें जिन्हें या तो सयद गुलाम नवी फई के साथ अकसर देखा गया या फिर जिन्हें भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सम्मेलनों मे बुलाया गया । आप इन परजीवियों पर सयद गुलाम नवी फई के आर्थिक प्रभाव का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि इस ISI के ऐजेंट के बुलावे पर जो गद्दार ISI द्वारा आयोजित इन सम्मेलनों में न जा सके वो इस भारतविरोधी षडयन्त्रकारी को इसके भारतविरोधी षडयन्त्रों को समर्थन देने के लिए कभी POK में मिले या फिर आतंकवादियों के किसी और ठिकाने पर।
क्योंकि ये धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI से सवीकृति मिलने के बाद भारतविरोधी सम्मेलनों में गए या फिर इन्हें बुलाया गया या फिर ये सयद गुलाम नवी फई जैसे ISI के बड़े सरगना से मिले, सिर्फ इस आधार पर इन्हें आतंकवादी करार देना जायज नहीं ठहराया सकता है ।
इससे भी बड़ा प्रमाण इनके बिरूद्ध ये है कि इन लोगों ने भारत में लगातार सुरक्षावलविरोधी-भारतीयसंस्कृतिविरोधी–देशविरोधी–हिन्दूविरोधी–मानबताविरोधी एक ऐसा बाताबरण बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की जो कि इस्लामिक आतंकवादियों के पूरी तरह अनुकूल हो ।
इन गद्दारों ने न केवल इस्लामिक आतंकवादियों के अनुकूल बाताबरण बनाया बल्कि भारतीयों का खून बहाने वाले इन मानबता के हत्यारों को हिन्दूओं व सुरक्षावलों द्वारा सताया हुआ,अनपढ़,गरीब और निर्दोष बताकर इनके द्वारा हिन्दूओं पर किए गए हर जुर्म के लिए हिन्दूओं,सुरक्षावलों,देशभक्त संगठनों को दोषी ठहराकर सारी दुनिया में भारत के विरूद्ध दुष्प्रचार किया जो कि गुलामनवी फई और पाकिस्तान की सरकार का इनको अमेरिकी डालर देने के बदले आदेश था। अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए इन गद्दारों ने मिडीया(Electroni+Print) का जमकर उपयोग किया। सांप्रदायिक हिंसा बिल 2011 भारत के शत्रुओं के ईसारे पर इन विदेशी ऐजेंटों द्वारा रचे जा रहे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों का ताजा उधाहरण है। (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
क्योंकि भारत के शत्रुओं का साथ देते रंगे हाथों पकड़े जाने पर ये गद्दार कह रहे हैं कि न गद्दारों को ये पता नहीं था कि गुलामनवी फई KAC के माध्यम से ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम कर रहा था। इसलिए अब हम आपके सामने इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों की, ISI द्वारा संचालित KAC मे भाग लेने की फोटो के साथ एक-एक KAC का बैनर भी दिखा रहे हैं, जो कि इस बात को सपष्ट करता है ,कि ये गद्दार केवल ये जानते थे कि KAC भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी है, बल्कि ये KAC के भारतविरोधी दुष्प्रचार का समर्थन करने के साथ-साथ इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारतीयों का खून वहाने भारत का विभाजन करवाने के KAC के षडयन्त्र को आगे भी बढ़ा रहे थे जिसके बदले में इन गद्दारों को KAC द्वारा उसी तरह पैसा दिया जा रहा था जैसे अमेरिकी सिनेटरों को दिया गया।
1) Injustice Rajinder Sachar( भारतीय मुसलमानों पर सचर कमेटी रिपोर्ट लिखने वाला
अन्यायमूर्ति
राजेन्द्र सचर) clip_image008clip_image010
1. अन्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर:- जिसने विभाजनकारी सच्चर कमेटी रिपोर्ट के माध्यम से मुसलमानों द्वारा किए गए हर अपराध/गलती के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराकर व हिन्दूओं के गरीब बच्चों के अधिकार छीनकर मुसलमानों को देने की बकालत कर ISI से प्राप्त माल का कर्ज चुकाया।आपको ये जानना ज्यादा जरूरी है कि ISI के इस ऐजेंट को देशविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार ने सच्चर कमेटी का प्रमुख बनाकर किस तरह पाकिस्तान की जरूरतों के अनुरूप रिपोर्ट तैयार करवाई। जब बाढ़ ही खेत को खाने लगे तो भला कोई क्या करे। ये रिपोर्ट भी गुलाम नवी फई ने जसटिस राजेन्दर सचर से उसी तरह लिखवाई जिस तरह वो अमेरिका के अधिकारियों को पैसे देकर पाकिस्तान के लिए समर्थन जुटा रहा था।
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2. कुलदीप नैयर :- पत्रकार के नकाब में छुपा वो ISI ऐजेंट है जिसने आज तक पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद का खुलेतौर पर समर्थन किया है। ये वो भारविरोधी ISI ऐजेंट है जिसने भारत को clip_image014
clip_image016clip_image018बदनाम करने के लिए ISI के इसारे पर गुजरात की घटनाओं को तोड़मरोड़ कर पेश करने के लिए दर्जनों लेख लिख डाले लेकिन कश्मीर में मारे गएहजारों व वेघर किए गए लाखों हिन्दूओं के वारे में लिखने के लिए इसकी हमेशा वोलती बन्द रही सिर्फ इसलिए ताकि ISI का ऐजेंडा गुलाम नबी फई की योजनानुसार आगे बड़ सके।आखिर भारत के शत्रु का कर्ज जो चुकाना था।
ये इस्लामिक आतंकवादियों का वो मददगार है जिसने संसद भवन हमले के मुख्य आरोपी ISIऐजेंट अरबी के प्रोफैसर गिलानी(SAR Gillani) clip_image020को छुड़वाने के लिए पूरी ताकत से अभियान चलाकर सरकार में बैठे अपने सहयोगियों की सहायता से सफलता हासिल की।
30 जुलाई 2010 को गुलाम नवी फई द्वारा जारी समाचार विज्ञपति के अुनसार कुलदीप नैयर द्वारा किए गए भारतविरोधी दुष्प्रचार से ISI इतनी प्रभावित थी कि उसे पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत के साथ 29-30 जुलाई को हुए सम्मेलन के बाद भारतविरोधी प्रसताब लिखने के लिए चुना गया।
वहां पारित प्रस्ताब ये है “ वासिंगटन घोषणा पत्र के अनुसार सभी भाग लेने वालों ने कशमीर मे घोर मानबाधिकार के बढ़ते मामलों पर चिन्ता प्रकट करते हुए भारत सरकार से ये मांग की कि कशमीर से सेना हटा ली जाए व निष्पक्ष कमीशान वनाकर जांच करवाई जाए ”
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Dileep Padgaonkar+Radha Kumar (केन्द्र सरकार द्वारा कशमीर पर आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाने के लिए नियुक्त किए गए तीन लोगों में से दो।)clip_image022clip_image024
1. दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार :- ये भारत सरकार के प्रिय ISI ऐजेंट हैं जिसे सरकार ने ISI के इसारे पर कश्मीर समस्या को और उलझाने के लिए ISI के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया है इसीलिए तो ये अलगाववादियों के साथ मुलाकात करने के वाद अलगाववादियों द्वारा सुझाए गए अलगावादी सुझावों को ही आगे बढ़ाते दिखते हैं। ISI के इसारे पर इन ISI ऐजेंटों की भारतविरोधी कमेटी जम्मू के लोगों खासकर हिन्दूओं व कश्मीर से विस्थापित हिन्दूओं से बात करने के लिए आनाकानी करती है। ऐसी भारतविरोधी पाकिस्तान समर्थक कमेटी क्या रिपोर्ट देगी उसका अनुमान आप खुद ही लगा सकते हैं।
इस रिपोर्ट की जो बातें छन-छन कर बाहर आ रही हैं उसमें वही बातें हैं जो अकसर अलगाववादी करते हैं मतलब इन ISI ऐजेंटों ने अपने आकाओं का कर्ज चुका दिया।
जरा सोचो कि इस्लामिक आतंकवादियों की मददगार जिस केन्द्र सरकार ने सयद गुलाम नवी फई के कहने पर ISI ऐजेंटों को ही कश्मीर पर वनी कमेटी में नियुक्त कर दिया वो भला देश को अन्दर से कमजोर करने के लिए और क्या-क्या नहीं कर रहे होगी ? जैसे कि इस्लामिक आतंकवादियों के हमलों का दोष हिन्दूओं के सिर मढ़ना,सेना को सांप्रदाय के आधार विभाजित करने के षडयन्त्र करना, आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने वाले सुरक्षावलों के जवानों को जेलों में डालना , आतंकवादियों को मननीय न्यायालय द्वारा दी गई सजा को रोकना, हलफनामा देकर मर्यादापुर्षोत्म भगवान श्री राम जी के अस्तित्व को नकारना, देशभक्ति का काम करने वाले अन्ना जी ,स्वामी राम देव जी जैसे व्यक्तियों व RSS जैसे देशभक्त संगठनों के विरूद्ध षडयन्त्र करना व उनको सरकारी संस्थाओं का दुरूपयोग कर प्रताड़ित करना,बच्चों को प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना मतलब हिन्दूओं के बच्चों को वंचित करना आदि-आदि .....
4 Radha Kumar
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Gautam Navlakha (Editor, Economic & Political Weekly, New Delhi)clip_image030
5 गौतम नबलखा :- ये वो भारतविरोधी आतंकवादी है जो मुम्बई पर हुए हमले से पहले अक्कसर TV चैनलों पर आतंकवादियों का पक्ष लेकर सुरक्षावलों व देशभक्तों को दोषी ठहराता देखा जा सकता था। अभी हाल ही में श्रीनगर में सुरक्षावलों द्वारा रोका गया था। आजकल ये भूमिगत होकर clip_image032भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा है। ये वो गद्दार है जिसे आपने अकसर टैलीविजन चैनलों पर सुरक्षा बलों, देशभक्त संगठनों ,नागरिकों को अपमानित करते हुए व इस्लामिक आतंकवादियों को पीड़ित,निर्दोष,अनपढ़ बताकर उनके पक्ष में महौल बनाते हुए देखा है। बैसे ISI ने सयद गुलाम नवी फई को ऐसा ही भारतविरोधी हिन्दूविरोधी महौल बनाने के लिए नियुक्त किया था और गौतम नबलखा उसी काम को आगे बड़ा रहा है। ये गौतम नबलखा अरूंधिति राय clip_image034का नजदीकी है जो कि clip_image036प्रशांत भूषण की नजदीकी है। प्रशांत भूषण अग्निवेश का साथी है।अग्निवेश clip_image038आतंकवादी जिलानी का मित्र है।clip_image040
ISI में गौतमनबलखा भी वही स्थान रखता है जो कुलदीप नैयर का है।
अब आप समझ सकते हैं कि प्रशांत भूषण ने पाकिस्तान समर्थक ब्यान क्यों दिया था और क्यों अग्निवेश व अंधति राय हमेशा सुरक्षाबलों और देशभक्तों के विरूद्ध जहर उगलते हैं।
Ms. Harinder Baweja Editor News, Tehelka( पहले दिल्ली में इंडिया टुडे (India Today) की सहायक सप्पादक रह चुकी है।
2. clip_image042तरूण जे तेजपाल द्वारा संचालित तहलका भारत में एक जाना माना नाम है। ये clip_image044
