न तो ये उदारवादी हैं न धर्मनिर्पेक्षतावादी न ही मानवाधिकारवादी ये तो ISI द्वारा खरीदे गए वो भारतविरोधी ऐजेंट हैं। इन्हें आप चाहे जो भी कहो उदारवादी, धर्मनिर्पेक्षतावादी, मानवाधिकारवादी या भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों-मानवताविरोधियों के लिए लाभदायक मूर्ख या फिर गद्दार लेकिन भारत व मानवता को बचाने के लिए, आतंकवादियों के मददगार इन ISI के भारतविरोधी ऐजेंटों का खात्मा बहुत जरूरी है।
बरसात के मौसम में भारत में एक तुफान खड़ा हो रहा था क्योंकि जुलाई 2011 में FBI ने अमेरिका में ISI द्वारा संचालित गिरोह Kashmir American Council (KAC) के माध्यम से पाकिस्तान सरकार और ISI के भारत विरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम करने वाले KAC के सरगना गुलामनवी फई
को इसलिए गिरफ्तार किया था क्योंकि वो भारतीय धर्मनिर्पेक्षतावदियों की ही तरह अमेरिकी सिनेटरों को भी भारतविरोधी काम करवाने के लिए खरीद ऱहा था । KAC के सरगना के भारत के बहुत से भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों के साथ सबन्ध सामने आ रहे हैं। भारत के देशभक्त संगठनों और सुरक्षाबलों को बदनाम कर व भारतीयों का खून बहाकर भारत को अस्थिर करने का जो काम ISI ने सयद गुलाम नवी फई को सौंपा था उस काम को सयद गुलाम नवी फई भारत के इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों/ उधारवादियों/ दानबाधिकारवादियों के सहयोग से अन्जाम दे रहा था।
क्योंकि FBI से प्राप्त इस सूची में अधिकतर उन इस्लामिक आतंकवाद समर्थक गद्दारों के नाम हैं जो भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार व मिडीया(ELECTRONIC +PRINT) की आँखों के तारे हैं इसलिए इन दोंनों ने मिलकर इस तुफान को दबा दिया । लेकिन हम भी तब तक चुप नहीं बैठने वाले जब तक इन गद्दारों के हिन्दूविरोधी-देशविरोधी कुकर्मों को आम जनता तक नहीं पहुंचा देते।
FBI के गुप्तचर साराह वैब तिंडेन ने कोर्ट में दिए गए दस्तावेजों में बताया "मैं मानता हूं कि सयद गुलाम नवी फई ने पाकिस्तान सरकार से लगभग 5,00,000 से 7,00,000 अमेरिकी डालर प्रति वर्ष प्राप्त किए।“ हलफनामे के अनुशार दुष्प्रचार को वार-वार दोहराने और शब्दशः प्रसार के लिए फई द्वारा दिए गए व्यक्तव्यों में से 80% उसे पाकिस्तान के जासूसी संगठन ISI द्वारा दिए गए थे। “KAC के वाकी बचे 20% सन्देश सयद गुलाम नवी फई के वो विचार हैं जिन्हें पहले से ही ISI की सवीकृति मिली हुई थी। पर वो ISI द्वारा नहीं दिए गए । ”
FBI के अनुसार डा. सयद गुलाम नवी फई एक पेड ऐजेंट है जिसे ISI में अबदुल्ला के नाम से जाना जाता है । फई के डिप्टी ब्रिगेडियर जाबेद अजीज खान,ब्रिगेडियर सोहेल महमूद और लैप्टीनैंट कर्नल तौकीर बट्ट हैं। FBI के अनुसार ISI ब्रसल में अबदुल मजीद द्वारा संचालित त्रेमबू का कशमीर और लंदन में नाजीर एहमद द्वारा संचालित शालों का कशमीर नाम के दो और भारतविरोधी गिरोहों को भी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए चलाती है।
1995 में सयद गुलाम नवी फई ने ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को लिखा कि आप जानते हैं कि अब हमें साथ में काम करते हुए 10 वर्ष से अधिक हो गए हैं।(अगर आकंड़ों के हिसाब से देखें तो फई 1985 ले लेकर गिरफ्तारी तक इस्लामिक आतंकवादी गतिविधियों को भारत में अन्जाम देने व भारतविरोधी महौल वनाने के षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा था। 1985-86 वही वर्ष है जब संसार में इस्लामिक आतंकवादियों ने अलकायदा की स्थापना की व ISI ने अपने इन धर्मनिर्पेक्षतावादी सहयोगियों की मदद से कश्मीर घाटी में अल्लहा टाईगरस जैसे दर्जनों इस्लामिक आतंकवादी गिरोहों की ।
ये वही वर्ष है जब कश्मीर घाटी में हिन्दूओं का कतलयाम शुरू हुआ परिणामस्वारूप 1985-86 से 2006 तक 60000 हिन्दूओं का कत्ल किया गया व लगभग 500000 हिन्दूओं को वेआबरू कर वेघर किया गया। कुलमिलाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाकर कशमीरघाटी को हिन्दूविहीन कर दिया गया ।अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
1995 में सयद गुलाम नवी फई ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को आगे लिखते हैं कि इतने लम्बे समय से मैंने आपके और आपसे पहले आए अन्य लोगों के साथ बहुत मिलजुल कर काम किया है। हमने बहुत अधिक समय, उर्जा,प्रतिबद्धता के साथ अपने भारतविरोधी उद्देश्यों को रणनिती और योजना बनाकर अन्जाम दिया है। पाकिस्तानी अधिकारी सयद गुलाम नवी फई का बजट बढ़ाकर उसे बताते गए कि उसे क्या करना है और उसे किस-किस को खरीद कर भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने में लगाना है।
J&K पुलिस के महानिदेशक कुलदीप खोड़ा ने पत्रकारों को बताया “सयद गुलाम नवी फई का नाम पहले भी बहुत से भारतविरोधी षडयन्त्रों में आता रहा है जैसे कि अमेरिका ने पहले ही बता दिया था कि ISI के बजट को भारतविरोधी गतिविधियों खासकर जम्मू कशमीर में अन्जाम देने के लिए लगाया जा रहा है।”
ISI द्वारा संचालित गिरोह KAC के सरगना सयद गुलाम नवी फई को कांग्रेस पर वार्षिक कशमीर शान्ति समेलन की आड़ में भारतविरोध-हिन्दूविरोध में अग्रणी राजनीतिज्ञों ,परजीवियों, दानवाधिकारवादियों और अलगाववादियों के लिए सम्मेलन आयोजित करने के लिए बहुत अच्छी तरह जाना जाता है। बैसे तो ये भारत और पाकिस्तान की आजाद आबाज होने की आड़ लेता था लेकिन न्याय विभाग ने बताया कि समेलन में कौन से विन्दूओं को उठाना है ये ISI द्वारा ही बताया जाता था व कौन-कौन वक्ता वोलेंगे इसकी स्विकृति भी ISI द्वारा ही प्रदान की जाती थी।
अब भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण बात ये है कि कौन-कौन गद्दार भारत में ISI द्वारा संचालित आतंकवादी गतिविधियों को अनजाम देने के लिए सयद गुलाम नवी फई के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अनजाम देने के लिए भारत के सुरक्षाबलों और देशभक्तों को बदनाम करन के लिए काम कर रहे थे। ये वही गद्दार हैं जिनकी मदद से इस्लामिक आतंकवादी व धर्मांतरण के ठेकेदार अपने भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देकर सुरक्षाबलों व हिन्दूओं का कत्लयाम कर उन्हें ही अपराधी बताने में सफल रहे। ये ISI से प्राप्त पैसे का ही असर है कि भारत में मुसलमानों द्वारा हिन्दूओं पर हमला कर शुरू किए गए सांप्रदायिक दंगों के लिए भी इन ISI ऐजेंटों ने हिन्दूओं व सुरक्षाबलों को दोषी ठहराकर भारत की छवि दुनिया में खराब करने के षडयन्त्र रचे।(अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
