हम अपने प्यारे हिन्दूराष्ट्र भारत को अल्पसंख्यकवाद व धर्मनिर्पेक्षता की आड़ में चल रहे देशद्रोह हिन्दूविरोध को उन्हीं का मार्ग अपनाकर गद्दारों का इस पुण्य भूमि भारत से सफाया कर देने का प्रण लेकर इस अभिव्यक्ति के क्रम को विराम दे चुके थे कि 26/11/2008 को मुम्बई में जो हुआ उसने इस पुस्तक में अभिव्यक्त की गई युद्ध की शंका के साक्षात दर्शन करवा दिए ।
अब इस बर्बर इस्लामिक हमले के बारे में न लिखा जाए ऐसा कैसे हो सकता है ।
26 नवम्बर शाम को हमने बी. बी. सी. पर एक चर्चा सुनी जिसका शीर्षक था साँप्रदायिक आतंकवाद परन्तु इस सारी चर्चा का मकसद था हिन्दुओं को बदनाम करना व भारत में जिहादी आतंकवाद को विभिन्न कारण देकर न्यायोचित ठहराना । पहले तो हमने इस चर्चा के बारे में न लिखने का निर्णय लिया था लेकिन मुम्बई में हुए हमले ने हमें इन कातिलों के ठेकेदारों से बात करने पर मजबूर कर दिया ।इस कार्यक्रम में के एस ढिल्लों सेवानिवृत भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी जो पुलिस सुधारों पर काम कर रहे हैं ऐसा बताया गया । ये ढिल्लों कहते हैं कि भारत में कोई मुस्लिम आतंकवाद नहीं है सिर्फ कानून व्यवस्था की समस्या है और ये समस्या इसलिए पैदा हो रही है क्योंकि भारत में मुसलमानों को दबाने की कोशिश हो रही है।
ढिल्लों जी आप पुलिस सुधारों पर काम कर रहें हैं या जिहादी आतंकवादियो को बचाने के सूत्रों पर । इस सब के लिए पैसे सीधे साउदी अरब से मिलते हैं या बाया पाकिस्तान होकर । याद रखो आज यदि ये समाज पुलिस पर संदेह करता है तो आप जैसे आतंकवादियों के चाकर उँचे पदों पर बैठे या रहे पुलिस अधिकारियों की वजह से । आप जैसे गद्दारों की वजह से ही स्वर्गीय मोहन चन्द शर्मा जैसे देशभक्त जवानों का बलिदान देने के बावजूद ये जिहादी दानव आपे से बाहर होता जा रहा है ।
इस कार्यक्रम में भारतीय मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष जगदीश वर्मा कहते हैं कि इन जिहादी आतंकवादियों को रोकने के लिए न तो सख्त कानून बनाने चाहिए न ही इनको गोली मारी जानी चाहिए जिहादी जो कहते हैं उस पर सरकार को अमल कर इनकी समस्या का समाधान करना चाहिए ।
जगदीश जी इनकी समस्या का समाधान है भारत के सब हिन्दुओं का कत्ल कर यहां दारूल इस्लाम बनाना सिर्फ भारत ही नहीं सारी दुनिया को इस्लामी राज्य बनाना । जगदीश जी आपकी इसी सोच की वजह से आप दानवाधिकार आयोग बोले तो आतंकवादी अधिकार आयोग के संस्थापक सदस्य कहलाने के पात्र हैं आपका ही वो कार्यकाल था जिसने भारतीय मानवाधिकार आयोग को हिन्दुविरोधी आतंकवादी आयोग बना डाला और हिन्दुओं को अपने ही देश में मूलाधिकारों से वंचित होने का एहसास करवाया ।
हमें अफसोस होता है आपको ये बताते हुए कि मानवाधिकार कानून का पालन करने वाले शान्तिप्रिय नागरिकों के लिए होते हैं न कि हर तरह के कानून और मानबता के बन्धन तोड़ कर निर्दोश नागरिकों का खून बहाने के लिए प्रतिबद्ध आतंकवादियों के लिए ।
जिस भारत के इतने बड़े पद पर आप जैसे अमन चैन के शत्रु व आतंकवादियों के मित्र पहुँच जाँयें उस भारत को इन जिहादी राक्षसों के हमलों से कौन बचा सकता है। आपको ये समझना चाहिए कि हर रोज हो रहे आतंकवादी हमलों में मारे जाने वाले निर्दोष नागरिकों के कत्ल के लिए इन आतंकवादियों से ज्यादा आप जैसे इन आतंकवादियों के समर्थक जिम्मेदार हैं ।
हम तो कहते हैं कि अफजल जैसे जिहादियों को फाँसी पर चढ़ाने से पहले आप जैसे उचें पदों पर बैठे या रहे आतंकवादियों के पैराकारों को पहले फाँसी पर चढ़ाना चाहिए ताकि आम भारतीय अमन चैन से जिन्दगी जी सकें ।
कुलदीप नैयर जी कहते हैं भारत की सारी पुलिस खराब है और हिन्दुओं में तालिबान हैं।
ये कुलदीप नैयर जी वही हैं जो आज तक गोधरा में मुस्लिम भीड़ द्वारा ट्रेन में आग लगाकर जिन्दा जलाए गये हिन्दुओं की प्रतिक्रियास्वरूप मारे गये लगभग 700 मुसलमानों का विरोध करने के लिए दर्जनों लेख लिख चुके हैं लेकिन मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों द्वारा मारे गये 60000 से अधिक हिन्दुओं व विस्थापित हुए लाखों हिन्दुओं के बारे में लिखते वक्त इनकी स्याही सूख जाती है ।
यह वही लेखक है जो बिल्कुल ऐसा ही हमला संसद भवन पर करवाने वाले जिहादी प्रोफैसर को छुड़ाने के लिए मोमबती जलाओ अभियान चलाता है व सरकार पर दबाव बनाकर उस जिहादी को छुड़ाने में सफल होता है और अपने तालिबानी साथियों को खुश करता है।
हम इस हिन्दुविरोधी देशविरोधी परजीवी को ये बताना चाहते हैं कि तालिबान हिन्दुओं में नहीं उन बिके हुए लेखकों में हैं जो संसद भवन पर हुए जिहादी हमले को झूठा बताकर जिहादियों का समर्थन कर लोकतन्त्र व देश की रक्षा के लिए शहीद होने वाले जवानों के बलिदान का अपमान कर अपने देशद्रोही होने का प्रमाण देते हैं।
ये तो इन देशविरोधियों की किस्मत अच्छी है कि आज देश में एक विदेशी की गुलाम सरकार है और देशभक्तों ने अभी शस्त्र नहीं उठाये हैं वरना आज तक ऐसे गद्दार लेखकों को या तो सरकार फांसी चढ़ा देती या कोई स्वाभिमानी हिन्दू गोली मार देता।
हम इन हिन्दुविरोधी लेखकों को बताना चाहते हैं कि समझदार लोग जिस पतल में खाते हैं उसी पतल में छेद नहीं करते चाहे शत्रु कितना भी पैसा क्यों न दे दे । याद करो उन लेखकों को जिन्होंने इन राक्षसों से देश धर्म को बचाने के लिए हर तरह के जुल्म सहने के बावजूद देशभक्ति से ओतप्रोत लेख लिखे ओर फिर देखो उन गद्दारों को जो चन्द टुकड़ों की खातिर तालिबानों को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आते हैं !