तब सुर्खियों में आया जब इसने ततकालीन NDA सरकार द्वारा काल्पनिक सौदों में भ्रष्टाचार का काल्पनिक मुद्दा उछालकर उसे बदनाम कर भारत में एक भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी आतंकवाद समर्थक वर्तमान सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। आज भी तहलका लगातार देशभक्त हिन्दू संगठनों को बदनाम करने और मुसलिम आतंकवादियों का बचाब करने के दुष्प्रचार को लगातार आगे बढ़ाकर भारत के शत्रुओं की लगातार मदद कर रहा है। है।तहलका न केवल हिन्दू संगठनों,सुरक्षाबलों को बदनाम कर रहा है बल्कि अन्ना जी के भ्रष्टाचारविरोधी अन्दोलन को भी कमजोर करने की कोशिस कर रहा है। कुलमिलाकर तहलका देशहित में होने या किए जाने वाले किसी भी काम के विरूद्ध दुष्प्रचार कर ISI से प्राप्त हो रहे पैसे का कर्ज चुका रहा है।
Rita Manchanda clip_image046
5)रीता मानचन्दा :- : दक्षिण एशिया मे दानवाधिकार गिरोह की कार्यकारी अध्यक्ष (SAFHR) व भारत-पाकिस्तान शांति के लिए महिला संघर्ष के नाम पर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को आगे बढ़ाने वाली स्थानीय सहयोगी। इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे संगठनों में काम कर रही हैं जिनका एक मात्र मकसद इस्लामिक आतंकवादियों द्वार किए जा रहे मानबताविरोधी कुकर्मों के लिए सुरक्षाबलों व हिन्दू संगठनों को दोषी ठहराकर इस्लामिक आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाना है।
6)Mr. Siddharth Varadarajan The Hindu
भारतीय संस्कृति,सुरक्षाबलों ,हिन्दूओं clip_image048
clip_image050व देशभक्त संगठनों के विरूद्ध जहर उगलना सिद्धार्थ बर्धराजन की पुरानी आदत है जो आज तक चली आ रही है क्योंकि इसे ISI व अन्य भारतविरोधियों से मिले पैसे का कर्ज जो चुकाना है।
7)Prof Kamal Mitra Chenoy, chairperson of JNU’s Centre for Comparative Politics clip_image052clip_image054
कमल चिनाय दानवाधिकार बादी ।
8)Prof. (Dr.) Angana Chatterji Scholar-activist,& Political Theoryclip_image056clip_image058
अंजना चैटर्जी :- Professor, Social & Cultural Anthropology, California Institute of Integral Studies and Co-Convener, International People’s Tribunal
9) Mr. Tapan Bose Filmmaker
10)Mr. T. Kumar Amnesty International
11)Pandit Jatinder Bakhshi President, J&K Forum for Peace & Reconciliationclip_image060clip_image062जितेन्द्र बख्शी :- president of J&K Forum for Peace and Reconciliation.
12) Praful Bidwai, noted columnist,
प्रफुल विदवई समाचार पत्रों में कालम लिखने वाला जाना माना नाम।
13)
वेद भूषण कशमीर टाइमस का संपादक।
14) प्रोफैसर जी आर मलिक :- कन्द्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर में अंग्रेजी विभाग का प्रमुख।
15) -हरीश खरे :- हरीश खरे प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं। वेशक हरीश खरे ने ISI के साथ किसी भी तरह के सबन्ध होने से मना किया है ।बैसे हम भी अभी तक हरीश खरे के विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं ढूंढ पाए हैं लेकिन अगर FBI की जांच में हरीश खरे का नाम आया है तो इसे नकारा भी नहीं जा सकता । हरीश खरे के गुलाम नवी फई के साथ कैसे सबन्ध थे के वारे में अगर आपकतो कोई प्माण मिले तो हमें भी बताना।
हरीश खरे के निजी तौर पर सबन्ध हों या न हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों वो जिस प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं वो ही भारतविरोधी ISI ऐजेंट की तरह काम कर रहा है। ISI  के आदेश पर ISI  ऐजेंट राजेन्द्र सच्चर को सचर कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ISI के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को वैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए  रिपोर्ट तैयार करवाना, ISI  के आदेश पर दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार जैसे ISI  ऐजेंटों को कशमीर पर ISI के षडयन्त्रों को बैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए कमेटी का सदस्य बनाना, शर्म अलसेख में पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना जिसके अनुसार भारत को पाकिस्तान के बलूचीस्तान में आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया गया ,भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,मुसलिम बहुल जिलों के विकाश की बात कर मुसलमानों को अपनी जनसंख्य बढ़ाने को उकसाना,सुरक्षाबलों को आतंकवादी घटना के बाद इस्लामिक आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने को कहना,पाठशाला में प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना यहां तक कि SC,ST,OBC के बच्चों को भी वन्चित करना, हिथरो हबाई अडडे पर बम धमाका करने वाले इस्लामिक आतंकवादी के पकड़े जाने पर प्रधानमन्त्री को नींद नहीं आना और रामलीला मैदान में निर्दोष देशभक्तों पर हमला करवाना व उसे जायज ठहराना, CBI का दुरूपयोग कर इसरत जहां व सोराबुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों को जेलों में ढलवाना , सांप्रदायिक हिंसा विल के माध्यम से मुसलमानों व मुसलिम आतंकवादियों के हर अपराध के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराने का षडयन्त्र रचना,सेना को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का षडयन्त्र रचना जैसे कुकर्म कोई देशभक्त भारतीय तो कर नहीं सकता न ही करवा सकता है ऐसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी काम तो भारत का शत्रु यानी ISI ऐजेंट ही कर/करवा सकता है। (हम अच्छी तरह जानते हैं कि मनमोहन में इतना साहस नहीं कि वो देश से इतनी बढ़ी गद्दारी करे जिसके परिणामस्वारूप देश का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है लेकिन प्रधानमन्त्री बने रहने के लालच में एक विदेशी विषकन्या के इसारे पर भारत का सर्वनाश करने के षडयन्त्र रचने के अपराध से इस भारतविरोधी को मुक्त नहीं किया जा सकता।)
ऐसा नहीं कि सिर्फ ये 15 लोग ही ISI ऐजेंट हैं इनके अतिरिक्त महेश भट्ट,जावेद अख्तर,अग्निवेश,अरूधति राय,दिगविजय,अबु हाजमी,राहुल भट्ट,उमर अबदुल्ला जैसे जानेमाने सैंकड़ों भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी देशभर में इस्लामिक आतंकवादियों का साथ देकर भारत को कमजोर करने का काम कर ISI षडयन्त्रों का अन्जाम दे रहे हैं। जनका समय रहते अगर खात्मा नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं जिस दिन कशमीर घाटी की ही तरह सारे भारत से हिन्दूओं के मार-काट कर उजाड़ दिया जाएगा।   
http://www.daily.pk/kashmir-conference-at-the-capitol-hill-on-july-31st-and-august-1st-2008-3671/
ये उन प्रसिद्ध गद्दार भारतीय उदारवादी धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI ऐजेंटों की सूची है जो ISI के गिरोह KAC प्रमुख सयद गुलाम नवी फई के साथ मिलकर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए हर मामले में चौधरी बनते फिरते हैं चाहे मामला धर्मनिर्पेक्षता का हो या कशमीर का या भ्रष्टाचार का या फिर सांप्रदायिकता का या फिर सोनिया गांधी या नरेन्द्र मोदी का।
वासिंगटन टाईमस ने 19 जुलाई 2011 को ये समाचार दिया कि मंगलवार को FBI के गुप्तचरों ने गुलामनवी फई को गिफ्तार कर लिया। सयद गुलाम नवी फई पाकिस्तान की सरकार और सैनिक गुप्तचर संस्थाओं से लाखों डालर लेकर अमेरिका के चुने हुए अधिकारियों व भारत के धर्मनिर्पेक्षतावादियों को घूंस देकर इस बात के लिए तैयार करता था कि वो दक्षिण ऐशिया में भारत को कशमीर से बाहर धकेलने में मदद करें। सयद गुलाम नवी फई को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया गया क्योंकि वो भारत का विभाजन करवाकर कशमीर को अलग करवाने के लिए काम कर रहा था क्योंकि अमेरिका के कानून के अनुसार भारतविरोध कोई अपराध नहीं है लेकिन उसे इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वो ISI के पैसे का उपयोग कर अमेरिकी अधिकारियों को पाकिस्तान के पक्ष में काम करने के लिए खरीदने की कोशिश कर रहा था।
वेशक एक भूतपूर्व संपादक ने मातृभूमि से गद्दारी करने वाले इन घरकुदाल भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों/उधारवादियों/दानवाधिकारवादियों को, firstpost.com. पर लिखे गए अपने लेख में भारत के शत्रुओं के लिए लाभदायक मूर्ख कहा हो लेकिन इन गद्दारों द्वारा पिछले 25 वर्षों से चलाए जा रहे हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान के माध्यम से वहाए गए निर्दोष भारतीयों खासकर सुरक्षाबलों और हिन्दूओं के खून के लिए सिर्फ मूर्ख या गद्दार कहकर छोड़ना कोई विकल्प नहीं हैं ।देश के इन दुश्मनों का जिन्दा रहना राष्ट्रहित में नहीं है ।क्योंकि फांसी देना या न देना सरकार के हाथ में है उस सरकार के हाथ में है जो खुद ISI agent की तरह काम कर रही है।
इसलिए देशभक्त नौजवानों को चाहिए कि इन गद्दारों के साथ वही करें जो शहीद भगत सिंह,राजगुरू और चन्द्र शेखर आजाद ने देशभक्तलाजपतराय जी का कत्ल करने वाले भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सैंडर्स के साथ किया शहीद उधम सिंह जी ने जलियांवाला बाग में नरसंहार को अंजाम देने वाले ,भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के साथ किया था।
परन्तु उससे पहले ये जरूरी है कि प्रशांत भूषण की तरह इन गद्दारों की बुद्धि को भी कम से कम पांच-सात वार सार्वजनिक कुटाई से ठिकाने लाने की जरूर कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि हर देशभक्त भारतीय खासकर हिन्दू इन ISI ऐजटों द्वारा इस्लामिक आतंकवादियों के माध्यम से ISI के इसारे पर बहाए गए भारतीयों खासकर हिन्दूओं सुरक्षावलों के खून की जानकारी को जन-जन तक खासकर गांव तक पहुंचाने की कोशिश करें वाकी काम हमारे विचार में जनता अपने आप कर देगी।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