आओ पहले उन गद्दार उदारवादियों और धर्मनिर्पेक्षतावादियों की ये सूची देखें जिन्हें या तो सयद गुलाम नवी फई के साथ अकसर देखा गया या फिर जिन्हें भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सम्मेलनों मे बुलाया गया । आप इन परजीवियों पर सयद गुलाम नवी फई के आर्थिक प्रभाव का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि इस ISI के ऐजेंट के बुलावे पर जो गद्दार ISI द्वारा आयोजित इन सम्मेलनों में न जा सके वो इस भारतविरोधी षडयन्त्रकारी को इसके भारतविरोधी षडयन्त्रों को समर्थन देने के लिए कभी POK में मिले या फिर आतंकवादियों के किसी और ठिकाने पर।
क्योंकि ये धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI से सवीकृति मिलने के बाद भारतविरोधी सम्मेलनों में गए या फिर इन्हें बुलाया गया या फिर ये सयद गुलाम नवी फई जैसे ISI के बड़े सरगना से मिले, सिर्फ इस आधार पर इन्हें आतंकवादी करार देना जायज नहीं ठहराया सकता है ।
इससे भी बड़ा प्रमाण इनके बिरूद्ध ये है कि इन लोगों ने भारत में लगातार सुरक्षावलविरोधी-भारतीयसंस्कृतिविरोधी–देशविरोधी–हिन्दूविरोधी–मानबताविरोधी एक ऐसा बाताबरण बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की जो कि इस्लामिक आतंकवादियों के पूरी तरह अनुकूल हो ।
इन गद्दारों ने न केवल इस्लामिक आतंकवादियों के अनुकूल बाताबरण बनाया बल्कि भारतीयों का खून बहाने वाले इन मानबता के हत्यारों को हिन्दूओं व सुरक्षावलों द्वारा सताया हुआ,अनपढ़,गरीब और निर्दोष बताकर इनके द्वारा हिन्दूओं पर किए गए हर जुर्म के लिए हिन्दूओं,सुरक्षावलों,देशभक्त संगठनों को दोषी ठहराकर सारी दुनिया में भारत के विरूद्ध दुष्प्रचार किया जो कि गुलामनवी फई और पाकिस्तान की सरकार का इनको अमेरिकी डालर देने के बदले आदेश था। अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए इन गद्दारों ने मिडीया(Electroni+Print) का जमकर उपयोग किया। सांप्रदायिक हिंसा बिल 2011 भारत के शत्रुओं के ईसारे पर इन विदेशी ऐजेंटों द्वारा रचे जा रहे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों का ताजा उधाहरण है। (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
क्योंकि भारत के शत्रुओं का साथ देते रंगे हाथों पकड़े जाने पर ये गद्दार कह रहे हैं कि न गद्दारों को ये पता नहीं था कि गुलामनवी फई KAC के माध्यम से ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम कर रहा था। इसलिए अब हम आपके सामने इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों की, ISI द्वारा संचालित KAC मे भाग लेने की फोटो के साथ एक-एक KAC का बैनर भी दिखा रहे हैं, जो कि इस बात को सपष्ट करता है ,कि ये गद्दार न केवल ये जानते थे कि KAC भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी है, बल्कि ये KAC के भारतविरोधी दुष्प्रचार का समर्थन करने के साथ-साथ इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारतीयों का खून वहाने व भारत का विभाजन करवाने के KAC के षडयन्त्र को आगे भी बढ़ा रहे थे ।जिसके बदले में इन गद्दारों को KAC द्वारा उसी तरह पैसा दिया जा रहा था जैसे अमेरिकी सिनेटरों को दिया गया।
1) Injustice Rajinder Sachar( भारतीय मुसलमानों पर सचर कमेटी रिपोर्ट लिखने वाला
अन्यायमूर्ति
राजेन्द्र सचर)
1. अन्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर:- जिसने विभाजनकारी सच्चर कमेटी रिपोर्ट के माध्यम से मुसलमानों द्वारा किए गए हर अपराध/गलती के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराकर व हिन्दूओं के गरीब बच्चों के अधिकार छीनकर मुसलमानों को देने की बकालत कर ISI से प्राप्त माल का कर्ज चुकाया।आपको ये जानना ज्यादा जरूरी है कि ISI के इस ऐजेंट को देशविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार ने सच्चर कमेटी का प्रमुख बनाकर किस तरह पाकिस्तान की जरूरतों के अनुरूप रिपोर्ट तैयार करवाई। जब बाढ़ ही खेत को खाने लगे तो भला कोई क्या करे। ये रिपोर्ट भी गुलाम नवी फई ने जसटिस राजेन्दर सचर से उसी तरह लिखवाई जिस तरह वो अमेरिका के अधिकारियों को पैसे देकर पाकिस्तान के लिए समर्थन जुटा रहा था।
2. कुलदीप नैयर :- पत्रकार के नकाब में छुपा वो ISI ऐजेंट है जिसने आज तक पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद का खुलेतौर पर समर्थन किया है। ये वो भारविरोधी ISI ऐजेंट है जिसने भारत को
बदनाम करने के लिए ISI के इसारे पर गुजरात की घटनाओं को तोड़मरोड़ कर पेश करने के लिए दर्जनों लेख लिख डाले लेकिन कश्मीर में मारे गएहजारों व वेघर किए गए लाखों हिन्दूओं के वारे में लिखने के लिए इसकी हमेशा वोलती बन्द रही सिर्फ इसलिए ताकि ISI का ऐजेंडा गुलाम नबी फई की योजनानुसार आगे बड़ सके।आखिर भारत के शत्रु का कर्ज जो चुकाना था।
ये इस्लामिक आतंकवादियों का वो मददगार है जिसने संसद भवन हमले के मुख्य आरोपी ISIऐजेंट अरबी के प्रोफैसर गिलानी(SAR Gillani) को छुड़वाने के लिए पूरी ताकत से अभियान चलाकर सरकार में बैठे अपने सहयोगियों की सहायता से सफलता हासिल की।
30 जुलाई 2010 को गुलाम नवी फई द्वारा जारी समाचार विज्ञपति के अुनसार कुलदीप नैयर द्वारा किए गए भारतविरोधी दुष्प्रचार से ISI इतनी प्रभावित थी कि उसे पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत के साथ 29-30 जुलाई को हुए सम्मेलन के बाद भारतविरोधी प्रसताब लिखने के लिए चुना गया।
वहां पारित प्रस्ताब ये है “ वासिंगटन घोषणा पत्र के अनुसार सभी भाग लेने वालों ने कशमीर मे घोर मानबाधिकार के बढ़ते मामलों पर चिन्ता प्रकट करते हुए भारत सरकार से ये मांग की कि कशमीर से सेना हटा ली जाए व निष्पक्ष कमीशान वनाकर जांच करवाई जाए ”
