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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

रविवार, 27 नवंबर 2011

अन्ना जी ने क्यों कहा “बस एक ही थप्पड़ मारा”


सबसे पहले तो अब ये निस्चित हो जाना चाहिए कि जो खुद को जन प्रतिनीधि व नेता कहते नहीं थकते उन्हें क्या कहा जाना चाहिए?
जनप्रतिनिधि या नेता या अभिनेता(लालु जैसे) या (हर काम के बदले समीशन)भाई या गुण्डा(दिगविजय सिंह,मनोज तिवारी) मबाली(स्वामी जी पर हमला) या लुटेरा(राजा ,चिदंमबरम) या हफ्ता ) बसूल करने वाला या फिर (गरीबों की मां-बहन की इज्जत का लुटेरा) (भंवरी देवी जैसे हजारों लाखों केस,) ब्याभिचारी या या हत्यारे आम जनता के  फिर सबकुछ।
जबतक आपलोग इस बात को सपष्ट नहीं करते तब तक हम आपकी सुबिधा के लिए इन्हें सेकुलर गद्दार  ही कहेंगे।
अब आते हैं असली मुद्दे पर ।
हरविंदर सिंह जी द्वारा शरदपवार को थपड़  जड़ने का समाचार जैसे ही अन्ना जी को मिला अन्ना जी के मुंह से यकायक यही निकला “बस एक ही थप्पड़ मारा”
सोचने वाला विषय यह है कि ऐसा क्या हुआ है जिसकी बजह से हर देशभक्त  सेकुलर गद्दारों की कुटाई से खुश तो हो रहा है लेकिन संतुष्ट नहीं। हर देशभक्त क्यों चाहता है कि इनको अधिक से अधिक शारीरिक और मानसिक व भौतिक नुकशान होना जरूरी है?
होना तो यह चाहिए था कि जनप्रतिनिधि को नुकशान होने पर हर देशभक्तों को तकलीफ होती लेकिन हो उल्टा रहा है हर देशभक्त इन सेकुलर गद्दारों का विनाश चाहता है क्यों ?
बास्तब में ये जन प्रतिनिधि आज भारत की जनता के बजाए जबाबदेह होने के बजाए खुद को अमेरिका व साऊदी अरब के प्रति ज्यदा जबाबदेह मानने  लगे हैं। इसलिए जब भी कभी किसी भारतीय को नुकसान होता है तो इन सेकुलर गद्दारों को लगता ही नहीं कि ये नुकशान इनका भी है परिमामस्वारूप भारतीयों  को नहीं लगता कि ये भारतीयों के प्रतिनीधि हैं ।
इसके कई कारण है
  1. सबसेबड़ा कारण तो सेकुलर गद्दारों को साऊदी अरब से मिलने वाला Patro-Dollar ( जिसके बदले ये भारत में इस्लामिक आतंकवादियों का हर हालात में बचाब करते हैं बहाना चाहे मानबाधिकारों का हो संबिधान का या फिर कोई और)  व अमेरिका से मिलने वाला US-Dollar (जिसके बदले में ये भारत में धर्मांतरण का समर्थन करने के साथ-साथ ईसाई आतंकवादियों का बचाब करते हैं व बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों के हाथों देश की सम्पदा को कौड़ियों के भाव बेचते हैं।)
  2. इनमें से अधिकातर(प्रभाबशाली) की पढ़ाई-लिखाई  बिदेशों में हुई है इसलिए ये भारतीयों की तरह सोचने के बजाए विदेशियों की ही तरह सोचते हैं जिस तरह से बिदेशी मुसलमान व इसाई भारतीयों को लूटने के लिए नीतियां बनाते थे बैसी ही वल्कि उससे भी खतरनाक नीतियां ये लोग बना रहे हैं। जैसे कि सचरकमेटी रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा कमेटी रिपोर्ट, 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill, 2011' सिर्फ गैर हिन्दूओं(SC,ST,OBC किसी के लिए भी नहीं) के लिए छात्रवृति इत्यादि-इत्यादि। इन सब नितीयों का एक ही मकसद है भारत के मूल निवासियों के हक छीन कर अरबी व रोमन संसकृति को समर्पित लोगों को देना।
  3. हमारे विचार में BJP,SP, BSP, JDU, JD(s),  AIDMK, RC ,LD,JD, CPM, CPI व BJD जैसी सबकी सब क्षेत्रीय पार्टीयां कांग्रेस की बिछाई फूट डालो और राज करो की  एक ऐसी बिसात का सिकार हुईं जिसके परिमास्वारूप ये सबकी सब पार्टीयां अपने उन्हीं लोगों के अधिकारों को कुचलती चली गीईं जो लोग इनको समर्थन करते हैं मतलब सबकी सब पार्टियां भारतविरोध की एक ऐसी राह पर निकल पड़ी जिसमें इनका कोई दोष नहीं सिवाए इसके कि इन पार्टियों ने हालात से मुकाबला करने के बजाए हालात से समझौता कर कांग्रेस की वही राह पकड़ जिसका मकसद है हिन्दूओं को कुचल कर भारत को तबाह और बरबाद करना है। थपड़ पर इन सब पार्टियों की एकजुटता  इसी विकृत मानसिकता का प्रमाण है।अगर इनमें से एक भी पार्टी हरविंदर जी जैसे लोगों को बुलाकर सम्मानित करे तो आम जनता को लगेगा कि कोई उनके साथ भी है और आगे नेताओं को खतरा भी कम होता जाएगा । ऐसे मामलों पर जितनी ये पार्टियों एकजुटता दिखायेंगी उतना ही आम आदमी और आक्रोशित होगा।
  4. खुद कांग्रेस बिदेशियों (अंग्रेजों व मुगलों)की बिछई एक ऐसी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी मानसिकता की शिकार हुई जिसका एकमात्र उद्देश्य था भारत के मूलनिवासियों के अधिकारों को छीन कर गैर भारतीयों के हबाले करना व भारत की सम्पदा को लूटकर इन्हीं विदेशीयों के मूल स्थानों पर पहुंचाना। कांग्रेस की स्थापना एक विदेशी द्वारा करने से लेकर आज तक कांग्रेस की कमान जब भी सम्भव हुआ भारतीयों के बजाए विदेशियों के हाथों में ही रही । इन विदेशियों ने कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेकर इसका  उपयोग जमकर अपनी नस्ल के लोगों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए किया जैसे कि आज एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो कर रही है। ऐसा नहीं कि आज कांग्रेस में देशभक्तों की कमी है लेकिन सबके सब आज राष्ट्र हित को तिलांजली देकर निजहित व परिबारहित को साधने में बयस्त हैं।
  5. इन सब कारणों से भी बड़ा कारण है  इन सेकुलर गद्दारों द्वारा जनता से जुड़े हर मुद्दे पर जनता के बिरोध में जाना। देश की सारी जनता चाहती है कि मंहगाई व भ्रष्टाचार  पर सरकार गिरे लेकिन ये सेकुलर गद्दार नहीं चाहते कि ये सरकार गिरे क्योंकि इनको लगता है कि बिदेशियों के इसारों पर नाचने वाली ऐसी सरकार फिर से नहीं बन सकती इसलिए इस सरकार के माध्यम से जनता को मतलब भारत को जितना लूट लिया जाए –भारत के मूल निवासियों को जितना कमजोर कर लिया जाए उतना काफी है।
सिर्फ यही नहीं आज देश में जो भी शांतिप्रिए तरीके से अपनी बात कहने की कोशिश करता है उसे मूर्ख व कमजोर समझकर चोरों और गद्दारों की सरकार कुचलती जाती है वाकी विपक्ष जुवानी जमा-घटाने से आगे बढ़कर सरकार के बिरूद्ध किसी निर्णायक लड़ाई की शुरूआत तक नहीं करता परिणामस्वारूप जनता पिसती जाती है पिसने से जनता का क्रोध बड़ता जाता है कौन जाने कल कोई सिरफिरा जिसकी पहुंच बारूद तक बन जाए सारी की सारी पार्लियामैंट को बारूद से उड़ा दे।
क्या इन सेकुलर गद्दारों में से किसी ने सोचा कि मुम्बई हमला करने वाले षडयन्त्रकारी को PM ने शांतिदूत बताकर भारत में इस्लामिक आतंकवादियों के हाथों मारे जा चुके लाखों शहीदों के करोंड़ों परिजनों व शुभचिंतकों के जख्मों पर नमक छिड़का तो इन पीड़ितों के मन से जो बददुआ निकली वो इन सेकुलर गद्दारों को तबाह करने की ताकत रखती है। इस चोरों और गद्दारों की सरकार द्वारा शहीदों व देशभक्तों के जख्मों पर नमक छिड़कने की मानों प्रवृति ही बन गई है।
इन आतंकवादियों के प्रतिनीधि नेताओं के कुकर्मों की बजह से ही अन्ना जी को कहना पड़ता है कि “बस एक ही थप्पड़ मारा”

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

नेता का थप्पड़ सही और जनता का गलत ऐसा कैसे हो सकता है ?

सच कहें तो आज जब  एक आक्रोशित युबक हरविेंदर harbinderने मंहगाई से तंग आ चुकी आम जनता की भावनाओं मे बहकर  इस्लामिक आतंकवादी दाऊदइबराहीम के पोषक व रक्षक सरदपबार को थपड़ जड़ा तो हमें लगा कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि अब थपड़ मारने का वक्त नहीं रह गया।
अब तो वो वक्त आ चुका है जब देशभक्तों को थपड़ और लोकतांत्रिक विरोध के सब तरीके छोड़कर कुछ ऐसा कना चाहिए कि एक युबक के जेल जाने के साथ ही एक दर्जन गद्दारों का अन्त सुनिश्चित बनाया जा सके।
क्योंकि  भारतविरोधी नेताओं को थपड़ पड़ते ही सबके सब राजनीतिज्ञ मिडीया व दानाबधिकारवादी एकजुट होकर युबाओं द्वारा चलाए जा रहे अन्दोलनों  को कुचलने के नए-नए रास्ते तलासने लग पड़ते हैं। लेकिन जैसे ही आम जनता पर ये नेता नीतिगत या सारीरिक थपड़ जड़ते हैं तो ये सबके सब सेकुलर गद्दार खामोश हो जाते हैं।
आप अच्छी तरह से जानते हैं कि किस तरह गांधीबादी गुण्डों ने चतर्वेदी को सिर्फ चप्पल दिखाने वाले साहसी युबक की बरबर पिटाई की। आपने ये भी देखा कि उत्तर प्रदेश में Half Indian को काले झंडे दिखा रहे नौजवानों को किस वेहरमी से इन गांधीवादी गुण्डों ने सबके सामने पीटा और अपने प्रभाव का दुरूपयोग कर अपनी गिरफ्तारी पर रोक भी लगवा ली।
अगर आज भारत में कानून का शासन चल रहा होता तो वेशक आक्रोशित युबक जेलों मे जाते लेकिन साथी ही ये भातविरोधी गांधीवादी आतंकवादी भी अपने किए कुकर्मों की सजा भुक्तते ।
जब तक भारत में कानून के अनुशार सासन नहीं चलता है तब तक युबकों के पास अपना आक्रोश दिखाने का कोई लोकतान्त्रिक मार्ग कैसे हो सकता है?
कुल मिलाकर जो कोई भी इस नौजवान द्वारा जड़े गए इस जोरदार थपड़ का विरोध कर रहे हैं वो कृप्या एक बार जरूर ये सोच लें कि अगर आक्रोसित नौजवान द्वार जड़ा गया ये थपड़ ठीक नहीं तो देश को लूट रही सताधारी पार्टी के गांधीवादी गुण्डों द्वारा नौजवानों को मारे जा रहे थपड़ कैसे ठीक हो सकते हैं?

