धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
गुरुवार, 1 जुलाई 2010
सेकुलर माओबादी आतंकवादियों के हमले में 27 सैनिक शहीद व 7 घायल। इन सेकुलर तालिवानों ने कत्ल के बाद शवों से घिनौनी हरकतें कर एक वार फिर अपनी तालिवानी प्रवृति का प्रमाण दिया।
आओ सबसे पहले शहीद सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए परमपिता परमातमा से प्रर्थना करें ।भगावना शहीद सैनिकों के परिजनों को इस अपूर्णीय क्षति को सहने करने की ताकत दे। भगवान घायल सैनिकों को शीघ्र स्वास्थय लाभ प्रदान कर उनके परिवारों का सहारा बरकरार रखे।
शत्रुओं से युद्ध में सैनिकों का सहीद होना कोई नई बात नहीं । यहां नई बात यह है कि अपने ही देश के नागरिक विदेशीयों के इसारे पर अपने ही लोगों का खून बहाने पर अमादा हैं।
जब अपने ही लोग( बैसे इनकी हरकतें देखकर इन राक्षसों को अपना कहना भी वेबकूपी ही है।) विदेशीयों के हाथों विक कर खूनखराबा करने लगें तो सरकार की जिम्मेदारी होती है सुरक्षाबलों के हाथ मजबूत कर बिदेशी साजिसों को विफल करना ।
लेकिन जब सरकार ही एक विदेशी की गुलाम हो तो आप सरकार से क्या उमीद करते हैं?
समान्य हालात में ये माना जाता है कि विदेशी खुद की देश के प्रति अपनी बफादारी साबित करने के लिए जोरदार तरीके से सैनिकों का समर्थन कर मनोबल बढ़ाकर ऐसे लोगों से निपटेगी । पर यहां तो विदेशी को पूरा भरोसा हो चला है कि देश में भारतविरोधी सेकुलर गद्दारों की चलती है इसलिए ये विदेशी सैनिकों पर वेढ़ियां डालकर उनको आतंकवादियों के हाथों हिंसा का सिकार होने पर बाध्य कर रही है।
जब देश की सरकार विदेशी की गुलाम होकर देश के विरूद्ध काम करे तो लेखक-आज की भाषा में वोलें तो-पत्रकार और सपष्ट वोलें तो समाचार पत्रों व चैनलों की जिम्मेदारी होती है कि वो जनता को सरकार की गद्दारी से अबगत करवाकर देश में क्रांति का शूत्रपात करें।
पर जब कलम भी विदेशीयों के हाथों विक कर उनकी कठपुतली बन जाए तो एक ही रास्ता बचता है और वो है सेना द्वारा गद्दार नेताओं को गोली मारकर सता अपने हाथ में लेकर देश से गद्दारों व उनके समर्थकों का नमोनिशान मिटाना।
आओ सेना से अपील करें ताकि वो हम सब भारतवासियों की आदमखोर पाकिस्तान समर्थक मुसलिम आतंकवादियों, चीन समर्थक माओवादी आतंकवादियों व रोम समर्थक ईसाई आतंकवादियों से रक्षा कर देश को शांति के मार्ग पर लौटाने का अपना फर्ज गद्दारों का नमोनिशान मिटाकर निभा सकें।
ऐसा नहीं कि सैनिकों का ये नरसंहार पहला है इससे से पहले भी ये आतंकवादी सरकार की आतंकवाद समर्थक नितीयों के कारण कई नरसंहार अंजाम देकर बच निकलने में सफल रहे हैं गद्दार सेकुलर गिरोह की सहायता के कारण।
• दिनांक 29-060-10 को छतीसगढ़ के नारायमपुर जिले के दौराई रोड़ पर बामपंथी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 27 सैनिक शहीद हुए व 7 जख्मी।कत्ल के बाद शवों के साथ छेड़छाड़।
• दिनांक 08-05-10 छतीसगढ़ के वीजापुर जिले में बामपंथी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 8 सी आर पी एफ जवान शहीद हुए।
