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मोदीराज लाओ

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भारत बचाओ

शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

चोरों और गद्दारों की UPA सरकार पर माननीय न्यायालय का दे दना-दन!


सत्यमेव जायते भारतीय संसकृति का आधार सतम्भ है। जिसका आभास माननीय न्यायालय के 29-10-2010 को आए फैसलों से होता है। सच कहें तो सराकरी तन्त्र के पिछले कुछ समय से चले आ रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी रूख की बजह से अब शांति से न्याय मिलने की सम्भवना से ही देशभक्त हिन्दूओं का विशवास उठने लगा है। लेकिन गाहे–वगाहे माननीय न्यायालय हिन्दूओं के अन्दर एक उम्मीद जगाता रहा है। वही आशा की किरण पिछले कल आए फैसलों में भी देखने को मिली है। आओ इन फैसलों के बारे में जानें...


1) UPA सरकार ने 2G Spectrums (http://samrastamunch.blogspot.com/2010/05/2g-spectrums.html)आबंटन में 50,000 करोड़ रूपए से अधिक डकार लिए। जिसकी पिछले एक वर्ष से CBI जांच कर रही है लेकिन एक वर्ष में CBI ने सरकार व मन्त्री की जांच को आगे बढ़ाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए हैं ।माननीय न्यायलय ने इस पर CBI व सरकार को जमकर लताड़ लगाई। माननीय न्यायालय ने कहा कि जिस मन्त्री मतलब A Raja पर हजारों करोड़ रूपए डकारने का आरोप है वही मन्त्री आज तक अपने पद पर कैसे है। न्यायलय ने आगे कहा कि जब जिसकी जांच होनी है व जिस विभाग में जांच होनी है वही उसी भिभाग के मुखिया के पद पर बैठा हुआ हो तो निष्पक्ष जांच कैसे सम्भव है? ये टिपणी मनमोहन सिंह की चोरबजारी को उजागर करने के लिए काफी है। इस टिप्पणी से सिद्ध होता है कि मनमोहन सिंह जिसे कभी इमानदार माना जाता था आज प्रधानमन्त्री की डमी कुर्सी के लालच में इस हद तक गिर चुका है कि उसे किसी भी चोर-बजारी से कोई परहेज नहीं बसर्ते इस चोर बजारी से उसकी आका एंटोनिया उर्फ सोनिया को फायदा पहंचता हो व उसका अपना पद बरकरार रहता हो।


2) कर्नाटक में BJP की सरकार को गिराने के लिए एंटोनिया का गुलाम हंस राज भारद्वाज किस हद तक गिरा हुआ है उस पर भी माननीय न्यायलय ने फैसला दिया । फैसले में माननीय न्यायालय ने कर्नाटक विधानसभा स्पीकर के उस निर्णय को सही ठहराया जसमें CONGRESS व JDS के जाल में फंसकर BJP सरकार से समर्थन वापस लेने वाले विधायकों को अयोग्य करार दिया गया था।


हमें यहां यह जानना जरूरी है कि ये हंसराज भारद्वाज वही है जिसने कानून मन्त्री रहते एंटोनिया के इटालियन यार कवात्रोची(http://jagohondujago.blogspot.com/2009/04/blog-post_28.html) के लंदन में जब्त पैसे को निकलवाने व इस देश के शत्रु पर चल रहे वोफोर्स दलाली कांड सौदे से सबन्धित केशों को समाप्त करावने में सहायता की थी। मतलब कर्नाटक सराकर को गिराने की कोशिस इटालियन अंग्रेज कर रही है। एक बजह साफ है कि इस कर्नाटक सरकार ने पिछले दिनों मुसलिम आतंकवादियों की धर-पकड़ की थी।