बुधवार, 16 नवंबर 2011

साबधान देशभक्तों के लिए अब यहां कोई जगह नहीं


हमारे परिबार में माता जी व पिता जी दोनों तरफ के पूर्वज कांग्रेस को बोट करते रहे हैं माता जी और पिता जी ने काँग्रेस को बोट करना तब छोड़ा जब हमने उन्हें काँग्रेस के बास्तविक स्वारूप के बारे में बिस्तार से बताया। सच कहें तो हम भी एक कांग्रेसी ही होते अगर कांग्रेस हिन्दूओं के प्रति शत्रुता के भाव को इस हद तक न ले जाती कि उसे माननीय न्यायालय में ऐसा सपथपत्र देना पड़ता कि भारत की आत्मा मर्यादापुर्षोत्तम भगवान श्रीराम जी हुए ही नहीं।
हम बच्चपन में इन्दिरा गांधी और बाद में राजीब गांधी जी के प्रशंसक रहे हैं इसीलिए जब इन दोनों का कत्ल हुआ तो हमें बहुत बुरा लगा वेशक हम इन्दिरा जी गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के कभी विरोधी नहीं रहे लेकिन कांग्रेस द्वारा किए गए सिखों के कतलयाम को हम गद्दारी और मानबता के कत्ल के शिवा कुछ भी और मानने को तैयार नहीं। आज तक हमारे व्यक्तिगत हित में जो भी काम हुए हैं वो सब कांग्रेस के सासनकाल में ही हुए हैं और हमारे बिरूद्ध जो भी षडयन्त्र हुए वो … के सासनकाल में।
खैर छोड़ो इन व्यक्तिगत हितों व विचारों का राष्ट्रहित व राष्ट्रीय विचार के सामने कोई मोल नहीं। आज की कड़वी सच्चाई यही है कि आज की कांग्रेस न केवल हिन्दूहित बल्कि देशहित को भी तिलांजली दे चुकी है । आज की कांग्रेस वो कांग्रेस नहीं जो राजीब जी के समय तक थी। वेशक राजीब जी से पहले भी कांग्रेस ने भारत को अनेक जख्म दिए फिर भी देशभक्तों में काँग्रेस के प्रति ऐसा नाउमीदी का भाव कभी पैदा न हुआ जैसा अब है
क्योंकि राजीब जी की मृत्यु के बाद कांग्रेस का नेतृत्व कुछ ऐसे भारतविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के हाथों में चला गया है जिसने कांग्रेस को एक ऐसी दिशा दे दी है जिसके अनुसार कांग्रेस पार्टी में किसी भी देशभक्त के लिए कोई जगह नहीं। आन्ध्र प्रदेश में YSR रेडी के बेटे जगनमोहन ने इसी गद्दार नेतृत्व को चुनौती दी जिसके परिमामस्वारूप आज सारी सुरक्षा ऐजैंसियां उसको प्रताड़ित कर वापिस इस गद्दार नेतृत्व के आगे झुकाने का प्रयास कर रही हैं।
यही सब इस गद्दार नेतृत्व द्वारा विदेशों में जमा करवाए गए कालेधन को राष्ट्रीय धन घोषित करने की मांग उठाने वाले क्रांतिवीर स्वामीरामदेव जी के साथ भी किया जा रहा है।
इसी तरह जब हिमाचल में वीरभद्र सिंह जी ने धर्म स्वतन्त्रता विधेयक पास करवाकर हिमाचल की शांति के लिए सबसे बढ़ा खतरा बनकर उभर रही विदेशी ईसाई धर्मांतरणवादी शक्तियों की गैरकानूनी गतिविधियों पर नकेल कसी उसी दिन से इस नेतृत्व ने वीरभद्र सिंह जी को ठिकाने लगाने के षडयन्त्र रचने शुरू करदिए ताकि इस भारतविरोधी नेतृत्व की खासमकास को आगे चल कर मुख्यमन्त्री बनबाया जा सके। लेकिन वीरभद्र के सामने इस गद्दार नेतृत्व की एक न चली और वीरभद्र ने युवा कांग्रेस के चुनाब में अपने बेटे विक्रमाद्त्य को जबरदस्त विजय दिलवाकर ये सिद्ध कर दिया कि बीरभद्र सिंह जी से टकराना इतना आसान नहीं। बहुत जल्द आप देखेंगे कि स्वामी जी के मुद्दे पर भी इस गद्दार नेतृत्व को मुंह की खानी पड़ेगी।
आपको याद होगा कि जब शहीद मोहन चन्द जी शर्मा का अपमान करने वाले अमर सिंह को कांग्रेस प्रवक्ता सत्यब्रत चतुर्वेदी जी ने पागल करार दिया तो किस तरह रातोंरात उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया गया क्योंकि उनका देशभक्ति से परिपूर्ण आक्रोश गद्दार नेतृत्व को रास न आया ।
दूसरी तरफ कांग्रेस का महासचिब Diggi वार-वार आतंकवादियों का पक्ष लेने के साथ-साथ देशभक्तों यहां तक कि सुरक्षाबलों तक को गाली निकालकर अपनी गद्दारी का परिचय दे रहा है वो आज तक कांग्रेस के महासचिब पद पर बना हुआ है क्योंकि गद्दार नेतृत्व यही तो चाहता है कि हर कांग्रेसी उसके नक्सेकदम पर चलते हुए देश के साथ Max गद्दारी कर देश को लहूलुहान कर भारत की बरबादी का कारण बने।
हम तो कहते हैं कि कांग्रेसियों को आए दिन देशभक्तों के विरूद्ध अनाप-सनाप बकने के बजाए अपने सब कार्यालयों-बैनरों पर बढ़ा करके ये लिखबा देना चाहिए
साबधान कांग्रेस अब गांधी की जगह ओसामा जी को अपना आदर्श मानती है इसलिए देशभक्तों के लिए यहां कोई जगह नहीं…

