आज देश में ऐसे गद्दारों की कमी नहीं जो ,इस्लामिक देशों से इस्लाम के
अधूरे काम को पूरा करने के लिए पाकिस्तान की ISI के माध्यम से मिल
रही खैरात व अमेरिका की खुफिया ऐजेंसियों CIA व FBI के माध्यय से
भारत में अंग्रोजों द्वारा सम्राज्यबाद में विकसित इसाईयत के ढांचे को सुदृढ़
करने के लिए मिल रहे टुकड़ों के बल पर हर उस देशभक्त को निशाना बना
रहे हैं जो भारत और भारतीय संस्कृति की बात करता हो ।
अडवाणी जी की यात्रा के शुरू होते ही ये गद्दार समाचार पत्रों व समाचार
चैनलों के माध्यमों का दुरूपयोग कर अडवाणी जी के साथ-साथ भारतीय
संस्कृति वोले तो हिन्दू संस्कृति को अपमानित करने के लिए तरह-तरह
का शब्द जाल बुनेंगे। ध्यान रहे हमें उन लोगों से कोई शिकायत नहीं जो
रचनात्मक अलोचना कर इस अन्दोलन को और ताकतवर बनाने का मार्ग
प्रशस्त करेंगे।
अडवाणी जी हमेशा ऐसे ही गद्दारों के निशाने पर हमेशा रहे हैं खासकर उस
वक्त तक जब तक कि उन्होंने जिन्ना जैसे आतंकवादी
व एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी जैसी विषकन्या के वारे में कुछ नर्म शब्द कहकर ऐसे गद्दारों को
ये सन्देश नहीं दे दिया कि वो अब उन गद्दारों का उस तरह विरोध नहीं
करते जिस तरह का विरोध हिन्दुत्वनिष्ठ देशभक्त संगठन करते हैं।
कुलमिलाकर अडवाणी जी ने इस तरह के वयान देकर अपनी सारी
जिन्दगी समर्पित कर हिन्दुत्व को आगे बढ़ाने व भारत मां की सेवा करने
के लिए इन गद्दारों पर हमला कर जो प्रसिद्धि व विश्वसनियता हासिल की
थी उस पर पानी फेर दिया।
एक तरह से कहें तो अडवाणी जी ने हिन्दुत्व से अपना सीधा नता तोड़
लिया या यूं कहें कि हिन्दूओं ने अडवाणी जी द्वारा लगातार लगभग 4
दशकों तक समर्पण भाव से हिन्दूहित के लिए काम करने के बाबजूद
एकवार भी भाजपा को एकजूट होकर वोट न डालकर अडवाणी जी को
हिन्दूत्व से नाता तोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
अगर इन कुछ अपबादों को छोड़ दें तो अडवाणी जी के मुकाबले ठहरने
वाला देश में आज एक भी नेता नहीं है।
इमानदारी ये वो अडवाणी जी हैं जिन्नहोंने हबाला काण्ड में नाम उछाले
जाने के बाद संसद की सदस्यता तक त्याग दी। अडवाणी जी संसद में तब
तक नहीं गए जब तक कि उनपर लगे आरोप झूठे साबित नहीं हो गए।
आपको ये नहीं भूलना चाहिए कि अडवाणी जी के 4 दशकों से अधिक के
राजनीतिक जीवन में एकवार भी कोई भ्रष्टाचार का आरोप लगना तो दूर
किसी विरोधी द्वारा उनकी तरफ अंगुली उठाने तक नहीं उठाई गई आज
तक। जब उठाने की कोशिश भी हुई तो अडवाणी जी ने संसद के बाहर का
रास्ता अपनाकर उस षडयन्त्र को असफल कर दिया।
त्याग देश का हर वो नागरिक जो उस वक्त होश सम्भाल चुका था अच्छी
तरह जानता है कि अयोध्या में मर्यादापुर्षोतम भगवान श्री राम जी का
भव्य मन्दिर बनाने के लिए निकाली गई यात्रा के बाद अडवाणी जी देश की
राजनीति पर पूरी तरह छा चुके थे लेकि जब प्रधानमन्त्री बनने की बारी
आई तो उन्होंने सबसे पहले अटल जी का नाम आगे कर बढ़ों का सम्मान
करने की हिन्दूसंस्कृति की रीत को निभाते हुए ऐसे त्याग को अन्जाम
दिया जो 20 वीं शताब्दी के शुरू से चली आ रही विभाजनकारी राजनीति में
आज तक देखने को नहीं मिला।
भाईचारे की भावना विदेशियों के टुकड़ों पर पलने वाले गद्दार लाख
मना करें पर सच्चाई यही है कि इस्लामिक आतंकवादियों और लुटेरे
ईसाईयों की गुलामी के दौर में हुए बरबर अत्याचारों व अपमानों के
परिणामस्वारूप भारत की संसकृति के मूलाधार सर्वधर्मसम्भाव व हिन्दू
