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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

बुधवार, 2 जून 2010

DJ का शोर है ...लोग नाच रहे हैं...तभी एक सेकुलर पांच वर्ष की बच्ची को उठाकर चलता वना...

सब सेकुलर लोग इस बात के लिए... के पात्र हैं कि जो बीड़ा मुम्बई में बैठे 200 कंजर फिल्म व सिरीयल उत्पादकों ने उठाया था जिसे इसैक्ट्रौनिक मिडीया ने पूरे जोर जोर से आगे बढ़ाया वो आज देश देश के कोने-कोने तक पहूंच गया है।


पिछली शाम यानिके 1/06/2010 छोटे से कस्वे .. में एक शादी समारेह था ये इस समारोह की शुरूआत का दिन था जिसे माइने कहते हैं DJ पूरे शबाब पर था लोग मस्ती मैं झूम रहे थे।आप तो जानते ही हैं नशे में झूम रहे सेकुलर लोगों का इन मौकों पर वच्चों पर विशेश लगाव उमड़ता ।उन्होंने वेशक महीनों से नशा करके अपने बच्चों व परिवार के नाक में दम कर रखा हो पर ऐसे मौकों पर ये अपने सेकुलर ब्याबहार के कारण अपनी पत्नी और दूसरों की पत्नी के वीच कोई भेदभाव नहीं करते ।ठहरे जो सेकुलर।


यहां भी यही हो रहा था पर यहां निशाने पर थे बच्चे ।आपको पता है kissing तो सेकुलर लोग खुलेआम करते हैं यहां भी यही सब हो रहा था ।कभी एक बच्चे को उठाकर तो कभी दूसरे बच्चे को उठाकर नचाया जा रहा था।----------अचानक एक मां ने चिल्लाना शुरू किया....मेरी बच्ची-मेरी बच्ची.......पपू डांस करता है साला...उधर चीखें इधर DJ का जोर। वस वो चिलाती रही सुने कौन? सुकर मनाओ किसी सेकुलर ने उठाकर उसे नचाना शुरू न किया और ये भी भगवान की ही दया है कि आज भी महिलायें इस सेकुलर प्रोपेगंडे की सिकार कम हुई हैं....तभी किसी ब्यक्ति ने लाईट बन्द की....बच्ची की खोजवीन शुरू हुई...एक रूढ़ीवादी(यही पुकारा जाता है सुकुलरों द्वारा ब्याभिचार व बहसिपन के विरोधियों को), ने उस सेकुलर को बच्ची उठाकर ले जाते हुए देख लिया था पर इसलिए चुप रहा कि सेकुलर लोग उस पर बखेड़ा खड़ा करने का आरोप न लगा दें ।


खैर जब सबने एक दूसरे से पता करना सुरू किया तो उसने वताया कि वो सेकुलर लड़की को उठाकर किस तरफ ले गया है। काफी मेहनत करने के वाद वो सेकुलर एक पुल के पास उस बच्ची के साथ पकड़ा गया।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पुल के साथ नाला होता है और नालों में अक्सर अपराध को अनजाम दिया जाता है। बस फिर क्या था लोगों ने इस सेकुलर को पुलिस के हवाले करने के बजाए खुद ही सेवा करना बेहतर समझा ।


खैर अब ये मानबाधिकारवादियों का मामला है कि जिन लोगों ने इस सेकुलर को इतना मारा उनको व जो पुलिस विना बुलाए मौके पर नहीं पहुंची कैसे सजा दिलवाने के लिए जनवादी अन्दोलन चलाया जाए। ये काम हिमांशु के मित्र ज्यादा वेहतरी से कर सकेंगे।


ऐसी घटनायें अब आम हो गई हैं आज सिर्फ एक घटना आपको वताई वाकी फिर कभी...


इसी सेकुलर मानसिकता से सचेत करने के लिए हमने कुछ दिन पहले ये लेख लिखा था जिस पर आपकी वेवाक राय का इन्तजार अब भी है।


कया आपको विना शादी के आपके साथ रहने वाली गर्लफरैंड चाहिए? 


