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मोदीराज लाओ

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भारत बचाओ

मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

सैनिकों के खून की प्यासी केन्द्र सरकार पर देशभक्त बलागरस के साथ सीधी बात




भारत के शत्रुओं द्वारा भारत के देशभक्त लोगों/सैनिकों पर हमला करना कोई नई बात नहीं लेकिन सरकार का फर्ज है देश के शत्रुओं के साथ सख्ती से निपटना व देशद्रोह करने वाले हर ब्यक्ति/संस्था का नमोनिशान मिटाना । शत्रु चाहे देश के अन्दर हो या बाहर । पर भारत में आज एक ऐसी सरकार है जिसका हर कदम चीख-चीख कर उसकी गद्दारी की दास्तां बयान कर रहा है।सरकार ने सता में आते ही देश के लिए शहीद होने पर अर्धसैनिकबलों को मिलने वाली राशी ये कहकर कम कर दी कि सरकार के पास पैसा नहीं है। आतंकवादियों के विरूद्ध सुरक्षबलों के कारगर हथियार पोटा को ये कहकर निरस्त कर दिया कि जिन आतंकवादियों को पोटा के तहत सजा मिल रही हैं वो इसलिए निर्दोश हैं क्योंकि सेकुलर गिरोह को उनके वोट की सख्त जरूरत है। बात बढ़ते-बढ़ते यहां तक जा पहूंची कि माननीय सर्वोच्चन्यायालय द्वारा फांसी की सजा प्राप्त आतंकवादी भी सेकुलर गिरोह को निर्दोश नजर आया परिणामस्वारूप सरकार उस आतॉंकवादी को मिलने वाली फांसी आज तक रोके हुए है। ध्यान रहे कि इन आतंकवादियों से इन हिजड़े नेताओं की रक्षा करने के लिए सुरक्षाबलों के दर्जनों जवानों ने अपनी शहीदी दी थी पर इन गद्दार सेकुलर नेताओं ने उनकी कुर्वानी का शिला उनके कातिल की फांसी रोक कर दिया। आप सबके सामने शहीद मोहन चन्द शर्मा जी ने अपने देश के नागरिकों की जान-माल की रक्षा की खातिर अपने प्राण दे दिए पर वेशर्म गद्दार अमरसिंह ने उस शहीद ता अपमान सबके सामने किया । जब उस शीहद पर हमला करने वाला आतंकवादी सहजाद पकड़ा गया तो कांग्रेस के महासचिव गद्दार दिगविजय सिंह ने उस आतंकवादी के घर जाकर आतंकवादियो को खुला संदेश दिया कि आप चाहे जितने मर्जी सैनिकों को शहीद करो सेकुलर सरकार आपके साथ है आपका कोई कुछ नहीं विगाड़ सकता। अपनी वबात को अंजाम तक पहंचाने के लिए गद्दारों के सरदार राहुल नेहरू का आजमगढ़ दौरा भी निश्चित करवाया। इन सारी बातों को लिखने से हमारा अभिप्राय सिर्फ इतना है कि ये सैकुलर सरकार हर तरह से आतंकवादियों के अनुकूल बाताबरण बनाने में जुटी है।


