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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

बुधवार, 19 मई 2010

आओ जरा समझने की कोशिश करें कि 2G Spectrums के आवंटन में धांधली के आरोप लगाने वाले सुरेस चिपलनूकर जी कितने सही कितने गलत?(धैर्य व वक्त है सच्चाई को सुनने समझने का तभी कलिक करें)


अभी कुछ दिन पहले सुरेशचिपलूनकर जी ने 2G Spectrums आबंटन में सेकुलर सराकर के मन्त्री A Raja द्वारा की गई धांधलियों पर खोजी पत्रकारिता का साकारातमक रूप पेश करते हुए तीन लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित की थी।आज जब सरकार ने 3G Spectrums की निलामी की तो सरकार को 70000 करोड़ रूपये प्राप्त हुए जबकि इससे कई गुना बड़े 2G Spectrums को मात्र 1700 करोड़ रूपये में अपने चहेतों के हबाले कर दिया गया । मामला बिलकुल साफ है कि 2G Spectrums के आबंटन के मामले में सारी सेकुलर सरकार में सामिल लोगों ने लगभग देश के 50000 करोड़ रूपये अपनी तिजोरियों में भर लिए। बात अब बस इतनी सी रह जाती है कि किसके हिस्से में कितने आये।क्या इसका कोई हिस्सा गद्दारों की सरदार(अधिक जानकारी के लिए पोस्ट—क्या बलागजगत आतंकवादियों व उनके समर्थकों से भरा पड़ा... पढ़ें जी) व उसके खासमखास गद्दार दिगविजय सिंह को भी मिला या नहीं? प्रधानमन्त्री मनमोहनखान के हिस्से में कितना आया(अधिक जानकारी के लिए प्रधानमन्त्री मनमोहनखान की साऊदीअरब यात्रा पढ़ें जी)क्योंकि विना उचसतर के सहयोग के जनता का 50000 करोड़ रूपये डकारना आसान नहीं। इसी मामले में कोर्ट ने सरकार को जलील करने वाली ऐसी टिप्पणी की थी कि कोई भी इमानदार प्रधानमन्त्री ऐसे भ्रष्ट मन्त्री को उस टिपणी के वाद एक मिनट में डराप कर देता जूकि इस भ्रष्ट प्रधानमन्त्री ने अब तक इस डकैत को अपनी कैविनेट में जगह दी हुई है ताकि ये सरकार के भ्रष्ट तत्वों की जेवें भरता रहे।अन्त में इतना ही कहना पड़ेगा कि सुरेस चिपलूनकर जी की बात सोलह आने सही सावित हुई।ये तो हुई सेकुलर गिरोह के देश को अर्थिक रूप से तवाह करने के षडयन्त्रों की।अब हम आपको बता रहे हैं सेकुलर गिरोह के आतंकवाद समर्थक महाषडयन्त्रों की। कृपया एक वार ध्यान से पढ़ कर समझने की कोशिश करें जी आपकी बड़ी मेहरवानी व भला होगा क्योंकि ये देश के उपर सबसे बड़ा हमला है इस चक्रबयूह को तोड़ना आसान नहीं पर तोड़ने की कोशिस तभी हो पायेगी जब हमें इसकी समझ होगी।