मुम्बई में हुए इस हमले में अपने 20 जवान शहीद हुए जिनमें दो अजय कमांडो भी शामिल थे व कुछ बहादुर जवान घायल भी हुए । आओ मिलकर इन सब शहीदों को प्रणाम करते हुए प्रण लें व घायलों के शीघ्र स्वीस्थय लाभ के लिए पूजा करें।
“तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहें न रहें ’
इसके अतिरिक्त 160 भारतीय व 25 विदेशी मारे गये व 300 से अधिक घायल हुए । यह हमला ऐसे समय में किया गया जब भारत की हिन्दुविरोधी सरकार ने पुलिस को जिहादी आतंकवादियों से देश का ध्यान हटाने की खातिर निर्दोष शान्तिप्रिय हिन्दुओं को आतंकवादी सिद्ध करने में लगाया हुआ था । सरकार की इस देशविरोधी नीति की कीमत देश के बहादुर जवानों को शहीद होकर चुकानी पड़ी व शांतिप्रिय लोगों को अपनी जान गंवाकर और भारत को अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगाकर ।
पुलिस को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवाना कितना जरूरी है इस बात का भी एहसास इस वक्त करना अत्यन्त आवश्यक है। पर एहसास वो कर सकते हैं जिनको देश की चिन्ता हो,देश से प्यार हो !
अब आप ही फैसला करो कि इन हमलों में हुए जान-माल के नुकसान के लिए पाँच वर्षों से जिहादियों के अनुकूल वातावरण बना रही इस देशद्रोही सरकार, गद्दार सेकुलर गिरोह व जिहाद समर्थक मीडिया को जिम्मेवार क्यों न माना जाए ?
इस हमले का सीधा प्रसारण अधिकतर समाचार चैनलों ने दिखाया जिसने हमारे जवानों के काम को मुशकिल बनाया व आतंकवादियों की सहायता की । क्योंकि ऐसा सम्भव है कि देश-विदेश में बैठे जिहादियों के आका इन चैनलों को देखकर जिहादियों की सहायता कर रहें हों ।
हालांकि कुछ चैनलों ने बाद में अपनी गलती का एहसास होने पर इस प्रसारण को सीधा दिखाने के बजाए कुछ देर बाद दिखाना शुरू किया । आपने देखा होगा कि कुछ देशद्रोही चैनलों ने किस तरह आतंकवादियों का गुणगान किया व उन्हें हीरो बनाकर प्रचारित करने का दुस्साहस किया ।
एक चैनल जो अलकायदा के सहयोगी चैनल अलजजीरा का सहयोगी है जो लगातार हिन्दूविरोध के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। ये हिन्दूविरोध की ये प्रक्रिया इस चैनल के अलजजीरा के साथ समझौता करने के बाद से ही दिख रही है पहले ये चैनल बाकी सब चैनलों से अच्छा होता था ।
इस चैनल ने तो खुद को मुस्लिम जिहादियों का चैनल होने का दावा ही कर डाला जो यह सिद्ध करता है कि अधिकतर चैनलों में अपने आप को ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम जिहाद समर्थक सिद्ध करने की प्रतिस्पर्धा हो रही है ।
इस चैनल ने तो तब हद ही कर दी जब इसने अपने सूत्रों का प्रयोग करते हुए एक मुस्लिम जिहादी आतंकवादी का इंटरव्यु ही ले डाला । हालांकि ये इन्टरव्यु करना सही नहीं था पर जब कर ही दिया तो ये इन्टरव्यु सब देशभक्त हिन्दुओं की आँखे खोलने वाला निकला ।
आतंकवादी ने स्पष्ट कहा कि भारत में भगवा सरकार है हिन्दुओं की सरकार है यह वही आरोप है जो ये सेकुसर गिरोह व हिन्दुविरोधी मीडिया हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों,शिवसेना व भाजपा पर लगाते हैं ।
हमें अचम्भा हुआ कि जो सरकार पूरी तरह से देशद्रोह व हिन्दूविरोध के मार्ग पर चलते हुए मुस्लिम जिहादियों को खुश करने के लिए मुस्लिम जिहादी आतंकवादी को फाँसी नहीं देती है, देश के लिए शहीद हुए जवानों का अपमान करती है, आतंकवादियों को खुश करने के लिए पोटा को हटाकर कोई नया जिहाद विरोधी सख्त कानून नहीं बनाती है, हिन्दुओं के बच्चों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करती है , साधु-सन्तों को अपमानित करती है, हिन्दूविरोध में मर्यादा और बेशर्मी की हर हद पार करते हुए मर्यादापुर्षोत्तम भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकारती है। उस सरकार को भी मुस्लिम जिहादी ने मुसलमान विरोधी, हिन्दुओं की सरकार बताया ।
उस जिहादी ने इस सरकार से मुस्लिमबहुल क्षेत्रों को आजाद करने के लिए कहा क्योंकि ये मुसलमान किसी हिन्दू की गुलामी सहन नहीं कर सकते । हिन्दुस्थान के मुसलमानों को हिन्दुओं की गुलामी से आजाद न करने पर हिन्दुओं पर जिहादी हमले और तेज करने की चेतावनी दी । इस मुस्लिम जिहादी ने इस जिहाद समर्थक सैकुलर गिरोह के स्वर में स्वर मिलाते हुए कहा कि अयोध्या में राममन्दिर नहीं बनना चाहिए ।
साथ ही ये भी कह दिया कि जब भी मुसलमान हिन्दुओं को गोधरा की तरह जिन्दा जलां दें या बम्ब हमलों में मार दें तो हिन्दुओं को निहत्था बिना लड़े मरना चाहिए गुजरात की तरह इस हमले का जबाब देकर जिहादियों के समर्थकों को नहीं मारना चाहिए । यही मांग ये जिहाद समर्थक सैकुलर गिरोह करता रहता है ।
अन्त में इस जिहादी की सारी बातों का सार यही था कि ये मुस्लिम जिहाद तब तक जारी रहेगा जब तक भारत के सब मुस्लिमबहुल क्षेत्रों को मुस्लिम देश नहीं बना दिया जाता(वन्देमातरम् का विरोध इसी कड़ी का एक हिस्सा है) मतलब साफ है कि जब तक कश्मीर घाटी की तरह सब हिन्दुओं को हलाल नहीं कर दिया जाता या फिर वो भाग नहीं जाते !
कुल मिलाकार इस मुस्लिम जिहादी आतंकवादी ने वो ही बातें कहीं जो भारत के मुस्लिम जिहादी और उनका समर्थक ये सैकुलर गिरोह कहता है अब आप ही फैसला करो कि ये गिरोह किसका है देशविरोधी आतंकवादियों का या देशभक्त भारतीयों का ?
अगर आप सोच रहे हैं कि ये आवाज भारतीय मुसलमानों की नहीं तो जरा ये पढ़ो ।
मुहम्मद अजहरूद्दीन मुसलमान होने के बावजूद देश की क्रिकेट टीम में चुना जाता है देश की टीम का कप्तान बनाया जाता है क्या कोई हिन्दू उसके मुस्लिम होने के कारण उसके चुने जाने या कप्तान बनने का विरोध करता है नहीं न ।
पर जब यही अजहरूद्दीन टीम के हित बेचता हुआ पकड़ा जाता है तो ये क्या कहता है क्योंकि मैं मुसलमान हूँ इसलिए मुझे फंसाया जा रहा है ।
जावेद अखतर और उसकी घर वाली गाने/फिल्में बनाकर देश के हिन्दुओं से करोड़ों रूपये कमाते हैं कोई हिन्दू उनके गानों/फिल्मों का उनके मुसलमान होने की वजह से विरोध नहीं करता लेकिन शबाना आजमी कहती है कि भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव होता है क्योंकि किसी सोसाइटी में विशेषाधिकार देकर उसे मकान नहीं दिया गया । जाबेद अखतर तो अक्सर उन देशभक्त हिन्दू संगठनों के बिरूध जहर उगलता रहता हैं जो मुस्लिम जिहादियों द्वारा हिन्दुओं पर किए जा रहे हमलों का विरोध करते हैं ।
देश के विभाजन के वक्त मुसलमानों द्वारा देश के साथ की गई गद्दारी से शर्मसार होकर अपना नाम बदलने वाले दिलीप कुमार उर्फ युसुफ खाँ की असलिएत तब सामने आती है जब वो सेकुलर गिरोह को फायदा पहुंचाने के लिए हिन्दुओं पर मुस्लिम जिहादियों द्वारा ढाये जा रहे जुल्मों का विरोध करने वाले हिन्दुओं व उनके संगठनों को अपशब्द कहता है ।
नदीम – श्रबण हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल जोड़ी परिणाम गुलशन कुमार का कत्ल नदीम द्वारा । पकड़े जाने के डर से नदीम इंगलैंड भाग जाता है । वहां कोर्ट में कहता है कि भारत हिन्दू देश है अतः उसे मुस्लिम होने के कारण भारत में न्याय नहीं मिल सकता ।
भारत में रेलवे स्टेशन पर दो ट्रेनें आमने सामने टकराती हैं बहुत से लोग मारे जाते हैं शुरू में सब सोचते हैं कि ये ट्रेनें दुर्घटनावश टकरा गईं । बाद में पता चलता है कि ये ट्रेनें एक मुसलमान द्वारा जानबूझ कर हिन्दुओं को मारने के लिए टकराइ गई हैं जो वहां नौकरी करता था जब पुलिस उसे पकड़ने की कोशिश करती है तो जानकारी मिलती है कि उसने पहले से भागने की तैयारी कर रखी थी और वो परिवार सहित पाकिस्तान पहुँच गया है ।
उमर अबदुला जिसे मुसलमानों की नई पीड़ी का प्रतिनिधि माना जा सकता है संसद में कहता है बाबा अमरनाथ यात्रा के लिए एक इंच भूमि भी नहीं दी जायगी।
पिछले 3-4 बर्षों में सिर्फ मुसलमानों से जुड़े मसलों पर करबाई गई चर्चा-परिचर्चा में भाग लेने वाले मुसलमानों ने हर स्तर पर हिन्दू जनता व देश को धमकाने की कोशिश की । यहां तक कहा गया कि अगर मुसलमानों की हर बात नहीं मान ली जाती तो देश में मुस्लिम जिहादी हमले होते रहेंगे ।इन चर्चाओं में मुस्लिम कलाकारों से लेकर सांसदों तक का अलगावबादी रूख सबके सामने आ गया व ये भी सपष्ट हो गया कि पाकिस्तान की तरह ये मुसलिम प्रतिनिधि भी आतंकवाद को हथियार के रूप में प्रयोग कर रहे हैं । हैरानी तो तब हुई जब चर्चा करवाने वाले चैनलों के पत्रकारों ने इनके अलगाववादी व धमकी भरे देशविरोधी रुख को निरूत्साहित करने या टोकने के बजाय इनके अलगाववादी रूख का समर्थन किया।
अब आप ही बताओ ये गद्दारी नहीं तो और क्या है इनमें से किसी को भी हम कभी मुस्लिम जिहादी आतमकवादी नहीं मानते थे पर काम तो इन सब ने अलगाववाद का ही किया ।
इन सब मुसलमानों ने वो ही तर्क दिया जो मुस्लिम जिहादी आतंकवादी और उनके समर्थक अक्सर हिन्दुओं को मारने वाले मुस्लिम जिहादियों को बचाने के लिए देते हैं ऐसे तर्क देने में फारूकी और जावेद अख्तर जैसे लोग सबसे आगे रहते हैं ! फारूकी जैसे मुसलमानों की असलिएत उस वक्त भी सामने आ गई थी जब इन लोगों ने वन्देमातरम् का विरोध किया था ।
भारत का इतिहास ऐसी धोखेबाजी से भरा पड़ा है । क्रिकेट मैच में भारत की जीत पर मातम और पाकिस्तान की जीत पर जशन मनाते हुए इन मुसलमानों में छिपे जिहादियों को लाखों भारतीयों ने अपनी आँखों से देखा है ।
अब आप ही बताओ इनमें से भरोसा किया जाए तो किस पर और क्यों ?
