मित्रो हमें बहुत
दुख है कि बामपंथी आतंकवादियों के प्रखर विरोधी व देशभक्त नेता महेन्द्र कर्मा जी
शहीद हो गए वो भी वामपंथी आतंकवादियों के हाथों ।जो वाकी लोग मारे गए उनमें से भी
अधिकतर निर्दोष थे जिनका केन्द्र सरकार की आतंकवाद समर्थक नीतियों से कोई बास्ता
नहीं था। लेकिन बामपंथी आतंकवादियों का ये कोई पहला हमला नहीं ...इससे पहले भी ये
वामपंथी आतंकवादी दर्जनों हमले कर चुके हैं लेकिन इससे पहले इन आतंकवादियों के
हाथों एक साथ इतने नेता कभी नहीं मारे गए...इससे पहले वामपंथी आतंकवादियों के
हमलों में सबसे ज्यादा सुरक्षा बलों के जवान और आम लोग मारे गए
(अब तक हुए हमले:-17 जुलाई, 2007: करीब 800 हथियारबंद नक्सलियों ने दंतेवाड़ा में हमला किया। 25 मरे, 32 घायल हुए और 250 लोग लापता हो गए।-मार्च 2008 में सांसद बलीराम कश्यप के काफिले पर हमला ।-मार्च 2008 में वन मंत्री विक्रम उसेंडी के काफिले पर हमला।-जुलाई, 2009: राजनंदगांव में 28 सुरक्षाकर्मियों की सुरंग विस्फोट कराकर हत्या।-26 सितंबर, 2009: भाजपा सांसद बलिराम कश्यप की जगदलपुर में हत्या।-अप्रैल, 2010: माओवादियों ने 73 सीआरपीएफ जवानों की हत्या कर दी।-17 मई, 2010: नक्सली धमाके में 14 विशेष पुलिस अधिकारी समेत 35 लोग मारे गए।-अक्टूबर 2011 को विधायक डमरूधर पुजारी के निवास पर धावा ।-जुलाई, 2011 को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के काफिले पर हमला ।-अक्टूबर, 2011: बस्तर में छह सुरक्षाकर्मियों की हत्या।-जुलाई, 2011: दंतेवाड़ा में 10 पुलिसकर्मियों की हत्या।-अगस्त, 2011: नक्सली हमले में 11 पुलिसकर्मी मारे गए।-जनवरी, 2012 में विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर हमला ।-मई, 2012 में महिला बाल विकास मंत्री लता उसेंड़ी के बंगले में हमला ।-अप्रैल, 2012 में संसदीय सचिव महेश गागड़ा के काफिले पर हमला ।-नवंबर, 2012 में पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा के बुलेटफ्रूफ वाहन पर हमला।-12 मई, 2013: सुकमा में दूरदर्शन केंद्र पर हमला। चार जवान शहीद।) ......
अगर हम थोड़ा
ध्यान से मुल्यांकन करें तो पायेंगे कि सुरक्षा बलों में भर्ती होने वाले अधिकतर
जवान आम आम परिवारों से ही होते हैं ...यही बजह है कि युवराज और महारनी की गुलामी
की मानसिकता बाले सेकुलर गद्दारों और मिडीया को ये हमले मामूली हमले नजर आए ...वरना ऐसे कैसे हो सकता था कि
मिडीया और सेकुलर गिरोह 73 जवानों को
जिन्दा जलाने की घटना को सबसे बड़ा हमला कहने के बजाए ...12 नोताओं के मारे जाने
को सबसे बड़ा हमला कहता...मित्रो अगर सरकार ने सैनिकों , सिपाहियों और आम जनता को
इनसान माना होता तो आज नेताओं का इस तरह कत्ल न होता लेकिन बहुत दुख से कहना पड़ता
है कि सेकुलर गिरोह ने देशभक्तों को हराने के लिए आतंकवादियों को ही अपना वोट बैंक
मान लिया है इसीलिए तो इस गिरोह की सरकार 100000 निर्दोश देशभक्त जनता पर तो रात
के अन्धेरे(4 जून रामलीला मैदान) में हमला करवा सकती है लेकिन देश के दुशमन
आतंकवादियों के लिए इस सकार की हर तरह की ममता हिलोरे लेने लगती है...आपको याह
होगा इसी सरकार के गृहमन्त्री ने भारतविरोधी वामपंथी और इसलामिक आतंकवादियों को
अपना भाई बताया था...आपको याद होगा कि दिल्ली में आतंकवादियों को मारने के बाद
शहीद होने वाले शहीद मोहनचन्द शर्मा को किस तरह अपमानित किया गया और किस तरह सलमान
खुर्शीद के अनुशार मारे गए इसलामिक आतंकवादियों के लिए सोनिया गाँधी फूट-फूट कर
रोई....इसी तरह लन्दन में हिथरो हबाई अड़्डे पर हमले के आरोप में पकड़े गए इसलामिक
आतंकवादी की मनमोहन सिंह को इतनी चिन्ता
हुई कि उसे सारी रात नींद न आई...आम लोगों से गद्दारी यहीं रूक जाती तो गनीमत थी
...लेकिन देश से गद्दारी नहीं रूकी आपको याद होगा कि जब छतीसगढ़ सरकार ने वामपंथी
आतंकवाद के मास्टर मांईड विनायक सेन को पकड़ा और उस पर देशद्रोह का मुकद्दमा चलाया
