हम सब जानते हैं कि कांग्रेस की स्थापना एक विदेशी अंग्रेज ने भारतविरोधियों वोले तो हिन्दूविरोधियों के हित साधने के लिए 1885 में की।
अंग्रेज द्वारा कांग्रेस की स्थापना का एकमात्र मकसद था एक ऐसा गिरोह तैयार करना जो भारतीयों को अपना सा लगे लेकिन जिसका मूल मकसद हो भारत को तबाह करना।
कांग्रेस की स्थापना से लेकर आज तक कांग्रेस पर उन्ही लोगों का कब्जा रहा जिनमें भारतविरोध वोले तो हिन्दूविरोध कूट-कूट कर भरा हो। वेशक इसमें कुछ अपबाद भी देखने को मिले ।
खिलाफत अन्दोलन के समर्थन के बहाने मुसलिम अलगावबाद का समर्थन
1923 में जब देश में स्वातन्त्रता संग्राम के दौरान सब हिन्दू-मुसलिम मिलकर अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों से तंग आकर एकजुट होकर संघर्ष कर रहे थे तभी कांग्रेस ने अलगाववादी मुसलमानों के दबाब में आकर खिलाफत अन्दोलन का समर्थन कर एक ऐसा षडयन्त्र किया जिसाक परिणाम मुसलिम लीग की स्थापना के रूप में हुआ जो आगे चलकर सांप्रदाय के आधार पर भारत के विभाजन का एककारण वनी। यहां हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि डा वलिराम हेडगेवार जी सहित कांग्रेस के अनेक नेताओं ने गांधी-नैहरू के इस निर्णय का विरोध किया लेकिन गांधी-नैहरू ने किसी की एक न सुनी। बाद में डा हेडगेवार जी ने 1925 में RSS की स्थापना कर देशभक्त नागरिकों के निर्माण का कार्य शुरू किया जो आज तक जारी है। आज देशभक्त नागिरकों की बढ़ती फौज ही कांग्रेस की परेसानी का सबसे बढ़ा कारण बन रहा है।
प्रखर देशभक्त नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी का विरोध
1939 में प्रखर देशभक्त नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी का नेहरू-गांधी के विरोध के बाबजूद कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाना। लेकिन ये ऐसी घटना थी जिसने हिन्दूविरोधी देशविरोधी कांग्रेसियों को झकझेर कर रख दिया । बस फिर क्या था ये सब भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी नैहरू-गांधी के नेतृत्व ऐसे षडयन्त्र करने में जुट गए जिनके परिणाम प्रखर देशभक्त नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी को कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा।
भारत विभाजन के दौरान कांग्रेस के हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्र
1947 में कांग्रेस ने अंग्रेजों के साथ मिलकर भारत का सांप्रदाय के आधार पर विभाजन सवीकार किया।
इस विभाजन के अनुसार मुसलमानों के लिए पाकिस्तान (पूर्वी और पश्चिमी )का निर्माण किया गया जबकि हिन्दूओं के लिए भारत का वाकी वचा हिस्सा दिया गया। लेकिन यहां फिर कांग्रेस ने एक षडयन्त्र के तहत मुसलमानों को फिर से हिन्दूओं वाले हिस्से में रखने की जिद की।
RSS ने सांप्रदाय के आधार पर देश के विभाजन का डट कर विरोध किया । जब कांग्रेस ने विभाजन सवीकार कर पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दूओं को मुसलिम आतंकवादियों के हाथों मरने के लिए अकेला छोड़ दिया तब RSS ने हिन्दूओं की रक्षा के लिए दिन-रात एक कर प्रयत्न किया।
कांग्रेस ने विभाजन के दौरान RSS द्वारा हिन्दूओं की रक्षा के लिए काम करने से चिढ़ कर RSS पर प्रतिबन्ध लगा दिया 1948 में कांग्रेस नें गांधी की हत्या का झूठा आरोप लगाकर देशभक्त संगठन RSS पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
RSS ने संबैधानिक तरीके से इसका विरोध किया । बाद में मजबूर होकर कांग्रेस को मानना पड़ा कि RSS का गांधी की हत्या में कोई हाथ नहीं है। परिमामस्वारूप प्रतिबन्ध हटा लिया गया। बैसे भी कांग्रेस जानती थी कि गांधी की हत्या के लिए नैहरू ही जिम्मेदार है ।
15 अगस्त 1947 को सांप्रदाय के आधार पर भारत का विभाजन होने के बाद जब पाकिस्तान और बंगलादेश को हिन्दूविहीन कर दिया गया तो भारत में मुसलमानों को रखने का कोई औचित्या नहीं था ।
उसवक्त कांग्रेस के अनेक देशभक्त लोगों ने बार-बार मुसलमानों को देश में न रहने देने की बकालत की थी फिर भी गद्दार कांग्रेसियों ने मुसलमानों को भारत में रखने का फैसला क्यों किया?