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Dileep Padgaonkar+Radha Kumar (केन्द्र सरकार द्वारा कशमीर पर आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाने के लिए नियुक्त किए गए तीन लोगों में से दो।)
1. दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार :- ये भारत सरकार के प्रिय ISI ऐजेंट हैं जिसे सरकार ने ISI के इसारे पर कश्मीर समस्या को और उलझाने के लिए ISI के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया है इसीलिए तो ये अलगाववादियों के साथ मुलाकात करने के वाद अलगाववादियों द्वारा सुझाए गए अलगावादी सुझावों को ही आगे बढ़ाते दिखते हैं। ISI के इसारे पर इन ISI ऐजेंटों की भारतविरोधी कमेटी जम्मू के लोगों खासकर हिन्दूओं व कश्मीर से विस्थापित हिन्दूओं से बात करने के लिए आनाकानी करती है। ऐसी भारतविरोधी पाकिस्तान समर्थक कमेटी क्या रिपोर्ट देगी उसका अनुमान आप खुद ही लगा सकते हैं।
इस रिपोर्ट की जो बातें छन-छन कर बाहर आ रही हैं उसमें वही बातें हैं जो अकसर अलगाववादी करते हैं मतलब इन ISI ऐजेंटों ने अपने आकाओं का कर्ज चुका दिया।
जरा सोचो कि इस्लामिक आतंकवादियों की मददगार जिस केन्द्र सरकार ने सयद गुलाम नवी फई के कहने पर ISI ऐजेंटों को ही कश्मीर पर वनी कमेटी में नियुक्त कर दिया वो भला देश को अन्दर से कमजोर करने के लिए और क्या-क्या नहीं कर रहे होगी ? जैसे कि इस्लामिक आतंकवादियों के हमलों का दोष हिन्दूओं के सिर मढ़ना,सेना को सांप्रदाय के आधार विभाजित करने के षडयन्त्र करना, आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने वाले सुरक्षावलों के जवानों को जेलों में डालना , आतंकवादियों को मननीय न्यायालय द्वारा दी गई सजा को रोकना, हलफनामा देकर मर्यादापुर्षोत्म भगवान श्री राम जी के अस्तित्व को नकारना, देशभक्ति का काम करने वाले अन्ना जी ,स्वामी राम देव जी जैसे व्यक्तियों व RSS जैसे देशभक्त संगठनों के विरूद्ध षडयन्त्र करना व उनको सरकारी संस्थाओं का दुरूपयोग कर प्रताड़ित करना,बच्चों को प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना मतलब हिन्दूओं के बच्चों को वंचित करना आदि-आदि .....
4 Radha Kumar
Gautam Navlakha (Editor, Economic & Political Weekly, New Delhi)
5 गौतम नबलखा :- ये वो भारतविरोधी आतंकवादी है जो मुम्बई पर हुए हमले से पहले अक्कसर TV चैनलों पर आतंकवादियों का पक्ष लेकर सुरक्षावलों व देशभक्तों को दोषी ठहराता देखा जा सकता था। अभी हाल ही में श्रीनगर में सुरक्षावलों द्वारा रोका गया था। आजकल ये भूमिगत होकर भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा है। ये वो गद्दार है जिसे आपने अकसर टैलीविजन चैनलों पर सुरक्षा बलों, देशभक्त संगठनों ,नागरिकों को अपमानित करते हुए व इस्लामिक आतंकवादियों को पीड़ित,निर्दोष,अनपढ़ बताकर उनके पक्ष में महौल बनाते हुए देखा है। बैसे ISI ने सयद गुलाम नवी फई को ऐसा ही भारतविरोधी हिन्दूविरोधी महौल बनाने के लिए नियुक्त किया था और गौतम नबलखा उसी काम को आगे बड़ा रहा है। ये गौतम नबलखा अरूंधिति राय का नजदीकी है जो कि प्रशांत भूषण की नजदीकी है। प्रशांत भूषण अग्निवेश का साथी है।अग्निवेश आतंकवादी जिलानी का मित्र है।
ISI में गौतमनबलखा भी वही स्थान रखता है जो कुलदीप नैयर का है।
अब आप समझ सकते हैं कि प्रशांत भूषण ने पाकिस्तान समर्थक ब्यान क्यों दिया था और क्यों अग्निवेश व अंधति राय हमेशा सुरक्षाबलों और देशभक्तों के विरूद्ध जहर उगलते हैं।
Ms. Harinder Baweja Editor News, Tehelka( पहले दिल्ली में इंडिया टुडे (India Today) की सहायक सप्पादक रह चुकी है।
2. तरूण जे तेजपाल द्वारा संचालित तहलका भारत में एक जाना माना नाम है। ये
तब सुर्खियों में आया जब इसने ततकालीन NDA सरकार द्वारा काल्पनिक सौदों में भ्रष्टाचार का काल्पनिक मुद्दा उछालकर उसे बदनाम कर भारत में एक भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी आतंकवाद समर्थक वर्तमान सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। आज भी तहलका लगातार देशभक्त हिन्दू संगठनों को बदनाम करने और मुसलिम आतंकवादियों का बचाब करने के दुष्प्रचार को लगातार आगे बढ़ाकर भारत के शत्रुओं की लगातार मदद कर रहा है। है।तहलका न केवल हिन्दू संगठनों,सुरक्षाबलों को बदनाम कर रहा है बल्कि अन्ना जी के भ्रष्टाचारविरोधी अन्दोलन को भी कमजोर करने की कोशिस कर रहा है। कुलमिलाकर तहलका देशहित में होने या किए जाने वाले किसी भी काम के विरूद्ध दुष्प्रचार कर ISI से प्राप्त हो रहे पैसे का कर्ज चुका रहा है।
Rita Manchanda
5)रीता मानचन्दा :- : दक्षिण एशिया मे दानवाधिकार गिरोह की कार्यकारी अध्यक्ष (SAFHR) व भारत-पाकिस्तान शांति के लिए महिला संघर्ष के नाम पर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को आगे बढ़ाने वाली स्थानीय सहयोगी। इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे संगठनों में काम कर रही हैं जिनका एक मात्र मकसद इस्लामिक आतंकवादियों द्वार किए जा रहे मानबताविरोधी कुकर्मों के लिए सुरक्षाबलों व हिन्दू संगठनों को दोषी ठहराकर इस्लामिक आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाना है।
6)Mr. Siddharth Varadarajan The Hindu
भारतीय संस्कृति,सुरक्षाबलों ,हिन्दूओं
व देशभक्त संगठनों के विरूद्ध जहर उगलना सिद्धार्थ बर्धराजन की पुरानी आदत है जो आज तक चली आ रही है क्योंकि इसे ISI व अन्य भारतविरोधियों से मिले पैसे का कर्ज जो चुकाना है।
7)Prof Kamal Mitra Chenoy, chairperson of JNU’s Centre for Comparative Politics
कमल चिनाय दानवाधिकार बादी ।
8)Prof. (Dr.) Angana Chatterji Scholar-activist,& Political Theory
अंजना चैटर्जी :- Professor, Social & Cultural Anthropology, California Institute of Integral Studies and Co-Convener, International People’s Tribunal
9) Mr. Tapan Bose Filmmaker
10)Mr. T. Kumar Amnesty International
11)Pandit Jatinder Bakhshi President, J&K Forum for Peace & Reconciliationजितेन्द्र बख्शी :- president of J&K Forum for Peace and Reconciliation.