एकता के सिद्धांत को भुला चुका हिन्दू अडवाणी जी की यात्रा के बाद
एकवार फिर भारतीय संस्क़ति को सुदृढ़ करने के अपने मूल काम में लग
गया। वेशक आज अडवाणी जी हिन्दुत्व से अलग हो चुके हैं लेकिन ये बात
हिन्दूओं को कभी नहीं भूलनी चाहिए कि अगर आज हिन्दू राजनीतिक रूप
से विधर्मियों के हमलों का उचित प्रत्युतर देने की ओर आगे बढ़ रहा है तो
इसमें अडवाणी जी की भी अहम भूमिका रही है।
ये अडवाणी जी ही हैं जिन्होंने हिन्दूओं को समझाया कि विधर्मियों के
अत्याचारों के परिमामस्वारूप इस्लाम या इसाईयत अपना चुके कमजोर
भारतीयों के पूर्बज भी हिन्दू ही हैं इसलिए वो भी हिन्दू हैं हमे उनसे नफरत
करने के बजाए उन्हें अपने घर बापस लाकर विधर्मियों के षडयन्त्रों को
नाकाम करना है।
ये अडवाणी जी ही हैं जिन्होंने सवरी माता के जूठे वेर खाने वाले
मर्यादापुर्षोतम भगवान श्री जी के नाम को आगे बढ़ाकर छुआछूत करने
वाले मूर्ख हिन्दूओं को अपने वंचित भाईयों को गले लगाने के लिए प्रेरित
किया।
अगर आप अडवाणी जी द्वारा सृजित व संचित नए नेताओं की पंक्ति देखें तो
पांयेंगे कि उस पंक्ति में हर वर्ण-हर तपके-गांव व शाहर हर जगह के नेता हैं।
अडवाणी जी ने प्रेम-भाईचारे का सन्देश शब्दों के बजाए अपने कर्म से दिया।
परिवार के बजाए संगठन को महत्व एक तो आज देश में
अडवाणी जी के कद का एक तो कोई नेता है ही नहीं पर अगर कोई खुद को
अडवाणी जी के सामने खड़ा करना भी चाहे तो नहीं कर सकता। अडवाणी
जी अपने कद के देश में एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपनी सारी जिन्दगी
में परिवार के बजाए संगठन को महत्व दिया।
आज भी आप देख सकते हैं कि अडवाणी जी के परिवार का एक भी सदस्य
अडवाणी जी के कन्धे पर सवार होकर अपनी ही पार्टी के वाकी बरिष्ठ व
कर्मठ नेताओं को कुचल कर आगे बढ़ने का दुहसाहस नहीं कर रहा है न ही
आज तक किया है। जैसा कि प्राय वाकी सभी पार्टियों व भाजपा के भी कई
नेताओं के परिवारों द्वारा किया जा रहा है। सुना है कि गुलाम कांग्रेसियों को
परिवार तो परिवार पर नैहरू परिवार के पालतु जीव-जन्तुओं का भी मान
सम्मान करना पड़ता है।
देश की सर्वोचता अडवाणी जी के किसी भी कर्म के मूल में आप पायेंगे
कि उन्होंने हमेशा देश को सर्वोपरि माना है। यही बजह है कि आज चोरों
और गद्दारों की सरकार के देशविरोधी कुकर्मों और षडयन्त्रों को देखकर
आज देश में अगर कोई सबसे अधिक दुखी है तो वो अडवाणी जी हैं।
इसीलिए वो अपनी व लोगं पीड़ा सांझी करने के लिए रथयात्रा निकाल कर
आम लोगों के बीच जा रहे हैं।
जो सोचा-समझा वही कहा और जो कहा वही किया
हमारे विचार में अडवाणी जी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि उन्होंने
आज तक अन्तरात्मा के विरूद्ध जाकर न कुछ कहा है न माना है न किया है।
आज तक अडवाणी जी ने अपने या संगठन के हित की खातिर देशहित के
विरूद्ध कुछ नहीं किया।
आज वेशक वो हमें देशभक्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से दूरी बनाते हुए प्रतीत
हों पर हमें विश्वास रखना चाहिए कि अडवाणी जी हिन्दुत्वविरोधी-
देशविरोधी लोगों के साथ सम्पर्क बनाकर उन्हें हिन्दुत्व के पाले में लेकर
आयेंगे न कि खुद उनकी हिन्दूविरोधी–देशविरोधी मानसिकता का सिकार
हो जायेंगे।
जरा सोचो इतने महान ,त्यागशील प्रखर देशभक्त की जगह एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी के गुलाम मनमोहन सिंह को प्रधानमन्त्री बनाकर देश ने क्या खोया और क्या पाया?