क्या गारंटी है कि कश्मीर की तरह हिन्दुओं को खत्म करने की स्थिति में आ जाने के बाद ये मुस्लिम जिहादी एक भी हिन्दू को जिन्दा छोड़ देंगे ?
हम तो आतंकवाद समर्थक इस सेकुलर गिरोह से यही कहेंगे कि मुस्लिम जिहाद की फितरत को समझो इसके इतिहास को पढ़ो और देशद्रोह के इस आत्मघाती मार्ग को छोड़कर अपनी व अपने देशवासियों की जान बचाने के रास्ते तलाशो वर्ना कश्मीर घाटी की तरह इन मुस्लिम जिहादियों द्वारा मिटा दिये जाओगे । ये वक्त युद्ध का वक्त है आपस में लड़ने के बजाए एकजुट होकर इस मुस्लिम जिहाद को बेनकाब कर इस की जड़ को भारत से हमेशा के लिए खत्म कर दो ।
मुम्बई हमले के दौरान इस जिहादी ने जो कुछ भी कहा वो मुस्लिम जिहादियों की हर योजना को बेनकाब करता है जिसके अनुसार इस जिहाद का एकमात्र मकसद हिन्दुओं को तबाह और बर्बाद कर भारत में इस्लामी राज्य स्थापित करना है । इस जिहादी ने जो कुछ कहा वो नया नहीं है यही बात दबी जवान में हमारे अपने देश में मुसलमानों में छिपे जिहादी और उनके समर्थक कई वर्षों से कह रहे हैं सिर्फ कह ही नहीं रहे हैं कश्मीर में अपनी योजनानुसार हिन्दुओं का नामोनिशान मिटा चुके हैं व भारत के बाकी हिस्सों से मिटाने से लिए लगातार बम्ब विस्फोट कर रहे हैं।
हम तो भारतीय सेना से ये विनती करेंगे कि जिस तरह देश के गृहमन्त्री ने कमाँडो के आने की जानकारी इन चैनलों को दी व जिन चैनलों ने संदिग्ध भूमिका निभाई उसकी गहन जाँच होनी चाहिए साथ ही सेना को इन चैनलों द्वारा देशविरोधी तत्वों को फायदा पहुँचाने की खातिर हिन्दुओं, सुरक्षाबलों व सैनिकों की छवि को पिछले कुछ वर्षों से समय-समय पर किए जा रहे दुष्प्रचार की यथाशीघ्र जाँच करवाकर इन्हें उचित दण्ड दिया जाना चाहिए । ये दुष्प्रचार कई देशविरोधी हिन्दुविरोधी चैनलों पर इतने बड़े हमलों के बाद भी जारी है ।
हम तो उस वक्त दंग रह गए जब एक हिन्दुविरोधी चैनल(एन डी टी वी) के कार्यालय में बैठे विनोद दुआ को अपने रिपोर्टर द्वारा यह बताये जाने पर कि सैनिकों की जीत की खुशी में लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाय तो ये विनोद दुआ भड़क उठे और इस दुष्ट ने भारत माता की जय का विरोध किया।
यह वही चैनल है जो ईरान की इस्लामिक क्राँति का तो समर्थन करता है पर भारत में हिन्दूक्रांती का डटकर विरोध करता है ।
भारत में न्यायालय द्वारा 1993 के मुम्वई बम हमलों के दोशियों को सजा सुनाय जाने के बाद मुसलमानों को देश के विरुद्ध भड़काने की कोशिश करता है ।
कुल मिलाकर ये चैनल हर वक्त भारतीयों को सांप्रदाय और जाति के आधार पर लड़ाने का प्रयत्न करता हुआ नजर आता है। सुरक्षावलों व हिन्दुओं से जुड़े संवेदनशील मामलों को उछालकर उनकी छवी खराव करना इस चैनल की आदत वन गई है इस चैनल के कार्यक्रमों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इस चैनल को कोई हिन्दुविरोधी-देशविरोधी विदेशी ताकत चला रही है या फिर ये देशविरोधियों के पैसे से चलता है।
वैसे भी ये चैनल देश में देशद्रोही चैनल के रूप मे मशहूर हो चुका है देखो इसका आगे चलकर क्या हश्र होता है इसे देशभक्त हिन्दू जनता ठीक करती है या आने वाली देशभक्त सरकार या फिर भारतीय सेना ?
