भारत में लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों पर अनेकों पुस्तकें लिखी गई हैं ।परन्तु प्रस्तुत पुस्तक धर्मनिर्पेक्षता-वोले तो-देशद्रोह अपने आप में एक विशेष कृति है। भारतवर्ष के लिए आतंकवाद नया नहीं है इस आतंकवाद का सामना भारत 7वीं शताब्दी में भारत में प्रवेश करने वाले पहले मुस्लिम जेहादी आतंकवादी मुहम्दविन कासिम के समय से कर रहा है जिसका राक्षसी चेहरा औरंगजेब और बाबर के रूप में भारत ने देखा और सहा। ये मुस्लिम जेहादी हमला ही भारत में हर तरह के आतंकवाद की जड़ है । आज भारत में छोटी मोटी चोर बजारी व दंगे से लेकर अन्तराष्ट्रीय नसे के कारोबार व भारत में जाली मुद्रा के प्रसार तक के हर भारत विरोधी गैरकानूनी कारोबार के पीछे किसी न किसी मुस्लिम जेहादी का ही हाथ निकलता है । ये मुस्लिम जेहादी आतंकवाद भारत के कई विभाजन करवा चुका है हजारों मन्दिर तोड़ चुका है लाखों हिन्दुओं का खून बहा चुका है और आज भी बहा रहा है ।
किसी भी समाज में राक्षसों का जन्म लेना कोई नई बात नहीं है लेकिन समाज का उन राक्षसों के बचाब व समर्थन में खड़े होना विनाश का कारण बनता है यही सबकुछ आज मुस्लिम समाज के साथ हो रहा है एक तरफ अखण्ड भारत के हिन्दुओं वाले इस हिस्से में ये जेहादी मुस्लिम हिन्दुओं का खून बहा रहे हैं कभी कभार देशभक्त मुसलमानों पर भी हमला बोल रहे हैं तो दूसरी तरफ अखण्ड भारत के ही दूसरे हिस्सों पाकिस्तान व अफगानिस्तान में यही मुस्लिम जेहादी मुसलमानों का ही खून बहा रहे हैं ।
ये तो सनातन शांतिप्रिय संस्कृति के समर्थक हिन्दुओं की सहनशक्ति की इन्तहां है कि इन मुस्लिम ज्हादियों के शिकार हिन्दू अभी तक अपना संयम नहीं खोए हैं और मुस्लिम जेहादियों द्वारा चलाय जा रहे हिन्दू मिटाओ-हिन्दू भगाओ अभियान का जबाब उन्हीं के तरीके से नहीं दे रहे हैं । वरना आज तक न हिन्दुओं के कातिल मुस्लिम जेहादी बचते न उनके ठेकेदार भारत-विरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादी ।
मुसलमानों को अगर मानवता के प्रति लेशमात्र भी समर्पण है तो इन्हें मिलजुलकर इस्लाम के नाम पर मार-काट मचा रहे इन मुस्लिम जेहादियों को यथाशीघ्र बिना कोई समय गवाय अपने आप मिटा देना चाहिए वरना इन मुस्लिम जेहादियों के हमलों से त्रस्त भारतीय जनता मुसलमानों में छुपे इन मुस्लिम जेहादियों को ढूंढ-ढूंढ कर मारने पर मजबूर होगी ।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब भी हिन्दुओं के अन्दर राक्षस पैदा हुए हैं हिन्दुओं ने खुद उन राक्षसों को जड़-मूल से मिटाया है परन्तु मुसलमानों ने इसके विपरीत न केवल मुसलमानों के अन्दर पैदा होने बाले राक्षसों को समर्थन दिया है बल्कि उन्हें जेहादी का दर्जा देकर, मदरसों व मस्जिदों को उनकी शरणगाह बनाकर अपने बच्चों को उन राक्षसों के नक्से कदम पर चलने के लिए बाध्य भी किया है जिसका परिणाम आज समस्त मुस्लिम समाज भारत के सिवा सारे संसार में भुक्त रहा है ।