आज देश पर बार-बार हो रहे मुसलिम आतंकवादी हमलों के बाद आप समझ सकते हैं कि कौन सही था कौन गलत ?
अगर मुसलमानों को भारत में इस आधार पर रखा गया कि मुसलमान देशभक्त हैं और सर्वधर्मसम्भाव में विस्वास रखते हैं तो फिर वन्देमातरम् की चार पंक्तियों को छोड़ कर वाकी पंक्तियों को क्यों काट दिया गया?
जब भारत को हिन्दू राष्ट्र नहीं घोषित किया गया तो फिर देश में अल्पसंख्यकबाद के नाम पर धर्म के आधार पर कानून क्यों बनाए गए?
जब सारा देश एक है तो फिर कश्मीरघाटी के मुसलिमबहुल होने की बजह से जम्मु-कश्मीर में अलग संविधान, अलग कानून, धारा 370 क्यों ?
अलगावबाद से ग्रसित कांग्रेस द्वारा समस्या की जड़ मुसलिम पर्सनललॉ का बचाब
1955 में जब हिन्दू पर्सनल ला समाप्त कर हिन्दूओं को देश के संविधान के अनुसार जीवन यापन करने के लिए कहा गया तो फिर मुसलिम पर्नसनल ला को समाप्त कर क्यों मुसलमानों को संविधान के दायरे में नहीं लाया गया?
समाजिक बुराईयों के नाम पर हिन्दूओं की अनेक मान्याताओं पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया तो मुसलमानों में अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली बुराईयों पर प्रतिबंध क्यों नहीं?
जब संविधान में धर्मनिर्पेक्ष शब्द नहीं था तो 1977 में इसे संविधान में क्यों जोड़ा गया?
भारत में आज बहुत ही खतरनाक स्थिति बनती जा रही है अपने हिन्दूराष्ट्र भारत में विदेशी संस्कृति से प्रेरित मीडिया, खुद को सैकुलर कहलवाने वाले राजनीतिक दलों, बिके हुए देशद्रोही मानवाधिकार संगठनों, खुद को सामाजिक कार्यकर्त्ता कहलवाने वाले गद्दारों, भारत विरोधी आतंकवादियों व परजीवी हिन्दुविरोधी लेखकों का एक ऐसा सेकुलर गिरोह बन चुका है जो भारत को सांस्कृतिक व आर्थिक रूप से तबाह करने पर आमादा है। इस गिरोह को हर उस बात से नफरत है जिसमें भारतीय संस्कृति व राष्ट्रवाद का जरा सा भी अंश शेष है । यह गिरोह हर उस बात का समर्थन करता है जो देशद्रोही कहते या करते हैं । देशद्रोही मुसलिम आतंकवादियों व वामपंथी आतंकवादियों को बेचारा गरीब अनपढ़ व सत्ताया हुआ बताकर हीरो बनाता जा रहा है । सेवा के नाम पर छल कपट और अवैध धन का उपयोग कर भोले-भाले बनवासी हिन्दुओं को गुमराह कर उनमें असभ्य पशुतुल्य विदेशी सोच का संचार कर हिन्दुविरोधी-राष्ट्रविरोधी मानसिकता का निर्माण करने वाले धर्मान्तरण के ठेकेदारों को हर तरह का सहयोग देकर देश की आत्मा हिन्दू संस्कृति को तार-तार करने में जुटा है। यह गिरोह एक ऐसा तानाबाना बुन चुका है जिसे हर झूठ को सच व हर सच को झूठ प्रचारित करने में महारत हासिल है।
