आज देश के जो हलात हैं उनमें कोई भी अच्छा काम करना अगर असम्भव नहीं तो वेहद मुसकिल है। क्योंकि जैसे ही कोई देशभक्ति की बात करता है उसे मुसलिमविरोधी करारा देकर इस्लामिक आतंकवादियों के निसाने पर लाने की कोशिस की जाती।
जब तक वो किसी हमले का सिकार न हो तब तक उसे इतना बदनाम कर दिया जाता है कि लोगों को लगने लगता है कि उसके साथ जो हुआ वो सही है जिस तरह स्वामी रामदेव जी पर रात के अन्धेरे में जान से मारने के लिए हमला किया गया उससे हर आम आदमी का आक्रोशित होना स्वाभाविक था लेकिन सरकार ने कांग्रेस की नई-नवेली सहयोगी ISI के ऐजेंट धर्मनिर्पेक्षतावदी गद्दारों को करोड़ों रूपए देकर स्वामी जी, उनके सहयोगी व बालकृष्ण जी के विरूद्ध मिडीया में एक ऐसा अभियान चलाया जिसके परिमामस्वारूप लगने लगा मानो सारे अपराध स्वामी जी और उनके साथियों ने ही किए हों।
इसी तरह अन्ना जी को भी बदनाम करने के लिए हर तरह का हथकण्डा अपनाया गया।
इससे पहले RSS व मोदी को भी ऐसे ही हथकण्डो का उपयोग कर हर तरह से ठिकाने लगाने की कोशिस की गई ताकि देश में कोई भी इस्लामिक आतंकवाद के विरूद्ध आबाज न उठा सके ।
ये ऐसे षडयन्त्रों की ही सफलता है कि अग्निवेश जैसे लोग पहले स्वामी राम देव जी के अन्दोलन में घुसे बाद में ये अन्ना जी के अन्दोलन में घुसकर स्वामी जी और अन्ना जी को एक दूसरे से अलग रखने में सफल रहे।
ऐसे ही षडयन्त्रों ने अन्ना जी को प्रखर देशभक्त संगठन RSS से अन्दोलन को मिल रहे समर्थन को ठुकराने की बात करने पर मजबूर कर दिया।
भारतविरोधियों के ऐसे ही षडयन्त्र के परिणामस्वारूप ही उनके सहयोगी प्रशांत भूषण ने एक ऐसा भारतविरोधी ब्यान दिया जो पूरी तरह से ISI और पाकिस्तान के भारतविरोधी रूख का समर्थन करता है।जिसके परिमास्वारूप पूरी टीम अन्ना देशभक्तों के निशाने पर आ गई।
ऐसा नहीं कि प्रशांत भूषण ने ऐसा भारतविरोधी ब्यान पहलीवार दिया हो लेकिन इसवार योजना अनुसार इसका भारतविरोधी मिडीया का उपयोग कर तब तक प्रचार-प्रसार किया गया जब तक टीम अन्ना देशभक्तों के निशाने पर नहीं आ गई।
आज अगर कांग्रेस केजरीबाल पर हमला करवाने का साहस कर रही है तो ये ISI के ऐजेंट धर्मनिर्पेक्षतावदी गिरोह के उसी षडयन्त्र का परिणाम है जिसके अनुसार प्रशांत भूषण से ये पाकिस्तान समर्थक ब्यान दिलबाया गया।
अगर प्रशांतभूषण ने भारतविरोधी ब्यान देकर टीम अन्ना को देशभक्तों की निगाह में गिराया न होता तो किसमें दम था कि टीम अन्ना के किसी भी सदस्य को हाथ भी लगा पाता।
इसीलिए कहा गया है कि बुरी संगत से अकेले भले(पहले तो ऐसे गद्दारों को टीम में लेना ही नहीं चाहिए था अगर गलती से ले भी लिए थे तो पता चलते ही निकाल देने चाहिए थे अगर निकालने का दम नहीं था तो कम से कम उनकी कुटाई का तो विरोध न करते जिससे लोगों में किसी शंका का निर्माण न होता क्योंकि भ्रष्टाचार और गद्दारी की जननी कांग्रेस तो मौके की तलास में थी।)।आज नहीं तो कल केजरीवाल जी पर हुए हमले का सच सामने आएगा ही ।वेशक आज ये हमला कांग्रेस ने करवाया है लेकिन बहुत जल्दी हमें पता चल जाएगा कि इसमें अग्निवेश और प्रशांत भूषण की कितनी भूमिका है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें