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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

रविवार, 30 दिसंबर 2012

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सम्मवत् 2070 वीरवार तदानुसार 11 अप्रैल 2013 आपके लिए मंगलमय हो…

 


हम भारतीय नव वर्ष का प्रारम्भ हिन्दू, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से मानते  हैं क्योंकि ?
• इस तिथि से ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण प्रारम्भ किया।
• मर्यादापुर्षोत्तम भगवान श्री रामचन्द्र जी का इस दिन राज्याभिषेक हुआ।
• इस दिन नवरात्रों का महान पर्व आरम्भ होता है।
• देव भगवान झूले लाल जी का जन्म दिवस ।
• महाराजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत का शुभारम्भ ।
• राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म दिवस।
• महर्षि दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज का स्थापना दिवस।
• संसार के अधिकतर देशों के बजट की भी इन्हीं दिनों(पखवाड़े में) शुरूआत होती
इसके अतिरिक्त ये वो वक्त है जब हमारे शरीर में नए खून का ज्वार उठता है व हमारे आसपास की प्रकृति भी नए कपड़े डालकर नव वर्ष शुरू होने का संकेत दुनिया के जागरूक लोगों तक पहुंचाती है…

दूसरी तरफ बहुत से बौद्धिक गुलाम लोग ग्रेगेर्रियन कलैंडर के अनुसार 1 जनवरी को,  एक वयक्ति इसामशीह  के मरनोउपरांत खुशियां मनाकर उसे नववर्ष का नाम देकर दुनिया को भ्रमित करने की पुरजोर कोशिश करते हुए मानवता का मखौल उड़ाते हैं अब ये आपके अपनी इच्छा है कि
आप अपनी आने वाली पिढ़ीयों को कैसा बनाना चाहते हैं
ऐसा

(अंग्रेजी नव वर्ष पहली जनवरी मनाने वाला)
या फिर ऐसा

(भारतीय नव वर्ष वर्षप्रतिपदा मनाने वाला)

ऐ वतन तेरी कसम ,कुर्बान हो जांएगे हम ।
                                          तेरी खातिर मौत से भी , जा टकरांएगे हम ।

संस्कार एक दिन में न बनता है न बिगड़ता है यह एक सतत प्रक्रिया है आप अपने आपको कौन सी प्रक्रिया के हवाले करते हैं वही आपका संस्कार निर्माण करेगा।
जागो भारतीयो जागो पहचाने अपने अन्दर वह रहे भारतीय खून को और इस खून से जुड़ी महान सच्चाईयों को… जिनमें से नव वर्ष, 

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा

से प्रारम्भ होता है…. भी एक सच्चाई है
आप सबको हिन्दू नबवर्ष के शुभ अवसर पर एक वार फिर हार्दिक शुभकामनायें

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

इस्लाम नहीं कबूलने पर जर्मनी में भारतीय स्टूडेंट की जीभ काट ली

 

islam

एजेंसियां | Dec 28, 2012, 10.21AM IST

बर्लिन।। जर्मनी के बॉन में एक रूह कंपाने वाली घटना सामने आई है। गुरुवार को जर्मन पुलिस ने बताया कि इस्लामिक कट्टरपंथियों ने एक भारतीय स्टूडेंट पर जबरन धर्म बदलने के लिए दबाव डाला। स्टूडेंट ने धर्म बदलने से साफ इनकार कर दिया तो कट्टरपंथियों ने कहा कि तुम्हारी जीभ काट ली जाएगी। फिर भी लड़के ने इनकार दिया तो पहले बेरहमी से पिटाई की और फिर जीभ एक हिस्सा काट दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद इस्लामिक कट्टरपंथी कार से फरार हो गए।
बॉन पुलिस के प्रवक्ता हारी कोल्बे ने डॉयचे वेले को बताया, 'क्रिसमस से पहले वाली शाम हमें करीब 10 बजे हॉस्पिटल से खबर मिली कि एक युवक को भर्ती किया गया है। उसे गंभीर चोट आई है। 24 साल के इस युवक की जीभ का एक हिस्सा काट लिया गया है और लगातार खून बह रहा है।'
भारतीय युवक ने बॉन पुलिस को बताया है कि वह शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाके पॉपल्सडॉर्फ की तरफ जा रहा था। तभी दो लोगों ने रास्ता रोका और अपना धर्म बदलने के लिए कहा। उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि ऐसा नहीं करोगे तो तुम्हें भुगतना होगा। दोनों कट्टरपंथियों ने कहा कि धर्म नहीं बदलने की सजा में जीभ काट ली जाएगी। इसके बावजूद युवक आगे बढ़ गया तो दोनों ने उसका पीछा कर हमला बोल दिया। हमले के बाद दोनों एक कार में भाग गए।

[ जारी है ]

कार के बारे में भी पुलिस के पास अब तक कोई जानकारी नहीं है। वहां से गुजर रही एक महिला ने युवक के मुंह से खून बहते देखा और उसकी मदद के लिए ऐम्बुलेंस बुलाई। कोल्बे ने कहा, 'हमें जैसे ही मामले के बारे में पता चला तहकीकात शुरू कर दी। चश्मदीदों से बात की है, युवक के कपड़ों को सुरक्षित रखा है और उसके खून की जांच भी की गई है।'
यह मामला 24 तारीख का है लेकिन पुलिस ने इसकी जानकारी बुधवार को दी। तीन दिन निकल जाने के बाद भी अब तक पुलिस हमलावरों के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं कर पाई है। पुलिस ने कहा, हमें हमलावरों के बारे में केवल उतना ही पता है जितना युवक ने बताया। उनमें से एक ने काले रंग के कपड़े पहने थे, वह करीब 35 साल का था और उसने ठोड़ी पर छोटी सी दाढ़ी रखी थी। पुलिस युवक की पहचान गुप्त रखना चाहती है। पुलिस ने कहा, 'हम आपको बस इतना ही बता सकते हैं कि वह छात्र है और भारत का रहने वाला है। '

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/17791486.cms

बुधवार, 26 दिसंबर 2012

हैरान हूँ सिपाही के लिए काँग्रेसियों के आँसू देखकर!

h1दोस्तो आतंकवादियों के लिए आँसू बहाने वाली कांग्रेस अगर देश के रक्षकों के आँसू बहाए तो बिदेशी अंग्रेज की गुलाम कांग्रेस का असली हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी चरित्र बहचानने वालों को हैरानी होना स्वभाबिक ही है।

जैसे ही हमने  देखा कि आतंकवादियों की फांसी की सजा की फायल को बर्षों तक रोककर रखने वाली दिल्ली की मुख्यमन्त्री व बटला हाऊस में इसलामिक आतंकवादियों के हमले में शहीद हुए मोहन चन्द शर्मा जी को अपमानित करवाने वाली केन्द्र सरकार का प्रतिनिधि एक सिपाही सुभाष तोमर जी के अन्तिम सरकार में सामिल होकर ये सन्देश देने की कोशिस कर रहा है कि हमेशा आतंकवादियों का साथ देने वाले वाली सेकुलर गद्दारों की सरकार पुलिस के साथ है तो हमारे अचरज का कोई ठिकाना न रहा।

हम हैरान रह गए कि जो कांग्रेस इसलामिक आतंकवादियों को मार गिराने वाले पुलिस के अधिकारियों व सिपाहियों को जेलों में बन्द कर यातनायें दे रही है वही काँग्रेस एक सिपाही के साथ कैसे खड़ी हो सकती है?

अगर हम निष्पक्ष रूप से इस सारी घटना को देखें तो अगर सरकार भारतीय जनता और पुलिस को लड़ाने का षडयन्त्र रचने के बजाए बालातकार के दोषियों को फांसी की सजा का प्राबधान करने के लिए कानून बनबाने के लिए बिपक्ष व आम जनता की मांग को मान लेती तो न तो आम जनता पर पुलिस को सरकार के कहने पर हमला करना पड़ता और न ही कोई संघर्ष होता। जब संघर्ष ही नहीं होता तो भारतीय जनता व पुलिस में से किसी को भी जानमाल की क्षति नहीं उठानी पड़ती।

कुल मिलाकर आतंकवादियो ---अपराधियों---भर्ष्टाचारियों---व बालातकारियों की मददगार कांग्रेस सरकार ने बालातकारियों को बचाने के लिए पहले तो पुलिस को भारतीय जनता पर हमला करने के लिए मजबूर किया ठीक उसी तरह जिस तरह इसने 4 जून की रात्रि को किया था और फिर दुर्धटनाबस शहीद हुए सिपाही की मौत को इस तरह से तूल दिया ताकि भारतीय जनता और भारतीय पुलिस एक-दूसरे के बिरूद्ध संघर्षरत हैं ऐसा भारतविरोधी महौल बनाया जा सके ।ये तो शुक्र है भगवान का कि मिडीया कबरेज में सबकुछ कैद हो चुका सबके सामने आ गया सरकार की पकड़ में आने से पहले ही बरना 4जून रात्रि को ढाए गए जुल्मों की रिकार्डिग की तरह इसको भी तबाह कर देती और निर्दोष लोगों पर मुकद्दमा चलाकर आम भारतीयों द्वारा देशहित में चलाए जा रहे अन्दोलनों को और बदनाम करती।

अगर पुलिस में कोई ब्यक्ति लगातार सरकार की भाषा बोल रहा है तो वो है तेजेन्द्र लूथरा जी ।तेजेन्द्र लूथरा जी को याद रखना चाहिए कि ये वही काँग्रेस सरकार है जिसने दबाब इसलामिक आतंकवादियों को जेलों से छुड़वाने के लिए हिन्दूओं को जेलों में बन्द करवाने के बाद हेमन्तकरकरे जी को इसलामिक आतंकवादियों के माध्यम से ही ठिकाने लगबा दिया।

अन्त में हम भारत के जागरूक नागरिकों से यही बिनती करेंगे कि कोई भी राय बनाने से पहले काँग्रेस के भारतविरोधी चरित्र को अच्छी तरह समझ लें व देश की आम जनता को भी ये भारतविरोधी---सेनाविरोधी—पुलिसविरोधी षडयन्त्र इस तरह समझ आ जाए कि आम लोग खुदबाखुद कह उठें कि ये घड़ियाली आँसू हैं और हम इन आंसूओं की परबाह न करते हुए इस भारतविरोधी सेकुलर गद्दारों की सरकार को उखाड़खर उसकी जगह बिकासोन्मुख—न्यायप्रिए—देशभक्त मोदी जी की सरकार बनाकर ही दम लेंगे

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

तेजेन्द्र बग्गा की गिर्फतारी गद्दारों को खुश करने की एक और कोशिश!

Bagga-Against-Arundhati-Roy-on-Stageहिन्दूविरोधी-भारतविरोधी काँग्रेस द्वारा तेजेन्द्र बग्गा की गिरफ्तारी एक ऐसी कोशिश है जिसके माध्यम से काँग्रेस एक तरफ बालातकारियों को फांसी पर लटकाए जाने  के लिए चल रहे संघर्ष को साँप्रदायिक रंग देकर कमजोर करना चाहती है और दूसरी तरफ भारत के शत्रु इसलामिक आतंकवादियों को ये सन्देश देना चाहती है कि उन्हें गद्दरों की समाजबादी पार्टी के साथ जाने के कतई जरूरत नहीं क्योंकि देश के हालात जैसे भी हों कांग्रेस पार्टी का हाथ हमेशा भारत के शत्रुओं के साथ है।

हम सब जानते हैं कि तेजेन्द्र बग्गा जी को देश उस वक्त जानने लगा था जब  तेजेन्द्र जी ने इसलामिक आतंकवादियों की भाषा बोलने वाले प्रशान्त भूषण की कुटाई कर अन्ना जी की लंगोटी के पीछे छुप कर भारत पर हमला करने वाले सेकुलर गद्दारों को कड़ा सन्देश दिया था इस तरह की भारतबिरोधी हरकतों से बाज आने के लिए।

आज जब सारा देश सेकुलर गद्दारों द्वारा फालाई जा रही गन्दगी के परिमामस्वारूप शैतानों द्वारा महिलाओं पर किए जा रहे अत्याचारों से त्रस्त है उस वक्त काँग्रेस सरकार इन सैतानों के लिए फांसी की सजा का प्रबधान करने के बजाए एक तरफ शान्तिप्रिय प्रदर्शनकारियों पर जुलम ढा रही है दूसरी तरफ तेजेन्द्र बग्गा जैसे देशभक्तों को गिरफ्तार कर इन शैतानों का हौसला बढ़ा रही है।

हम सब देख रहे हैं कि सेकुलर गद्दारों द्वारा चलाए जा रहे SEX की Branding करने वाले समाचार चैनल व कंजरों द्वारा संचालित फिल्म व सिरीयल Indusry से जुड़े लोग लगातार अफवाहें फैलाकर इस अन्दोलन को बदनाम कर कमजोर करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं।

बास्तब में अच्छाई के पहरेदारों के लिए यही परीक्षा की घड़ी है कि वो सेकुलर शैतानों द्वारा किए जा रहे षडयन्त्रों के बाबजूद किस तरह अपने अन्दोलन को आगे बढ़ाते हैं।

अगर हम एक क्षण के लिए मान भी लें कि काँग्रेस द्वारा खरीदे गए कुछ गुण्डे अन्दोलन का हिसा बन चुके हैं तब भी हमें ये ध्यान रखाना चाहिए कि देशभक्तों द्वारा चलाए जा रहे इस अन्दोलन से जुड़े लोगों ने भी कोई चुड़ियां नहीं पहन रखी हैं।

ऐसे में समाचार चैनलों द्वार लोगों को अपने परिजनों को घर बापस बुला लेने की अपीलें कुलमिलाकर इस अन्दोलन को असफल बनाने के षडयन्त्र के शिवा और कुछ नहीं।

आओ हम सब मिलकर इस अनदोलन को आगे बढ़ाकर काँग्रेस द्वारा रचे जा रहे षडयन्त्रों को असफल बनाते हुए अपनी मां-बहन-बेटियों व बहुओं के लिए एक सुरक्षित भविष्य की नींब रखें व इस महिलाबिरोधी शैतानी धर्मनिर्पेक्षता को उखाड़ फैंकते हुए तेजेन्द्र बग्गा जैसे देशभक्तों को अपना सहयोग दें।

शनिवार, 22 दिसंबर 2012

सरकार बलातकारियों-भ्रष्टाचारियों-आतंकवादियों व कालेधन वालों के साथ क्यों?

p6आप सब चौंक गए होंगे कि क्यों सरकार बालातकारियों का साथ दने के लिए बालातकार के बिरूद्ध आबाज उठाने वालों पर हर तरह की क्रूरता करने के बाद प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने पर क्यों तुल गई है?

मामला सिर्फ बालातकार का ही नहीं बल्कि भ्रषटाचार व काले धन का विरोध करने बालों के साथ भी सरकार ने इसी तरह की क्रूरता की और बाद में सरकार उन्हें भी बदनाम करने पर तुल गई क्यों?p2

बालातकार और भर्ष्टाचार व कालेधन के अतिरिक्त इसलामिक आतंकवाद का विरोध करने बालों पर भी सरकार ने बेहिसाब जुल्म ढाय लेकिन जब जुल्मों का सामना करते हुए भी ये लोग आतंकवाद के बिरूद्ध आबाज उठाते रहे तो सरकार ने जेलों में बन्द इसलामिक आतंकवादियो को छोड़कर उनकी जगह आतंकवाद का विरोध करने वाले देशभक्तों, साधु,सन्तों-साधवियों व सैनिकों और सुरक्षाबलों के अनेक जवानों को जेलों में ठूंस दिया क्यों ?1552E561935CF20F_645_0

ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनके जबाब हर देशभक्त भारतीय जानना चाहता है। मेरे विचार में इनसबका एक ही उत्र है कि कि सरकार के आका खानदान का इन सब कुकर्मों में सीधा हाथ है इसलिए सरकार इनमें से किसी भी मुद्दे को खत्म करवाने के लिए सख्त कानून बनाने की मां करने बालों का हर तरह से बिरोध करती है।

उधारण  के लिए इसलामिक आतंकवादियों को आत्मघाती हमलों की ट्रेनिंग देने में माहिर हमास से सबन्ध रखने वाला ओबैसी imagesCAOE1P3Qराहुल विन्शी का जिगरी यार है व इसलामिक आतंकवादियों के हित में आबाज उठाने वाला उमर आबदुला भी Umar abdulaइसी राहुल विन्शी का यार है बटला हाऊस में पुलिस के जवान पर हमला करने वाले आतंकवादियों को बचाने के लिए आबाज उठाने में भी इसी राहुल विन्शी का गुरू गद्दार दिगविजय सिंह सबसे आगे था……

रही बालातकार की बात तो बालातकार में भी राहुल विन्शी हाथ अजमा चुका है p5इस पर सामुहिकबलातकार का ममाल दर्ज हुआ था जिसमें लड़ी व लड़ी के मात-पिता को गायब करवाने के बाद सरकीर न् अपनी शक्ति का दुरूपियोग कर इसे बचा लिया…

काले धन और भर्ष्टाचारsoniya 9 में तो इस राहुल विन्शी की मां एडबीज एंटोनिया अलवीना माइनो का कोई सानी नहीं अब आप ही बताओ इस इटालियन अंग्रेज की गुलाम सरकार क्यों न बालातकारियों-भर्ष्टाचारियों ,आतंकवादियों व काले धन वालों को कड़ी सजा की मांग करने वालों   के बिरूद्ध खड़ी हो?p3

जब आप दूसरे की मां-बहन-बेटी का अपमान करते हैं तो बासतब में आप अपनी मां बहन बेटी का अपमान करवाने के लिए एक महिलाविरोधी माहौल वना रहे होते हैं

हमीरपुर जिले के मतलेड़ी गांव की छठी में पढ़ने वाले छात्रा जो पाठसालाल से घर आ रही थी को गांव के ही गुंड़े ने बीड़ी लाने के बहाने बुलाया और फिर उसका बलातकार करने के बाद उसके सिरपर पत्थर मार-मार कर उसका कतल कर दिया क्या अब भी आप कहेंगे कि न्यालया द्वारा फांसी की सजा सुनाए गए 8 गुंडो की सजा माफ करने वाली कांग्रेस सरकार बालातकारियों की मददगार नहीं है
आो बालातकारियोंके मददगारियोंको वे चाहे कोई भी हों के लिए फांसी की सजा सुनिशेचित करें व ऐसे बालातकारियों का पक्ष लेने वाले दानबाधिकारबादियों को सबक सिखाने का प्रण करें

हमीरपुर जिले के टिहरी गाँव की लड़की
जो कि दशवीं गांव की प्राथमिक पाठशाला में पढ़ती थी के साथ हटली गांव के 30 वर्षीय गुंडे ने बालातकार करने की कोशिश करते हुए उसकी योनी में चाकू/बलेड से जखम कर दिए आज वो गुंडा खुला घूमता है किया अब भी आप बालातकारियों को फांसी की सजा देने का विरोध करने वाले दानबाधिकारबादियों काो सबक सिखाने वाले क्राँतिकारियों का समर्थन नहीं करेंगे
मामला दब गयाक्योंकि एकतो ये गरीब थी और दूसरा सहरी मिडीया की पहुंच से कोसों दूर

सिर्फ पुलिस बालों को सजा की बात कर रहे हैं वो बासतब में बालातकारियों को फांसी की सजा से बचाने के लिए जनता का ध्यान बंटाना चाहते हैं इनसे साबधान

जब लालकृष्ण अडवानी जी ने वालातकारियों को फांसी दने के लिए कानून बनाने की कोशिस शुरू की थी अगर उस वक्त ये लोग फांसी का विरोध करने वाले दानबाधिकारियों के बिरूध खड़े हो जाते तो आज तक ये कानून कब का लागू हो चुका होता फिर भी देर आए दुरूशत आए

बलातकारियों को हर हाल में शीघ्रताशीघ्र फांसी सजा मिलनी चाहिए लेकिन प्रदर्शनकारियों को सरकार के गुलाम सुरक्षाबलों पर हमला नहीं करना चाहिए वल्कि फांसी की सजा का विरोध करने वाले नेताओ, पत्रकारों और तथाकथित समासेवकों व दानबाधिकारबादियों को ढूंढ-ढूंढ कर शबकसिखाना चाहिए

जिस इटालियन अंग्रेज के सपोले पर अभी-अभी बालात्कार का केश CBI की मदद से खत्म हुआ हो वो भला क्यों बलात्कारियों का फांसी की सजा देने का समर्थन करेगी

गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

बीरभद्र सिंह क्यों प्रेमकुमार धूमल पर भारी पड़े?

मित्रो आज जब देश में हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी कांग्रेस के बिरूध एक तूफान सा चल निकला है उस महौल में बीरभद्र सिंह द्वारा प्रेमकुमार धूमल को हराना किसी अजूबे से कम नहीं है…

मित्रो हम सब जानते हैं कि जबसे बीरभद्र सिंह जी ने अपने पिछले कार्यकाल में धर्मस्वतन्त्रता बिधेयक बनबाकर अपने हिन्दूत्वनिष्ठ होने मतलब प्रखर देशभक्त होने का प्रमाण दिया है तब से ईसाई कट्टरता की बीमार मानसिकता से ग्रसित एडबीज एंटोनिया अलवीना माइनो और उसका बेटा राहुल विन्शी देशभक्त बीरभद्र सिंह जी के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं ।

अपनी इसी हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी मानसिकता के कारण एंटोनिया ने चुनाब आयोग पर अपनी पकड़ का गलत इसतेमाल करते हुए 2007 में निर्धारित समय से 6 महीने पहले चुनाब करबाकर बीरभद्र सिंह जी की हार सुनिश्चित करवाकर ईसाई सटोक्स को नेताविपक्ष बनाकर हिमाचल में कांग्रेस का नेतृत्व ईसाई के हाथ में सौंपने का असफल प्रयत्न किया। लेकिन बीरभद्र सिंह जी की अपनी लोकप्रियता व संगठन पर मजबूत पकड़ होने के कारण इस कटर ईसाई का ये षडयन्त्र सफल न हो सका ।

इन कटरताबादी मां–बेटे की  हिन्दूविरोधी मानसिकता एकबारफिर तब वेनकाब हुई जब इन दोनों ने मिलकर बीरभद्र सिह जी के बेटे vikrmadityaको युवा काँग्रेस के मुखिया के पद से हटाते हुए उसके दोबारा चुनाब लड़ने पर प्रतिबन्ध लगा दिया  वो भी तब जब इन दोनों कट्टर ईसाईयों व इनके गुलामों के भरपूर बिरोध के बाबजूद  ये नौजबान दो-तिहाई बहुमत से जीतकर युबाकांग्रेस के मुखिया के पद पर पहुंचा था।

इन कटरताबादी मां-बेटे के हिन्दू विरोधी षडयन्त्र यहीं  नहीं रूके बल्कि इन दोनों ने 2012 के चुनाबों में भी कमान बीरभद्र सिंह जी के हाथ में न देने की भरपूर कोशिश की लेकिन जब बीरभद्र सिंह जी ने अपनी राह इनकी गुलाम काँग्रेस से अलग करने की धमकी दी तब जाकर इन दोनों ने मजबूरी में चुनाबों की कमान उस वक्त बीरभद्र सिंह जी के पास दी जब चुनाबों में कुल मिलकार एक महीने से भी कम समय रह गया था।

हम सब जानते हैं कि बिपक्ष को जितना कम समय चुनाबों से पहले मिलता है उतना ही अधिक फायदा सतापक्ष को होता है लेकिन फिर भी प्रेमकुमार धूमल चुनाब हार गए क्यों?

आज जब बीरभदर सिंह जी ने इन कटरताबादी ईसाई मां-बेटे के सब षडयन्त्रों को धूल चटाते हुए हिमाचल में निर्णायक बिजय हासिल की है तब भी ये सुनिश्चित नहीं लगता कि ये दोंनों इन्हें हिमचाल में मख्यमन्त्री पद की सपथ लेने देंगे।

आज की तारीख में इस दोनों हिन्दूविरोधियों की एक ही कोशिश है कि किसी तरह कौल सिंह को मोहरा बनाकर हिमाचल की बागडोर आन्नद शर्मा को दे दी जाए.. क्यों?

जातिबादी मानसिकता के सिकार लोग सोचेंगे कि ये दोनों एक पण्डित को मुख्यमन्त्री बनाना चाह रहे हैं तो इसमें हरज ही क्या है लेकिन सच्चाई ये है कि आन्नद शर्मा की पत्नी भी इटली से है और ईसाई है इसीलिए कोशिश हिन्दू से सता छीनकर किसी ऐसे इनसान के हाथ में देने की कोशिश है जो पूर्ण रूप से हिन्दू नहीं है …

अब आप सोचो कि जिस बीरभद्र सिंह के पीछे पूरी कांग्रेस सरकार पड़ी हो उसे हराने के लिए उसी बीरभद्र सिंह से धूमल के हारने के क्या माइने हैं?

असली बात तो ये है कि प्रेम कुमार धूमल जी जिस पार्टी में हैं उस पार्टी की बिचारधारा से उनका दूर का भी बास्ता नहीं है। कुलमिलाकर आज धूमल साहब का एक ही मकसद नजर आता है कि किसी तरह कांग्रेसी गुलाब सिंह ठाकुर की सहायाता से भाजपा को पूरी तरह नेसतनानबूद करके उसकी जगह साहब और साहब के गुलामों की सरकार बना दी जाए जिसे हिन्दूत्वनिष्ठ बोटर ने पूरी तरह से नकार दिया है।

बहुत से लोग कहेंगे कि प्रमे कुमार धूमल ने 10 वर्ष तक भाजपा सरकार का नेतृत्व किया है लेकिन बास्तबिकता ये है कि इन 10 वर्षों में धूमल जी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक भी ऐसा काम नहीं किया जिसे हिन्दुत्व के पैमाने पर कसा जा सके।

उधारण के लिए ऐसे बहुत से मौके आए जब धूमल साहब अपने हिन्दूत्वनिष्ठ होने का प्रमाण प्रस्तुत कर सकते थे लेकिन इन्होंने नहीं किया।

हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी केन्द्र सरकार ने एक ऐसी छात्रवृति की शुरूआत की जो सिर्फ गैर हिन्दूओं के लिए ही थी जिसको गुजरात के नरेन्द्र मोदी जी ने रोक दिया व धूमल जी ने अक्षरशह लागू कर दिया।बास्तब में ऐसी बिभाजनकारी योजनायें छात्रों के बीच बैमनस्य पैदा करती हैं ।

केन्द्र सरकार ने अपनी तुष्टीकरण की निती को आगे बढ़ाने के लिए साऊदी अरब व अफगानीमूल के मौलाना आजाद का जन्मदिन मनाने का निर्णय लिया जिसे हिमाचल में लगू कर दिया गया जबकि हिन्दूत्व की बिचारधारा पूरी तरह से भूमिपुत्रों को अधिमान देने की है।

जब प्रेमकुमार धूमल जी बिपक्ष में थे तो इन्होंने कुछ लेख ऐसे जरूर लिखे थे जिन्हें पढ़ ऐसा भ्रम पैदा होता था मानों ये हिन्दुत्वनिष्ठ हैं लेकिन जैसे ही इन्होंने मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली बैसे ही इन पर एकबार फिर सेकुलर होने का भूत स्वार हो गया और इन्होंने अपनी सब योजनाओं की घोषणा ईसायों के नव वर्ष पर की जबकि ठीक 12 दिन बाद मक्रशक्रांति का सुभअबसर सामने था।

आप सब जानते हैं कि फूट डालो और राज करो की हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी राजनिती पर चलने वाली कांग्रेस ने हिन्दुत्वनिष्ठ भाजपा को निशासना बनाने के लिए सदभावना दिबस मनाना शुरू किया जिसको मानने के आदेश धूमल सरकार ने दिए।

जिस काँग्रेस की बिभाजनकारी नितीयों का विरोध करने के लिए भाजपा की उत्पति हुई उसी कांग्रेस के नेताओं के बुतों पर धूमल जी को माथा टेकटे हुए पाया गया।

अब आप ही बताओ कि दो नाबों पर सवार धूमल साहब पर हिन्दूत्वनिष्ठ बोटर बिश्वास करे तो कैसे ?

कुलमिलाकर धूमल सरकार का हारना धर्मनिर्पेक्षता की हार है और धर्मनिर्पेक्षता को हराना देस को बचाने के लिए जरूरी है।

दूसरी तरफ आप देखो कि हिन्दूविरोधी-भारतविरोधी कांग्रेस में रहते हुए भी बीरभद्र सिंह जी ने एक ऐसा कानून बनबाया जिससे ईसाईयों द्वारा धन-बल व छल-कपट द्वरा किए जा रहे धर्मांतरण पर रोक लगी वो भी अमेरिका-ब्रिटेन व सेनिया के दबाबा के आगे न झुकते हुए जिसके परिणाम स्वारूप संघ द्वारा बीरभद्र सिंह जी को लौहपुरूष कहा गया।

रविवार, 30 सितंबर 2012

Mahatma Gandhi

 

His actual name was Mohan Das Karm Chand Gandhi . Some people call him BAPPUgandhi2. But in constitution or in law this designation holds no validity. If we think in logical way then any hundreds or hundred fifty years old person can’t be the father of that nation whose history goes back to 17 lakh 25 thousand years . Gandhi played a role in struggle for freedom but his support to khilafat Andolan gave rise to islamic algaovad which resulted in partition of AkhandBharat gandhi3_smallin three parts east pakistan , west Pakistan and Bharat. After partition on the basis of religion the short-sightedness of Gandhi and Nehru kept muslims in the part which was meant for non muslims only . Now India is facing so many troubles in Kashmir Ghati , Assam and many other parts of India due to islamic terrorism . If Nathu Ram Godse would have killed him 10 years back then neither AkhandBharat have been divided nor India would have been facing so serious problems due to islamic Gagoipopulation explosion . Many of the people may have different views but it is the reality that Gandhi and Nehru always insulted great revolutionaries like shahid Bhagat Singh, Shahid Chandra shekhar Azad shaheedand many others . This number of revolutionaries goes up to 7 lacks but our intellectual slave persons gave importance only to nehru- soniya-1Gandhi family . we citizens must take pledge to get freedom from this intellectual slavery and we must work hard to achieve the targets of our beloved revolutionaries’ who sacrificed their everything including life, for the freedom and betterment of our Holy Motherland BHARAT MATA .Bharat man

गुरुवार, 20 सितंबर 2012

हिन्दूओं को सोनिया गाँधी से बहुत-कुछ सीखने की जरूरत है।

खुद को धर्मनिर्पेक्ष कहने वाले  बन्धु बार-बार हमें व हमारे जैसी सोच रखने वालों को ये कहकर गाली निकालते हैं कि क्योंकि हम हिन्दूहित की बात करते हैं इसलिए हमारी सोच, राजनीति व संगठन सबकुछ सांप्रदायिक है। इसीलिए वो हमें हमारे मुंह पर सांप्रदायिक कहते हैं और हमारे मूर्ख प्रतिनिधि जिन्हें हमने चुनकर इतना तो जरूर ताकतबर बनाया है कि वो उन्हें मुंह पर समझा सकें कि सांप्रदायिक हिन्दूहित की बात करने वाले नहीं बल्कि हिन्दूहित का विरोध करने वाले हैं।लेकिन न जाने क्यों हमारे ये प्रतिनिधि सर्वधर्मसम्भाव में हमेशा आस्था रखने हिन्दूओं को सांप्रदायिक कहकर गाली निकालने वाले भारतविरोधियों को कड़ा जबाब देने के बजाए कायरता की हद तक संयम का परिचय देते हैं।soniya

इन हिन्दू प्रतिनिधियों को ईसाई एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी से  सीखना चाहिए कि अगर हाथ में ताकत आ जाए तो किस तरह अपने सांप्रदाय से सबन्धित लोगों को आगे बढ़ाते हुए दूसरे सांप्रदाय से सबन्धित लोगों को पीछे धकेला जाता है…

19-09-2012 को CONGRESS CORE GROUP की बैठक हुई जिसमें निम्न लोगों ने हिस्सा लिया

1) एडवीज एंटोनिया माइनो ईटालियन उर्फ एदलगबो उर्फ SONIYA GANDHI  ईसाई (MINORITY COMMUNITY)

2) A K ANTONY  ईसाई (MINORITY COMMUNITY)

3)AHMED PATEL PA TO SONIYA GANDHI मुसलमान(MINORITY COMMUNITY)

4)MANMOHAN SINGH (MINORITY COMMUNITY)

5) P CHIDAMBRAM CONVERTED ईसाई (DOUBTFULL IDENTITY)

 

अब आप सोचो कि काँग्रेस द्वारा प्रचारित धर्मनिर्पेक्षता का क्या  मतलब होता है ?

उम्मीद है आप समझ गए होंगे कि सेकुलर गिरोह द्वारा प्रचारित धर्मनिर्पेक्षता  का एक ही अर्थ है कि हिन्दूओं को शक्तिविहीन कर गैर हिन्दूओं की गुलामी करने के लिए  बाध्य करना…

हद तो तब है कि जब हरवक्त इस ईटालियन अंग्रेज की हर वक्त चाटुकारिता करने वाले किसी भी हिन्दू को जगह नहीं मिलती इस ईसाई की जुंडली में।

अगर आपके पास समय है तो विस्तार से जानने के लिए इस लेख को जरूर पढ़ें

एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी के हिन्दुविरोधी षडयन्त्र

अगर हमने कुछ गलत कहा तो हमें बताना न भूलें

मंगलवार, 18 सितंबर 2012

दंगाई आइना देखते ही क्यों भड़क उठते हैं?

पैग़ंबर मोहम्मद पर बनी विवादित फ़िल्म के विरोध की आंच मध्यपूर्व, यूरोप और अमरीका सहित भारत में भी पहुंच चुकी है लेकिन ये फिल्म दुनियाभर में लोगों को आखिर क्यों उकसा रही है.

फिल्म में क्या दिखाया गया है?

इनोसेंस ऑफ मुस्लिमस नामक इस फिल्म में इस्लाम को हिंसा (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।) और द्वेष फैलाने वाले धर्म के रुप में दिखाया गया है. फिल्म के चित्रण के मुताबिक पैगंबर मुहम्मद मूर्ख और सत्ता-लोभी शख्स थे

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सच्चाई हमेशा कड़वी ही लगती है

फिल्म की शुरुआत में एक इसाई परिवार को मुसलमानों द्वारा प्रताड़ित होते दिखाया गया है, जो मध्यपूर्व में इसाईयों के खिलाफ़ हुए हमलों का संकेत देता है. फिल्म के कई हिस्सों में पैगंबर और उनके सहयोगियों को धन-संपत्ति के लिए महिलायों और बच्चों की हत्या करते दिखाया गया है.

फिल्म में क्या है?

बेन्गाज़ी में हमला

बेन्गाज़ी में फ़िल्म के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन में अमरीकी राजदूत समेत कई लोग मारे गए हैं.

पैगंबर मुहम्मद को किसी भी रुप में साकार करना अपने आप में गैर-इस्लामी है. इस फिल्म में उन पर कई कटाक्ष किए गए हैं. उनकी पत्नी ख़दीजा और उनके सहयोगियों के खिलाफ़ भी फिल्म में कई टिप्पणियां है ये सभी ईश-निंदा के अंतर्गत आते हैं.

इसके अलावा पैगंबर मुहम्मद का किसी स्त्री के साथ प्रेमालाप, उनका लालच और हिंसात्मक चित्रण अपने आप में अपमानजनक है.

क्या कहना है फिल्म के अभिनेताओं का?

सैम बेसाइल नाम के एक व्यक्ति ने फ़िल्म का निर्माण किया है जो ख़ुद को अमरीका में रहने वाले यहूदी बताते हैं और रियल स्टेट कारोबारी हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार सैम बेसाइल ने लगभग 50 लाख डॉलर में ये फ़िल्म बनाई है. ये धनराशि उन्होंने 100 यहूदियों से मांग कर जमा किया था. सैम बेसाइल ने इसे एक राजनीतिक फ़िल्म क़रार देते हुए कहा था कि इस्लाम एक कैंसर है.

जिस तरह के हालात इन दिनों हैं उनमें किसी भी संदर्भ में प्रदर्शन भड़क सकते हैं.

पैगंबर मोहम्मद का मजाक उड़ाते कार्टून

वर्ष 2005 में डेनमार्क के एक अखबार ने पैगंबर मोहम्मद को दर्शाते कार्टून प्रकाशित किए.

अख़बार युलांस पोस्टन ने 12 कार्टूनों की सिरीज़ प्रकाशित की जिनमें से कई कार्टूनों में पैगंबर को इस्लामी चरमपंथी के रूप में प्रदर्शित किया गया था.

फिर वर्ष 2006 में एक फ़्रांसीसी पत्रिका ने दोबारा इन कार्टूनों को छापा, जिसके बाद दुनिया भर में मुसलमानों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई.

ये सारी सामग्री इन समाचारों का सार है

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2011/04/110411_france_veil_va.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/09/120912_film_islam_da.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2012/09/120910_midnight_film_release_india_psa.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/09/120912_islam_disrespect_da.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/09/120915_prophet_film_question_pa.shtml

मुसलमानों द्वारा भारत के विभिन्न हिस्सों में किए जा रहे भारतीयों के कतलयाम को देखते हुए कोई भी समझदार इनसान इसी निशकर्ष पर पहुंचेगा कि इसलाम की स्थापना करने वाला जरूर कोई शैतान ही रहा होगा वरना ये कातिल इस तरह मानबता को लहुलूहान कर हिन्दूओं द्वारा आक्रमणकारी मुसलमानों के प्रति दिखाए गए भाईचारे को खतरे में न डालते

सोमवार, 10 सितंबर 2012

रविवार, 2 सितंबर 2012

नितीस बनाम राज ठाकरे की लड़ाई को बिहार बनाम मुंमबई की लड़ाई बनाने की गलती न करो मेरे यारो!

देखो जरा चैन से बैठकर सोचो कि ये लड़ाई विहारियों के विरूद्ध है या उन वंगलादेशी घुसपैठियए मुसलमानों के बिरूद्ध जो खुद को कभी उतर प्रदेश के, तो कभी विहार के, तो कभी पशिचम वंगाल के बताकर सारे देश में इसालमिक आतंकवाद का एक ऐसा तानाबान बना चुके हैं जिसे हिन्दूओं की रक्षा के लिए तोड़ना जरूरी ही नहीं बल्कि हम सब की मजबूरी भी है।ध्यान खो हम यहां उन बंगलादेशी घुसपैठिए मुसलमानों की बात कर रहे हैं  जो विहार, उतर प्रदेश व पशिम वंगाल के ना3म पर अपनी गलत पहचान बताते हैं।

अब प्रशन उठता है कि राज ठाकरे का आज का ब्यान बिहारियों के विरूद्ध है याफिर विहारियों की आड़ में मुमबई को नर्क बनाने पर तुले घुसपैठिए मुसलमानों के विरूद्ध। हमें तो पहले ही शक था कि राज ठाकरे क्योंकि अभी नए हैं इसलिए सीधा मुसलमानों का विरोध करने का साहस नहीं दिखा पा रहे हैं इसलिए गुसपैठिए मुसलमानों का सीधा नाम लेने के बजाए विहारियों का नम लेकर इन इसलामिक आतंकवादियों को निशाना बना रहे हैं लेकिन राज ठाकरे के आज के ब्यान से सपष्ट हो गया कि उनके निशाने पर मुसलमान हैं न कि विहारी कैसे?

राज ठाकरे ने कहा कि अगर मुमबई में अमर जवान समारक तोड़ने वालों को पकड़ने गई मुमबई पुलिस, का अगर वहां की सरकार ने विरोध किया तो वो सब बिहारीयों को घुसपैठिए समझ कर बाहर निकाल देंगे।

अब आप कहेंगे किठाकरे ने धुसपैठिए मुसलमान नहीं कहा ।आपको समझना चाहिए कि अमर जवान समारक को किसी हिन्दू या विहारी ने नहीं तोड़ा इस समारक को तोड़ा मुसलमान ने ।अभी भी ठाकरे की ताकत इतनी नहीं बढ़ी है कि वो वर्षों से ढोरा जमाए बैठे घुपैठिए मुसलमानों को सीधा निशाना बना पायें इसलिए ठाकरे ने शहीद समारक को अपमानित करने की बात जोड़कर सबको अपने इरादों का साफ संदेश दे दिया।