एक तरफ इस गद्दारों की सरकार ने आतंकवादियों से निपटने वाले सबके सब कानून कमजोर कर डाले दूसरी तरफ देशहित में आतंकवादियों के विरूद्ध माननीय न्यायालय द्वारा दिए दए निर्णय रोक डाले। तीसरी तरफ भारत के शत्रुओं के पैसे पर पलने वाले एनजीओ + नकली मानवाधिकार संगठनों + देशविरोधी मिडीया+गद्दार परजीवियों+ आतंकवादियों के मददगार फिल्म निर्माताओं के सहयोग से सरकार ने मानवाधिकारों के नाम पर आतंकवादियों के अधिकारों का ऐसा ढिंढोरा पीटा कि खुद सरकार ने जनता को अपने सैनिकों को मरवाने के लिए मानसिक रूप से त्यार कर दिया। आज सरकार ने सैनिकों चाहे वो सेना के हों या फिर अर्ध सैनिक बलों के हाथ इस तरह से बांध दिए हैं कि वो निर्दोष नागरिकों की तो क्या अपने जवानों तक की रक्षा कर पाने में असफल हैं। क्योंकि कशमीर से कन्याकुमारी तक व पूर्व से पश्चिम तक सेना के उपर इस हद तक दबाब बना दिया गया है कि मानवाधिकार पहले हैं और देश की रक्षा वाद में। आज अगर कोई सैनिक देश की रक्षा की खातिर किसी आतंकवादी को मार देता है तो उसे ये खुद सिद्ध करना है कि मारा गया ब्यक्ति आतंकवादी था।और ये सिद्ध करने के लिए प्रमाण जुटाने का उस सैनिक के पास कोई संगठन नहीं ।कशमीर जैसे राज्यों में प्रमाण जुटाने का जिम्मा उस पुलिस पर है जो खुद आतंकवादियों से भरी पड़ी है। पश्मिम बंगाल में डी आई जी स्तर का अधिकारी खुद यह कहते हुए जनता के सामने आ चुका है कि वहां का मुख्यामन्त्री व सरकार माओवादियों को तकनिकी सहायता पलब्ध करवा रहे हैं जिसके परिणामस्वारूप अर्धसैनिक बलों का कैंप एक ऐसा भीड़-भाड़ वाली जगह पर लगवाया गया था जहां पर युद्धकरना लगभग असम्भव था क्योकि युद्ध की स्थिति में आस-पास के नागरिक मारे जाते ।इस कैंप को यहां न लगाने की सलाह बड़े अधिकारी ने दी लेकिन मुख्यामन्त्री के चहेते एस.पी ने अपने बड़े अधिकारी की बात मानने से इन कार कर दिया ।परिणाम स्वारूप माओवादी आतंकवादियों ने 26 सुरक्षाबलों के सैनिकों को जिंदा जला दिया। अभी 04-04-2010 को खुद गृहमन्त्री ने ये बात स्वीकार की पश्चिम बंगाल सरकार वांमपंथी आतंकवादियों के साथ मिली हुई है इसलिए सख्ती से निपटने में सहयोग नहीं कर रही है। बैसे भी देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि ये लाल आतंकवाद चीन के ईसारे पर CPM+CPI+SFI+CPM(m) संगठनों द्वारा देशभर में फैलाय जा रहा है। अगर सरकार सच में लाल आतंकवाद से निपटने के प्रति गम्मभीर है तो उसे सबसे पहले इन संगठनों से निपटना होगा क्योंकि इन्हीं संगठनों के माध्यम से माओवादी आतंकवादी अपनी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। जिसका प्रमाण उसवक्त मिला जब नेपाल मे माओवादियों की सरकार बनवाने के लिए सीता राम येचुरी खुद वहां गए। नेपाल में माओवादी आतंकवादियों की सरकार वनवाने के लिए इसी सेकुलर गिरोह की सरकार ने भारत की मित्र नेपाली सेना को हथियारों की सपलाई बन्द कर दी थी। जो लोग नेपाल में माओवादी आतंकवादियों की सरकार बनबाने के लिए ऐसे देशविरोधी कदम उठा सकते हैं वो भला अपने देश में इन आतंवादियों को अपने द्वारा सासित राज्यों में कौन सी मदद नहीं पहूंचा रहे होंगे।


खुद गृह मन्त्री जब लालगढ़ गय़ तो इनका विरोध इन्हीं संगठनों की सहायता से त्यार एक तथाकथित बुद्धिजीवीयों(परजिवीयों) के गिरोह ने कि या । इसी गिरोह ने कुछ दिन पहले वहां एक रेलगाड़ी को बन्धक भी बनाया था।


आपको याद होगा कि कल ही गृहमन्त्र चितमवरम जी ने ये ब्यान दिया था कि माओवादी आतंकवादियों के विरूद्ध सेना का प्रयोग नहीं किया जायेगा ।उस मूर्ख गृहमन्त्री से कोई पूछे कि जब माओवादी आतंकवादी देश के विरूद्ध युद्ध की घोषणा किए हुए हैं तो सेना का प्रयोग करने में दिक्कत क्या है और अगर सेना का प्रयोग नहीं भी करना है तो ये आतंकवादियों को बताकर उनका हौसला बढ़ाने की क्या जरूरत है? आपने माहराष्ट्र एटीएस प्रमुख श्री रघुवंशी जी को सिर्फ इसलिए हटा दिया क्योंकि उन्होंने आतंकवादियों के नाम जनता को बता दिए आपने अपनी ही सरकार द्वारा लड़ी जा रही लड़ाई की योजना आतंकवादियो के सामने रख दी आपको क्यों इस पद से नहीं हटाया जाना चाहिए पर हटाएगा कौन क्योंकि आपके ऐसे ब्यान देश के शत्रुओं का हौसला बढ़ाते है जो एंटोनियो को अच्छा लगता है।


