धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
रविवार, 19 सितंबर 2010
जला कर मार डालो इन भारतविरोधी आतंकवादियों व इनके समर्थकों को...
आप सब जानते हैं कि भारत में मुसलिम आतंकवाद का प्रवेश 7-8वीं शताब्दी में मुहम्मद विन कासिम के रूप में हुआ? तब से लेकर आज तक मुसलिम आतंकवादियों के हमले जारी हैं। इन हमलों के परिणामस्वारूप हिन्दू राष्ट्र भारत के कई विभाजन हो चुके हैं। क्या बजह है कि मुसलिम आतंकवादी हमलों में लाखों हिन्दूओं के कत्ल व करोड़ों के वेघर होने के बाबजूद हम आज तक मिुसलिम आतंकवाद का कोई ठोस समाधान न निकाल पाए?
आज तक मुसलिम आतंकवाद से बचे रहे पंजाब व हिमाचल को अब मुसलिम आतंकवादियों से वार-वार वम हमलों की चेतावनियां दी जा रही हैं। कभी सेना के प्रतिस्ठानों पर वम हमलों की तो कभी पाठशालाओं में कुरान न पढ़ाय जाने की सूरत में पाठशालाओं पर बम हमलों की।
ऐसा चेतावनी देने वाले पत्र इसबार शाहपुर व पठानकोट से जारी हुए हैं।मतलब हिमाचल व पंजाब में भी मुसलिम आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं। स्वाभाविक है कि ये कैंप जरूर किसी न किसी मस्जिद या मदरसे में चलाय जा रहे हों आखिर ये चेतावनियां कौन दे रहा है ? क्यों दे रहा है? इन हमलों से बचने का उपाय क्या है।
हमारे विचार में सबसे पहले तो देश में रहने वाले सब गैर मुस्लिमों खासकर हिन्दूओं को अपने आस-पास रहने वाले मुसलमानों पर निगाह रखनी चाहिए । उन्हें यह जानने का पूरा प्रयास करना चाहिए उनके आस-पास चलने वाले मदरसों व मसजिदों में क्या किया जा रहा है ?
बहुत मुमकिन है कि वहां पर आतंकवाद की ट्रेनिंग दी जा रही हो । किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर सबसे पहले अपने अन्य हिन्दू भाईयों को जागरूक करना चाहिए ।
अगर मुसलमानों में से भी किसी के भी इन आतंकवादी गतिविधियों में सामिल न होने के सम्भावना हो ते उन्हें भी साथ लेने की कोशिश करनी चाहिए।
सारे इन्तजाम हो जाने पर सब मुसलिम आतंकवादियों को उन मदरसों व मस्जिदों सहित आग के हवाले कर देना चाहिए । ऐसा करते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जानबूझकर किसी वेगुनाह का कत्ल न किया जाय पर यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी गुनाहगार शोर मचाने के लिए जिन्दा न बचने पाए।
अब मुसलिम आतंकवादियों व उनके ट्रेनिंग कैंपों के खत्म हो जाने के बाद बचे आम मुसलमानों को यथाशीघ्र अपने पैतृक धर्म में वापिस ले लेना चाहिए। हां ऐसा करते वक्त उनके मूल अधिकारों की जिम्मेदारी प्रमुख हिन्दूओं को अपने कन्धों पर उठानी होगी।
जो हिन्दू धर्म में वापिस आने से मना करें उन्हें किसी सुरक्षित क्षेत्र में चले जाने के लिए मजबूर कर देना चाहिए । परन्तु किसी भी हालात में किसी की भी मां-बहन-वेटी-बहू के साथ कोई बदसलूकी नहीं होनी चाहिए।
हमें यह समझना होगा कि मुसलिम आतंकवाद का मकसद गैर मुसलमानों का कत्ल कर इसलामी राज्य स्थापित करना है तो फिर उनके इस उद्देश्य को असफल करने के लिए इसलाम का नमोनिसान मिटाना आबस्यक है।
क्योंकि सदियों से हम इसलाम और आतंकवाद को अलग-अलग समझने की भूल कर हिंसा का सिकार होते आए हैं। हमें ये यह बात समझनी होगी कि इसलाम और मुसलिम आतंकवाद एक-दूसरे के प्रायवाची हैं।
जब तक मुसलिम कम संख्या में होते हैं तो हमें इसलाम नजर आता है लेकिन जिस दिन मुसलमानों की संख्या कत्लोगारद करने के काविल हो जाती है तो यही इसलाम मुसलिम आतंकवाद का रूप घारण कर लेता है।
इसलिए मुसलिम आतंकवाद से बचने के लिए इसलाम को खत्म करना हमारी मजबूरी है क्योंकि अगर हम इसलाम का खात्मा नहीं करेंगे तो इसलाम हमारा खात्मा सुनिस्चित कर देगा।
