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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

रविवार, 30 सितंबर 2012

Mahatma Gandhi

 

His actual name was Mohan Das Karm Chand Gandhi . Some people call him BAPPUgandhi2. But in constitution or in law this designation holds no validity. If we think in logical way then any hundreds or hundred fifty years old person can’t be the father of that nation whose history goes back to 17 lakh 25 thousand years . Gandhi played a role in struggle for freedom but his support to khilafat Andolan gave rise to islamic algaovad which resulted in partition of AkhandBharat gandhi3_smallin three parts east pakistan , west Pakistan and Bharat. After partition on the basis of religion the short-sightedness of Gandhi and Nehru kept muslims in the part which was meant for non muslims only . Now India is facing so many troubles in Kashmir Ghati , Assam and many other parts of India due to islamic terrorism . If Nathu Ram Godse would have killed him 10 years back then neither AkhandBharat have been divided nor India would have been facing so serious problems due to islamic Gagoipopulation explosion . Many of the people may have different views but it is the reality that Gandhi and Nehru always insulted great revolutionaries like shahid Bhagat Singh, Shahid Chandra shekhar Azad shaheedand many others . This number of revolutionaries goes up to 7 lacks but our intellectual slave persons gave importance only to nehru- soniya-1Gandhi family . we citizens must take pledge to get freedom from this intellectual slavery and we must work hard to achieve the targets of our beloved revolutionaries’ who sacrificed their everything including life, for the freedom and betterment of our Holy Motherland BHARAT MATA .Bharat man

गुरुवार, 20 सितंबर 2012

हिन्दूओं को सोनिया गाँधी से बहुत-कुछ सीखने की जरूरत है।

खुद को धर्मनिर्पेक्ष कहने वाले  बन्धु बार-बार हमें व हमारे जैसी सोच रखने वालों को ये कहकर गाली निकालते हैं कि क्योंकि हम हिन्दूहित की बात करते हैं इसलिए हमारी सोच, राजनीति व संगठन सबकुछ सांप्रदायिक है। इसीलिए वो हमें हमारे मुंह पर सांप्रदायिक कहते हैं और हमारे मूर्ख प्रतिनिधि जिन्हें हमने चुनकर इतना तो जरूर ताकतबर बनाया है कि वो उन्हें मुंह पर समझा सकें कि सांप्रदायिक हिन्दूहित की बात करने वाले नहीं बल्कि हिन्दूहित का विरोध करने वाले हैं।लेकिन न जाने क्यों हमारे ये प्रतिनिधि सर्वधर्मसम्भाव में हमेशा आस्था रखने हिन्दूओं को सांप्रदायिक कहकर गाली निकालने वाले भारतविरोधियों को कड़ा जबाब देने के बजाए कायरता की हद तक संयम का परिचय देते हैं।soniya

इन हिन्दू प्रतिनिधियों को ईसाई एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी से  सीखना चाहिए कि अगर हाथ में ताकत आ जाए तो किस तरह अपने सांप्रदाय से सबन्धित लोगों को आगे बढ़ाते हुए दूसरे सांप्रदाय से सबन्धित लोगों को पीछे धकेला जाता है…

19-09-2012 को CONGRESS CORE GROUP की बैठक हुई जिसमें निम्न लोगों ने हिस्सा लिया

1) एडवीज एंटोनिया माइनो ईटालियन उर्फ एदलगबो उर्फ SONIYA GANDHI  ईसाई (MINORITY COMMUNITY)

2) A K ANTONY  ईसाई (MINORITY COMMUNITY)

3)AHMED PATEL PA TO SONIYA GANDHI मुसलमान(MINORITY COMMUNITY)

4)MANMOHAN SINGH (MINORITY COMMUNITY)

5) P CHIDAMBRAM CONVERTED ईसाई (DOUBTFULL IDENTITY)

 

अब आप सोचो कि काँग्रेस द्वारा प्रचारित धर्मनिर्पेक्षता का क्या  मतलब होता है ?

उम्मीद है आप समझ गए होंगे कि सेकुलर गिरोह द्वारा प्रचारित धर्मनिर्पेक्षता  का एक ही अर्थ है कि हिन्दूओं को शक्तिविहीन कर गैर हिन्दूओं की गुलामी करने के लिए  बाध्य करना…

हद तो तब है कि जब हरवक्त इस ईटालियन अंग्रेज की हर वक्त चाटुकारिता करने वाले किसी भी हिन्दू को जगह नहीं मिलती इस ईसाई की जुंडली में।

अगर आपके पास समय है तो विस्तार से जानने के लिए इस लेख को जरूर पढ़ें

एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी के हिन्दुविरोधी षडयन्त्र

अगर हमने कुछ गलत कहा तो हमें बताना न भूलें

मंगलवार, 18 सितंबर 2012

दंगाई आइना देखते ही क्यों भड़क उठते हैं?