2004-2009 में अडवाणी नहीं देश हारा
हम अच्छी तरह जानते और समझते हैं कि देश के हारने की बात कहना वो
भी सिर्फ एक व्यक्ति को उपर उठाने किए किसी अपराध से कम नहीं।
लेकिन अगर आप इस चोरों और गद्दारों से भरी पड़ी हिन्दूविरोधी-
देशविरोधी सरकार के भारतविरोधी कुकर्मों पर बिस्तार ने नजर दौड़ायेंगे
तो पायेंगे कि वाकई 2004 में इस विदेशी एडवीज एंटोनिया अलवीना
माइनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम सरकार का सता में आना भाजपा या
अडवाणी की हार नहीं बल्कि देश की हार है।
किसी भी सरकार द्वारा थोड़ी बहुत गलतियां करना चाहे वो किसी भी क्षेत्र से
जुड़ी हों स्वाभाविक है लेकिन जब सरकार देश की ही जड़ खोदने में लग
जाए तो आप उसे गलतियां नहीं देशविरोधी षडयन्त्र कहेंगे।
· कोर्ट में रामसेतु से जुड़े मामले में मर्यादापुर्षोतम भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकारना।
· 2004 में सता में आते ही पोटा समाप्त कर न्या आतंकवाद विरोधी कानून
न बनाकर आतंकवादियों को भारतीयों के कत्लयाम की खुली छूट देना।
· 2004 में सता में आते ही अर्धसैनिक बलों के जवानों के, आतंकवादियों से
लड़ते हुए शहीद हो जाने पर, उनके परिबार को मिलने वाली विशेष आर्थिक
सहायता को, आर्थिक तंगी का हबाला देकर बन्द करना व बाद में
सुरक्षाबलों के हाथों मारे जाने वाले आतंकवादियों के परिवारों को लाखों
रूपए की सहयता देना।
· सेना में हिन्दू-मुसलिम की गिनती करने के आदेश देकर सेना को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने का षडयन्त्र।
· देश के संसाधनों का संप्रदायिक आधार पर विभाजन करने के
साथ-साथ बच्चों तक की छात्रवृतियों का सांप्रदायिक आधार पर विभाजन कर देना।
· इस्लमिक आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों के लिए देशजागरण के
काम में लगे साधु-सन्तों-साधवियों व देश की रक्षा मे लगे सैनिकों को
जेल में डालकर इस्लामिक आतंकवादियों को बचाने के लिए संसार में
भारतीय संस्कृति को बदनाम करने का षडयन्त्र।
· सन्तों को ठग व ओसामा विन लादेन जैसे इस्लामिक आतंकवादी को जी
कहकर मुसलमानों के बच्चों को आतंकवादी बनने के लिए व हिन्दूओं के
बच्चों का सन्त न बनने के लिए संकेत देना।
· सारे देश में वन्देमातरम् का गान करने का आदेश देकर मुठीभर
इस्लामिक आतंकवादियों के कहने पर आदेश को वापस लेकर मुसलमानों
के बच्चों को आतंकवादियों की बात मानने पर मजबूर करना व सारे
मुसलमानों को बन्देमातरम् का विरोधी प्रचारित कर देशभक्त मुसलमानों
का अपमान करना।
· महाराष्ट्र सहित सारे देश में अंडरबर्ड का मुकाबला करने वाले सार्प सूटरों
को जेलों में डालकर गुण्डो को आम जनता को धमकाकर लूटने व जनता
पर अत्याचार करने की खुलीछूट देना।
· सोराबुद्दीन,इशरत जहां जैसे आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों
को जेलों मे डालकर आतंकवादियों को न मारनें के लिए जवानों पर
दबाबा बनाना व आम जनता पर आतंकवादी हमले करने के लिए खुली
छूट देना।
· आतंकवादियों को निर्दोष बताकर शहीद मोहन चन्द शर्मा के बलिदान का
अपमान कर आतंकवादियों का हौसला बढ़ाना व सुरक्षाबलों के जवानों का
हौसला तोड़ना।
· दिल्ली में भारत को तोड़ने की बात करने वाले गिलानी व अरूंधति राय को
खुली छूट देना ,कातिल माओवादी सेन को अपना सलाहकार बनाना व
देशभक्ति की बात करने वाले स्वामी रामदेव व उनके समर्थकों पर गोले
बरसाना।
· अफजल की फांसी को मानीय न्यायालय की फटकार और हमले में शहीद हुए परिवारों के विरोध के बाबजूद आज तक रोके रखना व
