हम समझते हैं कि CWG गुलामी का प्रतीक है। CWG को भारत में करवाना तो दूर भारत को इस गुलामी की प्रतियोगिता में तब तक हिस्सा नहीं लेना चाहिए जब तक इसका प्रमुख UK की रानी की जगह Democratic Way में नहीं चुना जाता।
जिस किसी भी सरकार या व्यक्ति ने इन खेलों का भारत में करवाने का निर्णय किया वो जरूर गुलामी की मानसिकता का सिकार है।हम सबको मिलकर भारतीयों खासकर हिन्दूओं को 1947 से पहले वाली गुलामी की मानसिकता से बाहर निकालना होगा।
अब प्रश्न यह है कि जो लोग आज एंटोनिया की गुलाम UPA सरकार द्वारा एंटोनिया के इसारे पर किए गय भ्रष्टाचार को उजागर करने में दिनरात एक किए हुए हैं उनकी मानसिकता क्या है
हमारे विचार में किसी भी देशभक्त भारतीय की चिन्ता सिर्फ यह है कि जब गुलामी के प्रतीक खेल भारत में हो ही रहे हैं तो ये ठीक से हो जाने चाहिए।
इसलिए हमारी सब देशभक्त भारतीयों से से उमीद है कि वो CWG खेलों के समापन तक ऐसा कोई प्रयास नहीं करेंगे जिसे ये लगे कि वो विदेशियों के गुलाम Electronic Media के भारतविरोधी प्रोपेगंडे का सिकार हो चुके हैं।
क्योंकि Electronic Media को तो इसी बात के पैसे मिलते हैं कि वो भारत की जितनी बदनामी दुनिया के समाने कर सकता है उतनी करे अगर ऐसा न होता तो सांप की तसवीरें दिखाकर विदेशीयों को डराने की कमीनी कोशिश न की जाती।
खैर जो मिडीया चर्च के इसारे पर भौंकता हो उससे और उमीद भी क्या की जा सकती है। हमारे मन में सरकार या आयोजकों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं पर हमारे विचार में हम सबको अब संयम बर्तते हुए अपनी लेखनी पर विराम लगाना चाहिए CWG के मामले में।
आज अगर कोई देश में राष्ट्रवादी चैनल होता तो वो जरूर खेलगांव व अन्य तयारियों की साकारात्मक तसवीरें दिखाकर विदेशियों के मन में वयाप्त संकाओं को दूर करने की कोशिस करता। खेलों के वारे में दिखाकर नई पीढ़ी में रूची पैदा करता।
आओ इस कमी को हम सब मिलकर पूरी करने की कोशिस करें।
2 टिप्पणियां:
भारत जैसे देशों को इस प्रकार के आयोजनों से बचना चाहिए!
"हमारे विचार में किसी भी देशभक्त भारतीय की चिन्ता सिर्फ यह है कि जब गुलामी के प्रतीक खेल भारत में हो ही रहे हैं तो ये ठीक से हो जाने चाहिए।"
bilkul sahi soch aapki.
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