पैग़ंबर मोहम्मद पर बनी विवादित फ़िल्म के विरोध की आंच मध्यपूर्व, यूरोप और अमरीका सहित भारत में भी पहुंच चुकी है लेकिन ये फिल्म दुनियाभर में लोगों को आखिर क्यों उकसा रही है.

फिल्म में क्या दिखाया गया है?

इनोसेंस ऑफ मुस्लिमस नामक इस फिल्म में इस्लाम को हिंसा (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।) और द्वेष फैलाने वाले धर्म के रुप में दिखाया गया है. फिल्म के चित्रण के मुताबिक पैगंबर मुहम्मद मूर्ख और सत्ता-लोभी शख्स थे

.

 

सच्चाई हमेशा कड़वी ही लगती है

फिल्म की शुरुआत में एक इसाई परिवार को मुसलमानों द्वारा प्रताड़ित होते दिखाया गया है, जो मध्यपूर्व में इसाईयों के खिलाफ़ हुए हमलों का संकेत देता है. फिल्म के कई हिस्सों में पैगंबर और उनके सहयोगियों को धन-संपत्ति के लिए महिलायों और बच्चों की हत्या करते दिखाया गया है.

फिल्म में क्या है?

बेन्गाज़ी में हमला

बेन्गाज़ी में फ़िल्म के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन में अमरीकी राजदूत समेत कई लोग मारे गए हैं.

पैगंबर मुहम्मद को किसी भी रुप में साकार करना अपने आप में गैर-इस्लामी है. इस फिल्म में उन पर कई कटाक्ष किए गए हैं. उनकी पत्नी ख़दीजा और उनके सहयोगियों के खिलाफ़ भी फिल्म में कई टिप्पणियां है ये सभी ईश-निंदा के अंतर्गत आते हैं.

इसके अलावा पैगंबर मुहम्मद का किसी स्त्री के साथ प्रेमालाप, उनका लालच और हिंसात्मक चित्रण अपने आप में अपमानजनक है.

क्या कहना है फिल्म के अभिनेताओं का?

सैम बेसाइल नाम के एक व्यक्ति ने फ़िल्म का निर्माण किया है जो ख़ुद को अमरीका में रहने वाले यहूदी बताते हैं और रियल स्टेट कारोबारी हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार सैम बेसाइल ने लगभग 50 लाख डॉलर में ये फ़िल्म बनाई है. ये धनराशि उन्होंने 100 यहूदियों से मांग कर जमा किया था. सैम बेसाइल ने इसे एक राजनीतिक फ़िल्म क़रार देते हुए कहा था कि इस्लाम एक कैंसर है.

जिस तरह के हालात इन दिनों हैं उनमें किसी भी संदर्भ में प्रदर्शन भड़क सकते हैं.

पैगंबर मोहम्मद का मजाक उड़ाते कार्टून

वर्ष 2005 में डेनमार्क के एक अखबार ने पैगंबर मोहम्मद को दर्शाते कार्टून प्रकाशित किए.

अख़बार युलांस पोस्टन ने 12 कार्टूनों की सिरीज़ प्रकाशित की जिनमें से कई कार्टूनों में पैगंबर को इस्लामी चरमपंथी के रूप में प्रदर्शित किया गया था.

फिर वर्ष 2006 में एक फ़्रांसीसी पत्रिका ने दोबारा इन कार्टूनों को छापा, जिसके बाद दुनिया भर में मुसलमानों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई.

ये सारी सामग्री इन समाचारों का सार है

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2011/04/110411_france_veil_va.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/09/120912_film_islam_da.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2012/09/120910_midnight_film_release_india_psa.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/09/120912_islam_disrespect_da.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/09/120915_prophet_film_question_pa.shtml

मुसलमानों द्वारा भारत के विभिन्न हिस्सों में किए जा रहे भारतीयों के कतलयाम को देखते हुए कोई भी समझदार इनसान इसी निशकर्ष पर पहुंचेगा कि इसलाम की स्थापना करने वाला जरूर कोई शैतान ही रहा होगा वरना ये कातिल इस तरह मानबता को लहुलूहान कर हिन्दूओं द्वारा आक्रमणकारी मुसलमानों के प्रति दिखाए गए भाईचारे को खतरे में न डालते

सोमवार, 10 सितंबर 2012

रविवार, 2 सितंबर 2012

नितीस बनाम राज ठाकरे की लड़ाई को बिहार बनाम मुंमबई की लड़ाई बनाने की गलती न करो मेरे यारो!

