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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

हमने तो पक्षियों के लिए पानी रख दिया है।आपने भी रख दिया है कि नहीं ?

हम भारतीयों के लिए जिन्दगी अनमोल है सिर्फ अपनी ही नहीं औरों की भी । मैकाले की शिक्षा निती लागू होने से पहले हमारी दिनचर्या प्रदूशण रहित थी। हम प्रकृति का शोषण करने के बजाय उसके साथ तालमेल बनाने में विस्वास रखते थे।हम कभी एहसान फरामोश नहीं रहे ।जिसने भी हमें दिया उसके प्रति हमने अपने तरीके से कृतज्ञता प्रकट की। हमने प्रणी मात्र से प्रेम किया न कि सिर्फ अपने स्वार्थ से ।हमने पशु-पक्षियों-जानवरों को भगवान का सवारूप माना इसलिय हमने उनसे भी प्यार किया।आज भी देशभर के भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत घरों के वाहर पशुओं के लिए व उंचाई पर पक्षियों को पानी रखने का रिवाज आज भी है ।गर्मियां शुरू हो चुकी हैं इसलिए भारतीयों ने पानी रखना शुरू कर दिया है। अभी तक पानी के विभिन्न साधनों से पानी उपलब्ध था इसलिए पशुपक्षियों को पानी के लिए हमारी सहायाता की जरूरत नहीं थी अब उनकी जरूरत को पूरा करना हमार धर्म है। हमने तो अपने धर्म का पालन करते हुए पशु-पक्षियों के लिए पानी रख दिया है क्या आप ने भी मानबधर्म वोले तो हिन्दू संस्कृति वोले तो भारतीय संस्कृति का पालन किया ।अगर किया तो आप बधाई के पात्र हैं कि इतने विधर्मियों के अत्याचारी व आदमखोर सासन के वावजूद अपनी संस्कृति को याद रखे हुए हैं पर अगर आपने नहीं रखा तो हम आपको याद करवाने आये हैं कि आपके पूर्वज मानवतावादी थे इसलिए वो भगवान की हर रचना में भगवान का स्वारूप देखते थे जल्दी से पानी रखो और एडवांस में हमारी बधाई स्वीकार करो । कहते हैं जब जागे तभी सवेरा ।

4 टिप्‍पणियां:

Taarkeshwar Giri ने कहा…

ek nek salah hai. jo sabko manni chahiye.

L.R.Gandhi ने कहा…

पक्षिओं की चह चाहाहट में ईश्वर की प्रतिध्वनी सुनाई देती है, कभी ध्यान से सुनने का प्रयास कीजियेगा

kunwarji's ने कहा…

जी ये नेक काम मै तो पिछली गर्मियों से जब भी समय लगता है कर लेता हूँ!

अब कोशिश रहेगी कि रोज ही करूँ!याद दिलाने के लिए धन्यवाद है जी!



कुंवर जी,

दिलीप ने कहा…

main kal se hi ye karunga ...jagaane ke liye shukriya...

http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/