धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
शनिवार, 31 दिसंबर 2011
रविवार, 25 दिसंबर 2011
मक्कार सेकुलर गद्दारो Happy Crishmiss कहने से पहले ईसाईयों के हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी कुकर्मों का तो जरा संज्ञान ले लो…
आप किस सांप्रदाय के साथ कैसे सबन्ध ऱखना चाहते हैं इस वारे में हिन्दू संसकृति किसी तरह का कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाती लेकिन जिस तरह से मानबता के हत्यारे इसाई भारत को लहुलुहान करने के मकसद से भारत के मूल श्रीमद भगवत गीता पर प्रहार कर रहें हैं उसे देखते हुए जरूरी नहीं कि आप इन दुष्टों को बधाई दें।
http://samrastamunch.blogspot.com/2011/12/blog-post_24.html
अगर सिर्फ बात यहीं तक होती तो हम कहते कि चलो कहने-सुनने से क्या फर्क पड़ता है लेकिन बात इससे भी कहीं आगे की है। अगर विस्वास नहीं होता तो आप इसे पढ़कर निर्णय कर लें। यहां पढ़ें
कुछ वर्ष पहले हमने एक ईसाई से किसी तरह एक पुस्तक हासिल की जिसका शीर्षक है “ और स्नातन पर्वत गिर गया”। मतलब ये ब्याभिचारी ईसाई भारत से स्नातन को हमेशा के लिए समाप्त करने के स्वपन देखने लग पड़े हैं जानते हो क्यों ? क्योंकि आप जैसे सेकुलर जाने अनजाने इन भारतविरोधी हिन्दूविरोधी ईसाई मिसनरियों के ऐजेंट बन चुके हैं ।
आप सबको याद होगा कि किस तरह उड़ीसा में इन ईसाईयों ने बयोबृद्ध सन्त को मौत के घाट उतार ईसाई बहुल क्षेत्रों में दंगे भड़काकर सारे संसार में हिन्दूओं को बदनाम करने का पुरजोर प्रयत्न किया जिसमें राहुल विन्सी से लेकर एडवीज एंटोनिया तक सबके सब भारतविरोधी- हिन्दूविरोधी सामिल थे। इसेस पहले ये धूर्त ऐसे ही हथकण्डे अपनाकर उतरपूर्व के अधिकतर हिस्सों से हिन्दूओं को खदेड़ चुके हैं।
क्या आपने कभी उन शहीदों के वारे में सोचा जो इन धूर्त फिरंगियों की गोलियों का सिकार होकर जलियांवाला बाग में मारे गए?
क्या आपने कभी भारतीयों की आजादी को प्रयासरत उन क्रंतिकारियों के वारे में सोचा जिन पर इन अत्याचारियों ने अमानविय जुल्म ढाय?
क्या आपने उन बच्चों के वारे में आपने सोचा जिनका ईसाई पादरियों ने चर्च के अन्दर यौन शोषण कर उन्हें जिन्दगी शुरू होने से पहले ही कभी न भरे जाने वाले जख्म दे दिए?
आज भी ये दुष्ट ईसाई सारे भारत में लोगों को लालच ,भय व अन्य ओछे हथकण्डे अपनाकर धर्मांतरण करवाकर मां को बच्चों से ,पत्नि को पति से व भाई को भाई से जुदा कर उनकी जिन्दगी में आग लगा रहे हैं।
अगर नहीं सोचा तो आगे से Happy Crishmiss कहने से पहले जरूर सोच लेना….
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अगर सिर्फ बात यहीं तक होती तो हम कहते कि चलो कहने-सुनने से क्या फर्क पड़ता है लेकिन बात इससे भी कहीं आगे की है। अगर विस्वास नहीं होता तो आप इसे पढ़कर निर्णय कर लें। यहां पढ़ें
कुछ वर्ष पहले हमने एक ईसाई से किसी तरह एक पुस्तक हासिल की जिसका शीर्षक है “ और स्नातन पर्वत गिर गया”। मतलब ये ब्याभिचारी ईसाई भारत से स्नातन को हमेशा के लिए समाप्त करने के स्वपन देखने लग पड़े हैं जानते हो क्यों ? क्योंकि आप जैसे सेकुलर जाने अनजाने इन भारतविरोधी हिन्दूविरोधी ईसाई मिसनरियों के ऐजेंट बन चुके हैं ।
आप सबको याद होगा कि किस तरह उड़ीसा में इन ईसाईयों ने बयोबृद्ध सन्त को मौत के घाट उतार ईसाई बहुल क्षेत्रों में दंगे भड़काकर सारे संसार में हिन्दूओं को बदनाम करने का पुरजोर प्रयत्न किया जिसमें राहुल विन्सी से लेकर एडवीज एंटोनिया तक सबके सब भारतविरोधी- हिन्दूविरोधी सामिल थे। इसेस पहले ये धूर्त ऐसे ही हथकण्डे अपनाकर उतरपूर्व के अधिकतर हिस्सों से हिन्दूओं को खदेड़ चुके हैं।
क्या आपने कभी उन शहीदों के वारे में सोचा जो इन धूर्त फिरंगियों की गोलियों का सिकार होकर जलियांवाला बाग में मारे गए?
क्या आपने कभी भारतीयों की आजादी को प्रयासरत उन क्रंतिकारियों के वारे में सोचा जिन पर इन अत्याचारियों ने अमानविय जुल्म ढाय?
क्या आपने उन बच्चों के वारे में आपने सोचा जिनका ईसाई पादरियों ने चर्च के अन्दर यौन शोषण कर उन्हें जिन्दगी शुरू होने से पहले ही कभी न भरे जाने वाले जख्म दे दिए?
आज भी ये दुष्ट ईसाई सारे भारत में लोगों को लालच ,भय व अन्य ओछे हथकण्डे अपनाकर धर्मांतरण करवाकर मां को बच्चों से ,पत्नि को पति से व भाई को भाई से जुदा कर उनकी जिन्दगी में आग लगा रहे हैं।
अगर नहीं सोचा तो आगे से Happy Crishmiss कहने से पहले जरूर सोच लेना….
शनिवार, 24 दिसंबर 2011
चोरों-लुटेरों और गद्दारों की भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार का असर अब रूस में भी।
जैसा कि आप सब जानते हैं कि रूस के साइबेरिया प्रांत के तोमसक शहर में चर्च ने स्थानीय न्यायालय में भारत की प्राण श्रीमद भगवत गीता पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का सहारा लिया है।दुनिया भर में गैर ईसाईयों का खून बहाने वाले, चर्चों में बच्चों का यौन शोषण करने वाले, नारी को उपभोग की बस्तु मानकर उसको प्रताड़ित करने वाले व गैर ईसाईयों को ईसाई वनाने मतलब धर्मांतरण के लिए हर तरह के मानबीय मूल्य का खून करने वाले चर्च ने न्यायालय में मानबता की रक्षा की गारंटी श्रीमद भगवत गीता को उग्रवादी सहित्य बताया है ।
चर्च द्वारा की गई इस घिनौनी हरकत का हमें क्या जबाब देना चाहिए इसपर चर्चा तो हम अगले लेख में करेंगे लेकिन आज हम उन सेकुलर गद्दारों (कुछ सेकुलर गद्दारों की सच्चाई यहां पढ़ें।) की चर्चा करेंगे जिनके भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी कुकर्मों की बजह से भारत को ये दिन देखने पड़ रहे हैं।
हम सब जानते हैं कि किस तरह भारतविरोधी ताकतों ने चर्च की ऐजेंट एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत में plant कर भारत को तबाह करने का षडयन्त्र रचा । आप इस बात से भी परिचित हैं कि किस तरह 2004 से भारत में इस विदेशी ऐजेंट की गुलाम सरकार एक के बाद एक ऐसा काम कर रही है जिससे हिन्दूओं को कमजोर व बदनाम किया जा सके।
जहां एक तरफ ये चोरों की सरगना एंटोनिया भारत को लूट कर सारा धन विदेशों में जमा करवाकर भारत को आर्थिक रूप से कमजोर कर रही हैं वहीं दूसरी तरफ इसकी गुलाम सरकार एक तो चोरों के बिरूद्ध आबाज उठाने वाले स्वामी राम देब जी व अन्ना जी जैसे देशभक्तों पर जुल्म ढा रही है वहीं दूसरी तरफ हिन्दूओं के अधिकारों को छीनकर गैर हिन्दूओं के हबाले कर हिन्दूओं के बच्चों के पेट पर लात मार रही है।
इतने से भी जब इस भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार का मन नहीं भर रहा है तो संसार को शांति का पाठ पढ़ाने वाले हिन्दूओं को ही ये सरकार आतंकवादी करार देकर असली आतंकवादियों को बचाने का काम कर रही है।
जहां एक तरफ ये भारतविरोधी सरकार भारतविरोधी आतंकवादियों को जेलों से छोड़कर उन्हें लाखों रूपए दे रही है वहीं दूसरी तरफ ये हिन्दूविरोधी सरकार निर्दोष हिन्दूओं व सैनिकों को विना किसी प्रमाण के जेलों में रखकर न केवल उन्हें प्रताड़ित कर रही है वल्कि हिन्दूओं को उग्रवादी करार देकर सारे संसार में बदनाम भी कर रही है।
इस बिदेशी की गुलाम भारतविरोधी –हिदूविरोधी सरकार के दुष्प्रचार का ही परिणाम है कि आज रूस में भारत की प्राण श्रीमद भगवत गीता को उग्रवादी सहित्य करार देकर उस पर प्रंतिबन्ध की तैयारी है।
चर्च द्वारा की गई इस घिनौनी हरकत का हमें क्या जबाब देना चाहिए इसपर चर्चा तो हम अगले लेख में करेंगे लेकिन आज हम उन सेकुलर गद्दारों (कुछ सेकुलर गद्दारों की सच्चाई यहां पढ़ें।) की चर्चा करेंगे जिनके भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी कुकर्मों की बजह से भारत को ये दिन देखने पड़ रहे हैं।
हम सब जानते हैं कि किस तरह भारतविरोधी ताकतों ने चर्च की ऐजेंट एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत में plant कर भारत को तबाह करने का षडयन्त्र रचा । आप इस बात से भी परिचित हैं कि किस तरह 2004 से भारत में इस विदेशी ऐजेंट की गुलाम सरकार एक के बाद एक ऐसा काम कर रही है जिससे हिन्दूओं को कमजोर व बदनाम किया जा सके।
जहां एक तरफ ये चोरों की सरगना एंटोनिया भारत को लूट कर सारा धन विदेशों में जमा करवाकर भारत को आर्थिक रूप से कमजोर कर रही हैं वहीं दूसरी तरफ इसकी गुलाम सरकार एक तो चोरों के बिरूद्ध आबाज उठाने वाले स्वामी राम देब जी व अन्ना जी जैसे देशभक्तों पर जुल्म ढा रही है वहीं दूसरी तरफ हिन्दूओं के अधिकारों को छीनकर गैर हिन्दूओं के हबाले कर हिन्दूओं के बच्चों के पेट पर लात मार रही है।
इतने से भी जब इस भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार का मन नहीं भर रहा है तो संसार को शांति का पाठ पढ़ाने वाले हिन्दूओं को ही ये सरकार आतंकवादी करार देकर असली आतंकवादियों को बचाने का काम कर रही है।
जहां एक तरफ ये भारतविरोधी सरकार भारतविरोधी आतंकवादियों को जेलों से छोड़कर उन्हें लाखों रूपए दे रही है वहीं दूसरी तरफ ये हिन्दूविरोधी सरकार निर्दोष हिन्दूओं व सैनिकों को विना किसी प्रमाण के जेलों में रखकर न केवल उन्हें प्रताड़ित कर रही है वल्कि हिन्दूओं को उग्रवादी करार देकर सारे संसार में बदनाम भी कर रही है।
इस बिदेशी की गुलाम भारतविरोधी –हिदूविरोधी सरकार के दुष्प्रचार का ही परिणाम है कि आज रूस में भारत की प्राण श्रीमद भगवत गीता को उग्रवादी सहित्य करार देकर उस पर प्रंतिबन्ध की तैयारी है।
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गुरुवार, 22 दिसंबर 2011
मुसलिम आरक्षण के विना आप लोकपाल के वारे में सोच भी कैसे सकते हैं?
आज हमारे बहुत से भ्रष्टाचार विरोधी भारतीय सिर पर हाथ रखकर रो रहे हैं कि उन्होंने किससे पंगा ले लिया है। कुमार विस्वास जी की स्थिति को देखकर तो ऐसा ही लगता है।इन भ्र्ष्टाचार विरोधियों ने वो ख्वाब देखा है जिसकी कल्पना आज तक किसी ने भी नहीं की थी। इन भ्रष्टाचार विरोधियों ने सोचा कि आज तक कांग्रेस द्वारा जाति-सांप्रदाय- भाषा-क्षेत्र-के आधार विभाजित भारतीयों को वो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक साथ लाकर पहले मुगलों, फिर अंग्रेजों और अब काँग्रेस द्वारा संचालित फूट डालो और राज करो के षडयन्त्र को हमेशा के लिए खत्म कर देंगे।
लेकिन आज काँग्रेस ने फूट डालो और राज करो का वो दांव खेला जिसका इन भ्रष्टाचारविरोधियों के पास अभी तक कोई तोड़ नहीं दिखता।
जो मिडीया कल तक लोकपाल पर चर्चा को वेचैन था वही मिडीया आज इस्लामिक आरक्षण पर जमकर बहस करवा रहा है क्योंकि सरकार ने काले धन से संचालित मिडीया को भी जोकपाल विल की परिधि में रखा है। मिडीया की इस दुखती रग को छूने का जिम्मा एंटोनिया ने सौंपा था लालू प्रसाद यादब को ।जिसे लालू ने बखूबी निभाया भी।
यही नहीं लालू ने सब भ्रष्ट सांसदों का समर्थन उन्हें व सब लुटेरों की सरगना एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो को होने का दाबा भी किया।
कुल मिलाकर आज जब भारत में ISI +KGB + CIA के ऐजंट मिलकर सरकार चला रहे हों तो हमारी खोपड़ी में ये नहीं बैठता कि कोई भी समझदार व्यक्ति ऐसी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार से भारत हित की उम्मीद भला कैसे कर सकता है?
इन भ्रष्टाचारविरोधियों के नेताओं स्वामी जी व अन्ना जी को सोचना चाहिए कि इन्होंने किस आधार पर भ्रष्टाचार व गद्दारी की जननी कांग्रेस से ऐसी उम्मीद कर डाली जो अन्तोत्वगत्व कांग्रेस के ही बिनाश का कारण बन सकती है।
क्या अन्ना जी व स्वामी जी को नहीं पता कि आज के प्रधानमन्त्री वही कर रहे हैं जो उन्हें बिदेशी विषकन्या एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो से आदेश मिल रहे हैं।
चलो मान लेते हैं कि ये सरकार KGB + CIA की बातें ताकतबर देशों के दबाब में मान रही है लेकिन अगर ये सरकार गद्दारों की नहीं तो फिर ये पाकिस्तान जैसे बिफल इस्लामिक रिपबलिक की ऐजेंसी ISI के इसारे पर क्यों काम कर रही है?
अभी हाल ही में अमेरिका में पकड़े गए ISI सरगना गुलामनबी फई ने अमेरीकी कोर्ट में इस सरकार के कई मन्त्रियों के साथ सबन्ध होने की बात कबूली है। यही नही आरेप हरीश खरे पर भी लगे हैं हरीश खरे प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं। वेशक हरीश खरे ने ISI के साथ किसी भी तरह के सबन्ध होने से मना किया है । बैसे हम भी अभी तक हरीश खरे के विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं ढूंढ पाए हैं लेकिन अगर FBI की जांच में हरीश खरे का नाम आया है तो इसे नकारा भी नहीं जा सकता ।
हरीश खरे के निजी तौर पर सबन्ध हों या न हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों वो जिस प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं वो ही भारतविरोधी ISI ऐजेंट की तरह काम कर रहा है।
ISI के आदेश पर ISI ऐजेंट राजेन्द्र सच्चर को सचर कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ISI के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को वैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना, (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें) ISI के आदेश पर दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार जैसे ISI ऐजेंटों को कशमीर पर ISI के षडयन्त्रों को बैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए कमेटी का सदस्य बनाना, शर्म अलसेख में पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना जिसके अनुसार भारत को पाकिस्तान के बलूचीस्तान में आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया गया ,भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,मुसलिम बहुल जिलों के विकाश की बात कर मुसलमानों को अपनी जनसंख्य बढ़ाने को उकसाना,सुरक्षाबलों को आतंकवादी घटना के बाद इस्लामिक आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने को कहना,पाठशाला में प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना यहां तक कि SC,ST,OBC के बच्चों को भी वन्चित करना, हिथरो हबाई अडडे पर बम धमाका करने वाले इस्लामिक आतंकवादी के पकड़े जाने पर प्रधानमन्त्री को नींद नहीं आना और रामलीला मैदान में निर्दोष देशभक्तों पर हमला करवाना व उसे जायज ठहराना, CBI का दुरूपयोग कर इसरत जहां व सोराबुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों को जेलों में ढलवाना , सांप्रदायिक हिंसा विल के माध्यम से मुसलमानों व मुसलिम आतंकवादियों के हर अपराध के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराने का षडयन्त्र रचना,सेना को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का षडयन्त्र रचना जैसे कुकर्म कोई देशभक्त भारतीय तो कर नहीं सकता न ही करवा सकता है ऐसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी काम तो भारत का शत्रु यानी ISI ऐजेंट ही कर/करवा सकता है। (हम अच्छी तरह जानते हैं कि मनमोहन में इतना साहस नहीं कि वो देश से इतनी बढ़ी गद्दारी करे जिसके परिणामस्वारूप देश का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है लेकिन प्रधानमन्त्री बने रहने के लालच में एक विदेशी विषकन्या के इसारे पर भारत का सर्वनाश करने के षडयन्त्र रचने के अपराध से इस भारतविरोधी को मुक्त नहीं किया जा सकता।)
अब आप ही बताओ ऐसे हालात में मुसलिम आरक्षण के विना आप लोकपाल के वारे में सोच भी कैसे सकते हैं?
लेकिन आज काँग्रेस ने फूट डालो और राज करो का वो दांव खेला जिसका इन भ्रष्टाचारविरोधियों के पास अभी तक कोई तोड़ नहीं दिखता।
जो मिडीया कल तक लोकपाल पर चर्चा को वेचैन था वही मिडीया आज इस्लामिक आरक्षण पर जमकर बहस करवा रहा है क्योंकि सरकार ने काले धन से संचालित मिडीया को भी जोकपाल विल की परिधि में रखा है। मिडीया की इस दुखती रग को छूने का जिम्मा एंटोनिया ने सौंपा था लालू प्रसाद यादब को ।जिसे लालू ने बखूबी निभाया भी।
यही नहीं लालू ने सब भ्रष्ट सांसदों का समर्थन उन्हें व सब लुटेरों की सरगना एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो को होने का दाबा भी किया।
कुल मिलाकर आज जब भारत में ISI +KGB + CIA के ऐजंट मिलकर सरकार चला रहे हों तो हमारी खोपड़ी में ये नहीं बैठता कि कोई भी समझदार व्यक्ति ऐसी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार से भारत हित की उम्मीद भला कैसे कर सकता है?
इन भ्रष्टाचारविरोधियों के नेताओं स्वामी जी व अन्ना जी को सोचना चाहिए कि इन्होंने किस आधार पर भ्रष्टाचार व गद्दारी की जननी कांग्रेस से ऐसी उम्मीद कर डाली जो अन्तोत्वगत्व कांग्रेस के ही बिनाश का कारण बन सकती है।
क्या अन्ना जी व स्वामी जी को नहीं पता कि आज के प्रधानमन्त्री वही कर रहे हैं जो उन्हें बिदेशी विषकन्या एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो से आदेश मिल रहे हैं।
चलो मान लेते हैं कि ये सरकार KGB + CIA की बातें ताकतबर देशों के दबाब में मान रही है लेकिन अगर ये सरकार गद्दारों की नहीं तो फिर ये पाकिस्तान जैसे बिफल इस्लामिक रिपबलिक की ऐजेंसी ISI के इसारे पर क्यों काम कर रही है?