दुनिया में भारतीय समाज ही सिर्फ एक ऐसा समाज है जिसका हर कार्याकलाप संस्थागत है जन्म से लेकर मृत्यु तक । भारतीय संस्कृति ही एक ऐसी संस्कृति है जिसे सभ्य संस्कृति वोले तो मानव संस्कृति कहा जा सकता है। वाकी सब तो पशुतुल्या है उनका हर क्रिया कलाप पशुओं से मिलताजुलता है।न कोई सभ्यता न कोई संसकृति। पशु प्रवृति में दो पशु तब तक साथ होते हैं जब तक दोनों को एक दूसरे से शारीरिक सबन्धों की जरूरत होती है जैसे ही सारीरिक जरूरत पूरी सबन्ध खत्म।फिर दूसरा सबन्ध शुरू। बच्चों को नहीं पता कि उनके मां-वाप कौन है मां-वाप को नहीं पता कि कौन उसका बच्चा है। सारा काम सिर्फ सारीरिक सबन्धों के लिए कोई जिम्मेवारी नहीं कोई मर्यादा नहीं। सब के सब संकरी नसल । अब भारत में एक ऐसा गिरोह सक्रिय हो चुका है जो इन पशु प्रवृतियों से इतना प्रभावित है कि भारत की संस्कृति को हर तरह से नुकसान पहुंचा कर पशु प्रवृति बनाने पर तुला है। ये गिरोह कभी कहता है नर को नर से शारीरिक संबन्ध बनाने का अधिकार होना चाहिए । कभी कहता है एक ही गांव /गोत्र में शादी पर प्रतिबन्ध नहीं होना चाहिए।कभी ये मात-पिता के बच्चों पर अधिकार पर प्रश्न उठाता है। कभी बच्चों को पढ़ाई-लिखाई सब छोड़कर सिर्फ ब्याभिचार पर अपना ध्यान केन्द्रित करने को उकसाता है। कभी ये गिरोह बच्चों द्वारा भागकर अपने माता-पिता की ईच्छा के विरूद्ध शादी को उनका अधिकार बताता है । कभी ये गिरोह लिव न रिस्ते की बात करता है। मतलब ये गिरोह अपने कब्जे वाले सब संसाधनों का उपयोग कर पशु संस्कृति को आगे बढ़ाने के काम पर लगा रहता है।सच बतायें तो हमें इस पर कोई आपति नहीं कि ये मानब होकर क्यों पशु की तरह जीवन जीने पर उतारू है क्योंकि हो सकता है इसकी उत्पति इसी प्रवृति के फलस्वारूप ही हो। बस आपति है तो इस बात पर कि जो मानब की तरह जीबन जी रहे हैं उनके जीने के तरीके पर ये पशुओं का गिरोह कैसे सवाल उठा सकता है? इस गिरोह को चाहिए कि ये वहां जाकर रहे जहां इनके जैसे पशु प्रवृति को मानने वालों की संख्या अधिक है।


कुछ दिन पहले हमारा सामना ऐसे ही पशु-गिरोह(उम्र25-45)के साथ हुआ। हमने उनसे पूछा कि क्या आपको महिला मित्र चाहिए ।तो सबका जबाब था हां ।
हमें कोई हैरानी नहीं हुई हम सबझ गए कि सब के सब सेकुलर हैं।
हमने दूसरा प्रश्न किया क्या आप अपनी मां-बहन-बेटी-पत्नी को पुरूष मित्र रखने की राय/सहमति देंगे।सबके सब भड़क गय।सबका जबाब था कैसी बात करते हो तुम हम तो हमारी मां-बहन-बेटी-पत्नी के वारे में ऐसा सोचने वाले के नाक-मुंह सब तोड़ देंगे कत्ल कर देंगे उस गधे को ।
फिर हमने कहा कि जिस तरह आप अपनी मां-बहन-बेटी-पत्नी के साथ कोई सबन्ध नहीं बनने देना चाहते कमोवेश ऐसी ही स्थिति समाज के बढ़े हिस्से की है ।अब आप बताओ कि जिस लड़की को आप अपनी विना शादी की फ्रैंड वनाना चाहते वो लड़की आयेगी कहां से ?
क्योंकि समाज की हर लड़की किसी न किसी की मां-बहन-बेटी-पत्नी है।


अन्त में हम तो सिर्फ इतना कहेंगे कि हमें दूसरों की मां-बहन-बेटी-पत्नी के साथ बैसा ही ब्याबहार करना चाहिए जैसा हम अपनी मां-बहन-बेटी-पत्नी के साथ होने की आशा करते हैं।
क्योंकि अगर हम दुसरों की मां-बहन-बेटी-पत्नी का अपमान करते हैं तो इस बात की पक्की गारंटी है कि हमरी मां-बहन-बेटी-पत्नी का अपमान दूसरे करेंगे।क्योंकि हमारा ब्याबहार ही समाज की दिशा तय करता है।










11 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

दुखद और बेहद शर्मनाक अवस्था जिसे हमलोगों का एकजुट प्रयास ही कुछ हद तक रोक सकता है |

nilesh mathur ने कहा…

बहुत ही शर्मनाक है!

aarya ने कहा…

सादर वन्दे |
आपके सुझाव समाज की दिशा तय करने वाले हैं, सार्थक लेख
रत्नेश

सच का बोलबाला, झूठ का मुँह काला ने कहा…

देशभक्तों को धमकाने
मोहमद उमर कैरान्वी आता होगा
imran, amir,
impact बनकर

सच का बोलबाला, झूठ का मुँह काला ने कहा…

सेकुलर कि छोड़ों मुसलमानों में तो सब चलता हे. बहनों के अलावा पुत्र वधुएँ उपलब्ध

दिलीप ने कहा…

sharmnaak

Unknown ने कहा…

@ सच का वोलवाला
जिस दिन देसभक्त ठान लेंगे गद्दारों का नमोनिशान मिटाने की फिर किसी में दम है जो देशभक्तों को धमका सके।
बस जरूरत है तो देशभक्तों को इतना समझा देने की कि अब गद्दारों के सफाए का वक्त आ गया है।
HPD,निलेश जी,रत्नेश जी,दिलीप जी आप सब का धन्यवाद हालात की गम्भीरता को समझने के लिए।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

इसमें कहीं दो राय नहीं है की भारतीय संस्कृति का निरंतर क्षय हो रहा है. आपने कारण भी बताएं हैं और उपाय भी.

दीपक 'मशाल' ने कहा…

शर्म.. शर्म और बस शर्म.

Rohit Singh ने कहा…

जब अपनी ही थाली में छेद हो तो किसी को क्या कहना। अपन सुधरेंगे नहीं औऱ गाली देंगे बाहर वालो को।

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपके सुझाव समाज की दिशा तय करने वाले हैं