हम दाबे के साथ कह सकते हैं कि इस हिन्दुविरोधी देशद्रोहीगिरोह की क्रियाप्रणाली हमेशा मुसलिम आतंकवाद व धर्मांतरण समर्थक रही है इसमें भी खतरनाक कड़बी सच्चाई यह है कि इस हिन्दुविरोधी देशद्रोहीगिरोह ने कभी भारतीय संस्कृति के प्रतीकों का सम्मान करने वाले देशभक्त मुसलमानों व ईसाईयों जो खुद को हिन्दूसमाज का अभिन्न अंग व भारत को अपनी मां मानते हैं को न कभी प्रोत्साहन दिया न ही कभी उनका भला चाहा ।
इस हिन्दुविरोधी देशद्रोही गिरोह को अगर किसी की चिन्ता है तो उन मुसलिम आतंकवादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों की जो अपनी आवादी बढ़ाकर ,धर्मांतरण करवाकर , शान्तिप्रिय हिन्दुओं का खून बहाकर इस हिन्दूराष्ट्र भारत के फिर से टुकड़े कर इस्लामिक व ईसाई राज्य वनाने का षड़यन्त्र पूरा करने के लिए इस देशद्रोही सरकार का समर्थन पाकर अति उत्साहित होकर आगे बढ़ रहे हैं ।
यह गिरोह देश की रक्षा के लिए जान खतरे में डालकर जिहादी आतंकवादियों का सामना करने वाले देशभक्त सैनिकों,साधु-सन्तो व संगठनों से अपराधियों जैसा व्यवहार
कर रहा है और न जानें उनके लिए क्या-क्या अपशब्द प्रयोग रहा है।
RSS पर वार-वार हमला कांग्रेस सरकार की इसी देशविरोधी सोच का ही परिणाम है।
अगर आप ध्यान दें तो आज तक कांग्रेस सरकारों ने जितने भी नियम बनाए हैं उनका आधार कहीं न कहीं जाति-क्षेत्र-सांप्रदाय-भाषा-प्रांत हैं।नियम अलगाववादी अधार पर होने के कारण ही आज लोग जाति-क्षेत्र-सांप्रदाय-भाषा,-प्रांत के आधार पर संगठित होने को मजबूर हैं इसी बजह से आज सब के सब राजनीतिक दलों का आधार भी कहीं न कहीं जाति-क्षेत्र-सांप्रदाय-भाषा-प्रांत ही है परिणामस्वारूप भारत लगातार अन्दर से कमजोर होता जा रहा है।
जरा सोचो जब संविधान में समानता का अधिकार है तो फिर नियम जाति, क्षेत्र, सांप्रदाय, भाषा के आधार पर क्यों?
अलगावावदी मुसलिम लीग व धर्मांतरण के ठेकेदार आज भी हिन्दूविरोधी-देशविरोधी कांग्रेस के सांझीदार
आज भी कांग्रेस केरल में अलगाववादी मुसलिम लीग व उतर-पूर्व में अलगाववादी इसाई गिरोहों के साथ मिलकर सरकार बनाकर अलगावबाद को बढ़ाबा देती है।
केरल सरकार की इसी अलगाववादी मानसिकता से तंग आकर लबजिहाद से जुड़े मामलों में सरकार द्वारा मुसलिम आतंकवादियों का पक्ष लिए जाने के कारण माननीय उच्च न्यायालय के न्यायधीशों को कहना पड़ा कि लगता है कि सरकार नहीं चाहती कि लबजिहाद जैसे षडयन्त्रों से पिड़ीत लड़कियों को कभी न्याय मिल सके।
1984 में जब साहवानो केश में माननीय सर्वोच न्यायलया ने मुसलिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून पारित किया तो उसे ततकालीन कांग्रेस सरकार ने शरीयत का हबाला देकर रद्द कर दिया?