आप सबको याद होगा कि पिछले दिनों भारतीय वायुसेना ने आत्मरक्षा के लिए आतंकवादियों पर गोली चलाने का अधिकार मांगा था जिसे देने में इस देशविरोधी सरकार ने हरप्रकार की आना कानी की थी । अब आप बताओ जब सेना को खुद की रक्षा में गोली चलाने का अधिकार मांगने पर भी आनाकानी की जाती है तो भला सेना आतंकवादियों का पता लगाते हगी उन पर हमला कर सके ऐसा अधिकार कैसे मिल सकता है ।सुरक्षबल पहले आतंकवादियों का पता लगांयेगे फिर उनके मानबाधिकार सुरक्षित करने के लिए वहां के नेताओं के गुलाम DC/SDM/ADM को सूचित करेंगे फिर ये अफसर अपने आका हिजड़े नेताओं को सूचित करेंगे फिर आतंककवादियों पर गोली चलाने का अधिकार क्यों चाहिए इस पर सवाल जबाब होगा तब तक आतंकवादी सुरक्षावलों को मारकर अपने मित्र नेताओं के घर में जाकर छुप चुके होंगे। इन्हीं सब प्रतिबन्धों का परिणाम है कि आज आज 75 से अधिक CRPF जवानों को मौत के घाट उतारा गया ।दुख की बात यह है कि इन जवानों को शहीद होने से पहले युद्ध करने का मौका भी नहीं मिला।अभी दो दिन पहले 11 सैनिकों को इन्हीं वांमपंथी आतंकवादियों ने शहीद किया था । बैसे भी कशमीर से कन्याकुमारी तक सुरक्षा बलों पर मिडिया द्वार मानवाधिकारों के नाम पर आतंकवादियों को बचाने के लिए जिस तरह हमला वोला जा रहा है ऐसो महौल में कौन सैनिक आतंकवादियों पर गोली चलाकर अपने बच्चों को भूखा मारने का दुस्साहस करेगा । जिस सोराबुदीन के नाम पर आज तक बंजारा जैसे बहादुर अफसरों पर अत्याचार किए जा रहे हैं उस आतंकवादी के घर से दर्जनों एके 47 व हैंडग्रेनेड मिले थे।मुम्बई मे दाऊद जैसे आतॆंकवादियों को खुश करने के लिए उनके पालतु नेताओं ने कितने ही सार्प सूटरों को नौकरी से निकलवाकर उन पर मनघड़ंत आरोप लगवाये।कशमीर में अक्सर महिलाओं से बालात्कार का आरोप लगाकर सैनिकों को निशाना बनाया जाता रहा है।अभी हाल ही मे ये सिद्ध हो चुका है कि जिन महिलाओं की बात कर सैनिकों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही थी उनके साथ रेप नहीं हुआ था।


हमारे देशभक्त बलागर भाईयों से सिर्फ इतनी विनती है कि अगर हो सके तो शुक्रवार तक अपने लेख सिर्फ आतंकवाद पर केन्द्रित करें ।इन लेखों के माध्यम से हम आतंकवाद से कैसे निपटा जा सकता है पर एक राय बनाने की कोशिस करें अगर हो सके तो ये भी बताने की कोशिश करें कि आतंकवादियों से निपटने में देशभक्त ब्लागरस क्या योगदान कर सकते हैं और कैसे। आओ मिलकर गद्दारों का पर्दाफास कर उनका सर्वनाश करें।


अन्त में मानीय गृहमन्त्री जी को आतंकवादियों से निपतने के लिए कुछ सुझाब


• सबसे पहले उन लोगों को मौत के घाट उतारा जाए जो आतंकवादियों के समर्थन में वोलते या लिखते हैं।


