मामला चाहे 4 जून की रात को रामलीला मैदान में कालेधन के विरूद्ध संघर्ष कर रहे देशभक्तों पर आधी रात को हमले का हो
आप देख लो कि किस तरह लोकतन्त्र के मन्दिर पर हमला करने वाले मानबता के कातिल को संविधान का हवाला देकर जिन्दा रखने की कोशिसें की जा रही हैं जो पिछले कई वर्षों से सफलतापू्वक जारी हैं।
आज जब अन्ना हजारे जी
बैसे भी ये संविधान वो संविधान नहीं है जो 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इस संविधान को सरकारों ने अपनी सुविधानुसार एक-दो वार नहीं वल्कि सैंकड़ों वार बदला है।
जब संविधान बना था तब हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्षता जैसी कोई ब्याबस्था संविधान में नहीं थी। देश के दुशमनों ने संविधान को तोड़मरोड़कर इस देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्र को संविधान का हिस्सा बनाया। जिसके परिणामस्वारूप आज इमाम बुखारी जैसे भारतविरोधी आतंकवादी वन्देमातरम् और भारत माता की जय जैसे देशभक्ति के उदघोषों को सांप्रदायिक करार देकर विना किसी खौफ के जिन्दा रह रहे हैं।
हद तो देखो कि जिस अन्दोलन से अग्निवेश
बैसे अगर आप के मन में थोड़ी भी मानबता वाकी है तो आप महसूस कर सकते हैं कि भारत के जिस हिस्से कशमीर घाटी में इन मुसलिम गद्दारों की संख्या अधिक हो गई उस हिस्से में इन राक्षसों ने किस तरह सेकुलर गिरोह की सहायता से हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाकर 60000 हिन्दूओं का कत्ल कर 500000 हिन्दूओं को वेघर कर दिया जो आज अपने ही देश में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं(सरकारों के पास भारतीय सैनिकों पर हमला करने वाले मुसलिम आतंकवादियों को देने के लिए 5-5 लाख रूपए तो हैं पर इनके लिए कुछ नहीं)।
जो सेकुलर गद्दार गुजरात में मुसलिम हमले की प्रतिक्रियस्वारूप मारे गए 1000 मुसलमानों(अच्छा होता न मुसलमान हमला करते न ये मारे जाते) के लिए दिन रात TV पर छाती पीटते रहते हैं क्या आपने इन गद्दारों को कभी मारे गय हजारों हिन्दूओं व वेघर हुए लाखों हिन्दूओं की पीड़ा पर कभी वोलते हुए देखा। नहीं न क्यों ? क्योंकि धर्मनिर्पेक्ष शब्द संविधान में जुड़ने के बाद सब गद्दारों को हिन्दूओं का कत्लयाम करने का मानो लाइसैंस(Learning Lisence) मिल गया हो। जिसे पक्का करने के लिए Prevention of Communal and Targeted Violence Bill- 2011 लाया जा रहा है ताकि भारतविरोधी आतंकवादियों को देशभक्तों का सफाया करने में कोई समस्या पेश न आए। मारे व उजाड़े गय हिन्दूओं का मुद्दा उठाना तो दूर जो हिन्दूओं की पीड़ा को व्यक्त करने की कोशिश भी करे उसे ये सेकुलर गद्दार एकदम से सांप्रदायिक करार दे देते हैं जिस तरह आज इस भ्रष्टाचार विरोधी अन्दोलन को सांप्रदायिक करार दिया जा रहा है।
ये सब किया जा रहा है इस संविधान के नाम का सहारा लेकर।
हमारे विचार में अब वक्त आ गया है कि इस संविधान को जो कि भ्रष्टाचारियों व गद्दारों की ढाल वन चुका है उसे आग लगाकर हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाए व देश में एक ऐसा संविधान बनाया जाए जो भारतीयों के लिए हो न कि हिन्दू-मुसलिम या ईसाई के लिए।
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