जिसके परिणामस्वारूप इसलाम के नाम पर प्रताड़ित की जा रही मां-बहनों को न्याय मिलने की उम्मीदों पर पानी फिर गया व मुसलिम अलगाववाद को नई ताकत मिली।
प्रखर देशभक्त सरदार बलभभाई पटेल जी का विरोध
1947 में भारत विभाजन के बाद भी जब कांग्रेस की सब इकाईयों ने प्रखर देशभक्त सरदार बलभभाई पटेल जी को प्रधानमन्त्री बनाने का एकजुट फैसला किया तब भी सब हिन्दूविरोधी-देशविरोधी कांग्रेसियों ने अंग्रेजों के इसारे पर एक कट्टर देशविरोधी-हिन्दूविरोधी नेहरू को विभाजित भारत का प्रधानमन्त्री बनाने में सफलता हासिल की जिसके परिणामस्वारूप देश के विभाजन की जड़ इसलाम को विभाजित भारत में न केवल रखा गया वल्कि विशेषाधिकार देकर भारत को फिर से लहुलुहान करने का वीज वो दिया गया ।
प्रखर देशभक्त क्रांतिकारियों का विरोध
आप सब जानते हैं कि जब-जब भी
शहीद भक्त सिंह
,
राजगुरू जी,
सुखदेव जी
,
चन्द्रशेखर आजाद जी
जैसे प्रखर देशभक्त क्रांतिकारियों का अत्याचारी आक्रमणकारी ईसायों(अंग्रेजों) से सामना हुआ तब-तब भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी कांग्रेसियों ने देशभक्त क्रांतिकारियों का साथ देने के बजाय देश के दुशमन सम्राज्यावादी ईसाईयों का साथ दिया।
कितने ही ऐसे देशभक्त क्रांतिकारी हैं जो तन-मन-धन से देश की खातिर लड़ते हुए अपनी लड़ाई को अंजाम तक इसलिए नहीं पहुंचा सके क्योंकि लड़ाई के अंजाम तक पहुंचाने से पहले ही वो गद्दार कांग्रेसियों की मुखवरी के परिणामस्वारूप सम्राज्यावादी ईसाई आतंकवादियों के हमलों के सिकार हो गय।
कौन नहीं जानत कि इन भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी कांग्रेसियों ने इन देशभक्त क्रांतिकारियों को देश के दुशमन ईसाईयों के इसारे पर आतंकवादी तक करार दे दिया।
अपनी हिन्दूविरोधी-देशविरोध की गद्दारी की परम्परा पर आगे बढ़ते हुए ही आज इटालियन अंग्रेज एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम कांग्रेस Petro dollar + Us Dollar मतलब कातिल मुसलिम आतंकवादियों के नेता साऊदी अरब व धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाई आतंकवादियों के नेता अमेरिका के ईसारे पर ही आज कांग्रेस भारत के हित में उठनेवाली हर आबाज को कुचल देने पर आमादा है।
ऐसा नहीं कि कांग्रेस ने 2004 से पहले कोई देशविरोधी-हिन्दूविरोधी कार्य नहीं किया लेकिन कांग्रसे पर इटालियन अंग्रेज एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी के कब्जे के बाद कांग्रेस लगातार हिन्दूविरोधी-देशविरोधी कार्यों को अन्जाम दे रही है।क्योंकि आज कांग्रेस सरकार पूरी तरह से एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम है इसलिए सरकार के हर देशविरोधी-हिन्दूविरोधी कार्य के लिए यही अंग्रेज जिम्मेदार है।
कांग्रेस का हाथ सुरक्षाबलों के बजाए गद्दारों के साथ
2004 में सता में आते ही कांग्रेस की सरकार ने अर्धसैनिक वलों के जवानों के देश की रक्षा की खातिर शहीद हो जाने पर उनके परिवारों को मिलने वाली आर्थिक सहायता को यह कहकर कम कर दिया कि सरकार के पास पैसे की कमी है लेकिन इसी सरकार ने कशमीरघाटी में भारतीय सेना पर हमला कर सैनिकों को घायल करने व मारने
वाले भारतविरोधी आतंकवादयों को 5-5 लाख रूपए दकेर सिद्ध कर दिया कि सरकार की नियत देशभक्त सैनिकों का हौसला तोड़कर गद्दारों का हौसला बढ़ाने की है।