• दिनांक 06-04-10 को छतीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में बांमपंथी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 75 सैनिक शहीद हुए ।
• दिनांक 04-04-10 को उड़ीसा के कोरापुट जिले में बामपंथी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में सुरक्षाबलों के 11 जबान शहीद हुए।
• दिनांक 15-02-10 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के सिलदा में लगे एक कैंप में बामपंथी आतंकवादियों ने 25 सैनिकों को जिन्दा जला दिया गया। जिसके बाद पुलिस के एक बढ़े अधिकारी ने विद्रोह कर दिया और जनता को बताया कि उसने भीड़-भाड़ वाले इलाके में कैंप लगाने का विरोध किया था लेकिन बामपंथी मुख्यमन्त्री ने जबरदस्ती वो कैंप ऐसी जगह लगवाया जहां सुरक्षावलों पर असानी से हमला किया जा सके।
• दिनांक 08-10-09 को महाराष्ट्र के गढ़चरौली जिले के लैहरी सटेसन पर बामपंथी आतंकवादियों ने हमला कर 15 पुलिस वालों को शहीद कर दिया।
ये तो हमने पिछले लगभग 6-8 महीनों के सिर्फ वो हमले बताए जिनमें सुरक्षाबलों के दर्जनों जवान शहीद हुए।
इन बामपंथी आतंकवादियों ने आज तक हजारों आम नागरिकों का भी कत्ल किया है ।
शायद आपको याद होगा हाल ही में ट्रेन पर किया गया वो हमला जिमें सैंकड़ों लोग मारे गए व सैंकड़ों ही घायल हुए।
इस हमले के बाद आतंकवादी माओवादियों ने आरोप लगाया कि कत्ल सतारूढ़ बामपंथियों ने किया है। बैसे ये बामपंथी आतंकवादी सता में आने पर भी लोगों की कत्लोगारद मचाकर ही चुनाब में बोट लेने में विस्सास रखते हैं।
कौन भुला सकता है कि किस तरह आए दिन राजनितिक बांमपंथी मतलब CPM के हथियारबन्द आतंकवादी तृणमूल के कारयकर्ताओं को निशाना बनाते हैं।
ऐसा नहीं कि CPM के आतंकवादियों की इस हिंसा के सिकार सिर्फ एक ही पार्टी के कार्यकर्ता होते हैं कांग्रेस और भाजपा के भी सैंकड़ों कार्यकर्ता इन आतंकवादियों की हिंसा के सिकार हो चुके हैं। आज(30-06-10) ही झारखंड में छोटे कांग्रेसी नेता का कत्ल किया गया।
RSS के कितने कार्यकर्ता इन CPM आतंकवादियों के सिकार हुए हैं ये तो आप उन्ही से पता करो तो वेहतर होगा पर हमारी जानकारी के अनुसार ये शंख्या बहुत बढ़ी है।हमने You Tube पर एक रिकार्डिंग देखी थी जिसमें बामपंथी आतंकवादी RSS के एक कार्यकर्ता की चमड़ी उधेड़ रहे थे। साथ में कह रहे थे वोल गई तेरी देशभक्ति कि नहीं।
आम नागरिकों के उपर इन बामपंथी आतंकवादियों ने क्या-क्या जुल्म ढ़ाए हैं वो बयान करना हमारे बस की बात नहीं।
कितनी ही पाठशालायें, पंचायत भवन,चिकितसालय व सड़कें इन बामपंथी आतंकवादियों ने आज तक उड़ा दिए ये जानकारी आप सरकारों से RTI के तहत प्राप्त कर सकते हैं।
आज भी ऐसे देशविरोधी लोगों की कमी नहीं जो इन बांमपंथी आतंकवादियों को गरीबों का मसीहा कहते नहीं थकते । मजे की बात है कि गरीबों का खून चूसने वाले इन बामपंथी आतंकवादियों का गरीबों की लूट से तैयार किया गया लूट का सालाना बजट 16000 करोड़ रूपए का है।
