सबसे पहले तो अब ये निस्चित हो जाना चाहिए कि जो खुद को जन प्रतिनीधि व नेता कहते नहीं थकते उन्हें क्या कहा जाना चाहिए?
जनप्रतिनिधि या नेता या अभिनेता(लालु जैसे) या (हर काम के बदले समीशन)भाई या गुण्डा(दिगविजय सिंह,मनोज तिवारी) मबाली(स्वामी जी पर हमला) या लुटेरा(राजा ,चिदंमबरम) या हफ्ता ) बसूल करने वाला या फिर (गरीबों की मां-बहन की इज्जत का लुटेरा) (भंवरी देवी जैसे हजारों लाखों केस,) ब्याभिचारी या या हत्यारे आम जनता के फिर सबकुछ।
जबतक आपलोग इस बात को सपष्ट नहीं करते तब तक हम आपकी सुबिधा के लिए इन्हें सेकुलर गद्दार ही कहेंगे।
अब आते हैं असली मुद्दे पर ।
हरविंदर सिंह जी द्वारा शरदपवार को थपड़ जड़ने का समाचार जैसे ही अन्ना जी को मिला अन्ना जी के मुंह से यकायक यही निकला “बस एक ही थप्पड़ मारा”
सोचने वाला विषय यह है कि ऐसा क्या हुआ है जिसकी बजह से हर देशभक्त सेकुलर गद्दारों की कुटाई से खुश तो हो रहा है लेकिन संतुष्ट नहीं। हर देशभक्त क्यों चाहता है कि इनको अधिक से अधिक शारीरिक और मानसिक व भौतिक नुकशान होना जरूरी है?
होना तो यह चाहिए था कि जनप्रतिनिधि को नुकशान होने पर हर देशभक्तों को तकलीफ होती लेकिन हो उल्टा रहा है हर देशभक्त इन सेकुलर गद्दारों का विनाश चाहता है क्यों ?
बास्तब में ये जन प्रतिनिधि आज भारत की जनता के बजाए जबाबदेह होने के बजाए खुद को अमेरिका व साऊदी अरब के प्रति ज्यदा जबाबदेह मानने लगे हैं। इसलिए जब भी कभी किसी भारतीय को नुकसान होता है तो इन सेकुलर गद्दारों को लगता ही नहीं कि ये नुकशान इनका भी है परिमामस्वारूप भारतीयों को नहीं लगता कि ये भारतीयों के प्रतिनीधि हैं ।
इसके कई कारण है
- सबसेबड़ा कारण तो सेकुलर गद्दारों को साऊदी अरब से मिलने वाला Patro-Dollar ( जिसके बदले ये भारत में इस्लामिक आतंकवादियों का हर हालात में बचाब करते हैं बहाना चाहे मानबाधिकारों का हो संबिधान का या फिर कोई और) व अमेरिका से मिलने वाला US-Dollar (जिसके बदले में ये भारत में धर्मांतरण का समर्थन करने के साथ-साथ ईसाई आतंकवादियों का बचाब करते हैं व बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों के हाथों देश की सम्पदा को कौड़ियों के भाव बेचते हैं।)
- इनमें से अधिकातर(प्रभाबशाली) की पढ़ाई-लिखाई बिदेशों में हुई है इसलिए ये भारतीयों की तरह सोचने के बजाए विदेशियों की ही तरह सोचते हैं जिस तरह से बिदेशी मुसलमान व इसाई भारतीयों को लूटने के लिए नीतियां बनाते थे बैसी ही वल्कि उससे भी खतरनाक नीतियां ये लोग बना रहे हैं। जैसे कि सचरकमेटी रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा कमेटी रिपोर्ट, 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill, 2011' सिर्फ गैर हिन्दूओं(SC,ST,OBC किसी के लिए भी नहीं) के लिए छात्रवृति इत्यादि-इत्यादि। इन सब नितीयों का एक ही मकसद है भारत के मूल निवासियों के हक छीन कर अरबी व रोमन संसकृति को समर्पित लोगों को देना।
