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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

बुधवार, 8 दिसंबर 2010

ये भारतविरोधी धर्मनिरपेक्ष आतंकवाद कब और कैसे रूकेगा?




सच कहें तो अब भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवाद पर लिखने या वोलने के बजाए सीधे हथियार उठाकर भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों व उनके समर्थकों का सिर कलम करने को दिलो-दिमाग वेचैन होने लगा है। स्वासतिका की मौत ने हम सबके सामने एक यक्ष प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या भारत में अब दूध पीते बच्चों को भी जिन्दा रहने के लिए भारतविरोधी आतंकवादियों के रहमोकर्म की जरूरत आन पड़ी है?


वेशक आपको ये बात अतिस्योक्ति पूर्ण लगे पर यच्चाई यही है कि भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादी लगातार दूध पीते बच्चों तक को निशाना बना रहे हैं। स्वासतिका इन भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों की हिंसा का सिकार होने वाली पहली बच्ची नहीं इससे पहले भी ये भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादी अनेकों बच्चों को अपनी हिंसा का सिकार बना चुके हैं।


अफसोस की बात तो ये है कि जिस सरकार की जिम्मेदारी अपने नागरिकों की रक्षा करना है वो खुद इन भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों की सांझीदार बन चुकी है।


पिछले 6 वर्षों में इस धर्मनिरपेक्ष आतंकवादियों की UPA सरकार ने इन भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को लाभ पहूंचाने के लिए न केवल पोटा जैसे सख्त कानूनों को हटाया पर इससे भी आगे बढ़कर इन भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को इस UPA सरकार ने आर्थिक मदद करने के साथ-साथ सुरक्षावलों के विरूद्ध कार्यवाही कर इन आतंकवादियों का हौसला भी बढ़ाया। मानो आतंकवादियों की UPA सरकार का मन इन सब भारतविरोधी कदमों से न भरा हो इसलिए इस सरकार ने माननीय सर्वोच न्यायालय से सजा प्राप्त अफजल जैसे भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों की सजा पर रोक लगाकर देश में रहने वाले भारत के शत्रुओं को भारत विरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादी बनने के लिए प्रेरित किया।


आज (07/12/2010) वाराणशी में जो धमाके हुए इनका होना सुनियोजित था।आज भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों की UPA सरकार भ्रष्टाचार की दल-दल में पूरी तरह फंस चुकी है। ऐसे में आतंकवादियों की इस सरकार का भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों के सिवाय और कौन मददगार हो सकता है? आखिरकार अपने लाडले इन आतंकवादियों के लिए इस UPA सरकार ने क्या-क्या नहीं किया?


भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवाद का खात्म जरूरी ही नहीं वल्कि देशभक्तों के लिए मजबूरी बन गया है।


वेशक देश के नागरिकों की रक्षा के लिए देश में सेना व पुलिस है लेकि आज UPA सरकार ने आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने वाले सैनिकों व पुलिस के जवानों के विरूद्ध कार्यवाही कर ये सपष्ट कर दिया है कि भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों की UPA सरकार किसी भी हालात में देश की सेना को देश के नागरिकों की रक्षा के लिए जरूरी कदम नहीं उठाने देगी।


अब अपनी रक्षा का जिम्मेदारी देश के नागरिकों के कन्धों पर आन पड़ी है। उन्हें सरकार से कोई उमीद करने के बजाए एकजुट होकर स्वांय हथियार उठाकर इन भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों का खात्मा सुनिश्चित करना होगा।


कहने की जरूरत नहीं कि आज देश में दर्जनों क्रांतिकारी संगठन काम कर रहे हैं । हमें जरूरत है इन क्रांतिकारी संगठनों के साथ जुड़कर तन-मन-धन से इनके हाथ मजबूत कर इस लड़ाई को निर्णायक दौर में ले जाकर भारत को भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों से मुक्त करवाने के लिए चल रहे अन्दोलन को तीब्र करने की। आओ मिलकर इस लड़ाई को निर्णायक युद्ध में बदल कर भारतविरोधी आतंकवादियों के विनाश के लिए एकजुट होकर तीब्रता से काम करें।






3 टिप्‍पणियां:

ABHISHEK MISHRA ने कहा…

आँख खोल देने वाला लेख
क्या एक ११ माह के बच्ची की हत्या ही राष्ट्रिय शर्म के प्रतीक बाबरी ढांचे की क्षतिपूर्ति है?

सूबेदार ने कहा…

बर्तमान सरकार भारत बिरोधी है षड़यंत्र से लोकतंत्र के नाम पर देश को गुलाम बना रखा है, देश में सेकुलर आतंकबाद काशी में बम विस्फोट की घटना ताज़ा उदहारण है.

Unknown ने कहा…

बनारस में भी विस्फोटों का शोर सुनाई देता है
इंडियन मुजाहिदीन के नारों का शोर सुनाई देता है
भरे समीर मौसम आदमखोर दिखाई देता है
लाल किले का भाषण भी कमजोर दिखाई देता है
बनारस के चौराहों से आती आवाजे संत्रासो की
पूरा शहर नज़र आता है मंडी ताजा लाशो की
सिंघासान को चला रहे है नैतिकता के नारों से
मदिरा की बदबू आती है संसद की दीवारों से