हम तो आने वाली किसी भी देशभक्त सरकार से इस दुआ जैसे पत्रकारों सहित माजिद मैनन,महेश भट व नबलखा जैसे जिहादियों के समर्थकों का नार्को टैस्ट करवाकर ये किसके बल पर देशविरोधी काम करते हैं, पता लगाया जाए व ऐसे सभी देशविरोधियों को सबक सिखाया जाए ।
हमें तो हैरानी होती है ये देखकर कि भारत के अधिकतर समाचार चैनल व अन्य संचार के साधन देशद्रोह व गद्दारी के रास्ते पर इस हद तक क्यों बढ़ गए कि उनकी गद्दारी हमारे जैसे मीडिया के कट्टर समर्थकों को भी खटकने लगी है । हम देश के जितने भी लोगों से मिले उन में अधिकतर का यही कहना था कि इस मीडिया पर अगर यथाशीघ्र प्रतिबंध न लगाया गया तो ये गली-गली में देशद्रोही और गद्दार पैदा कर देगा ।
हमें यहां यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं कि देशभक्त मीडिया किसी भी देश व समाज के लिय प्रेरणा स्रोत होता है पर विका हुआ गद्दार देशविरोधी मीडिया तवाही और बरबादी का कारण बनता है।
हमें ईर्ष्या होती है ये देखकर कि दूसरे देशों के चैनल इतने देशभक्त और हमारे यहां गद्दारों का इतना बड़ा टोला जो हर बक्त भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर हमला बोले रहता है । हमने 15 वर्ष की आयु में बी.बी.सी सुनना शुरू किया था । हमने लगातार उनके कार्यक्रमों में ईसाईयत व देशभक्ति के प्रति विशेष लगाव पाया । हिन्दू संगठनों के बारे में हर तरह का झूठा प्रचार करना बी.बी.सी कार्यक्रमों की एक विशेष पहचान थी । हमें बुरा नहीं लगता था क्योंकि वो विदेशी थे उनका काम है हम पर हमला करना व अपना गुणगान करना ।
तब हम सोचते थे कि जब हमारा अपना स्वतन्त्र मीडिया होगा तो वो इस हिन्दुविरोधी-भारतविरोधी दुष्प्रचार का जबाब देगा । लेकिन हमारे होश तब उड़ गये जब भारत में स्वतन्त्र मीडिया की जगह विदेशियों का गुलाम विश्वासघाती मीडिया सामने आया जो उस बी.बी.सी से कहीं अधिक हिन्दुविरोधी-देशविरोधी रास्ते पर आगे बढ़ता हुआ सपष्ट दिखाई दे रहा है ।
राजस्थान में एक अनपढ़ हिन्दू महिला के मन्त्री बनने पर ये हिन्दुविरोधी मीडिया हाय तौबा मचाता है पर एक अनपढ़ विदेशी एंटोनिया माइनो मारियो द्वारा सारी सरकार को गुलाम बना लिये जाने पर इस मीडिया को कोई आपति नहीं होती । माना के राजस्थान की महिला अनपढ़ है पर भारतीय तो है देशभक्त तो है अपनी सभ्यता संस्कृति को तो समझती है सलाह भी लेगी तो किसी भारतीय से इस अंग्रेज की तरह तो नहीं है जिसने चुन-चुन कर हिन्दुओं को कांग्रेस के कोर ग्रुप से दूर कर दिया, जो खुद न भारतीय है न भारतीय संस्कृति और सभ्यता को समझती है सलाह भी लेती है तो अपनी विदेशी अंग्रेज मां से या फिर किसी ईसाई से ।
हमें ईर्ष्या होती है ये देखकर कि ईराक का एक देशभक्त मुस्लिम पत्रकार अपने देश को गुलामी की ओर धकेलने वाले ईसाई जार्ज बुश पर अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए जूता फैंक देता है और हमारे पत्रकार हमारे देश को गुलाम बनाकर बैठी विदेशी इटालियन ईसाई एंटोनिया माइनो मारियो की हर बक्त चापलूसी करने की होड़ में ज्यादा से ज्यादा हिन्दुविरोधी-देशविरोधी दिखने का प्रयास करते हैं ।
हमें ये देखकर और भी आशचर्य होता है कि भारत के देशभक्त हिन्दूसंगठनों द्वारा इस विदेशी ईसाई एंटोनिया माइनो मारियो का विरोध करने पर देशभक्त हिन्दू संगठनों पर हमला करने वाला ये हिन्दूबिरोधी-देशविरोधी मीडिया इस देशभक्त मुस्लिम पत्रकार का समर्थन करता है ।
यह धन का भूखा मीडिया भरतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के साथ अंग्रेज प्रभुत्व वाली आई.सी.सी द्वारा किए जा रहे भेदभाव पर तो आवाज उठाता है पर देश-विदेश में मुसलमानों और ईसाईयों द्वारा हिन्दुओं पर किए जा रहे हमलों का समर्थन करता नजर आता है वजह साफ है बी.सी.सी.आई मालदार है क्रिकेट के मामले में बी.सी.सी.आई से इस मीडिया को बड़ी रकम प्राप्त होती है इसलिय मीडिया इन खिलाड़ियों का पक्ष लेता है।
परन्तु दुनिया में और कोई हिन्दु देश न होने व भारत में हिन्दुओं के आर्थिक साधनों पर हिन्दुओं का अपना कब्जा न होने के कारण हिन्दुओं के अधिकारों या हिन्दुओं पर हो रही ज्यादतियों की बात करने पर हिन्दुओं से कोई पैसा प्राप्त होने की उम्मीद नहीं होती ।जबकि मुस्लिम और ईसाई देश इस्लाम और ईसाईयत के प्रचार प्रसार पर बड़ी रकम इन हिन्दुविरोधी-देशविरोधी चैनलों को देते हैं इसलिए ये देशविरोधी चैनल हर वक्त हिन्दु-धर्म पर हमला बोले रहते हैं, साधु-सन्तों को बदनाम करते हैं,राष्ट्रवाद की जगह अलगाववाद का पक्ष लेते हैं।