- हमारे विचार में BJP,SP, BSP, JDU, JD(s), AIDMK, RC ,LD,JD, CPM, CPI व BJD जैसी सबकी सब क्षेत्रीय पार्टीयां कांग्रेस की बिछाई फूट डालो और राज करो की एक ऐसी बिसात का सिकार हुईं जिसके परिमास्वारूप ये सबकी सब पार्टीयां अपने उन्हीं लोगों के अधिकारों को कुचलती चली गीईं जो लोग इनको समर्थन करते हैं मतलब सबकी सब पार्टियां भारतविरोध की एक ऐसी राह पर निकल पड़ी जिसमें इनका कोई दोष नहीं सिवाए इसके कि इन पार्टियों ने हालात से मुकाबला करने के बजाए हालात से समझौता कर कांग्रेस की वही राह पकड़ जिसका मकसद है हिन्दूओं को कुचल कर भारत को तबाह और बरबाद करना है। थपड़ पर इन सब पार्टियों की एकजुटता इसी विकृत मानसिकता का प्रमाण है।अगर इनमें से एक भी पार्टी हरविंदर जी जैसे लोगों को बुलाकर सम्मानित करे तो आम जनता को लगेगा कि कोई उनके साथ भी है और आगे नेताओं को खतरा भी कम होता जाएगा । ऐसे मामलों पर जितनी ये पार्टियों एकजुटता दिखायेंगी उतना ही आम आदमी और आक्रोशित होगा।
- खुद कांग्रेस बिदेशियों (अंग्रेजों व मुगलों)की बिछई एक ऐसी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी मानसिकता की शिकार हुई जिसका एकमात्र उद्देश्य था भारत के मूलनिवासियों के अधिकारों को छीन कर गैर भारतीयों के हबाले करना व भारत की सम्पदा को लूटकर इन्हीं विदेशीयों के मूल स्थानों पर पहुंचाना। कांग्रेस की स्थापना एक विदेशी द्वारा करने से लेकर आज तक कांग्रेस की कमान जब भी सम्भव हुआ भारतीयों के बजाए विदेशियों के हाथों में ही रही । इन विदेशियों ने कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेकर इसका उपयोग जमकर अपनी नस्ल के लोगों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए किया जैसे कि आज एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो कर रही है। ऐसा नहीं कि आज कांग्रेस में देशभक्तों की कमी है लेकिन सबके सब आज राष्ट्र हित को तिलांजली देकर निजहित व परिबारहित को साधने में बयस्त हैं।
- इन सब कारणों से भी बड़ा कारण है इन सेकुलर गद्दारों द्वारा जनता से जुड़े हर मुद्दे पर जनता के बिरोध में जाना। देश की सारी जनता चाहती है कि मंहगाई व भ्रष्टाचार पर सरकार गिरे लेकिन ये सेकुलर गद्दार नहीं चाहते कि ये सरकार गिरे क्योंकि इनको लगता है कि बिदेशियों के इसारों पर नाचने वाली ऐसी सरकार फिर से नहीं बन सकती इसलिए इस सरकार के माध्यम से जनता को मतलब भारत को जितना लूट लिया जाए –भारत के मूल निवासियों को जितना कमजोर कर लिया जाए उतना काफी है।
क्या इन सेकुलर गद्दारों में से किसी ने सोचा कि मुम्बई हमला करने वाले षडयन्त्रकारी को PM ने शांतिदूत बताकर भारत में इस्लामिक आतंकवादियों के हाथों मारे जा चुके लाखों शहीदों के करोंड़ों परिजनों व शुभचिंतकों के जख्मों पर नमक छिड़का तो इन पीड़ितों के मन से जो बददुआ निकली वो इन सेकुलर गद्दारों को तबाह करने की ताकत रखती है। इस चोरों और गद्दारों की सरकार द्वारा शहीदों व देशभक्तों के जख्मों पर नमक छिड़कने की मानों प्रवृति ही बन गई है।
इन आतंकवादियों के प्रतिनीधि नेताओं के कुकर्मों की बजह से ही अन्ना जी को कहना पड़ता है कि “बस एक ही थप्पड़ मारा”