वैसे तो सारे संसार में मुस्लिम और गैरमुस्लिम की इस लड़ाई में दो चरण होते हैं एक दारूल हरब और दूसरा दारूल इस्लाम । दारूल हरब में गैरमुस्लिमों की सरकार होती है जिसे मुसलमान अपनी सरकार नहीं मानते व देशभक्ति से जुड़े हर कदम-हर कानून का विरोध करते हैं। सब मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाते हैं। ज्यादा बच्चे पैदा करने का वचन लेते हैं । गैरमुस्लिमों की बेटियों को भगाते हैं । इस जिहाद के आगे बढ़ाने के लिए गैरमुस्लिमों पर हमला बोल देते हैं । साथ ही इनका जो मुस्लिम नेतृत्व होता है वो बहुसंख्यकों की प्रतिक्रिया से बचने के लिए व मुस्लिम देशों का सहयोग लेने के लिए मुस्लिमों पर हो रहे काल्पनिक अत्याचार, मुस्लिमों के पिछड़ेपन का दुष्प्रचार करता है। कुरान और शरियत का बहाना लेकर मुसलमानों को उस देश की मुख्यधारा में शामिल होने से रोकता हैं। ये तब तक चलता है जब तक मुस्लिमों की आबादी बहुसंख्यकों को धूल चटाने के काबिल नहीं हो जाती है जैसे ही ये स्थिति आती है अन्तिम हमला शुरू हो जाता है। इस दारूल हरब को दारूल इस्लाम बनाकर गैर मुस्लिमों का सफाया कर दिया जाता है । एक मुस्लिम राष्ट्र अस्तित्व में आ जाता है धीरे-धीरे गैर मुस्लिमों की हर निशानी को मिटा दिया जाता है । जैसे अफगानीस्तान में हिन्दुओं की लगभग हर निशानी मिटा दी गई।वेमियान में बौध मूर्तियों को तोड़ा जाना इसकी अंतिम कड़ी थी । पाकिस्तान,बांगलादेश में भी हिन्दुओं और हिन्दुओं से जुड़ी हर निशानी को मिटाने का काम अपने अंतिम दौर में है।


परन्तु भारत में जिहाद की प्रक्रिया तीन चरणों में थोड़े से अलग तरीके से पूरी होती है पहले चरण में मुसलमान हिन्दुओं की पूजा पद्धति पर सवाल उठाते हैं ।कभी-कभी धार्मिक आयोजनों पर हमला बोलते हैं ।अल्पसंख्यक होने की दुहाई देकर अपनी इस्लामिक पहचान बनाये रखने पर जोर देते हैं । अपने आप को राष्ट्र की मुख्यधारा से दूर रखते हैं धीरे-धीरे हिन्दुओं के त्योहारों पर व अन्य मौकों पर तरह-तरह के बहाने लेकर हमला करते हैं। हमला करते वक्त इनको पता होता है कि मार पड़ेगी पर फिर भी जिहाद की योजना के अनुसार ये हमला करते हैं। परिणामस्वरूप मार पड़ने पर मुसलमानों पर हो रही ज्यादतियों व अपने द्वारा किए गये हमले को हिन्दुओं द्वारा किया गया हमला बताकर मुस्लिम देशों में प्रचार करते हैं । अधिक से अधिक बच्चे पैदा करते हैं। बच्चों को स्कूल के बजाए मस्जिदों व मदरसों में शिक्षा की जगह जिहाद पढ़ाते हैं। फिर अपनी गरीबी का रोना रोते हैं । सरकार व विदेशों से आर्थिक सहायता पाना शुरू करते हैं फिर जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जाती है, इनकी आवाज अलगावादी होती जाती है ।अपने द्वारा किए गये हमलों के परिणामस्वरूप मारे गये जिहादियों को आम मुसलमान बताकर जिहाद को तीखा करते हैं। इस बीच मदरसों-मस्जिदों व घरों में अवैध हथियार गोला बारूद इकट्ठा करते रहते हैं कुछ क्षेत्रों में बम्ब विस्फोट करते हैं प्रतिक्रिया होती है फिर अल्पसंख्कों पर अत्याचार का रोना रोया जाता है ।