अभी हाल ही में अमेरिका में पकड़े गए ISI सरगना गुलामनबी फई ने अमेरीकी कोर्ट में इस सरकार के कई मन्त्रियों के साथ सबन्ध होने की बात कबूली है। यही नही आरेप हरीश खरे पर भी लगे हैं हरीश खरे प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं। वेशक हरीश खरे ने ISI के साथ किसी भी तरह के सबन्ध होने से मना किया है । बैसे हम भी अभी तक हरीश खरे के विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं ढूंढ पाए हैं लेकिन अगर FBI की जांच में हरीश खरे का नाम आया है तो इसे नकारा भी नहीं जा सकता ।
हरीश खरे के निजी तौर पर सबन्ध हों या न हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों वो जिस प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं वो ही भारतविरोधी ISI ऐजेंट की तरह काम कर रहा है।
ISI के आदेश पर ISI ऐजेंट राजेन्द्र सच्चर को सचर कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ISI के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को वैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना, (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें) ISI के आदेश पर दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार जैसे ISI ऐजेंटों को कशमीर पर ISI के षडयन्त्रों को बैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए कमेटी का सदस्य बनाना, शर्म अलसेख में पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना जिसके अनुसार भारत को पाकिस्तान के बलूचीस्तान में आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया गया ,भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,मुसलिम बहुल जिलों के विकाश की बात कर मुसलमानों को अपनी जनसंख्य बढ़ाने को उकसाना,सुरक्षाबलों को आतंकवादी घटना के बाद इस्लामिक आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने को कहना,पाठशाला में प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना यहां तक कि SC,ST,OBC के बच्चों को भी वन्चित करना, हिथरो हबाई अडडे पर बम धमाका करने वाले इस्लामिक आतंकवादी के पकड़े जाने पर प्रधानमन्त्री को नींद नहीं आना और रामलीला मैदान में निर्दोष देशभक्तों पर हमला करवाना व उसे जायज ठहराना, CBI का दुरूपयोग कर इसरत जहां व सोराबुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों को जेलों में ढलवाना , सांप्रदायिक हिंसा विल के माध्यम से मुसलमानों व मुसलिम आतंकवादियों के हर अपराध के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराने का षडयन्त्र रचना,सेना को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का षडयन्त्र रचना जैसे कुकर्म कोई देशभक्त भारतीय तो कर नहीं सकता न ही करवा सकता है ऐसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी काम तो भारत का शत्रु यानी ISI ऐजेंट ही कर/करवा सकता है। (हम अच्छी तरह जानते हैं कि मनमोहन में इतना साहस नहीं कि वो देश से इतनी बढ़ी गद्दारी करे जिसके परिणामस्वारूप देश का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है लेकिन प्रधानमन्त्री बने रहने के लालच में एक विदेशी विषकन्या के इसारे पर भारत का सर्वनाश करने के षडयन्त्र रचने के अपराध से इस भारतविरोधी को मुक्त नहीं किया जा सकता।)
अब आप ही बताओ ऐसे हालात में मुसलिम आरक्षण के विना आप लोकपाल के वारे में सोच भी कैसे सकते हैं?
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बुधवार, 21 दिसंबर 2011
Networking Sites पर पावंदी की ओर सरकार के बढ़ते कदम…
जैसा कि आप सब जानते ही हैं कि आजकल कांग्रेस के कुछ गुलाम मानसिकता के सिकार नेता अपनी आका एटवीज एंटोनिया अलवीना माइनो व इस्लामिक आतंकवादी हजरत मोहम्द की असलियत को ब्यान करती तसवीरों को लेकर इतने बौखला गए हैं कि इस बौखलाहट में वो भूल चुके हैं कि उनके द्वारा किया जा रहा Networking Sites का विरोध उनको नय उबरते तालिवानियों के रूप में सारे संसार के सामने ला रहा है।
यह वही कांग्रेस है जो भारतीय संस्सकृति के हर अपमान को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का नाम देकर हमेशा ईसाई व इस्लामिक भारतविरोधियों के समर्थन में खड़ी नजर आई।
बैसे कांग्रेस के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी रबैए को देखते हुए किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए लेकिन हमें फिर भी उस वक्त बहुत हैरानी हुई जब मानबता के कातिल आतंकवादी ओसामाविन लादेन को ओसामा जी कहने वाली कांग्रेस ने भारतीय संस्कृति के ध्वजबाहक व सचे सन्त स्वामी रामदेव जी को ठग कहकर अपमानित किया और भ्र्ष्टाचार के घोर विरोधी अन्ना जी को नीचे से उपर तक आपतिजनक शब्दों में भ्रष्ट बताकर अपमानित किया।
तब इन गुलाम कांग्रेसियों को ये होश नहीं आया कि इन जांबाजों के करोड़ों समर्थकों की भावनाओं को ठेश पहुंच सकती है।
लेकिन लुटेरों और गद्दारों की सरगना व उसके गुलाम का नाम आते ही इन्हें भावनाओं का ख्याल सता रहा है।
ऐसा नहीं कि इनकी भावनाओं को लहुलुहान करने के लिए हमारे पास शब्दों या फिर विषयों की कमी है लेकिन हम ये सोच कर कि हम भी इनकी तरह अगर तर्क की जगह कुतर्क का ही सहारा लेंगें तो हमारे विचारशील पाठक हमें बख्सेंगे नहीं।
खैर ज्यादा विषयांतर न करते हुए हम उस विषय पर आ रहे हैं जिसने हमें ये गर्मागरम लेख लिखने पर मजबूर किया। अभी-अभी हमने ZEE NEWS सहित अनेक चैनलों पर ये समाचार सुना कि दिल्ली के रोहणी कोर्ट ने सभी Networking Sites को धार्मिक भावनाओं को ठेश पहुंचाने वाली हर प्राकर की सामग्री को हटाने का आदेश दिया है।
क्योंकि यह आदेश हर किसी की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखने के इरादे से दिया गया है इसलिए हमारे पास माननीय न्यायलय का समर्थन करने के अलावा कोई और मार्ग नहीं है।
लेकिन हमें ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि कई वार सरकारें अपनी मनमानी चलाने के लिए वकीलों व जजों को दबाब में लाकर अपना गंदा खेल आगे बढ़ाने के लिए माननीय न्यायलय का दुरूपयोग करती हैं।
अगर ये आदेश इसी गंदे खेल का हिस्सा है तब तो हमें सचेत होकर इसका विरोध करना चाहिए लेकिन अगर ये मनबता के की रक्षा के लिए दिया गया है तो इसका अध्ययन करने की जरूरत है।
हमारे विचार में भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी PRINT व ELECTRONIC MEDIA के विकल्प के रूप में उभरती Networking Sites को अभी किसी भी तरह की रोक-टोक से मुक्त रखा जाना चाहिए ता3कि हमारे जैसे आम लोग भी अपनी प्रतिक्रिया ताकतवर लोगों तक पहुंचा सकें।हम अच्छी तरह जानते हैं कि सबकीसब Networking Sites सिर्फ ईसाईयों द्वारा ही चलाई जा रही हैं।
लेकिन अपनी चोरी और गद्दरी का पर्दाफास होने से बौखलाए कांग्रेसी कोई भी हथकण्डा अपनाकर इन को अपने इसारे पर चलाने के लिए मतलब इनको भी भारतविरोधी बनाने के लिए प्रयासरत है।
आओ मिलकर Networking Sites की आजादी सुनिस्चित करें वरना सरकार का हर कदम Networking Sites पर पावंदी की ओर आगे बड़ रहा।
यह वही कांग्रेस है जो भारतीय संस्सकृति के हर अपमान को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का नाम देकर हमेशा ईसाई व इस्लामिक भारतविरोधियों के समर्थन में खड़ी नजर आई।
बैसे कांग्रेस के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी रबैए को देखते हुए किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए लेकिन हमें फिर भी उस वक्त बहुत हैरानी हुई जब मानबता के कातिल आतंकवादी ओसामाविन लादेन को ओसामा जी कहने वाली कांग्रेस ने भारतीय संस्कृति के ध्वजबाहक व सचे सन्त स्वामी रामदेव जी को ठग कहकर अपमानित किया और भ्र्ष्टाचार के घोर विरोधी अन्ना जी को नीचे से उपर तक आपतिजनक शब्दों में भ्रष्ट बताकर अपमानित किया।
तब इन गुलाम कांग्रेसियों को ये होश नहीं आया कि इन जांबाजों के करोड़ों समर्थकों की भावनाओं को ठेश पहुंच सकती है।
लेकिन लुटेरों और गद्दारों की सरगना व उसके गुलाम का नाम आते ही इन्हें भावनाओं का ख्याल सता रहा है।
ऐसा नहीं कि इनकी भावनाओं को लहुलुहान करने के लिए हमारे पास शब्दों या फिर विषयों की कमी है लेकिन हम ये सोच कर कि हम भी इनकी तरह अगर तर्क की जगह कुतर्क का ही सहारा लेंगें तो हमारे विचारशील पाठक हमें बख्सेंगे नहीं।
खैर ज्यादा विषयांतर न करते हुए हम उस विषय पर आ रहे हैं जिसने हमें ये गर्मागरम लेख लिखने पर मजबूर किया। अभी-अभी हमने ZEE NEWS सहित अनेक चैनलों पर ये समाचार सुना कि दिल्ली के रोहणी कोर्ट ने सभी Networking Sites को धार्मिक भावनाओं को ठेश पहुंचाने वाली हर प्राकर की सामग्री को हटाने का आदेश दिया है।
क्योंकि यह आदेश हर किसी की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखने के इरादे से दिया गया है इसलिए हमारे पास माननीय न्यायलय का समर्थन करने के अलावा कोई और मार्ग नहीं है।
लेकिन हमें ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि कई वार सरकारें अपनी मनमानी चलाने के लिए वकीलों व जजों को दबाब में लाकर अपना गंदा खेल आगे बढ़ाने के लिए माननीय न्यायलय का दुरूपयोग करती हैं।
अगर ये आदेश इसी गंदे खेल का हिस्सा है तब तो हमें सचेत होकर इसका विरोध करना चाहिए लेकिन अगर ये मनबता के की रक्षा के लिए दिया गया है तो इसका अध्ययन करने की जरूरत है।
हमारे विचार में भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी PRINT व ELECTRONIC MEDIA के विकल्प के रूप में उभरती Networking Sites को अभी किसी भी तरह की रोक-टोक से मुक्त रखा जाना चाहिए ता3कि हमारे जैसे आम लोग भी अपनी प्रतिक्रिया ताकतवर लोगों तक पहुंचा सकें।हम अच्छी तरह जानते हैं कि सबकीसब Networking Sites सिर्फ ईसाईयों द्वारा ही चलाई जा रही हैं।
लेकिन अपनी चोरी और गद्दरी का पर्दाफास होने से बौखलाए कांग्रेसी कोई भी हथकण्डा अपनाकर इन को अपने इसारे पर चलाने के लिए मतलब इनको भी भारतविरोधी बनाने के लिए प्रयासरत है।
आओ मिलकर Networking Sites की आजादी सुनिस्चित करें वरना सरकार का हर कदम Networking Sites पर पावंदी की ओर आगे बड़ रहा।
शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011
विदेशों द्वारा Plant किए जा रहे इस विस्फोटक को कौन निष्क्रिए करेगा?---संदर्भ NGOs के माध्यम से धर्मांतरण, आतंकवाद, अलगाववाद, दाननबाधिकार, हिन्दूविरोध-देशविरोध व धर्मनिर्पेक्षता के लिए 50,000 करोड़ रूपए।
आज भारत में शायद ही कोई ऐसा नागरिक होगा जिसने आतंकवाद, धर्मांतरण, गैर - लाभकारी स्वैच्छिक संगठन, धर्मनिर्पेक्षता, अलगाववाद, मानबाधिकार, बुद्धिजीवि, हिन्दूविरोध-देशविरोध का नाम नहीं सुना होगा। लेकिन ऐसे बहुत ही कम होंगे जो ये जानते हों कि इन सब की जड़ में एक ही है और वो है विदेशी षडयन्त्र।
1947 में लेड़ी माऊंटवेटन को हथियार बनाकर नेहरू का उपयोग कर भारत का विभाजन करवाने के बाद अंग्रेजों ने ये मान लिया कि उन्होंने एक हिन्दू राष्ट्र भारत को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। लेकिन 70 का दशक आते-आते इन बिदेशियों को ये सपष्ट हो गया कि भारत एकवार फिर राख से उठ खड़ा हुआ। ये वही दशक है जब इन्दिरा गाँधी ने बिदेशी दबाब के आगे न झुकते हुए परमाणु बिस्फोट कर भारत को ताकतबर राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा कर दिया।
लेकिन ये बो वर्ष भी है जब विदेशी ताकतों ने ओछे हथकंडे अपनाकर इन्दिरा गांधी को भारत का संविधान बदलने पर मजबूर कर दिया। इन विदेशी ताकतों ने एक सोची समझी रणनिती के तहत हिन्दूओं को कमजोर करने के लिए पैसे व ताकत के बल पर भारतीय संविधान में धर्मनिर्पेक्ष शब्द जुड़वा दिया जो कि भारत की सर्वधर्मसम्भाव की धारणा के विलकुल विपरीत है।
अगर आप भारत के हालात पर गहरी नजर डालेंगे तो पायेंगे कि भारत के संविधान में धर्मनिर्पेक्ष शब्द जुड़ने के साथ ही भारत में गैर - लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों के नाम पर हिन्दूविरोधियों-भारतविरोधियों का एक ऐसा कुनबा तैयार होने लगा जिसने भारत में अलगाववाद व आतंकवाद को जन्म देने के साथ-साथ धर्मांतरण की गति बढ़ाते हुए सेकुलर गद्दारों की एक ऐसी फौज खड़ी की जो आज खुलकर भारत की एकता और अखण्डता को ललकार रही है।
वेशक इन भारतविरोधियों की गतिविधियां 70 के दशक में शुरू हुईं लेकिन 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण ने इन भारतविरोधियों के लिए बलबर्धक का काम किया।उसके बाद तो इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों को तो मानो पंख लग गए क्योंकि अब विदेशों से इन्हें पैसा मिलना विलकुल आसान भी हो गया और ज्यादा भी मिलने लगा। इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों को पंख लगने के साथ ही अलगाववाद, आतंकवाद, धर्मांतरण ,मानबाधिकारबाद और देशविरोध-हिन्दूविरोध को भी पंख लग गए।
कुल मिलाकर आज भारत में राष्ट्रबाद इतना कमजोर हो गया है कि एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम सरकार इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से भारत में सचर कमेटी रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा कमेटी रिपोर्ट, 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill, 2011 जैसे षडयन्त्रों के माध्यम से भारत के मूल निवासियों मतलब हिन्दूओं को उनके मूल अधिकारों से भी वंचित करने का दुहसाहस कर रही है।
क्या आपने कभी सोचा कि ये सब किसके बल पर हो रहा है। ये सब हो रहा है बिदेशी ताकतों के बल पर । इन बिदेशी ताकतों ने अपने भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए भारत में कुल मिलाकर 23000 गैर- लाभकारी स्वैच्छिक गिरोहों
http://www.onlinenews.com.pk/details.php?id=186705 का निर्माण किया हुआ है जिन्हें पिछले पांच वर्षों में ही 50,000 करोड़ से अधिक रूपए मिल चुके हैं भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए।
इसमें सिर्फ US,UK,Nitherland, Italy जैसे ईसाई देशों से धर्मांतरण व आतंकवाद के माध्यम से भारत के इसाईकरण के लिए प्राप्त हो रहा पैसा ही सामिल है जबकि इस्लामिक आतंकवाद समर्थक केन्द्र सरकार ने साऊदी अरब जैसे इस्लामिक देशों से मदरसों , मस्जिदों व आतंकवाद के माध्यम से भारत के इसलामीकरण के लिए दिए जा रहे पैसे के वारे में कोई जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं करवाई है। जिस दिन वो जानकारी आपके सामने आएगी याकीन मानो आपके पैरों तले जमीन नहीं रहेगी।
अगर आप इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक गिरोहों में उन संगठनों को भी जोड़ लें जिनका नियन्त्रण सीधे चर्च के हाथ में है व उन गिरोहों को भी जिनका सीधे इस्लामिक देशों के हाथों में है तो ये शंख्या करोड़ों में पहुंच जाती है व इन गिरोहों को मिलने वाला धन भी अरबों रूपए हो जाता है।
अगर आपको ये आंकड़े जानकर हैरानी हो रही है तो हम आपको बताते चलें कि जो सरकार हमेशा इन भारतविरोधी गिरोहों की मददगार रही है उसी के अनुसार भारत में इन गिरोहों की शंख्या 20 लाख से अधिक है व ये गिरोह भारत में आतंकवादियों के मददगार हैं। इसलिए केन्द्र सरकार का गृह विभाग इन भारतविरोधी गिरोहों की जांच करवा रहा ।
http://www.hindustantimes.com/News-Feed/newdelhi/MHA-eye-on-NGOs-funding-terrorists/Article1-779211.aspx
वेशक ये जांच आज कुछ गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों के भ्रष्टाचार विरोधी अन्दोलन में कूदने की बजह से करवाई जा रही है, लेकिन इस सच्चाई को तो नहीं नकारा जा सकता कि भारत के अधिकतर टैलीविजन चैनल,पत्रकार ,समाचार पत्र व गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों जिसमें मनबाधिकार संगठन व अल्पसंख्यक अधिकार संगठन भी सामिल है, विदेशों के इसारे पर भारतविरोधी महौल बनाने में जुटे हुए हैं। अगर आपको भरोसा नहीं होता इन सेकुलर गद्दारों की सच्चाई यहां पढ़ें।
ऐसा नहीं कि सब के सब गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठन भारतविरोधी हैं
http://www.freemalaysiatoday.com/2011/12/09/ngos-want-indian-as-malacca-cm/
लेकिन क्योंकि इनमें से अधिकतर भारतविरोधी हैं इसलिए अब ये आम धारणा बनती जा रही है कि सबके सब गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठन कहीं न कहीं विदेशियों के इसारे पर भारत को अस्थिर करने की दिन-रात कोशिस कर रहे हैं वो भी चन्द टुकड़ों के लालच में आकर।
गौतम नबलखा ,तीसता शीतलबाड़,कुलदीप नैयर,राजेन्द्र गोपाल सच्चर,राधा कमार, अग्निवेश, प्रशांत भूषण,मनमोहन सिंह जैसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी विदेशियों के पैसे पर पलने वाले वो गद्दार हैं जो भारत को तहस-नहस करने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।
अब वक्त आ गया है कि सबके सब बलागर ऐसे एक-एक गद्दार पर निगाह रखकर इन सब भारतविरोधियों का कच्छा चिट्ठा खोलकर NGO नामक विस्फोटक को समय रहते निशक्रिए करें वरना वो दिन दूर नहीं जब ये NGO भारत में गृह युद्ध का कारण बनेंगे।
आओ मिलकर इस खतरे के बारे में अपने देशवासियों को जागरूक करें।
बुधवार, 7 दिसंबर 2011
Mr Sibal अगर भारत माता को Nude दिखाना ठीक तो फिर सोनिया गांधी को Nude दिखाना गलत कैसे?
आप सबने देखा होगा कि किस तरह भारत माता और हिन्दू देवी देबताओं के पतिजनक चित्र बनाने वाले MFHussain का कांग्रेसी नेताओं ने ये कहकर समर्थन व बचाब किया कि हिन्दूओं की आस्था से खिलवाड़ कर हिन्दूओं की भावनाओं पर चोट करना अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है।
जब सच्चा अरबी होने के नाते MFHussain ने एक गैर इस्लामिक देश भारत के बजाए एक इस्लामिक देश को अपनी अंतिम सांस लेने के बाद मृत देह को दफनाने के लिए चुना तो कांग्रेसियों ने आसमान सिर पर उठा लिया और MFHussain द्वारा बनाई गई आपतिजनक paintings से आहत भारतीयों खासकर हिन्दूओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराकर हिन्दूओं को तालिवीनी तक करार दे दिया ।
लेकिन आज वहीं कांग्रेसी कह रहे हैं कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की आपतिजनक तसवीरें Internet पर नहीं दिखाई जानी चाहिए। मतलब एक अंग्रेज और उसका गुलाम इन कांग्रेसियों के लिए भारत मां से बड़े है।
हम समझ सकते हैं कि जब भावनायें आहत होती हैं तो कितनी तकलीफ झेलनी पड़ती है लेकिन इन कांग्रेसियों को भी समझना चाहिए कि भावनायें सिर्फ मुसलमानों , ईसाईयों, और कांग्रसियों की ही नहीं होती हैं। हम भारतीयों वोले तो हिन्दूओं की भी कुछ भावनायें हैं। अगर आप उनका ख्याल रखेंगे तो हम भी आपको निराश नहीं करेंगे।
हम भारतीय वोले तो हिन्दू मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम जी को भारतीय संस्कृति का आधार मानकर उनकी न केवल पूजा ही करते हैं वल्कि उनके मान सम्मान के लिए अपना सर्वस्व नयौछावर करने का दमखम रखते हैं लेकिन Mr Sibal आप और आपकी पार्टी उनके अस्तित्व को नकारने का अमर्यादित आचरण करती है क्या तब आपने सोचा कि किसी की धार्मिक भावनायें आहत हो रही हैं?