12) Praful Bidwai, noted columnist,
प्रफुल विदवई समाचार पत्रों में कालम लिखने वाला जाना माना नाम।
13)
वेद भूषण कशमीर टाइमस का संपादक।
14) प्रोफैसर जी आर मलिक :- कन्द्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर में अंग्रेजी विभाग का प्रमुख।
15) -हरीश खरे :- हरीश खरे प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं। वेशक हरीश खरे ने ISI के साथ किसी भी तरह के सबन्ध होने से मना किया है ।बैसे हम भी अभी तक हरीश खरे के विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं ढूंढ पाए हैं लेकिन अगर FBI की जांच में हरीश खरे का नाम आया है तो इसे नकारा भी नहीं जा सकता । हरीश खरे के गुलाम नवी फई के साथ कैसे सबन्ध थे के वारे में अगर आपकतो कोई प्माण मिले तो हमें भी बताना।
हरीश खरे के निजी तौर पर सबन्ध हों या न हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों वो जिस प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं वो ही भारतविरोधी ISI ऐजेंट की तरह काम कर रहा है। ISI के आदेश पर ISI ऐजेंट राजेन्द्र सच्चर को सचर कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ISI के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को वैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना, ISI के आदेश पर दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार जैसे ISI ऐजेंटों को कशमीर पर ISI के षडयन्त्रों को बैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए कमेटी का सदस्य बनाना, शर्म अलसेख में पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना जिसके अनुसार भारत को पाकिस्तान के बलूचीस्तान में आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया गया ,भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,मुसलिम बहुल जिलों के विकाश की बात कर मुसलमानों को अपनी जनसंख्य बढ़ाने को उकसाना,सुरक्षाबलों को आतंकवादी घटना के बाद इस्लामिक आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने को कहना,पाठशाला में प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना यहां तक कि SC,ST,OBC के बच्चों को भी वन्चित करना, हिथरो हबाई अडडे पर बम धमाका करने वाले इस्लामिक आतंकवादी के पकड़े जाने पर प्रधानमन्त्री को नींद नहीं आना और रामलीला मैदान में निर्दोष देशभक्तों पर हमला करवाना व उसे जायज ठहराना, CBI का दुरूपयोग कर इसरत जहां व सोराबुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों को जेलों में ढलवाना , सांप्रदायिक हिंसा विल के माध्यम से मुसलमानों व मुसलिम आतंकवादियों के हर अपराध के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराने का षडयन्त्र रचना,सेना को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का षडयन्त्र रचना जैसे कुकर्म कोई देशभक्त भारतीय तो कर नहीं सकता न ही करवा सकता है ऐसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी काम तो भारत का शत्रु यानी ISI ऐजेंट ही कर/करवा सकता है। (हम अच्छी तरह जानते हैं कि मनमोहन में इतना साहस नहीं कि वो देश से इतनी बढ़ी गद्दारी करे जिसके परिणामस्वारूप देश का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है लेकिन प्रधानमन्त्री बने रहने के लालच में एक विदेशी विषकन्या के इसारे पर भारत का सर्वनाश करने के षडयन्त्र रचने के अपराध से इस भारतविरोधी को मुक्त नहीं किया जा सकता।)
ऐसा नहीं कि सिर्फ ये 15 लोग ही ISI ऐजेंट हैं इनके अतिरिक्त महेश भट्ट,जावेद अख्तर,अग्निवेश,अरूधति राय,दिगविजय,अबु हाजमी,राहुल भट्ट,उमर अबदुल्ला जैसे जानेमाने सैंकड़ों भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी देशभर में इस्लामिक आतंकवादियों का साथ देकर भारत को कमजोर करने का काम कर ISI षडयन्त्रों का अन्जाम दे रहे हैं। जनका समय रहते अगर खात्मा नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं जिस दिन कशमीर घाटी की ही तरह सारे भारत से हिन्दूओं के मार-काट कर उजाड़ दिया जाएगा।
http://www.daily.pk/kashmir-conference-at-the-capitol-hill-on-july-31st-and-august-1st-2008-3671/
ये उन प्रसिद्ध गद्दार भारतीय उदारवादी धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI ऐजेंटों की सूची है जो ISI के गिरोह KAC प्रमुख सयद गुलाम नवी फई के साथ मिलकर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए हर मामले में चौधरी बनते फिरते हैं चाहे मामला धर्मनिर्पेक्षता का हो या कशमीर का या भ्रष्टाचार का या फिर सांप्रदायिकता का या फिर सोनिया गांधी या नरेन्द्र मोदी का।
वासिंगटन टाईमस ने 19 जुलाई 2011 को ये समाचार दिया कि मंगलवार को FBI के गुप्तचरों ने गुलामनवी फई को गिफ्तार कर लिया। सयद गुलाम नवी फई पाकिस्तान की सरकार और सैनिक गुप्तचर संस्थाओं से लाखों डालर लेकर अमेरिका के चुने हुए अधिकारियों व भारत के धर्मनिर्पेक्षतावादियों को घूंस देकर इस बात के लिए तैयार करता था कि वो दक्षिण ऐशिया में भारत को कशमीर से बाहर धकेलने में मदद करें। सयद गुलाम नवी फई को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया गया क्योंकि वो भारत का विभाजन करवाकर कशमीर को अलग करवाने के लिए काम कर रहा था क्योंकि अमेरिका के कानून के अनुसार भारतविरोध कोई अपराध नहीं है लेकिन उसे इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वो ISI के पैसे का उपयोग कर अमेरिकी अधिकारियों को पाकिस्तान के पक्ष में काम करने के लिए खरीदने की कोशिश कर रहा था।
वेशक एक भूतपूर्व संपादक ने मातृभूमि से गद्दारी करने वाले इन घरकुदाल भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों/उधारवादियों/दानवाधिकारवादियों को, firstpost.com. पर लिखे गए अपने लेख में भारत के शत्रुओं के लिए लाभदायक मूर्ख कहा हो लेकिन इन गद्दारों द्वारा पिछले 25 वर्षों से चलाए जा रहे हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान के माध्यम से वहाए गए निर्दोष भारतीयों खासकर सुरक्षाबलों और हिन्दूओं के खून के लिए सिर्फ मूर्ख या गद्दार कहकर छोड़ना कोई विकल्प नहीं हैं ।देश के इन दुश्मनों का जिन्दा रहना राष्ट्रहित में नहीं है ।क्योंकि फांसी देना या न देना सरकार के हाथ में है उस सरकार के हाथ में है जो खुद ISI agent की तरह काम कर रही है।
