धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
शनिवार, 31 दिसंबर 2011
रविवार, 25 दिसंबर 2011
मक्कार सेकुलर गद्दारो Happy Crishmiss कहने से पहले ईसाईयों के हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी कुकर्मों का तो जरा संज्ञान ले लो…
आप किस सांप्रदाय के साथ कैसे सबन्ध ऱखना चाहते हैं इस वारे में हिन्दू संसकृति किसी तरह का कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाती लेकिन जिस तरह से मानबता के हत्यारे इसाई भारत को लहुलुहान करने के मकसद से भारत के मूल श्रीमद भगवत गीता पर प्रहार कर रहें हैं उसे देखते हुए जरूरी नहीं कि आप इन दुष्टों को बधाई दें।
http://samrastamunch.blogspot.com/2011/12/blog-post_24.html
अगर सिर्फ बात यहीं तक होती तो हम कहते कि चलो कहने-सुनने से क्या फर्क पड़ता है लेकिन बात इससे भी कहीं आगे की है। अगर विस्वास नहीं होता तो आप इसे पढ़कर निर्णय कर लें। यहां पढ़ें
कुछ वर्ष पहले हमने एक ईसाई से किसी तरह एक पुस्तक हासिल की जिसका शीर्षक है “ और स्नातन पर्वत गिर गया”। मतलब ये ब्याभिचारी ईसाई भारत से स्नातन को हमेशा के लिए समाप्त करने के स्वपन देखने लग पड़े हैं जानते हो क्यों ? क्योंकि आप जैसे सेकुलर जाने अनजाने इन भारतविरोधी हिन्दूविरोधी ईसाई मिसनरियों के ऐजेंट बन चुके हैं ।
आप सबको याद होगा कि किस तरह उड़ीसा में इन ईसाईयों ने बयोबृद्ध सन्त को मौत के घाट उतार ईसाई बहुल क्षेत्रों में दंगे भड़काकर सारे संसार में हिन्दूओं को बदनाम करने का पुरजोर प्रयत्न किया जिसमें राहुल विन्सी से लेकर एडवीज एंटोनिया तक सबके सब भारतविरोधी- हिन्दूविरोधी सामिल थे। इसेस पहले ये धूर्त ऐसे ही हथकण्डे अपनाकर उतरपूर्व के अधिकतर हिस्सों से हिन्दूओं को खदेड़ चुके हैं।
क्या आपने कभी उन शहीदों के वारे में सोचा जो इन धूर्त फिरंगियों की गोलियों का सिकार होकर जलियांवाला बाग में मारे गए?
क्या आपने कभी भारतीयों की आजादी को प्रयासरत उन क्रंतिकारियों के वारे में सोचा जिन पर इन अत्याचारियों ने अमानविय जुल्म ढाय?
क्या आपने उन बच्चों के वारे में आपने सोचा जिनका ईसाई पादरियों ने चर्च के अन्दर यौन शोषण कर उन्हें जिन्दगी शुरू होने से पहले ही कभी न भरे जाने वाले जख्म दे दिए?
आज भी ये दुष्ट ईसाई सारे भारत में लोगों को लालच ,भय व अन्य ओछे हथकण्डे अपनाकर धर्मांतरण करवाकर मां को बच्चों से ,पत्नि को पति से व भाई को भाई से जुदा कर उनकी जिन्दगी में आग लगा रहे हैं।
अगर नहीं सोचा तो आगे से Happy Crishmiss कहने से पहले जरूर सोच लेना….
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अगर सिर्फ बात यहीं तक होती तो हम कहते कि चलो कहने-सुनने से क्या फर्क पड़ता है लेकिन बात इससे भी कहीं आगे की है। अगर विस्वास नहीं होता तो आप इसे पढ़कर निर्णय कर लें। यहां पढ़ें
कुछ वर्ष पहले हमने एक ईसाई से किसी तरह एक पुस्तक हासिल की जिसका शीर्षक है “ और स्नातन पर्वत गिर गया”। मतलब ये ब्याभिचारी ईसाई भारत से स्नातन को हमेशा के लिए समाप्त करने के स्वपन देखने लग पड़े हैं जानते हो क्यों ? क्योंकि आप जैसे सेकुलर जाने अनजाने इन भारतविरोधी हिन्दूविरोधी ईसाई मिसनरियों के ऐजेंट बन चुके हैं ।
आप सबको याद होगा कि किस तरह उड़ीसा में इन ईसाईयों ने बयोबृद्ध सन्त को मौत के घाट उतार ईसाई बहुल क्षेत्रों में दंगे भड़काकर सारे संसार में हिन्दूओं को बदनाम करने का पुरजोर प्रयत्न किया जिसमें राहुल विन्सी से लेकर एडवीज एंटोनिया तक सबके सब भारतविरोधी- हिन्दूविरोधी सामिल थे। इसेस पहले ये धूर्त ऐसे ही हथकण्डे अपनाकर उतरपूर्व के अधिकतर हिस्सों से हिन्दूओं को खदेड़ चुके हैं।
क्या आपने कभी उन शहीदों के वारे में सोचा जो इन धूर्त फिरंगियों की गोलियों का सिकार होकर जलियांवाला बाग में मारे गए?
क्या आपने कभी भारतीयों की आजादी को प्रयासरत उन क्रंतिकारियों के वारे में सोचा जिन पर इन अत्याचारियों ने अमानविय जुल्म ढाय?
क्या आपने उन बच्चों के वारे में आपने सोचा जिनका ईसाई पादरियों ने चर्च के अन्दर यौन शोषण कर उन्हें जिन्दगी शुरू होने से पहले ही कभी न भरे जाने वाले जख्म दे दिए?
आज भी ये दुष्ट ईसाई सारे भारत में लोगों को लालच ,भय व अन्य ओछे हथकण्डे अपनाकर धर्मांतरण करवाकर मां को बच्चों से ,पत्नि को पति से व भाई को भाई से जुदा कर उनकी जिन्दगी में आग लगा रहे हैं।
अगर नहीं सोचा तो आगे से Happy Crishmiss कहने से पहले जरूर सोच लेना….