हिन्दूओं के खून से लथपक्ष अरबी टोपी और अरबी रूमाल (काफा) पहनने से बड़ी दुर्भावना और क्या हो सकती है?


आजकल भारत में ऐसे परजीवियों की भरमार सी आ गई है जो खुद को कहते तो बुद्धिजीवि हैं पर काम करते हैं परजीवियों(parasites) जैसे। मोदी जी, पिछले 10 वर्षों से हिन्दूविरोधी-देशविरोधी ISI ऐजेंटों द्वारा चलाए जा रहे, दुष्प्रचार से भारत खासकर गुजरात के देशभक्त लोगों को छुटकारा दिलवाने के लिए सदभावना व्रत के माध्यम से गुजरात में हुए अप्रतयासित परन्तु योजनावद्ध विकाश का प्रचार प्रसार कर देश को विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा फूट डालो और राज करो के माध्यम से पहुंचाए जा रहे नुकशान से मुक्त करना चाहते हैं। लेकिन ये परजीवि देशहित से जुड़े विकाश के मुद्दे की चर्चा करने के बजाए ये चर्चा कर रहे हैं कि मोदी जी ने पहले अरवी टोपी और अब अरबी रूमाल लेने से क्यों मना कर दिया।
इन चर्चा करने वालों को क्या ये समझाने की जरूरत है कि ये अरवी टोपी (टोपी पर कलिक करें)Arbi Topiऔर काफा दुनियाभर में कत्लोगरद और हिंसा का प्रतीक बन गए हैं। दुनिया में ऐसा कौन सा सांप्रदाय ऐसा है जो इस्लामिक हिंसा और अत्याचार का सिकार नहीं हुआ है।
केवल ईसाईयों ने ही योजनावद्ध तरीके से इस्लामिक हिंसा का मुकाबला करने व हिंसा फैलाने वाले मुसलमानों को उनके किए से हजारों गुणा ज्यादा सजा देकर इस्लाम के मानवताविरोधी कुकृत्यों को राजनीतिक व सामाजिक भेदों को भुलाकर एकजुट होकर हिंसक इस्लाम को समाप्त करने की रणनीति बनाने और उसको लागू करने में सफलता हासिल की है ।इसी का परिणाम है कि आज अमेरिका जैसे बड़े ईसाई देशों से लेकर रोम जैसे छोटे ईसाई देश भी अपने आप को न केवल सुरक्षित रखने में सफल हैं बल्कि इस्लामिक आतंकवादियों को उनके घर में घुसकर मारने में भी अग्रणी हैं। ये देशभक्ति और जागरूकता का ही परिणाम है कि फ्रांस जैसे ईसाई देश ने अरबी पहनावे पर न केवल रोक लगाई बल्कि उसे सख्ती से लागू भी किया। ईसाईयों द्वारा इस्लामिक आतंकवाद से लड़ने में सफलता हासिल करने का सबसे बड़ा कारण है सबकेसब ईसाईयों द्वारा मुसलमानों के विरूद्ध लड़ रहे ईसाई क्रांतिकारियों व सरकारों का एक जुट होकर साथ देना।
ऐसा नहीं कि भारत ने इस्लामिक आतंकवाद का मुकावला नहीं किया। ये इस्लामिक आतंकवाद से मुकावले का ही परिणाम है कि हम आज तक भारतीय सभ्यता के अवशेषों को बचाकर रखने में कुछ हद तक सफल हुए हैं।अगर अब भी हमने एकजुट होकर इस हिंसक इस्लाम का खात्मा नही किया तो वो दिन दूर नहीं जब हम इन अवशेषों से भी हाथ धो बैठेंगे।
अब प्रश्न ये पैदा होता है कि जब हमने इस्लामिक आतंकवाद का मुकाबला किया तो फिर ये इस्लामिक आतंकवादी क्यों भारतीय सभ्यता और संस्कृति को नुकसान पहुंचाकर करोड़ों हिन्दूओं का कत्ल करने में सफल हुए।
बेशक ये सच है कि छत्रपति शिवाजी जी से लेकर परमपूजनीय गुरूगोविन्द सिंह जी , साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर जी व लैफ्टिनैंट कर्नल पुरोहित जी तक सबके सब देशभक्त हिन्दू क्रांतिकारियों ने इस्लामिक आतंकवाद से डटकर मुकावला किया लेकिन ये भी उतना ही सत्य है कि जब-जब भी देशभक्त क्रांतिकारियों ने इस्लामिक आतंकवाद को कुचलने की कोशिश की तब-तब नेहरू, अर्जुन सिंह, दिगविजय सिंह, कुलदीप नैयर, राजेन्दर सच्चर, अग्निवेश, अरूंधति राय, प्रशांत भूषण व गौतम नवलखा जैसे जयचन्दों ने देशभक्तों का साथ देने के बजाए इन आतंकवादियों का साथ देकर ,हिन्दूओं का लहू बहाने में इनकी मदद की व कर रहे हैं।
आज जो खुद को बुद्धिजीवि, उदारवादी ,धर्मनिर्पेक्षतावादी, या फिर मानवाधिकारवादी कह रहे हैं वो बास्तव में गद्दार जयचन्द का ही वर्तमान स्वारूप हैं। जयचन्द ने भी मुसलमानों से मिलने वाले राज्य व शिवाजी से चोटी-मोटी इर्ष्या के बदले इस्लामिक आतंकवादियों का साथ दिया व ये बर्तमान गद्दार भी ISI से मिलने वाले माल के बदले इस्लामिक आतंकवादियों का साथ देकर हिन्दूओं को मरवा रहे हैं।
ये इन ISI ऐजेंटों के दुष्प्रचार का ही कमाल है कि आज बेसमझ परजीवि सदभावना का अर्थ कतलोगारद और बरबर अत्याचार की पहचान अरवी टोपी को ही सदभावना का प्रतीक मानने की मूर्खता कर रहे हैं।
बैसे भी इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब भी किसी समाज ने इन इस्लामिक आतंकवादियों के प्रति दयाभवना या सदभावना दिखाई है तो इस्लाम ने उस समाज का नामोनिशान मिटाकर अपनी दुष्टता व नीचता का परिचय दिया है।
हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि दुनिया के वाकी सभी वो देश, जिन पर इस्लाम ने विजय प्राप्त की , इस्लामी आक्रमण के दो दशकों के भीतर 100% इस्लाम में परिवर्तित हो गए। भारत एक अपबाद है । 800 वर्षों के अत्याचारी मुसलिम शासन के बाद भी अविभाजित भारत में 75% हिन्दू अबादी थी। मुसलमानों को यही बात आज तक सता रही है कि मुसलमानों द्वारा किए गए वेहिसाब जुल्मों के बाबजूद वो मुसलिम आतंकवादी हिन्दूओं का मनोबल तोड़ने में क्यों सफल न हो पाए।
इसीलिए ये मुसलमान, मोदी जैसे व्यक्ति को जो हिन्दूह्रदय सम्राट के रूप में जाना जाता है, को पाकिस्तान, बंगलादेश, कशमीरघाटी ,मऊ, असाम, केरल व अन्य मुसलिम बहुल क्षेत्रों में मारे गए करोड़ों हिन्दूओं के खून से लथपथ ये अरबी टोपी पहनाकर देशभक्त हिन्दूओं का मनोबल तोड़ना चाहते हैं।
हमारे विचार में ये खूनी टोपी पहनना या पहनाना सदभावना नहीं बल्कि जालिम इस्लामिक आतंकवादियों का समर्थन कर, भूतकाल में कत्ल हुए व भविष्य में कत्ल होने वाले हिन्दूओं ही नहीं बल्कि मानबता के प्रति दुर्भावना है।
जरा सोचो कहीं आप जाने-अनजाने इस हिन्दूविरोधी दुर्भावना का समर्थन तो नहीं कर रहे हैं?

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

प्रशांत भूषण ने ISI को खुला समर्थन देकर टीम अन्ना को मरवा दिया?


आज देश के जो हलात हैं उनमें कोई भी अच्छा काम करना अगर असम्भव नहीं तो वेहद मुसकिल है। क्योंकि जैसे ही कोई देशभक्ति की बात करता है उसे मुसलिमविरोधी करारा देकर इस्लामिक आतंकवादियों के निसाने पर लाने की कोशिस की जाती।
जब तक वो किसी हमले का सिकार न हो तब तक उसे इतना बदनाम कर दिया जाता है कि लोगों को लगने लगता है कि उसके साथ जो हुआ वो सही है जिस तरह स्वामी रामदेव जी पर रात के अन्धेरे में जान से मारने के लिए हमला किया गया उससे हर आम आदमी का आक्रोशित होना स्वाभाविक था लेकिन सरकार ने कांग्रेस की नई-नवेली सहयोगी ISI के ऐजेंट धर्मनिर्पेक्षतावदी गद्दारों को करोड़ों रूपए देकर स्वामी जी, उनके सहयोगी व बालकृष्ण जी के विरूद्ध मिडीया में एक ऐसा अभियान चलाया जिसके परिमामस्वारूप लगने लगा मानो सारे अपराध स्वामी जी और उनके साथियों ने ही किए हों।
इसी तरह अन्ना जी को भी बदनाम करने के लिए हर तरह का हथकण्डा अपनाया गया।
इससे पहले RSS व मोदी को भी ऐसे ही हथकण्डो का उपयोग कर हर तरह से ठिकाने लगाने की कोशिस की गई ताकि देश में कोई भी इस्लामिक आतंकवाद के विरूद्ध आबाज न उठा सके ।
ये ऐसे षडयन्त्रों की ही सफलता है कि अग्निवेश जैसे लोग पहले स्वामी राम देव जी के अन्दोलन में घुसे बाद में ये अन्ना जी के अन्दोलन में घुसकर स्वामी जी और अन्ना जी को एक दूसरे से अलग रखने में सफल रहे।
ऐसे ही षडयन्त्रों ने अन्ना जी को प्रखर देशभक्त संगठन RSS से अन्दोलन को मिल रहे समर्थन को ठुकराने की बात करने पर मजबूर कर दिया।
भारतविरोधियों के ऐसे ही षडयन्त्र के परिणामस्वारूप ही उनके सहयोगी प्रशांत भूषण ने एक ऐसा भारतविरोधी ब्यान दिया जो पूरी तरह से ISI और पाकिस्तान के भारतविरोधी रूख का समर्थन करता है।जिसके परिमास्वारूप पूरी टीम अन्ना देशभक्तों के निशाने पर आ गई।
ऐसा नहीं कि प्रशांत भूषण ने ऐसा भारतविरोधी ब्यान पहलीवार दिया हो लेकिन इसवार योजना अनुसार इसका भारतविरोधी मिडीया का उपयोग कर तब तक प्रचार-प्रसार किया गया जब तक टीम अन्ना देशभक्तों के निशाने पर नहीं आ गई।
आज अगर कांग्रेस केजरीबाल पर हमला करवाने का साहस कर रही है तो ये ISI के ऐजेंट धर्मनिर्पेक्षतावदी गिरोह के उसी षडयन्त्र का परिणाम है जिसके अनुसार प्रशांत भूषण से ये पाकिस्तान समर्थक ब्यान दिलबाया गया।
अगर प्रशांतभूषण ने भारतविरोधी ब्यान देकर टीम अन्ना को देशभक्तों की निगाह में गिराया न होता तो किसमें दम था कि टीम अन्ना के किसी भी सदस्य को हाथ भी लगा पाता।
इसीलिए कहा गया है कि बुरी संगत से अकेले भले(पहले तो ऐसे गद्दारों को टीम में लेना ही नहीं चाहिए था अगर गलती से ले भी लिए थे तो पता चलते ही निकाल देने चाहिए थे अगर निकालने का दम नहीं था तो कम से कम उनकी कुटाई का तो विरोध न करते जिससे लोगों में किसी शंका का निर्माण न होता क्योंकि भ्रष्टाचार और गद्दारी की जननी कांग्रेस तो मौके की तलास में थी।)।आज नहीं तो कल केजरीवाल जी पर हुए हमले का सच सामने आएगा ही ।वेशक आज ये हमला कांग्रेस ने करवाया है लेकिन बहुत जल्दी हमें पता चल जाएगा कि इसमें अग्निवेश और प्रशांत भूषण की कितनी भूमिका है।

