धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
शनिवार, 15 मई 2010
क्या आपने अपने प्रिय जाबेद अखतर की जिन्दगी के इस पहलू पर ध्यान दिया है? आओ जरा सदका करें इनकी महानता का ये दो शब्द कहकर !
कल हमें पता चला कि जाबेद अखतर को देबबंद के फतवे का विरोध करने पर जान से मारने की धमकी मिली है।देववंद वही संस्था है जिसने सेकुलर सरकार की मौजूदगी में वन्देमातरम् के विरूद्ध भी फतवा जारी किया था इसी जावेद अखतर ने गद्दारों के प्रति अपनी सहमति दिखाने के लिए उसका मौन समर्थन किया था। ये जाबेद अखतर उस शबाना आजमी का पति है जो मुंबई में मन मापिक मकान न मिलने सारे भारत में हिन्दूओं द्वारा सब मुसलमानों के साथ भेदभव का मनघड़ंत आरोप लगाकर मुसलिम अलगाववाद को बढ़ाबा देती फिर रही थी। ये वही जाबेद अख्तर है जो बात-बात पर मुसलिम आतंकवादियों का विरोध करने वाले संगठनों को सांप्रदायिक करार देकर आतंकवादियों की सहायता करते रहे हैं।ये वही हैं जो पुलिस द्वारा आतंकवादियों के विरूद्ध कडी कार्यवाही करने पर पुलिस पर मनघड़त आरोप लगाकर पुलिस को कटघरे में खड़ा कर अलगाववाद को बड़ाबा देते रहे हैं ।अब जब इन जैसों के सहयोग की बजह से आतंकवादियों का हौसला यहां तक बड़ गया कि उन्हें इन जैसों के सहारे की कोई जरूरत महसूस नहीं हो रही है इसलिए अपने ही साथियों का मुंह बन्द करने के लिए धमकी का सहार ले रहे हैं तो फिर बताओ पुलिस को ऐसे लोगों के सुरक्षा क्यों देनी चाहिए।हमारे विचार में पुलिस को चाहिए कि वो आतंकवादियौं द्वारा अपने साथी को मार देने का इन्तजार कर बाद में उन आतंकवादियों को भी मुठभेड़ में किनारे लगा दे।
बैसे हम गरंटी दे सकते हैं कि अलगाववादी अपने इस भरोसे के साथी को मारेंगे नहीं वल्कि य़े पबलिसटी सटंट हो सकता है क्योंकि मुंबई हमले के बाद ऐसे बहुत से आतंकवादियों के मददगारों की बोलती बन्द हो गई है ऐसे प्रयस कर वो जनता को भ्रमाकर अपनी देशविरोधी जुवान को फिर से खोलने की भूमिका त्यार कर रहे हैं ।
आओ इनका अभी से विरोध करें क्या आप करोगे?
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11 टिप्पणियां:
ye sab log jo algavad ko badhava dete hai sabhi mile hue hai or hinduo ko ye dikhane ki koshish kar rahe hai atnki ka koi dhrm nhi hota taki ye hmaari nazar me bechare ban sake
हम जावेद अख्तर साहब से सहमत हैं...
यह हिन्दुस्तान है, तालिबान नहीं...
अगर ग़लत चीज़ों का विरोध नहीं किया गया तो इस मुल्क को भी तालिबान बनने में देर नहीं लगेगी...इसलिए ज़रूरत है वक़्त रहते संभाल जाने की...
इनकी तो क्या बोलूँ मगर फतवे के विरोध पर इनको धमकी मिलने से ( यदि यह सत्य है तो) यह बात तो एक बार फिर साबित हो गई है कि इस्लाम कितना अष्हिष्णु और कमजोर है !
फिरदौस जी यहां तालिवान का वोल-वाला हो चुका है देखा नहीं आपने किस तरह केरल में तालिवानों ने पुलिस चौकी पर हमला कर पुलिवालों को मौत की नींद सुला दिया और जाकर मस्जिद में छुप गए
आपके उपर तालिवान किस तरह हमला कर रहे हैं ये आप अच्छी तरह जानती हैं
सलीम, जमाल जैसे इन शान्ती के धर्म वालों की ऎसे मसलों पर बोलती क्यूँ बन्द हो जाती है....तब ये किस बिल में जा घुसते हैं!
ये नामर्द (जमाल, असलम, सलीम, अयाज, सफत , इदरीसी, जीशान, एजाज) सिर्फ महिलाओं पर ही गुरिया सकते हैं. ये गद्दार जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं. मर्दों का मुकाबला करने का इनमें साहस नहीं.
फिरदौस जी अगर आपने NDTV पर फतवों से मुसलिम महिलाओं को होने वाली परेशानियों पर कार्यक्रम देखा है तो आप समझ गई होगी कि कार्यक्रम कोई भी हो अख्तर जैसों का काम है हिन्दूओं को गाली निकालने का
कार्यमक्रम की समाप्ती की गई हिन्दूओं पर ये आरोप लगाकर कि वो महिलाओं की स्थिति पर हो रही चर्चा से मुसलिम महिलाओं की दयनीय स्थिति जानकर उसका दुरूउपयोग करेंगे।
अखतर जी ने तो गुजरात की घटना को भी इस चर्चा से जोड़ दिया
अन्त में हम इतना ही कहेंगे कि जिस तरह ये आतंकवादियों के मददगार अपनी हर समस्या का दोष हिन्दूओं के सिर डालने की कोशिश करते हैं वही इनकी व इनके जैसों की बर्वादी का कारण बनेगा।
सुनील जी,
हम इंसानियत में यक़ीन रखने वाले हैं...इसलिए हमें काफ़िर कहा जाता है...
सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार ने 'देवबंद' को इतनी छूट ही क्यों दे रखी है कि वह 'हिन्दुस्तानी क़ानून' की धज्जियां उड़ाते हुए 'वाहियात' फ़तवे जारी करता रहता है... क्या देवबंद हिन्दुस्तानी क़ानून से ऊपर है...?
अगर जल्द ही हमारी सरकार ने कोई गंभीर क़दम नहीं उठाया तो हिन्दुस्तान को 'तालिबान' बनने में देर नहीं लगेगी...
हैरत की बात है कि 'कुछ लोग' रहते तो हिन्दुस्तान में हैं... यहीं का अन्न-जल ग्रहण कर ज़िंदा रहते हैं...फिर इसी देश की संस्कृति का अपमान करते हैं... देवी-देवताओं के बारे में अपशब्द बोलते हैं... इस देश के क़ानून को मानने से साफ़ इनकार करते हैं और अरब के 'जंगली क़ानून' के गुण गाते हैं...
एक लड़ाई हिन्दुस्तान की आज़ादी के लिए लड़ी गई थी...अब देश को 'देशद्रोहियों' से मुक्त कराने के लिए एक और संघर्ष की ज़रूरत है...
इसके लिए ज़रूरी है कि देश से 'दो विधान' की व्यवस्था को ख़त्म कर 'समान नागरिक संहिता' लागू की जाए...
जो लोग 'समान नागरिक संहिता' का विरोध करें उन्हें 'तालिबान' भेज दिया जाए... ताकि वो भी सुख से रह लें और इस मुल्क में भी चैन-अमन का माहौल क़ायम रहे...
हम आपसे सहमत हैं।
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