दूसरे चरण में इस्लाम की रक्षा व प्रचार प्रसार के नाम पर सैंकड़ों मुस्लिम संगठन((जैसे इसलामिक रिलीफ आर्गनीजेशन,इस्लामिक मूबमैंट,लस्कर-ए- तोयवा,जैस-ए-मुहम्मद,तहरीक-ए-फुरकान,अल बदर,जमीयत-अल-मुजाहीदीन,अलकायदा,हरकत-उल-मुजाहीदीन,अल कायदा,देबबन्द, हरकत-उल-अंसार, हरकत-उल-जेहादे-इसलामी,हिज्ब-ल मुजाहीदीन,जम्मू एंड कसमीर इसलामिक फ्रंट,सिमी,दीनदार अंजुमन,अल्हा टायरस,हुरियत कानफ्रैंर्स, सिमी....सूची बहुत लम्बी है) सामने आ जाते हैं। हिन्दुविरोधी नेताओं, लेखकों व प्रचार-प्रसार के साधनों को खरीदा जाता है। उन्हें उन हिन्दुओं के साथ एकजुट किया जाता है, जो हिन्दुत्व को अपने स्वार्थ के रास्ते में रूकावट के रूप में देखते हैं। इस सब को नाम दिया जाता है, धर्मनिर्पेक्षता का मकसद बताया जाता है अल्पसंख्यकों की रक्षा का। इस बीच हिन्दुओं पर हमले तेज हो जाते हैं जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्ब विस्फोट हिन्दुओं के त्योहारों के आस पास या त्योहारों पर कर दहशत फैलाई जाती है ।


जब हिन्दूसमाज में क्रोध पैदा होने लगता है तो फिर धर्मनिर्पेक्षतावादियों व जिहादियों के गिरोह द्वारा मुसलमानों को अनपढ़ ,गरीब व हिन्दुओं द्वारा किए गये अत्याचारों का सताया हुआ बताकर धमाकों में मारे गये हिन्दुओं के कत्ल को सही ठहराया जाता है । हिन्दुओं के कत्ल का दोष हिन्दुओं पर ही डालने का षडयन्त्र रचा जाता है।


मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों व उनके समर्थकों द्वारा रचे गये इस षड्यन्त्र के विरूद्ध हिन्दुओं को सचेत करने वालों व इन जिहादी हमलों के विरूद्ध खड़े होने वालों पर सांप्रदायिक कहकर हमला बोला जाता है । जिहादियों द्वारा फिर हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में हमले किए जाते हैं हिन्दू कहीं एकजुट होकर जिहादियों व इन के समर्थकों का सफाया न कर दें इसलिए बीच-बीच में हिन्दुओं को जाति,भाषा,क्षेत्र के आधार पर लड़ाए जाने का षड्यन्त्र रचा जाता है।


साथ में जिहादियों के तर्कों को अल्पसंख्यकवाद के नाम पर हिन्दुओं के मूल अधिकारों पर कैंची चलाकर मुसलमानों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं। फिर जिहादियों द्वारा जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्बविस्फोट किये जाते हैं। फिर हिन्दुओं द्वारा इन हमलों के विरूद्ध आवाज उठाई जाती है। फिर आवाज उठाने वालों को सांप्रदायिक बताकर जागरूक हिन्दुओं को चिढ़ाया जाता है व बेसमझ हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिए एक आधा मस्जिद के आस पास इस तरह बम्ब विस्फोट करवाकर हिन्दुओं में दो तरह का भ्रम पैदा किया जाता है। कि हमले सिर्फ मन्दिरों पर नहीं हो रहें हैं मस्जिदों पर भी हो रहे हैं दूसरा ये हमला हिन्दुओं ने किया है हिन्दू फिर छलावे में आ जाते हैं अपने-अपने काम में लग पड़ते हैं। ये धरमनिर्पेक्षों व जिहादियों का गिरोह साँप्रदायिक दंगों को रोकने के बहाने जिहादियों की रक्षा करने के नये-नये उपाय ढूँढता हैं। प्रायोजित कार्यक्रम कर हिन्दुओं की रक्षा में लगे संगठनों को बदनाम करने की कोशिश की जाती है। फिर जिहादियों द्वारा हिन्दुबहुल क्षेत्रों में हमले किए जाते हैं फिर इन हमलों को न्यायोचित ठहराने के लिए ये गिरोह जी जान लगा देता है फिर नये-नये बिके हुए गद्दार समाजिक कार्यकर्ता हिन्दुओं पर हमला बोलते हैं ये कार्यक्रम चलता रहता है जिहाद आगे बढ़ता रहता है ..........


