भारत में आज बहुत ही खतरनाक स्थिति बनती जा रही है अपने हिन्दूराष्ट्र भारत में विदेशी संस्कृति से प्रेरित मीडिया, खुद को सैकुलर कहलवाने वाले राजनीतिक दलों, बिके हुए देशद्रोही मानवाधिकार संगठनों, खुद को सामाजिक कार्यकर्त्ता कहलवाने वाले गद्दारों, आतंकवादियों व परजीवी हिन्दुविरोधी लेखकों का एक ऐसा सेकुलर गिरोह बन चुका है जो भारत को सांस्कृतिक व आर्थिक रूप से तबाह करने पर आमादा है। इस गिरोह को हर उस बात से नफरत है जिसमें भारतीय संस्कृति व राष्ट्रवाद का जरा सा भी अंश शेष है । यह गिरोह हर उस बात का समर्थन करता है जो देशद्रोही कहते या करते हैं । यह गिरोह देश की रक्षा के लिए जान खतरे में डालकर जिहादी आतंकवादियों का सामना करने वाले देशभक्त बहादुरों से अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है और न जानें उनके लिए क्या-क्या अपशब्द प्रयोग रहा है। देशद्रोही जिहादियों व अन्य आतंकवादियों को बेचारा गरीब अनपढ़ व सत्ताया हुआ बताकर हीरो बनाता जा रहा है । सेवा के नाम पर छल कपट और अवैध धन का उपयोग कर भोले-भाले बनवासी हिन्दुओं को गुमराह कर उनमें असभ्य पशुतुल्य विदेशी सोच का संचार कर हिन्दुविरोधी-राष्ट्रविरोधी मानसिकता का निर्माण करने वाले धर्मान्तरण के ठेकेदारों को हर तरह का सहयोग देकर देश की आत्मा हिन्दू संस्कृति को तार-तार करने में जुटा है। यह गिरोह एक ऐसा तानाबाना बुन चुका है जिसे हर झूठ को सच व हर सच को झूठ प्रचारित करने में महारत हासिल है।
हम दाबे के साथ कह सकते हैं कि इस हिन्दुविरोधी देशद्रोही गिरोह की क्रियाप्रणाली हमेशा जिहाद व धर्मांतरण समर्थक रही है इसमें भी खतरनाक कड़बी सच्चाई यह है कि इस हिन्दुविरोधी देशद्रोही गिरोह ने कभी भारतीय संस्कृति के प्रतीकों का सम्मान करने वाले देशभक्त मुसलमानों व ईसाईयों जो खुद को हिन्दूसमाज का अभिन्न अंग व भारत को अपनी मां मानते हैं को न कभी प्रोत्साहन दिया न ही कभी उनका भला चाहा ।
इस हिन्दुविरोधी देशद्रोही गिरोह को अगर किसी की चिन्ता है तो उन जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों की जो अपनी आवादी बढ़ाकर ,धर्मांतरण करवाकर ,शान्तिप्रिय हिन्दुओं का खून बहाकर इस हिन्दूराष्ट्र भारत के फिर से टुकड़े कर इस्लामिक व ईसाई राज्य वनाने का षड़यन्त्र पूरा करने के लिए इस देशद्रोही सरकार का समर्थन पाकर अति उत्साहित होकर आगे बढ़ रहे हैं ।
देश के हिन्दुबहुल क्षेत्रों में लगातार हो रहे बम्बविस्फोट व धर्मांतरण पर जोर इसी षड़यन्त्र को आगे बढाने का हिस्सा है। सरकार द्वारा मर्यादापुर्षोत्तम भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकारना, आतंकवादविरोधी कानून पोटा को हटाना, अफजल का समर्थन करना, धर्मांतरण विरोधी कानून न बनाना और अपनी जान जोखिम में डालकर आतंकवादियों को पकड़ने व मारगिराने वाले सेना पुलिस अर्धसैनिकबलों के जवानों को अपमानित करना व जेल में डालना यही दर्शाता है कि ये सरकार जिहादियों व धर्मान्तरण के ठेकेदारों के देशतोड़क षड्यन्त्रों को आगे बढाने के लिए कितनी आतुर है व किस हद तक गिर सकती है ।
इन सब षड्यन्त्रों का विरोध करने वाले हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों पर सरकार द्वारा बोला जा रहा हमला व इनको बदनाम करने के लिए आए दिन रचे जा रहे षड्यन्त्र सरकार की इसी मानसिकता का परिचायक है वैसे भी आप इतना तो समझ ही सकते हैं कि जो सरकार एक विदेशी इटालिएन अंग्रेज एंटोनिया माइनो मारियो की गुलाम हो वो ये सब नहीं करेगी तो और क्या करेगी ?