शनिवार, 24 दिसंबर 2011
चोरों-लुटेरों और गद्दारों की भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार का असर अब रूस में भी।
जैसा कि आप सब जानते हैं कि रूस के साइबेरिया प्रांत के तोमसक शहर में चर्च ने स्थानीय न्यायालय में भारत की प्राण श्रीमद भगवत गीता पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का सहारा लिया है।दुनिया भर में गैर ईसाईयों का खून बहाने वाले, चर्चों में बच्चों का यौन शोषण करने वाले, नारी को उपभोग की बस्तु मानकर उसको प्रताड़ित करने वाले व गैर ईसाईयों को ईसाई वनाने मतलब धर्मांतरण के लिए हर तरह के मानबीय मूल्य का खून करने वाले चर्च ने न्यायालय में मानबता की रक्षा की गारंटी श्रीमद भगवत गीता को उग्रवादी सहित्य बताया है ।
चर्च द्वारा की गई इस घिनौनी हरकत का हमें क्या जबाब देना चाहिए इसपर चर्चा तो हम अगले लेख में करेंगे लेकिन आज हम उन सेकुलर गद्दारों (कुछ सेकुलर गद्दारों की सच्चाई यहां पढ़ें।) की चर्चा करेंगे जिनके भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी कुकर्मों की बजह से भारत को ये दिन देखने पड़ रहे हैं।
हम सब जानते हैं कि किस तरह भारतविरोधी ताकतों ने चर्च की ऐजेंट एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत में plant कर भारत को तबाह करने का षडयन्त्र रचा । आप इस बात से भी परिचित हैं कि किस तरह 2004 से भारत में इस विदेशी ऐजेंट की गुलाम सरकार एक के बाद एक ऐसा काम कर रही है जिससे हिन्दूओं को कमजोर व बदनाम किया जा सके।
जहां एक तरफ ये चोरों की सरगना एंटोनिया भारत को लूट कर सारा धन विदेशों में जमा करवाकर भारत को आर्थिक रूप से कमजोर कर रही हैं वहीं दूसरी तरफ इसकी गुलाम सरकार एक तो चोरों के बिरूद्ध आबाज उठाने वाले स्वामी राम देब जी व अन्ना जी जैसे देशभक्तों पर जुल्म ढा रही है वहीं दूसरी तरफ हिन्दूओं के अधिकारों को छीनकर गैर हिन्दूओं के हबाले कर हिन्दूओं के बच्चों के पेट पर लात मार रही है।
इतने से भी जब इस भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार का मन नहीं भर रहा है तो संसार को शांति का पाठ पढ़ाने वाले हिन्दूओं को ही ये सरकार आतंकवादी करार देकर असली आतंकवादियों को बचाने का काम कर रही है।
जहां एक तरफ ये भारतविरोधी सरकार भारतविरोधी आतंकवादियों को जेलों से छोड़कर उन्हें लाखों रूपए दे रही है वहीं दूसरी तरफ ये हिन्दूविरोधी सरकार निर्दोष हिन्दूओं व सैनिकों को विना किसी प्रमाण के जेलों में रखकर न केवल उन्हें प्रताड़ित कर रही है वल्कि हिन्दूओं को उग्रवादी करार देकर सारे संसार में बदनाम भी कर रही है।
इस बिदेशी की गुलाम भारतविरोधी –हिदूविरोधी सरकार के दुष्प्रचार का ही परिणाम है कि आज रूस में भारत की प्राण श्रीमद भगवत गीता को उग्रवादी सहित्य करार देकर उस पर प्रंतिबन्ध की तैयारी है।
चर्च द्वारा की गई इस घिनौनी हरकत का हमें क्या जबाब देना चाहिए इसपर चर्चा तो हम अगले लेख में करेंगे लेकिन आज हम उन सेकुलर गद्दारों (कुछ सेकुलर गद्दारों की सच्चाई यहां पढ़ें।) की चर्चा करेंगे जिनके भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी कुकर्मों की बजह से भारत को ये दिन देखने पड़ रहे हैं।
हम सब जानते हैं कि किस तरह भारतविरोधी ताकतों ने चर्च की ऐजेंट एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत में plant कर भारत को तबाह करने का षडयन्त्र रचा । आप इस बात से भी परिचित हैं कि किस तरह 2004 से भारत में इस विदेशी ऐजेंट की गुलाम सरकार एक के बाद एक ऐसा काम कर रही है जिससे हिन्दूओं को कमजोर व बदनाम किया जा सके।
जहां एक तरफ ये चोरों की सरगना एंटोनिया भारत को लूट कर सारा धन विदेशों में जमा करवाकर भारत को आर्थिक रूप से कमजोर कर रही हैं वहीं दूसरी तरफ इसकी गुलाम सरकार एक तो चोरों के बिरूद्ध आबाज उठाने वाले स्वामी राम देब जी व अन्ना जी जैसे देशभक्तों पर जुल्म ढा रही है वहीं दूसरी तरफ हिन्दूओं के अधिकारों को छीनकर गैर हिन्दूओं के हबाले कर हिन्दूओं के बच्चों के पेट पर लात मार रही है।
इतने से भी जब इस भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार का मन नहीं भर रहा है तो संसार को शांति का पाठ पढ़ाने वाले हिन्दूओं को ही ये सरकार आतंकवादी करार देकर असली आतंकवादियों को बचाने का काम कर रही है।
जहां एक तरफ ये भारतविरोधी सरकार भारतविरोधी आतंकवादियों को जेलों से छोड़कर उन्हें लाखों रूपए दे रही है वहीं दूसरी तरफ ये हिन्दूविरोधी सरकार निर्दोष हिन्दूओं व सैनिकों को विना किसी प्रमाण के जेलों में रखकर न केवल उन्हें प्रताड़ित कर रही है वल्कि हिन्दूओं को उग्रवादी करार देकर सारे संसार में बदनाम भी कर रही है।
इस बिदेशी की गुलाम भारतविरोधी –हिदूविरोधी सरकार के दुष्प्रचार का ही परिणाम है कि आज रूस में भारत की प्राण श्रीमद भगवत गीता को उग्रवादी सहित्य करार देकर उस पर प्रंतिबन्ध की तैयारी है।
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गुरुवार, 22 दिसंबर 2011
मुसलिम आरक्षण के विना आप लोकपाल के वारे में सोच भी कैसे सकते हैं?
आज हमारे बहुत से भ्रष्टाचार विरोधी भारतीय सिर पर हाथ रखकर रो रहे हैं कि उन्होंने किससे पंगा ले लिया है। कुमार विस्वास जी की स्थिति को देखकर तो ऐसा ही लगता है।इन भ्र्ष्टाचार विरोधियों ने वो ख्वाब देखा है जिसकी कल्पना आज तक किसी ने भी नहीं की थी। इन भ्रष्टाचार विरोधियों ने सोचा कि आज तक कांग्रेस द्वारा जाति-सांप्रदाय- भाषा-क्षेत्र-के आधार विभाजित भारतीयों को वो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक साथ लाकर पहले मुगलों, फिर अंग्रेजों और अब काँग्रेस द्वारा संचालित फूट डालो और राज करो के षडयन्त्र को हमेशा के लिए खत्म कर देंगे।
लेकिन आज काँग्रेस ने फूट डालो और राज करो का वो दांव खेला जिसका इन भ्रष्टाचारविरोधियों के पास अभी तक कोई तोड़ नहीं दिखता।
जो मिडीया कल तक लोकपाल पर चर्चा को वेचैन था वही मिडीया आज इस्लामिक आरक्षण पर जमकर बहस करवा रहा है क्योंकि सरकार ने काले धन से संचालित मिडीया को भी जोकपाल विल की परिधि में रखा है। मिडीया की इस दुखती रग को छूने का जिम्मा एंटोनिया ने सौंपा था लालू प्रसाद यादब को ।जिसे लालू ने बखूबी निभाया भी।
यही नहीं लालू ने सब भ्रष्ट सांसदों का समर्थन उन्हें व सब लुटेरों की सरगना एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो को होने का दाबा भी किया।
कुल मिलाकर आज जब भारत में ISI +KGB + CIA के ऐजंट मिलकर सरकार चला रहे हों तो हमारी खोपड़ी में ये नहीं बैठता कि कोई भी समझदार व्यक्ति ऐसी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार से भारत हित की उम्मीद भला कैसे कर सकता है?
इन भ्रष्टाचारविरोधियों के नेताओं स्वामी जी व अन्ना जी को सोचना चाहिए कि इन्होंने किस आधार पर भ्रष्टाचार व गद्दारी की जननी कांग्रेस से ऐसी उम्मीद कर डाली जो अन्तोत्वगत्व कांग्रेस के ही बिनाश का कारण बन सकती है।
क्या अन्ना जी व स्वामी जी को नहीं पता कि आज के प्रधानमन्त्री वही कर रहे हैं जो उन्हें बिदेशी विषकन्या एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो से आदेश मिल रहे हैं।
चलो मान लेते हैं कि ये सरकार KGB + CIA की बातें ताकतबर देशों के दबाब में मान रही है लेकिन अगर ये सरकार गद्दारों की नहीं तो फिर ये पाकिस्तान जैसे बिफल इस्लामिक रिपबलिक की ऐजेंसी ISI के इसारे पर क्यों काम कर रही है?