जिसक उपयोग ये गरीबों के लिए बनाई जा रही सड़कों , चिकितसालयों,पाठशालाओं को बम्मों से उड़ाने के लिए करते हैं। इस सब ये इनका दिल नहीं भरता तो ये अकसर गरीबों का खून बहाकर उनकी मां-बहन-वेटियों की जिन्दगी को दुस्वार बना देते हैं।
माओवादी आतंकवादियों का सबसे बड़ा मददगार है सेकुलर गिरोह
जिसमें खुद केन्द्र सरकार व कई राज्य सरकारें सामिल हैं ।सेकुलर गिरोह की इस गद्दारी को छिपाने वा माओवादी आतंकवादियों का आगे बढ़ाने में सक्रिए सहयोग दिया जाता है मिडीय द्वारा।
जब भी माओवादी आतंकवादियों के हमले में सैनिक शहीद होते हैं ये गिरोह सैनिकों की कमियां गिनाकर जनता में आतंकवादियों के प्रति पैदा होने वाले आक्रोस को कम करने का हर सम्मभव प्रयत्न करता है जिसके परिणामस्वारूप ये माओवादी आतंकवाद लगातार बढ़ता जा रहा है।
सरकार का मोओवादी आतंकवादियों को किस सतर का समर्थन प्राप्त है इसका अन्दाजा इसी बात से हो जाता है कि जब गृहमन्त्री पी चिदमबरम ने आतंकवादियों से सख्ती से निपटने की बात की तो पहले कांग्रेस महासचिब दिगविजय सिंह ,मणिसंकर अययर व बाद में गद्दारों की सरदार इटालियन अंग्रेज एंटोनिया ने खुलकर माओवादी आतंकवादियों का समर्थन कर गृमन्त्री की योजना को रूकवा लगा दिया।
अब ऐसे हालता में जब सेकुलर गिरोह से जुड़ा हर ब्यक्ति व संगठन माओवादी आतंकवादियों का समर्थन कर रहा है तो सेना द्वारा तखतापलट के सिवा देश को बचाने को और कोई रास्ता नहीं दिखता ।
आज से लगभग 15-20 बर्ष पहले से देश के बहुत से हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन व अन्य देशभक्त संगठन चीन समर्थक माओवादी आतंकवादियों की बढ़ती देशविरोधी गतिविधियों पर अंगुली उठाते रहे हैं लेकिन सेकुलर गिरोह ने मिडीया का उपयोग कर इन आदमखोर तालिवीनों को गरीबों का मसीहा करार देकर सब संगठनों को चुप करवा दिया।
शायद सेकुलर गिरोह को लगता है कि इन माओवादी आतंकवादियों की सहायता से देश की संसकृति और सभ्यता को असानी से शीघ्रताशीघ्र समाप्त किया जा सकता है। आपको लालू से लेकर दिगविजय व ऐंटोनिया जैसे अनेक सेकुलर नेता व पार्टियां मिल जाएंगी जिन्होंने इन आतंकवादियों की सहायता लेकर चुनाब जीता ।
मकसद सिर्फ एक कि किसी तरह देशभक्ति व हिन्दूत्व की बात करने वाले संगठनों को आगे बढ़ने से रोका जा सके।
अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए सेकुलर गिरोह ने पाकसमर्थक मुसलिम आतंकवादियों ,चीन समर्थक माओवादी आतंकवादियों व धर्मांतर समर्थक इसाई आतंकवादियों को एकजुट होकर हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों पर हमला वोलने का मौका दिया।
आपको याद होगा कि किस तरह उड़ीसा के कंधमाल में ईसाईयों द्वारा हिन्दू सन्त का कत्ल करने पर माओवादी आतंकवादियों ने उनके कत्ल की जिम्मेदारी अपने सर पर ली ।
हिन्दू सन्त का कत्ल करने के बाद ईसाई आतंकवादियों ने वहां पर पर्चा छोड़कर लोगों को बताया कि क्योंकि हम देश को धर्मनिर्पेक्ष बनाना चाहते हैं इसलिए इस हिन्दू सन्त का कत्ल किया गया।