मुम्बई पर हमले का एक सबसे भयानक पहलु यह रहा कि हथियारों का इतना बढ़ा भण्डार इतने संवेदनशील भवनों में व इतने सुरक्षित क्षेत्र में इतने दिनों से इक्ट्ठा किया जाता रहा और इसकी उस सरकार को भनक तक न लगी जो निर्दोष सैनिकों साधु-सन्तों हिन्दुओं को जेल में डालकर सन 2025 में होने वाले तख्तापल्ट का पर्दाफाश 17 वर्ष पहले करने का दावा कर रही थी व उन चैनलों के होते हुए जो इस सरकार के हिन्दुओं को बदनाम करने के षड्यन्त्र में कंधे से कंधा मिलाकर इस सम्भावित तख्तापल्ट के प्रमाण जुटाने के दावे कर रोज नई-नई कहानी चला रहे थे ।
स्थिति इसलिए और भी गंभीर हो जाती है कि अगर मीडिया द्वारा चलाये जा रहे समाचार पर भरोसा करें तो शहीद हेमंत करकरे सहित ए टी एस के तीनों अधिकरी एक ही गाड़ी में सवार थे और तीनों गाड़ी के अन्दर बिना लड़े हुए मारे गये क्योंकि मुस्लिम जिहादियों ने गाड़ी पर इतना ताबड़तोड़ हमला किया कि इन्हें जवाबी कार्यवाही का मौका ही नहीं मिला और फिर उसी गाड़ी में सवार होकर मुस्लिम आतंकवादियों ने दौड़ा-दौड़ा कर लोगों को मारा ।
हम मीडिया द्वारा चलाए जा रहे इस समाचार को हरगिज न लिखते यदि इनके साथ घायल जवान को इस समाचार की पुष्टी करते हुए न दिखाया जाता । अगर ये समाचार गलत है तो दोषी चैनल को सजा दी जाए पर अगर सही है तो ये सरकार की जिहादी आतंकवादियों के प्रति लापरवाह सोच को दिखाता है।
मानो सरकार निहत्थे हिन्दुओं को आतंकवादी कहकर प्रचारित करने के बाद ये मानने लग पड़ी हो कि आतंकवादी निहत्थे होते हैं और इन हिन्दुओं की तरह बिना किसी प्रतिरोध के पकड़ में आ जाते हैं या फिर सरकार ये मानने लग पड़ी थी कि ए टी एस के कुछ अधिकारीयों ने उन हिन्दुओं पर बर्बर जुल्म ढाये हैं जो जिहादियों को मारने की कोशिश कर रहे थे इसलिए जिहादी ए टी एस पर हमला नहीं करेंगे और ऐसे भ्रम का शिकार होकर सरकार ने बिना पुख्ता सुरक्षा बन्दोबस्त व योजना के अधिकारीयों को युद्ध स्थल की ओर दौड़ा दिया । जिसके परिणामस्वरूप एक साथ 14 पुलिस जवान मारे गये जबकि सिर्फ एक आतंकवादी को मारा व एक को पकड़ा जा सका ।
अगर ये नुकसान सरकार द्वारा अल्पसंख्यक आतंकवादियों पर बोले तो जिहादियों पर गोली न चलाने के मौखिक आदेश या आधुनिक हथियार व जैकेट न होने की वजह से हुआ तो फिर इसके लिए जिम्मेवार नेताओं को चौराहे पर खड़ा कर गोली मार देनी चाहिए ।
अपना तो स्पष्ट मानना है कि सरकार के मुस्लिम जिहाद समर्थक रूख के कारण ही पुलिस के इतने जवानों को अपनी जान गवानी पड़ी है। जिस तरह शहीद मोहन चन्द शर्मा जी के मुठभेड़ में मारे जाने के बावजूद मुठभेड़ पर देशद्रोही सैकुलर नेताओं द्वारा प्रश्न उठाये गए ऐसे में कोई जवान मुस्लिम आतंकवादियों पर गोली चलाने से पहले सौ बार सोचता । हमारे विचार में पुलिस जवानों के मन में गोली चलाने और न चलाने का ये उधेड़बुन व अत्याधुनिक हथियारों का अभाव भी उनके कत्ल होने का कारण बना ।
आपने देखा है कि जब-जब भी पुलिस के जवानों ने जान-माल की हानि होने से पहले ही जिहादी आतंकवादीयों को मुठभेड़ में मार गिराने में सफलता हासिल की है तब-तब इन गद्दारों के सैकुलर गिरोह ने पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही पर शंका प्रकट कर पुलिस के हौसले को तोड़ा है । ये मुठभेड़ चाहे कहीं भी हुई हो ।आपराध समर्थक मीडिया ने मारे जाने वाले अपराधियों के पक्ष में महौल बनाकर पुलिसबलों पर आरोप लगाकर उनका हौसला तोड़ने का अभियान चलाया ।
आपको याद होगा कि किस तरह सोराबुद्दीन मामले में दो प्रखर राष्ट्रभक्त अधिकारियों को इस दुर्दांत आतंकवादी को मार गिराने के बाद प्रताड़ित किया गया । इस जिहादी को आम निर्दोष मुसलमान बताकर पुलिस अधिकारीयों को अपराधी प्रचारित किया गया । आप जरा सोचो कि जिस व्यक्ति के पास दर्जनों हैंडगरनेड व ए के-47 हों उसे अगर निर्दोष कहा जाए तो फिर अपराधी कौन ?
ऐसे महौल में कौन पुलिस वाला जिहादियों को मार कर अपना मान-सम्मान, नौकरी ,परिवार सब दाव पर लगायेगा । हमारे विचार में सरकार का यही दबाव इतने अधिक पुलिस जवानों की मौत का कारण बना !
इस देशविरोधी जिहाद समर्थक महौल को बदलना पड़ेगा । बदलना होगा-बदलना होगा यही नारे बुला रहे थे इन जिहादी आतंकवादियों से दुखी लोग । इसे बदलने का काम सिर्फ देशभक्त जनता ही कर सकती है देशभक्त जनता को चाहिए कि जिहादियों के पक्ष में बोलने वाले नेत्ताओं ,पत्रकारों ,अधिकारियों, लेखकों, समाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया कर्मियों को देखते ही उन पर टूट पड़े मौके पर डांग,पत्थर या बंदूक जो भी हाथ लगे उसी से इनके नाक मुंह तोड़ दे । अगर कुछ भी न मिले तो कम से कम ऐसे गद्दारों के प्रति मुँह कर थूक दे या उन पर अपना जूता ही फैंक दें ताकि इनको अपने किए का एहसास हो सके और ये दोबारा इन कातिल जिहादियों का समर्थन या बचाव करने का दुससाहस न कर सकें !
यहाँ पर एक बात जो चौंका देने वाली है वो ये है कि जब जवान जिहादियों से लोहा ले रहे थे, शहीद हो रहे थे, इस सारी प्रक्रिया में पुलिस प्रमुख हसन गफूर व ए.एन राय कहां थे ?