जब आपकी पार्टी और आप जैसे लोगों ने एक ही सांस में MFHussain द्वारा किए गए हिन्दूओं की भावनाओं से खिलवाड़ को अभिव्यक्ति की आजादी व डच पत्रकार द्वार बनाए गए मोहम्मद के कारटून को भावनाओं से खिलवाड़ करार देकर ये जताने की कोशिश की कि गैर हिन्दूओं की भावनायें, भावनायें और हिन्दूओं की भावनायें अपराध तब आपको समझना चाहिए था कि करोड़ों हिन्दूओं को जो पीड़ा होगी उसके क्या परिणाम निकलेंगे?
Mr Sibal हमें नहीं पता कि इनमें से कौन सी तसवीर की आप बात कर रहे हैं लेकिन आप जिस भी तसवीर की बात कर रहे हैं वो तसवीर भारत माता व हिन्दू देवी-देबताओं की MFHussain द्वारा बनाई गई तसवीरों से ज्यादा आपतिजनक नहीं है।
फिर भी हम समझ सकते हैं कि आपको अपना पद वनाए रखने के लिए व आगे बढ़ने के लिए इस इटालियन अंग्रेज एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो की चापलूसी करने के लिए ये सब कहना जरूरी व मजबूरी है लेकिन एक भारतीय होने के नाते अपने देश भारत को इस अंग्रेज के संकजे से मुक्त करवाना हमारी भी मजबूरी है।
भगवान का शुक्र करो कि अभी हम सिर्फ बातों से ही जबाब दे रहे हैं वरना आप लोग जिस तरह के हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी षडयन्त्र रच रहे हैं उनके परिणामस्वारूप तो आपको बारूद से उड़ाना भी गलत न होगा लेकिन अभी तक हम अपने अहिंसा के संसकार से बंधे हुए हैं जिससे आजाद करवाने के लिए आपने दिन रात एक किया हुआ है ।भगवान करे आपकी दिल्ली इच्छा पूरी करते हुए देशभक्त भारतीय आपसे हथियारों से ही निपटें ताकि कांग्रेस की देश से गद्दारी की इस परम्परा से हमेशा के लिए मुक्ती पाई जा सके।
अभी भी वक्त है भारविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के पास भारतीयों की भावनाओं को समझकर उनका मान-सम्मान करने का वरना वो वक्त दूर नहीं जिस दिन इस तरह के चित्र बनाकार अपना क्रोध शांत करने वाले देशभक्त भारत के शत्रुओं पर बम्म गिराकर अपना क्रोध शांत करेंगे ।
जब सच्चा अरबी होने के नाते MFHussain ने एक गैर इस्लामिक देश भारत के बजाए एक इस्लामिक देश को अपनी अंतिम सांस लेने के बाद मृत देह को दफनाने के लिए चुना तो कांग्रेसियों ने आसमान सिर पर उठा लिया और MFHussain द्वारा बनाई गई आपतिजनक paintings से आहत भारतीयों खासकर हिन्दूओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराकर हिन्दूओं को तालिवीनी तक करार दे दिया ।
लेकिन आज वहीं कांग्रेसी कह रहे हैं कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की आपतिजनक तसवीरें Internet पर नहीं दिखाई जानी चाहिए। मतलब एक अंग्रेज और उसका गुलाम इन कांग्रेसियों के लिए भारत मां से बड़े है।
हम समझ सकते हैं कि जब भावनायें आहत होती हैं तो कितनी तकलीफ झेलनी पड़ती है लेकिन इन कांग्रेसियों को भी समझना चाहिए कि भावनायें सिर्फ मुसलमानों , ईसाईयों, और कांग्रसियों की ही नहीं होती हैं। हम भारतीयों वोले तो हिन्दूओं की भी कुछ भावनायें हैं। अगर आप उनका ख्याल रखेंगे तो हम भी आपको निराश नहीं करेंगे।
हम भारतीय वोले तो हिन्दू मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम जी को भारतीय संस्कृति का आधार मानकर उनकी न केवल पूजा ही करते हैं वल्कि उनके मान सम्मान के लिए अपना सर्वस्व नयौछावर करने का दमखम रखते हैं लेकिन Mr Sibal आप और आपकी पार्टी उनके अस्तित्व को नकारने का अमर्यादित आचरण करती है क्या तब आपने सोचा कि किसी की धार्मिक भावनायें आहत हो रही हैं?
जब आपकी पार्टी और आप जैसे लोगों ने एक ही सांस में MFHussain द्वारा किए गए हिन्दूओं की भावनाओं से खिलवाड़ को अभिव्यक्ति की आजादी व डच पत्रकार द्वार बनाए गए मोहम्मद के कारटून को भावनाओं से खिलवाड़ करार देकर ये जताने की कोशिश की कि गैर हिन्दूओं की भावनायें, भावनायें और हिन्दूओं की भावनायें अपराध तब आपको समझना चाहिए था कि करोड़ों हिन्दूओं को जो पीड़ा होगी उसके क्या परिणाम निकलेंगे?
Mr Sibal हमें नहीं पता कि इनमें से कौन सी तसवीर की आप बात कर रहे हैं लेकिन आप जिस भी तसवीर की बात कर रहे हैं वो तसवीर भारत माता व हिन्दू देवी-देबताओं की MFHussain द्वारा बनाई गई तसवीरों से ज्यादा आपतिजनक नहीं है।
फिर भी हम समझ सकते हैं कि आपको अपना पद वनाए रखने के लिए व आगे बढ़ने के लिए इस इटालियन अंग्रेज एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो की चापलूसी करने के लिए ये सब कहना जरूरी व मजबूरी है लेकिन एक भारतीय होने के नाते अपने देश भारत को इस अंग्रेज के संकजे से मुक्त करवाना हमारी भी मजबूरी है।
भगवान का शुक्र करो कि अभी हम सिर्फ बातों से ही जबाब दे रहे हैं वरना आप लोग जिस तरह के हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी षडयन्त्र रच रहे हैं उनके परिणामस्वारूप तो आपको बारूद से उड़ाना भी गलत न होगा लेकिन अभी तक हम अपने अहिंसा के संसकार से बंधे हुए हैं जिससे आजाद करवाने के लिए आपने दिन रात एक किया हुआ है ।भगवान करे आपकी दिल्ली इच्छा पूरी करते हुए देशभक्त भारतीय आपसे हथियारों से ही निपटें ताकि कांग्रेस की देश से गद्दारी की इस परम्परा से हमेशा के लिए मुक्ती पाई जा सके।
अभी भी वक्त है भारविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के पास भारतीयों की भावनाओं को समझकर उनका मान-सम्मान करने का वरना वो वक्त दूर नहीं जिस दिन इस तरह के चित्र बनाकार अपना क्रोध शांत करने वाले देशभक्त भारत के शत्रुओं पर बम्म गिराकर अपना क्रोध शांत करेंगे ।
मंगलवार, 6 दिसंबर 2011
चर्चा इधर-उधर की
देखो तो जरा अपने कुकर्मों से डरकर कौन भाग रहा है…
लगता है इस्लामिक आतंकवादियों की समर्थक सरकार को भी समझ आने लग पड़ा है कि ये इस्लामिक आतंकवाद सेकुलर गद्दारों को भी ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहने देगा….
इस्लामिक आतंकवादी ,परमपूजनीय भगवत गीता जंयती मनाने बालों पर हमला कर सकते हैं
सेकुलर गद्दार इसे शांति और भाईचारे का त्यौहार कहते हैं अगर दूध पीते बच्चों का खून बहाने में इन भारतविरोधियों को शांति नजर आती तो क्यों न इनका खून बहाकर इन्हे हमेशा के लिए शांत कर दिया जाए?
सोचने से कुछ नहीं होगा जरूत है इन देशभक्त संगठनों के साथ मिलकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाली खून खरावे की जड़ अरबी संस्कृति व उनके समर्थक सेकुलर गद्दारों को भारत की पबित्र धरती से हमेशा के लिए खत्म कर देना।
शनिवार, 3 दिसंबर 2011
जिस राहुल विन्सी की उत्तपति ही FDI के परिणास्वारूप हुई हो वो भला FDI का विरोध कैसै कर सकता है?
हम भारतीय अक्कसर ऐसी मूर्खतायें करते हैं जिन्हें देखकर बिदेशी हमारे उपर फबतियां ही नहीं कसते बल्कि आपसी बातचीत में हमारा जमकर उपहास भी उड़ातें हैं।राहुल विन्सी का FDI पर ये ब्यान इसी का प्रमाण है।
अब जरा सचो कि जो व्यक्ति/गिरोह/संगठन/कांग्रेसी/राजनीतिक दल आज एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम सरकार को केन्द्र में बनाए रखने के लिए सहयोग कर रहे हैं वही व्यक्ति/गिरोह/संगठन/कांग्रेसी/राजनीतिक दल किस मुँह से FDI का विरोध कर रहे हैं।
FDI का मतलब है प्रतय्क्ष विदेशी निवेश ।अब आप ही बताओ भला एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो से बड़ा और सीधा बिदेशी निवेश और क्या हो सकता है? इस FDI का तो उत्पादन Half Indian राहुल विन्सी भी हमारे सामने है जिसे कैटरीना कैफ ही 50% Indian करार देती है जो खुद पूरी तरह से भारतीय नहीं है।
FDI से उत्पादन कोई समाज सेवा या फिर जन कल्याण के लिए नहीं किया जाता जैसा की जनमजात बौद्धिक गुलाम मनमोहन सिंह कह रहा है बल्कि उत्पादन किया जता है लाभ कमाने के लिए । क्योंकि निवेश विदेशी है तो लाभ भी तो विदेशों में ही जायगा । भारत में लाभ के नाम पर लूट मची हुई है अब आप एंटोनिया नामक FDI को देख लो किस तरह से कभी बोफोर्ष सौदे के नाम पर ,तो कभी CWG के नाम पर ,तो कभी तेल के बदले अनाज के नाम पर, तो कभी 2G +3G , तो कभी रैली के नाम पर भारत को लूट कर सारा धन विदेशों में जमा करवा रही है। आज भारत में जो नियम हैं उनके हिसाब से कोई भी कैसे भी जितना चाहे उतना भारत को लूट सकता है लेकिन कानून इन सब डकैतों की रक्षा करता है। इसीलिए 100 की चीज 1000 में बेचकर भोली-भाली जनता को लूटा जा रहा है। चिप्पस का मामला ही देख लो।
जरा सोचो जिस भाजपा ने अपने कार्यकाल में एक विदेशी को भारतीय संसद में विपक्ष के नेता के रूप में मानयता देकर भारत की गुलामी का मार्ग खोला वही भाजपा भला आज किस मुंह से FDI का विरोध कर रही है। अगर भाजपा उस वक्त वाह-वाही के चक्कर में न पड़कर समझदारी से काम लेती और अपनी सरकारी ताकत का उपयोग कर इस विदेशी विषकन्या की कारगुजारियों पर तवरित जाँच करवाकर इसकी भारतविरोधी करतूतों का कच्चा चिट्ठा जनता के सामने रखती तो आज न तो देश गुलाम होता नही ही विदेशियों के हाथों इस तरह लुटता व न ही ये विदेशी विषकन्या Prevention of Communal And targeted Violence Bill-2011 जैसे कानून वनवाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान को आगे बढ़ाने में सफल होती।
बैसे भी FDI का अर्थ है आर्थिक गुलामी जो कि आगे चलकर सामाजिक व शारीरिक गुलामी को जन्म देती है। लम्बे समय तक इस तरह की गुलामी का शिकार रहना बौद्धिक गुलामी को जन्म देता है। आज भारत अभी तक पूरी तरह से सैंकड़ो बर्षो की मुसलिम और ईसाई गुलामी के परिणामस्वारूप उपजी बौद्धिक गुलामी से पूरी तरह आजाद नहीं हुआ है। इस गुलामी के शिकार लोग ही बिके हुए सेकुलर गद्दारों का अक्कसर साथ देकर भारत से ऐसी ऐतिहासिक भूलें करवाने पर तुलें हैं जो आगे चलकर भारतीयों के रोजगार, मान-सम्मान-स्वाभिमान से लेकर जान-माल तक को खतरे में डाल रही हैं। चर्च के षडयन्त्रों का शिकार होकर एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत की राजनीतिक जमात द्वारा स्थापित करना व ISI से पैसे खाकर सेकुलर गद्दारों द्वारा, सेकुलर गद्दारों से, हिन्दूहित पर प्रहार करने के लिए तैयार कवाई गई सच्चर कमेटी व रंगनाथ मिश्रा कमेटी जैसी रिपोर्टें ऐसी ही ऐतिहासिक भूलें हैं।
हमारा मानना है कि जिस तरह से राजनीतिक जमात ने दलगत राजनीति से उपर उठकर Prevention of Communal And targeted Violence Bill-2011 व FDI जैसे भारतविरोधी कानूनों का विरोध किया उससे एक कदम आगे बढ़कर इन सब देशभक्तों को एकजुट होकर भारत को बिदेशी गुलामी से मुक्त करने के लिए पहले तो इस विदेशी विषकन्या की पकड़ से केन्द्र सरकार को मुक्त करवाना चाहिए व बाद में मिलकर भारत में ऐसे कड़े कानून बनाने चाहियें जिनसे ये सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में ,सिर्फ भारतीय ही राजनीति कर सकें कोई विदेशी नहीं व भारत में रोजगार ,ब्यापार व आर्थिक संसाधनों पर सिर्फ भारतीयों का ही कब्जा रहे किसी बिदेशी का नहीं।
इसमें कोई शक नहीं कि इस वक्त सांसदों का बहुमत FDI के बिरोध में है लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अब अगला दौर खीद-फरोक्त का शुरू होगा जिसके पुरिणामस्वारूप बहुत से राजनीतिक दल व सांसद अपनी जेब भरने के बदले FDI के समर्थन में जा सकते हैं। ऐसे विकाऊ गद्दार सांसदों/दलों की पहचान कर उन्हें जनता के सामने वेनकाब करना चाहिए।
अभी तक सिर्फ इतना सपष्ट हुआ है कि सिर्फ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व खासकर राहुल विन्सी, एंटोनिया व मनमोहन ही भारतविरोधियों के हाथों विके हुए हैं या फिर यूं कहें कि कुछ मुठीभर विकाऊ कांग्रेसियों को छोड़कर सब केसब सांसद भारतीयों के रोजगार को बचाने को मुद्दे पर एकजुट हैं।
रही बात Half Indian की तो आप ही बताओ जिसकी उत्तपति ही FDI के परिणास्वारूप हुई हो वो भला FDI का विरोध कैसै कर सकता है इसलिए वो ठीक ही कह रहा है कि उसके ,उसकी मां और विदेशियों के गुलामों के लिए FDI कोई मुद्द नहीं उनके लिए मुद्दा है फूट डालो और राज करो।
कुलमिलाकर FDI के बहाने एक बहुत अछ्छी शुरूआत हुई है जिसे सब देशभक्तों को मिलकर आगे बढ़ाना चाहिए।
अब जरा सचो कि जो व्यक्ति/गिरोह/संगठन/कांग्रेसी/राजनीतिक दल आज एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम सरकार को केन्द्र में बनाए रखने के लिए सहयोग कर रहे हैं वही व्यक्ति/गिरोह/संगठन/कांग्रेसी/राजनीतिक दल किस मुँह से FDI का विरोध कर रहे हैं।
FDI का मतलब है प्रतय्क्ष विदेशी निवेश ।अब आप ही बताओ भला एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो से बड़ा और सीधा बिदेशी निवेश और क्या हो सकता है? इस FDI का तो उत्पादन Half Indian राहुल विन्सी भी हमारे सामने है जिसे कैटरीना कैफ ही 50% Indian करार देती है जो खुद पूरी तरह से भारतीय नहीं है।
FDI से उत्पादन कोई समाज सेवा या फिर जन कल्याण के लिए नहीं किया जाता जैसा की जनमजात बौद्धिक गुलाम मनमोहन सिंह कह रहा है बल्कि उत्पादन किया जता है लाभ कमाने के लिए । क्योंकि निवेश विदेशी है तो लाभ भी तो विदेशों में ही जायगा । भारत में लाभ के नाम पर लूट मची हुई है अब आप एंटोनिया नामक FDI को देख लो किस तरह से कभी बोफोर्ष सौदे के नाम पर ,तो कभी CWG के नाम पर ,तो कभी तेल के बदले अनाज के नाम पर, तो कभी 2G +3G , तो कभी रैली के नाम पर भारत को लूट कर सारा धन विदेशों में जमा करवा रही है। आज भारत में जो नियम हैं उनके हिसाब से कोई भी कैसे भी जितना चाहे उतना भारत को लूट सकता है लेकिन कानून इन सब डकैतों की रक्षा करता है। इसीलिए 100 की चीज 1000 में बेचकर भोली-भाली जनता को लूटा जा रहा है। चिप्पस का मामला ही देख लो।
जरा सोचो जिस भाजपा ने अपने कार्यकाल में एक विदेशी को भारतीय संसद में विपक्ष के नेता के रूप में मानयता देकर भारत की गुलामी का मार्ग खोला वही भाजपा भला आज किस मुंह से FDI का विरोध कर रही है। अगर भाजपा उस वक्त वाह-वाही के चक्कर में न पड़कर समझदारी से काम लेती और अपनी सरकारी ताकत का उपयोग कर इस विदेशी विषकन्या की कारगुजारियों पर तवरित जाँच करवाकर इसकी भारतविरोधी करतूतों का कच्चा चिट्ठा जनता के सामने रखती तो आज न तो देश गुलाम होता नही ही विदेशियों के हाथों इस तरह लुटता व न ही ये विदेशी विषकन्या Prevention of Communal And targeted Violence Bill-2011 जैसे कानून वनवाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान को आगे बढ़ाने में सफल होती।
बैसे भी FDI का अर्थ है आर्थिक गुलामी जो कि आगे चलकर सामाजिक व शारीरिक गुलामी को जन्म देती है। लम्बे समय तक इस तरह की गुलामी का शिकार रहना बौद्धिक गुलामी को जन्म देता है। आज भारत अभी तक पूरी तरह से सैंकड़ो बर्षो की मुसलिम और ईसाई गुलामी के परिणामस्वारूप उपजी बौद्धिक गुलामी से पूरी तरह आजाद नहीं हुआ है। इस गुलामी के शिकार लोग ही बिके हुए सेकुलर गद्दारों का अक्कसर साथ देकर भारत से ऐसी ऐतिहासिक भूलें करवाने पर तुलें हैं जो आगे चलकर भारतीयों के रोजगार, मान-सम्मान-स्वाभिमान से लेकर जान-माल तक को खतरे में डाल रही हैं। चर्च के षडयन्त्रों का शिकार होकर एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत की राजनीतिक जमात द्वारा स्थापित करना व ISI से पैसे खाकर सेकुलर गद्दारों द्वारा, सेकुलर गद्दारों से, हिन्दूहित पर प्रहार करने के लिए तैयार कवाई गई सच्चर कमेटी व रंगनाथ मिश्रा कमेटी जैसी रिपोर्टें ऐसी ही ऐतिहासिक भूलें हैं।
हमारा मानना है कि जिस तरह से राजनीतिक जमात ने दलगत राजनीति से उपर उठकर Prevention of Communal And targeted Violence Bill-2011 व FDI जैसे भारतविरोधी कानूनों का विरोध किया उससे एक कदम आगे बढ़कर इन सब देशभक्तों को एकजुट होकर भारत को बिदेशी गुलामी से मुक्त करने के लिए पहले तो इस विदेशी विषकन्या की पकड़ से केन्द्र सरकार को मुक्त करवाना चाहिए व बाद में मिलकर भारत में ऐसे कड़े कानून बनाने चाहियें जिनसे ये सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में ,सिर्फ भारतीय ही राजनीति कर सकें कोई विदेशी नहीं व भारत में रोजगार ,ब्यापार व आर्थिक संसाधनों पर सिर्फ भारतीयों का ही कब्जा रहे किसी बिदेशी का नहीं।
इसमें कोई शक नहीं कि इस वक्त सांसदों का बहुमत FDI के बिरोध में है लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अब अगला दौर खीद-फरोक्त का शुरू होगा जिसके पुरिणामस्वारूप बहुत से राजनीतिक दल व सांसद अपनी जेब भरने के बदले FDI के समर्थन में जा सकते हैं। ऐसे विकाऊ गद्दार सांसदों/दलों की पहचान कर उन्हें जनता के सामने वेनकाब करना चाहिए।
अभी तक सिर्फ इतना सपष्ट हुआ है कि सिर्फ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व खासकर राहुल विन्सी, एंटोनिया व मनमोहन ही भारतविरोधियों के हाथों विके हुए हैं या फिर यूं कहें कि कुछ मुठीभर विकाऊ कांग्रेसियों को छोड़कर सब केसब सांसद भारतीयों के रोजगार को बचाने को मुद्दे पर एकजुट हैं।
रही बात Half Indian की तो आप ही बताओ जिसकी उत्तपति ही FDI के परिणास्वारूप हुई हो वो भला FDI का विरोध कैसै कर सकता है इसलिए वो ठीक ही कह रहा है कि उसके ,उसकी मां और विदेशियों के गुलामों के लिए FDI कोई मुद्द नहीं उनके लिए मुद्दा है फूट डालो और राज करो।
कुलमिलाकर FDI के बहाने एक बहुत अछ्छी शुरूआत हुई है जिसे सब देशभक्तों को मिलकर आगे बढ़ाना चाहिए।
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रविवार, 27 नवंबर 2011
अन्ना जी ने क्यों कहा “बस एक ही थप्पड़ मारा”
सबसे पहले तो अब ये निस्चित हो जाना चाहिए कि जो खुद को जन प्रतिनीधि व नेता कहते नहीं थकते उन्हें क्या कहा जाना चाहिए?