अभी हाल ही में अमेरिका में पकड़े गए ISI सरगना गुलामनबी फई ने अमेरीकी कोर्ट में इस सरकार के कई मन्त्रियों के साथ सबन्ध होने की बात कबूली है। यही नही आरेप हरीश खरे पर भी लगे हैं हरीश खरे प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं। वेशक हरीश खरे ने ISI के साथ किसी भी तरह के सबन्ध होने से मना किया है । बैसे हम भी अभी तक हरीश खरे के विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं ढूंढ पाए हैं लेकिन अगर FBI की जांच में हरीश खरे का नाम आया है तो इसे नकारा भी नहीं जा सकता ।
हरीश खरे के निजी तौर पर सबन्ध हों या न हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों वो जिस प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं वो ही भारतविरोधी ISI ऐजेंट की तरह काम कर रहा है।
ISI के आदेश पर ISI ऐजेंट राजेन्द्र सच्चर को सचर कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ISI के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को वैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना, (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें) ISI के आदेश पर दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार जैसे ISI ऐजेंटों को कशमीर पर ISI के षडयन्त्रों को बैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए कमेटी का सदस्य बनाना, शर्म अलसेख में पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना जिसके अनुसार भारत को पाकिस्तान के बलूचीस्तान में आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया गया ,भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,मुसलिम बहुल जिलों के विकाश की बात कर मुसलमानों को अपनी जनसंख्य बढ़ाने को उकसाना,सुरक्षाबलों को आतंकवादी घटना के बाद इस्लामिक आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने को कहना,पाठशाला में प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना यहां तक कि SC,ST,OBC के बच्चों को भी वन्चित करना, हिथरो हबाई अडडे पर बम धमाका करने वाले इस्लामिक आतंकवादी के पकड़े जाने पर प्रधानमन्त्री को नींद नहीं आना और रामलीला मैदान में निर्दोष देशभक्तों पर हमला करवाना व उसे जायज ठहराना, CBI का दुरूपयोग कर इसरत जहां व सोराबुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों को जेलों में ढलवाना , सांप्रदायिक हिंसा विल के माध्यम से मुसलमानों व मुसलिम आतंकवादियों के हर अपराध के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराने का षडयन्त्र रचना,सेना को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का षडयन्त्र रचना जैसे कुकर्म कोई देशभक्त भारतीय तो कर नहीं सकता न ही करवा सकता है ऐसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी काम तो भारत का शत्रु यानी ISI ऐजेंट ही कर/करवा सकता है। (हम अच्छी तरह जानते हैं कि मनमोहन में इतना साहस नहीं कि वो देश से इतनी बढ़ी गद्दारी करे जिसके परिणामस्वारूप देश का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है लेकिन प्रधानमन्त्री बने रहने के लालच में एक विदेशी विषकन्या के इसारे पर भारत का सर्वनाश करने के षडयन्त्र रचने के अपराध से इस भारतविरोधी को मुक्त नहीं किया जा सकता।)
अब आप ही बताओ ऐसे हालात में मुसलिम आरक्षण के विना आप लोकपाल के वारे में सोच भी कैसे सकते हैं?
लेकिन आज काँग्रेस ने फूट डालो और राज करो का वो दांव खेला जिसका इन भ्रष्टाचारविरोधियों के पास अभी तक कोई तोड़ नहीं दिखता।
जो मिडीया कल तक लोकपाल पर चर्चा को वेचैन था वही मिडीया आज इस्लामिक आरक्षण पर जमकर बहस करवा रहा है क्योंकि सरकार ने काले धन से संचालित मिडीया को भी जोकपाल विल की परिधि में रखा है। मिडीया की इस दुखती रग को छूने का जिम्मा एंटोनिया ने सौंपा था लालू प्रसाद यादब को ।जिसे लालू ने बखूबी निभाया भी।
यही नहीं लालू ने सब भ्रष्ट सांसदों का समर्थन उन्हें व सब लुटेरों की सरगना एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो को होने का दाबा भी किया।
कुल मिलाकर आज जब भारत में ISI +KGB + CIA के ऐजंट मिलकर सरकार चला रहे हों तो हमारी खोपड़ी में ये नहीं बैठता कि कोई भी समझदार व्यक्ति ऐसी भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी सरकार से भारत हित की उम्मीद भला कैसे कर सकता है?
इन भ्रष्टाचारविरोधियों के नेताओं स्वामी जी व अन्ना जी को सोचना चाहिए कि इन्होंने किस आधार पर भ्रष्टाचार व गद्दारी की जननी कांग्रेस से ऐसी उम्मीद कर डाली जो अन्तोत्वगत्व कांग्रेस के ही बिनाश का कारण बन सकती है।
क्या अन्ना जी व स्वामी जी को नहीं पता कि आज के प्रधानमन्त्री वही कर रहे हैं जो उन्हें बिदेशी विषकन्या एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो से आदेश मिल रहे हैं।
चलो मान लेते हैं कि ये सरकार KGB + CIA की बातें ताकतबर देशों के दबाब में मान रही है लेकिन अगर ये सरकार गद्दारों की नहीं तो फिर ये पाकिस्तान जैसे बिफल इस्लामिक रिपबलिक की ऐजेंसी ISI के इसारे पर क्यों काम कर रही है?
अभी हाल ही में अमेरिका में पकड़े गए ISI सरगना गुलामनबी फई ने अमेरीकी कोर्ट में इस सरकार के कई मन्त्रियों के साथ सबन्ध होने की बात कबूली है। यही नही आरेप हरीश खरे पर भी लगे हैं हरीश खरे प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं। वेशक हरीश खरे ने ISI के साथ किसी भी तरह के सबन्ध होने से मना किया है । बैसे हम भी अभी तक हरीश खरे के विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं ढूंढ पाए हैं लेकिन अगर FBI की जांच में हरीश खरे का नाम आया है तो इसे नकारा भी नहीं जा सकता ।
हरीश खरे के निजी तौर पर सबन्ध हों या न हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों वो जिस प्रधानमन्त्री के मिडीया सलाहकार हैं वो ही भारतविरोधी ISI ऐजेंट की तरह काम कर रहा है।
ISI के आदेश पर ISI ऐजेंट राजेन्द्र सच्चर को सचर कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ISI के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को वैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना, (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें) ISI के आदेश पर दलीप पांडगौंकर+राधा कुमार जैसे ISI ऐजेंटों को कशमीर पर ISI के षडयन्त्रों को बैधानिक दर्जा दिलवाने के लिए कमेटी का सदस्य बनाना, शर्म अलसेख में पाकिस्तान के साथ एक ऐसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करना जिसके अनुसार भारत को पाकिस्तान के बलूचीस्तान में आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया गया ,भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का,मुसलिम बहुल जिलों के विकाश की बात कर मुसलमानों को अपनी जनसंख्य बढ़ाने को उकसाना,सुरक्षाबलों को आतंकवादी घटना के बाद इस्लामिक आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही न करने को कहना,पाठशाला में प्रवेश लेने पर मिलने वाली छात्रवृति को सिर्फ गैर हिन्दूओं तक सीमित करना यहां तक कि SC,ST,OBC के बच्चों को भी वन्चित करना, हिथरो हबाई अडडे पर बम धमाका करने वाले इस्लामिक आतंकवादी के पकड़े जाने पर प्रधानमन्त्री को नींद नहीं आना और रामलीला मैदान में निर्दोष देशभक्तों पर हमला करवाना व उसे जायज ठहराना, CBI का दुरूपयोग कर इसरत जहां व सोराबुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को मार गिराने वाले जवानों को जेलों में ढलवाना , सांप्रदायिक हिंसा विल के माध्यम से मुसलमानों व मुसलिम आतंकवादियों के हर अपराध के लिए हिन्दूओं को दोषी ठहराने का षडयन्त्र रचना,सेना को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का षडयन्त्र रचना जैसे कुकर्म कोई देशभक्त भारतीय तो कर नहीं सकता न ही करवा सकता है ऐसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी काम तो भारत का शत्रु यानी ISI ऐजेंट ही कर/करवा सकता है। (हम अच्छी तरह जानते हैं कि मनमोहन में इतना साहस नहीं कि वो देश से इतनी बढ़ी गद्दारी करे जिसके परिणामस्वारूप देश का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है लेकिन प्रधानमन्त्री बने रहने के लालच में एक विदेशी विषकन्या के इसारे पर भारत का सर्वनाश करने के षडयन्त्र रचने के अपराध से इस भारतविरोधी को मुक्त नहीं किया जा सकता।)
अब आप ही बताओ ऐसे हालात में मुसलिम आरक्षण के विना आप लोकपाल के वारे में सोच भी कैसे सकते हैं?