जरा सोचो जिन जिहादियों ने भारतीय संस्कृति के प्रतीक दर्जनों मन्दिरों को तोड़ा, हजारों हिन्दुओं को चुन चुन कर या हिन्दुबहुल क्षेत्रों में बम्बविस्फोट करके मौत के घाट उतारा, प्रजातन्त्र के सबसे बडे मन्दिर संसद भवन तक पर हमला किया, तो भला ऐसा क्या है कि इन जिहादियों ने इस गिरोह के एक भी केन्द्र पर आज तक एक भी हमला नहीं किया ?
क्योंकि मुस्लिम जिहादी इस गिरोह के देशविरोधी-हिन्दुविरोधी चरित्र से अच्छी तरह परिचित है और आतंकवादी, देशविरोधी-हिन्दुविरोधी पर हमला करें यह कैसे हो सकता है ?
वैसे तो आप समझ ही गये होंगे कि हम हिन्दूविरोधियों के किस देशद्रोही गिरोह की बात कर रहे हैं और इस में कौन कौन हैं पर फिर भी कल कोई यह न कहे कि हिन्दू कार्यकर्ता देशद्रोहियों का नाम लिखने से डर गया इसलिए हम इनके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे । यह देशद्रोही हिन्दुविरोधी गिरोह अपने आपको सैकुलर कहलवाना पसन्द करता है जबकि सच्चाई यह है कि यह वर्तमान भारत का सबसे ज्यादा हिंसात्मक व सांप्रदायिक गिरोह है ।
इसका एक सदस्य कांग्रेस, धर्म के नाम पर देश के विभाजन को स्वीकार कर चुकी है बचे हुए हिन्दू भारत में कानून भारतीयों की जगह भाषा, जाति, क्षेत्र, संप्रदाय के आधार पर बनाकर व अल्पसंख्यकवाद के नाम पर जिहादी आतंकवादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों का समर्थन कर अगले विभाजन की नींब रख चुकी है।
जबकि इसका दूसरा घटक मुस्लिमलीग वो है जिसने धर्म के नाम पर अलग देश पाकिस्तान मांगा और अलगाववादी जिहादियों के लिए आज भी प्रेरणा स्रोत है।
जबकि तीसरा घटक लैफ्ट है जिसने 1962 के युद्ध में चीन का साथ दिया तथा जिसके द्वारा चलाई जा रही हिंसा से बेकसूर देशभक्त हिन्दुओं का कत्ल किया जा रहा है जो हर वक्त भारतीय संस्कृति सभ्यता का अपमान करता है। हिन्दुओं का हर स्तर पर विरोध करता है। भारत की अखण्डता का विरोध करता है। माओवादी व नक्सली हिंस्सा का सूत्रधार है। मार्च 2006 में जिहादियों के साथ मिलकर संसार में अमेरिका द्वारा मारे जा रहे मुस्लिम आतंकवादीयों के विरोध में प्रदर्शन करवाता है व मुस्लिम गुंडों से हिन्दुओं पर हमले करवाता है।
इसका चौथा व पाँचवां घटक समाजवादी पार्टी व राष्ट्रीय जनता दल वे हैं जो सिमी उर्फ इंडियन मुझाहिदीन जैसे आतंकवादी गैंग पर प्रतिबन्ध लगाने का विरोध करते हैं मुस्लिम आतंकवादियों को खुश करने के लिए हिन्दुओं का खून बहाने का समर्थन करते हैं तथा राष्ट्रवादी हिन्दूसंगठनों पर प्रतिबंध की मांग कर खुद को बाबर की औलाद सिद्ध करते हैं।
इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी गिरोह का सातवां घटक वो है जो इनके जैसा देशद्रोही दिखने के लिए बंगलादेशी घुसपैठियों को भारत की नागरिकता देने की मांग करता है l
जरा सोचो अगर ये घटक देशभक्त होते तो भला ऐसे देशद्रोही काम करते ? कभी नहीं
इसके अतिरिक्त इस सेकुलर गिरोह के कई और सहयोगी हैं जो अभी राष्ट्रवाद और देशद्रोह में से किसी एक सपष्ट दिशा में नहीं हैं उनके द्वारा भविष्य में किए जाने वाले काम ही यह तय करेंगे कि वो हर हाल में इस देशविरोधी-हिन्दुविरोधी सेकुलर गिरोह का साथ देते हैं या इस गिरोह के देशविरोधी-हिन्दुविरोधी कामों से तंग आकर राष्ट्रवाद की ओर मुड़ जाते हैं।
अगर ये गिरोह किसी ईसाई या मुस्लिम बहुल देश में होता और ठीक इसी तरह ईसाईयों या मुसलमानों के विरोध में काम करता जैसे हिन्दुओं के विरोध में कर रहा है तो या तो ऐसे गिरोह के नेताओं को फाँसी पर लटका दिया जाता या लोग पत्थरों से पीट-पीट कर इनकी हत्या कर देते पर ये सब हो रहा है शान्तिप्रिय हिन्दुओं की मातृ भूमि भारत में और वो भी हिन्दुओं को यहां से खदेड़ने के लिए फिर भी देश के गद्दार अभी तक जिन्दा हैं व अपनी मां का सौदा सरे बाज़ार कर रहे हैं !