तो सारे सेकुलर गिरोह ने एकजुट होकर उसको छुडवाने के लिए जोर लगा दिया और केन्द्र
सरकार के सहयोग से उसे छुड़वाने में सफलता भी हासिल कर ली...मित्रो हद तो तब हो गई
जब इस वामपंथी आतंकवादी विनायक सेन को सोनिया गांधी ने अपनी सलाहकार परिषद में
सामिल कर लिया मतलब उस परिषद में जिसके ईसारे पर केन्द्र सरकार काम कर रही है अब
जब सरकार ही आतंकवादियों के इसारे पर काम करेगी तो वो आतंकवादियो की तरह देशभक्त
लोगों पर हमला वोलेगी और आतंकवादियों का बचाब करेगी ...वही हो रहा है आतंकवादियों
के हमले में मारे गए कांग्रेसियों व उनके परिजनों की मुसीबतों के लिए आतंकवादियों
को अपना मित्र बनाने वाली सोनिया गाँधी है न कि कोई और...आपको याद होगा कि जब
गृहमन्त्री P Chidambaram वामपंथी आतंकवादियों से निपटने के लिए योजना लागू करने लगे तो किस तरह
दिगविजय सिंह जैसे सोनिया गांधी के समर्थकों ने उनकी योजना की सार्वजनिक रूप से
अलोचना कर उस पर दबाब बनाकर उसे रूकवा दिया ...इसी तरह राज्य सरकार द्वारा जब कभी
भी आतंकवादियों के बिरूद्ध कार्यवाही की गई तो बजाए सरकार के साथ खड़े होने के सोनिया
गांधी आतंकवादियों के साथ खड़ी हो गई...आप सबको पता होगा कि पिछले 9 वर्षों में
जिस किसी ने भी आतंकवादियों को मारा या फिर आतंकवादियों के बिरूद्ध जुवान खोली वो
सब आज जेल में हैं हैरानी की बात तो ये है कि आतंकवादियों को मारने वाले सैनिकों
तक को न बख्सा गया...पुलिस की तो ताकत ही क्या है...और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर
जैसे लोगों जो आतंकवादियों के बिरूद्ध सिर्फ बोलते थे तक को जेलों में बन्द कर दिया...आगे
भी कोई आतंकवादियों भारतविरोधियों के बिरूद्ध न वोल सके इसका पक्का प्रबन्ध करने
के लिए Communal Violence Act 2011
लाया गया...Encounter Specialists तक को न बख्सा गया...आज मोदी जी को छोड़कर सतापक्ष और विपक्ष में एक भी बड़ा नेता
ऐसा नहीं जिसका खौफ आतंकवादियों को हो क्योंकि SAUDI ARBIA & US
से मिलने वाले DOLLAR से मालामाल होकर सबकेसब नेता
सेकुलर(भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी) हो लिए...अब तो लगता है चीन ने भी इनकी जेबें
बरना शुरू कर दिया है ...मित्रो बुरा न मानना यही बास्तविकता है कि गाँधीबाद और
धर्मनिर्पेक्षता की आड़ में इन सब सेकुलर नेताओं ने भारत की समस्याओं को इस हद तक
उलझा दिया है कि अब हालात गृहयुद्ध की तरफ तेजी से बढ़ते जा रहे हैं और अगर इन
सेकुलर गद्दारों को न रोका गया तो सब भारतविरोधी आतंकवादी एकसाथ हमला वोलकर भारत
में कुछ भी करने की ताकत हासिल कर चुके हैं इसका सबसे बड़ा प्रमाण है राहुल विन्शी
का दोस्त अकबरूद्दीन ओबैसी जो बारबार खुलेआम कह रहा है कि हमारी पार्टी वेशक छोटी
है लेकिन हमने पूरे भारत को बम धमाके तरके हिला दिया है और हम जब चाहें तब
हिन्दूओं का कत्ल कर भारत को खत्म कर दें ..मजेदार बात ये कि इसके बाद भी ये
आतंकवादी जेल में होने के बजाए अपनी विधानसभा और लोकसभा सदस्यता बरकरा रखते हुए
खुलेआम घूम रहे हैं .....बैसे भी 16 लाख सेना वाली सरकार जिस आतंकवादी के साथ खड़ी
हो जाए उस आतंकवादी को कौन हाथ डाल सकता है...मित्रो 16 लाख की सेना वाली ये सरकार
जब आतंकवादियों के बिरद्ध खड़ी हो जाएगी तब आतंकवादियों और उनके समर्थकों का
नमोनिसान तक वाकी न बचेगा...एकवार सच्चे देसभक्त को चुनकर तो देखो
2 टिप्पणियां:
क्यों नहीं सेना को इन्हें ख़त्म करने का जिम्मा दे दिया जाए!
बहुत से बुद्धिजीवी कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि हमारे देश की सेना हमारे देश के नागरिको के ही विरुद्ध गोलिया चलाए!
तो क्या नक्सली विदेशियों को अपना शिकार बना रहे है!कुछ नुक्सान होगा देश का भी पर भला ज्यादा होगा सैनिक कार्यवाही का, मुझे तो ऐसा ही लगता है!
कुँवर जी,
हम आपसे सहमत हैं लेकिन इसी पर तो सेकुलर गिरोह की राजनीति टिकी हुई है
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