3) जिन अमित शाह जी को आतंकवादी सोराबूद्दीन का नमोनिशान मिटाने से दुखी होकर CBI ने अपनी हिरासत में रखा था। जिसकी जमानत को CBI कोर्ट ने वार-वार असवीकार किया था उसी अमित शाह जी को माननीय उच्च न्यायलय ने जमानत देकर CBI व कांग्रेस की हिन्दूविरोधी-देशविरोधी निती का पर्दाफास कर दिया। कांग्रेस किस हद तक आतंकवादियों का हौसला बढ़ाने में जुटी है उसका सबसे बढ़ा प्रमाण है कि अगले ही दिन मतलब आज माननीय सर्वोचन्यायालय में अमित शाह जी की जमानत रद्द करने की अर्जी दे डाली जिसे मानीय सर्वोच न्यायलय ने असवीकार कर दिया।


यहां हमें ये याद रखना जरूरी है कि सोराबूद्दीन वही आतंकवादी है जिसके घर से 12AK47 व दर्जनों हैंडगर्नेड मिले थे। बैसे जो कांग्रेस अफजल जैसे आतंकवादी की फांसी माननीय न्यायालय के आदेश के बाबजूद रोक सकती है उसके लिए दर्जनों पुलिस अधिकारियों व जवानों को जेलों में बन्द करना कोई नई बात नहीं।


अन्त में हम सबको ये जानान जरूरी है कि ANTONIO की गुलाम  UPA सरकार की देश के साथ गद्दारी की दास्तां इतनी लम्बी है जिसे एक लेख या किताब में समा पाना असम्भव है। लेकिन हम भी तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक इस चोरों व गद्दारों की UPA सरकार की सरदार इटालिय अंग्रेज से इस देश को मुक्त नहीं करवा लिया जाता।



























बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

इन्द्रेश जी शिकार हैं या शिकारी?




दुनिया में कुछ लोग ऐसा षडयन्त्र कर बैठते हैं जिसका अन्जाम शायद उन्हें भी ज्ञात नहीं होता। कुछ ऐसा ही हाल है विदेशी अंग्रेज एंटोनिया की गुलाम UPA सरकार का।


मुंमबई पर मुसलिम आतंकवादी हमले से पहले UPA सरकार ने पुलिस के कर्मचारियों पर दबाब बनाकर हिन्दू क्रांति की झूठी अबधारणा पैदा करने का षडयन्त्र किया।


जब इस षडयन्त्र की प्रतिक्रियस्वारूप हिन्दू उग्र होकर इसे वास्तविक स्वारूप देने लगे तो इस सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के मन्त्री अबदुल रहमान अंतुले( ध्यान रहे स्वर्गीय हेमंत करकरे जी इसी मंत्री के घर के पास घात लगाकर किए गय हमले में मारे गए) ने अपने पाकिस्तानी मित्रों के सहयोग से मुसलिम आतंकवादी हमला करवाकर मामले की कार्यवाही में सामिल पुलिस अधिकारी को मरवा दिया।


हमले को हिन्दू क्रांतिकारियों का हमला बताने के लिए धर्मनिरपेक्ष गिरोह के इशारे पर मिडीया ने आतंकवादियों के हाथों में कंगन(डोरी) पहने होने की बात का जबरदस्त प्रचार किया।


ये तो शुक्र है महाराष्ट्र पुलिस के उन जवानों का जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए एक मुसलिम आतंकवादी कसाब को जिन्दा पकड़ लिया वरना इस हमले का दोश भी हिन्दूओं के सिर मढ़ने की पूरी तैयारी थी। कारण भी सपष्ट था कि इस हमले में एक वो अधिकारी मारा गया था जिस पर हिन्दूओं का UPA सरकार के दबाब में काम करने का आरोप था।


