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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

मां का दूध पिया है गद्दारो ; तो खुलकर सामने आओ

अब वक्त आ गया है कि मिडीया से जुड़े लोग खासकर समाचार चैनलों व समाचार पत्रों से जुड़े लोग अपनी व अपने मालिकों की राष्ट्रीयता जनता के सामने रखें साथ ही इनमें से जो लोग भारत की नागरिकता रखते हैं वो ये भी सपष्ट करें कि उनकी बफादारी किसके प्रति है भारत या भारत के शत्रुओं के प्रति।

माओबादी आतंकवादियों के हमले में शहीद हुए 76 जवानों की की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है कि समाचार चैनलों ने सुरक्षाबलों पर मनघड़ंत आरोप लगाकर माओवादी आतंकवादियों का हौसला बढ़ाने की कोशिस सुरू कर दी है।इन चैनलों पर माओवादियों के लिए आतंकवादी के बजाए क्रांतिकारी कहा जा रहा है।समाचारों को इस तरह से पेश किया जा रहा है मानो ये चैनल भारत के ना होकर चीन के हों जो चीन के प्रति बफादार माओवादियों द्वारा भारत के प्रति बफादार सैनिकों पर हमलों से खुश हों। ये चैनल काफी समय से आतंकवादियों के अनुकूल महौल बनाने का सफल प्रयत्न कर रहे हैं। जब भी ये आतंकवादी देश की अस्मिता पर हमला वालते हैं ये चैनल माओवादियों के समर्थकों को अपने कार्यक्रमों में बुलाकर उनके द्वारा सेना,पुलिस व अर्धसैनिक वलों पर मनघडंत आरोप लगवाते हैं।जैसे ही पैनल में बैठा कोई देशभक्त ब्यक्ति इन आतंकवादियों के समर्थकों के द्वारा सुरक्षावलों को बदनाम करने के लिए लगाए गय आरोपों को नकारने की कोशिश करता है बैसे ही इन चैनलों के एंकर वीच में हस्तक्षेप करके उसे रोक देते हैं।कुलमिलाकर न चैनलों पर देशभक्त लोगों को अपनी बात ठीक से रखने का मौका नहीं दिया जाता व आतंकवादियों के समर्थकों की बात को सर्वोपरि रखने की कोशिस एक योजना के तहत इन चैनलों द्वारा की जाती।

06/04/10 को IBN7 ने अपने यहां एक ऐसे माओवादी आतंकवादी(निलाप) को वुलाया जिसने अपने साथी आतंकवादियों द्वारा जवानों पर किए गय हमले की निंदा तक करने से मना कर दिया व इस आतंकवादी ने भारत सरकार व सुरक्षा वलों पर अधारहीन आरोप लगाकर बनवासियों को देश के विरूद्ध भड़काने की कोशिश की।इस घटना के साक्षी चन्दन मिश्रा जी और मनीष तिवारी जी हैं। भारत विरोध के सौकीन आशुतोष राणा ने इस कार्यक्रम में एंकर की भूमिका निभाई।

07/04/10 को NDTV ने एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें ऐसे काल्पनिक आरोप लगाय गए जो भारत के अर्घसैनिक बलों तो क्या भारतीय संस्कृति में विस्वास रखने वाले किसी गुण्डे मवाली पर भी नहीं लगाए जा सकते हैं।कुलमिलाकर इल कार्यक्रम में भी वनवासियों को सुरक्षावलों के विरद्ध भड़काने की कोशिस की गई। इन आरोपों को लिखना भी हमारे हिसाब से गैर कानूनी होना चाहिए। इन आरोंपों के साक्षी भूतपूर्व गृह राज्यमन्त्री श्री जायसवाल जी हैं जो इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।इस कार्यक्रम की करिग इस तरह के आरोप लगवाने के शौकीन अभिज्ञान प्रकाश ने की।

हमारे विचार में अगर सरकार सच में हिंसा बढ़ाए विना आतंकवाद को खत्म करना चाहती है तो उसे इन अभियानों व सुरक्षाबलों से सबन्धित किसी भी तरह के कार्यक्रमों पर रोक लगा देनी चाहिए व जो चैनल लगातार आतंकवादियों के पक्ष में महौल वनाने की कोशिश कर रहे हैं उन पर प्रतिबन्ध लगाकर ऐसे एंकरस को जेल में डाल देना चाहिए ताकि भारत विरोधी ऐसे गद्दार एंकरों की फौज त्यार न हो सके ।

हमारे प्यारे बलागरस आप लोगों की परीक्षा सुरू हो चुकी है क्योंकि बहुत से गद्दार मिडीया कर्मी, दानवाधिकारकार्यकरता, विके हुए लेखक,लेखकों के वेश में छुपे आतंकवादी व उनके समर्थक आपके वीच में घुश चुके हैं ।इसलिए आपको साबधान रहने की जरूरत है कि जिस तरह मिडीया जनता की निगाह में देशविरोधी वन चुका है उसी तरह कहीं बलागर जगत भी बदनाम न हो जाए। देशविरोधियों की पहचान के कुछ विन्दू

 अक्सर सुरक्षावलों पर मनघड़ंत व झूठे आरोप लगाना

 आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति जताना

 आतंकवादियों के भारतविरोधी कुकर्मों को सही ठहराने का दुस्साहस करना

 वामपंथी आतंकवादियों को गरीवों का मसीहा बतान----मूर्ख से मूर्ख आदमी भी जानता है कि सड़कों,पुलों,रेलों व सरकारी स्कूलों का उपयोग सिर्फ गरीब ही करते हैं इनमें बढ़े नेताओं या बयापारियों के बच्चे नहीं पढ़ते ।जो लोग इनको तहस-नहस कर रहे हैं वो गरीवों के हितैसी कैसे हो सकते हैं। बैसे भी जिस देश की सेना दुनिया में किसी भी देश की सेना को हराने की ताकत रखती हो उससे हथियारबंद लड़ाई करना अपनी व अपने समर्थकों की मौत को वुलावा देना है इन मूर्खों को यहां तक तो समझ नहीं कि आज के समय में भारतीय सेना से लड़ने का जोखिम तो चीन नहीं उठा सकता इसीलिए वो इन मूर्खों का इस्तेमाल कर रहा है।

 सुरक्षबलों द्वारा की गई हर कार्यावाही को संदेहास्पद वनाकर पेश करना।

 पाकिस्तान समर्थक आतंकवादियों को निर्दोष मुसलमान वताकर पेश करना

 जनता में आतंकवादियों के विरूद्ध आक्रोश पैदा होने से बचाने के लिए उन्हें अनपढ़ और गरीब बताना जबकि इस मंहगाई के दौर में आतंकवाद फैलान गरीब के बश की बात नहीं।

इतिहास साक्षी है इस वात का कि जनअन्दोलन हथियारों से नहीं जनक्रांति से जीता जाता है। ये आतंकवादी जानते हैं कि जनता इनके साथ नहीं इसीलिए ये चोरीछुपे काय़रों,चोरों,डाकुओं लुटेरों कमीनों की तरह हमला कर रहे हैं। छुप-छुप कर हमला कर रहे हो-  मां का दूध पिया है गद्दारो चीन के यारो तो खुलकर सामने आओ अगर  रातों रात तुम्हार बैंड न वज जाये तो कहना

3 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

इन बेशर्म, अधर्मी,देशद्रोही लम्पटों का काम ही यही है

Taarkeshwar Giri ने कहा…

Hamare neta hi sabse bade gaddar hain.

बेनामी ने कहा…

We are "Indian", has to understand, insted of use this as a fashion.
Rehan Warsi