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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

बुधवार, 30 जनवरी 2019

क्या भारतीय राजनीति गाँधी की दवँगई की गुलाम हो चुकी है?

आज ही के दिन गाँधी जी की इस्लामप्रस्त राजनीति से दुखी होकर प्रखर देशभक्त नत्थुराम गौडसे जी ने गाँधी जी की अछ्छाईयों को प्रणाम करने के बाद  उनको उनकी देह से मुक्ति दिलवाई थी। गाँधी जी में बहुत सी अछ्छाईयाँ थी लेकिन इस्लाम की नमक हरामी और गद्दारी को पहचानने का विवेक वो परिस्थितियों या अपने स्वाभाव का सिकार होकर खो चुके थे । परिणाम स्वारूप एक शांतिप्रिय व्यक्ति को दूसरे शांतिप्रिय व्यक्ति ने देह वन्धन से मुक्त कर भारत को इस्लामप्रस्त राजनीति से आजाद करवाने का असफल प्रयत्न किया।
भारत का यह दुर्भाग्य ही है कि जिस वालक ने आठ वर्ष की आयु में इस्लाम के मानवता विरोधी स्वभाव को पहचानकर भारत को इस आतंक से मुक्ति की कसम उठाई और उसे पूरा करने के लिए अपनी तीन तीन पीढ़ियाँ वलिदान कर दी उसी परमपूजनी दुरू गोविन्ध सिंह को एहसान फरामोश सेकुलर हिन्दू भूला दिए। जिन आततायियों से उन्होंने लोहा लि.या उन्ही आतंकवादियों का भारत की पुस्तकों में महान बताकर बच्चों के दिमाग मे गद्दारी का जहर घोल दिए।
जिस नत्थुराम गौढसे जी ने निस्वार्थ भाव से भारत की रक्षा की खातिर भारत को इस्लामिक गुलामी से मुक्त करवाने के लिए अपनी जिन्दगी वलिदान कर दी उसी नत्थुराम गौडसे जी को इन सेकुलर हिन्दूओं ने गद्दार करार दे दिया।
हद तो यह है कि इन बौद्धिक गुलाम हिन्दूओं ने अपना घरवार परिवार धन मन सबकुछ त्याग कर अपना सर्वस्व वलिदान करने वाले परम आगरणीय वीर सावरकर जी को भी अपमानित किया।

समझने बालों को इसारा काफी है । अन्त में इतना ही कहूँगा कि सेकुलर हिन्दू वो बौद्धिक गुलाम हैं जो अपने देश धर्म से गद्दरी कर आखण्ड भारत के आधे से ज्यादा हिस्से को इस्लामिक कातिलों के हबाले कर बहां के हिन्दूओं को मौत के घट उतार चुके हैं और ये हिन्दू विरोधी भारत विरोधी सेकुलर गद्दार तब तक नहीं रूकेंगे जब तक भारत के चप्पे चप्पे को मानवता के कातिल इस्लाम के हबाले कर 100 प्रतिशत हिन्दूओं का नमोनिशान न मिटा देंगे।