इसलिए देशभक्त नौजवानों को चाहिए कि इन गद्दारों के साथ वही करें जो शहीद भगत सिंह,राजगुरू और चन्द्र शेखर आजाद ने देशभक्तलाजपतराय जी का कत्ल करने वाले भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सैंडर्स के साथ किया व शहीद उधम सिंह जी ने जलियांवाला बाग में नरसंहार को अंजाम देने वाले ,भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के साथ किया था।
परन्तु उससे पहले ये जरूरी है कि प्रशांत भूषण की तरह इन गद्दारों की बुद्धि को भी कम से कम पांच-सात वार सार्वजनिक कुटाई से ठिकाने लाने की जरूर कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि हर देशभक्त भारतीय खासकर हिन्दू इन ISI ऐजटों द्वारा इस्लामिक आतंकवादियों के माध्यम से ISI के इसारे पर बहाए गए भारतीयों खासकर हिन्दूओं व सुरक्षावलों के खून की जानकारी को जन-जन तक खासकर गांव तक पहुंचाने की कोशिश करें वाकी काम हमारे विचार में जनता अपने आप कर देगी।
बरसात के मौसम में भारत में एक तुफान खड़ा हो रहा था क्योंकि जुलाई 2011 में FBI ने अमेरिका में ISI द्वारा संचालित गिरोह Kashmir American Council (KAC) के माध्यम से पाकिस्तान सरकार और ISI के भारत विरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम करने वाले KAC के सरगना गुलामनवी फई
को इसलिए गिरफ्तार किया था क्योंकि वो भारतीय धर्मनिर्पेक्षतावदियों की ही तरह अमेरिकी सिनेटरों को भी भारतविरोधी काम करवाने के लिए खरीद ऱहा था । KAC के सरगना के भारत के बहुत से भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों के साथ सबन्ध सामने आ रहे हैं। भारत के देशभक्त संगठनों और सुरक्षाबलों को बदनाम कर व भारतीयों का खून बहाकर भारत को अस्थिर करने का जो काम ISI ने सयद गुलाम नवी फई को सौंपा था उस काम को सयद गुलाम नवी फई भारत के इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों/ उधारवादियों/ दानबाधिकारवादियों के सहयोग से अन्जाम दे रहा था।
क्योंकि FBI से प्राप्त इस सूची में अधिकतर उन इस्लामिक आतंकवाद समर्थक गद्दारों के नाम हैं जो भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार व मिडीया(ELECTRONIC +PRINT) की आँखों के तारे हैं इसलिए इन दोंनों ने मिलकर इस तुफान को दबा दिया । लेकिन हम भी तब तक चुप नहीं बैठने वाले जब तक इन गद्दारों के हिन्दूविरोधी-देशविरोधी कुकर्मों को आम जनता तक नहीं पहुंचा देते।
FBI के गुप्तचर साराह वैब तिंडेन ने कोर्ट में दिए गए दस्तावेजों में बताया "मैं मानता हूं कि सयद गुलाम नवी फई ने पाकिस्तान सरकार से लगभग 5,00,000 से 7,00,000 अमेरिकी डालर प्रति वर्ष प्राप्त किए।“ हलफनामे के अनुशार दुष्प्रचार को वार-वार दोहराने और शब्दशः प्रसार के लिए फई द्वारा दिए गए व्यक्तव्यों में से 80% उसे पाकिस्तान के जासूसी संगठन ISI द्वारा दिए गए थे। “KAC के वाकी बचे 20% सन्देश सयद गुलाम नवी फई के वो विचार हैं जिन्हें पहले से ही ISI की सवीकृति मिली हुई थी। पर वो ISI द्वारा नहीं दिए गए । ”
FBI के अनुसार डा. सयद गुलाम नवी फई एक पेड ऐजेंट है जिसे ISI में अबदुल्ला के नाम से जाना जाता है । फई के डिप्टी ब्रिगेडियर जाबेद अजीज खान,ब्रिगेडियर सोहेल महमूद और लैप्टीनैंट कर्नल तौकीर बट्ट हैं। FBI के अनुसार ISI ब्रसल में अबदुल मजीद द्वारा संचालित त्रेमबू का कशमीर और लंदन में नाजीर एहमद द्वारा संचालित शालों का कशमीर नाम के दो और भारतविरोधी गिरोहों को भी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए चलाती है।
1995 में सयद गुलाम नवी फई ने ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को लिखा कि आप जानते हैं कि अब हमें साथ में काम करते हुए 10 वर्ष से अधिक हो गए हैं।(अगर आकंड़ों के हिसाब से देखें तो फई 1985 ले लेकर गिरफ्तारी तक इस्लामिक आतंकवादी गतिविधियों को भारत में अन्जाम देने व भारतविरोधी महौल वनाने के षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा था। 1985-86 वही वर्ष है जब संसार में इस्लामिक आतंकवादियों ने अलकायदा की स्थापना की व ISI ने अपने इन धर्मनिर्पेक्षतावादी सहयोगियों की मदद से कश्मीर घाटी में अल्लहा टाईगरस जैसे दर्जनों इस्लामिक आतंकवादी गिरोहों की ।
ये वही वर्ष है जब कश्मीर घाटी में हिन्दूओं का कतलयाम शुरू हुआ परिणामस्वारूप 1985-86 से 2006 तक 60000 हिन्दूओं का कत्ल किया गया व लगभग 500000 हिन्दूओं को वेआबरू कर वेघर किया गया। कुलमिलाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाकर कशमीरघाटी को हिन्दूविहीन कर दिया गया ।अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
1995 में सयद गुलाम नवी फई ISI के एक बरिष्ठ अधिकारी को आगे लिखते हैं कि इतने लम्बे समय से मैंने आपके और आपसे पहले आए अन्य लोगों के साथ बहुत मिलजुल कर काम किया है। हमने बहुत अधिक समय, उर्जा,प्रतिबद्धता के साथ अपने भारतविरोधी उद्देश्यों को रणनिती और योजना बनाकर अन्जाम दिया है। पाकिस्तानी अधिकारी सयद गुलाम नवी फई का बजट बढ़ाकर उसे बताते गए कि उसे क्या करना है और उसे किस-किस को खरीद कर भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने में लगाना है।
J&K पुलिस के महानिदेशक कुलदीप खोड़ा ने पत्रकारों को बताया “सयद गुलाम नवी फई का नाम पहले भी बहुत से भारतविरोधी षडयन्त्रों में आता रहा है जैसे कि अमेरिका ने पहले ही बता दिया था कि ISI के बजट को भारतविरोधी गतिविधियों खासकर जम्मू कशमीर में अन्जाम देने के लिए लगाया जा रहा है।”
ISI द्वारा संचालित गिरोह KAC के सरगना सयद गुलाम नवी फई को कांग्रेस पर वार्षिक कशमीर शान्ति समेलन की आड़ में भारतविरोध-हिन्दूविरोध में अग्रणी राजनीतिज्ञों ,परजीवियों, दानवाधिकारवादियों और अलगाववादियों के लिए सम्मेलन आयोजित करने के लिए बहुत अच्छी तरह जाना जाता है। बैसे तो ये भारत और पाकिस्तान की आजाद आबाज होने की आड़ लेता था लेकिन न्याय विभाग ने बताया कि समेलन में कौन से विन्दूओं को उठाना है ये ISI द्वारा ही बताया जाता था व कौन-कौन वक्ता वोलेंगे इसकी स्विकृति भी ISI द्वारा ही प्रदान की जाती थी।