मंगलवार, 15 नवंबर 2011

राहुल को भला शर्म क्यों न आए?

हम भारतीय अक्कसर भावनाओं में बहकर बहुत सी ऐसी गलतियां कर जाते हैं जिनके परिणाम हमें अपना खून बहाकर –इज्जत आबरू लुटवाकर भुगतने पड़ते हैं।
वेशक आप समझेंगे कि हम राजीब गांधी की उस भावनात्मक गलती की बात कर रहे हैं जिसके परिणाम स्वारूप वो इटालियन विषकन्या के फेर में पड़कर चर्च द्वारा रचे गए एक ऐसे षडयन्त्र का सिकार हो गए जिसकी कीमत उन्हें पहले तो अपना मान सम्मान खोकर(चर्च के सहयोग से सोनिया व क्वात्रोची द्वारा अन्जाम दिए गए बोफोर्स कांड) व बाद में अपने प्राण देकर चुकानी पड़ी।
लेकिन ये गलती तो राजीब गांधी की व्यक्तिगत गलती थी। अगर भारतीय भावनाओं में न बहते तो उनकी इस व्यक्तिगत गलती को राष्ट्रीय गलती न बनने देते। क्योंकि भारत में लोकतन्त्र है इसलिए अगर भारतीय भावनाओं में न बहते तो चुनाबों में विदेशी को आगेकर चुनाब लड़ने वाली पार्टी से सबन्धित प्रत्यासियों की जमानत जब्त करवा देते।चर्च को अपने आप पता चल जाता कि उसके षडयन्त्र भारत में सफल होने वाले नहीं लेकिन ऐसा हो न सका।
अगर जम्मू कशमीर में मुसलमानों को ईसाई बनाने बाले पादरियों को पकड़ कर जेल में डाला जा सकता है तो फिर भला क्यों सारे देश में हिन्दूओं को ईसाई बनाने में लगे पादरियों को जेल में नहीं डाला जा सकता।
ये हमारी भावनात्मक गलतियों का ही परिणाम है जिन लोगों(मुसलमानों और इसाईयों को ) को हमने अपना जैसा मानकर अपने देश भारत में शरण दी उन्हीं मुसलमानों ने हमें पहले अफगानीस्तान,फिर पाकिस्तान, बंगलादेश और अब कशमीर घाटी से बाहर निकाल दिया वो भी पूरी तरह लूटकर कर व आसाम और केरल से भारतीयों को वेदखल करने का संघर्ष जोरों पर है। मुसलमानों की ही तरह ईसाईयों ने भी हमें अपने बहुमत वाले उतर पूर्वी राज्यों से वेदखल कर दिया।
फिर आज हम देश के हर कोने में मुसलमानों और ईसाईयों के बरबर हमलों से प्रताड़ित अपने सगे हिन्दूों के साथ खड़े होने के बजाए इन आततायियों की बगल में खड़े हैं। क्यों , क्योंकि हिन्दी मिडीया,विके हुए नेता,पत्रकार,फिल्मकार अरब देशों से मिलने वाले पैट्रो डालर व युरोपियन देशों से मिलने बाले यु एस डालर के बल पर हमें समझा रहे हैं कि क्योंकि ये अल्पशंख्यक हैं इसलिए वेचारे हैं ,सेना ,हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों के सताए हुए हैं इसलिए हमें