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बुधवार, 21 दिसंबर 2011
Networking Sites पर पावंदी की ओर सरकार के बढ़ते कदम…
जैसा कि आप सब जानते ही हैं कि आजकल कांग्रेस के कुछ गुलाम मानसिकता के सिकार नेता अपनी आका एटवीज एंटोनिया अलवीना माइनो व इस्लामिक आतंकवादी हजरत मोहम्द की असलियत को ब्यान करती तसवीरों को लेकर इतने बौखला गए हैं कि इस बौखलाहट में वो भूल चुके हैं कि उनके द्वारा किया जा रहा Networking Sites का विरोध उनको नय उबरते तालिवानियों के रूप में सारे संसार के सामने ला रहा है।
यह वही कांग्रेस है जो भारतीय संस्सकृति के हर अपमान को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का नाम देकर हमेशा ईसाई व इस्लामिक भारतविरोधियों के समर्थन में खड़ी नजर आई।
बैसे कांग्रेस के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी रबैए को देखते हुए किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए लेकिन हमें फिर भी उस वक्त बहुत हैरानी हुई जब मानबता के कातिल आतंकवादी ओसामाविन लादेन को ओसामा जी कहने वाली कांग्रेस ने भारतीय संस्कृति के ध्वजबाहक व सचे सन्त स्वामी रामदेव जी को ठग कहकर अपमानित किया और भ्र्ष्टाचार के घोर विरोधी अन्ना जी को नीचे से उपर तक आपतिजनक शब्दों में भ्रष्ट बताकर अपमानित किया।
तब इन गुलाम कांग्रेसियों को ये होश नहीं आया कि इन जांबाजों के करोड़ों समर्थकों की भावनाओं को ठेश पहुंच सकती है।
लेकिन लुटेरों और गद्दारों की सरगना व उसके गुलाम का नाम आते ही इन्हें भावनाओं का ख्याल सता रहा है।
ऐसा नहीं कि इनकी भावनाओं को लहुलुहान करने के लिए हमारे पास शब्दों या फिर विषयों की कमी है लेकिन हम ये सोच कर कि हम भी इनकी तरह अगर तर्क की जगह कुतर्क का ही सहारा लेंगें तो हमारे विचारशील पाठक हमें बख्सेंगे नहीं।
खैर ज्यादा विषयांतर न करते हुए हम उस विषय पर आ रहे हैं जिसने हमें ये गर्मागरम लेख लिखने पर मजबूर किया। अभी-अभी हमने ZEE NEWS सहित अनेक चैनलों पर ये समाचार सुना कि दिल्ली के रोहणी कोर्ट ने सभी Networking Sites को धार्मिक भावनाओं को ठेश पहुंचाने वाली हर प्राकर की सामग्री को हटाने का आदेश दिया है।
क्योंकि यह आदेश हर किसी की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखने के इरादे से दिया गया है इसलिए हमारे पास माननीय न्यायलय का समर्थन करने के अलावा कोई और मार्ग नहीं है।
लेकिन हमें ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि कई वार सरकारें अपनी मनमानी चलाने के लिए वकीलों व जजों को दबाब में लाकर अपना गंदा खेल आगे बढ़ाने के लिए माननीय न्यायलय का दुरूपयोग करती हैं।
अगर ये आदेश इसी गंदे खेल का हिस्सा है तब तो हमें सचेत होकर इसका विरोध करना चाहिए लेकिन अगर ये मनबता के की रक्षा के लिए दिया गया है तो इसका अध्ययन करने की जरूरत है।
हमारे विचार में भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी PRINT व ELECTRONIC MEDIA के विकल्प के रूप में उभरती Networking Sites को अभी किसी भी तरह की रोक-टोक से मुक्त रखा जाना चाहिए ता3कि हमारे जैसे आम लोग भी अपनी प्रतिक्रिया ताकतवर लोगों तक पहुंचा सकें।हम अच्छी तरह जानते हैं कि सबकीसब Networking Sites सिर्फ ईसाईयों द्वारा ही चलाई जा रही हैं।
लेकिन अपनी चोरी और गद्दरी का पर्दाफास होने से बौखलाए कांग्रेसी कोई भी हथकण्डा अपनाकर इन को अपने इसारे पर चलाने के लिए मतलब इनको भी भारतविरोधी बनाने के लिए प्रयासरत है।
आओ मिलकर Networking Sites की आजादी सुनिस्चित करें वरना सरकार का हर कदम Networking Sites पर पावंदी की ओर आगे बड़ रहा।
यह वही कांग्रेस है जो भारतीय संस्सकृति के हर अपमान को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का नाम देकर हमेशा ईसाई व इस्लामिक भारतविरोधियों के समर्थन में खड़ी नजर आई।
बैसे कांग्रेस के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी रबैए को देखते हुए किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए लेकिन हमें फिर भी उस वक्त बहुत हैरानी हुई जब मानबता के कातिल आतंकवादी ओसामाविन लादेन को ओसामा जी कहने वाली कांग्रेस ने भारतीय संस्कृति के ध्वजबाहक व सचे सन्त स्वामी रामदेव जी को ठग कहकर अपमानित किया और भ्र्ष्टाचार के घोर विरोधी अन्ना जी को नीचे से उपर तक आपतिजनक शब्दों में भ्रष्ट बताकर अपमानित किया।
तब इन गुलाम कांग्रेसियों को ये होश नहीं आया कि इन जांबाजों के करोड़ों समर्थकों की भावनाओं को ठेश पहुंच सकती है।
लेकिन लुटेरों और गद्दारों की सरगना व उसके गुलाम का नाम आते ही इन्हें भावनाओं का ख्याल सता रहा है।
ऐसा नहीं कि इनकी भावनाओं को लहुलुहान करने के लिए हमारे पास शब्दों या फिर विषयों की कमी है लेकिन हम ये सोच कर कि हम भी इनकी तरह अगर तर्क की जगह कुतर्क का ही सहारा लेंगें तो हमारे विचारशील पाठक हमें बख्सेंगे नहीं।
खैर ज्यादा विषयांतर न करते हुए हम उस विषय पर आ रहे हैं जिसने हमें ये गर्मागरम लेख लिखने पर मजबूर किया। अभी-अभी हमने ZEE NEWS सहित अनेक चैनलों पर ये समाचार सुना कि दिल्ली के रोहणी कोर्ट ने सभी Networking Sites को धार्मिक भावनाओं को ठेश पहुंचाने वाली हर प्राकर की सामग्री को हटाने का आदेश दिया है।
क्योंकि यह आदेश हर किसी की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखने के इरादे से दिया गया है इसलिए हमारे पास माननीय न्यायलय का समर्थन करने के अलावा कोई और मार्ग नहीं है।
लेकिन हमें ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि कई वार सरकारें अपनी मनमानी चलाने के लिए वकीलों व जजों को दबाब में लाकर अपना गंदा खेल आगे बढ़ाने के लिए माननीय न्यायलय का दुरूपयोग करती हैं।
अगर ये आदेश इसी गंदे खेल का हिस्सा है तब तो हमें सचेत होकर इसका विरोध करना चाहिए लेकिन अगर ये मनबता के की रक्षा के लिए दिया गया है तो इसका अध्ययन करने की जरूरत है।
हमारे विचार में भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी PRINT व ELECTRONIC MEDIA के विकल्प के रूप में उभरती Networking Sites को अभी किसी भी तरह की रोक-टोक से मुक्त रखा जाना चाहिए ता3कि हमारे जैसे आम लोग भी अपनी प्रतिक्रिया ताकतवर लोगों तक पहुंचा सकें।हम अच्छी तरह जानते हैं कि सबकीसब Networking Sites सिर्फ ईसाईयों द्वारा ही चलाई जा रही हैं।
लेकिन अपनी चोरी और गद्दरी का पर्दाफास होने से बौखलाए कांग्रेसी कोई भी हथकण्डा अपनाकर इन को अपने इसारे पर चलाने के लिए मतलब इनको भी भारतविरोधी बनाने के लिए प्रयासरत है।
आओ मिलकर Networking Sites की आजादी सुनिस्चित करें वरना सरकार का हर कदम Networking Sites पर पावंदी की ओर आगे बड़ रहा।
शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011
विदेशों द्वारा Plant किए जा रहे इस विस्फोटक को कौन निष्क्रिए करेगा?---संदर्भ NGOs के माध्यम से धर्मांतरण, आतंकवाद, अलगाववाद, दाननबाधिकार, हिन्दूविरोध-देशविरोध व धर्मनिर्पेक्षता के लिए 50,000 करोड़ रूपए।