फिर आता है तृतीय चरण जिसमें जिहादी और आम मुसलमान में फर्क खत्म हो जाता है । हिन्दुओं को हलाल कर, हिन्दुओं की मां बहन बेटी की आबरू लूटकर , हिन्दुओं को डराकर भगाकर जिहादियों द्वारा चिन्हित क्षेत्र को हिन्दुविहीन कर उसे बाकी देश से अलग होने का मात्र ऐलान बाकी रह जाता है। ध्यान रहे इस अन्तिम दौर में हलाल होने वाले वो हिन्दू होते हैं जो हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दुओं के कत्ल के वक्त जिहादियों का हर वक्त साथ देते हैं या ऐसे काम करते हैं जो जिहाद को आगे बढ़ाने मे सहायक होते हैं ।







7 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत शोधपरक और उम्दा जानकारीं दी है आपने, , आप अपने अभियान में यूं ही लगे रहिए ।

संजय बेंगाणी ने कहा…

हम्म

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

सही कहा लेकिन सोते को जगाया जा सकता है परन्तु आन्ख बंद करे को कौन जगाये . आज हिन्दु आन्ख मुन्दे पडा है

Unknown ने कहा…

न जाने हमें क्यों लग रहा है कि अब हिन्दू ने अपनी आंखे खोल दी हैं अब सिर्फ मामला उसकी आंखों के सामने सही तसवीर रखने का है इसलिए हम रखने का प्रयास कर रहे हैं
फिर भी नहीं चेते तो हश्र यहूदियों जैसा होग शायद तब चेंते पर फिर कोई फायदा नहीं होगा
कहा भी है तब पछताये होत क्या जब आतंकवादी उजाड़ गए देश

Unknown ने कहा…

हां हम सबको यह समझना चाहिए कि ये गुलामी की मानसिकता 1000 बर्ष की यातनाओं का परिणाम है इसे ठीक करने के लिए हम में से कुछ को दिन रात मेहनत करनी होगी हिन्दू को एहसास करवाने के लिए कि हिन्दू आज है

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

इस प्रक्रिया में हिंदु ही हिंदु की पीठ में छुरा भोकता है बुद्धिजीवी बनकर

Unknown ने कहा…

सभी हिंदू भाइयो से गुजारिश है कि वह लोग इस बात को समझ ले की जो आतंकवादी है वो मुस्लमान नहीं होसकता और जो मुस्लमान है वो आतंकवादी नही हो सकता इस्लाम तो शांति और मानवता प्यार वाला धर्म है । इस धर्म में नमाज़ के लिए जो पहले पानी से हाथ पैर मुँह धोकर वज़ू किया जाता है उसमें ब्यर्थ पानी बहाने की इजाजत नही है तो खून बहाने की बात कैसे स्वीकारी जा सकती है ।असल में आज जो भी आतंकबाद फैला है वो कुछ यहूदियो और ईसाइयो की देंन जो पैसे के दम पर कुछ मुसलमानो को उनके असल रस्ते से हटा कर जिहाद की ओर मोड़ देते है और मुसलमानो को आपस में लड़वाते हैं ।ज़रा सोचिए कि अगर आतंकवादी सच्चे पक्के मुस्लमान होते तो पाकिस्तान के आर्मी स्कूल पर हमला कियू करते सीरिया बग़दाद अफगानिस्तान लीबिया मिस्र पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों में ये हराम के पिल्लै हमला करके भोले भाले मुसलमानो को ही निशाना कियू बनाते ।आप देखते होंगे कि मुस्लमान ही अधिक मरता है चाल ही ऐसी है कि मरने और मारने वाला मुस्लमान ही होता है।मेरे भाइयो हो सकता है कि मेरी बात से आप सहमत न हो मगर इतना ज़रूर बता दीजिए की अजमेर देवा कलियर जो सूफी संतों की दरगाहें है उनपर मुसलमानो से अधिक आज भी हिन्दू भाई ही जाते हैं और उनको वहां से उतना ही मिलता है जितना मुसलमानो को मिलता है भाइयो आज ज़रुरत है कि हम मिलकर आतंक से लड़े न की आपस में लड़ने लगें 9027309160 मेरा no है किसी भी भाई को कुछ कहना हो व्हाट्स पे अपनी बात रख कर क्लीयर कर सकता है