• आतंकवादियों के अनुकूल महौल बनाने में समाचार चैनलों की भूमिका की जांच करवाकर उनके विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यावाही अमल में लाई जाए।


• NDTV जो कि आतंकवादियों के अनुकूल बाताबरण बनाने में हर मर्यादा तोड़ चुका है के विरूद्ध विना कोई समय गवाए कार्यावाही अमल में लाई जाए।


• पाकिस्तान समर्थक आतंकवादियों व वांमपंथी आतंकवादियों के रिस्तों को जनता के सामने रखकर कर दोनों के विरूद्ध विना न्यायलय में जाए ON THE SPOT कार्यावाही अमल में लाई जाए।






• गौतम नबलखा,विजय त्रिवेदी,महेशभट्ट ,माजिद मैनन,अबु हाजमी,ओबैसी ,एच के दुआ ,वाई पी सिंह जैसे लोगों के आतंकवादियों के साथ सहानुभूति के कारणों का पता लागाया जाए व इनके विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यावाही अमल में लाई जाए।


• समाचार चैनलों ,पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों पर सैनिकों के विरूद्ध कुछ भी कहने पर यथाशीघ्र प्रतिबन्ध लगाया जाए।


• आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाये जाने वाले गद्दारों के लिए कम से कम फांसी की सजा तय की जाए।


• हर उस ब्यक्ति को आतंकवादी मान जाए जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवादियों का मददगार पाया जाए।


• देश के अन्दर व बाहर के बलागरस के लेखों की जांच पड़ताल कर देशभक्तों और गद्दारों को चिहनित कर गद्दारों को मौत के घाट उतारा जाए।


• गृहमन्त्री जी आतंकवाद को खत्म कर ने की पहली सीढ़ी उनके समर्थकों ,पोषकों ,बैचारिक मित्रों को खत्म करना है।


अन्त में सैनिकों से यही कहेंगे कि अगर सरकार ये कदम नहीं उठाती है तो गद्दार नेताओं को गोली मारकर सता अपने हाथ में लेकर देश के अन्दर और बाहर के शत्रुओं को मिटाकर भारत को गद्दारों से मुक्त किया जाए।भारत का हर देशभक्त आपको अपने साथ खड़ा मिलेगा ।






7 टिप्‍पणियां:

MANISH P@NDIT ने कहा…

sahi kahaa

बेनामी ने कहा…

मुझे लगता है कि अब सेना को सत्ता अपने हाथ में ले लेनी चाहिए क्यूंकि सरकार को तो हिजड़े चला रहे है वो देश की क्या रक्षा कर पाएंगे
सिर्फ सेना में ही मर्द बचे है वो भी कुछ

Jandunia ने कहा…

सरकार को इन समस्याओं के प्रति गंभीर होना पड़ेगा। ऐसे काम नहीं चलेगा।

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

jaan yeh deshbhkti ke vichaar vaajib hen lekin hm gddar aatnkvaadi desh ko gaaliyaan isi liye bkte hen ki vhaan loktntr khtm kr foji shaasn hthiyaa lete hen aap gdaar desh ki soch se prbhaavit ho kr esaa sujaav naa den aapki pida vaajib he lekin ab gddaron ke liyen zyaada zindgi nhin he inshaa allah aap or hm milkr hi is desh ki aapke or hmaare smaaj ki gndgi saaf kr desh ko gddaron se bvhaayenge.

Unknown ने कहा…

सेना के सासन की बजह से ही पाकिस्तान आज तक अस्तित्व में है वरना वहां के भ्रष्ट और अमेरिका के गुलाम नेताओं ने आज तक कब का पाकिस्तान का नमोनिशान मिटा दिया होता।