मर्यदापुर्षोत्तम भगवान श्रीराम जी द्वारा बनाय गए श्रीलंका और भारत को जोड़ने वाले रामसेतु को
न तोड़ने से जुड़े एक मामले में कांग्रेस की हिन्दूविरोधी-देशविरोधी सरकार ने हल्फनामा देकर मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम जी के अस्तित्व पर प्रश्न खड़े कर एकवार फिर सिद्ध कर दिया कि कांग्रेस के अन्दर हिन्दू-संस्कृति वोले तो भारतीय संस्कृति के प्रति जहर किस हद तक भर चुका है।
यह वही कांग्रेस है जिसके नेता स्वर्गीय राजीब गांधी जी ने 1986 में खुद राममन्दिर में पूजा अर्चना कर अयोध्या में भव्य मन्दिर बनाने के कार्य को आगे बढ़ाया था लेकि आज यही कांग्रेस औरगंजेब व बाबर जैसे राक्षसों को अपना आदर्श मानकर अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम जी के मन्दिर को मसजिद करार दे रही है।
इसरतजहां मुठभेड़ में कांग्रेस का हाथ एकवार फिर भारतविरोधी आतंकवादियों के साथ
गुजरात में सुरक्षावलों ने लसकरे तैयवा की आतंकवादी इसरत जहां
को मुठभेड़ में मार गिराया। जिसके जनाजे में महाराष्ट्र के हजारों कांग्रेसियों के साथ समाजवादी पार्टी के गद्दार भी सामिल हुए।महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने इसरत जहां के परिवार को लाखों रूपए देने के साथ-साथ उसको निर्दोस भी बताया। हद तो तब हो गई जब महारष्ट्र एटीएस की जांच में व केन्द्री खुफिया ऐजैसियों की जांच में ये तथ्य सिद्ध हो गया कि इसरतजहां एक खूंखार आतंकवादी थी फिर भी कांग्रेस ने सुरक्षावलों का साथ देने के बजाए इस आतंकवादी का ही साथ दिया । अंत में एफबीआई(FBI) ने भी बताया कि हैडली जानता है कि इसरतजहां लसकरे तैयवा की आतंकवादी थी।
मतलब यहां भी कांग्रेस का हाथ गद्दार भारतविरोधी आतंकवादियों के साथ।
सोरावुद्दीन मुठभेड़ में कांग्रेस का हाथ एकवार फिर भारतविरोधी आतंकवादियों के साथ
गुजरात में भारतविरोधी आतंकवादी सोराबुद्दीन
सुरक्षावलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया।इस आतंकवादी के घर से एक दर्जन एक47 व दर्जनों हथगोले प्राप्त हुए। इस आतंकवादी को मारने के विरोध में कांग्रेस ने सीबीआई का दूरूपयोग करते हुए दर्जनों पुलिस अधिकारियों व जवानों को जेल में डाल दिया जो आज तक जेल में हैं। हद तो तब हो गई जब राज्य के गृहमन्त्री को भी जेल में डाल दिया गया।
मतलब यहां भी कांग्रेस का हाथ गद्दार भारतविरोधी आतंकवादियों के साथ।
कुपवाड़ा में आतंकवादियों से मुठभेड़ के बाद सैनिकों ने भारतविरोधी आतंकवादियों को मार गिराया। कांग्रेस ने आतंकवादियों की मौत से बौखलाकर मेजर को बर्खसात कर पूरी की पूरी बटालियन पर ही केस दर्ज कर आतंकवादियों को कांग्रेस का हाथ गद्दारों के साथ होने का सपष्ट प्रमाण दिया। एसा एकवार नहीं की वार हुआ जब कांगेस सरकार भारतीय सेना के बजाए आतंकवादियों के साथ कड़ी नजर आई।
मतलब यहां भी कांग्रेस का हाथ गद्दार भारतविरोधी आतंकवादियों के साथ।
कांग्रेस का हाथ भारतविरोधी आतंकवादी अफजल के साथ
जब माननीय न्यायलय ने लोकतन्त्र के मन्दिर संसद भवन पर हमला करने वाले आतंकवादी मुहम्मद अफजल