क्या अन्ना जी दो नावों पर पैर रखकर नैया पार लगाने की सोच रहे हैं?

जिस तरह से अन्ना जी भारत माता की जय और वन्देमातरम् का उदघोष कर भ्रष्टाचार मिटाने की मुहिम चला रहे हैं उसे देखकर कोई भी देशभक्त अन्ना जी की ओर स्वभाविक रूप से ही दौड़ा चला आएगा।फिर वो चाहे किसी भी संगठन से क्यों न जुड़ा हो। ऐसे में अन्ना जी द्वारा RSS व भारत स्वाभिमान जैसे देशभक्त संगठनों से दूरी बनाना और देशद्रोहियों के लिए काम करने वाले अग्निवेश और प्रशांत भूषण को साथ रखना संदेह ही नहीं वल्कि गंभीर प्रश्न भी पैदा करता है।
वेशक भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के ऐजेंट अग्निवेश को बाहर का रास्ता दिया गया है लेकिन उसे बाहर का रास्ता इसलिए नहीं दिखाया गया क्योंकि वो भारत के विरूद्ध काम कर रहा था वल्कि इसलिए क्योंकि वो टीम अन्ना के विरूद्ध काम कर रहा था। मतलब टीम अन्ना का हित अन्ना जी के लिए भारत के हित से ज्यादा महत्व रखता है।
दूसरी तर्फ प्रशांत भूषण जो कि अग्निवेश की ही तरह भारत के शत्रुओं के हाथों में खेल रहा है को अन्ना जी वेशक लताड़ लगा रहे हैं लेकिन आतंकवादियों के इस साथी को अपनी टीम से बाहर करने की जिम्मेदारी उस टीम पर डाल रहे हैं जिस टीम में न जानें अग्निवेश और प्रशांत भूषण जैसे कितने ही ISI और वांमपंथी आतंकवादियों के प्यादे भरे पड़े हैं।
कुल मिलाकार ऐसा लग रहा है कि अन्ना जी गद्दारों और देशभक्तों को साथ रखकर एक ऐसा तानावान बुनने के चक्कर में जिससे कि अन्दोलन को इस्लामिक आतंकवादियों और बामपंथी कातिलों का समर्थन मिलने के साथ-साथ देशभक्तों का सहयोग भी मिल सके।
वरना अगर अन्ना जी को सिर्फ प्रखर देशभक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ना होता तो पहले तो अग्निवेस व प्रशांत ,जिनका पेशा ही आतंकवादियों का साथ देना है जैसे भारतविरोधियों को अपने साथ लेते ही नहीं और आगर उनमें सुधार की उम्मीद से उन्हे साथ ले ही लिया था तो उनके द्वारा ISI व पाकिस्तान की भाषा वोलने पर एक सैंकेड भी अपने साथ नहीं रखते।
अब वक्त आ गया है कि अन्ना जी साहस दिखाकर देशभक्तों और धर्मनिर्पेक्षतावादी गद्दारों में से किसी एक को चुनने का साहस दिखाकर अपनी असली मानसिकता का प्रमाण अपने समर्थकों और विरोधियों के सामने रखें।
वरना वो दिन दूर नहीं जब धर्मनिर्पेक्षतावदी गद्दार भारतविरोधी काम कर अन्ना जी के आज तक के वेदाग जीवन पर गद्दारी का ऐसा कलंक लगायेंगे जिसे आने वाली पीढ़ियां कभी माफ नहीं कर पायेंगी।
बैसे भी अन्ना जी आप बढ़े हैं हमारे से ज्यादा दुनिया को समझते हैं आपको ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि दो नावों पर सवार होने वाला हमेशा मझधार में ही ढूबा है।
भगवान करे आप अपने मौन ब्रत के दौरान आपसे अनजाने में हुए गलतियों का समाधान देकर अपने देशभक्त समर्थकों को और निरूतसाहित नहीं करेंगे क्योंकि आज देशभक्त नागरिकों व संगठनों को धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI ऐजेंटों द्वारा इतने जख्म दिए जा चुके हैं कि वो अब और जख्म बरदाश करने की स्थिति में नहीं हैं। कभी भी-कहीं से भी सम्पूर्ण क्रांति का ज्वालामुखी फूट सकता है।

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

A F Rehman और Raji Raouf, के दुष्प्रचार का खण्डन करने वाले डा. सुब्रमण्यम स्वामी जी के लेख “strategy to combat Islamic terrorism in India” का हिन्दी अनुवाद “भारत में इस्लामिक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए रणनीति”




