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मोदीराज लाओ

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भारत बचाओ

बुधवार, 17 मार्च 2010

मायावती पर नोटों की माला के बहाने हमला मिडीया की भेदभावपूर्ण मानसिकता का एक और प्रमाण

हाली ही में मायावती जी ने उतर प्रदेश में अपने दल की विसाल सभा का आयोजन किया। इस सभा के माध्यम से उन विकाऊ बिद्धिजिवीयों के मुंह पर एक जोरदार तमाचा जड़ा गया जो लगातार दलितों की आर्थिक खुशहाली को नजर अंदाज कर हिन्दूओं को स्वर्ण और दलित के नाम पर विभाजित कर हिन्दू एकता को तोड़ना चाहते हैं। वेशक ऐसे खुशहाल लोगों की संख्या दलितों और स्वर्णों(हमारे हिसाब से सब हिन्दू हैं न कोई स्वर्ण न कोई दलित)में मुठी भर है। यह वात किसी से छुपी नहीं है कि मुलिम और ईसाई अक्रांताओं के सासनकाल में हिन्दूओं पर वेहिसाव जुल्म ढाय गए ।प्रताड़ित होने वाले हिन्दूओं में दलित और स्वर्ण समानरूप से सामिल थे।इसीलिए आज भी दोनों का एक बड़ा बर्ग सिर्फ एक सादी व 1-2 बच्चे करने के बाबजूद वंचितो का जीवन जीने को मजबूर है और मुसलिम चार-चार सादियां व10-40 बच्चे करने के बाबजूद खुशहाली का जीवन जी रहे हैं ईसाई भी आज इसीलिए खुशहाल हैं क्योंकि अपने सासनकाल में इन ईसाईयों ने हिन्दूओं के हिस्से का पैसा व जमीन अपने कब्जे में कर लिया अब उसका उपयोग कर हिन्दूओं को धर्मांतरण के लिए बाध्या कर रहे हैं। आप देखेंगे कि जब भी किसी क्षेत्र में मुसलमानों या ईसाईयों ने हिन्दूमिटाओ अभियान चलाया तो उस क्षेत्र में न स्वर्ण वचे न दलित वहां 100% मुसलिम(कशमीर घाटी) या 100% ईसाई(उतर-पूर्व के कई राज्य) । मतलब सबकेसब हिन्दू मुसलिम आतंकवादियों के हाथों मारे गए या मतांतरित किए गय। जब हमला स्वर्ण और दलित पर ईकठा है तो मुकावला भी दोनों को इकठे ही करना पड़ेगा।बस यहीं पर समस्या आ खड़ी होती है हिन्दूविरोदी नहीं चाहते कि हिन्दूएकजुट होकर इस हमले का जबाब दें । इसीलिए उनका हर वक्त प्रयास होता है कि हिन्दू को स्वर्ण और दलित के आधार पर विभाजित कर इस में से एक वर्ग को आतताई मुसलिमों व ईसाईयों के साथ खड़ा कर दूसरे को हानि पहुंचाई जाए। इसी रणनिती के तहत देशभर में ये दोनों आक्रमणकारी विचारधायें सक्रिए हैं।

विषयान्तर से वचने के लिए हम सीधे मूल विषय पर आते हैं।उतर प्रदेश में BSP की विशाल रैली की भब्यता को देख कर हमारे जैसे हिन्दू एकता के समर्थकों का सीना चौड़ा हो गया। क्योंकि ये रैली उस हिन्दू नेत्री की थी जो सेकुलर गिरोह के षडयन्त्रों से अपना वचाब करते हुए सर्वजन की बात कर हिन्दू एकता के मार्ग पर आगे बढ़ रही है। हिन्दू एकता के मार्ग को अपनाना व मुसलिम व ईसाई तुष्टीकरण से बचकर आगे बढ़ना ही इस नेत्री की सफलता का मूल कारण प्रतीत होता है(बरेली के अपवाद के वावजूद)। हर कोई जानता है कि मौलाना मुसलायम सिंह यादव के मुसलिम आतंकवाद समर्थक सासन से उतर प्रदेश की जनता को अगर किसी ने मुक्ति दिलवाई तो वो है मायावती जी का सासन ।हमें याद हैं वो दिन जब मऊ में मुसलायम के विधायक अंसारी ने गाड़ी में घूम-घूम कर मुसलिमों को उकसार हिन्दूओं पर हमले करवाकर हिन्दूओं के जानमाल को नुकसान पहुंचाया और मुलायम के कान पर जूं तक न रेंगी।