जैसे इस अधिकारी की मौत हुई हिन्दू क्रांतिकारियों की वोलती बन्द हो गई क्योंकि शहीद जवान की शहीदी पर प्रश्न खड़े करना हिन्दूओं के सवभाव के विरूद्ध है। ये काम तो दिगविजय सिंह जैसे जयचन्दों का है। इस जवान की शहीदी के बाद हिन्दूओं ने मन बना लिया कि बेशक निर्दोश हिन्दू फांसी पर लटक जांयें पर जवान की शहीदी के बाद उनके बारे में कोई प्रश्न खड़े नहीं किए जायेंगे। अपने इस प्रण पर हिन्दू आज तक अढिग हैं।


जब UPA ने महारष्ट्र सरकार के माध्यम से हिन्दू क्रांति की झूठी अबधारणा पैदा करना शुरू की तो उसका एकमात्र निसाना था RSS। मिडीया के माध्यम से पकड़े गय हिन्दूओं के सम्बन्ध RSS से बताने के हर सम्भव प्रयास किए जाने लगे । तभी हिन्दू क्रांतिकारियों में से एक दयानन्द पांडे के साथ डा. अबदुल कलाम के रिस्ते जगजाहिर हुए और UPA सरकार की RSS को फंसाने की मुहिम पर ताला लग गया ।


क्योंकि जिन मुसलमानों को खुश करने के लिए कांग्रेस ये सब कर रही थी उन्हीं के सांप्रदाय से सम्बन्धित पर अगर कार्यवाही की जाती तब तो सारा खेल बिगड़ जाता। अगर UPA को मुसलमानों के विरूद्ध ही कार्यवाही करनी होती तो अफजल आज तक जिन्दा न होता।


हम दावे से कह सकते हैं कि अगर कसाब जिन्दा न पकड़ा गया होता तो मुंबई पर हमले के आरोप में आज सैंकड़ों हिन्दू नौजवान जेलों में वाकी 30 हन्दू नौजवानों की तरह बन्द होते।


फिर महाराष्ट्र सरकार के साथ केन्द्र सरकार का बयान आया कि हिन्दू क्रांतिकारियों के निशाने पर RSS के नेता भी हैं खासकर इन्द्रेश जी । ध्यान रहे कि इस ब्यान को अभी तक बदला नहीं गया है । अब कांग्रेस की राजस्थान सरकार कह रही है कि इन्दरेश जी इन हिन्दू क्रांतिकारियों के साथ हैं मतलब शिकारी हैं।


असलियत यह है कि इन्द्रेश जी एक देशभक्त है जो मुसलिम राष्ट्रीय मंच के माध्यम से देशभक्त मुसलमानों को धर्मनिर्पेक्ष गिरोह के विरूद्ध खड़ा कर रहे हैं ।

 यही वो दहशत है जो कांग्रेस के नेतृत्व वाले हिन्दूविरोधी देशविरोधी गिरोह को बेचैन किए हुए है।क्योंकि इस गिरोह की सारी राजनिती ही फूट डालो और राज करो पर अधारित है अगर इन्द्रेश जी लोगों को खासकर मुसलमानों को इस गिरोह की असलियत समझाने में समर्थ हो गए तो इस गिरोह का इस देश से नामोनिशान मिट जाएगा ।


बस इसी परेसानी में UPA लगातार वेबकूफी पर वेबकूफी किए जा रहा है। ये बिलकुल बैसी ही वेबकूफी है जैसी इस गिरोह ने भगवान श्रीराम जी की जन्मभूमि को मसजिद बताकर की।


परिणाम सबके सामने है आज माननीय न्यायालय के सर्वसमत निर्णय के बाद ये गिरोह बगलें झांकता फिर रहा है और अनापसनाप ब्यानबाजी कर देसभक्त संगठनों व हिन्दूओं को बदनाम करने की साजिसों को आगे बढ़ाकर अपनी गद्दारी के कुछ और प्रमाण देश के सामने रख रहा है।


अन्त में हम इतना ही कहेंगे के कि इन्द्रेश जी शिकारी नहीं वल्कि विदेशी अंग्रेज एंटोनिया की गुलाम UPA सरकार के हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों के शिकार हैं।














मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

कांग्रेस का हाथ गद्दारों के साथ !