जनप्रतिनिधि या नेता या अभिनेता(लालु जैसे) या (हर काम के बदले समीशन)भाई या गुण्डा(दिगविजय सिंह,मनोज तिवारी) मबाली(स्वामी जी पर हमला) या लुटेरा(राजा ,चिदंमबरम) या हफ्ता ) बसूल करने वाला या फिर (गरीबों की मां-बहन की इज्जत का लुटेरा) (भंवरी देवी जैसे हजारों लाखों केस,) ब्याभिचारी या या हत्यारे आम जनता के फिर सबकुछ।
जबतक आपलोग इस बात को सपष्ट नहीं करते तब तक हम आपकी सुबिधा के लिए इन्हें सेकुलर गद्दार ही कहेंगे।
अब आते हैं असली मुद्दे पर ।
हरविंदर सिंह जी द्वारा शरदपवार को थपड़ जड़ने का समाचार जैसे ही अन्ना जी को मिला अन्ना जी के मुंह से यकायक यही निकला “बस एक ही थप्पड़ मारा”
सोचने वाला विषय यह है कि ऐसा क्या हुआ है जिसकी बजह से हर देशभक्त सेकुलर गद्दारों की कुटाई से खुश तो हो रहा है लेकिन संतुष्ट नहीं। हर देशभक्त क्यों चाहता है कि इनको अधिक से अधिक शारीरिक और मानसिक व भौतिक नुकशान होना जरूरी है?
होना तो यह चाहिए था कि जनप्रतिनिधि को नुकशान होने पर हर देशभक्तों को तकलीफ होती लेकिन हो उल्टा रहा है हर देशभक्त इन सेकुलर गद्दारों का विनाश चाहता है क्यों ?
बास्तब में ये जन प्रतिनिधि आज भारत की जनता के बजाए जबाबदेह होने के बजाए खुद को अमेरिका व साऊदी अरब के प्रति ज्यदा जबाबदेह मानने लगे हैं। इसलिए जब भी कभी किसी भारतीय को नुकसान होता है तो इन सेकुलर गद्दारों को लगता ही नहीं कि ये नुकशान इनका भी है परिमामस्वारूप भारतीयों को नहीं लगता कि ये भारतीयों के प्रतिनीधि हैं ।
इसके कई कारण है
- सबसेबड़ा कारण तो सेकुलर गद्दारों को साऊदी अरब से मिलने वाला Patro-Dollar ( जिसके बदले ये भारत में इस्लामिक आतंकवादियों का हर हालात में बचाब करते हैं बहाना चाहे मानबाधिकारों का हो संबिधान का या फिर कोई और) व अमेरिका से मिलने वाला US-Dollar (जिसके बदले में ये भारत में धर्मांतरण का समर्थन करने के साथ-साथ ईसाई आतंकवादियों का बचाब करते हैं व बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों के हाथों देश की सम्पदा को कौड़ियों के भाव बेचते हैं।)
- इनमें से अधिकातर(प्रभाबशाली) की पढ़ाई-लिखाई बिदेशों में हुई है इसलिए ये भारतीयों की तरह सोचने के बजाए विदेशियों की ही तरह सोचते हैं जिस तरह से बिदेशी मुसलमान व इसाई भारतीयों को लूटने के लिए नीतियां बनाते थे बैसी ही वल्कि उससे भी खतरनाक नीतियां ये लोग बना रहे हैं। जैसे कि सचरकमेटी रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा कमेटी रिपोर्ट, 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill, 2011' सिर्फ गैर हिन्दूओं(SC,ST,OBC किसी के लिए भी नहीं) के लिए छात्रवृति इत्यादि-इत्यादि। इन सब नितीयों का एक ही मकसद है भारत के मूल निवासियों के हक छीन कर अरबी व रोमन संसकृति को समर्पित लोगों को देना।
- हमारे विचार में BJP,SP, BSP, JDU, JD(s), AIDMK, RC ,LD,JD, CPM, CPI व BJD जैसी सबकी सब क्षेत्रीय पार्टीयां कांग्रेस की बिछाई फूट डालो और राज करो की एक ऐसी बिसात का सिकार हुईं जिसके परिमास्वारूप ये सबकी सब पार्टीयां अपने उन्हीं लोगों के अधिकारों को कुचलती चली गीईं जो लोग इनको समर्थन करते हैं मतलब सबकी सब पार्टियां भारतविरोध की एक ऐसी राह पर निकल पड़ी जिसमें इनका कोई दोष नहीं सिवाए इसके कि इन पार्टियों ने हालात से मुकाबला करने के बजाए हालात से समझौता कर कांग्रेस की वही राह पकड़ जिसका मकसद है हिन्दूओं को कुचल कर भारत को तबाह और बरबाद करना है। थपड़ पर इन सब पार्टियों की एकजुटता इसी विकृत मानसिकता का प्रमाण है।अगर इनमें से एक भी पार्टी हरविंदर जी जैसे लोगों को बुलाकर सम्मानित करे तो आम जनता को लगेगा कि कोई उनके साथ भी है और आगे नेताओं को खतरा भी कम होता जाएगा । ऐसे मामलों पर जितनी ये पार्टियों एकजुटता दिखायेंगी उतना ही आम आदमी और आक्रोशित होगा।
- खुद कांग्रेस बिदेशियों (अंग्रेजों व मुगलों)की बिछई एक ऐसी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी मानसिकता की शिकार हुई जिसका एकमात्र उद्देश्य था भारत के मूलनिवासियों के अधिकारों को छीन कर गैर भारतीयों के हबाले करना व भारत की सम्पदा को लूटकर इन्हीं विदेशीयों के मूल स्थानों पर पहुंचाना। कांग्रेस की स्थापना एक विदेशी द्वारा करने से लेकर आज तक कांग्रेस की कमान जब भी सम्भव हुआ भारतीयों के बजाए विदेशियों के हाथों में ही रही । इन विदेशियों ने कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेकर इसका उपयोग जमकर अपनी नस्ल के लोगों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए किया जैसे कि आज एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो कर रही है। ऐसा नहीं कि आज कांग्रेस में देशभक्तों की कमी है लेकिन सबके सब आज राष्ट्र हित को तिलांजली देकर निजहित व परिबारहित को साधने में बयस्त हैं।
- इन सब कारणों से भी बड़ा कारण है इन सेकुलर गद्दारों द्वारा जनता से जुड़े हर मुद्दे पर जनता के बिरोध में जाना। देश की सारी जनता चाहती है कि मंहगाई व भ्रष्टाचार पर सरकार गिरे लेकिन ये सेकुलर गद्दार नहीं चाहते कि ये सरकार गिरे क्योंकि इनको लगता है कि बिदेशियों के इसारों पर नाचने वाली ऐसी सरकार फिर से नहीं बन सकती इसलिए इस सरकार के माध्यम से जनता को मतलब भारत को जितना लूट लिया जाए –भारत के मूल निवासियों को जितना कमजोर कर लिया जाए उतना काफी है।
क्या इन सेकुलर गद्दारों में से किसी ने सोचा कि मुम्बई हमला करने वाले षडयन्त्रकारी को PM ने शांतिदूत बताकर भारत में इस्लामिक आतंकवादियों के हाथों मारे जा चुके लाखों शहीदों के करोंड़ों परिजनों व शुभचिंतकों के जख्मों पर नमक छिड़का तो इन पीड़ितों के मन से जो बददुआ निकली वो इन सेकुलर गद्दारों को तबाह करने की ताकत रखती है। इस चोरों और गद्दारों की सरकार द्वारा शहीदों व देशभक्तों के जख्मों पर नमक छिड़कने की मानों प्रवृति ही बन गई है।
इन आतंकवादियों के प्रतिनीधि नेताओं के कुकर्मों की बजह से ही अन्ना जी को कहना पड़ता है कि “बस एक ही थप्पड़ मारा”
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गुरुवार, 24 नवंबर 2011
नेता का थप्पड़ सही और जनता का गलत ऐसा कैसे हो सकता है ?
सच कहें तो आज जब एक आक्रोशित युबक हरविेंदर ने मंहगाई से तंग आ चुकी आम जनता की भावनाओं मे बहकर इस्लामिक आतंकवादी दाऊदइबराहीम के पोषक व रक्षक सरदपबार को थपड़ जड़ा तो हमें लगा कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि अब थपड़ मारने का वक्त नहीं रह गया।
अब तो वो वक्त आ चुका है जब देशभक्तों को थपड़ और लोकतांत्रिक विरोध के सब तरीके छोड़कर कुछ ऐसा कना चाहिए कि एक युबक के जेल जाने के साथ ही एक दर्जन गद्दारों का अन्त सुनिश्चित बनाया जा सके।
क्योंकि भारतविरोधी नेताओं को थपड़ पड़ते ही सबके सब राजनीतिज्ञ मिडीया व दानाबधिकारवादी एकजुट होकर युबाओं द्वारा चलाए जा रहे अन्दोलनों को कुचलने के नए-नए रास्ते तलासने लग पड़ते हैं। लेकिन जैसे ही आम जनता पर ये नेता नीतिगत या सारीरिक थपड़ जड़ते हैं तो ये सबके सब सेकुलर गद्दार खामोश हो जाते हैं।
आप अच्छी तरह से जानते हैं कि किस तरह गांधीबादी गुण्डों ने चतर्वेदी को सिर्फ चप्पल दिखाने वाले साहसी युबक की बरबर पिटाई की। आपने ये भी देखा कि उत्तर प्रदेश में Half Indian को काले झंडे दिखा रहे नौजवानों को किस वेहरमी से इन गांधीवादी गुण्डों ने सबके सामने पीटा और अपने प्रभाव का दुरूपयोग कर अपनी गिरफ्तारी पर रोक भी लगवा ली।
अगर आज भारत में कानून का शासन चल रहा होता तो वेशक आक्रोशित युबक जेलों मे जाते लेकिन साथी ही ये भातविरोधी गांधीवादी आतंकवादी भी अपने किए कुकर्मों की सजा भुक्तते ।
जब तक भारत में कानून के अनुशार सासन नहीं चलता है तब तक युबकों के पास अपना आक्रोश दिखाने का कोई लोकतान्त्रिक मार्ग कैसे हो सकता है?
कुल मिलाकर जो कोई भी इस नौजवान द्वारा जड़े गए इस जोरदार थपड़ का विरोध कर रहे हैं वो कृप्या एक बार जरूर ये सोच लें कि अगर आक्रोसित नौजवान द्वार जड़ा गया ये थपड़ ठीक नहीं तो देश को लूट रही सताधारी पार्टी के गांधीवादी गुण्डों द्वारा नौजवानों को मारे जा रहे थपड़ कैसे ठीक हो सकते हैं?
अब तो वो वक्त आ चुका है जब देशभक्तों को थपड़ और लोकतांत्रिक विरोध के सब तरीके छोड़कर कुछ ऐसा कना चाहिए कि एक युबक के जेल जाने के साथ ही एक दर्जन गद्दारों का अन्त सुनिश्चित बनाया जा सके।
क्योंकि भारतविरोधी नेताओं को थपड़ पड़ते ही सबके सब राजनीतिज्ञ मिडीया व दानाबधिकारवादी एकजुट होकर युबाओं द्वारा चलाए जा रहे अन्दोलनों को कुचलने के नए-नए रास्ते तलासने लग पड़ते हैं। लेकिन जैसे ही आम जनता पर ये नेता नीतिगत या सारीरिक थपड़ जड़ते हैं तो ये सबके सब सेकुलर गद्दार खामोश हो जाते हैं।
आप अच्छी तरह से जानते हैं कि किस तरह गांधीबादी गुण्डों ने चतर्वेदी को सिर्फ चप्पल दिखाने वाले साहसी युबक की बरबर पिटाई की। आपने ये भी देखा कि उत्तर प्रदेश में Half Indian को काले झंडे दिखा रहे नौजवानों को किस वेहरमी से इन गांधीवादी गुण्डों ने सबके सामने पीटा और अपने प्रभाव का दुरूपयोग कर अपनी गिरफ्तारी पर रोक भी लगवा ली।
अगर आज भारत में कानून का शासन चल रहा होता तो वेशक आक्रोशित युबक जेलों मे जाते लेकिन साथी ही ये भातविरोधी गांधीवादी आतंकवादी भी अपने किए कुकर्मों की सजा भुक्तते ।
जब तक भारत में कानून के अनुशार सासन नहीं चलता है तब तक युबकों के पास अपना आक्रोश दिखाने का कोई लोकतान्त्रिक मार्ग कैसे हो सकता है?
कुल मिलाकर जो कोई भी इस नौजवान द्वारा जड़े गए इस जोरदार थपड़ का विरोध कर रहे हैं वो कृप्या एक बार जरूर ये सोच लें कि अगर आक्रोसित नौजवान द्वार जड़ा गया ये थपड़ ठीक नहीं तो देश को लूट रही सताधारी पार्टी के गांधीवादी गुण्डों द्वारा नौजवानों को मारे जा रहे थपड़ कैसे ठीक हो सकते हैं?
बुधवार, 16 नवंबर 2011
साबधान देशभक्तों के लिए अब यहां कोई जगह नहीं
हमारे परिबार में माता जी व पिता जी दोनों तरफ के पूर्वज कांग्रेस को बोट करते रहे हैं माता जी और पिता जी ने काँग्रेस को बोट करना तब छोड़ा जब हमने उन्हें काँग्रेस के बास्तविक स्वारूप के बारे में बिस्तार से बताया। सच कहें तो हम भी एक कांग्रेसी ही होते अगर कांग्रेस हिन्दूओं के प्रति शत्रुता के भाव को इस हद तक न ले जाती कि उसे माननीय न्यायालय में ऐसा सपथपत्र देना पड़ता कि भारत की आत्मा मर्यादापुर्षोत्तम भगवान श्रीराम जी हुए ही नहीं।
हम बच्चपन में इन्दिरा गांधी और बाद में राजीब गांधी जी के प्रशंसक रहे हैं इसीलिए जब इन दोनों का कत्ल हुआ तो हमें बहुत बुरा लगा वेशक हम इन्दिरा जी गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के कभी विरोधी नहीं रहे लेकिन कांग्रेस द्वारा किए गए सिखों के कतलयाम को हम गद्दारी और मानबता के कत्ल के शिवा कुछ भी और मानने को तैयार नहीं। आज तक हमारे व्यक्तिगत हित में जो भी काम हुए हैं वो सब कांग्रेस के सासनकाल में ही हुए हैं और हमारे बिरूद्ध जो भी षडयन्त्र हुए वो … के सासनकाल में।
खैर छोड़ो इन व्यक्तिगत हितों व विचारों का राष्ट्रहित व राष्ट्रीय विचार के सामने कोई मोल नहीं। आज की कड़वी सच्चाई यही है कि आज की कांग्रेस न केवल हिन्दूहित बल्कि देशहित को भी तिलांजली दे चुकी है । आज की कांग्रेस वो कांग्रेस नहीं जो राजीब जी के समय तक थी। वेशक राजीब जी से पहले भी कांग्रेस ने भारत को अनेक जख्म दिए फिर भी देशभक्तों में काँग्रेस के प्रति ऐसा नाउमीदी का भाव कभी पैदा न हुआ जैसा अब है
क्योंकि राजीब जी की मृत्यु के बाद कांग्रेस का नेतृत्व कुछ ऐसे भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के हाथों में चला गया है जिसने कांग्रेस को एक ऐसी दिशा दे दी है जिसके अनुसार कांग्रेस पार्टी में किसी भी देशभक्त के लिए कोई जगह नहीं। आन्ध्र प्रदेश में YSR रेडी के बेटे जगनमोहन ने इसी गद्दार नेतृत्व को चुनौती दी जिसके परिमामस्वारूप आज सारी सुरक्षा ऐजैंसियां उसको प्रताड़ित कर वापिस इस गद्दार नेतृत्व के आगे झुकाने का प्रयास कर रही हैं।
यही सब इस गद्दार नेतृत्व द्वारा विदेशों में जमा करवाए गए कालेधन को राष्ट्रीय धन घोषित करने की मांग उठाने वाले क्रांतिवीर स्वामीरामदेव जी के साथ भी किया जा रहा है।
इसी तरह जब हिमाचल में वीरभद्र सिंह जी ने धर्म स्वतन्त्रता विधेयक पास करवाकर हिमाचल की शांति के लिए सबसे बढ़ा खतरा बनकर उभर रही विदेशी ईसाई धर्मांतरणवादी शक्तियों की गैरकानूनी गतिविधियों पर नकेल कसी उसी दिन से इस नेतृत्व ने वीरभद्र सिंह जी को ठिकाने लगाने के षडयन्त्र रचने शुरू करदिए ताकि इस भारतविरोधी नेतृत्व की खासमकास को आगे चल कर मुख्यमन्त्री बनबाया जा सके। लेकिन वीरभद्र के सामने इस गद्दार नेतृत्व की एक न चली और वीरभद्र ने युवा कांग्रेस के चुनाब में अपने बेटे विक्रमाद्त्य को जबरदस्त विजय दिलवाकर ये सिद्ध कर दिया कि बीरभद्र सिंह जी से टकराना इतना आसान नहीं। बहुत जल्द आप देखेंगे कि स्वामी जी के मुद्दे पर भी इस गद्दार नेतृत्व को मुंह की खानी पड़ेगी।
आपको याद होगा कि जब शहीद मोहन चन्द जी शर्मा का अपमान करने वाले अमर सिंह को कांग्रेस प्रवक्ता सत्यब्रत चतुर्वेदी जी ने पागल करार दिया तो किस तरह रातोंरात उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया गया क्योंकि उनका देशभक्ति से परिपूर्ण आक्रोश गद्दार नेतृत्व को रास न आया ।
दूसरी तरफ कांग्रेस का महासचिब Diggi वार-वार आतंकवादियों का पक्ष लेने के साथ-साथ देशभक्तों यहां तक कि सुरक्षाबलों तक को गाली निकालकर अपनी गद्दारी का परिचय दे रहा है वो आज तक कांग्रेस के महासचिब पद पर बना हुआ है क्योंकि गद्दार नेतृत्व यही तो चाहता है कि हर कांग्रेसी उसके नक्सेकदम पर चलते हुए देश के साथ Max गद्दारी कर देश को लहूलुहान कर भारत की बरबादी का कारण बने।
हम तो कहते हैं कि कांग्रेसियों को आए दिन देशभक्तों के विरूद्ध अनाप-सनाप बकने के बजाए अपने सब कार्यालयों-बैनरों पर बढ़ा करके ये लिखबा देना चाहिए
साबधान कांग्रेस अब गांधी की जगह ओसामा जी को अपना आदर्श मानती है इसलिए देशभक्तों के लिए यहां कोई जगह नहीं…
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मंगलवार, 15 नवंबर 2011
राहुल को भला शर्म क्यों न आए?
