आप सब देख रहे होंगे कि किस तरह THE RED SHAREE पर कांग्रेस द्वारा हंगामा किया जा रहा है । SPANISH लेखक जेवियर मोरो द्वारा लिखित इस पुस्तक को मिडीया व कांग्रेस द्वारा कुछ उस तरह पेश किया जा रहा है मानो इसमें कोई बहुत बड़ा पर्दाफास कर दिया गया हो।
जबकि सच्चाई इसके विपरीत है।इस पुस्तक में हमें सिर्फ इतना बताया गया है कि एंटोनिया के माता-पिता कौन थे, क्या करते थे,कहां रहते थे,एंटोनिया का पालन पोषण किस महौल में हुआ, एंटोनिया को भारत से कितना लगाब है, एंटोनिया क्यों हिन्दी नहीं सीखना चाहती थी। इस पुस्तक में लगभग वही सबकुछ है जो एंटोनिया को प्रधानमन्त्री बनने से रोकने के लिए श्री सुब्रामणियम स्वामी जी द्वारा ततकालीन राष्ट्रपति को लिखित पत्र में है।
एक तरह से ये पुस्तक आज तक बताए गए अर्ध सत्यों को पूर्ण सत्य का रूप देती हुई प्रतीत होती है।हां इस पुस्तक का जो सबसे रोचक पहलू है वह यह है कि पुस्तक पढ़ते वक्त इस विदेशी अंग्रेज के कटु अलोचक मेरे जैसे ब्यक्ति के मन में भी एक सहानूभूति की भावना पैदा होती है ।
इस पुस्तक को शुरू से अंत तक पढ़ते वक्त ऐसा लगता है मानो ये पुस्तक किसी कांग्रेसी द्वारा लिखी गई हो देश में एक वार फिर से इस अंग्रेज के प्रति सहानूभूति पैदा करने के लिए।
जिस तरह से इस पुस्तक में लिखित आम सच्चाई को तूल दिया जा रहा है उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस और सेकुलर गिरोह संचालित मिडीया इस पुस्तक का ज्यादा से ज्यादा प्रचार कर लेखक व एंटोनिया को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने का प्रयत्न कर रहा है।
हां इसमें जो बातें लिखी गई हैं उन्हें पढ़कर ये जरूर एहसास होता है कि लेखक या तो एंटोनिया का नजदीकी है या फिर किसी ऐसे ब्यक्ति का जो एंटोनिया के वारे में सब जानता है मतलब क्वात्रोची का।
कुल मिलाकर यह पुस्तक एक सोची समझी रणनिती के साथ प्रचारित की जा रही है क्योंकि आजकल जनता UPA व उसकी चेयरमैन की आम आदमी विरोधी नितीयों के परिणामस्वारूप बढ़ रही मंहगाई व सरकार के आतंकवाद समर्थक रूख के कारण अप्रतयासित रूप से आक्रोसित है इस सरकार व अंग्रेज के विरूद्ध।
ऐसे हालात से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है वो है सब गड़े मुर्दे उखाड़ कर एंटोनिया का गुणगान कर ,इस अंग्रेज के प्रति सहानूभूति पैदा करना।जिसमें इस पुस्तक को हथियार के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। पुस्तक की पहली पंक्ति
(When life is the price of power मतलब एंटोनिया को भारत पर राज करने की कीमत अपना जीबन त्याग कर चुकानी पड़ी जबकि बास्तविकता यह है कि ये अंग्रेज अपने इस षडयन्त्र को अन्जाम देने के लिए कई जिन्दगियां लील गई ) ही इस मकसद को सपष्ट करने के लिए काफी है।
भारतीयों को इस पुस्तक की तरफ खींचने के लिए लिखा गया है(Lead me from darkness into light, from death to immortality.
