धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
बुधवार, 16 जून 2010
भारत विरोधी आतंकवादियों के पकड़े या मारे जाने पर छाती पीट-पीट कर STATE TERRORISM चिल्लाने वाले इस STATE TERRORISM पर खामोश क्यों हैं?
आपने अक्कसर देखा है कि जब भी भारत में किसी भारत विरोधी आतंकवादी खासकर मुसलिम आतंकवदी को पकड़ा जाता है या फिर किसी मुठभेड़ में ये मुसलिम आतंकवादी मारा जाता है तो एक तपका जो खुद को मानबाधिकारवादी- सेकुलरवादी कहता है इन आतंकवादियों के मारे जाने के तरीके पर प्रश्न उठाकर तरह –तरह की कहंनिया घड़ कर इसे STATE TERRORISM करार दे देता है। यहां तक कि अगर ऐसे आतंकवादी को भारत के माननीय सर्वोच न्यायालय तक से सजा सुनावा दी जाए तो भी ये तपका कभी फांसी की सजा पर प्रश्न उठाकर तो कभी कोई और बहाना बनाकर इस भारत विरोधी आतंकवादी को बचाने के कुकर्मों में संलिप्त रहता है।
लेकिन जैसे ही किसी निर्दोश हिन्दू –सिख को सताया जाता है या फिर अमानवीय तरीके से मारा जाता है या मारे जाने की कोशिश की जाती है तो ये तपका खामोशी धारण कर लेता है या फिर उसे झूठ करार देने का प्रयत्न करता है।
आओ अब इस समाचार को पढ़ो जो कि हिन्दू-सिखों के कत्ल से सबन्धित है व देश में सबसे जयादा पढ़े जाने वाले समाचार पत्र में छपा है।
इस समाचार को पढ़ने के वाद मुसलिम आतंकवाद के समर्थक उन मुसलमानों ने, जो अक्सर फिरदौसखान पर हमला वोले रहते हैं, नापसंद के चटके लगाकर पोस्ट को गिराकर एक तरह से यह जिताने की कोशिश की कि भारत में भी मुसलिम आतंकवाद के समर्थकों की शंख्या विरोधियों की शंख्या से जयादा है।
भारत विरोधी आतंकवादियों के समर्थन में हमेशा खड़े रहने वाले सेकुलर गद्दारों ने एक मुसलिम देश द्वारा हन्दू-सिखों पर किए जा रहे इन अमानवीय अत्याचारों पर अपनी राय देना यो दूर संवेदना तक वयक्त करना जरूरी नहीं समझा ।
आशा है कि इस वार वो जरूर अपनी संवेदना ब्यक्त कर इन निर्दोशों को बचाने के इस छोटे से अभियान में अपना योगदान देंगे।
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13 टिप्पणियां:
आतंकवादी चाहे हिंदु हो या मुसलिम उसको सजा मिलनी ही चाहिये । इस बात का मै समर्थन करती हूँ । ऐसे लोगों को जनता के सामने फाँसी पर चढाना चाहिये कि आगे कोई ऐसा करने कि जुर्रत ना करे पर...........हमारी.............सरकार..........।
ab doosre desh me doosre darje ki naagrikta lenge to aisa hi hoga suneel ji...iska samarthan nahi kar raha...par har desh ke apne kanoon hai...agar koi apraadh kiya hai to saja milegi...
पिछली पोस्ट पर कुछ लोगों ने सुनील जी पर झूठ बोलने के आरोप लगाये, लेकिन सुनील दत्त जी ने तो सिर्फ़ अखबार (हिन्दी) की कटिंग ही लगाई है, और उसके सम्पादक से बात करके मुद्दा जानने की कोशिश भी की है, इसमें गलत क्या है और इसमें हिन्दू-मुस्लिम कहाँ से आ गया?
किसी टिप्पणीकर्ता ने गोदियाल जी की उस बात का जवाब नहीं दिया कि क्यों मनमोहन सिंह की नींद एक मुस्लिम के गिरफ़्तार होने पर खराब हो जाती है जबकि 17 सिख युवकों के लिये कोई दर्द, कोई पहल नहीं? क्या अब अपना देश छोड़कर रोजी-रोटी कमाने विदेश जाने वाले भी "सेकुलर-नॉन सेकुलर" के खाँचे में बाँटे जायेंगे?
धिक्कार है, लानत है…
Bhut badhiya sunil ji, lage rahe hum apke sath hain.
lage rahe hum apke sath hain
kya kare manmohan bechare majbur hai .
rashtra jagran ke atirikt koi chara nahi hai .
lekh ke liye dhanyabad.
दिलीप जी अफसोस तो इस बात का है कि सेकुलर गिरोह ने भारत के शत्रुओं के साथ मिलकर हिन्दूओं को अपने ही देश में दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया।
अगर आज हिन्दू सिख दुनिया के खतरनाक से खतरनाक देशों जाकर रोजी रोटी कमाने को मजबूर हैं तो उसकी सबसे बड़ी बजह भारत के संसाधनों पर विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा कब्जा जमा लेना है।
आज जो जमीन व संसाधन पाकिसतान,अफगानिसतान ,बंगलादेश के नाम से तालिवानियों के कब्जे में जा चुके हैं वो कभी हिन्दूओं के अपने थे।
अगर ये जयचन्द का बंसज सेकुलर गिरोह हमेशा हिन्दूओं के विरूद्ध विदेशी आक्रमणकारियों चाहे वो मुसलिम आक्रमणकारी हों या फिर ईसाई आक्रमणकारी का साथ न देता तो आज हिन्दू-सिखों को ये दे दिन न देखने पड़ते ।
आज विभाजित भारत के इस छोटे से हिस्से पर भी जिस तरह हिन्दूओं को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है उससे जयादा शर्मनाक क्या हो सकता है?