उसके बाद सरकार ने माओवादी या ईसाई आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने के बजाए हिन्दूत्वनिष्ठ देशभक्त संगठनों पर धाबा वोल दिया। जिसके परिणासवारूप जनता ने अपने हिसाब से प्रतिक्रिया की जिस पर रोना-धोना आज तक जारी है।
माओवादी आतंकवादियों ने जिस क्षेत्र में भी अपने पैर पसारे सबसे पहले उस क्षेत्र में इन आतंकवादियों ने हिन्दूओं के आस्था के केन्द्रों पर प्रहार किया।
यहां तक कि अपने प्रभाव वाले क्षत्रों में मर्यादापुरषोत्तम भगवान श्रीराम तक का नाम लोने पर प्रतिबन्ध लगा दिया। ये कदम कांग्रेस सरकार के उस कदम के समरूप था जिसमें सरकार ने माननीय न्यायलय में लिखकर दिया कि भगवान श्रीराम हुए ही नहीं।
सेकुलर गिरोह व माओवादी आतंकवादियों की हिन्दूविरोधी-देशविरोधी सोच की समरूपता ही आज सेकलरगिरोह की केन्द्र सरकार को इन सेकुलर आतंकवादियौं के विरूद्ध कार्यवाही करने से रोक रही है। कांग्रेस को लगता है कि माओवादी आतंकवादियों की हार धर्मनिर्पेक्षता की हार व राष्ट्रवाद की जीत है।
इसीलिए केन्द्र सरकार सेना को खुला हाथ देने के बजाए सुरक्षाबलों पर और वेढ़ियां डालने की बात कर रही है। वेशक गृहमन्त्री ने जनता के दबाब को कम करने के लिए आप्रेसन ग्रीनहंट की शुरूआत की पर केन्द्र सरकार के आकाओं ने ही इस आप्रेसन को पलीता लगा दिया।
आज जिस तरह से इन सेकुलर आतंकवादियों ने शहीद हुए सैनिकों की लाशों के साथ छेडछाड़ की वो वही तरीका है जो तालिवानी मुसलिम आतंकवादी अपनाते रहे हैं।
सेकुलर तालिवानों के हमले में शहीद सैनिक के विना सिर के शब को को उठाते अन्य सैनिक।
नक्सलियों की क्रूरता चरम पर, जवानों के सिर काटे
रायपुर। नक्सलियों की क्रूरता का तांडव जारी है या यू कहें कि नक्सलियों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी हैं। मंगलवार को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के जवानों को न सिर्फ मार डाला बल्कि जवानों के सिरों को कलम कर दिया और कुछ के सिर तक कुचल डाले। नक्सलियों की इस घिनौनी हरकत से साबित होता है कि उन्हें किसी बात का खौफ नहीं है। वो जब चाहे, जहां चाहे कुछ भी कर सकते हैं और सरकार सिर्फ तमाशबीन बनी देखती रहेगी।
Naxals slit CRPF men's throats, smashed heads
"The Naxalites shot dead the CRPF personnel from a distance and later, they slit open the throats of three and smashed heads of two other jawans," a top police official told PTI.
हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों को समाप्त करवाने के चक्र में कांग्रेस सरकार ने न जाने कितने सैनिकों व आम लोगों की बली चढ़ा दी ।
हमें तो आशा है कि सरकार को ये बात समझ आ गई होगी कि किसी विचारधारा को खत्म करने के लिए सेकुलर आतंकवाद को आगे बढ़ाना कितना खतरनाक है।
आखिर राजनीति भी तभी तक हो सकेगी जब तक देश है जब देश ही नहीं रहेगा तो कहां राजनिती करोगे?