अगर विस्वास नहीं होता तो ध्यान करो देसभर में मुसलिम आतंकवादियों द्वारा हिन्दू बहुल क्षेत्रों व मन्दिरों पर बम हमले कर मारे गए हजारों हिन्दूओं का।इन हमलों में छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बढ़ों तक किसी को नहीं बख्शा गया।
ध्यान करो कशमीर घाटी में मुसलिम आतंकवादियों द्वारा मारे गए 60000 हिन्दूओं व उजाड़े गए 500000 हिन्दुओं का।
http://jagohondujago.blogspot.com/2010/07/blog-post.htmlध्यान करो आसाम व केरल में मारे गए व मारे जा रहे हिन्दूओं का ।ध्यान करो केरल सहित सारे दक्षिण भारत में हिन्दू लड़कियों को अपवित्र करने के लिए चलाए जा रहे लब जिहाद का।
1)http://www.hindujagruti.org/news/6389.html
2)http://samrastamunch.blogspot.com/2010/05/ibn7.html
3)http://islamicterrorism.wordpress.com/2009/03/10/love-jihad-in-kerala-how-islamofascists-trap-hindu-girls-and-convert-them/
4)http://in.christiantoday.com/articles/church-warns-of-love-jihad-in-kerala/4623.htm
अगर ये सब काफी न हो तो जरा सोचो कि जिस दिन आपके आस-पास रहने वाले मुसलमान आतंकवादी वन जायेंगे तो आपका आपके बच्चों का --- आपकी बहू वेटियों का व आपका वो क्या हश्र करेंगे ?
आओ मिलकर यह प्रण करें कि अब हम मुसलिम आतंकवादियों की हिंसा का और सिकार नहीं होंगे इससे पहले कि इसलाम हमारे गिरेवान तक पहुंचे हम इसलाम का अपने आस पड़ोस से नमोनिशान मिटा देंगे।
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8 टिप्पणियां:
सुनील जी...आज तो सारा रोष ही उड़ेल दिया ब्लॉग पर!
हमें सब कुछ रौंदना नहीं है....बस कुछ कचरा बहार फैंकना है!रोष में होश को तो संभालना ही पड़ेगा!नहीं तो जोश का अधिकतम दुरूपयोग होने का अंदेशा बना रहता है...
कुंवर जी,
देश की स्थिति बहुत ही शोचनीय!
शाश्त्री जी से सहमत।
कुंवर जी आप ठीक कह हे हैं पर अगर हम मुसलमानों द्वरा देशभर में चलाये जा रहे कत्लोगारद पर ध्यान दें तो इसके सिवाए और कोई रास्ता नहीं दिखता।
सुनील दत्त जी नमस्ते
आपने बहुत सटीक ही लिखा है हम यह नहीं चाहते की खून-खराबा हो सभी को भारत भक्ति करनी चाहिए कश्मीर में तो लगता है की सेकुलरिस्टो और बामपंथियो ने कैथोलिक सोनिया क़े नेतृत्वा में कोई न कोई समझौता कर लिया है ----देश को अब एक भी इंच जमीन गवाना स्वीकार नहीं ,आपने बहुत ठीक ही कहा है की मुसलमान तो सब क़े सब हिन्दुओ की ही संताने है इनको आपने धर्म में सामिल करना ही मात्र बिकल्प है आवस्यकता है की हम अपनी पाचन क्रिया को ठीक करे यह भी ठीक है की जिन्हें यह देश अच्छा नहीं लगता उन्हें बेझिझक ही देश छोड़कर जहा भी जाना चाहे जाय..
एक अच्छे लेख क़े लिए धन्यवाद.
राष्ट्र को इकत्र करने के लिए फिर से एक विष्णुगुप्त चाहिए .... फिर से एक सरदार पटेल चाहिए...
समय मिले तो यह भी पढ़िए
कैसे गूंगा भारत महान जिसकी कोई राष्ट्रभाषा नहीं ?
मेरी दो कविताएँ हमारी मातृभाषा को समर्पित :
१. उतिष्ठ हिन्दी! उतिष्ठ भारत! उतिष्ठ भारती! पुनः उतिष्ठ विष्णुगुप्त!
http://pankaj-patra.blogspot.com/2010/09/hindi-diwas-rashtrabhasha-prakash.html
२. जो मेरी वाणी छीन रहे हैं, मार डालूं उन लुटेरों को।
http://pankaj-patra.blogspot.com/2010/09/hindi-diwas-matribhasha-rashtrabhasha.html
– प्रकाश ‘पंकज’
आतंवादीयो के साथ तो सख्ती होनी ही चाहिए
सुनील जी
भारत में मुसलमानों के लिए वही कानून लागू होना चाहिए जो प्रत्येक इस्लामिक देशों में गैरमुसलमानों के लिए लागू हैा इस देश के नेताओं को यदि अक्ल आ जाय तो मुझे लगता है नब्बे फीसदी इस देश की समस्या हल हो जायेगी
वन्देमातरम
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