shubramanium Swami

खुले पृष्ठ ‘हिन्दू और मुसलिम परिपक्व हैं पर संघ परिवार नहीं।’ के लिेए एक खण्डन लेख।
द हिन्दु समाचार पत्र में में छपे उस अंश का ये खण्डन है जिसका शीर्षक है ‘हिन्दू और मुसलिम परिपक्व हैं पर संघ परिवार नहीं।’ (खुला पृष्ठ ,अगस्त 2011) जो कि खुद को मुसलमानों में उदारवादी सोच का प्रतिनिधि बताने वाले ए फैजुर रहमान द्वारा लिखा गया है।
यद्यपि रहमान द्वारा ये अंश पहले के एक अंश ‘हम मुसलमान परिपक्व हैं हम अलोचना सह सकते हैं’ (“खुला पृष्ठ”,अगस्त 7,2010 के संदर्भ में लिखा गया था। जो कि राजी रौफ द्वारा लिखा गया था क्योंकि राजी रऊफ ने मेरे द्वारा किसी अन्य समाचार पत्र में लिखित खुले पृष्ठ के वारे में दुष्प्रचार किया है इसलिए मेरे लिए ये जरूरी हो गया है कि मैं ‘द हिन्दु’ में रहमान द्वारा लिखित अंश का खण्डन करूं।
रहमान के अनुसार उदारवादी मुसलमान वो हैं जो उनके अनुसार मेरे द्वारा लिखित उत्तेजक लेखों पर प्रतिक्रिया नहीं करते। हालांकि रहमान ये बताने से चूक जाते हैं कि उदारवादी मुसलमानों की उन आतंकवादियों के प्रति क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए जो देश के विभिन्न हिस्सों में हजारों निर्दोष भारतीयों का कत्ल कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त रहमान ये भी नहीं बताते कि उदारवादी मुसलमानों की कशमीरघाटी में 60000 हिन्दूओं का कत्ल कर 500000 हिन्दूओं पर बरबर अत्याचार कर उन्हें अपने घर से बेघर करने वाले आतंकवादियों के प्रति क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए।
रहमान कहता है कि उदारवादी मुसलमान, आतंकवादी मुसलिम संस्थाओं द्वारा हथियार उठाकर डा. सुब्रमण्यम स्वामी सहित सब हिन्दूओं पर हमला करने “take up arms and to let all hell loose (sic).” के उकसावे पर अमल करने के बजाए इस बात से सन्तुष्ट हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने मुझे(डा. सुब्रमण्यम स्वामी) को नोटिस भेजा है। विचार करने के लिए रहमान का धन्यवाद।
लेकिन रहमान की उदारवादी मुसलमान की अवधारणा मात्र एक दिखावा है क्योंकि इसका एकमात्र मकसद इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा किए जा रहे बरबर अत्याचारों से लोगों का ध्यान हटाना है। रहमान मुसलिमों को ऐसा कोई उपाए(कदम) नहीं बताते जो उन्हें मौन स्वीकृति त्याग कर हिन्दूओं पर अत्याचार कर रहे जिहादी आतंकवादियों के विरूद्ध उठाना चाहिए। मुझे “बराबर समय सिद्धांत" के अनुसार ये कहने का पूरा अधिकार है कि इस्लामिक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए मेरे द्वारा लिखे गए खुले पृष्ठ में मैंनें सही तथ्य दिए थे। मेरे कहने का अर्थ है कि आतंकवाद इस्लाम की कत्लोगारद की परम्परा को ही आगे बढ़ा रहा है खासकर जिहाद को।
आतंकवाद हिंसा का वो हथियार है जो अपने राजनीतिक व वैचारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संवैधानिक तरीके से चुनी गई सरकार और लोगों को भयभीत करने के लिए आम जनता को निशाना बनाता है।
संयुक्त राष्ट्र सुराक्षा परिषद ने 2004 में “अपराधिक कृत्य” से सबन्धित संकल्प संख्या 1566 में आतंकवाद को इस तरह परिभाषित किया है। आम जनता या लोगों के समूह में या विशेष व्यक्तियों , एक जनसंख्या समूह को दवाव में लाने या एक सरकार को वाध्य करने या अन्तरराष्ट्रीय संस्था को किसी काम को करने या न करने के लिए वाध्य करना।
इसलिए प्रत्येक सरकार का ये कर्तव्य है कि वह सामूहिक या अपने स्तर पर आतंकवादविरोधी ऐसे कड़े कदम उठाए जिससे कि भविष्य में होने वाले हमलों को रोका जा सके । सरकार का ये भी कर्तव्य है कि वो आतंकवादी गतिविधियों को अन्जाम देने वाले लोगों के विरूद्ध मुकद्दमा चलाकर सजा दें। इसके साथ ही आतंकवाद का मुकाबला करना मनावाधिकारों की रक्षा करने और बढ़ावा देने के लिए भी बड़ा खतरा पैदा करता है। इसलिए प्रत्येक देश से ये आहवान किया जाता है कि वे आतंकवाद का खात्मा और मानवाधिकारों की रक्षा करें।इन दोनों के बीच में रैखिक सबन्ध होने के बजाए अरैखिक सबन्ध है। अर्थात ये सत्य नहीं है कि हम मानवाधिकारों का जितना कम बचाव करेंगे आतंकवाद का मुकाबला करने में उतना ही अधिक सफल होंगे। इसका विलोम ये भी सत्य नहीं है कि हम आतंकवाद को जितनी कड़ाई से कुचलेंगे मानवाधिकारों का उतना ही कम पालन होगा। इसलिए हमें एक ऐसी रणनीति बनाकर अमल करने की जरूरत है जिसके अनुसार मानवाधिकरों की रक्षा करने के साथ-साथ मानवता विरोधी आतंकवाद को भी नेस्तनाबूद करने के लिए किए जाने वाले रक्षा उपायों में अनुकूलतम संयोजन किया जा सके। कम होते हुए लाभ का नियम इस प्रक्रिया पर लागू होता है। हमें उपरलिखित प्रक्रिया पर अमल करने की जरूरत है। इसलिए हमने जो लिखा उसका मकसद एक बहस शुरू करना था ना कि हमारे लिखे का कोई दुरूपयोग कर दुष्प्रचार करे जैसा कि रहमान ने किया।
रणनीति
आज मौलिक प्रश्न ये है कि क्योंकि हम भारत में जिहादी आतंकवादी हमलों से दुनिया में सबसे अधिक पीड़ित हैं इसलिए इस्लामिक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए रणनीति कैसे बनाई जाए?
आतंकवाद से लड़ने के लिए हमारी रणनीति ऐसी नहीं होनी चाहिए जो भविष्य में और अधिक मुसकिलें पैदा न करे। जैसा कि 1989 में रूबिया सईद अपहरण कांड व कंधार में आई-सी—814 विमान अपहरण कांड के दौरान हुआ। ततकालीन NF और राजग सरकारों द्वार आतंवादियों से सौदेवाजी करने के परिणामस्वारूप भारत में आतंकवाद ने और खतरनाक स्वारूप ले लिया। कन्धार में यात्रियों और जहाज के कर्मचारियों के वदले में मौलाना अजहर,उमर कुरैसी और जरगर जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को छोड़े जाने के परिणामस्वारूप छुड़ाए गए लोगों से हजारों गुना ज्यादा निर्दोष लोग आज तक मारे जा चुके हैं। इन तीनों कुख्यात आतंकवादियों ने पाकिस्तान पहुंचने के बाद नायकों की तरह अपनी भारतविरोधी आतंकवादी हमलों को आगे बढ़ाया। इन हमलों में 26/11 का मुम्बई हमला भी सामिल है।
इसलिए हमें एक सपष्ट निती की जरूरत है मतलब एक उद्देश्यों को रेखांकित करने वाला सपष्ट घोषणा पत्र जिसमें कि इन उद्देश्यों की प्राथमिकताओं को सपष्टता से परिभाषित किया गया हो, इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति का खुलासा हो और इन उद्देश्य की पूर्ति के लिए जरूरी आर्थिक,मानवीय और संरचनात्मक संसाधनों को जुटाने की प्रतिबद्धता हो।
हम भारतवासियों में से अधिकतर को इस्लामिक आतंकवाद से मुकाबले के लिए प्रतिरोधक रणनीति की जरूरत है। टैलीविजन चैनलों पर बैठकर धर्मनिर्पेक्ष परजिवी सच्चे इस्लाम को मानबीय और शांतिप्रिए बताकर लोगों को वरगलाने की कोशिश तो कर सकते हैं। परन्तु ये सपष्ट है कि इन धर्मनिर्पेक्ष परजिवीयों में से किसी ने भी ने कुरान,सुरा और हदीश का अधिकारिक अनुवाद नहीं पढ़ा है। इसलिए इस्लाम की सही ब्याख्या करने की बात करने के बजाए, जो लोग खुद को उदारवादी कहते हैं उन्हें इस्लाम के एक ऐसे नए सुधारे हुए स्वारूप की रचना करनी चाहिए जो लोकतान्त्रिक मूल्यों के साथ तालमेल बिठाने का आग्रह करता हो।
इस्लाम में पैगंबर के शब्द अंतिम है।कोई भी सच्चा मुसलमान समस्या की जड़ इन आयतों से अपने आपको अलग नहीं कर सकता और न ही सच्चा मुसलमान ये कह सकता है कि वो समस्या की जड़ कुरान की इन आयतों में सुधार कर इन्हें फिर से लिखेगा। क्योंकि ऐसा करने पर उसे जान बचाने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ेंगी।
हम हिन्दूओं की स्वभाव से धार्मिक उदारवादी होने की सर्विदित मान्यता प्राप्त परम्परा है। जब भारत 100% हिन्दू राष्ट्र था तब भी हिन्दूओं ने दुनिया के विभिन्न भागों में प्रताड़ित पारसियों,यहूदियों,सिरियाईयों,इसाईयों और ऐहसान फरामोस अरब के मुसलमानों को न केवल शरण दी बल्कि उनका पालन पोषण भी किया। आज ऐहसान फरामोस इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाए जा रहे हिन्दूओं को अपनी रक्षा के लिए एकजुट होकर खड़े होना होगा।
आज 21वीं शताब्दी में हिन्दूओं के लिए संगठित होकर खड़ा होने का क्या मतलब है? अपनी रक्षा के लिए खड़े होने से मेरा मतलब है कि प्रभावशाली प्रतिशोधात्मक कार्यवाही कर देश की रक्षा करने के मुद्दे पर सब हिन्दूओं में पूरी मानसिक स्पष्टता होनी चाहिए।
इस संगठित प्रतिशोधात्मक कार्यवाही में अन्य धार्मिक समूहों का तर्कपूर्ण सहयोग, भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने में लेना भी, इस प्रतिशोधात्मक कार्यवाही का हिस्सा है। इसलिए मैंनें इस बात की वकालत की कि मुसलमानों को, इस सच्चाई जो कि वैज्ञानिक डीएनए आनुवंशिक अध्ययन द्वारा सिद्ध हो चुकी है ,को स्वीकार कर लेना चाहिए कि हम सबके पूर्वज एक हैं और महान हिन्दू संस्कृति हम सब की सांझी विरासत है।
(डा. सुब्रमनियम स्वामी जी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।)

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

ये गांधीवाद नहीं आतंकवाद है---संदर्भ---इन्द्रवर्मा को लहुलूहान करने वाले गांधीवादियों की पिटाई कितनी उचित?