इन पर दया आ रही है परिणास्वारूप हम इन शातिर आक्रमणकारियों के साथ खड़े होकर अपने सगे हिन्दूओं को मरबा रहे हैं क्योंकि मारे जाने वाले व प्रताड़ित हिन्दूओं के वारे में हमें समझाने-बताने वाला कोई नहीं। कुछ मुठीभर लोग अगर बताने की कोशिश करते भी हैं तो हम शांति भंग होने का हबाला देकर उन्हें चुप करवा देते हैं।
ये क्या ये हमारी भावनात्मक गलती नहीं कि जिस विषकन्या एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को हमने अपनी बहु समझकर सिर आंखों पर विठाने के साथ-साथ भारत के सिंहासन पर बैठाया वही विषकन्या आज सचरकमेटी रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा कमेटी रिपोर्ट, 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill, 2011 जैसे षडयन्त्रों के माध्यम से हमें ठिकाने लगाने के लिए दिन-रात भारत के शत्रुओं के साथ मिलकर काम कर रही है।
अब आप राहुलRahul_Gandhi-18 को ही देख लीजिए जो चिल्ला-चिला कर कह रहा है कि उसे भारतीय-हिन्दूस्तानी होने पर शर्म आती है मतलब बो भारतीय नहीं कहलाना चाहता। बैसे वो भारतीय है भी नहीं। आप उसे 25% भारतीय कह सकते हैं क्योंकि उसकी माम इटालियन है व दादा भी तो पूरी तरह भारतीय नहीं।
फिर भी सोचने वाली बात ये है कि क्यों उसे भारतीय संस्कृति से इतनी नफरत है?
असल में इसकी रगों में वो इटालियन खून दौड़ रहा है जिस देश का प्रधानमन्त्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी अपने ही देश की लड़कियों-महिलाओं को माफिया की सहायता से खरीदकर या उठवाकर उनकी मंडी सजाता है।लेकिन फिर इटली खासकर चर्च की राजधानी रोम की जनता तक उसका विरोध  नहीं करती और भारत में इस तरह की बात तक करने पर लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं ।
अब ऐसे ब्याभिचारी व बरबर माफियाओं के देश इटली से सबन्ध रखने वाला राहुल विन्सी भला भारत में घुटन क्यों न महसूस करे। उपर से चर्च द्वारा तैयार की गई विषकन्या द्वारा भरा गया भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी जहर।
इन सब हालात में अब आप ही बताओ कि जिसकी रगों में ब्याभिचारी व बरबर माफियाओं के देश इटली का खून दौड़ रहा हो उसे भारत जैसे महान देश में शर्म क्यों न आए?
पहचानो इस भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी को और ठान लो कि हम  और भावनात्मक गलतियां नहीं करेंगे… 