आज भारत में शायद ही कोई ऐसा नागरिक होगा जिसने आतंकवाद, धर्मांतरण, गैर - लाभकारी स्वैच्छिक संगठन, धर्मनिर्पेक्षता, अलगाववाद, मानबाधिकार, बुद्धिजीवि, हिन्दूविरोध-देशविरोध का नाम नहीं सुना होगा। लेकिन ऐसे बहुत ही कम होंगे जो ये जानते हों कि इन सब की जड़ में एक ही है और वो है विदेशी षडयन्त्र।
1947 में लेड़ी माऊंटवेटन को हथियार बनाकर नेहरू का उपयोग कर भारत का विभाजन करवाने के बाद अंग्रेजों ने ये मान लिया कि उन्होंने एक हिन्दू राष्ट्र भारत को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। लेकिन 70 का दशक आते-आते इन बिदेशियों को ये सपष्ट हो गया कि भारत एकवार फिर राख से उठ खड़ा हुआ। ये वही दशक है जब इन्दिरा गाँधी ने बिदेशी दबाब के आगे न झुकते हुए परमाणु बिस्फोट कर भारत को ताकतबर राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा कर दिया।
लेकिन ये बो वर्ष भी है जब विदेशी ताकतों ने ओछे हथकंडे अपनाकर इन्दिरा गांधी को भारत का संविधान बदलने पर मजबूर कर दिया। इन विदेशी ताकतों ने एक सोची समझी रणनिती के तहत हिन्दूओं को कमजोर करने के लिए पैसे व ताकत के बल पर भारतीय संविधान में धर्मनिर्पेक्ष शब्द जुड़वा दिया जो कि भारत की सर्वधर्मसम्भाव की धारणा के विलकुल विपरीत है।
अगर आप भारत के हालात पर गहरी नजर डालेंगे तो पायेंगे कि भारत के संविधान में धर्मनिर्पेक्ष शब्द जुड़ने के साथ ही भारत में गैर - लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों के नाम पर हिन्दूविरोधियों-भारतविरोधियों का एक ऐसा कुनबा तैयार होने लगा जिसने भारत में अलगाववाद व आतंकवाद को जन्म देने के साथ-साथ धर्मांतरण की गति बढ़ाते हुए सेकुलर गद्दारों की एक ऐसी फौज खड़ी की जो आज खुलकर भारत की एकता और अखण्डता को ललकार रही है।
वेशक इन भारतविरोधियों की गतिविधियां 70 के दशक में शुरू हुईं लेकिन 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण ने इन भारतविरोधियों के लिए बलबर्धक का काम किया।उसके बाद तो इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों को तो मानो पंख लग गए क्योंकि अब विदेशों से इन्हें पैसा मिलना विलकुल आसान भी हो गया और ज्यादा भी मिलने लगा। इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों को पंख लगने के साथ ही अलगाववाद, आतंकवाद, धर्मांतरण ,मानबाधिकारबाद और देशविरोध-हिन्दूविरोध को भी पंख लग गए।
कुल मिलाकर आज भारत में राष्ट्रबाद इतना कमजोर हो गया है कि एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम सरकार इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से भारत में सचर कमेटी रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा कमेटी रिपोर्ट, 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill, 2011 जैसे षडयन्त्रों के माध्यम से भारत के मूल निवासियों मतलब हिन्दूओं को उनके मूल अधिकारों से भी वंचित करने का दुहसाहस कर रही है।
क्या आपने कभी सोचा कि ये सब किसके बल पर हो रहा है। ये सब हो रहा है बिदेशी ताकतों के बल पर । इन बिदेशी ताकतों ने अपने भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए भारत में कुल मिलाकर 23000 गैर- लाभकारी स्वैच्छिक गिरोहों
http://www.onlinenews.com.pk/details.php?id=186705 का निर्माण किया हुआ है जिन्हें पिछले पांच वर्षों में ही 50,000 करोड़ से अधिक रूपए मिल चुके हैं भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को अन्जाम देने के लिए।
इसमें सिर्फ US,UK,Nitherland, Italy जैसे ईसाई देशों से धर्मांतरण व आतंकवाद के माध्यम से भारत के इसाईकरण के लिए प्राप्त हो रहा पैसा ही सामिल है जबकि इस्लामिक आतंकवाद समर्थक केन्द्र सरकार ने साऊदी अरब जैसे इस्लामिक देशों से मदरसों , मस्जिदों व आतंकवाद के माध्यम से भारत के इसलामीकरण के लिए दिए जा रहे पैसे के वारे में कोई जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं करवाई है। जिस दिन वो जानकारी आपके सामने आएगी याकीन मानो आपके पैरों तले जमीन नहीं रहेगी।
अगर आप इन गैर- लाभकारी स्वैच्छिक गिरोहों में उन संगठनों को भी जोड़ लें जिनका नियन्त्रण सीधे चर्च के हाथ में है व उन गिरोहों को भी जिनका सीधे इस्लामिक देशों के हाथों में है तो ये शंख्या करोड़ों में पहुंच जाती है व इन गिरोहों को मिलने वाला धन भी अरबों रूपए हो जाता है।
अगर आपको ये आंकड़े जानकर हैरानी हो रही है तो हम आपको बताते चलें कि जो सरकार हमेशा इन भारतविरोधी गिरोहों की मददगार रही है उसी के अनुसार भारत में इन गिरोहों की शंख्या 20 लाख से अधिक है व ये गिरोह भारत में आतंकवादियों के मददगार हैं। इसलिए केन्द्र सरकार का गृह विभाग इन भारतविरोधी गिरोहों की जांच करवा रहा ।
http://www.hindustantimes.com/News-Feed/newdelhi/MHA-eye-on-NGOs-funding-terrorists/Article1-779211.aspx
वेशक ये जांच आज कुछ गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों के भ्रष्टाचार विरोधी अन्दोलन में कूदने की बजह से करवाई जा रही है, लेकिन इस सच्चाई को तो नहीं नकारा जा सकता कि भारत के अधिकतर टैलीविजन चैनल,पत्रकार ,समाचार पत्र व गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठनों जिसमें मनबाधिकार संगठन व अल्पसंख्यक अधिकार संगठन भी सामिल है, विदेशों के इसारे पर भारतविरोधी महौल बनाने में जुटे हुए हैं। अगर आपको भरोसा नहीं होता इन सेकुलर गद्दारों की सच्चाई यहां पढ़ें।
ऐसा नहीं कि सब के सब गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठन भारतविरोधी हैं
http://www.freemalaysiatoday.com/2011/12/09/ngos-want-indian-as-malacca-cm/
लेकिन क्योंकि इनमें से अधिकतर भारतविरोधी हैं इसलिए अब ये आम धारणा बनती जा रही है कि सबके सब गैर- लाभकारी स्वैच्छिक संगठन कहीं न कहीं विदेशियों के इसारे पर भारत को अस्थिर करने की दिन-रात कोशिस कर रहे हैं वो भी चन्द टुकड़ों के लालच में आकर।
गौतम नबलखा ,तीसता शीतलबाड़,कुलदीप नैयर,राजेन्द्र गोपाल सच्चर,राधा कमार, अग्निवेश, प्रशांत भूषण,मनमोहन सिंह जैसे भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी विदेशियों के पैसे पर पलने वाले वो गद्दार हैं जो भारत को तहस-नहस करने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।
अब वक्त आ गया है कि सबके सब बलागर ऐसे एक-एक गद्दार पर निगाह रखकर इन सब भारतविरोधियों का कच्छा चिट्ठा खोलकर NGO नामक विस्फोटक को समय रहते निशक्रिए करें वरना वो दिन दूर नहीं जब ये NGO भारत में गृह युद्ध का कारण बनेंगे।
आओ मिलकर इस खतरे के बारे में अपने देशवासियों को जागरूक करें।
बुधवार, 7 दिसंबर 2011
Mr Sibal अगर भारत माता को Nude दिखाना ठीक तो फिर सोनिया गांधी को Nude दिखाना गलत कैसे?