जैसे ही हिन्दू-सिखों पर किए जा रहे अत्याचारों को दिखाती ये पोस्ट हाट में आ रही है बैसे ही आदमखोर मुसलिम आतंकवादियों के समर्थक इस पोस्ट को गिराने के लिए नापसंद का चटका लगा रहे हैं ।
इसलिए हम चाहते हैं कि जो भी मुसलिम आतंकवादियों का विरोधी इस पोस्ट को पढ़े वो पसंद का चटका लगाकर उनके प्रयत्न को फेल कर अधिक से अधिक लोगों को ये पोस्ट पढ़ाने में जरूर सहयोग करें जी।
Suresh Chiplunkar जी व Tarkeshwar Giri जी धन्यवाद सच्चाई का साथ देने के लिए।
सुनील जी, यह देखकर बेहद दुख होता है कि लोग हमदर्दी जताने से पहले पीड़ित का 'मज़हब' देखते हैं...
अपने मज़हब के व्यक्ति को तकलीफ़ में देखते ही 'संवेदनाएं' जाग उठती हैं, लेकिन जब दूसरे मज़हब के व्यक्ति पर मुसीबत आती है तो वहीं 'संवेदनाएं' दम तोड़ देती हैं...
सबसे अहम बात जब हिन्दुस्तान के किसी मुसलमान पर कोई मुसीबत आती है तो उसकी मदद के लिए सबसे पहले ग़ैर मुस्लिम लोग ही आगे आते हैं...
is desh me khana aur isi desh ka nuksan krna in ki fitrt me hai
kyon ki in ki kitabon me yhi sb likha hai aur yhi inhe pdhaya jata hai fir schchai v nyay ki bat kaise kr skte hain jb in ke rsool ne hi schchai ko dr kinar rkha to ye to vhi krenge
dukhto is bat ka hai ki koi bhi muslman is ke viroodh aavaj nhi uthata vaise baten bdi 2 krta hai
mshal ko jgaye rkhiye bda jroori hai
ved vyathit
@सुनील दत्त जी, सबसे पहले अपनी शंका दूर करें कि मैंने आपकी पोस्ट को यथोचित ध्यान देकर नहीं पढ़ा है। दूसरी बात ये कि मैंने एक गलत तथ्य की ओर आपका ध्यान आक्रष्ट कराया था। कौन सा अखबार देश में सबसे ज्यादा बिकता या पढ़ा जाता है इस विवाद में जाने की मेरी इच्छा नहीं है। मैं भी एक अखबार से जुड़ी हूं और जानती हूं कि ये खबर लगभग हर अखबार में बार बार लगी है। ये लोग जो वहां जेल में बंद हैं इनके परिवारों की व्यथा को सभ्ाी अखबार प्रमुखता से छापते रहे हैं। नेट और टीवी पर भी लगातार खबरें आई हैं। भारत सरकार द्वारा इस संबंध में वकील नियुक्त भी किया गया है। और जो लोग खबरों पर नजर रखते हों वे ये भी जानते होंगे कि आज की तारीख में भी जो डेवलपमेंट इस केस में हो रहे हैं उन्हें प्रमुखता से पाठकों तक पहुंचाया जा रहा है।
यहां यह सब कहने के पीछे मेरा एकमात्र मकसद सिर्फ ये बताना है कि तथ्यों की जांच एक पत्रकार के नाते आपका फर्ज बनता है। आज भी मैं आपसे यही कहना चाहूंगी कि आप तथ्यों पर बात करें। लगातार केस में जो प्रगति हो रही है जो समय की आवश्यकता है उस प्रकाश डालें न कि वैमनस्य को बढ़ाने में अपना योगदान दें।
मेरा विश्वास है आप एक भले व्यक्ति हैं, आपके लिए शुभकामनाएं ।
आपने सही कहा कि आपने बात कहने की अपनी स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल किया और मैंने अपनी। लेकिन एक बात का यहां ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि ब्लॉग सार्वजनिक डोमेन है और यहां हमारी कही गई बातें से राय बनती और बिगड़ती हैं, आत्मसंयम यहां बेहद जरूरी है।
दोबारा शुभकामनाएं।
इन्सान की आस्था उसके राष्ट्रधर्म से जुडी होनी चाहिए न कि धर्म से....लेकिन ऎसे लोगों का क्या किया जाए जिनके लिए निज धर्म तथा उससे संम्बंधित स्थान,व्यक्ति,पदार्थ इत्यादि राष्ट्रभक्ति से कहीं अधिक महत्व रखते हैं....
खैर..जो भी है, आप अपने अभियान में जुटे रहे.....
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