धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
रविवार, 9 मई 2010
कबिता....आग का दरिया है डूब के जाना पर हर हाल में अपने प्रियतम को पाना है का बदला स्वारूप
प्यार के वारे में हमारा विचार था कि
Love is slow poison
Poison can take our live
Life is nothing but bunch of emotions
Emotions are meaningless without the emotion of love
हम समझते थे कि प्यार में प्राणी सर्वस्व नयौछाबर करने का दमखम रखता है लेकिन जो स्वारूप आज देखने को मिलता है उसे देखकर मन घबरा जाता है पहले शिमला में होटल में MBA के छात्र ने प्रेमिका का कत्ल शिर्फ संका के आधार पर कर दिया अब प्रियभांशु ने प्रेमिका को गर्भवती कर दगा दे दिया ऐसे कितने ही किस्से हैं जो चीख –चीख कर कह रहे हैं कि इन पढ़े लिखे लोगों ने एक तरह से प्यार में भी मिलाबट कर सैक्स को ही प्यार का नाम दे दिया इन्हीं के लिए हम ये कबिता लिख रहे हैं...
जो Sex को जो प्यार का नाम दे देते हैं वही तो अपनी मासूक को सबकी निगाह में गिराह देते हैं।
मासूक तो आसिक की आन वान शान होती है पर जीवन भर साथ निभाने की बात ही तो Sex को प्यार का नाम देने वालों के जी का जंजाल होती है।।
मासूक तो आसिक की निगाहों में मन तन में सारा जहान होती है पर प्यार को Sex का नाम देने वालों के लिए तो वो सिर्फ शारीरिक शोषण की खान होती है।
मासूक पर आसिक तो जान देते हैं पर प्यार को Sex का नाम देने वाले ही तो उसको शादी का लालच देकर शादी से पहले गर्भवती बनाकर जीते जी मार देते हैं।।
Sex को जो प्यार का नाम देते हैं वही तो भीख को दहेज के नाम से मांग लेते है रिश्पत को सिर्फ लेन देन कहकर चोरबजारी को व्यापार कहकर वेशर्मी से अंजाम दे देते हैं।
हम पूछतें हैं इन प्यार के दुशमनों से कि अगर Sex ही प्यार है तो फिर क्यों न ये प्यार की जगह Sex की बात कर खुद को प्रेमी कहने के बजाए ब्याभिचारी या बलात्कारी कहकर सच्चाई को मान लेते हैं।।
ये वही हैं जो आटे में रेत और भूसा मिला देते हैं मिर्चों में लाल रेत और दालों में पत्थर मिलाकर भोली-भाली जनता को वेवकूफ बना देते हैं ये वही हैं जो Sex को जो प्यार का नाम दे देते हैं।
हल्दी में ये पीला रंग मिलाकर पकड़े जाने पर इसे व्यापार कहकर अपनी झूठी शान बचा लेते हैं। ये वही हैं जो Sex को जो प्यार का नाम दे देते हैं।।
ये वही हैं जो पुलिस में भर्ती होकर भी चोर का साथ देते हैं मीडिया में बैठकर ये आतंकवादियों को हीरो बना देते हैं ।
कुलमिलाकर Sex को जो प्यार का नाम देते हैं वही हर तरह के भ्रष्टाचार को अंजाम दे देते हैं।।
ये वही हैं जो PWD में नौकरी लगने पर सीमेंट निर्माण में लगाने के बजाए बाजार में बेचकर लोगों की जान ले लेते हैं। ये वही हैं जो Sex को जो प्यार का नाम दे देते हैं।
डाक्टर बन कर कमीशन के बदले घटिया दवाई खिलाकर खुद को भगवान मानने वालों को मौत की नींद सुला देते हैं ये वही हैं जो Sex को प्यार का नाम दे देते हैं।।
Sex को जो प्यार का नाम देते हैं वही तो अध्यापक बनकर बच्चों को संस्कृति व आत्मउत्थान की जगह ब्याभिचार और आत्मगलानि का पाठ पढ़ा देते हैं।
Sex को जो प्यार का नाम देते हैं वही तो चंद टुकड़ों के बदले देश के दुशमनों के हाथों बिककर अपने हमवतनों को मौत की नींद सुला देते हैं।।
Sex को जो प्यार का नाम देते हैं वही तो जिन्दगीभर मां-बाप की सेवा की जगह मां-बाप को वृद्धा आश्रम में छोड़कर Mother Day और Father Day की नई रीत चलाकर अपनी मक्कारी छुपा लेते हैं।
ये वही हैं Sex को जो प्यार का नाम देकर बिनब्याही को मां बनाकर उसे जीते जी मार देते हैं।।
ये वही हैं जो लूट-खसूट का पाठ लेन-देन के नाम से।
भीख का पाठ दहेज के नाम से।।
देशद्रोह का पाठ मजबूरी व गरीबी के नाम से।।।
शिक्षा के बहाने पढ़ा देते हैं ।।।।
ये वही हैं जो Sex को प्यार का नाम देकर बिनब्याही को मां बनाकर उसे जीते जी मार देते हैं।
ये वही हैं जो देशद्रोह को धर्मनिर्पेक्षता का नाम देकर देश में गद्दारी की एक नई रीत चला देते हैं ये वही हैं जो Sex को जो प्यार का नाम दे देते हैं।।
आओ मिलकर इन इन मक्कारों का पर्दाफाश कर प्यार को प्यार ही रखकर फिर से प्यार की प्यारी सी रीत को बहाल इन Sex को प्यार का नाम देने वाले मानबता के इन शत्रुओं का शमूल नास करें
आग का दरिया है डूब के जाना पर हर हाल में अपने प्रियतम को तडपाना है...
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1 टिप्पणी:
जिनके लिए लिखा है वो शायद ब्लॉग लिखते/पढ़ते नहीं होंगे और जो ब्लॉग लिख/पढ़ रहे है वो शायद ये सब नहीं करते होंगे.....
अब....?
कुंवर जी,
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