अब भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण बात ये है कि कौन-कौन गद्दार भारत में ISI द्वारा संचालित आतंकवादी गतिविधियों को अनजाम देने के लिए सयद गुलाम नवी फई के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अनजाम देने के लिए भारत के सुरक्षाबलों और देशभक्तों को बदनाम करन के लिए काम कर रहे थे। ये वही गद्दार हैं जिनकी मदद से इस्लामिक आतंकवादी व धर्मांतरण के ठेकेदार अपने भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देकर सुरक्षाबलों व हिन्दूओं का कत्लयाम कर उन्हें ही अपराधी बताने में सफल रहे। ये ISI से प्राप्त पैसे का ही असर है कि भारत में मुसलमानों द्वारा हिन्दूओं पर हमला कर शुरू किए गए सांप्रदायिक दंगों के लिए भी इन ISI ऐजेंटों ने हिन्दूओं व सुरक्षाबलों को दोषी ठहराकर भारत की छवि दुनिया में खराब करने के षडयन्त्र रचे।(अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
आओ पहले उन गद्दार उदारवादियों और धर्मनिर्पेक्षतावादियों की ये सूची देखें जिन्हें या तो सयद गुलाम नवी फई के साथ अकसर देखा गया या फिर जिन्हें भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सम्मेलनों मे बुलाया गया । आप इन परजीवियों पर सयद गुलाम नवी फई के आर्थिक प्रभाव का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि इस ISI के ऐजेंट के बुलावे पर जो गद्दार ISI द्वारा आयोजित इन सम्मेलनों में न जा सके वो इस भारतविरोधी षडयन्त्रकारी को इसके भारतविरोधी षडयन्त्रों को समर्थन देने के लिए कभी POK में मिले या फिर आतंकवादियों के किसी और ठिकाने पर।
क्योंकि ये धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI से सवीकृति मिलने के बाद भारतविरोधी सम्मेलनों में गए या फिर इन्हें बुलाया गया या फिर ये सयद गुलाम नवी फई जैसे ISI के बड़े सरगना से मिले, सिर्फ इस आधार पर इन्हें आतंकवादी करार देना जायज नहीं ठहराया सकता है ।
इससे भी बड़ा प्रमाण इनके बिरूद्ध ये है कि इन लोगों ने भारत में लगातार सुरक्षावलविरोधी-भारतीयसंस्कृतिविरोधी–देशविरोधी–हिन्दूविरोधी–मानबताविरोधी एक ऐसा बाताबरण बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की जो कि इस्लामिक आतंकवादियों के पूरी तरह अनुकूल हो ।
इन गद्दारों ने न केवल इस्लामिक आतंकवादियों के अनुकूल बाताबरण बनाया बल्कि भारतीयों का खून बहाने वाले इन मानबता के हत्यारों को हिन्दूओं व सुरक्षावलों द्वारा सताया हुआ,अनपढ़,गरीब और निर्दोष बताकर इनके द्वारा हिन्दूओं पर किए गए हर जुर्म के लिए हिन्दूओं,सुरक्षावलों,देशभक्त संगठनों को दोषी ठहराकर सारी दुनिया में भारत के विरूद्ध दुष्प्रचार किया जो कि गुलामनवी फई और पाकिस्तान की सरकार का इनको अमेरिकी डालर देने के बदले आदेश था। अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए इन गद्दारों ने मिडीया(Electroni+Print) का जमकर उपयोग किया। सांप्रदायिक हिंसा बिल 2011 भारत के शत्रुओं के ईसारे पर इन विदेशी ऐजेंटों द्वारा रचे जा रहे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों का ताजा उधाहरण है। (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)
क्योंकि भारत के शत्रुओं का साथ देते रंगे हाथों पकड़े जाने पर ये गद्दार कह रहे हैं कि न गद्दारों को ये पता नहीं था कि गुलामनवी फई KAC के माध्यम से ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए काम कर रहा था। इसलिए अब हम आपके सामने इन गद्दार धर्मनिर्पेक्षतावादियों की, ISI द्वारा संचालित KAC मे भाग लेने की फोटो के साथ एक-एक KAC का बैनर भी दिखा रहे हैं, जो कि इस बात को सपष्ट करता है ,कि ये गद्दार न केवल ये जानते थे कि KAC भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी है, बल्कि ये KAC के भारतविरोधी दुष्प्रचार का समर्थन करने के साथ-साथ इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारतीयों का खून वहाने व भारत का विभाजन करवाने के KAC के षडयन्त्र को आगे भी बढ़ा रहे थे ।जिसके बदले में इन गद्दारों को KAC द्वारा उसी तरह पैसा दिया जा रहा था जैसे अमेरिकी सिनेटरों को दिया गया।
1) Injustice Rajinder Sachar( भारतीय मुसलमानों पर सचर कमेटी रिपोर्ट लिखने वाला
अन्यायमूर्ति
राजेन्द्र सचर)
1. अन्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर:- जिसने विभाजनकारी सच्चर कमेटी रिपोर्ट के माध्यम से मुसलमानों द्वारा किए गए हर अपराध/गलती के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराकर व हिन्दूओं के गरीब बच्चों के अधिकार छीनकर मुसलमानों को देने की बकालत कर ISI से प्राप्त माल का कर्ज चुकाया।आपको ये जानना ज्यादा जरूरी है कि ISI के इस ऐजेंट को देशविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार ने सच्चर कमेटी का प्रमुख बनाकर किस तरह पाकिस्तान की जरूरतों के अनुरूप रिपोर्ट तैयार करवाई। जब बाढ़ ही खेत को खाने लगे तो भला कोई क्या करे। ये रिपोर्ट भी गुलाम नवी फई ने जसटिस राजेन्दर सचर से उसी तरह लिखवाई जिस तरह वो अमेरिका के अधिकारियों को पैसे देकर पाकिस्तान के लिए समर्थन जुटा रहा था।
2. कुलदीप नैयर :- पत्रकार के नकाब में छुपा वो ISI ऐजेंट है जिसने आज तक पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद का खुलेतौर पर समर्थन किया है। ये वो भारविरोधी ISI ऐजेंट है जिसने भारत को
बदनाम करने के लिए ISI के इसारे पर गुजरात की घटनाओं को तोड़मरोड़ कर पेश करने के लिए दर्जनों लेख लिख डाले लेकिन कश्मीर में मारे गएहजारों व वेघर किए गए लाखों हिन्दूओं के वारे में लिखने के लिए इसकी हमेशा वोलती बन्द रही सिर्फ इसलिए ताकि ISI का ऐजेंडा गुलाम नबी फई की योजनानुसार आगे बड़ सके।आखिर भारत के शत्रु का कर्ज जो चुकाना था।
ये इस्लामिक आतंकवादियों का वो मददगार है जिसने संसद भवन हमले के मुख्य आरोपी ISIऐजेंट अरबी के प्रोफैसर गिलानी(SAR Gillani) को छुड़वाने के लिए पूरी ताकत से अभियान चलाकर सरकार में बैठे अपने सहयोगियों की सहायता से सफलता हासिल की।
30 जुलाई 2010 को गुलाम नवी फई द्वारा जारी समाचार विज्ञपति के अुनसार कुलदीप नैयर द्वारा किए गए भारतविरोधी दुष्प्रचार से ISI इतनी प्रभावित थी कि उसे पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत के साथ 29-30 जुलाई को हुए सम्मेलन के बाद भारतविरोधी प्रसताब लिखने के लिए चुना गया।