अब आप कहेंगे कि नितीस का  नाम बीच में कैसे आया ? हम सबको याद रखना होगा कि नितीस वो गद्दार बनेने की राह पर है जो गद्दारी मुलायम सिंह यादब व दिगविजय सिंह इसलामिक आतंकवादियों के साथ खड़े होकर वर्षों से कर रहे हैं।

ये तो भाजपा की आत्मगाती मूर्खता है जो इस गद्दार से अपना सबन्ध नहीं तोड़ रही। ये काम 2004 में ही हो जाना चाहिए था।

आपको याद होगा कि जब बंगलौर पुलिस ने विहार से इसलामिक आतंकवादियों को गिरप्तार किया था तो इस नए नवेले गद्दार ने ढटकर विरोध किया था इसीलिए राज ठाकरे को ये ब्यान देने के लिए मजबूर होना पड़ा। ये भी हो सकता है कि नितीस कुमार द्वारा आतंकवादियों के पकड़े जाने का विरोध करने की सूचना वहां की सरकार ने ही राज ठाकरे को दी हो । 

देशभक्तों का वोट खोते जा रहे नितीस अब तुष्टीकरण की नीति के सात-साथ क्षेत्रवाद को भी अपने हथियार की तरह प्रयोग कर रहे हैं इसलिए ये लड़ाई राज ठाकरे बनाम नितीस की है न कि किसी और की।

अन्त में इतना ही कहेंगे कि जो भी व्यक्ति किसी भी हिन्दू से जाति, क्षेत्र या भाषा के आधार पर भेदभाव करता है वो देशभक्तों की निगाह में कभी मान-समान का पात्र नहीं हो सकता इसलिए राजठाकरे को आतंकवादी मुसलमानों के विरूद्ध सीधा वोलना चाहिए अगर ताकत नहीं हैं इन आतंकवादियों का विरोध करने की तो खामोश रहना चाहिए ।

आओ अन्त में हम सब प्रण करें कि अपने आसपास घुसपैठ कर चुके इन इसलामिक आतंकवादियों को ढूंढ कर देश से बाहर निकलें ।

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

हिन्दू हथियार न उठोयें तो क्या करें ?

जेहादीयों का बैनर

आप बास्तब में अगर देश में शान्ति चाहते हैं तो इस जानकारी को ध्यान से देखने और पढ़ने के बाद खुदवाखुद चिल्ला उठेंगे कि जब सराकरें मानबता के हत्यारों के साथ जा खड़ी हुई हैं तो हिन्दू के पास आत्मरक्षा में हथियार उठाने शिवा कोई चारा नहीं!

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ये वो बैनर है जो मानबता के हत्यारों ने कशमीर घाटी में जगह-जगह चिपकाकर हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ षडयन्त्र की शुरूआत की

अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।)

 

 

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ये हैं वो सैनिक जिनके कन्धों पर भारतीयों की रक्षा की जिम्मेदारी है लेकिन चोरों ,गद्दारों और लुटेरों की सेकुलर(काँग्रेस) सरकार ने इनके हाथ इस कदर बान्ध दिए हैं कि ये खुद इसलामिक आतंकवादियों से पिटने-मरने को मजबूर हैं अब आप ही बताओ जिनको अपनी रक्षा का अधिकार नहीं वो भला दयावान-लाचार-शान्तिप्रिय हिन्दूओं की रक्षा कैसे करेंगे

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अगर कहीं  ये सैनिक आत्मरक्षा में किसी इसलामिक आतंकवादी को मार गिराते हैं तो उसे फर्जी मुठभेड़ करार देकर आतंकवादियों को मारने वाले बहादुर सैनिकों को जेलों में डाल दिया जाता है

(आज सैंकड़ों सैनिक व अन्य सुरक्षा बलों के जवान देशभक्ति की सजा जेलों में भुक्तने को मजबूर हैं)

 

आतंकवादियों की रक्षा के लिए कमांडर बर्खास्त

सैनिकों द्वारा अपना खून बहाकर देश के लिए किए गए काम को किस तरह इन गद्दार समर्थक सरकारों ने बर्बाद किया उसी को दर्शाता है ये ब्यान

सेनापति का दर्द

मुम्बई दंगा करवाने वालों के साथ वही गृहमन्त्री खड़ा है जिसे इससे पहले एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो(सोनिया गाँधी) के ऐजेंट अहमद पटेल व इसालमिक आतंकवादी के साथ बैठकर मुंम्बई का पुलिस कमीशनर की नियुक्त तय करते हुए कैमरे में कैद किया गया था

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जब आतंकवादियों के इसारे पर सराकर काम करे तो इसके शिवा और क्या हो सकता है

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वन्देमातरम् का विरोध….भारत माता को गाली----सैनिकों पर हमले---अब अमरजवान समारक मतलब देश की आन-वान-शान के लिए कुर्वान होने वाले शहीदों का अपमान

क्या अब भी आप कह सकते हैं कि गद्दार नहीं है मुसलमान

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मुसलमानों की गद्दारी का नमूना आप याहं भी देख सकते हैं कि वो इन गद्दारों का किस तरह समर्थन कर रहे हैं

http://www.facebook.com/photo.php?fbid=453632971326429&set=o.198159610273612&type=1&permPage=1

मुसलमानों की धमकियों व हमलों के परिणामस्वारूप हिन्दूओं का पलायन

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मुसलमानों के हमलों और हिन्दूओं की इसी भागमभाग में

अफगानिस्तान पाकिस्तान बांगलादेश सब हिन्दुविहीन हो गए।

अब कश्मीर आसाम को हिन्दुविहीन करने के लिए जिहादी हमले जारी हैं।।

आज जिहादी हमलों में वो घरबार परिवार सहित मारे गए।।।

कल हमारी फिर हमारे बच्चों को मारने की तैयारी है।।।।

आपके मन में यही आ रहा होगा

DESTROY ISLAM
OR
GET DESTROYED BY IT

 

हिन्दूओं की सेवा में

उग्रहिन्दूवादी

(sdsbtf@gmail.com