इनकी भूमिका इसलिए और भी गम्भीर हो जाती है कि इस हमले में शुरू में कम से कम 50 जिहादियों ने हिस्सा लिया जो सेना के आने से पहले कहाँ गायब हो गए ऊपर से ये बचकाना ब्यान कि ये सब बिना स्थानीय सहायता से हुआ । इस तरह के हमलों के किसी भी जानकार से आप पता कर सकते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर इतना व्यवस्थित हमला स्थानीय गद्दारों की सहायता के बिना हो ही नहीं सकता ।
हाँ यहां हम इस महाराष्ट्र पुलिस को ये बता देना चाहते हैं कि कुछ चैनलों व समाचारपत्रों द्वारा ये बताया गया था कि ये काम हिन्दू आतंकवादियों का हो सकता है क्योंकि आतंकवादियों ने हाथों में कंगन पहने हुए थे व उनके पास हिन्दू नामों से पहचान पत्र मिले थे ।
उर्दू प्रैस द्वारा लगातार मुस्लिम आतंकवादियों व पाकिस्तान को फायदा पहुंचाने के लिए बार-बार यह झूठ दोहराया जा रहा है कि ये हमला सरकार के सहयोग से हिन्दुओं व उनके संगठनों ने किया है।
हमारे विचार में ये आतंकवादी हमले की जाँच का रूख हिन्दुओं की ओर मोड़ने का बिल्कुल वैसा ही षड्यन्त्र है जैसा इन मुस्लिम जिहादियों ने सिमी के कार्यालय के बाहर बम्ब विस्फोट वाली जगह पर साध्वी जी की बेची हुई बाइक छोड़ कर ( ये बाइक सुनील जोशी जी को बेची गई थी जिनको सिमी के जिहादियों ने शहीद कर दिया था तब जिहादी ये बाइक अपने साथ ले गये होंगे) किया था।
रही बात गुलाम प्रधानमन्त्री के इस दबाब की कि सुरक्षाबलों को अल्पसंख्यकों का विस्वास जीतना जरूरी है तो हम आपको बता दें कि इन अल्पसंख्यकों का विस्वास आप तभी जीत सकते है जब देश में मुस्लिम जिहादियों द्वारा किये गये हर हमले के बाद आप 10-20 हिन्दुओं को जेल में डाल दें या फिर हिन्दुओं को मुस्लिम जिहादियों की जगह आप ही हलाल कर दें ।
आपको लगता है कि हम गलत कह रहे हैं तो आप अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल रहमान अंतुले द्वारा दिया गया वो ब्यान देख लें जिसके अनुसार पुलिस अधिकारियों का कत्ल मुस्लिम जिहादियों ने नहीं हिन्दुओं ने किया है ।(सोचो जरा अगर ये हमला इस तरह खुलम-खुल्ला न होकर चुपके से किया गया होता और करने वाले भागने में सफल हो जोते जैसे अक्सर होता है तो आप हिन्दू संगठनों के पीछे लग जाते कि नहीं क्योंकि सरकारी दबाब भी इसी दिशा में होता)
अन्तुले ने जो कुछ कहा उससे तो लगता है कि मुस्लिम जिहादियों द्वारा किए जाने वाले हमलों व इन हमलों में मारे जाने वाले लोगों की जानकारी अन्तुले व अन्तुले जैसे मुस्लिम आतंकबाद समर्थक इन हिन्दूबिरोधी सैकुलर नेताओं के पास पहले से आ जाती है । हमारे विचार में पुलिस अंतुले को हिरासत में लेकर उसका नार्को टैस्ट करवाकर असानी से ये पता लगा सकती है कि अंतुले का इस मुस्लिम आतंकवादी हमले से क्या सबन्ध था और इन आतंकवादियों के स्थानीय सहयोगी गद्दार कौन-कौन थे । जिस तरह से सरकार ने अंतुले का बचाब किया है उससे एक बात तो सपष्ट हो जाती है कि ईतना बढ़ा आतंकवादी हमला हो जाने के बाबजूद सरकार के मुस्लिम आतंकबाद समर्थक रूख में कोई बदलाब नहीं आया है ।
मेरे प्यारे जवानों हम समझ सकते हैं कि आतंकवाद समर्थक सरकार के होते हुए मुस्लिम आतंकबादियों के विरूद्ध कार्यवाही करना असान नहीं पर कम से कम निर्दोष हिन्दुओं को तो बदनाम न करो । क्यों ऐसा करके आप अपनी व हिन्दुओं की जान को खतरे में डाल रहे हैं ?
इतना सबकुछ होने के बाद भी अगर आपको लगता है कि पकड़े गये हिन्दू निर्दोष क्राँतिकारी देशभक्त नहीं आतंकवादी है तो बिना कोई वक्त गवाये उनको गोली मार दो फाँसी दे दो। परन्तु इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी सरकार की कठपुतली बनकर अपनी रक्षक भारतीय सेना व अपनी रीड़ की हड्डी हिन्दू संगठनों को बदनाम कर संसार में मानवता की आधार सनातन भारतीय संस्कृति को नीचा न दिखाओ ।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब भी हिन्दू आपस में लड़े हैं तब-तब उन पर जिहादियों ने और जोर से हमला बोला है। ये हमला उसी का तत्कालिक उदाहरण है न सरकार निर्दोष हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए ओछे हथकण्डे अपनाती, न सुरक्षाबलों का ध्यान असली आतंकवादियों से हटता, न जवानों की जान जाती, न सरकार इस बहाने ईसाई विदेशी खुफिया एजेंसी को जाँच के बहाने हिन्दूराष्ट्र भारत में बुला पाती ।
हालांकी हम अमेरिका द्वारा बाकी जगह जिहादियों के विरूद्ध लड़ी जा रही लड़ाई का समर्थन करते हैं पर ये बात भी उतनी ही सत्य है कि तालिबान इसी अमेरिका के सहयोग से आगे बढ़ा है । अमेरिका का एकमात्र उद्देशय अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाना है। ईसाईयत का प्रचार-प्रसार इन अमेरिकी हितों का प्रमुख हिस्सा है। सरकार द्वारा एफ वी आई को भारत में काम करने देना देश की सुरक्षा और सम्प्रभुता के लिए गंभीर खतरा है ।
अगर सरकार ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां मुस्लिम जिहादी आतंकवाद का मुकाबला करने में आसमर्थ हैं तो हम सरकार को बता देना चाहते हैं कि भारत में बढ़ता जिहादी आंतक इस देशद्रोही जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह की हिन्दुविरोधी नीतियों का दुष्परिणाम है न कि सुरक्षा एजेंसियों की असफलता का ।
क्योंकि इस गिरोह की सरकार ने सत्ता में आने के बाद अल्पसंख्यकों की रक्षा के बहाने न केवल भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को मुस्लिम जिहादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने से रोका है बल्कि पोटा जैसे आतंकवाद विरोधी कानून हटाकर व सच्चर कमेटी से मुसलमानों से होने वाले काल्पनिक भेदभाव की रिपोर्ट दिलवाकर जिहादियों के षड्यन्त्रों को आगे बढ़ाने में तकनीकी मदद भी की है ।
रही बात गरीबी की तो कौन नहीं जानता कि आज भी भारत में 40 करोड़ हिन्दू गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। इनमें से 20 करोड़ को तो दो वक्त की रोटी मिलना भी तय नहीं होता । इस सब में ये भ्रम फैलाना कि सिर्फ मुसलमान ही गरीब हैं ।इस सरकार की साँप्रदायिक सोच व नीचता का परिचायक है। ये सरकार की विभाजनकारी हिन्दुविरोधी सोच का स्पष्ट उदाहरण है। क्योंकि देश में जितने हिन्दू पिछड़े हुए हैं, गरीब हैं, आत्महत्या करने को मजबूर हैं उतनी तो मुसलमानों की कुल संख्या नहीं है !
