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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

सोमवार, 10 जून 2013

अडवानी जी नहीं चाहिए हमें सेकुलर भाजपा.....हिन्दुत्वनिष्टों को अपने इरादों को चट्टान की तरह मजबूत बनाना होगा वरना अडवानी जी की तरह अन्त में यही कहना पड़ेगा...दुविधा में दोनों गए न ... मिली न राम


मित्रो आप जानते हैं कि जब दमदमी टकसाल जैसे सिख संगठनों में चुनाब होते हैं तो सरेआम तलावारों,गोलियों और करपाणों से लड़ाई होती है तब जाके ऐसे नेता आगे आते हैं जो सिखों पर हमला होते ही उनकी रक्षा ब बदला लेने के लिए सिरधड़ की बाजी लगा देते हैं और रक्षा करने में सफल भी होते हैं...दूसरी तरफ हिन्दूओं में एक आदत सी बन गई है कोई भी जिम्मेदारी लेने से पहले नखरे मारने की और तब तक जिम्मेदारी किसी गैर हिन्दू के पास या फिर अयोग्य वयक्ति के पास जा चुकी होती है...यही कारण है कि काँग्रेस में आज भी हिन्दूओं की संख्या 90% से अधिक होने के बाबजूद काँग्रेस के कर्ताधरता सोनिया गाँधी की Core Committee( 1)Advij Antonia Albeena Mino,2)A K Antony,3)Ahamad Patel…) में एक भी हिन्दू नहीं सबकेसब गैर हिन्दू....1996 से पहले भाजपा का ऐजेंडा विलकुल साफ था सांस्कृतिक राष्ट्रबाद लेकिन 1996 से 1998 के बीच सेकुलर अटल ने अडवानी जी को एक ऐसी पटखनी दी कि पता नही नहीं चला कि कब अडवानी जी के विरोध के बाबजूद भाजपा सेकुलर हो गई ...तब से पटरी से उतरी हुई भाजपा अब जाकर 2013 में लगभग 14 वर्ष के वनवास के बाद फिर से अपनी मूल विचारधारा हिन्दूत्व की ओर लौटने का सफल प्रयास करती हुई प्रतीत हो रही है...जिसका नेतृत्व एकदम से लगभग 20 वर्ष जवान होकर मोदी जी जैसे कुशल प्रबन्धक के हाथो में आने को आतुर है.... लेकिन 14 वर्ष के इस अन्तराल में हिन्दुत्व के लौहपुरूष अब धर्मनिर्पेक्षता के हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी मकड़जाल में ऐसे उलझे हुए नजर आ रहे हैं कि उन्हें भाजपा का अपनी मूल विचारधार की ओर लौटना नागंवार गुजर रहा है....बहुत से परजीवि भाजपा के सता में न आने पर अपनी चिन्ता जता रहे हैं ...हम उनसे जानना चहते हैं कि जब देश में पहले ही दर्जनों सेकुलर गद्दार पार्टियां हिन्दूओं को लहुलुहान कर भारत को खत्म करने पर तुली हुई हैं तो ऐसे में एक औक सेकुलर पार्टी के दौड़ में आ जाने से क्या फर्क पड़ने वाला है इससे तो हिन्दूओं पर हमला और तेज होगा और हिन्दूओं के हित में कोई आबाज उठाने वाला भी नहीं होगा...हम तो सिर्फ इतना चाहते हैं कि भाजपा इन सेकुलर गद्दारों से डटकर मुकाबल करते हुए चुनाब हार भी जाए तो कोई बात नहीं लेकिन एक भी हिन्दू पर सेकुलर गद्दारों द्वारा पोषित इसलामिक और वामपंथी  आतंकवादियों के हमले के बाद भाजपा लोकसभा, राज्यसभा और देशभर में हिन्दूओं की पीड़ा को आबाज तो दे...घर-घर जाकर हिन्दू समरसता अभियान चलाय...पिछले 10 वर्षों की तरह खामोश तो न रहे... 2004 से 2013 तक इन 10 वर्षों में सेकुलर गद्दारों की सरकार ने जिस तरह आतंकवादियों को जेलों से छोड़कर उनकी जगह निर्दोश हिन्दूओं, सिपाहियों और सैनिकों को जेलों में डाला, हिन्दूओं के बच्चों के हक छीन कर गैर हिन्दूओं के हबाले किए और अडवानी, सुषमा,जेटली जैसे सेकुलर नेताओं ने उफ तक न की ये दर्शाने के लिए काफी है कि धर्मनिर्पेक्षता का एक ही अर्थ है और वो है हिन्दूओं का लहू बहाना...हिन्दूओं के हक छीनकर गैर हिन्दूओं के हवाले करना ...इसलिए अडवानी जी हमें नही चाहिए सेकुलर भाजपा ...हमें जरूरत है हिन्दुत्वनिष्ठ भाजपा की जो हिन्दूओं पर लगातार हो रहे इस हमले के वक्त कम से कम हिन्दूओं के साथ कन्धे से कन्धा मिलकर खड़ी तो रहे क्योंकि हम अच्छी तरह जानते हैं कि  ये धर्मनिर्पेक्षता नहीं गद्दारी है देशद्रोह है हिन्दूविरोध है शैतानीयत है। नहीं चाहिए हिन्दुओं को ऐसी धर्मनिर्पेक्षता जो हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ कर हिन्दुओं का खून बहाकर फलतीफूलती है आज इसी वजह से जागरूक हिन्दू इस धर्मनिर्पेक्षता की आड़ में छुपे हिन्दूविरोधियों को पहचान कर अपनी मातृभूमि भारत से इनकी सोच का नामोनिशान मिटाकर इस देश को धर्मनिर्पेक्षता द्वारा दिए गये इन जख्मों से मुक्त करने की कसम उठाने पर मजबूर हैं….

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