आज भारत में शायद ही कोई ऐसा नागरिक होगा जिसने आतंकवाद, धर्मांतरण, गैर - लाभकारी स्वैच्छिक संगठन, धर्मनिर्पेक्षता, अलगाववाद, मानबाधिकार, बुद्धिजीवि, हिन्दूविरोध-देशविरोध का नाम नहीं सुना होगा। लेकिन ऐसे बहुत ही कम होंगे जो ये जानते हों कि इन सब की जड़ में एक ही है और वो है विदेशी षडयन्त्र।
1947 में लेड़ी माऊंटवेटन को हथियार बनाकर नेहरू का उपयोग कर भारत का विभाजन करवाने के बाद अंग्रेजों ने ये मान लिया कि उन्होंने एक हिन्दू राष्ट्र भारत को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। लेकिन 70 का दशक आते-आते इन बिदेशियों को ये सपष्ट हो गया कि भारत एकवार फिर राख से उठ खड़ा हुआ। ये वही दशक है जब इन्दिरा गाँधी ने बिदेशी दबाब के आगे न झुकते हुए परमाणु बिस्फोट कर भारत को ताकतबर राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा कर दिया।
लेकिन ये बो वर्ष भी है जब विदेशी ताकतों ने ओछे हथकंडे अपनाकर इन्दिरा गांधी को भारत का संविधान बदलने पर मजबूर कर दिया। इन विदेशी ताकतों ने एक सोची समझी रणनिती के तहत हिन्दूओं को कमजोर करने के लिए पैसे व ताकत के बल पर भारतीय संविधान में धर्मनिर्पेक्ष शब्द जुड़वा दिया जो कि भारत की सर्वधर्मसम्भाव की धारणा के विलकुल विपरीत है।
अगर आप भारत के हालात पर गहरी नजर डालेंगे तो पायेंगे कि भारत के संविधान में धर्मनिर्पेक्ष शब्द जुड़ने के साथ ही भारत में गैर - लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों के नाम पर हिन्दूविरोधियों-भारतविरोधियों का एक ऐसा कुनबा तैयार होने लगा जिसने भारत में अलगाववाद व आतंकवाद को जन्म देने के साथ-साथ धर्मांतरण की गति बढ़ाते हुए सेकुलर गद्दारों की एक ऐसी फौज खड़ी की जो आज खुलकर भारत की एकता और अखण्डता को ललकार रही है।
वेशक इन भारतविरोधियों की गतिविधियां 70 के दशक में शुरू हुईं लेकिन 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण ने इन भारतविरोधियों के लिए बलबर्धक का काम किया।उसके बाद तो इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों को तो मानो पंख लग गए क्योंकि अब विदेशों से इन्हें पैसा मिलना विलकुल आसान भी हो गया और ज्यादा भी मिलने लगा। इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों को पंख लगने के साथ ही अलगाववाद, आतंकवाद, धर्मांतरण ,मानबाधिकारबाद और देशविरोध-हिन्दूविरोध को भी पंख लग गए।
कुल मिलाकर आज भारत में राष्ट्रबाद इतना कमजोर हो गया है कि एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम सरकार इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से भारत में सचर कमेटी रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा कमेटी रिपोर्ट, 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill, 2011 जैसे षडयन्त्रों के माध्यम से भारत के मूल निवासियों मतलब हिन्दूओं को उनके मूल अधिकारों से भी वंचित करने का दुहसाहस कर रही है।
क्या आपने कभी सोचा कि ये सब किसके बल पर हो रहा है। ये सब हो रहा है बिदेशी ताकतों के बल पर । इन बिदेशी ताकतों ने अपने भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए भारत में कुल मिलाकर 23000 गैर- लाभकारी स्वैच्छिक गिरोहों
http://www.onlinenews.com.pk/details.php?id=186705 का निर्माण किया हुआ है जिन्हें पिछले पांच वर्षों में ही 50,000 करोड़ से अधिक रूपए मिल चुके हैं भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए।