आप सबने देखा होगा कि किस तरह भारत माता और हिन्दू देवी देबताओं के पतिजनक चित्र बनाने वाले MFHussain का कांग्रेसी नेताओं ने ये कहकर समर्थन व बचाब किया कि हिन्दूओं की आस्था से खिलवाड़ कर हिन्दूओं की भावनाओं पर चोट करना अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है।
जब सच्चा अरबी होने के नाते MFHussain ने एक गैर इस्लामिक देश भारत के बजाए एक इस्लामिक देश को अपनी अंतिम सांस लेने के बाद मृत देह को दफनाने के लिए चुना तो कांग्रेसियों ने आसमान सिर पर उठा लिया और MFHussain द्वारा बनाई गई आपतिजनक paintings से आहत भारतीयों खासकर हिन्दूओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराकर हिन्दूओं को तालिवीनी तक करार दे दिया ।
लेकिन आज वहीं कांग्रेसी कह रहे हैं कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की आपतिजनक तसवीरें Internet पर नहीं दिखाई जानी चाहिए। मतलब एक अंग्रेज और उसका गुलाम इन कांग्रेसियों के लिए भारत मां से बड़े है।
हम समझ सकते हैं कि जब भावनायें आहत होती हैं तो कितनी तकलीफ झेलनी पड़ती है लेकिन इन कांग्रेसियों को भी समझना चाहिए कि भावनायें सिर्फ मुसलमानों , ईसाईयों, और कांग्रसियों की ही नहीं होती हैं। हम भारतीयों वोले तो हिन्दूओं की भी कुछ भावनायें हैं। अगर आप उनका ख्याल रखेंगे तो हम भी आपको निराश नहीं करेंगे।
हम भारतीय वोले तो हिन्दू मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम जी को भारतीय संस्कृति का आधार मानकर उनकी न केवल पूजा ही करते हैं वल्कि उनके मान सम्मान के लिए अपना सर्वस्व नयौछावर करने का दमखम रखते हैं लेकिन Mr Sibal आप और आपकी पार्टी उनके अस्तित्व को नकारने का अमर्यादित आचरण करती है क्या तब आपने सोचा कि किसी की धार्मिक भावनायें आहत हो रही हैं?
जब आपकी पार्टी और आप जैसे लोगों ने एक ही सांस में MFHussain द्वारा किए गए हिन्दूओं की भावनाओं से खिलवाड़ को अभिव्यक्ति की आजादी व डच पत्रकार द्वार बनाए गए मोहम्मद के कारटून को भावनाओं से खिलवाड़ करार देकर ये जताने की कोशिश की कि गैर हिन्दूओं की भावनायें, भावनायें और हिन्दूओं की भावनायें अपराध तब आपको समझना चाहिए था कि करोड़ों हिन्दूओं को जो पीड़ा होगी उसके क्या परिणाम निकलेंगे?
Mr Sibal हमें नहीं पता कि इनमें से कौन सी तसवीर की आप बात कर रहे हैं लेकिन आप जिस भी तसवीर की बात कर रहे हैं वो तसवीर भारत माता व हिन्दू देवी-देबताओं की MFHussain द्वारा बनाई गई तसवीरों से ज्यादा आपतिजनक नहीं है।
फिर भी हम समझ सकते हैं कि आपको अपना पद वनाए रखने के लिए व आगे बढ़ने के लिए इस इटालियन अंग्रेज एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो की चापलूसी करने के लिए ये सब कहना जरूरी व मजबूरी है लेकिन एक भारतीय होने के नाते अपने देश भारत को इस अंग्रेज के संकजे से मुक्त करवाना हमारी भी मजबूरी है।
भगवान का शुक्र करो कि अभी हम सिर्फ बातों से ही जबाब दे रहे हैं वरना आप लोग जिस तरह के हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी षडयन्त्र रच रहे हैं उनके परिणामस्वारूप तो आपको बारूद से उड़ाना भी गलत न होगा लेकिन अभी तक हम अपने अहिंसा के संसकार से बंधे हुए हैं जिससे आजाद करवाने के लिए आपने दिन रात एक किया हुआ है ।भगवान करे आपकी दिल्ली इच्छा पूरी करते हुए देशभक्त भारतीय आपसे हथियारों से ही निपटें ताकि कांग्रेस की देश से गद्दारी की इस परम्परा से हमेशा के लिए मुक्ती पाई जा सके।
अभी भी वक्त है भारविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के पास भारतीयों की भावनाओं को समझकर उनका मान-सम्मान करने का वरना वो वक्त दूर नहीं जिस दिन इस तरह के चित्र बनाकार अपना क्रोध शांत करने वाले देशभक्त भारत के शत्रुओं पर बम्म गिराकर अपना क्रोध शांत करेंगे ।
जब सच्चा अरबी होने के नाते MFHussain ने एक गैर इस्लामिक देश भारत के बजाए एक इस्लामिक देश को अपनी अंतिम सांस लेने के बाद मृत देह को दफनाने के लिए चुना तो कांग्रेसियों ने आसमान सिर पर उठा लिया और MFHussain द्वारा बनाई गई आपतिजनक paintings से आहत भारतीयों खासकर हिन्दूओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराकर हिन्दूओं को तालिवीनी तक करार दे दिया ।
लेकिन आज वहीं कांग्रेसी कह रहे हैं कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की आपतिजनक तसवीरें Internet पर नहीं दिखाई जानी चाहिए। मतलब एक अंग्रेज और उसका गुलाम इन कांग्रेसियों के लिए भारत मां से बड़े है।
हम समझ सकते हैं कि जब भावनायें आहत होती हैं तो कितनी तकलीफ झेलनी पड़ती है लेकिन इन कांग्रेसियों को भी समझना चाहिए कि भावनायें सिर्फ मुसलमानों , ईसाईयों, और कांग्रसियों की ही नहीं होती हैं। हम भारतीयों वोले तो हिन्दूओं की भी कुछ भावनायें हैं। अगर आप उनका ख्याल रखेंगे तो हम भी आपको निराश नहीं करेंगे।
हम भारतीय वोले तो हिन्दू मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम जी को भारतीय संस्कृति का आधार मानकर उनकी न केवल पूजा ही करते हैं वल्कि उनके मान सम्मान के लिए अपना सर्वस्व नयौछावर करने का दमखम रखते हैं लेकिन Mr Sibal आप और आपकी पार्टी उनके अस्तित्व को नकारने का अमर्यादित आचरण करती है क्या तब आपने सोचा कि किसी की धार्मिक भावनायें आहत हो रही हैं?
जब आपकी पार्टी और आप जैसे लोगों ने एक ही सांस में MFHussain द्वारा किए गए हिन्दूओं की भावनाओं से खिलवाड़ को अभिव्यक्ति की आजादी व डच पत्रकार द्वार बनाए गए मोहम्मद के कारटून को भावनाओं से खिलवाड़ करार देकर ये जताने की कोशिश की कि गैर हिन्दूओं की भावनायें, भावनायें और हिन्दूओं की भावनायें अपराध तब आपको समझना चाहिए था कि करोड़ों हिन्दूओं को जो पीड़ा होगी उसके क्या परिणाम निकलेंगे?
