हम कई बार हैरान होते हैं ये देखकर कि जब कातिल अल्लाह के नाम पर कतलयाम मचा रहे होते हैं तो कुछ परजीवि इस कत्लयाम को कभी वकर ईद तो कभी ईद के नाम पर जायज ठहराने के भरपूर प्रयत्न करने में लगे रहते हैं।दानबता की हर हद तो तब पार हो जाती है जब मिडीया में बैठे ISI ऐजेंट, हिंसा से भरपूर इन खूनी बारदातों को शांति और भाईचारे का जसन करार दे देते हैं।
हम मानते हैं कि कोई भी जीब कैसे जिन्दगी जीता है इसमें हस्तक्षेप का हमें कोई हक नहीं लेकिन जब ये जीब हिंसक हो जाए और अपने देश में बैठे धर्मनिरपेक्ष गद्दार इस जीब द्वारा किए जा रहे कत्लोगारद को जायज ठहराकर मानबता को लहूलुहान करने पर उतारू हों तो सब शांतिप्रिय लोगों का ये फर्ज बन जाता है कि इन्सान के वेष में छिपे इन राक्षसों को वेनकाब कर इस धरा को इन राक्षसों से मुक्त करने के उपायों पर विचार करे।
मजेदार बात तो ये है कि राक्षसों के जिन राहुल विन्सी जैसे मददगारों को इस कत्लयाम में अमन-चैन, प्रेम भाईचारा नजर आता है उन्हीं गद्दारों को भारतीय संस्कृति का हर पहलू सांप्रदायिक दिखने लगता है परिमामस्वारूप उन्हें भारतीय होने पर कभी शर्म आती है तो कभी दुख होता है।
वेशक कुछ लोगों को ऐसा लगेगा कि क्योंकि भारत में इन राक्षसों से हिन्दूओं को खतरा है इसलिए हम इनके खात्मे की बात कर रहे हैं। लेकिन ये आधा सत्य है क्योंकि इसमें कोई सन्देह नहीं कि जिस तरह इन राक्षसों ने कतल्याम के बल पर गांधी जैसे व्यक्ति को भारत का विभाजन स्वीकार करने पर विवश किया, जिस तरह न कातिलों ने कशमीर घाटी में हजारों हिन्दूओं का कत्लयाम किया, जिस तरह ये कातिल देशभर में बम्ब हमले व दंगा फसाद कर हिन्दूओं का कत्लयाम कर रहे हैं उस सबको देखते हुए ये कहना विलकुल सही है कि भारत में हिन्दूओं को इन राक्षसों से खतरा है।
लेकिन आम मुसलमान जिसने हाल ही में मतलब पिछले 300-500 वर्ष में इस्लाम अपनाने के बाबजूद मानबता का दामन नहीं छोड़ा है वो भी इन राक्षसों के निसाने पर उसी तरह है जिस तरह हिन्दू व ईसाई हैं। अगर आपको लगता है कि हम गलत कह रहे हैं तो आप उन इस्लामिक देशों पर एक निगाह डालो जिनकी लगभग 100% अबादी मुसलमान है उसके बाबजूद ये राक्षस इन इस्लामिक देशों में मस्जिदों, मदरसों व भीड़भाड़ वाले क्षत्रों में बम्म हमले कर इन नए-नवेले मुसलमानों का खून बहा रहे हैं।
अगर ये हमले इस्लाम को आगे बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं तो इन राक्षसों द्वारा मस्जिदों में बम्म बिस्फोट करने का कोई औचित्य नजर नहीं आता वो भी वहां जहां 100% अबादी मुसलमानों की ही है। क्योंकि जहां इन राक्षसों के साथ हिन्दू या ईसाई रहते हैं वहां तो ये राक्षस मस्जिदों में बम विस्फोट कर उसका दोष गैर मुसलमानों पर दे देते हैं जैसे कि इन राक्षसों के हाथों विक चुकी केन्द्र सरकार ने इन राक्षसों द्वारा मस्जिदों में किए गए बम हमलों का दोष हिन्दूओं के सिर डालकर देशभक्तों को जेल में बन्द कर दिया लेकिन 100% मुसलिम अबादी में तो ऐसा भी कोई बहाना काम नहीं कर सकता है।
हमारे विचार में ये राक्षस जिस भी अल्लाह का नाम लेते हैं वो जरूर कोई शैतान होगा वरना ये कैसे हो सकता है कि अल्लाह अपनी ही सन्तति का खून बहाकर खुश हो। यही नहीं ये राक्षश मां-वहन-वेटी-बहु जैसै पवित्र रिस्तों को भी नापाक कर अपने राक्षश होने का प्रमाण दुनिया के सामने रख रहे हैं। आओ मिलकर इन राक्षसों के इस दुनिया से सफाए के लिए जरूरी कदम उठाने का प्रण कर मानबता की रक्षा के लिए धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ें।
5 टिप्पणियां:
भगतसिँह की फाँसी पर जो दो भी बोल नही बोले
अफजल की फाँसी पर जिनके दिल खाते है हिचकोले !
गहरे दफनाना होगा अब ऊग्रवाद के खेमो को
फाँसी के फँदो तक भेजो,जल्दी "अबूसलेमो" को !
उत्कृष्ट प्रस्तुति , आभार.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा .
galat bat
इस एक शब्द सेकुलर ने जितना अहित इस भारत भू का किया है इसका एक ही समाधान है इस शब्द को ज़मीन पे लिखकर जूता -पात किया जाए .ये सारा किया धरा इन सेकुलर भाकुवों का ही है संविधान जिनकी रखैल है ,हज जिनके लिए सब्सिडी है ,शाह -बानों बेवा आँख का रोड़ा है ,....इनके एजेंट लालू और मुलायम अली देश का एक बंटवारा और करवाना चाहतें हैं तभी देश में दो कम्पार्टमेंट की बात करतें हैं एक सेकुलर दूसरा कम्युनल . . कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
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