वहां पारित प्रस्ताब ये है “ वासिंगटन घोषणा पत्र के अनुसार सभी भाग लेने वालों ने कशमीर मे घोर मानबाधिकार के बढ़ते मामलों पर चिन्ता प्रकट करते हुए भारत सरकार से ये मांग की कि कशमीर से सेना हटा ली जाए व निष्पक्ष कमीशान वनाकर जांच करवाई जाए ”
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Dileep Padgaonkar+Radha Kumar (केन्द्र सरकार द्वारा कशमीर पर आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाने के लिए नियुक्त किए गए तीन लोगों में से दो।)
1. दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार :- ये भारत सरकार के प्रिय ISI ऐजेंट हैं जिसे सरकार ने ISI के इसारे पर कश्मीर समस्या को और उलझाने के लिए ISI के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया है इसीलिए तो ये अलगाववादियों के साथ मुलाकात करने के वाद अलगाववादियों द्वारा सुझाए गए अलगावादी सुझावों को ही आगे बढ़ाते दिखते हैं। ISI के इसारे पर इन ISI ऐजेंटों की भारतविरोधी कमेटी जम्मू के लोगों खासकर हिन्दूओं व कश्मीर से विस्थापित हिन्दूओं से बात करने के लिए आनाकानी करती है। ऐसी भारतविरोधी पाकिस्तान समर्थक कमेटी क्या रिपोर्ट देगी उसका अनुमान आप खुद ही लगा सकते हैं।
इस रिपोर्ट की जो बातें छन-छन कर बाहर आ रही हैं उसमें वही बातें हैं जो अकसर अलगाववादी करते हैं मतलब इन ISI ऐजेंटों ने अपने आकाओं का कर्ज चुका दिया।
जरा सोचो कि इस्लामिक आतंकवादियों की मददगार जिस केन्द्र सरकार ने सयद गुलाम नवी फई के कहने पर ISI ऐजेंटों को ही कश्मीर पर वनी कमेटी में नियुक्त कर दिया वो भला देश को अन्दर से कमजोर करने के लिए और क्या-क्या नहीं कर रहे होगी ? जैसे कि इस्लामिक आतंकवादियों के हमलों का दोष हिन्दूओं के सिर मढ़ना,सेना को सांप्रदाय के आधार विभाजित करने के षडयन्त्र करना, आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने वाले सुरक्षावलों के जवानों को जेलों में डालना , आतंकवादियों को मननीय न्यायालय द्वारा दी गई सजा को रोकना, हलफनामा देकर मर्यादापुर्षोत्म भगवान श्री राम जी के अस्तित्व को नकारना, देशभक्ति का काम करने वाले अन्ना जी ,स्वामी राम देव जी जैसे व्यक्तियों व RSS जैसे देशभक्त संगठनों के विरूद्ध षडयन्त्र करना व उनको सरकारी संस्थाओं का दुरूपयोग कर प्रताड़ित करना,बच्चों को प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना मतलब हिन्दूओं के बच्चों को वंचित करना आदि-आदि .....
4 Radha Kumar
Gautam Navlakha (Editor, Economic & Political Weekly, New Delhi)
5 गौतम नबलखा :- ये वो भारतविरोधी आतंकवादी है जो मुम्बई पर हुए हमले से पहले अक्कसर TV चैनलों पर आतंकवादियों का पक्ष लेकर सुरक्षावलों व देशभक्तों को दोषी ठहराता देखा जा सकता था। अभी हाल ही में श्रीनगर में सुरक्षावलों द्वारा रोका गया था। आजकल ये भूमिगत होकर भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम दे रहा है। ये वो गद्दार है जिसे आपने अकसर टैलीविजन चैनलों पर सुरक्षा बलों, देशभक्त संगठनों ,नागरिकों को अपमानित करते हुए व इस्लामिक आतंकवादियों को पीड़ित,निर्दोष,अनपढ़ बताकर उनके पक्ष में महौल बनाते हुए देखा है। बैसे ISI ने सयद गुलाम नवी फई को ऐसा ही भारतविरोधी हिन्दूविरोधी महौल बनाने के लिए नियुक्त किया था और गौतम नबलखा उसी काम को आगे बड़ा रहा है। ये गौतम नबलखा अरूंधिति राय का नजदीकी है जो कि प्रशांत भूषण की नजदीकी है। प्रशांत भूषण अग्निवेश का साथी है।अग्निवेश आतंकवादी जिलानी का मित्र है।
ISI में गौतमनबलखा भी वही स्थान रखता है जो कुलदीप नैयर का है।
अब आप समझ सकते हैं कि प्रशांत भूषण ने पाकिस्तान समर्थक ब्यान क्यों दिया था और क्यों अग्निवेश व अंधति राय हमेशा सुरक्षाबलों और देशभक्तों के विरूद्ध जहर उगलते हैं।
Ms. Harinder Baweja Editor News, Tehelka( पहले दिल्ली में इंडिया टुडे (India Today) की सहायक सप्पादक रह चुकी है।
2. तरूण जे तेजपाल द्वारा संचालित तहलका भारत में एक जाना माना नाम है। ये
तब सुर्खियों में आया जब इसने ततकालीन NDA सरकार द्वारा काल्पनिक सौदों में भ्रष्टाचार का काल्पनिक मुद्दा उछालकर उसे बदनाम कर भारत में एक भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी आतंकवाद समर्थक वर्तमान सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। आज भी तहलका लगातार देशभक्त हिन्दू संगठनों को बदनाम करने और मुसलिम आतंकवादियों का बचाब करने के दुष्प्रचार को लगातार आगे बढ़ाकर भारत के शत्रुओं की लगातार मदद कर रहा है। है।तहलका न केवल हिन्दू संगठनों,सुरक्षाबलों को बदनाम कर रहा है बल्कि अन्ना जी के भ्रष्टाचारविरोधी अन्दोलन को भी कमजोर करने की कोशिस कर रहा है। कुलमिलाकर तहलका देशहित में होने या किए जाने वाले किसी भी काम के विरूद्ध दुष्प्रचार कर ISI से प्राप्त हो रहे पैसे का कर्ज चुका रहा है।
Rita Manchanda
5)रीता मानचन्दा :- : दक्षिण एशिया मे दानवाधिकार गिरोह की कार्यकारी अध्यक्ष (SAFHR) व भारत-पाकिस्तान शांति के लिए महिला संघर्ष के नाम पर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को आगे बढ़ाने वाली स्थानीय सहयोगी। इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे संगठनों में काम कर रही हैं जिनका एक मात्र मकसद इस्लामिक आतंकवादियों द्वार किए जा रहे मानबताविरोधी कुकर्मों के लिए सुरक्षाबलों व हिन्दू संगठनों को दोषी ठहराकर इस्लामिक आतंकवादियों के पक्ष में महौल बनाना है।
6)Mr. Siddharth Varadarajan The Hindu
भारतीय संस्कृति,सुरक्षाबलों ,हिन्दूओं
व देशभक्त संगठनों के विरूद्ध जहर उगलना सिद्धार्थ बर्धराजन की पुरानी आदत है जो आज तक चली आ रही है क्योंकि इसे ISI व अन्य भारतविरोधियों से मिले पैसे का कर्ज जो चुकाना है।
7)Prof Kamal Mitra Chenoy, chairperson of JNU’s Centre for Comparative Politics
कमल चिनाय दानवाधिकार बादी ।
8)Prof. (Dr.) Angana Chatterji Scholar-activist,& Political Theory
अंजना चैटर्जी :- Professor, Social & Cultural Anthropology, California Institute of Integral Studies and Co-Convener, International People’s Tribunal
9) Mr. Tapan Bose Filmmaker
10)Mr. T. Kumar Amnesty International
11)Pandit Jatinder Bakhshi President, J&K Forum for Peace & Reconciliationजितेन्द्र बख्शी :- president of J&K Forum for Peace and Reconciliation.