Vedic prayer) मतलब लेखक भी भारतीय संसकृति के प्रति उतनी ही समर्पित है जितनी कि एंटोनिया कहा भी गया है न चोर-चोर मौसेरे भाई।एंटोनिया तो एक SEX रिलेसन के परिणामस्वारूप भारत के प्रति समर्पित हो गई लेखक को इस वहाने की भी जरूरत न पड़ी ।
आप जरा ध्यान से सोचो कि जो ब्यक्ति एक sex relation के परिणामस्वारूप अपनी बफादारी अपनी मातृभूमि व संसकृति से वदलकर किसी दूसरे देश व संसकृति के प्रति कर ले वो भला उस दूसरे देश व संस्कृति के प्रति कितनी वफादार रहेगी।एंटोनिया की वफादारी किसके प्रति है जानने के लिए (एंटोनिया के हिन्दूविरोधी षडयन्त्र जरूर पढ़ें) आप सब समझ जायेंगे।
हमारे विचार में यह सारा मामला एक प्रयोजित कार्यक्रम है जिसमें लेखक व एंटोनिया से लेकर मिडीया तक मोटी कमाई करने के चक्र में हैं।
अगर कुछ पल के लिए यह मान भी लिया जाए कि कांग्रेस बास्तब में ही इस पुस्तक की विरोधी है तो उसका सिर्फ एक ही कारण हो सकता है वो है भारतीयों से एंटोनिया की असलियत छुपाकर रखना ।
वो असलियत जिसको जानने का हर भारतीय को हक है।
क्योंकि जिन भारतीयों का प्रधानमन्त्री इस अंग्रेज के इसारे पर काम करता है उन भारतीयों को ये जरूर पता होना चाहिए कि उनके प्रधानमन्त्री का मार्गदर्शक कौन है? मार्गदर्शक की सोच क्या है?उसकी संसकृति क्या है?उसका परिवेश क्या है?साथ ही उसका इस देश के लोगों के प्रति द्रिष्टीकोण क्या है ? सबसे उपर उसकी मूल विचारधारा क्या है? अगर आप भी जानना चाहते हैं विस्तार से गुलाम कांग्रेसियों की आका एंटोनिया के जीवन के वारे में तो इन्तजार किजीए हमारी अगली कड़ी का...
12 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर और सार्थक विवेचना ,दरअसल लोभी-लालची और इस देश को ६२ सालों से बर्बाद करने वाली पार्टी कब क्या करेगी अपनी खाल बचाने के लिए इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है |
एकदम सही नब्ज पकड़ी आपने सुनील दत जी, एकदम सही विश्लेष्ण ! इस देश के प्रति क्रिश्चयन षड्यंत्र के तहत इसे भी उसी कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए !
सही विश्लेषण किया है.... बहुत बढ़िया..
यह तथ्य, पुस्तक के रूप में अभी सामने आये हैं, जबकि नेट पर तथा सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा काफ़ी पहले ज़ाहिर किये जा चुके हैं। लेकिन तब कांग्रेसियों ने हंगामा नहीं किया क्योंकि भारत में नेट की पहुँच बहुत ही कम है…। जबकि नेहरु के सचिव मथाई की पुस्तक को तो बैन करवा दिया गया था… उसमें भी यही कुछ लिखा था।
लेकिन आपने विश्लेषण बहुत बढ़िया किया है… "लाल बन्दरों" को भी लाल साड़ी के बारे में बताया जाये, आप लगे रहिये… अच्छा काम कर रहे हैं…
जी साजिश तो शुरू से किया जा रहा है.
जनता को भी ठीक से पता चले
amir उर्फ imran उर्फ impact मोहमद उमर कैरानवी है
बहुत सही विश्लेषण किया आपने.....इस देश में षडयन्त्रों का तो एक बहुत लम्बा इतिहास रहा है...बहरहाल आपकी इस पहले के लिए साधुवाद!
jitna bhi kaho kam hai...par sunne wale bhi saa..... besharam hai...
kunwar ji,
सादर वन्दे !
इसी तरह इन सा.......... की बखिया उधेड़ते रहें | इनके बीमारी का इलाज भी मिलेगा ही | बहुत ही शाहसिक पोस्ट !
रत्नेश त्रिपाठी
आईये जानें .... मैं कौन हूं!
आचार्य जी
bhai bhut ghrai me gye hain aap
vastv me hme kary ke nihitarth me ja kr use jroor phchanna chahiye
is ke bina hm uddeshy tk nhi phuchskte hain
dr. ved vyathit
बहुत ही शाहसिक पोस्ट !
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