हम भारतीय अक्कसर भावनाओं में बहकर बहुत सी ऐसी गलतियां कर जाते हैं जिनके परिणाम हमें अपना खून बहाकर –इज्जत आबरू लुटवाकर भुगतने पड़ते हैं।
वेशक आप समझेंगे कि हम राजीब गांधी की उस भावनात्मक गलती की बात कर रहे हैं जिसके परिणाम स्वारूप वो इटालियन विषकन्या के फेर में पड़कर चर्च द्वारा रचे गए एक ऐसे षडयन्त्र का सिकार हो गए जिसकी कीमत उन्हें पहले तो अपना मान सम्मान खोकर(चर्च के सहयोग से सोनिया व क्वात्रोची द्वारा अन्जाम दिए गए बोफोर्स कांड) व बाद में अपने प्राण देकर चुकानी पड़ी।
लेकिन ये गलती तो राजीब गांधी की व्यक्तिगत गलती थी। अगर भारतीय भावनाओं में न बहते तो उनकी इस व्यक्तिगत गलती को राष्ट्रीय गलती न बनने देते। क्योंकि भारत में लोकतन्त्र है इसलिए अगर भारतीय भावनाओं में न बहते तो चुनाबों में विदेशी को आगेकर चुनाब लड़ने वाली पार्टी से सबन्धित प्रत्यासियों की जमानत जब्त करवा देते।चर्च को अपने आप पता चल जाता कि उसके षडयन्त्र भारत में सफल होने वाले नहीं लेकिन ऐसा हो न सका।
अगर जम्मू कशमीर में मुसलमानों को ईसाई बनाने बाले पादरियों को पकड़ कर जेल में डाला जा सकता है तो फिर भला क्यों सारे देश में हिन्दूओं को ईसाई बनाने में लगे पादरियों को जेल में नहीं डाला जा सकता।
ये हमारी भावनात्मक गलतियों का ही परिणाम है जिन लोगों(मुसलमानों और इसाईयों को ) को हमने अपना जैसा मानकर अपने देश भारत में शरण दी उन्हीं मुसलमानों ने हमें पहले अफगानीस्तान,फिर पाकिस्तान, बंगलादेश और अब कशमीर घाटी से बाहर निकाल दिया वो भी पूरी तरह लूटकर कर व आसाम और केरल से भारतीयों को वेदखल करने का संघर्ष जोरों पर है। मुसलमानों की ही तरह ईसाईयों ने भी हमें अपने बहुमत वाले उतर पूर्वी राज्यों से वेदखल कर दिया।
फिर आज हम देश के हर कोने में मुसलमानों और ईसाईयों के बरबर हमलों से प्रताड़ित अपने सगे हिन्दूों के साथ खड़े होने के बजाए इन आततायियों की बगल में खड़े हैं। क्यों , क्योंकि हिन्दी मिडीया,विके हुए नेता,पत्रकार,फिल्मकार अरब देशों से मिलने वाले पैट्रो डालर व युरोपियन देशों से मिलने बाले यु एस डालर के बल पर हमें समझा रहे हैं कि क्योंकि ये अल्पशंख्यक हैं इसलिए वेचारे हैं ,सेना ,हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों के सताए हुए हैं इसलिए हमें इन पर दया आ रही है परिणास्वारूप हम इन शातिर आक्रमणकारियों के साथ खड़े होकर अपने सगे हिन्दूओं को मरबा रहे हैं क्योंकि मारे जाने वाले व प्रताड़ित हिन्दूओं के वारे में हमें समझाने-बताने वाला कोई नहीं। कुछ मुठीभर लोग अगर बताने की कोशिश करते भी हैं तो हम शांति भंग होने का हबाला देकर उन्हें चुप करवा देते हैं।
ये क्या ये हमारी भावनात्मक गलती नहीं कि जिस विषकन्या एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को हमने अपनी बहु समझकर सिर आंखों पर विठाने के साथ-साथ भारत के सिंहासन पर बैठाया वही विषकन्या आज सचरकमेटी रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा कमेटी रिपोर्ट, 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill, 2011 जैसे षडयन्त्रों के माध्यम से हमें ठिकाने लगाने के लिए दिन-रात भारत के शत्रुओं के साथ मिलकर काम कर रही है।
अब आप राहुल को ही देख लीजिए जो चिल्ला-चिला कर कह रहा है कि उसे भारतीय-हिन्दूस्तानी होने पर शर्म आती है मतलब बो भारतीय नहीं कहलाना चाहता। बैसे वो भारतीय है भी नहीं। आप उसे 25% भारतीय कह सकते हैं क्योंकि उसकी माम इटालियन है व दादा भी तो पूरी तरह भारतीय नहीं।
फिर भी सोचने वाली बात ये है कि क्यों उसे भारतीय संस्कृति से इतनी नफरत है?
असल में इसकी रगों में वो इटालियन खून दौड़ रहा है जिस देश का प्रधानमन्त्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी अपने ही देश की लड़कियों-महिलाओं को माफिया की सहायता से खरीदकर या उठवाकर उनकी मंडी सजाता है।लेकिन फिर इटली खासकर चर्च की राजधानी रोम की जनता तक उसका विरोध नहीं करती और भारत में इस तरह की बात तक करने पर लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं ।
अब ऐसे ब्याभिचारी व बरबर माफियाओं के देश इटली से सबन्ध रखने वाला राहुल विन्सी भला भारत में घुटन क्यों न महसूस करे। उपर से चर्च द्वारा तैयार की गई विषकन्या द्वारा भरा गया भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी जहर।
इन सब हालात में अब आप ही बताओ कि जिसकी रगों में ब्याभिचारी व बरबर माफियाओं के देश इटली का खून दौड़ रहा हो उसे भारत जैसे महान देश में शर्म क्यों न आए?
पहचानो इस भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी को और ठान लो कि हम और भावनात्मक गलतियां नहीं करेंगे…
वेशक आप समझेंगे कि हम राजीब गांधी की उस भावनात्मक गलती की बात कर रहे हैं जिसके परिणाम स्वारूप वो इटालियन विषकन्या के फेर में पड़कर चर्च द्वारा रचे गए एक ऐसे षडयन्त्र का सिकार हो गए जिसकी कीमत उन्हें पहले तो अपना मान सम्मान खोकर(चर्च के सहयोग से सोनिया व क्वात्रोची द्वारा अन्जाम दिए गए बोफोर्स कांड) व बाद में अपने प्राण देकर चुकानी पड़ी।
लेकिन ये गलती तो राजीब गांधी की व्यक्तिगत गलती थी। अगर भारतीय भावनाओं में न बहते तो उनकी इस व्यक्तिगत गलती को राष्ट्रीय गलती न बनने देते। क्योंकि भारत में लोकतन्त्र है इसलिए अगर भारतीय भावनाओं में न बहते तो चुनाबों में विदेशी को आगेकर चुनाब लड़ने वाली पार्टी से सबन्धित प्रत्यासियों की जमानत जब्त करवा देते।चर्च को अपने आप पता चल जाता कि उसके षडयन्त्र भारत में सफल होने वाले नहीं लेकिन ऐसा हो न सका।
अगर जम्मू कशमीर में मुसलमानों को ईसाई बनाने बाले पादरियों को पकड़ कर जेल में डाला जा सकता है तो फिर भला क्यों सारे देश में हिन्दूओं को ईसाई बनाने में लगे पादरियों को जेल में नहीं डाला जा सकता।
ये हमारी भावनात्मक गलतियों का ही परिणाम है जिन लोगों(मुसलमानों और इसाईयों को ) को हमने अपना जैसा मानकर अपने देश भारत में शरण दी उन्हीं मुसलमानों ने हमें पहले अफगानीस्तान,फिर पाकिस्तान, बंगलादेश और अब कशमीर घाटी से बाहर निकाल दिया वो भी पूरी तरह लूटकर कर व आसाम और केरल से भारतीयों को वेदखल करने का संघर्ष जोरों पर है। मुसलमानों की ही तरह ईसाईयों ने भी हमें अपने बहुमत वाले उतर पूर्वी राज्यों से वेदखल कर दिया।
फिर आज हम देश के हर कोने में मुसलमानों और ईसाईयों के बरबर हमलों से प्रताड़ित अपने सगे हिन्दूों के साथ खड़े होने के बजाए इन आततायियों की बगल में खड़े हैं। क्यों , क्योंकि हिन्दी मिडीया,विके हुए नेता,पत्रकार,फिल्मकार अरब देशों से मिलने वाले पैट्रो डालर व युरोपियन देशों से मिलने बाले यु एस डालर के बल पर हमें समझा रहे हैं कि क्योंकि ये अल्पशंख्यक हैं इसलिए वेचारे हैं ,सेना ,हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों के सताए हुए हैं इसलिए हमें इन पर दया आ रही है परिणास्वारूप हम इन शातिर आक्रमणकारियों के साथ खड़े होकर अपने सगे हिन्दूओं को मरबा रहे हैं क्योंकि मारे जाने वाले व प्रताड़ित हिन्दूओं के वारे में हमें समझाने-बताने वाला कोई नहीं। कुछ मुठीभर लोग अगर बताने की कोशिश करते भी हैं तो हम शांति भंग होने का हबाला देकर उन्हें चुप करवा देते हैं।
ये क्या ये हमारी भावनात्मक गलती नहीं कि जिस विषकन्या एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को हमने अपनी बहु समझकर सिर आंखों पर विठाने के साथ-साथ भारत के सिंहासन पर बैठाया वही विषकन्या आज सचरकमेटी रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा कमेटी रिपोर्ट, 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill, 2011 जैसे षडयन्त्रों के माध्यम से हमें ठिकाने लगाने के लिए दिन-रात भारत के शत्रुओं के साथ मिलकर काम कर रही है।
अब आप राहुल को ही देख लीजिए जो चिल्ला-चिला कर कह रहा है कि उसे भारतीय-हिन्दूस्तानी होने पर शर्म आती है मतलब बो भारतीय नहीं कहलाना चाहता। बैसे वो भारतीय है भी नहीं। आप उसे 25% भारतीय कह सकते हैं क्योंकि उसकी माम इटालियन है व दादा भी तो पूरी तरह भारतीय नहीं।
फिर भी सोचने वाली बात ये है कि क्यों उसे भारतीय संस्कृति से इतनी नफरत है?
असल में इसकी रगों में वो इटालियन खून दौड़ रहा है जिस देश का प्रधानमन्त्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी अपने ही देश की लड़कियों-महिलाओं को माफिया की सहायता से खरीदकर या उठवाकर उनकी मंडी सजाता है।लेकिन फिर इटली खासकर चर्च की राजधानी रोम की जनता तक उसका विरोध नहीं करती और भारत में इस तरह की बात तक करने पर लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं ।
अब ऐसे ब्याभिचारी व बरबर माफियाओं के देश इटली से सबन्ध रखने वाला राहुल विन्सी भला भारत में घुटन क्यों न महसूस करे। उपर से चर्च द्वारा तैयार की गई विषकन्या द्वारा भरा गया भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी जहर।
इन सब हालात में अब आप ही बताओ कि जिसकी रगों में ब्याभिचारी व बरबर माफियाओं के देश इटली का खून दौड़ रहा हो उसे भारत जैसे महान देश में शर्म क्यों न आए?
पहचानो इस भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी को और ठान लो कि हम और भावनात्मक गलतियां नहीं करेंगे…
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सोमवार, 14 नवंबर 2011
भिखारी और लुटेरी भारत की जनता नहीं वल्कि तेरी मां व वो अंग्रेज हैं जिनका खून तेरी रगों में दौड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश में चुनाब की आहट सुनते ही कांग्रेस ने अपने पिटारे से एक के बाद एक विभाजनकारी षडयन्त्रों को बाहर निकालना सुरू कर दिया है। हम कईबार लिख चुके हैं कि कांग्रेस चुनाबों से पहले ऐसे विभानकारी मुद्दे उठाएगी जिससे कि भ्रष्टाचार व कालेधन जैसे जनहित से जुड़े सरोकार कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आयेंगे। हाफ अंग्रेज राहुल विन्सी का आज का ब्यान इसी का हिस्सा है।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि कांग्रेस अगर अंग्रेजों व उससे पहले मुसलमानों द्वारा अपनाई गई भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी विभाजनकारी नीतियों को आगे न बढ़ाती तो 40 के दशक में में भारत से हर क्षेत्र में पिछड़ने वाला चीन आज भारत से कहीं पीछे होता व उसकी भारत को आँखें दिखाने की हिमत तक न होती. उल्टा आज बंगलादेश व पाकिस्तान जैसे मच्छर भी भारत को आंख दिखाकर व आतंकवाद के माध्यम से भारतीयों का खून बहाकर भारत को ललकार रहे हैं । ।
कांग्रेस खासकर गांधी-नैहरू खानदान की फूट डालो और राज करो की नीति का ही ये दुष्परिणाम है कि पहले तो भारत का तीन-तीन हिस्सों में विभाजन हुआ और अब भारत फिर उसी दोहराहे पर आ खड़ा हुआ है जिसपर जिन्ना-नैहरू-लेडी माउंटवेटन के वक्त था। फर्क सिर्फ इतना है कि आज नैहरू की भूमिका में राहुल विन्सी है व जिन्ना की भूमिका में मनमोहन सिंह व लेडी माउंटवेटन की भूमिका में राहुल विन्सी की इटालियन ममी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी है ।थोड़ा सा फर्क ये भी है कि लेडी माऊंटवेटन ने एक अनैतिक सबन्ध के चलते भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम दिया जबकि माइनो ये सब एक नैतिक सबन्ध का दुरूपयोग कर अन्जाम दे रही है।
आज राहुल अगर वार-वार भारतविरोधी -हिन्दूविरोधी प्रलाप कर रहा है----कभी कहता है कि उसे भारतीय होने पर शर्म आती है ----कभी कहता है कि उसे खेद है कि वो हिन्दुस्तानी है---कभी देशभक्त संगठनों व हिन्दूओं के विरूद्ध अमेरिकी अधिकारियों को उकसाता है---कभी मुमबई में जाकर उतर भारतीयों व मुंमबईकरों के बीच झगड़ा पैदा करने की कोशिश करता है ---कभी विहारियों को मुमबईकरों के विरूद्ध भड़काता है---कभी उतर भारतीयों को दलित नेत्री मायावती के बिरूद्ध भड़काता है---यो ये कमी राजीब गांधी के खून की नहीं वल्कि इस विषकन्या के द्वारा चर्च का दुरूपयोग कर एक मासूम बच्चे के अन्दर भारत-भारतीयों खासकर देशभक्त हिन्दूओं के विरूध भरे गए जहर का कुप्रभाव है।
किसी ने ठीक ही कहा है कि बच्चे का पहला अध्यापक उसकी मां है जिस बच्चे की मां ही एक भारतविरोधी विषकन्या हो उसे भारतीय होने पर गर्व भला कैसे हो सकता है?
ये विषकन्या द्वारा भरे गए उसी जहर का असर है जिसके असर के कारण राहुल विन्सी ने उतर-भारतीयों द्वारा खून-पसीना बहाकर भारत के विकास में योगदान कर कमाई जा रही मेहनत की रोटी को भीख करार दे दिया। इस वेवकूफ को कौन समझाए कि भिखारी और लुटेरी भारत की जनता नहीं वल्कि इसकी मां व वो अंग्रेज हैं जिनका खून तेरी रगों में दौड़ रहा है।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि कांग्रेस अगर अंग्रेजों व उससे पहले मुसलमानों द्वारा अपनाई गई भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी विभाजनकारी नीतियों को आगे न बढ़ाती तो 40 के दशक में में भारत से हर क्षेत्र में पिछड़ने वाला चीन आज भारत से कहीं पीछे होता व उसकी भारत को आँखें दिखाने की हिमत तक न होती. उल्टा आज बंगलादेश व पाकिस्तान जैसे मच्छर भी भारत को आंख दिखाकर व आतंकवाद के माध्यम से भारतीयों का खून बहाकर भारत को ललकार रहे हैं । ।
कांग्रेस खासकर गांधी-नैहरू खानदान की फूट डालो और राज करो की नीति का ही ये दुष्परिणाम है कि पहले तो भारत का तीन-तीन हिस्सों में विभाजन हुआ और अब भारत फिर उसी दोहराहे पर आ खड़ा हुआ है जिसपर जिन्ना-नैहरू-लेडी माउंटवेटन के वक्त था। फर्क सिर्फ इतना है कि आज नैहरू की भूमिका में राहुल विन्सी है व जिन्ना की भूमिका में मनमोहन सिंह व लेडी माउंटवेटन की भूमिका में राहुल विन्सी की इटालियन ममी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी है ।थोड़ा सा फर्क ये भी है कि लेडी माऊंटवेटन ने एक अनैतिक सबन्ध के चलते भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम दिया जबकि माइनो ये सब एक नैतिक सबन्ध का दुरूपयोग कर अन्जाम दे रही है।
आज राहुल अगर वार-वार भारतविरोधी -हिन्दूविरोधी प्रलाप कर रहा है----कभी कहता है कि उसे भारतीय होने पर शर्म आती है ----कभी कहता है कि उसे खेद है कि वो हिन्दुस्तानी है---कभी देशभक्त संगठनों व हिन्दूओं के विरूद्ध अमेरिकी अधिकारियों को उकसाता है---कभी मुमबई में जाकर उतर भारतीयों व मुंमबईकरों के बीच झगड़ा पैदा करने की कोशिश करता है ---कभी विहारियों को मुमबईकरों के विरूद्ध भड़काता है---कभी उतर भारतीयों को दलित नेत्री मायावती के बिरूद्ध भड़काता है---यो ये कमी राजीब गांधी के खून की नहीं वल्कि इस विषकन्या के द्वारा चर्च का दुरूपयोग कर एक मासूम बच्चे के अन्दर भारत-भारतीयों खासकर देशभक्त हिन्दूओं के विरूध भरे गए जहर का कुप्रभाव है।
किसी ने ठीक ही कहा है कि बच्चे का पहला अध्यापक उसकी मां है जिस बच्चे की मां ही एक भारतविरोधी विषकन्या हो उसे भारतीय होने पर गर्व भला कैसे हो सकता है?