सच कहें तो गद्दारों की इस पार्टी में सुधार की अब कोई उम्मीद नजर नहीं आती। हमारा मानना था कि निचले सतर पर कॉंग्रेस में वेहद देशभक्त कार्यकरता हैं जिसका प्रभाब पहली पंक्ति के हिन्दूविरोधी-देशविरोधी नेताओं पर एक न एक दिन जरूर पढ़ेगा ।


लेकिन लगता है कि विदेशी इसाई मिसनरी विषकन्या के कांग्रेस पर कब्जे के बाद ऐसा होना लगभग नामुकिन सा हो गया है। जिस गद्दारी की शुरूआत इस भारत विरोधी की गुलाम सरकार ने 2004 में अर्धसैनिकबलों के जबानों को शहीद होने पर मिलने वाले पैसे में कटौती के साथ की वो अब गद्दारी का सतर इस हद तक पहुंच गया है कि भारतीय सैनिकों पर हमले करने बाले पत्तथरबाज आतंकवादियों को UPA सरकार ने पांच-पांच लाख देकर अपनी गद्दारी का प्रमाण देश के सामने रखा।


2004 में अर्धसैनिक बलों के शहीद जवानों के परिबार बालों को मिलने वाली राशि में कटौती करते वक्त कुतर्क दिया गया कि सरकार के पास पैसे नहीं हैं लेकिन आतंकवादियों को देने के लिए सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं ये इस फैसले से सिद्ध होता है।


लोग कह रहे हैं कि इस विदेशी की कुलाद ने भारत समर्थक RSS की तुलना भारतविरोधी आतंकवादी गिरोह SIMI से कर दी हम पूछते हैं कि इस विदेशी की गुलाम जिस सरकार ने आतंकवादियों को मारने वाले सैनिकों पर केश दर्ज किए ,यहां तक कि पूरी की परी बटालियन को कटघरे में खड़ा कर दिया उस बिदेशी की कुलाद देशभक्त संगठन के वारे में और कह भी क्या सकती है?


सच्चाई यह है कि सेना किसी भी सरकार की ताकत होती है और सेना द्वारा देशहित में उठाए गए हर कदम की कोई भी देशभक्त सरकार समर्थन करती ही है लेकिन यहां मामला दूसरा है।


क्योंकि यह विदेशी इटालियन है इसे भारत की सेना परायी लगती है अपनी नहीं क्योंकि इसकी अपनी सेना तो इटालिन व युरोपियन सेना है । शायद इसीलिए ये विदेशी हर वक्त अपनी गुलाम सरकार पर भारतीय सेना को कमजोर करने वाले कदम उठाने का दबाब बनाती है। इसी दबाब की बजह से आज तक गुजरात से लेकर कशमीर घाटी तक सुरक्षाबलों के दर्जनों जवान जेलों में डाले जा चुके हैं व सैंकड़ों पर मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।


अब जिसे, भारतीय सेना जो कि सरकार के इसारे पर ही हर काम करती है सिवाय देश की रक्षा के --- से ही डर लगता हो ---जिसे ये सेना अपनी दुशमन लगती हो ----भल उसे प्रधानमंत्री बनने से रोकने वाले देसभक्त संगठन क्या कभी अपने लगेंगे--- नहीं न ।


ऐसे में सोचने वाला विषय यह है कि जिस विदेशी के निशाने पर भारतीय सेना है उसके निशाने पर भला देशभक्त संगठन क्यों नहीं होंगे ?