हम सरकार से यही कहेंगे कि विदेशी ईसाई एजैंसियो को भारत में काम करने की छूट देकर सरकार ने न केवल देश को खतरे मे डाला है बल्कि अपने देशविरोधी-हिन्दुविरोधी होने का एक और प्रमाण भारतीय जनता को दे दिया है।
इन ईसाई एजेंसियों को यदि यथाशीघ्र देश के बाहर न किया गया तो जिहादी हमलों के साथ-साथ चर्च प्रेरित हमले व धर्मांतरण भी तेज हो सकता है क्योंकि ये किसी से छुपा हुआ नहीं है कि भारत में ईसाईयों की हिन्दुविरोधी सारी गतिविधियां इन्हीं ईसाई देशों के सहयोग से चल रही हैं और इन ईसाई देशों का मानवाधिकार के बहाने भारत के जिहादी व देशविरोधी गुटों को कहीं न कहीं समर्थन रहा है।
इन ईसाई देशों के सहयोग से व जिहादसमर्थक मुस्लिम देशों की आर्थिक मदद से आज भारत में दर्जनों जाली मानवधिकार संगठन बोले तो जिहादी आतंकवादी दानवाधिकार संगठन , सैंकड़ों देशविरोधी एन जी ओ और हजारों गद्दार समाजिक कार्यकर्त्ता व मीडिया कर्मी और दर्जनों हिन्दू विरोधी चैनल जगह-जगह हिन्दुविरोधी देशतोड़क कामों में लगे हुए हैं ।
सरकार को अगर कुछ सीखना है तो अमेरिकीयों से अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति प्यार और समर्पण सीखे । अपनों की जान जाने पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं वो सीखे । उनसे देशभक्ति सीखे । देश की रक्षा कैसे करते हैं वो सीखे । अगर सीखना ही है तो आतंकवादी विरोधी कानून बनाना सीखे ।
पर ये सरकार ये सब खाक सीखेगी ये गद्दारों की वो सरकार है जो देशभक्तों के मरने पर खुशियां मनाती है भारतीयों को मारने वाले आतंकवादियों के विरूद्ध काम करने वाले हिन्दुओं को जेल में डालती है ।उनके कपड़े उतरवाने की धमकी देती है, उनकी जूतों से पिटाई करवाती है और देशभक्तों का कत्ल करने वालों को अपना भाई बताती है।
आज अमेरिका दुनिया को जितना मर्जी धर्मनिर्पेक्षता का पाठ पढ़ाये पर खुद अमेरिका आज भी एक ईसाई देश है वहां भी अन्य संप्रदायों के लोग रहते हैं। पर क्या कभी अमेरिका ने ईसाईयों को अपने मूल अधिकारों से वंचित कर अन्य संप्रदायों को विशेषाधिकार दिए हैं ? जैसे भारत में हिन्दुओं को मूल अधिकारों से वंचित कर मुसलमानों और ईसाईयों को विशेषाधिकार दिए जा रहे हैं ।
भारत का सारा मीडिया अमेरिका में ओबामा की जीत पर जश्न मना रहा था पर जिस बात को सीखने की जरूरत है वो ये है कि ओबामा ने जीतने के एकदम बाद सबसे पहले चर्च का धन्यावाद किया । अमेरिकी राष्ट्रपति बाईबल पर हाथ रखकर शपथ ग्रहण करता है।
आज भी अमेरिकी राष्ट्रपति का पहला कर्तव्य चर्च की रक्षा करना है । परन्तु भारत में अगर कोई प्रधानमन्त्री या व्यक्ति मन्दिर की बात करता है तो भारत के जिहादी आतंकवाद समर्थक धर्मनिर्पेक्षतावादियों के पेट में दर्द पड़ जाता है उसमें सांप्रदायिकता नजर आती है ।
पिछले दिनों अमेरिका में चर्चों में बच्चों के यौन शोषण(ऐसा करने वालों को इन्सान कहना भी पाप है) की बात आई। क्या वहाँ के मीडिया ने ईसाई धर्म-गुरूओं के बारे में उस तरह का गाली-गलौच किया जितना भारत का मीडिया उन हिन्दूधर्म गुरूओं के बारे में करता रहता है जो हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों को उजागर करते हैं व भारतीय सभ्यता संस्कृति का प्रचार प्रसार करने में लगे हैं ।
कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक वो अपनी सभ्यता संस्कृति का सम्मान नहीं करता। अगर आज अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है तो इसी वजह से कि उसने अपनी सभ्यता और संस्कृति पर आक्रमण करने वाले को मौत के घाट उतार कर ही दम लिया है ।
आज वक्त आ गया है कि हम भारतीय आत्मघाती शाँति की बात करना छोड़ कर भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विरोधियों पर सीधा हमला बोलने की आदत डालें और उसे मौत के घाट उतार कर दम लें ।
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