ये विषकन्या द्वारा भरे गए उसी जहर का असर है जिसके असर के कारण राहुल विन्सी ने उतर-भारतीयों द्वारा खून-पसीना बहाकर भारत के विकास में योगदान कर कमाई जा रही मेहनत की रोटी को भीख करार दे दिया। इस वेवकूफ को कौन समझाए कि भिखारी और लुटेरी भारत की जनता नहीं वल्कि इसकी मां व वो अंग्रेज हैं जिनका खून तेरी रगों में दौड़ रहा है।
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मंगलवार, 8 नवंबर 2011
ईद कहो या बकरईद मकसद तो एक ही है---हिंसा---कत्लोगारद---अराजकता---
हम कई बार हैरान होते हैं ये देखकर कि जब कातिल अल्लाह के नाम पर कतलयाम मचा रहे होते हैं तो कुछ परजीवि इस कत्लयाम को कभी वकर ईद तो कभी ईद के नाम पर जायज ठहराने के भरपूर प्रयत्न करने में लगे रहते हैं।दानबता की हर हद तो तब पार हो जाती है जब मिडीया में बैठे ISI ऐजेंट, हिंसा से भरपूर इन खूनी बारदातों को शांति और भाईचारे का जसन करार दे देते हैं।
हम मानते हैं कि कोई भी जीब कैसे जिन्दगी जीता है इसमें हस्तक्षेप का हमें कोई हक नहीं लेकिन जब ये जीब हिंसक हो जाए और अपने देश में बैठे धर्मनिरपेक्ष गद्दार इस जीब द्वारा किए जा रहे कत्लोगारद को जायज ठहराकर मानबता को लहूलुहान करने पर उतारू हों तो सब शांतिप्रिय लोगों का ये फर्ज बन जाता है कि इन्सान के वेष में छिपे इन राक्षसों को वेनकाब कर इस धरा को इन राक्षसों से मुक्त करने के उपायों पर विचार करे।
मजेदार बात तो ये है कि राक्षसों के जिन राहुल विन्सी जैसे मददगारों को इस कत्लयाम में अमन-चैन, प्रेम भाईचारा नजर आता है उन्हीं गद्दारों को भारतीय संस्कृति का हर पहलू सांप्रदायिक दिखने लगता है परिमामस्वारूप उन्हें भारतीय होने पर कभी शर्म आती है तो कभी दुख होता है।
वेशक कुछ लोगों को ऐसा लगेगा कि क्योंकि भारत में इन राक्षसों से हिन्दूओं को खतरा है इसलिए हम इनके खात्मे की बात कर रहे हैं। लेकिन ये आधा सत्य है क्योंकि इसमें कोई सन्देह नहीं कि जिस तरह इन राक्षसों ने कतल्याम के बल पर गांधी जैसे व्यक्ति को भारत का विभाजन स्वीकार करने पर विवश किया, जिस तरह न कातिलों ने कशमीर घाटी में हजारों हिन्दूओं का कत्लयाम किया, जिस तरह ये कातिल देशभर में बम्ब हमले व दंगा फसाद कर हिन्दूओं का कत्लयाम कर रहे हैं उस सबको देखते हुए ये कहना विलकुल सही है कि भारत में हिन्दूओं को इन राक्षसों से खतरा है।
लेकिन आम मुसलमान जिसने हाल ही में मतलब पिछले 300-500 वर्ष में इस्लाम अपनाने के बाबजूद मानबता का दामन नहीं छोड़ा है वो भी इन राक्षसों के निसाने पर उसी तरह है जिस तरह हिन्दू व ईसाई हैं। अगर आपको लगता है कि हम गलत कह रहे हैं तो आप उन इस्लामिक देशों पर एक निगाह डालो जिनकी लगभग 100% अबादी मुसलमान है उसके बाबजूद ये राक्षस इन इस्लामिक देशों में मस्जिदों, मदरसों व भीड़भाड़ वाले क्षत्रों में बम्म हमले कर इन नए-नवेले मुसलमानों का खून बहा रहे हैं।
अगर ये हमले इस्लाम को आगे बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं तो इन राक्षसों द्वारा मस्जिदों में बम्म बिस्फोट करने का कोई औचित्य नजर नहीं आता वो भी वहां जहां 100% अबादी मुसलमानों की ही है। क्योंकि जहां इन राक्षसों के साथ हिन्दू या ईसाई रहते हैं वहां तो ये राक्षस मस्जिदों में बम विस्फोट कर उसका दोष गैर मुसलमानों पर दे देते हैं जैसे कि इन राक्षसों के हाथों विक चुकी केन्द्र सरकार ने इन राक्षसों द्वारा मस्जिदों में किए गए बम हमलों का दोष हिन्दूओं के सिर डालकर देशभक्तों को जेल में बन्द कर दिया लेकिन 100% मुसलिम अबादी में तो ऐसा भी कोई बहाना काम नहीं कर सकता है।
हमारे विचार में ये राक्षस जिस भी अल्लाह का नाम लेते हैं वो जरूर कोई शैतान होगा वरना ये कैसे हो सकता है कि अल्लाह अपनी ही सन्तति का खून बहाकर खुश हो। यही नहीं ये राक्षश मां-वहन-वेटी-बहु जैसै पवित्र रिस्तों को भी नापाक कर अपने राक्षश होने का प्रमाण दुनिया के सामने रख रहे हैं। आओ मिलकर इन राक्षसों के इस दुनिया से सफाए के लिए जरूरी कदम उठाने का प्रण कर मानबता की रक्षा के लिए धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ें।
गुरुवार, 27 अक्टूबर 2011
मोदी जी के प्रधानमन्त्री बनने पर इन गद्दारों का क्या होगा?-----संदर्भ Fai+ ISI+KAC+Secular Traitors
न तो ये उदारवादी हैं न धर्मनिर्पेक्षतावादी न ही मानवाधिकारवादी ये तो ISI द्वारा खरीदे गए वो भारतविरोधी ऐजेंट हैं। इन्हें आप चाहे जो भी कहो उदारवादी, धर्मनिर्पेक्षतावादी, मानवाधिकारवादी या भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों-मानवताविरोधियों के लिए लाभदायक मूर्ख या फिर गद्दार लेकिन भारत व मानवता को बचाने के लिए, आतंकवादियों के मददगार इन ISI के भारतविरोधी ऐजेंटों का खात्मा बहुत जरूरी है।
बरसात के मौसम में भारत में एक तुफान खड़ा हो रहा था क्योंकि जुलाई 2011 में FBI ने अमेरिका में ISI द्वारा संचालित गिरोह Kashmir American Council (KAC) के माध्यम से पाकिस्तान सरकार और ISI के भारत विरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम करने वाले KAC के सरगना गुलामनवी फई
को इसलिए गिरफ्तार किया था क्योंकि वो भारतीय धर्मनिर्पेक्षतावदियों की ही तरह अमेरिकी सिनेटरों को भी भारतविरोधी काम करवाने के लिए खरीद ऱहा था । KAC के सरगना के भारत के बहुत से भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों के साथ सबन्ध सामने आ रहे हैं। भारत के देशभक्त संगठनों और सुरक्षाबलों को बदनाम कर व भारतीयों का खून बहाकर भारत को अस्थिर करने का जो काम ISI ने सयद गुलाम नवी फई को सौंपा था उस काम को सयद गुलाम नवी फई भारत के इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों/ उधारवादियों/ दानबाधिकारवादियों के सहयोग से अन्जाम दे रहा था।
क्योंकि FBI से प्राप्त इस सूची में अधिकतर उन इस्लामिक आतंकवाद समर्थक गद्दारों के नाम हैं जो भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार व मिडीया(ELECTRONIC +PRINT) की आँखों के तारे हैं इसलिए इन दोंनों ने मिलकर इस तुफान को दबा दिया । लेकिन हम भी तब तक चुप नहीं बैठने वाले जब तक इन गद्दारों के हिन्दूविरोधी-देशविरोधी कुकर्मों को आम जनता तक नहीं पहुंचा देते।
FBI के गुप्तचर साराह वैब तिंडेन ने कोर्ट में दिए गए दस्तावेजों में बताया "मैं मानता हूं कि सयद गुलाम नवी फई ने पाकिस्तान सरकार से लगभग 5,00,000 से 7,00,000 अमेरिकी डालर प्रति वर्ष प्राप्त किए।“ हलफनामे के अनुशार दुष्प्रचार को वार-वार दोहराने और शब्दशः प्रसार के लिए फई द्वारा दिए गए व्यक्तव्यों में से 80% उसे पाकिस्तान के जासूसी संगठन ISI द्वारा दिए गए थे। “KAC के वाकी बचे 20% सन्देश सयद गुलाम नवी फई के वो विचार हैं जिन्हें पहले से ही ISI की सवीकृति मिली हुई थी। पर वो ISI द्वारा नहीं दिए गए । ”
FBI के अनुसार डा. सयद गुलाम नवी फई एक पेड ऐजेंट है जिसे ISI में अबदुल्ला के नाम से जाना जाता है । फई के डिप्टी ब्रिगेडियर जाबेद अजीज खान,ब्रिगेडियर सोहेल महमूद और लैप्टीनैंट कर्नल तौकीर बट्ट हैं। FBI के अनुसार ISI ब्रसल में अबदुल मजीद द्वारा संचालित त्रेमबू का कशमीर और लंदन में नाजीर एहमद द्वारा संचालित शालों का कशमीर नाम के दो और भारतविरोधी गिरोहों को भी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए चलाती है।
1995 में सयद गुलाम नवी फई ने ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को लिखा कि आप जानते हैं कि अब हमें साथ में काम करते हुए 10 वर्ष से अधिक हो गए हैं।(अगर आकंड़ों के हिसाब से देखें तो फई 1985 ले लेकर गिरफ्तारी तक इस्लामिक आतंकवादी गतिविधियों को भारत में अन्जाम देने व भारतविरोधी महौल वनाने के षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा था। 1985-86 वही वर्ष है जब संसार में इस्लामिक आतंकवादियों ने अलकायदा की स्थापना की व ISI ने अपने इन धर्मनिर्पेक्षतावादी सहयोगियों की मदद से कश्मीर घाटी में अल्लहा टाईगरस जैसे दर्जनों इस्लामिक आतंकवादी गिरोहों की ।
ये वही वर्ष है जब कश्मीर घाटी में हिन्दूओं का कतलयाम शुरू हुआ परिणामस्वारूप 1985-86 से 2006 तक 60000 हिन्दूओं का कत्ल किया गया व लगभग 500000 हिन्दूओं को वेआबरू कर वेघर किया गया। कुलमिलाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाकर कशमीरघाटी को हिन्दूविहीन कर दिया गया ।अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
1995 में सयद गुलाम नवी फई ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को आगे लिखते हैं कि इतने लम्बे समय से मैंने आपके और आपसे पहले आए अन्य लोगों के साथ बहुत मिलजुल कर काम किया है। हमने बहुत अधिक समय, उर्जा,प्रतिबद्धता के साथ अपने भारतविरोधी उद्देश्यों को रणनिती और योजना बनाकर अन्जाम दिया है। पाकिस्तानी अधिकारी सयद गुलाम नवी फई का बजट बढ़ाकर उसे बताते गए कि उसे क्या करना है और उसे किस-किस को खरीद कर भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने में लगाना है।
J&K पुलिस के महानिदेशक कुलदीप खोड़ा ने पत्रकारों को बताया “सयद गुलाम नवी फई का नाम पहले भी बहुत से भारतविरोधी षडयन्त्रों में आता रहा है जैसे कि अमेरिका ने पहले ही बता दिया था कि ISI के बजट को भारतविरोधी गतिविधियों खासकर जम्मू कशमीर में अन्जाम देने के लिए लगाया जा रहा है।”
ISI द्वारा संचालित गिरोह KAC के सरगना सयद गुलाम नवी फई को कांग्रेस पर वार्षिक कशमीर शान्ति समेलन की आड़ में भारतविरोध-हिन्दूविरोध में अग्रणी राजनीतिज्ञों ,परजीवियों, दानवाधिकारवादियों और अलगाववादियों के लिए सम्मेलन आयोजित करने के लिए बहुत अच्छी तरह जाना जाता है। बैसे तो ये भारत और पाकिस्तान की आजाद आबाज होने की आड़ लेता था लेकिन न्याय विभाग ने बताया कि समेलन में कौन से विन्दूओं को उठाना है ये ISI द्वारा ही बताया जाता था व कौन-कौन वक्ता वोलेंगे इसकी स्विकृति भी ISI द्वारा ही प्रदान की जाती थी।
अब भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण बात ये है कि कौन-कौन गद्दार भारत में ISI द्वारा संचालित आतंकवादी गतिविधियों को अनजाम देने के लिए सयद गुलाम नवी फई के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अनजाम देने के लिए भारत के सुरक्षाबलों और देशभक्तों को बदनाम करन के लिए काम कर रहे थे। ये वही गद्दार हैं जिनकी मदद से इस्लामिक आतंकवादी व धर्मांतरण के ठेकेदार अपने भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देकर सुरक्षाबलों व हिन्दूओं का कत्लयाम कर उन्हें ही अपराधी बताने में सफल रहे। ये ISI से प्राप्त पैसे का ही असर है कि भारत में मुसलमानों द्वारा हिन्दूओं पर हमला कर शुरू किए गए सांप्रदायिक दंगों के लिए भी इन ISI ऐजेंटों ने हिन्दूओं व सुरक्षाबलों को दोषी ठहराकर भारत की छवि दुनिया में खराब करने के षडयन्त्र रचे।(अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
आओ पहले उन गद्दार उदारवादियों और धर्मनिर्पेक्षतावादियों की ये सूची देखें जिन्हें या तो सयद गुलाम नवी फई के साथ अकसर देखा गया या फिर जिन्हें भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सम्मेलनों मे बुलाया गया । आप इन परजीवियों पर सयद गुलाम नवी फई के आर्थिक प्रभाव का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि इस ISI के ऐजेंट के बुलावे पर जो गद्दार ISI द्वारा आयोजित इन सम्मेलनों में न जा सके वो इस भारतविरोधी षडयन्त्रकारी को इसके भारतविरोधी षडयन्त्रों को समर्थन देने के लिए कभी POK में मिले या फिर आतंकवादियों के किसी और ठिकाने पर।
क्योंकि ये धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI से सवीकृति मिलने के बाद भारतविरोधी सम्मेलनों में गए या फिर इन्हें बुलाया गया या फिर ये सयद गुलाम नवी फई जैसे ISI के बड़े सरगना से मिले, सिर्फ इस आधार पर इन्हें आतंकवादी करार देना जायज नहीं ठहराया सकता है ।
इससे भी बड़ा प्रमाण इनके बिरूद्ध ये है कि इन लोगों ने भारत में लगातार सुरक्षावलविरोधी-भारतीयसंस्कृतिविरोधी–देशविरोधी–हिन्दूविरोधी–मानबताविरोधी एक ऐसा बाताबरण बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की जो कि इस्लामिक आतंकवादियों के पूरी तरह अनुकूल हो ।
इन गद्दारों ने न केवल इस्लामिक आतंकवादियों के अनुकूल बाताबरण बनाया बल्कि भारतीयों का खून बहाने वाले इन मानबता के हत्यारों को हिन्दूओं व सुरक्षावलों द्वारा सताया हुआ,अनपढ़,गरीब और निर्दोष बताकर इनके द्वारा हिन्दूओं पर किए गए हर जुर्म के लिए हिन्दूओं,सुरक्षावलों,देशभक्त संगठनों को दोषी ठहराकर सारी दुनिया में भारत के विरूद्ध दुष्प्रचार किया जो कि गुलामनवी फई और पाकिस्तान की सरकार का इनको अमेरिकी डालर देने के बदले आदेश था। अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए इन गद्दारों ने मिडीया(Electroni+Print) का जमकर उपयोग किया। सांप्रदायिक हिंसा बिल 2011 भारत के शत्रुओं के ईसारे पर इन विदेशी ऐजेंटों द्वारा रचे जा रहे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों का ताजा उधाहरण है। (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
क्योंकि भारत के शत्रुओं का साथ देते रंगे हाथों पकड़े जाने पर ये गद्दार कह रहे हैं कि न गद्दारों को ये पता नहीं था कि गुलामनवी फई KAC के माध्यम से ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम कर रहा था। इसलिए अब हम आपके सामने इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों की, ISI द्वारा संचालित KAC मे भाग लेने की फोटो के साथ एक-एक KAC का बैनर भी दिखा रहे हैं, जो कि इस बात को सपष्ट करता है ,कि ये गद्दार न केवल ये जानते थे कि KAC भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी है, बल्कि ये KAC के भारतविरोधी दुष्प्रचार का समर्थन करने के साथ-साथ इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारतीयों का खून वहाने व भारत का विभाजन करवाने के KAC के षडयन्त्र को आगे भी बढ़ा रहे थे ।जिसके बदले में इन गद्दारों को KAC द्वारा उसी तरह पैसा दिया जा रहा था जैसे अमेरिकी सिनेटरों को दिया गया।
1) Injustice Rajinder Sachar( भारतीय मुसलमानों पर सचर कमेटी रिपोर्ट लिखने वाला
अन्यायमूर्ति
राजेन्द्र सचर)
1. अन्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर:- जिसने विभाजनकारी सच्चर कमेटी रिपोर्ट के माध्यम से मुसलमानों द्वारा किए गए हर अपराध/गलती के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराकर व हिन्दूओं के गरीब बच्चों के अधिकार छीनकर मुसलमानों को देने की बकालत कर ISI से प्राप्त माल का कर्ज चुकाया।आपको ये जानना ज्यादा जरूरी है कि ISI के इस ऐजेंट को देशविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार ने सच्चर कमेटी का प्रमुख बनाकर किस तरह पाकिस्तान की जरूरतों के अनुरूप रिपोर्ट तैयार करवाई। जब बाढ़ ही खेत को खाने लगे तो भला कोई क्या करे। ये रिपोर्ट भी गुलाम नवी फई ने जसटिस राजेन्दर सचर से उसी तरह लिखवाई जिस तरह वो अमेरिका के अधिकारियों को पैसे देकर पाकिस्तान के लिए समर्थन जुटा रहा था।
2. कुलदीप नैयर :- पत्रकार के नकाब में छुपा वो ISI ऐजेंट है जिसने आज तक पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद का खुलेतौर पर समर्थन किया है। ये वो भारविरोधी ISI ऐजेंट है जिसने भारत को
बदनाम करने के लिए ISI के इसारे पर गुजरात की घटनाओं को तोड़मरोड़ कर पेश करने के लिए दर्जनों लेख लिख डाले लेकिन कश्मीर में मारे गएहजारों व वेघर किए गए लाखों हिन्दूओं के वारे में लिखने के लिए इसकी हमेशा वोलती बन्द रही सिर्फ इसलिए ताकि ISI का ऐजेंडा गुलाम नबी फई की योजनानुसार आगे बड़ सके।आखिर भारत के शत्रु का कर्ज जो चुकाना था।
ये इस्लामिक आतंकवादियों का वो मददगार है जिसने संसद भवन हमले के मुख्य आरोपी ISIऐजेंट अरबी के प्रोफैसर गिलानी(SAR Gillani) को छुड़वाने के लिए पूरी ताकत से अभियान चलाकर सरकार में बैठे अपने सहयोगियों की सहायता से सफलता हासिल की।
30 जुलाई 2010 को गुलाम नवी फई द्वारा जारी समाचार विज्ञपति के अुनसार कुलदीप नैयर द्वारा किए गए भारतविरोधी दुष्प्रचार से ISI इतनी प्रभावित थी कि उसे पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत के साथ 29-30 जुलाई को हुए सम्मेलन के बाद भारतविरोधी प्रसताब लिखने के लिए चुना गया।
वहां पारित प्रस्ताब ये है “ वासिंगटन घोषणा पत्र के अनुसार सभी भाग लेने वालों ने कशमीर मे घोर मानबाधिकार के बढ़ते मामलों पर चिन्ता प्रकट करते हुए भारत सरकार से ये मांग की कि कशमीर से सेना हटा ली जाए व निष्पक्ष कमीशान वनाकर जांच करवाई जाए ”
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Dileep Padgaonkar+Radha Kumar (केन्द्र सरकार द्वारा कशमीर पर आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाने के लिए नियुक्त किए गए तीन लोगों में से दो।)
1. दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार :- ये भारत सरकार के प्रिय ISI ऐजेंट हैं जिसे सरकार ने ISI के इसारे पर कश्मीर समस्या को और उलझाने के लिए ISI के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया है इसीलिए तो ये अलगाववादियों के साथ मुलाकात करने के वाद अलगाववादियों द्वारा सुझाए गए अलगावादी सुझावों को ही आगे बढ़ाते दिखते हैं। ISI के इसारे पर इन ISI ऐजेंटों की भारतविरोधी कमेटी जम्मू के लोगों खासकर हिन्दूओं व कश्मीर से विस्थापित हिन्दूओं से बात करने के लिए आनाकानी करती है। ऐसी भारतविरोधी पाकिस्तान समर्थक कमेटी क्या रिपोर्ट देगी उसका अनुमान आप खुद ही लगा सकते हैं।
इस रिपोर्ट की जो बातें छन-छन कर बाहर आ रही हैं उसमें वही बातें हैं जो अकसर अलगाववादी करते हैं मतलब इन ISI ऐजेंटों ने अपने आकाओं का कर्ज चुका दिया।
जरा सोचो कि इस्लामिक आतंकवादियों की मददगार जिस केन्द्र सरकार ने सयद गुलाम नवी फई के कहने पर ISI ऐजेंटों को ही कश्मीर पर वनी कमेटी में नियुक्त कर दिया वो भला देश को अन्दर से कमजोर करने के लिए और क्या-क्या नहीं कर रहे होगी ? जैसे कि इस्लामिक आतंकवादियों के हमलों का दोष हिन्दूओं के सिर मढ़ना,सेना को सांप्रदाय के आधार विभाजित करने के षडयन्त्र करना, आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने वाले सुरक्षावलों के जवानों को जेलों में डालना , आतंकवादियों को मननीय न्यायालय द्वारा दी गई सजा को रोकना, हलफनामा देकर मर्यादापुर्षोत्म भगवान श्री राम जी के अस्तित्व को नकारना, देशभक्ति का काम करने वाले अन्ना जी ,स्वामी राम देव जी जैसे व्यक्तियों व RSS जैसे देशभक्त संगठनों के विरूद्ध षडयन्त्र करना व उनको सरकारी संस्थाओं का दुरूपयोग कर प्रताड़ित करना,बच्चों को प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना मतलब हिन्दूओं के बच्चों को वंचित करना आदि-आदि .....