सोमवार, 14 नवंबर 2011

भिखारी और लुटेरी भारत की जनता नहीं वल्कि तेरी मां व वो अंग्रेज हैं जिनका खून तेरी रगों में दौड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश में चुनाब की आहट सुनते ही कांग्रेस ने अपने पिटारे से एक के बाद एक विभाजनकारी षडयन्त्रों को बाहर निकालना सुरू कर दिया है। हम कईबार लिख चुके हैं कि कांग्रेस चुनाबों से पहले ऐसे विभानकारी मुद्दे उठाएगी जिससे कि भ्रष्टाचार व कालेधन जैसे जनहित से जुड़े सरोकार कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आयेंगे। हाफ अंग्रेज राहुल विन्सी का आज का ब्यान इसी का हिस्सा है।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि कांग्रेस अगर अंग्रेजों व उससे पहले मुसलमानों द्वारा अपनाई गई भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी विभाजनकारी नीतियों को आगे न बढ़ाती तो 40 के दशक में में भारत से हर क्षेत्र में पिछड़ने वाला चीन आज भारत से कहीं पीछे होता व उसकी भारत को आँखें दिखाने की हिमत तक न होती. उल्टा आज बंगलादेश व पाकिस्तान जैसे मच्छर भी भारत को आंख दिखाकर व आतंकवाद के माध्यम से भारतीयों का खून बहाकर भारत को ललकार रहे हैं । ।
कांग्रेस खासकर गांधी-नैहरू खानदान की फूट डालो और राज करो की नीति का ही ये दुष्परिणाम है कि पहले तो भारत का तीन-तीन हिस्सों में विभाजन हुआ और अब भारत फिर उसी दोहराहे पर आ खड़ा हुआ है जिसपर जिन्ना-नैहरू-लेडी माउंटवेटन के वक्त था। फर्क सिर्फ इतना है कि आज नैहरू की भूमिका में राहुल विन्सी है व जिन्ना की भूमिका में मनमोहन सिंह व लेडी माउंटवेटन की भूमिका में राहुल विन्सी की इटालियन ममी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी है ।थोड़ा सा फर्क ये भी है कि लेडी माऊंटवेटन ने एक अनैतिक सबन्ध के चलते भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम दिया जबकि माइनो ये सब एक नैतिक सबन्ध का दुरूपयोग कर अन्जाम दे रही है।
आज राहुल अगर वार-वार भारतविरोधी -हिन्दूविरोधी प्रलाप कर रहा है----कभी कहता है कि उसे भारतीय होने पर शर्म आती है ----कभी कहता है कि उसे खेद है कि वो हिन्दुस्तानी है---कभी देशभक्त संगठनों व हिन्दूओं के विरूद्ध अमेरिकी अधिकारियों को उकसाता है---कभी मुमबई में जाकर उतर भारतीयों व मुंमबईकरों के बीच झगड़ा पैदा करने की कोशिश करता है ---कभी विहारियों को मुमबईकरों के विरूद्ध भड़काता है---कभी उतर भारतीयों को दलित नेत्री मायावती के बिरूद्ध भड़काता है---यो ये कमी राजीब गांधी के खून की नहीं वल्कि इस विषकन्या के द्वारा चर्च का दुरूपयोग कर एक मासूम बच्चे के अन्दर भारत-भारतीयों खासकर देशभक्त हिन्दूओं के विरूध भरे गए जहर का कुप्रभाव है।
किसी ने ठीक ही कहा है कि बच्चे का पहला अध्यापक उसकी मां है जिस बच्चे की मां ही एक भारतविरोधी विषकन्या हो उसे भारतीय होने पर गर्व भला कैसे हो सकता है?
ये विषकन्या द्वारा भरे गए उसी जहर का असर है जिसके असर के कारण राहुल विन्सी ने उतर-भारतीयों द्वारा खून-पसीना बहाकर भारत के विकास में योगदान कर कमाई जा रही मेहनत की रोटी को भीख करार दे दिया। इस वेवकूफ को कौन समझाए कि भिखारी और लुटेरी भारत की जनता नहीं वल्कि इसकी मां व वो अंग्रेज हैं जिनका खून तेरी रगों में दौड़ रहा है।