क्या आपको याद नहीं कि किस तरह पोटा हटवाकर इस भारत विरोधी इसाई ने भारत विरोधी आतंकवादियों की मदद की।मजेदारबात तो यह है कि इस विदेशी का तो भारतीय सर्वोच न्यायालय तक पर भरोसा नहीं बरना ऐसे कैसे हो सकता था कि देश पर हमला करने का जघन्य अपराध कतरने वाला आतंकवादी अफजल आज तक जिन्दा रहता ? वो भी तब जब माननीय न्यायालय ने इस भारतविरोधी आतंकवादी की फांसी की तारीख 19 नम्मवर 2006 तय की हो और आज 19 नम्मवर 2010 आने वाला हो।


अब आप सोचो कि भारतीय सेना व सर्वोच न्यायलय क्या सिर्फ RSS के हैं या फिर सारे देश के ? क्या ये दोनों संघ के इसारे पर काम करते हैं या फिर भारत सरकार के इसारे पर ?


जब इस विदेशी ने इन दोनों ही समानन्नीय संस्थाओं को बदनाम करने के लिए बार-बार सराकर पर दबाब बनाया हो व सरकार ने वार-बार इस दबाब के आगे झुककर इन दोनों ही संस्थाओं का अपमान किया हो तो फिर आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि इस विदेशी के दबाब में ये सरकार किसी भी देशभक्त संगठन को बदनाम करने में कोई कसर वाकी छोड़ेगी ?


आज स्वामीराम देब जी हर भारतीय चाहे वो अमीर हो या गरीब को दिन-रात एक कर स्वस्थ जिन्दगी जीने का तरीका बताने के साथ-साथ भारतीयों को भारतीय संस्कृति का हर वो पहलू याद करवा रहे हैं जिसे वो विदेशी आक्रमणकारियों के गुलामीकाल के दौरान ही यातनाओं के परिणामस्वारूप भुला चुके थे।


आज स्वामीराम देब संसार की एक सबसे बड़े भारतीय संगठन के प्रमुख हैं लेकिन क्या इस विदेशी की गुलाम सरकार ने उन्हें Z+ सुरक्षा पलब्ध करवाई नहीं न क्यों ?


सिर्फ इसलिए क्योंकि जिस स्वामीरामदेब जी का नाम सुनने पर हर देसभक्त भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है वही रामदेब इस विदेशी को कभी अपना नहीं लगता ?


आज भारत के इसके जैसे कितने ही शत्रु ऐसे हैं जिन्हें इस विदेशी की गुलाम सरकार देशभक्त भारतीयों की खून-पसीने की कमाई से सुरक्षा उपलब्ध करवाकर इनकी हिन्दू क्रांतिकारियों से रक्षा कर रही है ?


लेकिन गद्दारों की सरदार कब तक खैर मनाएगी एक न एक दिन ये सब गद्दार देशभक्त भारतीयों के हाथों अपने कुकर्मों का अन्जाम हर हाल में भुक्तेंगे ही...






शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

इन्द्रेश ही क्यों हिन्दू क्रांतिकारियों के सबन्ध तो डा. अबदुल कलाम जी से भी थे?

 डा. अबदुल कलाम जी भारत के राष्ट्रभक्त क्रांतिकारियों के कितने नजदीक थे इसका प्रमाण तो ये फोटो है।




फोटो में डा. अबदुल कलाम हिन्दू क्रांतिकारी दयानन्द पांडे जी के साथ देश के दुशमनों को समाप्त करने पर गहन विचार विमर्श कर रहे हैं। इन देश के दुशमनों में वांमपंथी आतंकवादियों, मुसलिम आतंकवादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों के साथ-साथ सेकुलर गद्दार भी सामिल हैं ।


रही बात इन्द्रेश जी के हिन्दू क्रांतिकारियों के साथ सबन्धों की तो आज देश का हर वो नागरिक जो भारत माता को अपनी मां मानता है इन क्रांतिकतारियों के साथ है क्योंकि अब वक्त आ गया है कि हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह को उसी की भाषा में जबाब दिया जाए।

 भारत को अपनी मां मानने वाले देशभक्त मुसलमान भी हिन्दू क्रांतिकारियों के साथ हैं।


ये विलकुल सत्य है कि इन्द्रेश जी RSS के पदा अधिकारी हैं ठीक उसी तरह जिस तरह डा. अबदुल कलाम जी इन क्रांतिकारियों से मुलाकात के वक्त देश के राष्टपति थे ।जब देश का प्रथम नागरिक ही इन क्रांतिकतारियों का समर्थक था तो फिर वाकी जनता भला क्यों इन हिन्दू क्रांतिकारियों का समर्थन नहीं करेगी?