Mr Sibal हमें नहीं पता कि इनमें से कौन सी तसवीर की आप बात कर रहे हैं लेकिन आप जिस भी तसवीर की बात कर रहे हैं वो तसवीर भारत माता व हिन्दू देवी-देबताओं की MFHussain द्वारा बनाई गई तसवीरों से ज्यादा आपतिजनक नहीं है।
फिर भी हम समझ सकते हैं कि आपको अपना पद वनाए रखने के लिए व आगे बढ़ने के लिए इस इटालियन अंग्रेज एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो की चापलूसी करने के लिए ये सब कहना जरूरी व मजबूरी है लेकिन एक भारतीय होने के नाते अपने देश भारत को इस अंग्रेज के संकजे से मुक्त करवाना हमारी भी मजबूरी है।
भगवान का शुक्र करो कि अभी हम सिर्फ बातों से ही जबाब दे रहे हैं वरना आप लोग जिस तरह के हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी षडयन्त्र रच रहे हैं उनके परिणामस्वारूप तो आपको बारूद से उड़ाना भी गलत न होगा लेकिन अभी तक हम अपने अहिंसा के संसकार से बंधे हुए हैं जिससे आजाद करवाने के लिए आपने दिन रात एक किया हुआ है ।भगवान करे आपकी दिल्ली इच्छा पूरी करते हुए देशभक्त भारतीय आपसे हथियारों से ही निपटें ताकि कांग्रेस की देश से गद्दारी की इस परम्परा से हमेशा के लिए मुक्ती पाई जा सके।
अभी भी वक्त है भारविरोधियों-हिन्दूविरोधियों के पास भारतीयों की भावनाओं को समझकर उनका मान-सम्मान करने का वरना वो वक्त दूर नहीं जिस दिन इस तरह के चित्र बनाकार अपना क्रोध शांत करने वाले देशभक्त भारत के शत्रुओं पर बम्म गिराकर अपना क्रोध शांत करेंगे ।
मंगलवार, 6 दिसंबर 2011
चर्चा इधर-उधर की
देखो तो जरा अपने कुकर्मों से डरकर कौन भाग रहा है…
लगता है इस्लामिक आतंकवादियों की समर्थक सरकार को भी समझ आने लग पड़ा है कि ये इस्लामिक आतंकवाद सेकुलर गद्दारों को भी ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहने देगा….
इस्लामिक आतंकवादी ,परमपूजनीय भगवत गीता जंयती मनाने बालों पर हमला कर सकते हैं
सेकुलर गद्दार इसे शांति और भाईचारे का त्यौहार कहते हैं अगर दूध पीते बच्चों का खून बहाने में इन भारतविरोधियों को शांति नजर आती तो क्यों न इनका खून बहाकर इन्हे हमेशा के लिए शांत कर दिया जाए?
सोचने से कुछ नहीं होगा जरूत है इन देशभक्त संगठनों के साथ मिलकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाली खून खरावे की जड़ अरबी संस्कृति व उनके समर्थक सेकुलर गद्दारों को भारत की पबित्र धरती से हमेशा के लिए खत्म कर देना।
शनिवार, 3 दिसंबर 2011
जिस राहुल विन्सी की उत्तपति ही FDI के परिणास्वारूप हुई हो वो भला FDI का विरोध कैसै कर सकता है?
हम भारतीय अक्कसर ऐसी मूर्खतायें करते हैं जिन्हें देखकर बिदेशी हमारे उपर फबतियां ही नहीं कसते बल्कि आपसी बातचीत में हमारा जमकर उपहास भी उड़ातें हैं।राहुल विन्सी का FDI पर ये ब्यान इसी का प्रमाण है।
अब जरा सचो कि जो व्यक्ति/गिरोह/संगठन/कांग्रेसी/राजनीतिक दल आज एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम सरकार को केन्द्र में बनाए रखने के लिए सहयोग कर रहे हैं वही व्यक्ति/गिरोह/संगठन/कांग्रेसी/राजनीतिक दल किस मुँह से FDI का विरोध कर रहे हैं।
FDI का मतलब है प्रतय्क्ष विदेशी निवेश ।अब आप ही बताओ भला एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो से बड़ा और सीधा बिदेशी निवेश और क्या हो सकता है? इस FDI का तो उत्पादन Half Indian राहुल विन्सी भी हमारे सामने है जिसे कैटरीना कैफ ही 50% Indian करार देती है जो खुद पूरी तरह से भारतीय नहीं है।
FDI से उत्पादन कोई समाज सेवा या फिर जन कल्याण के लिए नहीं किया जाता जैसा की जनमजात बौद्धिक गुलाम मनमोहन सिंह कह रहा है बल्कि उत्पादन किया जता है लाभ कमाने के लिए । क्योंकि निवेश विदेशी है तो लाभ भी तो विदेशों में ही जायगा । भारत में लाभ के नाम पर लूट मची हुई है अब आप एंटोनिया नामक FDI को देख लो किस तरह से कभी बोफोर्ष सौदे के नाम पर ,तो कभी CWG के नाम पर ,तो कभी तेल के बदले अनाज के नाम पर, तो कभी 2G +3G , तो कभी रैली के नाम पर भारत को लूट कर सारा धन विदेशों में जमा करवा रही है। आज भारत में जो नियम हैं उनके हिसाब से कोई भी कैसे भी जितना चाहे उतना भारत को लूट सकता है लेकिन कानून इन सब डकैतों की रक्षा करता है। इसीलिए 100 की चीज 1000 में बेचकर भोली-भाली जनता को लूटा जा रहा है। चिप्पस का मामला ही देख लो।
जरा सोचो जिस भाजपा ने अपने कार्यकाल में एक विदेशी को भारतीय संसद में विपक्ष के नेता के रूप में मानयता देकर भारत की गुलामी का मार्ग खोला वही भाजपा भला आज किस मुंह से FDI का विरोध कर रही है। अगर भाजपा उस वक्त वाह-वाही के चक्कर में न पड़कर समझदारी से काम लेती और अपनी सरकारी ताकत का उपयोग कर इस विदेशी विषकन्या की कारगुजारियों पर तवरित जाँच करवाकर इसकी भारतविरोधी करतूतों का कच्चा चिट्ठा जनता के सामने रखती तो आज न तो देश गुलाम होता नही ही विदेशियों के हाथों इस तरह लुटता व न ही ये विदेशी विषकन्या Prevention of Communal And targeted Violence Bill-2011 जैसे कानून वनवाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान को आगे बढ़ाने में सफल होती।
बैसे भी FDI का अर्थ है आर्थिक गुलामी जो कि आगे चलकर सामाजिक व शारीरिक गुलामी को जन्म देती है। लम्बे समय तक इस तरह की गुलामी का शिकार रहना बौद्धिक गुलामी को जन्म देता है। आज भारत अभी तक पूरी तरह से सैंकड़ो बर्षो की मुसलिम और ईसाई गुलामी के परिणामस्वारूप उपजी बौद्धिक गुलामी से पूरी तरह आजाद नहीं हुआ है। इस गुलामी के शिकार लोग ही बिके हुए सेकुलर गद्दारों का अक्कसर साथ देकर भारत से ऐसी ऐतिहासिक भूलें करवाने पर तुलें हैं जो आगे चलकर भारतीयों के रोजगार, मान-सम्मान-स्वाभिमान से लेकर जान-माल तक को खतरे में डाल रही हैं। चर्च के षडयन्त्रों का शिकार होकर एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत की राजनीतिक जमात द्वारा स्थापित करना व ISI से पैसे खाकर सेकुलर गद्दारों द्वारा, सेकुलर गद्दारों से, हिन्दूहित पर प्रहार करने के लिए तैयार कवाई गई सच्चर कमेटी व रंगनाथ मिश्रा कमेटी जैसी रिपोर्टें ऐसी ही ऐतिहासिक भूलें हैं।
हमारा मानना है कि जिस तरह से राजनीतिक जमात ने दलगत राजनीति से उपर उठकर Prevention of Communal And targeted Violence Bill-2011 व FDI जैसे भारतविरोधी कानूनों का विरोध किया उससे एक कदम आगे बढ़कर इन सब देशभक्तों को एकजुट होकर भारत को बिदेशी गुलामी से मुक्त करने के लिए पहले तो इस विदेशी विषकन्या की पकड़ से केन्द्र सरकार को मुक्त करवाना चाहिए व बाद में मिलकर भारत में ऐसे कड़े कानून बनाने चाहियें जिनसे ये सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में ,सिर्फ भारतीय ही राजनीति कर सकें कोई विदेशी नहीं व भारत में रोजगार ,ब्यापार व आर्थिक संसाधनों पर सिर्फ भारतीयों का ही कब्जा रहे किसी बिदेशी का नहीं।