देखो जरा चैन से बैठकर सोचो कि ये लड़ाई विहारियों के विरूद्ध है या उन वंगलादेशी घुसपैठियए मुसलमानों के बिरूद्ध जो खुद को कभी उतर प्रदेश के, तो कभी विहार के, तो कभी पशिचम वंगाल के बताकर सारे देश में इसालमिक आतंकवाद का एक ऐसा तानाबान बना चुके हैं जिसे हिन्दूओं की रक्षा के लिए तोड़ना जरूरी ही नहीं बल्कि हम सब की मजबूरी भी है।ध्यान खो हम यहां उन बंगलादेशी घुसपैठिए मुसलमानों की बात कर रहे हैं  जो विहार, उतर प्रदेश व पशिम वंगाल के ना3म पर अपनी गलत पहचान बताते हैं।

अब प्रशन उठता है कि राज ठाकरे का आज का ब्यान बिहारियों के विरूद्ध है याफिर विहारियों की आड़ में मुमबई को नर्क बनाने पर तुले घुसपैठिए मुसलमानों के विरूद्ध। हमें तो पहले ही शक था कि राज ठाकरे क्योंकि अभी नए हैं इसलिए सीधा मुसलमानों का विरोध करने का साहस नहीं दिखा पा रहे हैं इसलिए गुसपैठिए मुसलमानों का सीधा नाम लेने के बजाए विहारियों का नम लेकर इन इसलामिक आतंकवादियों को निशाना बना रहे हैं लेकिन राज ठाकरे के आज के ब्यान से सपष्ट हो गया कि उनके निशाने पर मुसलमान हैं न कि विहारी कैसे?

राज ठाकरे ने कहा कि अगर मुमबई में अमर जवान समारक तोड़ने वालों को पकड़ने गई मुमबई पुलिस, का अगर वहां की सरकार ने विरोध किया तो वो सब बिहारीयों को घुसपैठिए समझ कर बाहर निकाल देंगे।

अब आप कहेंगे किठाकरे ने धुसपैठिए मुसलमान नहीं कहा ।आपको समझना चाहिए कि अमर जवान समारक को किसी हिन्दू या विहारी ने नहीं तोड़ा इस समारक को तोड़ा मुसलमान ने ।अभी भी ठाकरे की ताकत इतनी नहीं बढ़ी है कि वो वर्षों से ढोरा जमाए बैठे घुपैठिए मुसलमानों को सीधा निशाना बना पायें इसलिए ठाकरे ने शहीद समारक को अपमानित करने की बात जोड़कर सबको अपने इरादों का साफ संदेश दे दिया।

अब आप कहेंगे कि नितीस का  नाम बीच में कैसे आया ? हम सबको याद रखना होगा कि नितीस वो गद्दार बनेने की राह पर है जो गद्दारी मुलायम सिंह यादब व दिगविजय सिंह इसलामिक आतंकवादियों के साथ खड़े होकर वर्षों से कर रहे हैं।

ये तो भाजपा की आत्मगाती मूर्खता है जो इस गद्दार से अपना सबन्ध नहीं तोड़ रही। ये काम 2004 में ही हो जाना चाहिए था।

आपको याद होगा कि जब बंगलौर पुलिस ने विहार से इसलामिक आतंकवादियों को गिरप्तार किया था तो इस नए नवेले गद्दार ने ढटकर विरोध किया था इसीलिए राज ठाकरे को ये ब्यान देने के लिए मजबूर होना पड़ा। ये भी हो सकता है कि नितीस कुमार द्वारा आतंकवादियों के पकड़े जाने का विरोध करने की सूचना वहां की सरकार ने ही राज ठाकरे को दी हो । 

देशभक्तों का वोट खोते जा रहे नितीस अब तुष्टीकरण की नीति के सात-साथ क्षेत्रवाद को भी अपने हथियार की तरह प्रयोग कर रहे हैं इसलिए ये लड़ाई राज ठाकरे बनाम नितीस की है न कि किसी और की।

अन्त में इतना ही कहेंगे कि जो भी व्यक्ति किसी भी हिन्दू से जाति, क्षेत्र या भाषा के आधार पर भेदभाव करता है वो देशभक्तों की निगाह में कभी मान-समान का पात्र नहीं हो सकता इसलिए राजठाकरे को आतंकवादी मुसलमानों के विरूद्ध सीधा वोलना चाहिए अगर ताकत नहीं हैं इन आतंकवादियों का विरोध करने की तो खामोश रहना चाहिए ।

आओ अन्त में हम सब प्रण करें कि अपने आसपास घुसपैठ कर चुके इन इसलामिक आतंकवादियों को ढूंढ कर देश से बाहर निकलें ।