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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

Networking Sites पर पावंदी की ओर सरकार के बढ़ते कदम…

जैसा कि आप सब जानते ही हैं कि आजकल कांग्रेस के कुछ गुलाम मानसिकता के सिकार नेता अपनी आका एटवीज एंटोनिया अलवीना माइनो व इस्लामिक आतंकवादी हजरत मोहम्द की असलियत को ब्यान करती तसवीरों को लेकर इतने बौखला गए हैं कि इस बौखलाहट में वो भूल चुके हैं कि उनके द्वारा किया जा रहा Networking Sites का विरोध उनको नय उबरते तालिवानियों  के रूप में सारे संसार के सामने ला रहा है।
यह वही कांग्रेस है जो भारतीय संस्सकृति के हर अपमान को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का नाम देकर हमेशा ईसाई व इस्लामिक भारतविरोधियों के समर्थन में खड़ी नजर आई।
बैसे कांग्रेस के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी रबैए को देखते हुए किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए लेकिन हमें फिर भी उस वक्त बहुत हैरानी हुई जब मानबता के कातिल आतंकवादी ओसामाविन लादेन को ओसामा जी कहने वाली कांग्रेस ने भारतीय संस्कृति के ध्वजबाहक व सचे सन्त स्वामी रामदेव जी को ठग कहकर अपमानित किया और भ्र्ष्टाचार के घोर विरोधी अन्ना जी को नीचे से उपर तक आपतिजनक शब्दों  में भ्रष्ट बताकर अपमानित किया।
तब इन गुलाम कांग्रेसियों को ये होश नहीं आया कि इन जांबाजों के करोड़ों समर्थकों की भावनाओं को ठेश पहुंच सकती है।
लेकिन लुटेरों और गद्दारों की सरगना व उसके गुलाम का नाम आते ही इन्हें भावनाओं का ख्याल सता रहा है।
ऐसा नहीं कि इनकी भावनाओं को लहुलुहान करने के लिए हमारे पास शब्दों या फिर विषयों की कमी है लेकिन हम ये सोच कर कि हम भी इनकी तरह अगर तर्क की जगह कुतर्क  का ही सहारा लेंगें तो हमारे विचारशील पाठक हमें बख्सेंगे नहीं।
खैर ज्यादा विषयांतर न करते हुए हम उस विषय पर आ रहे हैं जिसने हमें ये गर्मागरम लेख लिखने पर मजबूर किया। अभी-अभी हमने ZEE NEWS सहित अनेक चैनलों पर ये समाचार सुना कि दिल्ली के रोहणी कोर्ट ने सभी  Networking Sites को धार्मिक भावनाओं को ठेश पहुंचाने वाली हर प्राकर की सामग्री को हटाने का आदेश दिया है।
क्योंकि यह आदेश हर किसी की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखने के इरादे से दिया गया है इसलिए हमारे पास माननीय न्यायलय का समर्थन करने के अलावा कोई और मार्ग नहीं है।
लेकिन हमें ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि कई वार सरकारें अपनी मनमानी चलाने के लिए वकीलों व जजों को दबाब में लाकर अपना गंदा खेल आगे बढ़ाने के लिए माननीय न्यायलय का दुरूपयोग करती हैं।
अगर ये आदेश इसी गंदे खेल का हिस्सा है तब तो हमें सचेत होकर इसका विरोध करना चाहिए लेकिन अगर ये मनबता के की रक्षा के लिए दिया गया है तो इसका अध्ययन करने की जरूरत है।
हमारे विचार में भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी PRINT व ELECTRONIC MEDIA के विकल्प के रूप में उभरती Networking Sites को अभी किसी भी तरह की रोक-टोक से मुक्त रखा जाना चाहिए ता3कि हमारे जैसे आम लोग भी अपनी प्रतिक्रिया ताकतवर लोगों तक पहुंचा सकें।हम अच्छी तरह जानते हैं कि सबकीसब Networking Sites सिर्फ ईसाईयों द्वारा ही चलाई जा रही हैं।
लेकिन अपनी चोरी और गद्दरी का पर्दाफास होने से बौखलाए कांग्रेसी कोई भी हथकण्डा अपनाकर इन को अपने इसारे पर चलाने के लिए मतलब  इनको भी भारतविरोधी बनाने के लिए प्रयासरत है।
आओ मिलकर Networking Sites की आजादी सुनिस्चित करें वरना सरकार का हर कदम Networking Sites पर पावंदी की ओर आगे बड़ रहा।

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