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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2011

क्या अन्ना जी दो नावों पर पैर रखकर नैया पार लगाने की सोच रहे हैं?

जिस तरह से अन्ना जी भारत माता की जय और वन्देमातरम् का उदघोष कर भ्रष्टाचार मिटाने की मुहिम चला रहे हैं उसे देखकर कोई भी देशभक्त अन्ना जी की ओर स्वभाविक रूप से ही दौड़ा चला आएगा।फिर वो चाहे किसी भी संगठन से क्यों न जुड़ा हो। ऐसे में अन्ना जी द्वारा RSS व भारत स्वाभिमान जैसे देशभक्त संगठनों से दूरी बनाना और देशद्रोहियों के लिए काम करने वाले अग्निवेश और प्रशांत भूषण को साथ रखना संदेह ही नहीं वल्कि गंभीर प्रश्न भी पैदा करता है।
वेशक भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के ऐजेंट अग्निवेश को बाहर का रास्ता दिया गया है लेकिन उसे बाहर का रास्ता इसलिए नहीं दिखाया गया क्योंकि वो भारत के विरूद्ध काम कर रहा था वल्कि इसलिए क्योंकि वो टीम अन्ना के विरूद्ध काम कर रहा था। मतलब टीम अन्ना का हित अन्ना जी के लिए भारत के हित से ज्यादा महत्व रखता है।
दूसरी तर्फ प्रशांत भूषण जो कि अग्निवेश की ही तरह भारत के शत्रुओं के हाथों में खेल रहा है को अन्ना जी वेशक लताड़ लगा रहे हैं लेकिन आतंकवादियों के इस साथी को अपनी टीम से बाहर करने की जिम्मेदारी उस टीम पर डाल रहे हैं जिस टीम में न जानें अग्निवेश और प्रशांत भूषण जैसे कितने ही ISI और वांमपंथी आतंकवादियों के प्यादे भरे पड़े हैं।
कुल मिलाकार ऐसा लग रहा है कि अन्ना जी गद्दारों और देशभक्तों को साथ रखकर एक ऐसा तानावान बुनने के चक्कर में जिससे कि अन्दोलन को इस्लामिक आतंकवादियों और बामपंथी कातिलों का समर्थन मिलने के साथ-साथ देशभक्तों का सहयोग भी मिल सके।
वरना अगर अन्ना जी को सिर्फ प्रखर देशभक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ना होता तो पहले तो अग्निवेस व प्रशांत ,जिनका पेशा ही आतंकवादियों का साथ देना है जैसे भारतविरोधियों को अपने साथ लेते ही नहीं और आगर उनमें सुधार की उम्मीद से उन्हे साथ ले ही लिया था तो उनके द्वारा ISI व पाकिस्तान की भाषा वोलने पर एक सैंकेड भी अपने साथ नहीं रखते।
अब वक्त आ गया है कि अन्ना जी साहस दिखाकर देशभक्तों और धर्मनिर्पेक्षतावादी गद्दारों में से किसी एक को चुनने का साहस दिखाकर अपनी असली मानसिकता का प्रमाण अपने समर्थकों और विरोधियों के सामने रखें।
वरना वो दिन दूर नहीं जब धर्मनिर्पेक्षतावदी गद्दार भारतविरोधी काम कर अन्ना जी के आज तक के वेदाग जीवन पर गद्दारी का ऐसा कलंक लगायेंगे जिसे आने वाली पीढ़ियां कभी माफ नहीं कर पायेंगी।
बैसे भी अन्ना जी आप बढ़े हैं हमारे से ज्यादा दुनिया को समझते हैं आपको ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि दो नावों पर सवार होने वाला हमेशा मझधार में ही ढूबा है।
भगवान करे आप अपने मौन ब्रत के दौरान आपसे अनजाने में हुए गलतियों का समाधान देकर अपने देशभक्त समर्थकों को और निरूतसाहित नहीं करेंगे क्योंकि आज देशभक्त नागरिकों व संगठनों को धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI ऐजेंटों द्वारा इतने जख्म दिए जा चुके हैं कि वो अब और जख्म बरदाश करने की स्थिति में नहीं हैं। कभी भी-कहीं से भी सम्पूर्ण क्रांति का ज्वालामुखी फूट सकता है।

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