को फांसी की सजा सुनाकर 19 नम्मवर 2006 फांसी की तारीख तय(वेशक हमले का mastermind प्रोफैसर गिलानी कुलदीप नैयर जैसे नकबापोसों की सहायता से बच निकला) की तो लोकतन्त्र के इस इस मंदिर की रक्षा की खातिर शहीद हुए सैनिकों के परिवारजनों व आहत हुए देशभक्तों के मन में न्याय की उमीद पैदा कर दी तो फिर से भारतविरोधी आतंकवादियों की मददगार सरकार ने इस आतंकवादी की फांसी आज तक मतलब अगस्त 2011 तक रोककर कर एकवार फिर कांग्रेस के भारतविरोधी चरित्र का प्रमाण दे दिया ।
कांग्रेस का प्रखर देशभक्त RSS पर हमला
RSS पर वार-वार हमला कांग्रेस सरकार की इसी देशविरोधी सोच का ही परिणाम है। RSS ने कांग्रेस के हर उस कदम को विरोध किया है जो कांग्रेस ने देशहित के विरूद्ध उठाया। चाहे 1947 में सांप्रदाय के आधार पर भारत के विभाजन की षडयन्त्र हो या फिर 1977 में तानाशाही की बात हो या फिर 1992 में राम मन्दिर को मजजिद बताने की बात हो या पिर 2004 में विदेसी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी के प्रधानमन्त्री बनने की बात हो या पिर आज कशमीरघाटी को पाकिसतान के हवाले करने का षडयन्त्र हो।
सबसे पहले RSS ने कांग्रेस की देश से गद्दारी के विरोध में आबाज उठाई तो बदले में कांग्रेस ने भारतविरोधी मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए गय हमलों का दोश RSS के सिर मढ़कर RSS को आतंकवादी-सांप्रदायिक करार दे दिया।
कांग्रेस का प्रखर देशभक्त स्वामी रामदेव जी पर हमला
जब स्वादेशी और देशभक्ति के प्रेरणास्त्रोत स्वामी रामदेब जी ने सारे संसार में भारतीय संसकृति और आयुर्वैदिक चिकित्सा प्रणाली का झंडा पहराते हुए कांग्रेस की आका एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी व अन्य भ्रष्ट लोगों द्वारा विदेशों में जमा करवाय गए कालेधन व नेताओं द्वारा फैलाए गए भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया तो चोरों और गद्दारों की हमसफर व मददगार कांग्रेस सरकार ने स्वामी रामदेव जी को ही भ्रष्टाचारी , आतंकवादी व RSS का मुखौटा करार देकर उन्हें व उनके बालकृष्ण जी जैसे सहयोगियों को बदनाम करने के लिए सब सरकारी ऐजेंसियों को देशभक्त स्वामी राम देव जी व उनके सहयोगियों के पीछे लगा दिया।
कांग्रेस का प्रखर भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना हजारे जी पर हमला
जब अन्ना हजारे जी ने हजारे जी के साथ चल रहे अग्निवेश जैसे कांग्रेस के पुराने मित्रों के ईसारे पर स्वामी राम देव जी से नाता तोड़कर भ्रष्टाचार के विरूद्ध आबाज उठानी शुरू की तो पहले तो कांग्रेस ने हजारे जी के साथ बातचीत करने की कोशिश की । लेकिन जब कांग्रेस को ऐहसास हो गया कि कांग्रेस का समर्पण कांग्रेस के प्रति न होकर देश के प्रति है तो फिर भारतविरोधी कांग्रेस सरकार ने अन्ना हजारे जी पर भी हमला वोल कर उन्हें भी बलैकमेलर,भर्ष्टाचारी व RSS का मुखौटा करार देकर उनके पीछे भी सब सराकरी ऐजेंसियों को लगा दिया।
कांग्रेस का हाथ मानवताविरोधी आतंकवादी ओसामा-विन लादेन के साथ
कांग्रेस की असलियत को समझने के लिए इतना ही काफी है कि जो कांग्रेस स्वामी रामदेव जी व अन्ना हजारे जी जैसे प्रखर देशभक्त नागरिकों व RSS जैसे देशभक्त संगठनों को आतंकवादी,सांप्रदायिक,ठग,बलैकमेलर और न जाने क्या-क्या शब्द प्रयोग कर अपमानित करने व सरकारी ऐजेंसियों का प्रयोग कर समाप्त करने की कोशिश कर रही है वही कांग्रेश संसार के सबसे बढ़े राक्षश ओसामाविन लादेन
को ओसामा जी कहकर व इस आतंकवादी को मारने पर सवाल खड़े कर अपनी असलियत सबके सामने रख रही है।