12) Praful Bidwai, noted columnist,
प्रफुल विदवई समाचार पत्रों में कालम लिखने वाला जाना माना नाम।
13)
वेद भूषण कशमीर टाइमस का संपादक।
14) प्रोफैसर जी आर मलिक :- कन्द्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर में अंग्रेजी विभाग का प्रमुख।
15) -हरीश खरे :- हरीश खरे प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं। वेशक हरीश खरे ने ISI के साथ किसी भी तरह के सबन्ध होने से मना किया है ।बैसे हम भी अभी तक हरीश खरे के विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं ढूंढ पाए हैं लेकिन अगर FBI की जांच में हरीश खरे का नाम आया है तो इसे नकारा भी नहीं जा सकता । हरीश खरे के गुलाम नवी फई के साथ कैसे सबन्ध थे के वारे में अगर आपकतो कोई प्माण मिले तो हमें भी बताना।
हरीश खरे के निजी तौर पर सबन्ध हों या न हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों वो जिस प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं वो ही भारतविरोधी ISI ऐजेंट की तरह काम कर रहा है। ISI के आदेश पर ISI ऐजेंट राजेन्द्र सच्चर को सचर कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ISI के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को वैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना, ISI के आदेश पर दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार जैसे ISI ऐजेंटों को कशमीर पर ISI के षडयन्त्रों को बैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए कमेटी का सदस्य बनाना, शर्म अलसेख में पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना जिसके अनुसार भारत को पाकिस्तान के बलूचीस्तान में आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया गया ,भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,मुसलिम बहुल जिलों के विकाश की बात कर मुसलमानों को अपनी जनसंख्य बढ़ाने को उकसाना,सुरक्षाबलों को आतंकवादी घटना के बाद इस्लामिक आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने को कहना,पाठशाला में प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना यहां तक कि SC,ST,OBC के बच्चों को भी वन्चित करना, हिथरो हबाई अडडे पर बम धमाका करने वाले इस्लामिक आतंकवादी के पकड़े जाने पर प्रधानमन्त्री को नींद नहीं आना और रामलीला मैदान में निर्दोष देशभक्तों पर हमला करवाना व उसे जायज ठहराना, CBI का दुरूपयोग कर इसरत जहां व सोराबुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों को जेलों में ढलवाना , सांप्रदायिक हिंसा विल के माध्यम से मुसलमानों व मुसलिम आतंकवादियों के हर अपराध के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराने का षडयन्त्र रचना,सेना को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का षडयन्त्र रचना जैसे कुकर्म कोई देशभक्त भारतीय तो कर नहीं सकता न ही करवा सकता है ऐसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी काम तो भारत का शत्रु यानी ISI ऐजेंट ही कर/करवा सकता है। (हम अच्छी तरह जानते हैं कि मनमोहन में इतना साहस नहीं कि वो देश से इतनी बढ़ी गद्दारी करे जिसके परिणामस्वारूप देश का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है लेकिन प्रधानमन्त्री बने रहने के लालच में एक विदेशी विषकन्या के इसारे पर भारत का सर्वनाश करने के षडयन्त्र रचने के अपराध से इस भारतविरोधी को मुक्त नहीं किया जा सकता।)
ऐसा नहीं कि सिर्फ ये 15 लोग ही ISI ऐजेंट हैं इनके अतिरिक्त महेश भट्ट,जावेद अख्तर,अग्निवेश,अरूधति राय,दिगविजय,अबु हाजमी,राहुल भट्ट,उमर अबदुल्ला जैसे जानेमाने सैंकड़ों भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी देशभर में इस्लामिक आतंकवादियों का साथ देकर भारत को कमजोर करने का काम कर ISI षडयन्त्रों का अन्जाम दे रहे हैं। जनका समय रहते अगर खात्मा नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं जिस दिन कशमीर घाटी की ही तरह सारे भारत से हिन्दूओं के मार-काट कर उजाड़ दिया जाएगा।
http://www.daily.pk/kashmir-conference-at-the-capitol-hill-on-july-31st-and-august-1st-2008-3671/
ये उन प्रसिद्ध गद्दार भारतीय उदारवादी धर्मनिर्पेक्षतावादी ISI ऐजेंटों की सूची है जो ISI के गिरोह KAC प्रमुख सयद गुलाम नवी फई के साथ मिलकर ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए हर मामले में चौधरी बनते फिरते हैं चाहे मामला धर्मनिर्पेक्षता का हो या कशमीर का या भ्रष्टाचार का या फिर सांप्रदायिकता का या फिर सोनिया गांधी या नरेन्द्र मोदी का।
वासिंगटन टाईमस ने 19 जुलाई 2011 को ये समाचार दिया कि मंगलवार को FBI के गुप्तचरों ने गुलामनवी फई को गिफ्तार कर लिया। सयद गुलाम नवी फई पाकिस्तान की सरकार और सैनिक गुप्तचर संस्थाओं से लाखों डालर लेकर अमेरिका के चुने हुए अधिकारियों व भारत के धर्मनिर्पेक्षतावादियों को घूंस देकर इस बात के लिए तैयार करता था कि वो दक्षिण ऐशिया में भारत को कशमीर से बाहर धकेलने में मदद करें। सयद गुलाम नवी फई को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया गया क्योंकि वो भारत का विभाजन करवाकर कशमीर को अलग करवाने के लिए काम कर रहा था क्योंकि अमेरिका के कानून के अनुसार भारतविरोध कोई अपराध नहीं है लेकिन उसे इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वो ISI के पैसे का उपयोग कर अमेरिकी अधिकारियों को पाकिस्तान के पक्ष में काम करने के लिए खरीदने की कोशिश कर रहा था।
वेशक एक भूतपूर्व संपादक ने मातृभूमि से गद्दारी करने वाले इन घरकुदाल भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादियों/उधारवादियों/दानवाधिकारवादियों को, firstpost.com. पर लिखे गए अपने लेख में भारत के शत्रुओं के लिए लाभदायक मूर्ख कहा हो लेकिन इन गद्दारों द्वारा पिछले 25 वर्षों से चलाए जा रहे हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान के माध्यम से वहाए गए निर्दोष भारतीयों खासकर सुरक्षाबलों और हिन्दूओं के खून के लिए सिर्फ मूर्ख या गद्दार कहकर छोड़ना कोई विकल्प नहीं हैं ।देश के इन दुश्मनों का जिन्दा रहना राष्ट्रहित में नहीं है ।क्योंकि फांसी देना या न देना सरकार के हाथ में है उस सरकार के हाथ में है जो खुद ISI agent की तरह काम कर रही है।
इसलिए देशभक्त नौजवानों को चाहिए कि इन गद्दारों के साथ वही करें जो शहीद भगत सिंह,राजगुरू और चन्द्र शेखर आजाद ने देशभक्तलाजपतराय जी का कत्ल करने वाले भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सैंडर्स के साथ किया व शहीद उधम सिंह जी ने जलियांवाला बाग में नरसंहार को अंजाम देने वाले ,भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के साथ किया था।
परन्तु उससे पहले ये जरूरी है कि प्रशांत भूषण की तरह इन गद्दारों की बुद्धि को भी कम से कम पांच-सात वार सार्वजनिक कुटाई से ठिकाने लाने की जरूर कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि हर देशभक्त भारतीय खासकर हिन्दू इन ISI ऐजटों द्वारा इस्लामिक आतंकवादियों के माध्यम से ISI के इसारे पर बहाए गए भारतीयों खासकर हिन्दूओं व सुरक्षावलों के खून की जानकारी को जन-जन तक खासकर गांव तक पहुंचाने की कोशिश करें वाकी काम हमारे विचार में जनता अपने आप कर देगी।