धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
रविवार, 4 अप्रैल 2010
ये संघी क्यों लगाते हैं साम्प्रदायिक आग
Diwakar Maniwrote:
यह लेख( सांप्रदायिक दंगो पर मुंह खोलने से पहले....) पूरी तरह से एक आहत हिंदू मन की व्यथा को प्रतिबिंबित करता है. ये जितनी भी घटनाएं हैं, इसके पीछे शर्मनिरपेक्ष सरकार, मीडिया इत्यादि का तो हाथ हैं ही, इसमें हम हिंदुओं के अंदर व्याप्त हो गई हजारों सालों की कायरता भी है. "वीर भोग्या वसुंधरा" अर्थात् जमीन पर राज वीर ही करते हैं, और हमारे कौम के अधिकांश जनों का खून अब पानी बन गया है. देश-समाज, अपनी कौम के अन्य लोगों, स्थलों के साथ कुछ भी हो, हमें तो बस अपनी चिन्ता है. वहीं ये जिहादी कौम वाले डॆनमार्क, फिलीस्तीन, तुर्की में हुई घटना से भारत को हिला देते हैं. कुछ इसी तरह की बातों/घटनाओं को लेकर, जब गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ था, और गोधरा में स्वयंसेवकों को जिन्दा जला दिया गया था, मैंने यह कविता लिखी थी-
उन्होनें कहा- लादेन मरे या बुश, हम दोनों में खुश.
फिर जोड़ा- ना लादेन मरे ना बुश, लगे दोनों पर अंकुश.
उनकी बातें सुनकर पूछा मैनें उनसे
लादेन और बुश की हो रही है लड़ाई
उसमें हिन्दूओं की क्यों हो रही है कुटाई ?
आपके पास क्या है इसका जवाब ?
उन्होनें उत्तर दिया-
सरासर गलती तो हिन्दूओं की हीं है.
क्यों वह समर्थन सच्चाई का कर रहे हैं ?
तब मैनें पूछा- हे जनाब !
उन निहथ्थे रामसेवकों का दोष क्या था,
जो जला दिये गये साबरमती की बोगियों में?
मेरी बात सुनकर रहा न गया उनसे
तमतमा गया चेहरा उनका
बोले,
क्या बात करते हो यार !
क्यों गये थे अयोध्या में होकर तैयार ?
वो जले तो ठीक हीं जले,
मरे तो ठीक हीं मरे.
यदि कोई हिन्दू मरा तो समझो कि उसने जरूर कोई गलती की होगी.
आखिर इस धर्मनिरपेक्ष देश में,
क्या उनको यह भी नहीं है अधिकार
कि वो मार सकें काफिरों को बार-बार?
वे तो अपने धर्म पर हैं अडिग.
उनका तो धर्म कहता है-
जो तेरी राह में हो पड़े,
उन्हे मारकर बनो तगड़े (गाज़ी).
उन्होनें तो केवल अपना काम किया
नाहक हीं उनको तुमने बदनाम किया.
जरा-सा रूक कर पूछा उन्होनें मुझसे-
बताओ श्रीमान् !
ये संघी क्यों लगाते हैं साम्प्रदायिक आग,
हिन्दूओं को ये क्यों भड़काते हैं
क्यों उन्हें जागृति का पाठ पढ़ाते हैं ?
ये तो सो रहे थे, नाहक हीं उन्हे जगा दिया.
अरे ! हिन्दूओं का तो काम ही है सहना
और बार-बार मरना.
ये लोग भी कोई लोग हैं,
आज मर-कट रहे हैं तो हो रहा है हल्ला.
इतना सुनकर रहा न गया मुझसे
मैनें कहा-
धन्य हो मेरे भाई
तुम्हारे रहते अन्य कौन बन सकता है कसाई.
हमें मारने के लिये तो आप जैसे धर्मनिरपेक्ष हीं काफी हैं.
अब वह दिन दूर नहीं,
जब आप जैसों के अनथक प्रयास से
ये अपाहिज-कायर हिन्दू मिट जायेंगे जहाँ से
मैं तो बेकार हीं कोस रहा था आपके प्यारों को
अरे ! आपके सामने उनकी क्या औकात है ?
ये सब घटनायें तो आप जैसों की सौगात है
यह प्रतिक्रिया सच्चाई ब्यान कर गई
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3 टिप्पणियां:
bhaai hm hindustaani hen kuch araajkta felaane vaali taaqton se hmrn haar kr nhin bethnaa hen bure hmaare men bhi hen bure tumhaare men bhi hen lekin jo hmaare tumhaare achche log bche hen aaj isiliyen hm vishv ki sbse bdi taaqt bnte jaarhe hen so plz. niraash na hon alkh jgaate rho saare kaante dhire dhire nikl jaayenge fir chaahe voh kaante hmaare hon ya tumhaare hon sbhi kaante or zwhr ko hmen nikaalna he
जिस दिन हिन्दू मुसलमानों की तरह हिंसक बन जायेंगे उस दिन हमें उन्हें जगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि हिन्दूओं के आगे ठहरने की औकात इन कायर डरपोक मुसलिम आतंकवादियों की नहीं । आपको हिन्दूओं को मुसमानों जैसा बताने से पहले अपने मन से प्रश्न पूछना चाहिए कि दंगे सिर्फ उन क्षेत्रों में क्यों होते हैं जहां मुसलमानों की बड़ी संख्या है वहां क्यों नहीं होते जहां मुसलमान कम संखया में हैं ।आपको यह भी सोचना चाहिए कि मुसमानों द्वारा बम्म विस्फोट सिर्फ हिन्दू बहुल क्षेत्रों में क्यों किए जाते हैं ?
पहली बार इस ब्लॉग पर आया हूँ.. कुछ भी पढ़ने में बेहद कठिनाई हो रही है, सो बिना पढ़े ही जा रहा हूँ.. अगर आप सामान्य फोंट और फोंट कलर का प्रयोग करेंगे तो पाठकों को पढ़ने में सुविधा होगी.. :)
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