औरंगजेब व बाबर जैसे अत्याचारी राक्षसों को अपना आदर्श मानकर मर्यदापुर्षोत्तम भगवान श्रीराम जी का विरोध करने वाली कांग्रेस व धर्मांतरण के ठेकेदार इसाईयों के बताए मार्ग पर चलकर भारतीय संसकृति का विरोध करने वाली कांग्रेस से भारत का हित चाहने की उम्मीद करना सरासर वेवकूफी है।
भारतीय संविधान सांप्रदाय के नाम पर आरक्षण की इजाजत नहीं देता। लेकिन कांग्रेस लगातार सांप्रदायिक आधार पर आरक्षण की न केवल बात कर रही है पर कई राज्यों में तो कांग्रेस ने संविधान का खून करते हुए सांप्रदायिक आधार पर आरक्षण लागू कर अपने भारतविरोधी स्वारूप को और सपष्ट कर दिया है।
2014 के चुनाबों से पहले हिन्दूओं और मुसलमानों को लड़ाने के लिए सांप्रदाय के आधार पर आरक्षण को आगे बढ़ाने की वका3लत करने वाली रंगनाथ मिश्रा रिपोर्ट इन्तजार कर रही है साथ ही Prevention of Communal and Targeted Violence Bill- 2011
एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम कांग्रेस इस हिन्दूविरोधी अंग्रेज के इसारे पर Prevention of Communal and Targeted Violence Bill- 2011 के नाम से एक ऐसा कानून बनाने जा रही है जो न केवल मुसमानों और ईसायों को हिन्दूओं के कतलयाम की खुली छूट देता है पर साथ ही भारतीय संविधान की समानता की मूल भावना का भी खून करता है ।
ये भारतविरोधी इटालियन अंग्रेज का भारतीय संविधान पर ताजा हमला है।
भारतविरोधी कांग्रेस का माननीय सर्वोच्च न्यायालय पर हमला
जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय
ने कांग्रेस को गद्दारी व चोरबजारी से रोकने की कोशिश की तो कांग्रेस ने माननीय न्यायालय पर ही हमला वोलते हुए माननीय न्यायालय को ही अपनी सीमा मे रहने मतलब कांग्रेस को चोर-बजारी व देश से गद्दारी करने से रोकने की कोशिश न करने की धमकी दे डाली।
ऐसा पहली बार नहीं है इससे पहले भी जब-जब माननीय न्यायलय ने कांग्रेस को संविधान का खून कर देश से गद्दारी करने से रोकने की कोशिश की है तब-तब भारतविरोधी कांग्रेस ने माननीय न्यायालय पर हमला वोलकर मानानीय न्यायधीसों को धमकाने की कोशिस की है।
भारतविरोधी कांग्रेस का संवैधानिक संस्था CAG हमला
जब CAG
ने कांग्रेस द्वारा इटालियन अंग्रेज एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी के नेतृत्व में देश को लूटने का कच्चा-चिट्ठा खोला तो कांग्रेस ने संबैधानिक संस्था CAG पर ही हमला वोल दिया।
एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी द्वारा विदेश यात्राओं पर देश का धन लुटाने पर आपति करने वाले अधिकारियों का कांग्रेस सरकार ने तबादला कर अपने भारत विरोधी चरित्र का एकवार फिर परिचय दे दिया।
जब अक्सर देशविरोधियों-हिन्दूविरोधियों की आबाज उठाने वाले Electronic Media ने चोरों और गद्दारों की कांग्रेस सरकार की चोरबजारी से तंग आकर चोरों और गद्दारों के विरूद्ध आबाज उठाकर जनता को जागरूक करना शुरू किया तो सरकार ने पहले तो हजारों करोड़ रूपए के विज्ञापन जारी कर खरीदने की कोशिश की जिसमें 100% सफलता न मिलने के बाद कांग्रेस ने मिडीया को भी धमकाना शुरू कर दिया।
अगर अब भी आप सोचते हैं कि चोरों और गद्दारों की कांग्रेस सरकार देशहित में आबाज उठाने वालों को न बदनाम करेगी , न उनपर हमला करेगी वल्कि देशभक्तों व क्रांतिकारियों के साथ सम्मानपूर्वक पेश आएगी तब तो आप …