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

ईद कहो या बकरईद मकसद तो एक ही है---हिंसा---कत्लोगारद---अराजकता---


हम कई बार हैरान होते हैं ये देखकर कि जब कातिल अल्लाह के नाम पर कतलयाम idमचा रहे होते हैं तो कुछ परजीवि इस कत्लयाम को कभी वकर ईद तो कभी ईद के नाम पर जायज ठहराने के भरपूर प्रयत्न करने में लगे रहते हैं।दानबता की हर हद तो तब पार हो जाती है जब मिडीया में बैठे ISI ऐजेंट, हिंसा से भरपूर इन खूनी बारदातों को शांति और भाईचारे का जसन करार दे देते हैं।
हम मानते हैं कि कोई भी जीब कैसे जिन्दगी जीता है इसमें हस्तक्षेप का हमें कोई हक नहीं लेकिन जब ये जीब हिंसक हो जाए और अपने देश में बैठे धर्मनिरपेक्ष गद्दार इस जीब द्वारा किए जा रहे कत्लोगारद को जायज ठहराकर मानबता को लहूलुहान करने पर उतारू हों तो सब शांतिप्रिय लोगों का ये फर्ज बन जाता है कि इन्सान के वेष में छिपे इन राक्षसों को वेनकाब कर इस धरा को इन राक्षसों से मुक्त करने के उपायों पर विचार करे।
मजेदार बात तो ये है कि राक्षसों के जिन राहुल विन्सी जैसे मददगारों को इस कत्लयाम में अमन-चैन, प्रेम भाईचारा नजर आता है उन्हीं गद्दारों को भारतीय संस्कृति का हर पहलू सांप्रदायिक दिखने लगता है परिमामस्वारूप उन्हें भारतीय होने पर कभी शर्म आती है तो कभी दुख होता है।
वेशक कुछ लोगों को ऐसा लगेगा कि क्योंकि भारत में इन राक्षसों से हिन्दूओं को खतरा है इसलिए हम इनके खात्मे की बात कर रहे हैं। लेकिन ये आधा सत्य है क्योंकि इसमें कोई सन्देह नहीं कि जिस तरह इन राक्षसों ने कतल्याम के बल पर गांधी जैसे व्यक्ति को भारत का विभाजन स्वीकार करने पर विवश किया, जिस तरह न कातिलों ने कशमीर घाटी में हजारों हिन्दूओं का कत्लयाम किया, जिस तरह ये कातिल देशभर में बम्ब हमले व दंगा फसाद कर हिन्दूओं का कत्लयाम कर रहे हैं उस सबको देखते हुए ये कहना विलकुल सही है कि भारत में हिन्दूओं को इन राक्षसों से खतरा है।
लेकिन आम मुसलमान जिसने हाल ही में मतलब पिछले 300-500 वर्ष में इस्लाम अपनाने के बाबजूद मानबता का दामन नहीं छोड़ा है वो भी इन राक्षसों के निसाने पर उसी तरह है जिस तरह हिन्दू व ईसाई हैं। अगर आपको लगता है कि हम गलत कह रहे हैं तो आप उन इस्लामिक देशों पर एक निगाह डालो जिनकी लगभग 100% अबादी मुसलमान है उसके बाबजूद ये राक्षस इन इस्लामिक देशों में मस्जिदों, मदरसों व भीड़भाड़ वाले क्षत्रों में बम्म हमले कर इन नए-नवेले मुसलमानों का खून बहा रहे हैं।
अगर ये हमले इस्लाम को आगे बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं तो इन राक्षसों द्वारा मस्जिदों में बम्म बिस्फोट करने का कोई औचित्य नजर नहीं आता वो भी वहां जहां 100% अबादी मुसलमानों की ही है। क्योंकि जहां इन राक्षसों के साथ हिन्दू या ईसाई रहते हैं वहां तो ये राक्षस मस्जिदों में बम विस्फोट कर उसका दोष गैर मुसलमानों पर दे देते हैं जैसे कि इन राक्षसों के हाथों विक चुकी केन्द्र सरकार ने इन राक्षसों द्वारा मस्जिदों में किए गए बम हमलों का दोष हिन्दूओं के सिर डालकर देशभक्तों को जेल में बन्द कर दिया लेकिन 100% मुसलिम अबादी में तो ऐसा भी कोई बहाना काम नहीं कर सकता है।
हमारे विचार में ये राक्षस जिस भी अल्लाह का नाम लेते हैं वो जरूर कोई शैतान होगा वरना ये कैसे हो सकता है कि अल्लाह अपनी ही सन्तति का खून बहाकर खुश हो। यही नहीं ये राक्षश मां-वहन-वेटी-बहु जैसै पवित्र रिस्तों को भी नापाक कर अपने राक्षश होने का प्रमाण दुनिया के सामने रख रहे हैं। आओ मिलकर इन राक्षसों के इस दुनिया से सफाए के लिए जरूरी कदम उठाने का प्रण कर मानबता की रक्षा के लिए धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ें।