पिछले दिनों इस देशद्रोही गिरोह ने सोराबुदीन के बहाने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया कि भारत में निर्दोष मुसलमानों पर अत्याचार किए जा रहे हैं पर सच्चाई यह है कि सोराबुदीन एक जिहादी आतंकवादी था न कि कोई सूफी सन्त । इस आतंकवादी के घर से दर्जनों एके-47 व हैंडग्रनेड मिले थे। जरा सोचो इन हथियारों का इस्तेमाल किसके विरूद्ध किया जाना था स्पष्ट है हिन्दुओं के विरूद्ध। जिन जवानों ने इस आतंकवादी को मारा उन्होनें सैंकडों निर्दोष हिन्दुओं के जानमाल की रक्षा की। अगर यह गिरोह ऐसे दुर्दाँत आतंकवादी को बेचारा निर्दोष मुसलमान कहकर प्रचारित करता है तो यह इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी गिरोह की तालिबानी मानसिकता नहीं तो और क्या है ?
हमें तो कई बार ऐसा लगता है जैसे मानो इस गिरोह से जुड़े लोग भारत माता को अपनी मातृ भूमि ही नहीं मानते अगर ये भारत माता को अपनी मातृ भूमि मानते होते तो देशद्रोही जिहादियों के समर्थन में यूँ न खड़े होते वेचारा, अनपढ़, सत्ताया हुआ कहकर उनके द्वारा बम्बविस्फोटों में बहाये गए निर्दोषों के लहू को जायज ठहराने का नीच प्रयास न करते, न ही मुठभेड़ों में मारे गये देशद्रोही जिहादियों के मामले उछाल कर सुरक्षाबलों को बदनाम करने का घिनौना अपराध करते !
क्या इस गिरोह ने कभी कश्मीर घाटी में मुस्लिम जिहादियों द्वारा चलाए गए हिन्दू मिटाओ हिन्दू भगाओ अभियान(जिसमें हजारों हिन्दुओं को हलाल कर मारा गया व लाखों हिन्दुओं को अपना घरबार छोड़कर भागने को मजबूर किया गया, जिस जिहाद के दायरे में अब सारे हिन्दुस्थान को लेने का प्रयास हिन्दुओं के धार्मिकस्थलों व हिन्दुबहुल क्षेत्रों में किए जा रहे बम्बविस्फोटों से स्पष्ट दिख रहा है)के विरोध में कभी इतनी प्रखर आवाज उठाई जितनी ये लोग पिछले छः वर्षो से गुजरात के बारे में उठाए हुए हैं वो भी तब जब गुजरात में पहले हमला गोधरा में रेल के डिब्बे में अठाबन हिन्दुओं को जिन्दा जलाकर व 43 को घायल कर जिहादी मानसिकता वाले मुसलमानों ने किया था । बाद में हिन्दुओं द्वारा आत्मरक्षा में प्रतिक्रियास्वरूप हुई हिंसा में उनके समर्थक व दुर्घटनाबस कुछ आम मुसलमान व हिन्दू भी मारे गये थे किसी ने यह कहने की जहमत न उठाई कि अगर मुसलमान हिन्दुओं पर हमला न करते, शान्तिप्रिय हिन्दुओं को जिन्दा न जलाते, तो न दंगे होते न कोई मरता ।
क्या आपने कभी इस गिरोह को हर रोज शहीद हो रहे सुरक्षाबलों के जवानों व आए दिन बहाए जा रहे निर्दोष हिन्दुओं के खून के विरोध में आवाज उठाते हुए देखा ?
क्या शहीद हुए जवानों व हिन्दुओं के परिवारों के सामने आ रही विपत्तियों को इतने जोर-शोर से उठाते हुए देखा ?
जितने जोर-शोर से ये शान्तिप्रिय हिन्दुओं का खून बहाने वाले जिहादियों के लिए उठाते हैं नहीं न, क्यों ?