मुस्लिम जेहादी राक्षसों के समर्थन में मुस्लिम समाज का खड़ा होना कोई नई बात नहीं है लेकिन हिन्दुओं द्वारा धर्मनिर्पेक्षता के नाम पर इन मुस्लिम जेहादी राक्षसों का समर्थन करना व उनको आगे बढ़ाना वाक्य ही चौंकाने वाला है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाला भारत में ऐसे राष्ट्रविरोधी मीडिया, मानवाधिकार संगठनों, लेखकों, समाजिक कार्यकर्ताओं व नौकरसाहों का पनपना है जो हर वक्त इन मुस्लिम जेहादी आंतकवादियों के बचाब में हर दिन नया कारण ढूंढते नजर आते हैं और हर मुस्लिम जेहादी आतंकवादी हमले के लिए हिन्दुओं को दोषी ठहराते हैं । धर्मनिर्पेक्षता की आड़ में चल रहे इस मानवता विरोधी षडयन्त्र को आज बेनकाब कर जड़मूल से समाप्त नहीं किया गया तो आने बाली पीढ़ियां वर्तमान भारतीय समाज को कभी माफ नहीं कर पांयेगी ।
आज राजनितीक दलों का खुद को धर्मनिर्पेक्ष कहलबाने वाला गठबन्धन भारत को अफगानीस्तान बनाने की राह पर अग्रसर है ये गठबन्धन जिस तरह हिन्दूत्वनिष्ठ-राष्ट्रबादी संगठनों को कमजोर करने के लिए, मुस्लिम जेहादियों के लिय किये जाने बाले कार्यों को मुसलमानो के लिए किए जाने वाले कार्य बताता है व मुस्लिम जेहादी आतंकवादियों के विरूद्ध सुरक्षबलों द्वारा की जाने बाली कार्यवाही को मुसलमानों के बिरूध कार्यवाही बताता है वो बिल्कुल वैसे ही कदम हैं जैसे कदम पाकिस्तान में समय-समय पर आने वाली सरकारों ने व अफगानीस्तान में अमेरिका ने क्रमशः मुस्लिम जेहादीयों को हिन्दूस्थान पर हमला करने व रूस को भगाने के लिये उठाय जिसके परिणामस्वरूप आज वही जेहादी पाकिस्तान व संसार के लिए भस्मासुर साबित हो रहे हैं ।
भारत पर वर्तमान में इस आतंकबादी हमले के अतिरिक्त सांस्कृतिक हमला भी बोला जा रहा है जो इस आतंकबादी हमले से कहीं ज्यादा भयानक व खतरनाक है । इस सांस्कृतिक हमले का नेतृत्व ईटालियन ईसाई एंटोनियो माइनो मारियो अपने इस देशविरोधी हिन्दूविरोधी जेहाद व धर्मांतरण समर्थक धर्मनिर्पेक्ष गठवन्धन के सहयोग से कर रही है ।
जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता 900 बर्ष के मुस्लिम जेहादी आंतकवादियों के गुलामीकाल व 300 बर्ष के धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाई सम्राज्यवादियों के गुलामी काल में अपने आप को अपने राष्ट्रभक्त बलिदानियों के बलिदानों व अपनी आन्तरिक मजबूती के बल पर अपने आप को बचाने में समर्थ रही वो ही भारतीय संस्कृति पिछले 50 वर्षों के हिन्दूबिरोधियों व गद्दारों के सांस्कृतिक हमलों से छिन्न-भिन्न होती नजर आ रही है क्योंकि इस 1200 वर्षों के गुलामीकाल में समस्त भारतीय समाज बोले तो हिन्दू समाज उन अत्याचारियों व विदेशियों के षडयन्त्रों के प्रति जागरूक था उनसे लोहा लेने को तत्पर था।
लेकिन वही हिन्दू समाज धर्मनिर्पेक्षता के चोले में छुपे अपने ही राष्ट्र भारत के हिन्दूविरोधी शत्रुओं को पिछले साठ वर्षों से इन गद्दारों द्वारा योजनाबद्ध भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर किए जा रहे हमलों के बाबजूद इन देशद्रोहियों को पहचाने में असमर्थ रहा परिणामस्वरूप हिन्दू समाज ने अपूर्णीय क्षति उठाई ।इस देशविरोधी आतंकवाद समर्थक धर्मनिर्पेक्ष गठबन्धन की असलियत उस वक्त सामने आई जब इसने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अधार सतम्भ मर्यादा पुर्षोत्तम भगवान श्री राम के अस्तित्व को ही नकार दिया । जिसके परिणाम स्वरूप हिन्दुओं को ये सपष्ट हो गया कि क्यों ये गठबन्धन हर वक्त हिन्दू संगठनों पर हमला करता है व मुस्लिम जेहादी आतंकवादियों को अपना भाई बताता है।
इस देशद्रोही गठबन्धन की असलियत को उजागर करना ही इस पुस्तक का मूल उद्देश्य है।
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