देशभक्त हिन्दूसंगठनों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को जेलों में डालना व फांसी पर लटकाने के ,षडयन्त्र रचना।
·
आदर्श,CWG,2G,3G,S-Band ,कशमीर में सेना की भूमि बेचने,
जैसे घोटालों के माध्यम से देश को लूटना और लूट का विरोध करने वालों
को जेल में डालना ,उनका अपमान करना ,उनके विरूद्ध जांच बैठैाकर
सरकारी ऐजेंसियों का दुरूपयोग करना।
· कालेधन को भारत बापस लाने के लिए अभियान चलाने वाले स्वामी
रामदेब व उनके समर्थकों को धमकाकर व प्रताड़ित कर गद्दारों द्वारा लुटे
गए धन को बापस लाने के लिए उठने वाली हर आबाज को कुचलने का
प्रयत्न करना।
· भ्रष्टाचार के विरूद्ध आबाज उठाने वाले अन्ना हजारे जी को
अपमानित करना ,उनको धोखा देना व जेल भेजकर लोगों को भ्रष्टाचार के विरूद्ध आबाज न उठाने के लिए धमकाना।
· इस्लामिक आतंकवादी मदनी को छुड़ाने के लिए कानून बनबाना व उसे इलाज के लिए मंहगे औषधालय में भर्ती करवाना और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जबर्दस्ती आतंकवादी कहकर जेल में डालना व जरूरी इलाज तक उपलब्ध न करवाना।
· एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी की
गुलाम सरकार बनबाकर शहीद भगत सिह जैसे लाखों शहीदों द्वारा
विदेशियों से सता छीन कर भारतीयों के हाथ में देने के लिए किए गए
बलिदानों का अपमान कर उनकी आत्मा को लहुलुहान करना।
· शर्म-अलशेख में गुलाम प्रधान्मन्त्री ने अपनी मन्दबुद्धि का
परिचय देते हुए पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर अपनी
सहमति दे दी जो पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए भारत को दोषी
ठहराती है।
· इस्लामिक देशों के इसारे व आर्थिक बल पर वर्षों से लाखों
भारतीयों का खून बहाने वाले आतंकवादियों की सरणगाह व प्रशिक्षण
स्थल पाकिस्तान को आतंकवाद का पीड़ित बताकर पाकिस्तान को
भारतीयों का खून बहाना जारी रखने के लिए समर्थन देना।
· सरकार के मन्त्री द्वारा मुम्बई पर हुए भारत के इतिहास के
सबसे बड़े इस्लामिक आतंकवादी हमले को हिन्दूओं द्वारा किया गया
बताना क्योंकि हमले में मारे जाने वालों में वो व्यक्ति भी सामिल था जो
सरकारी दबाब में आकर मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों के
लिए हिन्दूओं को फंसा रहा था। बाद में सरकार चला रही कांग्रेस पार्टी के
महासचिब द्वारा आतंकवादियों के समर्थक द्वारा इस हमले के लिए RSS को
दोषी ठहराने वाली पुस्तक का विमोचन कर आतंकवादियों को खुला
समर्थन देना।
· आम लोगों को मरने के लिए मजबूर करने की हद तक अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए मंहगाई को आसमान तक पहुंचा देना।
क्या आपने कभी सोचा कि जिनके घर से न तो सरकारी नौकर है न ही कोइ दुकानदार वो भला जिन्दगी कैसे जी रहे होंगे?
अब आप खुद सोच लो कि इस सबसे अडवाणी जी को क्या निजी नुकसान हुआ ? कोई नहीं?
अगर नुकशान हुआ तो देश की आम देशभक्त जनता का जो चोरों और
गद्दारों के 7वर्ष के कुशासन के बाद आज न तो पेट भर खाना खा सकते
हैं ,न खुद को सुरक्षित महूसस कर सकते हैं और न हीं दुनिया के सामने
सिर उठाकर कह सकते हैं कि हम भारतीय हैं क्योंकि इस सरकार ने भारत
को भ्रष्टाचार,मंहगाई और आतंकवाद के लिए सारी दुनिया में बदनाम कर
दिया।
कुल मिलाकर ये हार भारत की है न कि किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति की नहीं।
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