Tilak Relan ने कहा…

युग दर्पण यह,केवल अपनी भड़ास निकलने का एक भड़ास.कॉम नहीं है,इस युग की समस्याओं चुनौतियों पर गंभीर चिंतन है."अशोक पाण्डेय के ब्लाग पर हत्फ की चर्चा देख रुका व जो उत्तर दिया उसे उरल /प्व्मंगाने के बाद टिपण्णी प्रकाशन के लिए अशोकजी की स्वीकृति चाहिए, प्रकाशित हो न हो उसकी प्रति आपको भेज रहा हूँ।"
आपका अपना ब्लाग कितनी कुत्सित, पूर्वाग्रहयुक्त और अश्लील भाषा से भरा हुआ है,- "जितना विभेदकारी और जन्म आधारित भेदभाव तथा घृणा और हिंसा हिन्दू धर्म में है उतनी किसी और में नहीं।हिन्दुत्व सहित सभी धर्मों के धर्मग्रंथों को तोप से उड़ा देने का वक़्त आ गया है।" अशोक पाण्डेय जी आपका ब्लाग पूर्वाग्रह से मुक्त कितनी मीठी भाषा से भरा हुआ है। किसी की सही बात सुनने को तैयार नहीं, जो कीचढ़ आप उछाल रहे हैं, उससे अधिक कीचढ़ तो आपके दिमाग में भरा है। फिर यदि आप की बात को मान भी लिया जाये तो हिन्दू धर्म की कथित बुराई के लिए दोषी पंडितों में आपके पिता पाण्डेय जी भी दोषी ठहरते हैं। बाप को गाली देकर बेटा किनारे होजा या अपने बाप के दोष की सजा की सहभागिता बता। यह दोनों ही न करसके तो इस देश के शत्रुओं के बहकाए में आ कर अंट-शंट बकवास के लिए देश से क्षमा मांगने में कोई बुराई नहीं है। इनमें से कुछ भी नहीं किया तो इस बकवास के लिए यही कहा जायेगा "अशोक पाण्डेय का दिमाग फिर गया है पगले की बकवास पर ध्यान न दिया जाये। क्या ख्याल है? कौन शोषित-पीड़ित है, और कौन शोषक इसका निर्णय करने का अधिकार आपको किसने दिया? स्वयं आरोप लगाया , स्वयं झूठी दलीलें दी और स्वयं ही निर्णय भी दे दिया ? दिमागी दिवालियेपन के सभी लक्षण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं?"

Tilak Relan ने कहा…

युग दर्पण यह,केवल अपनी भड़ास निकलने का एक भड़ास.कॉम नहीं है,इस युग की समस्याओं चुनौतियों पर गंभीर चिंतन है.
"अशोक पाण्डेय के ब्लाग पर हत्फ की चर्चा देख रुका व जो उत्तर दिया उसे उरल /प्व्मंगाने के बाद टिपण्णी प्रकाशन के लिए अशोकजी की स्वीकृति चाहिए, प्रकाशित हो न हो उसकी प्रति आपको भेज रहा हूँ।"
आपका अपना ब्लाग कितनी कुत्सित, पूर्वाग्रहयुक्त और अश्लील भाषा से भरा हुआ है,- "जितना विभेदकारी और जन्म आधारित भेदभाव तथा घृणा और हिंसा हिन्दू धर्म में है उतनी किसी और में नहीं।हिन्दुत्व सहित सभी धर्मों के धर्मग्रंथों को तोप से उड़ा देने का वक़्त आ गया है।" अशोक पाण्डेय जी आपका ब्लाग पूर्वाग्रह से मुक्त कितनी मीठी भाषा से भरा हुआ है। किसी की सही बात सुनने को तैयार नहीं, जो कीचढ़ आप उछाल रहे हैं, उससे अधिक कीचढ़ तो आपके दिमाग में भरा है। फिर यदि आप की बात को मान भी लिया जाये तो हिन्दू धर्म की कथित बुराई के लिए दोषी पंडितों में आपके पिता पाण्डेय जी भी दोषी ठहरते हैं। बाप को गाली देकर बेटा किनारे होजा या अपने बाप के दोष की सजा की सहभागिता बता। यह दोनों ही न करसके तो इस देश के शत्रुओं के बहकाए में आ कर अंट-शंट बकवास के लिए देश से क्षमा मांगने में कोई बुराई नहीं है। इनमें से कुछ भी नहीं किया तो इस बकवास के लिए यही कहा जायेगा "अशोक पाण्डेय का दिमाग फिर गया है पगले की बकवास पर ध्यान न दिया जाये। क्या ख्याल है? कौन शोषित-पीड़ित है, और कौन शोषक इसका निर्णय करने का अधिकार आपको किसने दिया? स्वयं आरोप लगाया , स्वयं झूठी दलीलें दी और स्वयं ही निर्णय भी दे दिया ? दिमागी दिवालियेपन के सभी लक्षण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं ?"