हम वाराणसी से वापस आ रहे थे ।अचानक खबर मिली कि प्लेटफारम नम्मबर 12-13 पर भगदड़ मचने से दो लोगों की मृत्यु हो गई व दर्जनों घायल हो गए। सच कहें तो एसे समाचार सुनकर दिल कराह उठता है सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर भारतीय जो कभी इनसानियत और करूणा के भंडार थे उन्हें आखिर किसकी नजर लग गई ।हर तरफ दंगा-फसाद मार-काट दूसरे के सीने पर चड़कर आगे बढ़ने की होड़।भौतिकवाद इसकदर सिर पर सवार न अपनों की होश ,न भावनाओं की कदर ,न रिस्ते नातों की परवाह न कोई मान न कोई मर्यादा सिर्फ और सिर्फ अपना हित दूसरे जायें भाड़ में।
खैर मूल विषय पर आते हैं कि ये भगदड़ आखिर होती क्यों है?
1)हमारे विचार में इस भगदड़ की जड़ में है असमान विकाश
सरकार किसी भी पार्टी की हो ध्यान सिर्फ शहरों पर मामूली रोजगार कार्यालय से लेकर बड़े से बड़ा कारखाने लगाने के लिए सिर्फ सहरों या फिर कस्वों को चुना जाता है.और तो और खेल के स्टेडियम तक बनाने के लिए भी शहरों को ही प्राथमिरकता दी जाती है।थोड़े शब्दों में कहें तो रोजगार के सब अबसर सिर्फ शहरों तक सीमित कर दिए गए हैं ।गांव की घोर अनदेखी रोजगार के मामले में ।परिणामस्वारूप हर कोई रोजगार के चक्र में शहर की ओर भागा हुआ।
3) जहां गांव में जरूरत है सिंचाई योजनाओं की वहां सरकार दे रही हैं पक्के रास्ते,विवाह घर और समसानघाट जिनका रोजगार से दूर का बास्ता नहीं अब इन मूर्ख नेताओं को कौन समझाये कि अगर गांव को सिंचाई के लिए पानी मिले तो वो फसल उगाकर पैसा खुद कमा लेंगे जब पैसा होगा तो फिर ये सब चीजें वो खुद वनवा लेंगे फिर न लोग शहरों को भागेंगे न भगदड़ होगी ।
2) माननीय सर्वोच न्यायालय ने कितनी वार कहा कि बढ़ती हुई जनशंख्या की बजह से सारी ब्यबस्थायें चरमरा रही हैं बचाब के लिए जनशंख्या निती बनाना जरूरी है पर सुनकता कौन है पहले जनसंघ फिर भाजपा ने मुद्दा उठाया तो उसे सांप्रदायिक करार देकर सेकुलर गद्दारों ने शोर मचा दिया कि ये मुसलमानों के विरूद्ध साजिस है हम कहते हैं इन सेकुलर गद्दारों से कि रेलवे स्टेशन पर जाकर देखें कि क्या इस भगदड़ में सिर्फ हिन्दूओं ने ही नुकशान उठाया है या फिर मुसलमानों ने भी । प्रधानमन्त्री द्वारा ये विभाजनकारी घोषणा करना कि हम मुसलिम बहुल जिलों का विकाश करेंगे क्या जनशंख्या बृद्धि को प्रोतसाहन देने वाला नहीं। क्यों न ये माना जाये कि जनशंख्या बृद्धि से पैदा हो रही सब समसयाओं के लिए ये सेकुलर गद्दार जिम्मेदार हैं जो घर्मनिर्पेक्षता का नारा देकर मुसलामनों और हिन्दूओं की कमजोरियों का फायदा उठाकर देशहित के हर मुद्दे को हिन्दू-मुसलमान के रंग में रंग देते हैं।
3)इस भगदड़ के लिए हम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि हम लोगों ने भी हर प्रकार के अनुशाशन को तोड़ना पर परम कर्तवय मान लिया है। पहले तो सटेशन मासटर को पलेटफार्म बदलने ही नहीं चाहिए थे और अगर बदल भी दिए थे तो हमें भागमभाग मचाने के बजाए आराम से एक स्टेशन से दूसरे सटेशन पर जाना चाहिए था बैसे भी तो हमारी सीटें किसी दूसरे को नहीं मिलने वाली थीं मिल भी जाती तो कछ्ट ही होता न जान तो नहीं जाती।
आओ हम प्रण करें कि हम कभी भी कहीं भी अनुशासन तोड़ने के बजाए कष्ट उठाने को प्राथमिकता देंगे।
आओ हम प्रण करें कि हम सब एक एक चिठी सेना प्रमुख को लिखेंगे देश की वागडोर अपने ङाथ में ले लेने के लिए ताकि भारतीयों को अनुशाशन में रहना सिखाया जा सके व हिन्दू मुसलिम के नाम पर गृहयुद्ध की ओर बड़ते इस देश को बचाया जा सके।
भगदड़ रोकने के उपाय
1) गांव का विकाश कर गांव में रोजगार के अबसर पैदा करना।
2) देश में सैनिक शाशन लगाकर अनुशाशन की आदत डालना
3) कानून को सख्ती से लागू करना जो कि सैनिक शासन के विना सम्भव नहीं
4) खुद अपने व दूसरे की जान-माल की रक्षा की खातिर अनुशाशन में रहना
5) अन्त में आप सबसे एक विनती ये कि अपने किए की जिम्मेदारी हम अपने पर लेना सीखें ।अनुशाशन हम तोड़ें-भगदड़ हम मचायें और दोश पुलिश को दें ये गलत आदत है भई इसे छोड़ना होगा...क्या छोड़ पाओगे ?
2 टिप्पणियां:
पुरानी आदतें इतनी आसानी से नहीं छूट पाती.....
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