इसमें कोई शक नहीं कि इस वक्त सांसदों का बहुमत FDI के बिरोध में है लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अब अगला दौर खीद-फरोक्त का शुरू होगा जिसके पुरिणामस्वारूप बहुत से राजनीतिक दल व सांसद अपनी जेब भरने के बदले FDI के समर्थन में जा सकते हैं। ऐसे विकाऊ गद्दार सांसदों/दलों की पहचान कर उन्हें जनता के सामने वेनकाब करना चाहिए।
अभी तक सिर्फ इतना सपष्ट हुआ है कि सिर्फ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व खासकर राहुल विन्सी, एंटोनिया व मनमोहन ही भारतविरोधियों के हाथों विके हुए हैं या फिर यूं कहें कि कुछ मुठीभर विकाऊ कांग्रेसियों को छोड़कर सब केसब सांसद भारतीयों के रोजगार को बचाने को मुद्दे पर एकजुट हैं।
रही बात Half Indian की तो आप ही बताओ जिसकी उत्तपति ही FDI के परिणास्वारूप हुई हो वो भला FDI का विरोध कैसै कर सकता है इसलिए वो ठीक ही कह रहा है कि उसके ,उसकी मां और विदेशियों के गुलामों के लिए FDI कोई मुद्द नहीं उनके लिए मुद्दा है फूट डालो और राज करो।
कुलमिलाकर FDI के बहाने एक बहुत अछ्छी शुरूआत हुई है जिसे सब देशभक्तों को मिलकर आगे बढ़ाना चाहिए।
अब जरा सचो कि जो व्यक्ति/गिरोह/संगठन/कांग्रेसी/राजनीतिक दल आज एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो उर्फ सोनिया गांधी की गुलाम सरकार को केन्द्र में बनाए रखने के लिए सहयोग कर रहे हैं वही व्यक्ति/गिरोह/संगठन/कांग्रेसी/राजनीतिक दल किस मुँह से FDI का विरोध कर रहे हैं।
FDI का मतलब है प्रतय्क्ष विदेशी निवेश ।अब आप ही बताओ भला एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो से बड़ा और सीधा बिदेशी निवेश और क्या हो सकता है? इस FDI का तो उत्पादन Half Indian राहुल विन्सी भी हमारे सामने है जिसे कैटरीना कैफ ही 50% Indian करार देती है जो खुद पूरी तरह से भारतीय नहीं है।
FDI से उत्पादन कोई समाज सेवा या फिर जन कल्याण के लिए नहीं किया जाता जैसा की जनमजात बौद्धिक गुलाम मनमोहन सिंह कह रहा है बल्कि उत्पादन किया जता है लाभ कमाने के लिए । क्योंकि निवेश विदेशी है तो लाभ भी तो विदेशों में ही जायगा । भारत में लाभ के नाम पर लूट मची हुई है अब आप एंटोनिया नामक FDI को देख लो किस तरह से कभी बोफोर्ष सौदे के नाम पर ,तो कभी CWG के नाम पर ,तो कभी तेल के बदले अनाज के नाम पर, तो कभी 2G +3G , तो कभी रैली के नाम पर भारत को लूट कर सारा धन विदेशों में जमा करवा रही है। आज भारत में जो नियम हैं उनके हिसाब से कोई भी कैसे भी जितना चाहे उतना भारत को लूट सकता है लेकिन कानून इन सब डकैतों की रक्षा करता है। इसीलिए 100 की चीज 1000 में बेचकर भोली-भाली जनता को लूटा जा रहा है। चिप्पस का मामला ही देख लो।
जरा सोचो जिस भाजपा ने अपने कार्यकाल में एक विदेशी को भारतीय संसद में विपक्ष के नेता के रूप में मानयता देकर भारत की गुलामी का मार्ग खोला वही भाजपा भला आज किस मुंह से FDI का विरोध कर रही है। अगर भाजपा उस वक्त वाह-वाही के चक्कर में न पड़कर समझदारी से काम लेती और अपनी सरकारी ताकत का उपयोग कर इस विदेशी विषकन्या की कारगुजारियों पर तवरित जाँच करवाकर इसकी भारतविरोधी करतूतों का कच्चा चिट्ठा जनता के सामने रखती तो आज न तो देश गुलाम होता नही ही विदेशियों के हाथों इस तरह लुटता व न ही ये विदेशी विषकन्या Prevention of Communal And targeted Violence Bill-2011 जैसे कानून वनवाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान को आगे बढ़ाने में सफल होती।
बैसे भी FDI का अर्थ है आर्थिक गुलामी जो कि आगे चलकर सामाजिक व शारीरिक गुलामी को जन्म देती है। लम्बे समय तक इस तरह की गुलामी का शिकार रहना बौद्धिक गुलामी को जन्म देता है। आज भारत अभी तक पूरी तरह से सैंकड़ो बर्षो की मुसलिम और ईसाई गुलामी के परिणामस्वारूप उपजी बौद्धिक गुलामी से पूरी तरह आजाद नहीं हुआ है। इस गुलामी के शिकार लोग ही बिके हुए सेकुलर गद्दारों का अक्कसर साथ देकर भारत से ऐसी ऐतिहासिक भूलें करवाने पर तुलें हैं जो आगे चलकर भारतीयों के रोजगार, मान-सम्मान-स्वाभिमान से लेकर जान-माल तक को खतरे में डाल रही हैं। चर्च के षडयन्त्रों का शिकार होकर एक विदेशी एडवीज एंटोनिया अलविना माईनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत की राजनीतिक जमात द्वारा स्थापित करना व ISI से पैसे खाकर सेकुलर गद्दारों द्वारा, सेकुलर गद्दारों से, हिन्दूहित पर प्रहार करने के लिए तैयार कवाई गई सच्चर कमेटी व रंगनाथ मिश्रा कमेटी जैसी रिपोर्टें ऐसी ही ऐतिहासिक भूलें हैं।
हमारा मानना है कि जिस तरह से राजनीतिक जमात ने दलगत राजनीति से उपर उठकर Prevention of Communal And targeted Violence Bill-2011 व FDI जैसे भारतविरोधी कानूनों का विरोध किया उससे एक कदम आगे बढ़कर इन सब देशभक्तों को एकजुट होकर भारत को बिदेशी गुलामी से मुक्त करने के लिए पहले तो इस विदेशी विषकन्या की पकड़ से केन्द्र सरकार को मुक्त करवाना चाहिए व बाद में मिलकर भारत में ऐसे कड़े कानून बनाने चाहियें जिनसे ये सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में ,सिर्फ भारतीय ही राजनीति कर सकें कोई विदेशी नहीं व भारत में रोजगार ,ब्यापार व आर्थिक संसाधनों पर सिर्फ भारतीयों का ही कब्जा रहे किसी बिदेशी का नहीं।
इसमें कोई शक नहीं कि इस वक्त सांसदों का बहुमत FDI के बिरोध में है लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अब अगला दौर खीद-फरोक्त का शुरू होगा जिसके पुरिणामस्वारूप बहुत से राजनीतिक दल व सांसद अपनी जेब भरने के बदले FDI के समर्थन में जा सकते हैं। ऐसे विकाऊ गद्दार सांसदों/दलों की पहचान कर उन्हें जनता के सामने वेनकाब करना चाहिए।
अभी तक सिर्फ इतना सपष्ट हुआ है कि सिर्फ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व खासकर राहुल विन्सी, एंटोनिया व मनमोहन ही भारतविरोधियों के हाथों विके हुए हैं या फिर यूं कहें कि कुछ मुठीभर विकाऊ कांग्रेसियों को छोड़कर सब केसब सांसद भारतीयों के रोजगार को बचाने को मुद्दे पर एकजुट हैं।
रही बात Half Indian की तो आप ही बताओ जिसकी उत्तपति ही FDI के परिणास्वारूप हुई हो वो भला FDI का विरोध कैसै कर सकता है इसलिए वो ठीक ही कह रहा है कि उसके ,उसकी मां और विदेशियों के गुलामों के लिए FDI कोई मुद्द नहीं उनके लिए मुद्दा है फूट डालो और राज करो।
कुलमिलाकर FDI के बहाने एक बहुत अछ्छी शुरूआत हुई है जिसे सब देशभक्तों को मिलकर आगे बढ़ाना चाहिए।
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