4 Radha Kumar
Gautam Navlakha (Editor, Economic & Political Weekly, New Delhi)
5 गौतम नबलखा :- ये वो भारतविरोधी आतंकवादी है जो मुम्बई पर हुए हमले से पहले अक्कसर TV चैनलों पर आतंकवादियों का पक्ष लेकर सुरक्षावलों व देशभक्तों को दोषी ठहराता देखा जा सकता था। अभी हाल ही में श्रीनगर में सुरक्षावलों द्वारा रोका गया था। आजकल ये भूमिगत होकर भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा है। ये वो गद्दार है जिसे आपने अकसर टैलीविजन चैनलों पर सुरक्षा बलों, देशभक्त संगठनों ,नागरिकों को अपमानित करते हुए व इस्लामिक आतंकवादियों को पीड़ित,निर्दोष,अनपढ़ बताकर उनके पक्ष में महौल बनाते हुए देखा है। बैसे ISI ने सयद गुलाम नवी फई को ऐसा ही भारतविरोधी हिन्दूविरोधी महौल बनाने के लिए नियुक्त किया था और गौतम नबलखा उसी काम को आगे बड़ा रहा है। ये गौतम नबलखा अरूंधिति राय का नजदीकी है जो कि प्रशांत भूषण की नजदीकी है। प्रशांत भूषण अग्निवेश का साथी है।अग्निवेश आतंकवादी जिलानी का मित्र है।
ISI में गौतमनबलखा भी वही स्थान रखता है जो कुलदीप नैयर का है।
अब आप समझ सकते हैं कि प्रशांत भूषण ने पाकिस्तान समर्थक ब्यान क्यों दिया था और क्यों अग्निवेश व अंधति राय हमेशा सुरक्षाबलों और देशभक्तों के विरूद्ध जहर उगलते हैं।
Ms. Harinder Baweja Editor News, Tehelka( पहले दिल्ली में इंडिया टुडे (India Today) की सहायक सप्पादक रह चुकी है।
2. तरूण जे तेजपाल द्वारा संचालित तहलका भारत में एक जाना माना नाम है। ये
तब सुर्खियों में आया जब इसने ततकालीन NDA सरकार द्वारा काल्पनिक सौदों में भ्रष्टाचार का काल्पनिक मुद्दा उछालकर उसे बदनाम कर भारत में एक भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी आतंकवाद समर्थक वर्तमान सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। आज भी तहलका लगातार देशभक्त हिन्दू संगठनों को बदनाम करने और मुसलिम आतंकवादियों का बचाब करने के दुष्प्रचार को लगातार आगे बढ़ाकर भारत के शत्रुओं की लगातार मदद कर रहा है। है।तहलका न केवल हिन्दू संगठनों,सुरक्षाबलों को बदनाम कर रहा है बल्कि अन्ना जी के भ्रष्टाचारविरोधी अन्दोलन को भी कमजोर करने की कोशिस कर रहा है। कुलमिलाकर तहलका देशहित में होने या किए जाने वाले किसी भी काम के विरूद्ध दुष्प्रचार कर ISI से प्राप्त हो रहे पैसे का कर्ज चुका रहा है।
Rita Manchanda
5)रीता मानचन्दा :- : दक्षिण एशिया मे दानवाधिकार गिरोह की कार्यकारी अध्यक्ष (SAFHR) व भारत-पाकिस्तान शांति के लिए महिला संघर्ष के नाम पर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को आगे बढ़ाने वाली स्थानीय सहयोगी। इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे संगठनों में काम कर रही हैं जिनका एक मात्र मकसद इस्लामिक आतंकवादियों द्वार किए जा रहे मानबताविरोधी कुकर्मों के लिए सुरक्षाबलों व हिन्दू संगठनों को दोषी ठहराकर इस्लामिक आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाना है।
6)Mr. Siddharth Varadarajan The Hindu
भारतीय संस्कृति,सुरक्षाबलों ,हिन्दूओं
व देशभक्त संगठनों के विरूद्ध जहर उगलना सिद्धार्थ बर्धराजन की पुरानी आदत है जो आज तक चली आ रही है क्योंकि इसे ISI व अन्य भारतविरोधियों से मिले पैसे का कर्ज जो चुकाना है।
7)Prof Kamal Mitra Chenoy, chairperson of JNU’s Centre for Comparative Politics
कमल चिनाय दानवाधिकार बादी ।
8)Prof. (Dr.) Angana Chatterji Scholar-activist,& Political Theory
अंजना चैटर्जी :- Professor, Social & Cultural Anthropology, California Institute of Integral Studies and Co-Convener, International People’s Tribunal
9) Mr. Tapan Bose Filmmaker
10)Mr. T. Kumar Amnesty International
11)Pandit Jatinder Bakhshi President, J&K Forum for Peace & Reconciliationजितेन्द्र बख्शी :- president of J&K Forum for Peace and Reconciliation.
12) Praful Bidwai, noted columnist,
प्रफुल विदवई समाचार पत्रों में कालम लिखने वाला जाना माना नाम।
13)
वेद भूषण कशमीर टाइमस का संपादक।
14) प्रोफैसर जी आर मलिक :- कन्द्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर में अंग्रेजी विभाग का प्रमुख।
15) -हरीश खरे :- हरीश खरे प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं। वेशक हरीश खरे ने ISI के साथ किसी भी तरह के सबन्ध होने से मना किया है ।बैसे हम भी अभी तक हरीश खरे के विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं ढूंढ पाए हैं लेकिन अगर FBI की जांच में हरीश खरे का नाम आया है तो इसे नकारा भी नहीं जा सकता । हरीश खरे के गुलाम नवी फई के साथ कैसे सबन्ध थे के वारे में अगर आपकतो कोई प्माण मिले तो हमें भी बताना।
हरीश खरे के निजी तौर पर सबन्ध हों या न हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों वो जिस प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं वो ही भारतविरोधी ISI ऐजेंट की तरह काम कर रहा है। ISI के आदेश पर ISI ऐजेंट राजेन्द्र सच्चर को सचर कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ISI के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को वैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना, ISI के आदेश पर दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार जैसे ISI ऐजेंटों को कशमीर पर ISI के षडयन्त्रों को बैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए कमेटी का सदस्य बनाना, शर्म अलसेख में पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना जिसके अनुसार भारत को पाकिस्तान के बलूचीस्तान में आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया गया ,भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,मुसलिम बहुल जिलों के विकाश की बात कर मुसलमानों को अपनी जनसंख्य बढ़ाने को उकसाना,सुरक्षाबलों को आतंकवादी घटना के बाद इस्लामिक आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने को कहना,पाठशाला में प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना यहां तक कि SC,ST,OBC के बच्चों को भी वन्चित करना, हिथरो हबाई अडडे पर बम धमाका करने वाले इस्लामिक आतंकवादी के पकड़े जाने पर प्रधानमन्त्री को नींद नहीं आना और रामलीला मैदान में निर्दोष देशभक्तों पर हमला करवाना व उसे जायज ठहराना, CBI का दुरूपयोग कर इसरत जहां व सोराबुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों को जेलों में ढलवाना , सांप्रदायिक हिंसा विल के माध्यम से मुसलमानों व मुसलिम आतंकवादियों के हर अपराध के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराने का षडयन्त्र रचना,सेना को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का षडयन्त्र रचना जैसे कुकर्म कोई देशभक्त भारतीय तो कर नहीं सकता न ही करवा सकता है ऐसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी काम तो भारत का शत्रु यानी ISI ऐजेंट ही कर/करवा सकता है। (हम अच्छी तरह जानते हैं कि मनमोहन में इतना साहस नहीं कि वो देश से इतनी बढ़ी गद्दारी करे जिसके परिणामस्वारूप देश का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है लेकिन प्रधानमन्त्री बने रहने के लालच में एक विदेशी विषकन्या के इसारे पर भारत का सर्वनाश करने के षडयन्त्र रचने के अपराध से इस भारतविरोधी को मुक्त नहीं किया जा सकता।)
ऐसा नहीं कि सिर्फ ये 15 लोग ही ISI ऐजेंट हैं इनके अतिरिक्त महेश भट्ट,जावेद अख्तर,अग्निवेश,अरूधति राय,दिगविजय,अबु हाजमी,राहुल भट्ट,उमर अबदुल्ला जैसे जानेमाने सैंकड़ों भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी देशभर में इस्लामिक आतंकवादियों का साथ देकर भारत को कमजोर करने का काम कर ISI षडयन्त्रों का अन्जाम दे रहे हैं। जनका समय रहते अगर खात्मा नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं जिस दिन कशमीर घाटी की ही तरह सारे भारत से हिन्दूओं के मार-काट कर उजाड़ दिया जाएगा।
http://www.daily.pk/kashmir-conference-at-the-capitol-hill-on-july-31st-and-august-1st-2008-3671/
ये उन प्रसिद्ध गद्दार भारतीय उदारवादी धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI ऐजेंटों की सूची है जो ISI के गिरोह KAC प्रमुख सयद गुलाम नवी फई के साथ मिलकर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए हर मामले में चौधरी बनते फिरते हैं चाहे मामला धर्मनिर्पेक्षता का हो या कशमीर का या भ्रष्टाचार का या फिर सांप्रदायिकता का या फिर सोनिया गांधी या नरेन्द्र मोदी का।
वासिंगटन टाईमस ने 19 जुलाई 2011 को ये समाचार दिया कि मंगलवार को FBI के गुप्तचरों ने गुलामनवी फई को गिफ्तार कर लिया। सयद गुलाम नवी फई पाकिस्तान की सरकार और सैनिक गुप्तचर संस्थाओं से लाखों डालर लेकर अमेरिका के चुने हुए अधिकारियों व भारत के धर्मनिर्पेक्षतावादियों को घूंस देकर इस बात के लिए तैयार करता था कि वो दक्षिण ऐशिया में भारत को कशमीर से बाहर धकेलने में मदद करें। सयद गुलाम नवी फई को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया गया क्योंकि वो भारत का विभाजन करवाकर कशमीर को अलग करवाने के लिए काम कर रहा था क्योंकि अमेरिका के कानून के अनुसार भारतविरोध कोई अपराध नहीं है लेकिन उसे इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वो ISI के पैसे का उपयोग कर अमेरिकी अधिकारियों को पाकिस्तान के पक्ष में काम करने के लिए खरीदने की कोशिश कर रहा था।
वेशक एक भूतपूर्व संपादक ने मातृभूमि से गद्दारी करने वाले इन घरकुदाल भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों/उधारवादियों/दानवाधिकारवादियों को, firstpost.com. पर लिखे गए अपने लेख में भारत के शत्रुओं के लिए लाभदायक मूर्ख कहा हो लेकिन इन गद्दारों द्वारा पिछले 25 वर्षों से चलाए जा रहे हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान के माध्यम से वहाए गए निर्दोष भारतीयों खासकर सुरक्षाबलों और हिन्दूओं के खून के लिए सिर्फ मूर्ख या गद्दार कहकर छोड़ना कोई विकल्प नहीं हैं ।देश के इन दुश्मनों का जिन्दा रहना राष्ट्रहित में नहीं है ।क्योंकि फांसी देना या न देना सरकार के हाथ में है उस सरकार के हाथ में है जो खुद ISI agent की तरह काम कर रही है।
इसलिए देशभक्त नौजवानों को चाहिए कि इन गद्दारों के साथ वही करें जो शहीद भगत सिंह,राजगुरू और चन्द्र शेखर आजाद ने देशभक्तलाजपतराय जी का कत्ल करने वाले भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सैंडर्स के साथ किया व शहीद उधम सिंह जी ने जलियांवाला बाग में नरसंहार को अंजाम देने वाले ,भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के साथ किया था।
परन्तु उससे पहले ये जरूरी है कि प्रशांत भूषण की तरह इन गद्दारों की बुद्धि को भी कम से कम पांच-सात वार सार्वजनिक कुटाई से ठिकाने लाने की जरूर कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि हर देशभक्त भारतीय खासकर हिन्दू इन ISI ऐजटों द्वारा इस्लामिक आतंकवादियों के माध्यम से ISI के इसारे पर बहाए गए भारतीयों खासकर हिन्दूओं व सुरक्षावलों के खून की जानकारी को जन-जन तक खासकर गांव तक पहुंचाने की कोशिश करें वाकी काम हमारे विचार में जनता अपने आप कर देगी।
बरसात के मौसम में भारत में एक तुफान खड़ा हो रहा था क्योंकि जुलाई 2011 में FBI ने अमेरिका में ISI द्वारा संचालित गिरोह Kashmir American Council (KAC) के माध्यम से पाकिस्तान सरकार और ISI के भारत विरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम करने वाले KAC के सरगना गुलामनवी फई
को इसलिए गिरफ्तार किया था क्योंकि वो भारतीय धर्मनिर्पेक्षतावदियों की ही तरह अमेरिकी सिनेटरों को भी भारतविरोधी काम करवाने के लिए खरीद ऱहा था । KAC के सरगना के भारत के बहुत से भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों के साथ सबन्ध सामने आ रहे हैं। भारत के देशभक्त संगठनों और सुरक्षाबलों को बदनाम कर व भारतीयों का खून बहाकर भारत को अस्थिर करने का जो काम ISI ने सयद गुलाम नवी फई को सौंपा था उस काम को सयद गुलाम नवी फई भारत के इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों/ उधारवादियों/ दानबाधिकारवादियों के सहयोग से अन्जाम दे रहा था।
क्योंकि FBI से प्राप्त इस सूची में अधिकतर उन इस्लामिक आतंकवाद समर्थक गद्दारों के नाम हैं जो भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार व मिडीया(ELECTRONIC +PRINT) की आँखों के तारे हैं इसलिए इन दोंनों ने मिलकर इस तुफान को दबा दिया । लेकिन हम भी तब तक चुप नहीं बैठने वाले जब तक इन गद्दारों के हिन्दूविरोधी-देशविरोधी कुकर्मों को आम जनता तक नहीं पहुंचा देते।
FBI के गुप्तचर साराह वैब तिंडेन ने कोर्ट में दिए गए दस्तावेजों में बताया "मैं मानता हूं कि सयद गुलाम नवी फई ने पाकिस्तान सरकार से लगभग 5,00,000 से 7,00,000 अमेरिकी डालर प्रति वर्ष प्राप्त किए।“ हलफनामे के अनुशार दुष्प्रचार को वार-वार दोहराने और शब्दशः प्रसार के लिए फई द्वारा दिए गए व्यक्तव्यों में से 80% उसे पाकिस्तान के जासूसी संगठन ISI द्वारा दिए गए थे। “KAC के वाकी बचे 20% सन्देश सयद गुलाम नवी फई के वो विचार हैं जिन्हें पहले से ही ISI की सवीकृति मिली हुई थी। पर वो ISI द्वारा नहीं दिए गए । ”
FBI के अनुसार डा. सयद गुलाम नवी फई एक पेड ऐजेंट है जिसे ISI में अबदुल्ला के नाम से जाना जाता है । फई के डिप्टी ब्रिगेडियर जाबेद अजीज खान,ब्रिगेडियर सोहेल महमूद और लैप्टीनैंट कर्नल तौकीर बट्ट हैं। FBI के अनुसार ISI ब्रसल में अबदुल मजीद द्वारा संचालित त्रेमबू का कशमीर और लंदन में नाजीर एहमद द्वारा संचालित शालों का कशमीर नाम के दो और भारतविरोधी गिरोहों को भी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए चलाती है।
1995 में सयद गुलाम नवी फई ने ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को लिखा कि आप जानते हैं कि अब हमें साथ में काम करते हुए 10 वर्ष से अधिक हो गए हैं।(अगर आकंड़ों के हिसाब से देखें तो फई 1985 ले लेकर गिरफ्तारी तक इस्लामिक आतंकवादी गतिविधियों को भारत में अन्जाम देने व भारतविरोधी महौल वनाने के षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा था। 1985-86 वही वर्ष है जब संसार में इस्लामिक आतंकवादियों ने अलकायदा की स्थापना की व ISI ने अपने इन धर्मनिर्पेक्षतावादी सहयोगियों की मदद से कश्मीर घाटी में अल्लहा टाईगरस जैसे दर्जनों इस्लामिक आतंकवादी गिरोहों की ।
ये वही वर्ष है जब कश्मीर घाटी में हिन्दूओं का कतलयाम शुरू हुआ परिणामस्वारूप 1985-86 से 2006 तक 60000 हिन्दूओं का कत्ल किया गया व लगभग 500000 हिन्दूओं को वेआबरू कर वेघर किया गया। कुलमिलाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाकर कशमीरघाटी को हिन्दूविहीन कर दिया गया ।अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
1995 में सयद गुलाम नवी फई ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को आगे लिखते हैं कि इतने लम्बे समय से मैंने आपके और आपसे पहले आए अन्य लोगों के साथ बहुत मिलजुल कर काम किया है। हमने बहुत अधिक समय, उर्जा,प्रतिबद्धता के साथ अपने भारतविरोधी उद्देश्यों को रणनिती और योजना बनाकर अन्जाम दिया है। पाकिस्तानी अधिकारी सयद गुलाम नवी फई का बजट बढ़ाकर उसे बताते गए कि उसे क्या करना है और उसे किस-किस को खरीद कर भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने में लगाना है।
J&K पुलिस के महानिदेशक कुलदीप खोड़ा ने पत्रकारों को बताया “सयद गुलाम नवी फई का नाम पहले भी बहुत से भारतविरोधी षडयन्त्रों में आता रहा है जैसे कि अमेरिका ने पहले ही बता दिया था कि ISI के बजट को भारतविरोधी गतिविधियों खासकर जम्मू कशमीर में अन्जाम देने के लिए लगाया जा रहा है।”
ISI द्वारा संचालित गिरोह KAC के सरगना सयद गुलाम नवी फई को कांग्रेस पर वार्षिक कशमीर शान्ति समेलन की आड़ में भारतविरोध-हिन्दूविरोध में अग्रणी राजनीतिज्ञों ,परजीवियों, दानवाधिकारवादियों और अलगाववादियों के लिए सम्मेलन आयोजित करने के लिए बहुत अच्छी तरह जाना जाता है। बैसे तो ये भारत और पाकिस्तान की आजाद आबाज होने की आड़ लेता था लेकिन न्याय विभाग ने बताया कि समेलन में कौन से विन्दूओं को उठाना है ये ISI द्वारा ही बताया जाता था व कौन-कौन वक्ता वोलेंगे इसकी स्विकृति भी ISI द्वारा ही प्रदान की जाती थी।
अब भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण बात ये है कि कौन-कौन गद्दार भारत में ISI द्वारा संचालित आतंकवादी गतिविधियों को अनजाम देने के लिए सयद गुलाम नवी फई के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अनजाम देने के लिए भारत के सुरक्षाबलों और देशभक्तों को बदनाम करन के लिए काम कर रहे थे। ये वही गद्दार हैं जिनकी मदद से इस्लामिक आतंकवादी व धर्मांतरण के ठेकेदार अपने भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देकर सुरक्षाबलों व हिन्दूओं का कत्लयाम कर उन्हें ही अपराधी बताने में सफल रहे। ये ISI से प्राप्त पैसे का ही असर है कि भारत में मुसलमानों द्वारा हिन्दूओं पर हमला कर शुरू किए गए सांप्रदायिक दंगों के लिए भी इन ISI ऐजेंटों ने हिन्दूओं व सुरक्षाबलों को दोषी ठहराकर भारत की छवि दुनिया में खराब करने के षडयन्त्र रचे।(अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
आओ पहले उन गद्दार उदारवादियों और धर्मनिर्पेक्षतावादियों की ये सूची देखें जिन्हें या तो सयद गुलाम नवी फई के साथ अकसर देखा गया या फिर जिन्हें भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सम्मेलनों मे बुलाया गया । आप इन परजीवियों पर सयद गुलाम नवी फई के आर्थिक प्रभाव का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि इस ISI के ऐजेंट के बुलावे पर जो गद्दार ISI द्वारा आयोजित इन सम्मेलनों में न जा सके वो इस भारतविरोधी षडयन्त्रकारी को इसके भारतविरोधी षडयन्त्रों को समर्थन देने के लिए कभी POK में मिले या फिर आतंकवादियों के किसी और ठिकाने पर।
क्योंकि ये धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI से सवीकृति मिलने के बाद भारतविरोधी सम्मेलनों में गए या फिर इन्हें बुलाया गया या फिर ये सयद गुलाम नवी फई जैसे ISI के बड़े सरगना से मिले, सिर्फ इस आधार पर इन्हें आतंकवादी करार देना जायज नहीं ठहराया सकता है ।
इससे भी बड़ा प्रमाण इनके बिरूद्ध ये है कि इन लोगों ने भारत में लगातार सुरक्षावलविरोधी-भारतीयसंस्कृतिविरोधी–देशविरोधी–हिन्दूविरोधी–मानबताविरोधी एक ऐसा बाताबरण बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की जो कि इस्लामिक आतंकवादियों के पूरी तरह अनुकूल हो ।
इन गद्दारों ने न केवल इस्लामिक आतंकवादियों के अनुकूल बाताबरण बनाया बल्कि भारतीयों का खून बहाने वाले इन मानबता के हत्यारों को हिन्दूओं व सुरक्षावलों द्वारा सताया हुआ,अनपढ़,गरीब और निर्दोष बताकर इनके द्वारा हिन्दूओं पर किए गए हर जुर्म के लिए हिन्दूओं,सुरक्षावलों,देशभक्त संगठनों को दोषी ठहराकर सारी दुनिया में भारत के विरूद्ध दुष्प्रचार किया जो कि गुलामनवी फई और पाकिस्तान की सरकार का इनको अमेरिकी डालर देने के बदले आदेश था। अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए इन गद्दारों ने मिडीया(Electroni+Print) का जमकर उपयोग किया। सांप्रदायिक हिंसा बिल 2011 भारत के शत्रुओं के ईसारे पर इन विदेशी ऐजेंटों द्वारा रचे जा रहे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों का ताजा उधाहरण है। (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
क्योंकि भारत के शत्रुओं का साथ देते रंगे हाथों पकड़े जाने पर ये गद्दार कह रहे हैं कि न गद्दारों को ये पता नहीं था कि गुलामनवी फई KAC के माध्यम से ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम कर रहा था। इसलिए अब हम आपके सामने इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों की, ISI द्वारा संचालित KAC मे भाग लेने की फोटो के साथ एक-एक KAC का बैनर भी दिखा रहे हैं, जो कि इस बात को सपष्ट करता है ,कि ये गद्दार न केवल ये जानते थे कि KAC भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी है, बल्कि ये KAC के भारतविरोधी दुष्प्रचार का समर्थन करने के साथ-साथ इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारतीयों का खून वहाने व भारत का विभाजन करवाने के KAC के षडयन्त्र को आगे भी बढ़ा रहे थे ।जिसके बदले में इन गद्दारों को KAC द्वारा उसी तरह पैसा दिया जा रहा था जैसे अमेरिकी सिनेटरों को दिया गया।
1) Injustice Rajinder Sachar( भारतीय मुसलमानों पर सचर कमेटी रिपोर्ट लिखने वाला
अन्यायमूर्ति
राजेन्द्र सचर)
1. अन्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर:- जिसने विभाजनकारी सच्चर कमेटी रिपोर्ट के माध्यम से मुसलमानों द्वारा किए गए हर अपराध/गलती के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराकर व हिन्दूओं के गरीब बच्चों के अधिकार छीनकर मुसलमानों को देने की बकालत कर ISI से प्राप्त माल का कर्ज चुकाया।आपको ये जानना ज्यादा जरूरी है कि ISI के इस ऐजेंट को देशविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार ने सच्चर कमेटी का प्रमुख बनाकर किस तरह पाकिस्तान की जरूरतों के अनुरूप रिपोर्ट तैयार करवाई। जब बाढ़ ही खेत को खाने लगे तो भला कोई क्या करे। ये रिपोर्ट भी गुलाम नवी फई ने जसटिस राजेन्दर सचर से उसी तरह लिखवाई जिस तरह वो अमेरिका के अधिकारियों को पैसे देकर पाकिस्तान के लिए समर्थन जुटा रहा था।
2. कुलदीप नैयर :- पत्रकार के नकाब में छुपा वो ISI ऐजेंट है जिसने आज तक पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद का खुलेतौर पर समर्थन किया है। ये वो भारविरोधी ISI ऐजेंट है जिसने भारत को
बदनाम करने के लिए ISI के इसारे पर गुजरात की घटनाओं को तोड़मरोड़ कर पेश करने के लिए दर्जनों लेख लिख डाले लेकिन कश्मीर में मारे गएहजारों व वेघर किए गए लाखों हिन्दूओं के वारे में लिखने के लिए इसकी हमेशा वोलती बन्द रही सिर्फ इसलिए ताकि ISI का ऐजेंडा गुलाम नबी फई की योजनानुसार आगे बड़ सके।आखिर भारत के शत्रु का कर्ज जो चुकाना था।
ये इस्लामिक आतंकवादियों का वो मददगार है जिसने संसद भवन हमले के मुख्य आरोपी ISIऐजेंट अरबी के प्रोफैसर गिलानी(SAR Gillani) को छुड़वाने के लिए पूरी ताकत से अभियान चलाकर सरकार में बैठे अपने सहयोगियों की सहायता से सफलता हासिल की।
30 जुलाई 2010 को गुलाम नवी फई द्वारा जारी समाचार विज्ञपति के अुनसार कुलदीप नैयर द्वारा किए गए भारतविरोधी दुष्प्रचार से ISI इतनी प्रभावित थी कि उसे पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत के साथ 29-30 जुलाई को हुए सम्मेलन के बाद भारतविरोधी प्रसताब लिखने के लिए चुना गया।
वहां पारित प्रस्ताब ये है “ वासिंगटन घोषणा पत्र के अनुसार सभी भाग लेने वालों ने कशमीर मे घोर मानबाधिकार के बढ़ते मामलों पर चिन्ता प्रकट करते हुए भारत सरकार से ये मांग की कि कशमीर से सेना हटा ली जाए व निष्पक्ष कमीशान वनाकर जांच करवाई जाए ”
.