हम सर्वथा लड़ाई के विरूद्ध हैं खासकर अपने ही देशवासियों के बीच में
लेकिन खुद को गांधीवादी कहने वालों ने इस देश को इतना लहुलूहान कर दिया है कि अब तो इस लड़ाई का समर्थन करने का मन करता है।
1947 में इन गांधीवादियों ने गांधी की पीठ के पीछे छुप कर भारत के तीन-तीन विभाजन करवाकर करोंड़ों हिन्दूओं को अत्याचारी इस्लमिक आतंकवादियों के हाथों बेआवरू होकर तड़प-तड़प कर मरने को छोड़ दिया।
आज जब किसी भी गद्दार को किसी भारतविरोधी षडयन्त्र को अनजाम देना होता है तो वो गांधीवाद की लंगोटी का नकाब ओड़ लेता है।
अभी हाल ही में आपने देखा कि किस तरह 50000 से अधिक देशभक्तों पर इन गांधीवादियों ने लाठियां ,गोलियां चलवाकर शहीद राजवाला जी के प्राणों की आहुती ले ली। इनका बस चलता तो ये गांधीवादी रामलीला मैदान को स्वामी रामदेव जी सहित हजारों देशभक्तों का शमशानघाट बना देते। इनकी गांधीवादी हिंसक मानसिकता का प्रमाण तब भी मिला जब गांधीवादियों ने स्वामीराम देव जी को पत्थर बांध पानी में तब तक डुवोए रखने की बात की जब तक उनके अन्दर प्राण शेष हैं मतलब स्वामी राम देव जी का कत्ल करने की मनसा रखते हैं ये गांधीवादी।
हमें समझ नहीं आ रहा कि ये कैसा गांधीवाद है जो हर वक्त भारतविरोधी आतंकवादियों के हाथों आम देशभक्त निर्दोष जनता का खून बहता देखकर खुश होता है और इन कातिल आतंकवादियों को हर तरह की सजा से बचाने के लिए आए दिन नए-नए बहाने बनाता है तिकड़म लड़ाता।
ये कौन सा गांधीवाद है जो भारत को विभाजित करवाकर विभाजन की विषबेल को फिर से भारत में रखने की मांग उठाकर आज इस विषबेल के पूरे भारत में फैल जाने के बाद भारतीयों का खून बहता देखकर इठलाता है ।
ये कौन सा गांधीवाद है जो भारत के तीन-तीन विभाजन करवाकर पाकिस्तान और बंगलादेश में हर चीज पर पहला अधिकार मुसलिम आतंकवादियों को देकर भारत में भी पहला अधिकार मुसलिम आतंकवादियों को ही देने की मांग उठाता ।
ये कौन सा गांधीवाद है जो भारत को 1000 वर्ष तक गुलाम बनाकर उनका शोषण करने वाले मुसलमानों और ईसाईयों के बच्चों को पाठशाला में प्रवेश करते ही हजारों रूपए की सहायता की देता है और हिन्दूओं के बच्चों द्वारा 80% अंक लेने के बावजूद उन्हें इस तरह की किसी सहायता की गारंटी नहीं देता।
हैरानी तो इस बात की है कि जिन ईसाईयों का आज भी भारत के शिक्षा ढांचे पर अंग्रेजों के साम्राज्यवाद के काल से चला आ रहा कब्जा है उन ईसाईयों को शोषित हिन्दू बच्चों से आगे बड़ाने की वकालत ये भारतविरोधी गांधीवाद करता है।
जिन मुसलमानों ने भारत पर अपने अत्याचारी कब्जे के दौरान हिन्दूओं से जिन्दा रहने के बदले में जजिया कर लिया जो आज भी वन्देमातरम् का विरोध कर खुद को गैर भारतीय बताने पर जोर देते हैं उन मुसलमानों के बच्चों को ये गांधीवाद इन मुसलमानों के अत्याचारी कब्जे के द्वारा प्रताड़ित और शोषित हिन्दूओं के बच्चों का हक छीन कर देने की वकालत ये गांधीवाद करता है।
गांधीवाद की वकालत करने वाले कितने गांधीवादी हैं ये तो आपने कल उस वक्त देख ही लिया होगा जब इन गांधीवादियों ने इन्द्र वर्मा जो कि प्रशांत भूषण की गद्दारी का विरोध कर रहा था को अपने कब्जे में लेकर किस तरह नोकीली चीजें चुभोकर लहुलूहान किया क्योंकि इनका गांधीवाद देशभक्तों का खून बहाकर आगे बढ़ता है।
उस युवक को देखो जो प्रशांत भूषण के भारतविरोधी कुकर्म से पूरी तरह आक्रोशित होने के बावजूद प्रशांत भूषण को कोई ऐसी चोट नहीं पहुंचाता जो उनको शारीरिक नुकसान करती ।
ऐसी ही हरकत इन गांदीवादियों की आपने तब भी देखी होगी जब स्वामी रामदेव जी को कांग्रेस द्वारा गाली-गलौच व अपमानित करने से आक्रोशित एक युवक ने कांग्रेसी प्रवक्ता को जूता सिर्फ दिखाया मारा नहीं वो इस प्रवक्ता(जनरदन द्विवेदी) के इतना नजदीक था कि अगर चाहता तो मार भी सकता था लेकिन बाद में गांधीवादी कांग्रेस के चापलूस गांधीवादी पत्रकारों और गांधीवादी दिगविजय सिंह ने उसे मार-मार कर लहुलूहान कर दिया।
ये कैसा गांधीवाद है जो भारत के सन्तों को ठग और दुनियाभर के कुख्यात इस्लामिक आतंकवादी ओसामविन लादेन को जी कहता है।
ये कैसा गाधीवाद है जो भारत के आम लोगों का धन लूट कर विदेशी बैंकों में जमाकरवाकर भारत को कमजोर करने की जड़ बन जाता है। विरोध करने वालों पर जुल्म ढाहता है
हे भगवान ये कैसा गांधीवाद है जो अफजल जैसे दुर्दाँत आतंकवादी की फांसी को तो वर्षों तक रोकर समाप्त करने की वकालत करता है लेकिन निर्दोष साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को नजायज तरीके से कब्जे में रखकर प्रताडित करने में ही आनन्दित महसूस नहीं करता बल्कि उसे जबरदस्ती फांसी पर चढ़ाने के लिए सुरक्षाबलों पर दबाव बनाने का हर सम्भव प्रयास करता है।
ये कैसा गांधीवाद है जो एक विदेशी के सामने सिर्फ इसलिए नतमस्तक हो जाता है क्योंकि वो अपने नाम के पीछे गांधी लगा लेती है और फिर सारे भारत को उसके हबाले छोड़कर उसे तूटने की खुली छूट देने की वकालत करता है लेकिन अपने ही देश के आर एस एस और भारत स्वाभिमान जैसे देशभक्त संगठनों को कुचलने के लिए हर सम्भव प्रयास करता है।
आओ प्रण करें कि ये गांधीवाद जो भारत को समाप्त करने पर तुला है उस गांधीवाद को हम ही मिलकर समाप्त करने का बीड़ा उठायें ऐसे ही गांधीवादी तरके अपनाकर।
चलते-चलते
मिडीया दुष्प्रचार कर रहा है कि आज अन्ना समर्थकों पर हमला हुआ लेकिन सच्चाई यह है कि हमला अन्ना समर्थकों पर नहीं बल्कि पाकिस्तान समर्थकों पर हुआ है क्योंकि प्रशांत भूषण का विरोध इसलिए नहीं हो रहा कि वो अन्ना जी के साथ क्यों हैं बल्कि इसलिए हो रहा है क्योंकि वो गांधीवाद की लंगोटी ओड़कर भारत के एक और विभाजन की मांग का समर्थन कर रहे हैं जो कि अन्ना जी कभी नहीं कर सकते।
आज जिन लोंगों की पिटाई हुई वो लोग वहां पर भारतविरोधी प्रशांत भूषण के विरूद्ध हो रही नारेबाजी का विरोध कर रहे ते मतलब प्रशांत भूषण के कुकर्म का समर्थन।
हमारे विचार में जो भी भारत के अस्तित्व को खतरा बनने की कोशिश करता है उसके साथ जो भी बुरे से बुरा किया जा सकता है किया जाना चाहिए क्योंकि ये गांधीवाद नहीं भारतविरोध-हिन्दूविरोध-देशविरोध ही नहीं बल्कि मानवता का विरोधी आतंकवाद है…

बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

कशमीर पर ISI की भाषा बोलने वाले प्रशांत भूषण की पिटाई को क्या गलत ठहराया जा सकता है?


अभी-अभी दिल्ली सर्वोचन्यायालय परिसर में स्थित प्रशांत भूषण के कमरे में ही उनकी पिटाई prasant.jpg1.jpg6किए जाने का

समाचार आया है। प्रशांत भूषण ने खुद बताया कि पिटाई करने वाले

नौजवान इस बात से नाराज थे कि प्रशांत भूषण ने कशमीर के मसले पर

ISI मतलब पाकिस्तान के रूख का समर्थन किया है।

इससे पहले भी कई बार प्रशांत भूषण इस्लामिक आतंकवादियों के रूख k9का अनुसरण करते हुए सुरक्षा बलों पर हमला बोल चुके हैं।
इतना ही नहीं प्रशांत भूषण अकसर माओवादी कातिलों के समर्थन में भी

खुलकर खड़े नजर आते हैं।

वेशक इस बात के लिए तो आप प्रशांत भूषण को पागलपन के हद तक

बहादुर कह सकते हैं कि भारत में रहकर भारत की ही जड़ों को खोदने वाले

कुकर्म करने के बावजूद खुद को अन्ना जी के भ्रष्टाचार मिटाओ अन्दोलन

से जोड़कर भारत का हितैशी सिद्ध करने का दुहसाहस करने का दम रखते हैं।
फिर भी हम कहेंगे कि अगर प्रशांत भूषण की पिटाई भारतविरोधी कुकर्मों

के लिए हुई है तो किसी भी तरह गलत नहीं ठहराया जा सकता चाहे पिटाई

किसी ने भी की हो लेकिन अगर पिटाई सरकार ने उनके भ्रष्टाचारविरोधी

अन्दोलन से जुड़ने के कारण करवाई है तो इस पिटाई की जितनी भी निन्दा की जाए कम है।

प्रशांत भूषण की पिटाई अगर देशभक्तों ने की है तो सबसे बड़ी चिन्ता का

विषय ये है कि जिन वकीलों पर देश में कानून के आधार पर न्याय करवाने

की जिम्मेदारी है उन्हीं वकीलों ने सिर्फ इसलिए कि पिटने वाला एक

वकील था जो अकसर भारत विरोधी आतंकवादियों की सहायता के लिए

तत्पर रहता है के बदले में प्रशांत के भारतविरोधी रबैए से दुखी युवक के

नाक-मुंह से खून तक निकाल दिया जब कि उन युबकों ने प्रशांत को एक

भी चोट ऐसी नहीं पहुंचाई जिससे कि उनके शरीर को गम्भीर नुकसान हो।

इस घटना के बाद हम दावे से कह सकते हैं कि वो युवक सिर्फ अपना

विरोध दर्ज करवाने के लिए ही आए थे लेकिन प्रशांत, जो कि देशभक्तों से

नफरत की हद तक शत्रुता रखता है ,ने खुद को अपने गढ़ में पाकर उन

युवकों के सामने अपने भारतविरोधी रूख को दोहराकर उनको लड़ाई करने

के लिए उकसाया।
परिणामस्वारूप गद्दारी वाले कुकर्मों की बजह से लोगों के अन्दर पनप रहे

क्रोध को शांत करने के लिए खुद को प्रताड़ित बताकर( जिस काम में

आतंकवादियों के ये मददगार विशेषज्ञता हासिल कर चुके हैं) एक तो लोगों

का क्रोध शांत किया जाए दूसरा भारतविरोधियों की आँखों में हीरो बनकर

और आगे बढ़ा जाए ताकि शायद कोई भारतविरोधी किसी ऐसे इनाम से

नवाज दें जो अकसर भारतविरोधियों को ही दिए जाते हैं
इसीलिए हम ये लेख लिख रहे थे

अन्ना जी सावधान कहीं आपकी टीम में मौजूद

आतंकवादियों के मददगार आपकी मेहनत पर पानी न फेर दें!

लेकिन पूरा होने से पहले ही ये घटना घट गई।

इसमे कोई सन्देह नहीं कि आज भ्रष्टाचार हम सबकी जिन्दगी में जहर

घोल रहा है। हम कांग्रेस द्वारा बिछाए गए चोरी और गद्दारी के जाल में उसी

तरह उलझ गए हैं जिस तरह कांग्रेस द्वारा बिछाए गए फूट चालो और राज

करो के जाल में उलझे हैं। इस सबसे हम बाहर निकलने के लिए छटपटा

रहे हैं। ऐसे में जो भी इस जाल से बाहर निकालने की आश जगाता है हम

उसे अपना मानने लगते हैं। लेकिन हमें ये ध्यान ऱखना होगा कि कहीं

भारतविरोधी कांग्रेस के जाल से बाहर निकलते-निकलते हम हमारे अपने

भारतीयों के कातिल इस्लामिक और माओवादी आतंकवादियों  के जाल में

न फंस जायें।
हम हर तरह से अन्ना जी द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार मिटाओ अभियान

के पक्ष में हैं लेकिन जब तक टीम अन्ना से आतंकवादियों के मददगार

अग्निवेश की ही तरह प्रशान्तभूषण को हटा नहीं दिया जाता तब तक टीम

अन्ना पर आँख बन्द कर भरोसा नहीं किया जा सकता।

आप सोच रहे होंगे कि प्रशान्त ने देश से ऐसी कैन सी गद्दारी की है जो हम

प्रशान्त भूषण को सन्देह की निगाह से देख रहे हैं।

सबसे पहली बात ये कि प्रशान्त भूषण हमेशा उन लोगों के साथ रहे हैं जो

भारत माता की जय और वन्देमातरम् का विरोध करते हैं मतलब भारत

की अखण्डता के बरखलाफ हैं। ये पहली बार है कि भारत माता की जय

और वन्देमातरम् का उदघोष करने वाले लोगों के साथ प्रशान्त भूषण दिखे

बेशक फिर भी भारत माता की जय या वन्देमातरम का एक बार भी नारा

नहीं लगाया। अगर आपने ये उदघोष लगाते हुए कभी देखा हो तो हमें जरूर बताना।
हमें लगा कि अगर एक व्यक्ति हमेशा गद्दारों का साथ देने के बाद आज