इस रैली के दौरान मायवती जी को जो हार पहनाया गया उसे किसी ने 5 लाख का तो किसी ने 50 करोड़ का बताया।चलो मान लेते हैं कि ये हार 50 करोड़ का ही था तो इससे किसको क्या समस्या हुई । जो आज की राजनिती को समझते हैं वो अच्छी तरह जानते हैं कि 50 करोड़ आज की राजनिती मे ज्यादा माईने नहीं रखता। BSP समर्थक हिन्दूओं ने ये पैसा इकट्ठा कर मायावती जी को दिया मतलब देश के लोगों का पैसा देश के लोगों के पास ।लोग जब चाहें वापस ले लें पर इटली गया पैसा तो वापस नहीं आ सकता न। मिडीया ये कहने का प्रयास कर रहा है कि ये जनता के पैसे का दुरूपयोग है।विलकुल है कौन नहीं कर रहा है।

हम जानान चाहते हैं कि जब एंटोनियों उर्फ सोनिया गांधी ने इंगलैंड में जब्त वोफोर्श दलाली कांड

के पैसे को मुक्त करवाने के लिए ततकालीन कानूनमंत्री हंसराज भारद्वाज जी को निजी तौर पर लंदन भेजा और भारतीयों के उस पैसे को अपने हमवतन इटालियन क्वात्रोची को दिलवाया तो मिडीया कहां था। क्यों नहीं विरोध किया भारतीयों का पैसा इटालियन के हवाले करने का। ये पैसा तो 50 करोड़ से कहीं ज्यादा था। क्या मिडीया ने इस लिए विरोध नहीं किया क्योंकि भारत का पैसा चोरी कर वाहर ले जाने वाले इसाई थे और मिडीया को चलाने वाले भी ईसाई हैं या फिर इसलिए कि दनों(मिडीया और एंटोनिया उर्फ सोनिया गांधी) देशविरोधी कामों के मुद्दे पर एक जुट हैं। पैसा गया सो गया क्वात्रोची पर चल रहे चोर-बजारी के केस भी खत्म करवा दिए और मिडीया ने उफ तक न की । जब नटबर सिंह ने सदाम हुसैन से पैसा लेने के लिए सोनिया गांधी द्वारा दी गई चिट्ठी का हबाला दिया तो मिडीया खामोश क्यों हो गया। मतलब साफ है कि मिडीया का देशहित-गरीब हित-दलित हित व स्वर्ण हित से कुछ लेना देना नहीं है इन सब मुद्दों को मिडीया अपनी सुविधा अनुसार हिन्दूओं मतलब देशभक्तों को लड़वाने के लिए उपयोग करता है। अगर मिडीया का देशहित से दूर का भी वास्ता होता तो ये मिडीया क्वात्रोची द्वारा भारतीयों के पैसे की चोरी(सोनिया गांधी की सहायता से) को पूरे जोर सोर से उठाता और सरकार को वाध्या करता देश का पैसा वापिस देश में लाने को।

मिडीया ने मायावती द्वारा वनवाई जा रही मूर्तियों पर भी बखेड़ा खड़ा करने की कोशिस की । हम जानना चाहते हैं कि अगर जनता के पैसे का मूर्तियां वनवाने के लिए उपयोग करना गलत है तो ये पैमाना सिर्फ मायावती पर क्यों लागू होता है। देशभर में नैहरू जैसे कांग्रेसी नेताओं की मूर्तियों