इस कांग्रेस सरकार ने माओवादी आतंकवादियों को फायदा पहुंचाने के लिए ततकालीन नेपाल सरकार को सैनिक सहायता बन्द कर दी । परिणामस्वारूप नेपाल पर माओवादियों के कब्जे के साथ ही नेपाल पर चीनी बर्चस्व बढ़ गया। साथ ही नेपाल पर कब्जे के बाद माओवादी आतंकवादियों ने भारत में भी हमले तेज कर दिए।
ऐसा नहीं कि इन सेकुलर आतंकवादियों ने लाशों से छेड़छाड़ कर पहलीबार अपनी तालिवानी मानसिकता का परिचय दिया हो इससे पहले भी ये सेकुलर आतंकवादी लोगों का सिर कलम कर अपनी तालिवानी प्रवृति का प्रमाण दे चुके हैं।
हमारे विचार में इन सेकुलर आतंकवादियों द्वार किए जा रहे नरसंहारों के लिए इन आतंकवादियों के साथ-साथ इनके मददगार भी उतने ही जिम्मेदार हैं।
अगर सरकार में थोड़ी भी शर्म वाकी है तो सबसे पहले इन सेकुलर आतंकवादियों के मददगारों को हाबालात में बन्द किया जाए पर अफसोस इन मददगारों में सबसे आगे सरकार में ही बैठे लोग हैं।
अन्त में हम फिर कहेंगे कि सेकलर गिरोह समर्थित व पोषित आतंकवाद के भंवर में फंसते देश को बचाने के लिए सैनिक सासन के अलावा और कोई रास्त नहीं वो भी यथाशीघ्र बरना बहुत देर हो जाएगी।
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7 टिप्पणियां:
सार्थक और स्पष्ट लेख के लिए बधाई।
जब तक देश के नपुंसक नेता नहीं मर जाएंगे, तब तक नक्सलवाद, माओवाद व आतंकवाद से निपटना बहुत मुश्किल है। नक्सलियों के खिलाफ जब सैनिक कार्रवाई की बात आती है तो सबकी नशों का खून सूख जाता है या कहें सबका नक्सल प्रेम जागृत हो उठता है, बेचारे सेना और पुलिस के जवान इन खूंखार दरिंदो का शिकार होते हैं तो किसी की आंख से एक बूंद पानी नहीं गिरता।
जो दसियों हज़ार शिक्खो कि हत्या करता है,
कश्मीर में हजारो को मरता है
सेना पर हमले करता है
सांसद पर हमला करता है वह आतंकबादी नहीं
आतंकबादी खोजा ज रहा है
भारत माता क़े पुजारियों में
यह देश किसका है
यह देश को समझने कि आवस्यकता है
Bahut Hi sarthak lekh SUNIL BHAI>>>
Padh kar KHOON KHOL Gaya..
Dhanyavaad
ये मैकाले की औलाद हैं......अगर इनके बेटे या परिवार वाले मरे जाते तो इनको समझ में आता.
इन माध.....की तथाकतित धर्मनिरपेक्षता की वजह से ही ये हालत पैदा हुए हैं.इनको ये समझ में नहीं आता की रोज-रोज मरने से अच्छा है की जो करना है कर डालो.पाकिस्तान(मुसलमानों)के विरुद्ध बोलेंगे तो वोट जायेगा...और चाइना(तथाकतित धर्मनिरपेक्ष) नक्सालिओं के विरुद्ध करवाई करेंगे तो इनकी जरुरत ही नहीं रहेगी....
मेरे ब्लॉग पर अपनी अमूल्य राय देने के लिए आप का धन्यवाद और साधुवाद...
मेरी तो भगवान से यही विनती है कि वो समय जल्दी ही आये जब इस देश में सीमा पर जान देने वाले "वीर सेनिकों" का शाशन हो.. अगर ऐसा हो गया तो इस देश को फिर से "हिंदुस्तान" कहलाने से कोई नहीं रोक पायेगा.. नहीं तो ये "तुरीन और सेकुलर" सरकार इसे इटली या अमेरिका का गुलाम बना देगी...
(Hindutvaa & Rasthravaad)
सराहनीय प्रयास। शहीदों के प्रति मेरी संवेदनाएं। इसी तरह मुखर होकर लिखते रहिए।
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