देशभक्तों के साथ आने की कोशिश कर अपने पाप का प्रयश्चित कर कर रहा

है तो उस पर अंगुली नहीं उठानी चाहिए ।लेकिन जैसे ही अन्दोलन समाप्त

हुआ ये व्यक्ति फिर से जम्मू कशमीर में जाकर हमारे सुरक्षाबलों के विरूद्ध

जहर उगलने लग पड़ा।
ऐसा नहीं कि इसने ऐसा पहली बार किया है इससे पहले भी ,जब

इस्लामिक देशों द्वारा पाकिस्तान के माध्यम से फैंके गए टुकड़ों के बल पर

हमारे सैनिकों पर पत्थरवाजी को हथियार बनाकर हमला sopore 2करने वाले आतंकवादियों और सुरक्षबलों में से किसी एक का साथ देने का मौका आया था तो इसने इन आतंकवादियोंINDIA_KASHMIR_POLIC_135876e को निर्दोष कहकर आतंकवादियों के प्रति अपनी देशविरोधी मानसिकता का प्रमाण दे दिया था। (R-L) Prashant Bhushan, Yogendra Yadva, Sunil, president, Samajwadi Jan Parishad प्रशांत भूषण अपहरण जैसे संगीन मामलों के आरोपी इस्लामिक अपराधियों के समर्थन में।
prasant   alina sen प्रशान्त भूषण देश से गद्दारी के आरोप में जेल जा चुके माओवादी कातिलों के मददगारों का समर्थन करता हुआ।
prasant   arundhati roy प्रशांतभूषण कशमीर पर पाकिस्तान के रूख का समर्थन करने वाली आतंकवादियों की मददगार अपनी सहयोगी अरूंधती राय के साथ।
आगे देखो ये दोनों आतंकवादियों के मददगार अकसर एक दिखेंगे दोनों

आतंकवादियों से भारत को लहुलूहान करवाने के मुद्दे पर एक राय जो रखते हैं।
prasant   arundhati roy.jpg1prasant   arundhati roy.jpg1.jpg2
prasant in meeting in hydrabadप्रशांत भूषण भ्रष्टाचारविरोधी कार्यक्रम में पहुचने पर।


prasant.3jpgप्रशांत भूषण माओवादी कातिल विनायक सेन के समर्थन मेंprasant.4jpgप्रसांत भूषण सोराबुद्दीन,इशरत जहां जैसे इस्लामिक आतंकवादियों के समर्थन में।prasant 7 प्रशांत भूषण माओवादी सरगना लिंगा के समर्थन में।
मेरे भाई इतना ही होता तो गनीमत थी अब आप अगले चित्र में देखेंगे उस

गौतम नबलखा को जो जो अमेरिका में भारत को बदनाम कर बर्बाद करने

के काम में लगे ISI ऐजेंट गुलामनबी फई का मित्र ही नहीं बल्कि सहयोगी

भी है।मजेदार बात ये है कि इस गद्दार के साथ प्रशांत भूषण की खास सहयोगी अरूंधती राय भी हैg6    g1 अब आप सोचेंगे कि KAC क्या है ये भारतविरोधी गद्दारों के सहयोग से ISI ऐजेंट गुलामनबी फई द्वारा चलाई

गई वो संस्था है जिसका एक मात्र मकसद मिडीया(print &

Electronic) में अपने  ISI ऐजेंटों के सहयोग से देशभक्त संगठनों को

बदनाम कर इसलामिक आतंकवादियों के अनुकूल महौल बनाकर भारत को

लहूलुहान करना  है …
आप आप खुद सोच लो कि इन भारतविरोधियों की कुटाई कितनी सही या

कितनी गलत है या फिर आप खुद फैसला कर लो कि अगर इन गद्दारों में

से कोई आपके हथे चढ़ जाए तो उसके साथ क्या बर्ताब करना चाहिए?

पूरी सूची बहुत जल्द।

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

क्या पिछले 7 वर्षों के कुशासन से ये सिद्ध नहीं हो गया कि 2004 व 2009 में अडवाणी या भाजपा की नहीं वल्कि भारत की हार हुई थी?


आज देश में ऐसे गद्दारों की कमी नहीं जो ,इस्लामिक देशों से इस्लाम के

अधूरे काम को पूरा करने के लिए पाकिस्तान की ISI के माध्यम से मिल

रही खैरात व अमेरिका की खुफिया ऐजेंसियों CIA व FBI के माध्यय से

भारत में अंग्रोजों द्वारा सम्राज्यबाद में विकसित इसाईयत के ढांचे को सुदृढ़

करने के लिए मिल रहे टुकड़ों के बल पर हर उस देशभक्त को निशाना बना

रहे हैं जो भारत और भारतीय संस्कृति की बात करता हो ।

अडवाणी जी की यात्रा के शुरू होते ही ये गद्दार समाचार पत्रों व समाचार

चैनलों के माध्यमों का दुरूपयोग कर अडवाणी जी के साथ-साथ भारतीय

संस्कृति वोले तो हिन्दू संस्कृति को अपमानित करने के लिए तरह-तरह

का शब्द जाल बुनेंगे। ध्यान रहे हमें उन लोगों से कोई शिकायत नहीं जो

रचनात्मक अलोचना कर इस अन्दोलन को और ताकतवर बनाने का मार्ग

प्रशस्त करेंगे।

अडवाणी जी हमेशा ऐसे ही गद्दारों के निशाने पर हमेशा रहे हैं खासकर उस

वक्त तक जब तक कि उन्होंने जिन्ना जैसे आतंकवादी



advani
व एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी जैसी विषकन्या soniyaके वारे में कुछ नर्म शब्द कहकर ऐसे गद्दारों को

ये सन्देश नहीं दे दिया कि वो अब उन गद्दारों का उस तरह विरोध नहीं

करते जिस तरह का विरोध हिन्दुत्वनिष्ठ देशभक्त संगठन करते हैं।

कुलमिलाकर अडवाणी जी ने इस तरह के वयान देकर अपनी सारी

जिन्दगी समर्पित कर हिन्दुत्व को आगे बढ़ाने व भारत मां की सेवा करने

के लिए इन गद्दारों पर हमला कर जो प्रसिद्धि व विश्वसनियता हासिल की

थी उस पर पानी फेर दिया।

एक तरह से कहें तो अडवाणी जी ने हिन्दुत्व से अपना सीधा नता तोड़

लिया या यूं कहें कि हिन्दूओं ने अडवाणी जी द्वारा लगातार लगभग 4

दशकों तक समर्पण भाव से हिन्दूहित के लिए काम करने के बाबजूद

एकवार भी भाजपा को एकजूट होकर वोट न डालकर अडवाणी जी को

हिन्दूत्व से नाता तोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।

अगर इन कुछ अपबादों को छोड़ दें तो अडवाणी जी के मुकाबले ठहरने

वाला देश में आज एक भी नेता नहीं है।

इमानदारी ये वो अडवाणी जी हैं जिन्नहोंने हबाला काण्ड में नाम उछाले

जाने के बाद संसद की सदस्यता तक त्याग दी। अडवाणी जी संसद में तब

तक नहीं गए जब तक कि उनपर लगे आरोप झूठे साबित नहीं हो गए।

आपको ये नहीं भूलना चाहिए कि अडवाणी जी के 4 दशकों से अधिक के

राजनीतिक जीवन में एकवार भी कोई भ्रष्टाचार का आरोप लगना तो दूर

किसी विरोधी द्वारा उनकी तरफ अंगुली उठाने तक नहीं उठाई गई आज

तक। जब उठाने की कोशिश भी हुई तो अडवाणी जी ने संसद के बाहर का

रास्ता अपनाकर उस षडयन्त्र को असफल कर दिया।
त्याग देश का हर वो नागरिक जो उस वक्त होश सम्भाल चुका था अच्छी

तरह जानता है कि अयोध्या में मर्यादापुर्षोतम भगवान श्री राम जी का

भव्य मन्दिर बनाने के लिए निकाली गई यात्रा के बाद अडवाणी जी देश की

राजनीति पर पूरी तरह छा चुके थे लेकि जब प्रधानमन्त्री बनने की बारी

आई तो उन्होंने सबसे पहले अटल जी का नाम आगे कर बढ़ों का सम्मान

करने की हिन्दूसंस्कृति की रीत को निभाते हुए ऐसे त्याग को अन्जाम

दिया जो 20 वीं शताब्दी के शुरू से चली आ रही विभाजनकारी राजनीति में

आज तक देखने को नहीं मिला।
भाईचारे की भावना विदेशियों के टुकड़ों पर पलने वाले गद्दार लाख

मना करें पर सच्चाई यही है कि इस्लामिक आतंकवादियों और लुटेरे

ईसाईयों की गुलामी के दौर में हुए बरबर अत्याचारों व अपमानों के

परिणामस्वारूप भारत की संसकृति के मूलाधार सर्वधर्मसम्भाव व हिन्दू

एकता के सिद्धांत को भुला चुका हिन्दू अडवाणी जी की यात्रा के बाद

एकवार फिर भारतीय संस्क़ति को सुदृढ़ करने के अपने मूल काम में लग

गया। वेशक आज अडवाणी जी हिन्दुत्व से अलग हो चुके हैं लेकिन ये बात

हिन्दूओं को कभी नहीं भूलनी चाहिए कि अगर आज हिन्दू राजनीतिक रूप

से विधर्मियों के हमलों का उचित प्रत्युतर देने की ओर आगे बढ़ रहा है तो

इसमें अडवाणी जी की भी अहम भूमिका रही है।

ये अडवाणी जी ही हैं जिन्होंने हिन्दूओं को समझाया कि विधर्मियों के

अत्याचारों के परिमामस्वारूप इस्लाम या इसाईयत अपना चुके कमजोर

भारतीयों के पूर्बज भी हिन्दू ही हैं इसलिए वो भी हिन्दू हैं हमे उनसे नफरत

करने के बजाए उन्हें अपने घर बापस लाकर विधर्मियों के षडयन्त्रों को

नाकाम करना है।
ये अडवाणी जी ही हैं जिन्होंने सवरी माता के जूठे वेर खाने वाले

मर्यादापुर्षोतम भगवान श्री जी के नाम को आगे बढ़ाकर छुआछूत करने

वाले मूर्ख हिन्दूओं को अपने वंचित भाईयों को गले लगाने के लिए प्रेरित

किया।
अगर आप अडवाणी जी द्वारा सृजित व संचित नए नेताओं की पंक्ति देखें तो

पांयेंगे कि उस पंक्ति में हर वर्ण-हर तपके-गांव व शाहर हर जगह के नेता हैं।
अडवाणी जी ने प्रेम-भाईचारे का सन्देश शब्दों के बजाए अपने कर्म से दिया।
परिवार के बजाए संगठन को महत्व एक तो आज देश में

अडवाणी जी के कद का एक तो कोई नेता है ही नहीं पर अगर कोई खुद को

अडवाणी जी के सामने खड़ा करना भी चाहे तो नहीं कर सकता। अडवाणी

जी अपने कद के देश में एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपनी सारी जिन्दगी

