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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

शनिवार, 3 अप्रैल 2010

भारतीय की जान की कीमत

भारतीय की जान की कीमत



(बाल-बुद्धि भारतियों पर कवि का कटाक्ष)






अरे - समझौता गाड़ी की मौतों पर - क्या आंसू बहाना था


उनको तो - पाकिस्तान नाम के जहन्नुम में ही - जाना था


मरने ही जा रहे थे - लाहौर, करांची - या पेशावर में मरते


और उनके मरने पर - ये नेता - हमारा पैसा तो ना खर्च करते






और तुम - भारतियों, टट्पुंजियों - कहते हो हैं हम हिंदुस्थानी


जब हिसाब किया - तो निकला तुम्हारा ख़ून - बिलकुल पानी


औकात की ना बात करो - दुनिया में तुम्हारी औकात है क्या - खाक


वो समझौता में मरे तो १० लाख - तुम मुंबई में मरो तो सिर्फ ५ लाख






तुम से तो वो अनपढ़, जाहिल, इंसानियत के दुश्मन, ही अच्छे


देखो कैसे बन बैठे हैं - बिके हुए सिक यू लायर मीडिया के प्यारे बच्चे


उनके वहां मिलिटरी है - इसलिए - यहाँ आ के वोट दे जाते हैं


डेमोक्रेसी के झूठे खेल में - तुम पर ऐसे भारी पड़ जाते हैं






जाग जा - अब तो जाग जा ऐ भारत - अब ऐसे क्यूँ सोता है


वो मार दें - और तू मर जाये - लगता ऐसा ये "समझौता" है


प्रियजनों की मौत पर - फूट फूट रोवोगे - वोट नहीं क्या अब भी दोगे


लानत है - ख़ून ना खौले जिस समाज का - वो सज़ा सदा ऐसी ही भोगे






पांच साल में - आधा घंटा तो - वोट के लिए निकाला कर


विदेशियों के वोटों से जीतने वालों का तो मुंह काला कर


सब चोर लगें - तो उसमे से - तू अपने चोर का साथ दे दे


अपना तो अपना ही होता है - परायों को तू मात दे दे






बुद्धिमान है तू - अब अपनी बुद्धि से काम लिया कर


वोट दे कर अपनों को - वन्दे मातरम का उद्घोष कर


आक्रमणकारियों के दलालों का राज - समूल समाप्त कर


ऐ भारत - तू उठ खड़ा हो - निद्रा, तन्द्रा को त्याग कर






अपने भारतीय होने पर - दृढ़ता से अभिमान कर


कुछ तो कर - कुछ तो कर - अरे अब तो कुछ कर






रचयिता : धर्मेश शर्मासंशोधन,
संपादन : आनंद जी. शर्मा 

1 टिप्पणी:

aarya ने कहा…

सादर वन्दे!
वर्त्तमान की यही सच्चाई है
रत्नेश