को बनवाने व उनका रखरखाव करने के लिए आज तक अरवों-खरवों रूपये वहाए जा चुके हैं भारतीयों की मूर्तियों पर जो खर्चा हुआ सो हुआ।भारत में तो मुसलिमअक्रांताओं व ईसाई अक्रांताओं की मूरतियों,मकवरों व पहचान चिन्हों को वनाए रखने के लिए पैसा पानी की तरह वहाया जा रहा है तब तो मिडीया विरोध करने के वजाए उल्टा समर्थन करता है। बाबर की एक करतूत को हिन्दू कार्याकर्ताओं ने क्या ठीक किया आज तक ये मिडीया गाली गलौच किए जा रहा है।क्योंकि इस मिडीया के खरीददारों के एक आका की निसानी भारत से मिटा दी गई।

जब बाला साहव ठाकरे पाकिस्तानी खिलाडीयों को भारत में खिलाने का विरोध करते हैं तो यह भारत-विरोधी मिडीया पागल कुतों की तरह उन पर टूट पड़ता है पर जब होली पर धूले(महाराष्ट्र),शिमोगा(करनाटक) व वरेली(उतर प्रदेश) में मुसलिम गुंडे कतलो-गारद मचाते हैं आगजनी करते हैं तब इस मिडीया की वोलती बंद हो जाती है।फिर ये हमला चाहे मिडीया पर ही क्यों न हो क्योंकि मिडीया के लोग जानते हैं कि हिन्दूओं व उनके नेताओं को गाली-गलौच करने पर कोई हानि नहीं उठानी पड़ेगी पर अगर मुसलिम गुंडो के विरूद्ध मुंह खोला तो डंके की चोट पर मार पड़ेगी –गोली भी चल सकती है-बम्ब भी फट सकते हैं इसीलिए ये मिडीया मुसलिमों व उनके समर्थक नेताओं के विरूद्ध गाली गलौच करने से बचता है। बैसे भी गुंडे को गुंडा कहेंगे तो मार तो पड़ेगी ही शांतिप्रय हिन्दूओं व उनके संगठनों को जो मर्जी गाली निकाल लो क्या फर्क पड़ता है? हिन्दूओं को भी सीखना होगा कि अगर मिडीया के गाली-गलौच से बचना है तो हथियार उठाना जरूरी है।

कौन नहीं जानता है कि जब भी पाकिस्तानी खिलाड़ी भारत में खेलने आते हैं तो उन्हें देखने के लिए हजारों पाकिस्तान आतंकवादी दर्शकों के वेश में भारत में घुस आते हैं और वीजा समाप्त होने पर वापस जाने के बजाए यहीं रहकर आतंकवादी गतिविधियों को अनजाम देते हैं। अभी इसी सप्ताह समाचार आया कि 50 मुसलिम हिमाचल जैसे शांतिप्रिय राज्य में आकर भूमिगत हो गय।इससे कुछ दिन पहले इन्हीं मुसलिम आतंकवादियों ने बबरखालसा के नाम से हिमाचल में नबरात्रों के दौरान हमले करने की धमकी दी थी। दिल्ली में जेल से पाकिस्तानी आतंकवादी भाग गय। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इससे पहले भारत-पाक सीरीज के दौरान भारत आए पाकिस्तानियों में से 5000 से अधिक भारत में ही छुप गए क्योंकि देश में भारत के शत्रुओं को छुपाने वाले गद्दारों की कमी नहीं।