में परिवार के बजाए संगठन को महत्व दिया।

आज भी आप देख सकते हैं कि अडवाणी जी के परिवार का एक भी सदस्य

अडवाणी जी के कन्धे पर सवार होकर अपनी ही पार्टी के वाकी बरिष्ठ व

कर्मठ नेताओं को कुचल कर आगे बढ़ने का दुहसाहस नहीं कर रहा है न ही

आज तक किया है। जैसा कि प्राय वाकी सभी पार्टियों व भाजपा के भी कई

नेताओं के परिवारों द्वारा किया जा रहा है। सुना है कि गुलाम कांग्रेसियों को

परिवार तो परिवार पर नैहरू परिवार के पालतु जीव-जन्तुओं का भी मान

सम्मान करना पड़ता है।
देश की सर्वोचता अडवाणी जी के किसी भी कर्म के मूल में आप पायेंगे

कि उन्होंने हमेशा देश को सर्वोपरि माना है। यही बजह है कि आज चोरों

और गद्दारों की सरकार के देशविरोधी कुकर्मों और षडयन्त्रों को देखकर

आज देश में अगर कोई सबसे अधिक दुखी है तो वो अडवाणी जी हैं।

इसीलिए वो अपनी व लोगं पीड़ा सांझी करने के लिए रथयात्रा निकाल कर

आम लोगों के बीच जा रहे हैं।
जो सोचा-समझा वही कहा और जो कहा वही किया
हमारे विचार में अडवाणी जी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि उन्होंने

आज तक अन्तरात्मा के विरूद्ध जाकर न कुछ कहा है न माना है न किया है।
आज तक अडवाणी जी ने अपने या संगठन के हित की खातिर देशहित के

विरूद्ध कुछ नहीं किया।

आज वेशक वो हमें देशभक्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से दूरी बनाते हुए प्रतीत

हों पर हमें विश्वास रखना चाहिए कि अडवाणी जी हिन्दुत्वविरोधी-

देशविरोधी लोगों के साथ सम्पर्क बनाकर उन्हें हिन्दुत्व के पाले में लेकर

आयेंगे न कि खुद उनकी हिन्दूविरोधी–देशविरोधी मानसिकता का सिकार

हो जायेंगे।
जरा सोचो इतने महान ,त्यागशील प्रखर देशभक्त की जगह एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी के गुलाम मनमोहन सिंह को प्रधानमन्त्री बनाकर देश ने क्या खोया और क्या पाया?
2004-2009 में अडवाणी नहीं देश हारा

हम अच्छी तरह जानते और समझते हैं कि देश के हारने की बात कहना वो

भी सिर्फ एक व्यक्ति को उपर उठाने किए किसी अपराध से कम नहीं।

लेकिन अगर आप इस चोरों और गद्दारों से भरी पड़ी हिन्दूविरोधी-

देशविरोधी सरकार के भारतविरोधी कुकर्मों पर बिस्तार ने नजर दौड़ायेंगे

तो पायेंगे कि वाकई 2004 में इस विदेशी एडवीज एंटोनिया अलवीना

माइनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम सरकार का सता में आना भाजपा या

अडवाणी की हार नहीं बल्कि देश की हार है।

किसी भी सरकार द्वारा थोड़ी बहुत गलतियां करना चाहे वो किसी भी क्षेत्र से

जुड़ी हों स्वाभाविक है लेकिन जब सरकार देश की ही जड़ खोदने में लग

जाए तो आप उसे गलतियां नहीं देशविरोधी षडयन्त्र कहेंगे।
· कोर्ट में रामसेतु से जुड़े मामले में मर्यादापुर्षोतम भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकारना।
· 2004 में सता में आते ही पोटा समाप्त कर न्या आतंकवाद विरोधी कानून

न बनाकर आतंकवादियों को भारतीयों के कत्लयाम की खुली छूट देना।

· 2004 में सता में आते ही अर्धसैनिक बलों के जवानों के, आतंकवादियों से

लड़ते हुए शहीद हो जाने पर, उनके परिबार को मिलने वाली विशेष आर्थिक

सहायता को, आर्थिक तंगी का हबाला देकर बन्द करना व बाद में

सुरक्षाबलों के हाथों मारे जाने वाले आतंकवादियों के परिवारों को लाखों

रूपए की सहयता देना।
· सेना में हिन्दू-मुसलिम की गिनती करने के आदेश देकर सेना को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने का षडयन्त्र।

· देश के संसाधनों का संप्रदायिक आधार पर विभाजन करने के

साथ-साथ बच्चों तक की छात्रवृतियों का सांप्रदायिक आधार पर विभाजन कर देना।
· इस्लमिक आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों के लिए देशजागरण के

काम में लगे साधु-सन्तों-साधवियों देश की रक्षा मे लगे सैनिकों को

जेल में डालकर इस्लामिक आतंकवादियों को बचाने के लिए संसार में

भारतीय संस्कृति को बदनाम करने का षडयन्त्र।

· सन्तों को ठग व ओसामा विन लादेन जैसे इस्लामिक आतंकवादी को जी

कहकर मुसलमानों के बच्चों को आतंकवादी बनने के लिए व हिन्दूओं के

बच्चों का सन्त न बनने के लिए संकेत देना।
· सारे देश में वन्देमातरम् का गान करने का आदेश देकर मुठीभर

इस्लामिक आतंकवादियों के कहने पर आदेश को वापस लेकर मुसलमानों

के बच्चों को आतंकवादियों की बात मानने पर मजबूर करना व सारे

मुसलमानों को बन्देमातरम् का विरोधी प्रचारित कर देशभक्त मुसलमानों

का अपमान करना।
· महाराष्ट्र सहित सारे देश में अंडरबर्ड का मुकाबला करने वाले सार्प सूटरों

को जेलों में डालकर गुण्डो को आम जनता को धमकाकर लूटने व जनता

पर अत्याचार करने की खुलीछूट देना।
· सोराबुद्दीन,इशरत जहां जैसे आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों

को जेलों मे डालकर आतंकवादियों को न मारनें के लिए जवानों पर

दबाबा बनाना व आम जनता पर आतंकवादी हमले करने के लिए खुली
छूट देना।
· आतंकवादियों को निर्दोष बताकर शहीद मोहन चन्द शर्मा के बलिदान का

अपमान कर आतंकवादियों का हौसला बढ़ाना व सुरक्षाबलों के जवानों का

हौसला तोड़ना।
· दिल्ली में भारत को तोड़ने की बात करने वाले गिलानी व अरूंधति राय को

खुली छूट देना ,कातिल माओवादी सेन को अपना सलाहकार बनाना व

देशभक्ति की बात करने वाले स्वामी रामदेव व उनके समर्थकों पर गोले

बरसाना।
· अफजल की फांसी को मानीय न्यायालय की फटकार और हमले में शहीद हुए परिवारों के विरोध के बाबजूद आज तक रोके रखना व

देशभक्त हिन्दूसंगठनों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को जेलों में डालना व फांसी पर लटकाने के ,षडयन्त्र रचना।
·
आदर्श,CWG,2G,3G,S-Band ,कशमीर में सेना की भूमि बेचने,

जैसे घोटालों के माध्यम से देश को लूटना और लूट का विरोध करने वालों

को जेल में डालना ,उनका अपमान करना ,उनके विरूद्ध जांच बैठैाकर

सरकारी ऐजेंसियों का दुरूपयोग करना।
· कालेधन को भारत बापस लाने के लिए अभियान चलाने वाले स्वामी

रामदेब व उनके समर्थकों को धमकाकर व प्रताड़ित कर गद्दारों द्वारा लुटे

गए धन को बापस लाने के लिए उठने वाली हर आबाज को कुचलने का

प्रयत्न करना।
· भ्रष्टाचार के विरूद्ध आबाज उठाने वाले अन्ना हजारे जी को

अपमानित करना ,उनको धोखा देना व जेल भेजकर लोगों को भ्रष्टाचार के विरूद्ध आबाज न उठाने के लिए धमकाना।

· इस्लामिक आतंकवादी मदनी को छुड़ाने के लिए कानून बनबाना व उसे इलाज के लिए मंहगे औषधालय में भर्ती करवाना और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जबर्दस्ती आतंकवादी कहकर जेल में डालना व जरूरी इलाज तक उपलब्ध न करवाना।
· एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी की

गुलाम सरकार बनबाकर शहीद भगत सिह जैसे लाखों शहीदों द्वारा

विदेशियों से सता छीन कर भारतीयों के हाथ में देने के लिए किए गए

बलिदानों का अपमान कर उनकी आत्मा को लहुलुहान करना।
· शर्म-अलशेख में गुलाम प्रधान्मन्त्री ने अपनी मन्दबुद्धि का

परिचय देते हुए पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर अपनी

सहमति दे दी जो पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए भारत को दोषी
ठहराती है।
· इस्लामिक देशों के इसारे व आर्थिक बल पर वर्षों से लाखों

भारतीयों का खून बहाने वाले आतंकवादियों की सरणगाह व प्रशिक्षण

स्थल पाकिस्तान को आतंकवाद का पीड़ित बताकर पाकिस्तान को

भारतीयों का खून बहाना जारी रखने के लिए समर्थन देना।
· सरकार के मन्त्री द्वारा मुम्बई पर हुए भारत के इतिहास के

सबसे बड़े इस्लामिक आतंकवादी हमले को हिन्दूओं द्वारा किया गया

बताना क्योंकि हमले में मारे जाने वालों में वो व्यक्ति भी सामिल था जो

सरकारी दबाब में आकर मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों के

लिए हिन्दूओं को फंसा रहा था। बाद में सरकार चला रही कांग्रेस पार्टी के

महासचिब द्वारा आतंकवादियों के समर्थक द्वारा इस हमले के लिए RSS को

दोषी ठहराने वाली पुस्तक का विमोचन कर आतंकवादियों को खुला

समर्थन देना।
· आम लोगों को मरने के लिए मजबूर करने की हद तक अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए मंहगाई को आसमान तक पहुंचा देना।

क्या आपने कभी सोचा कि जिनके घर से न तो सरकारी नौकर है न ही कोइ दुकानदार वो भला जिन्दगी कैसे जी रहे होंगे?
अब आप खुद सोच लो कि इस सबसे अडवाणी जी advani.jpg1को क्या निजी नुकसान हुआ ? कोई नहीं?

अगर नुकशान हुआ तो देश की आम देशभक्त जनता का जो चोरों और

गद्दारों के 7वर्ष के कुशासन के बाद आज न तो पेट भर खाना खा सकते

हैं ,न खुद को सुरक्षित महूसस कर सकते हैं और न हीं दुनिया के सामने

सिर उठाकर कह सकते हैं कि हम भारतीय हैं क्योंकि इस सरकार ने भारत

को भ्रष्टाचार,मंहगाई और आतंकवाद के लिए सारी दुनिया में बदनाम कर

दिया।
कुल मिलाकर ये हार भारत की है न कि किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति की नहीं।