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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

शनिवार, 8 मई 2010

गद्दारी में हिन्दू-मुसलिम-इसाई का मिटता फर्क यह कहने को मजबूर करता है कि भारतविरोधी को उसके कर्म से पहचानो सांप्रदाय से नहीं।

जबसे फोन टैपिंग का समाचार आया है तब से बहुत से लोग हाय-तौवा मचा रहे हैं ।हमारी राय में सुरक्षा बलों को भारत में रहने वाले हर ब्यक्ति का फोन टैप करने का अधिकार होना चाहिए।क्योंकि देश में सेकुलर गिरोह ने गद्दारों की एक ऐसी भीड़ खड़ी कर दी है जिसके रहते देश को सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है। बेशक आज देश में सेकुलर गिरोह की सरकार है लेकिन फोन टैपिंग देशभक्त सरकार के आने पर गद्दारों के लाईब फर्दाफास का एक बढ़ा हथियार बन सकता है। वेशक फोन टैपिंग निजी जिंदगी को खतरे में डालती है पर निजी जिन्दगी तभी है जब तक देश है अगर देश नहीं तो क्या निजी जिन्दगी ।विस्वास नहीं होता तो देख लो अफगानीस्तान-बंगलादेश के हालात।
अगर हम उन नेताओं की बात करें जिनके फोन नियन्त्रित किए गय तो आप देखेंगे कि इनमें से अधिकतर संदिगध है।सीता राम यचुरी माओवादी आतंकवादियों का ठेकेदार।मुलायम सिंह यादब पाक समर्थक आतंकवादियों का ठेकेदार।दिगविजय सिंह माओवादी व पाक समर्थक दोनों तरह के आतंकवादियों का ठेकेदार। सतीस कुमार की पार्टी का रूख भी माओवादी आतंकवादियों के मामले मे संदेह के घेरे में है।शिवानन्द तिवारी ने तो खुलकर माओवादी आतंकवादियों का समर्थन तक कर दिया था।
हमारे विचार में किसी भी देसभक्त को दूरभाष नियन्त्र से परेसानी नहीं हो सकती है।हां इस बात पर जरूर मतभेद जरूर हो सकते हैं कि फोन नियन्त्रण का अधिकार किसके पास रहना चाहिए । हमारी पक्की राय है कि फोन नियन्त्रण का अधिरकार हर हालात में भारतीय सेना के पास ही रहना चाहिए। सेना के पास यह अधिकार होने से किसी को की परेसानी क्यों हो सकती है क्योंकि देश के किसी भी हिस्से में अशांति का सामना करने के लिए सैनिक ही तो निकलते हैं इसलिए वो कभी नहीं चाहेंगे कि देश की सीमा के भीतर कोई गद्दार जिंदा रहे।नेताओं का क्या भरोसा कब कीसी और एंटोनिया को देश में लाकर उस विषकन्या के सामने सारे राज उगल दें। फोन टैपिंग का समाचार आते ही कुछ लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया है कि मुसलमानों के फोन नियन्त्रित हो रहे हैं ।क्यों भाई क्या मुसलमानों को गद्दारी की खूली छूट मिलनी चाहिए।आतंकवाद के विरूद्ध जैसे ही किसी कानून की बात आती है तो शोर मचा दिया जाता है कि ये कानून मुसलमानों के विरूद्ध है अरे भई आप ये क्यों मानते हो कि सबके सब गद्दार मुसलमान ही हैं क्या राहुल भट,दिगविजय सिंह ,अमर सिंह,संजय दत्त मुसलमान हैं ?अपनी सोच को दुरूस्त करो ।गद्दार को उसके कर्म से पहचानो सांप्रदाय से नहीं।


7 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

मैं आपके इस सोच में आपके साथ हूँ /

... ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
... ने कहा…

महोदय
चित्र बदल दिया है.
एक सा-----ला एम एफ हुसैन है, जो हमेशा हिन्दू देवियों का अपमान करता है. नीच जमाल, उसके चेले असलम, अयाज, इदरीसी, सलीम व केरान्वी सदैव हिन्दुओं के विरुष विष वामन करते हैं.

Unknown ने कहा…

हम भी चाहते हैं कि कोई इन जानवरों के कुकृत्यों का जबाब इनकी भाषा में दे लेकिन हमने पाया कि एक भी हिन्दू उस सतर तक नहीं गिर पाया जिस सतर तक ये गिरे हुए हैं क्योंकि जानवर को जबाब जानबर बनकर ही दिया जा सकता है हमने भी कोशिस की लेकिन जल्दी ही हमें एहसास हो गया कि इनके सतर तक गिरना हमारे बस की बात नहीं ।इनको निपटाने के दूसरे रास्तों पर गौर कर अमल करने की जरूरत है।
एक रास्ता हमने बताया था बहिसकार का लेकिन उसपर भी हमारे साथी अमल नहीं कर पाये।हमारी समस्या की जड़ ये नहीं बल्कि सतीश सक्सेना जैसे हिन्दू हैं जो इन जानवरों के कुकृत्यों को सार्थकता प्रदान करते हैं इनसे सीधा बार्तालाप कर ।हमारे विचार में बार्तालाप उनसे हो सकता है जो तर्कपूर्ण बात करते हैं तर्कहीन बातकरने वालों से आप क्या बात करेंगे? बस इतनी छोटी सी बात अगर अपने बढ़े भाई सतीस सक्सेना जैसे हिन्दूओं को समझ आ जाये तो ये जानवर अपने आप खत्म हो जायेंगे

पंकज कुमार झा. ने कहा…

HTF साहब ने सही कहा है....हम उस स्तर तक गिर ही नहीं पायेंगे....अभी मुझे फार्मूला फिल्म चाइना गेट का सस्ता लेकिन धाँसू संवाद याद आ रहा है.....उनसे लड़ने का ज़ज्बा तो ले आओगे...'कमीनापन'कहाँ से लाओगे?
पंकज झा.

बेनामी ने कहा…

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बेनामी ने कहा…

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