इसमें सिर्फ US,UK,Nitherland, Italy जैसे ईसाई देशों से धर्मांतरण व आतंकवाद के माध्यम से भारत के इसाईकरण के लिए प्राप्त हो रहा पैसा ही सामिल है जबकि इस्लामिक आतंकवाद समर्थक केन्द्र सरकार ने साऊदी अरब जैसे इस्लामिक देशों से मदरसों , मस्जिदों व आतंकवाद के माध्यम से भारत के इसलामीकरण के लिए दिए जा रहे पैसे के वारे में कोई जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं करवाई है। जिस दिन वो जानकारी आपके सामने आएगी याकीन मानो आपके पैरों तले जमीन नहीं रहेगी।
अगर आप इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक गिरोहों में उन संगठनों को भी जोड़ लें जिनका नियन्त्रण सीधे चर्च के हाथ में है व उन गिरोहों को भी जिनका सीधे इस्लामिक देशों के हाथों में है तो ये शंख्या करोड़ों में पहुंच जाती है व इन गिरोहों को मिलने वाला धन भी अरबों रूपए हो जाता है।
अगर आपको ये आंकड़े जानकर हैरानी हो रही है तो हम आपको बताते चलें कि जो सरकार हमेशा इन भारतविरोधी गिरोहों की मददगार रही है उसी के अनुसार भारत में इन गिरोहों की शंख्या 20 लाख से अधिक है व ये गिरोह भारत में आतंकवादियों के मददगार हैं। इसलिए केन्द्र सरकार का गृह विभाग इन भारतविरोधी गिरोहों की जांच करवा रहा ।
http://www.hindustantimes.com/News-Feed/newdelhi/MHA-eye-on-NGOs-funding-terrorists/Article1-779211.aspx
वेशक ये जांच आज कुछ गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों के भ्रष्टाचार विरोधी अन्दोलन में कूदने की बजह से करवाई जा रही है, लेकिन इस सच्चाई को तो नहीं नकारा जा सकता कि भारत के अधिकतर टैलीविजन चैनल,पत्रकार ,समाचार पत्र व गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों जिसमें मनबाधिकार संगठन व अल्पसंख्यक अधिकार संगठन भी सामिल है, विदेशों के इसारे पर भारतविरोधी महौल बनाने में जुटे हुए हैं। अगर आपको भरोसा नहीं होता इन सेकुलर गद्दारों की सच्चाई यहां पढ़ें।
ऐसा नहीं कि सब के सब गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठन भारतविरोधी हैं
http://www.freemalaysiatoday.com/2011/12/09/ngos-want-indian-as-malacca-cm/
लेकिन क्योंकि इनमें से अधिकतर भारतविरोधी हैं इसलिए अब ये आम धारणा बनती जा रही है कि सबके सब गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठन कहीं न कहीं विदेशियों के इसारे पर भारत को अस्थिर करने की दिन-रात कोशिस कर रहे हैं वो भी चन्द टुकड़ों के लालच में आकर।
गौतम नबलखा ,तीसता शीतलबाड़,कुलदीप नैयर,राजेन्द्र गोपाल सच्चर,राधा कमार, अग्निवेश, प्रशांत भूषण,मनमोहन सिंह जैसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी विदेशियों के पैसे पर पलने वाले वो गद्दार हैं जो भारत को तहस-नहस करने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।
अब वक्त आ गया है कि सबके सब बलागर ऐसे एक-एक गद्दार पर निगाह रखकर इन सब भारतविरोधियों का कच्छा चिट्ठा खोलकर NGO नामक विस्फोटक को समय रहते निशक्रिए करें वरना वो दिन दूर नहीं जब ये NGO भारत में गृह युद्ध का कारण बनेंगे।
आओ मिलकर इस खतरे के बारे में अपने देशवासियों को जागरूक करें।
1 टिप्पणी:
वो दिन अब ज्यादा दूर नहीं है।
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