सच कहें तो आज जब एक आक्रोशित युबक हरविेंदर ने मंहगाई से तंग आ चुकी आम जनता की भावनाओं मे बहकर इस्लामिक आतंकवादी दाऊदइबराहीम के पोषक व रक्षक सरदपबार को थपड़ जड़ा तो हमें लगा कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि अब थपड़ मारने का वक्त नहीं रह गया।
अब तो वो वक्त आ चुका है जब देशभक्तों को थपड़ और लोकतांत्रिक विरोध के सब तरीके छोड़कर कुछ ऐसा कना चाहिए कि एक युबक के जेल जाने के साथ ही एक दर्जन गद्दारों का अन्त सुनिश्चित बनाया जा सके।
क्योंकि भारतविरोधी नेताओं को थपड़ पड़ते ही सबके सब राजनीतिज्ञ मिडीया व दानाबधिकारवादी एकजुट होकर युबाओं द्वारा चलाए जा रहे अन्दोलनों को कुचलने के नए-नए रास्ते तलासने लग पड़ते हैं। लेकिन जैसे ही आम जनता पर ये नेता नीतिगत या सारीरिक थपड़ जड़ते हैं तो ये सबके सब सेकुलर गद्दार खामोश हो जाते हैं।
आप अच्छी तरह से जानते हैं कि किस तरह गांधीबादी गुण्डों ने चतर्वेदी को सिर्फ चप्पल दिखाने वाले साहसी युबक की बरबर पिटाई की। आपने ये भी देखा कि उत्तर प्रदेश में Half Indian को काले झंडे दिखा रहे नौजवानों को किस वेहरमी से इन गांधीवादी गुण्डों ने सबके सामने पीटा और अपने प्रभाव का दुरूपयोग कर अपनी गिरफ्तारी पर रोक भी लगवा ली।
अगर आज भारत में कानून का शासन चल रहा होता तो वेशक आक्रोशित युबक जेलों मे जाते लेकिन साथी ही ये भातविरोधी गांधीवादी आतंकवादी भी अपने किए कुकर्मों की सजा भुक्तते ।
जब तक भारत में कानून के अनुशार सासन नहीं चलता है तब तक युबकों के पास अपना आक्रोश दिखाने का कोई लोकतान्त्रिक मार्ग कैसे हो सकता है?
कुल मिलाकर जो कोई भी इस नौजवान द्वारा जड़े गए इस जोरदार थपड़ का विरोध कर रहे हैं वो कृप्या एक बार जरूर ये सोच लें कि अगर आक्रोसित नौजवान द्वार जड़ा गया ये थपड़ ठीक नहीं तो देश को लूट रही सताधारी पार्टी के गांधीवादी गुण्डों द्वारा नौजवानों को मारे जा रहे थपड़ कैसे ठीक हो सकते हैं?
अब तो वो वक्त आ चुका है जब देशभक्तों को थपड़ और लोकतांत्रिक विरोध के सब तरीके छोड़कर कुछ ऐसा कना चाहिए कि एक युबक के जेल जाने के साथ ही एक दर्जन गद्दारों का अन्त सुनिश्चित बनाया जा सके।
क्योंकि भारतविरोधी नेताओं को थपड़ पड़ते ही सबके सब राजनीतिज्ञ मिडीया व दानाबधिकारवादी एकजुट होकर युबाओं द्वारा चलाए जा रहे अन्दोलनों को कुचलने के नए-नए रास्ते तलासने लग पड़ते हैं। लेकिन जैसे ही आम जनता पर ये नेता नीतिगत या सारीरिक थपड़ जड़ते हैं तो ये सबके सब सेकुलर गद्दार खामोश हो जाते हैं।
आप अच्छी तरह से जानते हैं कि किस तरह गांधीबादी गुण्डों ने चतर्वेदी को सिर्फ चप्पल दिखाने वाले साहसी युबक की बरबर पिटाई की। आपने ये भी देखा कि उत्तर प्रदेश में Half Indian को काले झंडे दिखा रहे नौजवानों को किस वेहरमी से इन गांधीवादी गुण्डों ने सबके सामने पीटा और अपने प्रभाव का दुरूपयोग कर अपनी गिरफ्तारी पर रोक भी लगवा ली।
अगर आज भारत में कानून का शासन चल रहा होता तो वेशक आक्रोशित युबक जेलों मे जाते लेकिन साथी ही ये भातविरोधी गांधीवादी आतंकवादी भी अपने किए कुकर्मों की सजा भुक्तते ।
जब तक भारत में कानून के अनुशार सासन नहीं चलता है तब तक युबकों के पास अपना आक्रोश दिखाने का कोई लोकतान्त्रिक मार्ग कैसे हो सकता है?
कुल मिलाकर जो कोई भी इस नौजवान द्वारा जड़े गए इस जोरदार थपड़ का विरोध कर रहे हैं वो कृप्या एक बार जरूर ये सोच लें कि अगर आक्रोसित नौजवान द्वार जड़ा गया ये थपड़ ठीक नहीं तो देश को लूट रही सताधारी पार्टी के गांधीवादी गुण्डों द्वारा नौजवानों को मारे जा रहे थपड़ कैसे ठीक हो सकते हैं?
1 टिप्पणी:
देश का दुर्भाग्य है की daud को सुरक्षित दुबई पहुचने वाला आज भी भारत इतना बड़ा नेता है मराठा उसी के साथ है उसे शर्म नहीं आती ,रहा थप्पड़ की बात तो ये तो होना ही था आगे भी जिम्मेदार नेताओ को तैयार रहना चाहिए. क्यों की देश भक्ति का यह भी एक नमूना है.
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