रही कार्यवाही की बात तो सच्चाई यह है कि 7-8वीं सताब्दी में मुसलिम आतंकवादियों के भारत पर आक्रमण से लेकर अंग्रजों के आक्रमण के दौरान व बाद में काले अंग्रेजों के सासनकाल में भी देशभक्त हिन्दूओं को सताया जाता रहा।


धर्मनिर्पेक्ष गिरोह के सहयोग से हिन्दूबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों पर लगातार हमले होते रहे। लेकिन आज तक इन धर्मनिर्पेक्ष गद्दारों व इनके पाले हुए भारतविरोधी आतंकवादियों के विरूद्ध आज तक कोई सीधी कार्यवाही नहीं की गई उल्टा इनको पांच-पांच लाख रूपए इनाम देकर सैनिकों व देशभक्तों पर हमलों के लिए उकसाया जाता रहा।


अब वक्त आ गया है कि इन भारतविरोधी आतंकवादियों के विरूद्ध सीधी कार्यवाही कर भारत को इन भारत विरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों से मुक्त करवाया जाए।आओ मिलकर आगे बढ़ें।


ओउम






शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

विदेश से में आयी हूं, साथ मौत को लायी हूँ।

पैप्सी बोली कोका कोला, भारत का इनसान है भोला।


विदेश से में आयी हूं, साथ मौत को लायी हूँ।।



लहर नहीं जहर हूँ मैं ,गुर्दों पर बढ़ता कहर हूँ मैं।


मेरी पी एच दो पवांट सात,मुझ में पड़कर गल जायें दांत।।



जिंक आर्सेनिक लेड हूँ मैं, साड़े आंतों को वो जहर हूँ मैं।


मुझसे बढ़ती एसिडिटी, फिर क्यों पीते भैया-दीदी ?



ऐसी मेरी कहानी है, मुझ से अच्छा तो सादा पानी है।


दूध दवा है, दूध दुआ है, मैं जहरीला पानी हूं।।



जब दूध मुझ से अच्छा है तो फिर पीकर मुझको क्यों मरता है?


हजारों करोड़ कमाती हूं, सबका सब भारत से बाहर ले जाती हूं।।



शिव ने भी कभी जहर-उतारा ,अपने कण्ठ से नीचे।


तुम बौद्धिक गुलाम नादान हो बहरो! पड़े हुए हो जो मेरे पीछे।



देखो इंडियन लालच में अन्धा, बना लिया है मुझको धन्धा।


मैं नहीं पहूँची हूँ आज वहां पर ,पीने का नहीं पानी जहां पर।।



छोड़ो नकल अब अकल से जीयो,जो कुछ पीना सँभल के पीयो!


सेहत का रखना अब तुम ध्यान , धर में आयें जब मेहमान।।



इतनी तो तुम रसम निभाना, उनको भी कुछ कसम दिलाना ।


दूध जूस गाजर रस पीना-पिलाना,डालकर छाछ में जीरा पुदीना।।



अनन्नास आम का अमृत, बेदाना बेलफल का शरबत्।


स्वासथ्यवर्धक नींबू का पानी, जिसका नहीं है कोई सानी।।




भारतीय पेय अब तुम पीना और पिलाना, पैप्सी-कोक अब नहीं घर में लाना।


अब तो समझो बौद्दिक गुलामो, इस जहर के सटाक से करो टायलेट साफ।।


नहीं तो होगा वो अन्जाम कर देगा मेरा जहर तुम सबका काम तमाम।।।