Dileep Padgaonkar+Radha Kumar (केन्द्र सरकार द्वारा कशमीर पर आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाने के लिए नियुक्त किए गए तीन लोगों में से दो।)
1. दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार :- ये भारत सरकार के प्रिय ISI ऐजेंट हैं जिसे सरकार ने ISI के इसारे पर कश्मीर समस्या को और उलझाने के लिए ISI के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया है इसीलिए तो ये अलगाववादियों के साथ मुलाकात करने के वाद अलगाववादियों द्वारा सुझाए गए अलगावादी सुझावों को ही आगे बढ़ाते दिखते हैं। ISI के इसारे पर इन ISI ऐजेंटों की भारतविरोधी कमेटी जम्मू के लोगों खासकर हिन्दूओं व कश्मीर से विस्थापित हिन्दूओं से बात करने के लिए आनाकानी करती है। ऐसी भारतविरोधी पाकिस्तान समर्थक कमेटी क्या रिपोर्ट देगी उसका अनुमान आप खुद ही लगा सकते हैं।
इस रिपोर्ट की जो बातें छन-छन कर बाहर आ रही हैं उसमें वही बातें हैं जो अकसर अलगाववादी करते हैं मतलब इन ISI ऐजेंटों ने अपने आकाओं का कर्ज चुका दिया।
जरा सोचो कि इस्लामिक आतंकवादियों की मददगार जिस केन्द्र सरकार ने सयद गुलाम नवी फई के कहने पर ISI ऐजेंटों को ही कश्मीर पर वनी कमेटी में नियुक्त कर दिया वो भला देश को अन्दर से कमजोर करने के लिए और क्या-क्या नहीं कर रहे होगी ? जैसे कि इस्लामिक आतंकवादियों के हमलों का दोष हिन्दूओं के सिर मढ़ना,सेना को सांप्रदाय के आधार विभाजित करने के षडयन्त्र करना, आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने वाले सुरक्षावलों के जवानों को जेलों में डालना , आतंकवादियों को मननीय न्यायालय द्वारा दी गई सजा को रोकना, हलफनामा देकर मर्यादापुर्षोत्म भगवान श्री राम जी के अस्तित्व को नकारना, देशभक्ति का काम करने वाले अन्ना जी ,स्वामी राम देव जी जैसे व्यक्तियों व RSS जैसे देशभक्त संगठनों के विरूद्ध षडयन्त्र करना व उनको सरकारी संस्थाओं का दुरूपयोग कर प्रताड़ित करना,बच्चों को प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना मतलब हिन्दूओं के बच्चों को वंचित करना आदि-आदि .....
4 Radha Kumar
Gautam Navlakha (Editor, Economic & Political Weekly, New Delhi)
5 गौतम नबलखा :- ये वो भारतविरोधी आतंकवादी है जो मुम्बई पर हुए हमले से पहले अक्कसर TV चैनलों पर आतंकवादियों का पक्ष लेकर सुरक्षावलों व देशभक्तों को दोषी ठहराता देखा जा सकता था। अभी हाल ही में श्रीनगर में सुरक्षावलों द्वारा रोका गया था। आजकल ये भूमिगत होकर भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा है। ये वो गद्दार है जिसे आपने अकसर टैलीविजन चैनलों पर सुरक्षा बलों, देशभक्त संगठनों ,नागरिकों को अपमानित करते हुए व इस्लामिक आतंकवादियों को पीड़ित,निर्दोष,अनपढ़ बताकर उनके पक्ष में महौल बनाते हुए देखा है। बैसे ISI ने सयद गुलाम नवी फई को ऐसा ही भारतविरोधी हिन्दूविरोधी महौल बनाने के लिए नियुक्त किया था और गौतम नबलखा उसी काम को आगे बड़ा रहा है। ये गौतम नबलखा अरूंधिति राय का नजदीकी है जो कि प्रशांत भूषण की नजदीकी है। प्रशांत भूषण अग्निवेश का साथी है।अग्निवेश आतंकवादी जिलानी का मित्र है।
ISI में गौतमनबलखा भी वही स्थान रखता है जो कुलदीप नैयर का है।
अब आप समझ सकते हैं कि प्रशांत भूषण ने पाकिस्तान समर्थक ब्यान क्यों दिया था और क्यों अग्निवेश व अंधति राय हमेशा सुरक्षाबलों और देशभक्तों के विरूद्ध जहर उगलते हैं।
Ms. Harinder Baweja Editor News, Tehelka( पहले दिल्ली में इंडिया टुडे (India Today) की सहायक सप्पादक रह चुकी है।
2. तरूण जे तेजपाल द्वारा संचालित तहलका भारत में एक जाना माना नाम है। ये
तब सुर्खियों में आया जब इसने ततकालीन NDA सरकार द्वारा काल्पनिक सौदों में भ्रष्टाचार का काल्पनिक मुद्दा उछालकर उसे बदनाम कर भारत में एक भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी आतंकवाद समर्थक वर्तमान सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। आज भी तहलका लगातार देशभक्त हिन्दू संगठनों को बदनाम करने और मुसलिम आतंकवादियों का बचाब करने के दुष्प्रचार को लगातार आगे बढ़ाकर भारत के शत्रुओं की लगातार मदद कर रहा है। है।तहलका न केवल हिन्दू संगठनों,सुरक्षाबलों को बदनाम कर रहा है बल्कि अन्ना जी के भ्रष्टाचारविरोधी अन्दोलन को भी कमजोर करने की कोशिस कर रहा है। कुलमिलाकर तहलका देशहित में होने या किए जाने वाले किसी भी काम के विरूद्ध दुष्प्रचार कर ISI से प्राप्त हो रहे पैसे का कर्ज चुका रहा है।
Rita Manchanda
5)रीता मानचन्दा :- : दक्षिण एशिया मे दानवाधिकार गिरोह की कार्यकारी अध्यक्ष (SAFHR) व भारत-पाकिस्तान शांति के लिए महिला संघर्ष के नाम पर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को आगे बढ़ाने वाली स्थानीय सहयोगी। इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे संगठनों में काम कर रही हैं जिनका एक मात्र मकसद इस्लामिक आतंकवादियों द्वार किए जा रहे मानबताविरोधी कुकर्मों के लिए सुरक्षाबलों व हिन्दू संगठनों को दोषी ठहराकर इस्लामिक आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाना है।
6)Mr. Siddharth Varadarajan The Hindu
भारतीय संस्कृति,सुरक्षाबलों ,हिन्दूओं
व देशभक्त संगठनों के विरूद्ध जहर उगलना सिद्धार्थ बर्धराजन की पुरानी आदत है जो आज तक चली आ रही है क्योंकि इसे ISI व अन्य भारतविरोधियों से मिले पैसे का कर्ज जो चुकाना है।
7)Prof Kamal Mitra Chenoy, chairperson of JNU’s Centre for Comparative Politics
कमल चिनाय दानवाधिकार बादी ।
8)Prof. (Dr.) Angana Chatterji Scholar-activist,& Political Theory
अंजना चैटर्जी :- Professor, Social & Cultural Anthropology, California Institute of Integral Studies and Co-Convener, International People’s Tribunal
9) Mr. Tapan Bose Filmmaker
10)Mr. T. Kumar Amnesty International
11)Pandit Jatinder Bakhshi President, J&K Forum for Peace & Reconciliationजितेन्द्र बख्शी :- president of J&K Forum for Peace and Reconciliation.
12) Praful Bidwai, noted columnist,
प्रफुल विदवई समाचार पत्रों में कालम लिखने वाला जाना माना नाम।
13)
वेद भूषण कशमीर टाइमस का संपादक।
14) प्रोफैसर जी आर मलिक :- कन्द्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर में अंग्रेजी विभाग का प्रमुख।
15) -हरीश खरे :- हरीश खरे प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं। वेशक हरीश खरे ने ISI के साथ किसी भी तरह के सबन्ध होने से मना किया है ।बैसे हम भी अभी तक हरीश खरे के विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं ढूंढ पाए हैं लेकिन अगर FBI की जांच में हरीश खरे का नाम आया है तो इसे नकारा भी नहीं जा सकता । हरीश खरे के गुलाम नवी फई के साथ कैसे सबन्ध थे के वारे में अगर आपकतो कोई प्माण मिले तो हमें भी बताना।
हरीश खरे के निजी तौर पर सबन्ध हों या न हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों वो जिस प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं वो ही भारतविरोधी ISI ऐजेंट की तरह काम कर रहा है। ISI के आदेश पर ISI ऐजेंट राजेन्द्र सच्चर को सचर कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ISI के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को वैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना, ISI के आदेश पर दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार जैसे ISI ऐजेंटों को कशमीर पर ISI के षडयन्त्रों को बैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए कमेटी का सदस्य बनाना, शर्म अलसेख में पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना जिसके अनुसार भारत को पाकिस्तान के बलूचीस्तान में आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया गया ,भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,मुसलिम बहुल जिलों के विकाश की बात कर मुसलमानों को अपनी जनसंख्य बढ़ाने को उकसाना,सुरक्षाबलों को आतंकवादी घटना के बाद इस्लामिक आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने को कहना,पाठशाला में प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना यहां तक कि SC,ST,OBC के बच्चों को भी वन्चित करना, हिथरो हबाई अडडे पर बम धमाका करने वाले इस्लामिक आतंकवादी के पकड़े जाने पर प्रधानमन्त्री को नींद नहीं आना और रामलीला मैदान में निर्दोष देशभक्तों पर हमला करवाना व उसे जायज ठहराना, CBI का दुरूपयोग कर इसरत जहां व सोराबुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों को जेलों में ढलवाना , सांप्रदायिक हिंसा विल के माध्यम से मुसलमानों व मुसलिम आतंकवादियों के हर अपराध के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराने का षडयन्त्र रचना,सेना को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का षडयन्त्र रचना जैसे कुकर्म कोई देशभक्त भारतीय तो कर नहीं सकता न ही करवा सकता है ऐसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी काम तो भारत का शत्रु यानी ISI ऐजेंट ही कर/करवा सकता है। (हम अच्छी तरह जानते हैं कि मनमोहन में इतना साहस नहीं कि वो देश से इतनी बढ़ी गद्दारी करे जिसके परिणामस्वारूप देश का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है लेकिन प्रधानमन्त्री बने रहने के लालच में एक विदेशी विषकन्या के इसारे पर भारत का सर्वनाश करने के षडयन्त्र रचने के अपराध से इस भारतविरोधी को मुक्त नहीं किया जा सकता।)
ऐसा नहीं कि सिर्फ ये 15 लोग ही ISI ऐजेंट हैं इनके अतिरिक्त महेश भट्ट,जावेद अख्तर,अग्निवेश,अरूधति राय,दिगविजय,अबु हाजमी,राहुल भट्ट,उमर अबदुल्ला जैसे जानेमाने सैंकड़ों भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी देशभर में इस्लामिक आतंकवादियों का साथ देकर भारत को कमजोर करने का काम कर ISI षडयन्त्रों का अन्जाम दे रहे हैं। जनका समय रहते अगर खात्मा नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं जिस दिन कशमीर घाटी की ही तरह सारे भारत से हिन्दूओं के मार-काट कर उजाड़ दिया जाएगा।
http://www.daily.pk/kashmir-conference-at-the-capitol-hill-on-july-31st-and-august-1st-2008-3671/
ये उन प्रसिद्ध गद्दार भारतीय उदारवादी धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI ऐजेंटों की सूची है जो ISI के गिरोह KAC प्रमुख सयद गुलाम नवी फई के साथ मिलकर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए हर मामले में चौधरी बनते फिरते हैं चाहे मामला धर्मनिर्पेक्षता का हो या कशमीर का या भ्रष्टाचार का या फिर सांप्रदायिकता का या फिर सोनिया गांधी या नरेन्द्र मोदी का।
वासिंगटन टाईमस ने 19 जुलाई 2011 को ये समाचार दिया कि मंगलवार को FBI के गुप्तचरों ने गुलामनवी फई को गिफ्तार कर लिया। सयद गुलाम नवी फई पाकिस्तान की सरकार और सैनिक गुप्तचर संस्थाओं से लाखों डालर लेकर अमेरिका के चुने हुए अधिकारियों व भारत के धर्मनिर्पेक्षतावादियों को घूंस देकर इस बात के लिए तैयार करता था कि वो दक्षिण ऐशिया में भारत को कशमीर से बाहर धकेलने में मदद करें। सयद गुलाम नवी फई को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया गया क्योंकि वो भारत का विभाजन करवाकर कशमीर को अलग करवाने के लिए काम कर रहा था क्योंकि अमेरिका के कानून के अनुसार भारतविरोध कोई अपराध नहीं है लेकिन उसे इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वो ISI के पैसे का उपयोग कर अमेरिकी अधिकारियों को पाकिस्तान के पक्ष में काम करने के लिए खरीदने की कोशिश कर रहा था।
वेशक एक भूतपूर्व संपादक ने मातृभूमि से गद्दारी करने वाले इन घरकुदाल भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों/उधारवादियों/दानवाधिकारवादियों को, firstpost.com. पर लिखे गए अपने लेख में भारत के शत्रुओं के लिए लाभदायक मूर्ख कहा हो लेकिन इन गद्दारों द्वारा पिछले 25 वर्षों से चलाए जा रहे हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान के माध्यम से वहाए गए निर्दोष भारतीयों खासकर सुरक्षाबलों और हिन्दूओं के खून के लिए सिर्फ मूर्ख या गद्दार कहकर छोड़ना कोई विकल्प नहीं हैं ।देश के इन दुश्मनों का जिन्दा रहना राष्ट्रहित में नहीं है ।क्योंकि फांसी देना या न देना सरकार के हाथ में है उस सरकार के हाथ में है जो खुद ISI agent की तरह काम कर रही है।
इसलिए देशभक्त नौजवानों को चाहिए कि इन गद्दारों के साथ वही करें जो शहीद भगत सिंह,राजगुरू और चन्द्र शेखर आजाद ने देशभक्तलाजपतराय जी का कत्ल करने वाले भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सैंडर्स के साथ किया व शहीद उधम सिंह जी ने जलियांवाला बाग में नरसंहार को अंजाम देने वाले ,भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के साथ किया था।
परन्तु उससे पहले ये जरूरी है कि प्रशांत भूषण की तरह इन गद्दारों की बुद्धि को भी कम से कम पांच-सात वार सार्वजनिक कुटाई से ठिकाने लाने की जरूर कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि हर देशभक्त भारतीय खासकर हिन्दू इन ISI ऐजटों द्वारा इस्लामिक आतंकवादियों के माध्यम से ISI के इसारे पर बहाए गए भारतीयों खासकर हिन्दूओं व सुरक्षावलों के खून की जानकारी को जन-जन तक खासकर गांव तक पहुंचाने की कोशिश करें वाकी काम हमारे विचार में जनता अपने आप कर देगी।
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