जब शहरूखखान पाकिस्तानी खिलाड़ियों की बात करते हैं तो वो वास्तव में इन्हीं आतंकवादियों की ढाल के रूप में काम कर रहे होते हैं। अपनी भारत विरोधी सोच से मजबूर मिडीया विना-सोचे समझे देशविरोधी ब्यानों का समर्थन कर मामले को उलझा देता है। अंत में हम इतना ही कहेंगे कि मिडीया को अपनी विश्वनीयता बनाने के लिए सबके लिए एक जैसा मानक अपनाते हुए अपने आपको देशहित में समर्पित करना चाहिए न कि किसी पार्टी विशेष की विचारधारा के प्रति। जरा सोचो कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के मुसलिम विधयकों व दिविजय सिंह द्वारा आतंकवादियों की सहायता करना जयादा खतरनीक है या फिर माला पैहनना।अब आप खुद फैसला कर लो कि इन दलों की गद्दारी को उजागर करने वाला ये समाचार क्यों नहीं चलाया गया? क्यों इस गद्दारी पर कोई प्रोग्राम आयोजित नहीं किया गया? क्यों कशमीर में 60000 हिन्दूओं को कत्ल करने वाले मुसलिम आतंकवादियों,आतंकवादियों से मिले नेताओं को सजा दिलवाने की बात मिडीया नहीं करता?क्यों मिडीया सिर्फ गुजरात दंगो की चर्चा करता है? वो भी सिर्फ मारे गए मुसलमानों की ? क्यों जिंदा जलाए गए हिन्दूओं की चर्चा नहीं करता? जो दंगों का कारण बना। क्यों मिडीया देशबर में मुसलिमानों द्वारा हिन्दुओं पर किए गय हमलों को तो नजरअंदाज करता है पर प्रतिक्रिया में हुए इक्का-दुका हमलों को बढ़ाचड़ाकर पेश करता है ?

आप सोचेंगे कि मिडीया के साथ-साथ राजितीक दलों ने भी इसका विरोध किया तो हम यही कहेंगे कि हर पार्टी अपनी विचारधारा या फायदे को ध्यान में रखकर विरोध करेगी ।उनके द्वारा ऐसा किया जाना ही लोकतन्त्र है। (हमारे विचार में मायाबती जी को परमपूजनीय स्वामीरामदेव जी पर हमला नहीं वोलना चाहिए था क्योंकि आज अमीर-गरीब का कोई सांझा तारणहार है तो वो स्वामीरामदेव जी हैं उनका विरोध भारत का विरोध है) मामला तब खराब हो जाता है जब मिडीया सब लोगों का विचार सामने रखने के बजाए खुद एक पार्टी बनकर लोगों को गुमराह करने लगता है।अगर मिडीया देशहित में पार्टी बने तो किसको समस्या हो सकती है पर ऐसा देखा गया है कि मिडीया सिर्फ देशविरोधी विचारों को आगे बढ़ाता है। इससे एक तो लोगों को सही सूचना के साधन कम हो जाते हैं और दूसरा लोगों के भ्रमित होने की सम्भावना बढ़ जाती है।हमारा मायावती जी से कुछ लेनादेना नहीं बस तकलीफ है तो सिर्फ इतनी कि एंटोनिया उर्फ सोनिया गांधी जैसे जिन लोगों ने अपना पैसा स्विस बैंकों में व इटली में जमा करवाया वो तो सरकारी समर्थन सहयोग से साफ बच निकलते हैं पर मायाबती जैसे लोग आय से जुड़े मामलों के चक्कर में बलैकमेल होते रहते हैं।हमें तकलीफ यह भी है कि मुसलिम आतंकवादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों से पैसा लेकर देश के विरूद्ध राजनिती करने वाला सेकुलर गिरोह तो अपना पैसा विदेशों में रखकर हवाला के जरिए उपयोग कर सरकारी कानूनों से बच निकलता है पर देश के पैसे से देश के लोगों के लिए देश में राजनिती करने वाले मायवती व वंगारू लक्षमण जैसे लोग बदनामी की गलियों में खोकर राजनितीक परिदृष्य से ओझल हो जाते हैं।जबकि कड़वी सच्चाई यह है कि पैसे के लेन-देन के मामले में सब राजनितीक दलों की स्थिती लगभग एक जैसी है।कोई भी राजनतीक दल आर्थिक अनियमतता से मुक्त होने का दावा तक नहीं कर सकता।

4 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक ने कहा…

बढि्या. और लोग भी तवज्जो देंगे.

शब्द सितारे... ने कहा…

aap ki koshish. ek din rang laayegi lage raho

kunwarji's ने कहा…

aap ke saath ham hai....
lage raho..

kunwar ji,

TRUTH ने कहा…

JAGO HINDU JAGO