क्योंकि इस देशद्रोही गिरोह को तो चिन्ता सिर्फ आतंकवादियों व उनके परिवारों की है न कि देश की रक्षा की खातिर बलिदान होने वाले जवानों व हिन्दुओं की ।
कश्मीर में कुछ महीने पहले आपने देखा कि किस तरह जिहादियों के शवों को जमीन से खोद कर निकालते हुए दिखाया गया और कहा गया कि ये जिहादी आतंकवादी निर्दोष हैं घन्टों इसका प्रसारण किया जाता रहा वो भी लाइब । जिहादियों को आम मुसलमान बताकर उनके समर्थन में प्रदर्शन करते हुए दिखाया गया । जिन देशभक्त सुरक्षाबलों के जवानों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए इन आतंकवादियों को मार गिराया, को वहां की देशद्रोही सरकार के साथ मिलकर जेल में डलबा दिया गया । जिस सरकार का मुखिया माननीय सर्वोच्च न्यायालय से फाँसी की सजा प्राप्त देशद्रोही जिहादी आँतकतवादी को बचाने का प्रयत्न करता है वो सरकार देशद्रोहियों की नहीं तो और किसकी है ?
उन्हीं दिनों रजौरी में जिहादियों ने छः हिन्दुओं को हलाल किया इससे पहले 2 मई 2006 को डोडा व उधमपुर में 36 हिन्दुओं को एक साथ जिहादी आतंकवादियों द्वारा कत्ल किया गया तो भला इस देशद्रोही मीडिया ने कितने घंटे सीधा प्रसारण किया ? कितने अनाथ बच्चों जो जिहादी आतंकवादियों की वजह से लावारिस हो गए के साक्षात्कार दिखाए ? कितनी महिलाओं जिनके सुहाग इन मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों ने उजाड़ दिए, जिनके छोटे-छोटे बच्चे हलाल कर दिए गए, का दुख इस हिन्दुविरोधी देशद्रोही मीडिया ने दिखाया ।
गुजरात में कुछ महीने पहले एक मुस्लिम जिहादी लड़की इसरत जहां मारी गई जिसके बारे में इस देशद्रोही मीडिया व जिहाद समर्थकों ने सारी दुनिया में अफवाह फैला दी कि यह लड़की निर्दोष है और गुजरात की सरकार मुस्लिम विरोधी है इसलिए इसे पुलिस ने मार गिराया । इस मुस्लिम जिहादी लड़की के जनाजे में जिहाद समर्थक कांग्रेसियों व समाजवादियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया । कुछ चैनलों ने इसका सीधा प्रसारण किया । जैसे अपने देशद्रोही चरित्र को दिखाने के लिए ये काफी न हो महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम जिहादी लड़की की मौत पर मुआब्जा भी दिया । क्योंकि यह लड़की महाराष्ट्र की थी इस लिए जांच का जिम्मा महाराष्ट्र पुलिस के विशेष दल(ए टी एस) को सौंपा गया। गहन छानबीन के बाद यह पाया गया कि यह लड़की आतंकवादी थी । जिहादी संगठनों ने खुद इसे अपना सहयोगी बताकर उसे इस्लाम के लिए शहीद बताया ।
अब जरा आप ही सोचो कि खुद को सैकुलर कहलवाने वाला यह देशद्रोही राजनैतिक दलों व गद्दार मीडिया का गिरोह जिहादी आतंकवादियों का बार-बार उनके मुस्लिम होने के नाम पर समर्थन कर सब के सब मुस्लिमों पर आतंकवादी होने का ठप्पा लगा रहा है कि नहीं ?
पिछले सोलह वर्षों से यह देशद्रोही गिरोह एक झूठ बार-बार बड़ी बेशर्मी से दोहराए जा रहा है कि बाबरी मस्जिद गिरा दी । हम इस देशद्रोही गिरोह की जानकारी के लिए यह वता दें कि 1992 में हिन्दूकार्यकर्त्ताओं ने कारसेवा श्री राम मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए की थी न कि किसी मस्जिद को गिराने के लिए अगर भरोसा न हो तो अपने सहयोगी कांग्रेस से पता कर लें कि 1986 में कांग्रेस सरकार के प्रधानमन्त्री स्वर्गीय राजीव जी ने जिस पूजास्थल पर लगा ताला खुलवाया था व पूजा की थी वो मन्दिर था या मस्जिद ? हमें तो हैरानी होती है कि जिस मन्दिर में पूजा होती थी वो गिरने के बाद इन हिन्दू-विरोधियों के लिए मस्जिद कैसे हो गई ?
वैसे भी इस देशद्रोही गिरोह व उसके सहयोगियों को छोड़ कर बच्चा- बच्चा जानता है कि अयोध्या भगवान राम जी की जन्मभूमि है। जहां पर आक्रांता बाबर के शासन से पहले भगवान राम जी का भव्य मन्दिर था जिसके ऊपर के हिस्से को, जिहादी बाबर के आदेश से उसके सेनापति मीरबाकी ने, मस्जिदनुमा बनवा दिया था । जिस मस्जिदनुमा ढांचे में कभी नमाज तक अता नहीं की गई भला उस ढांचे को कोई विवेकशील व्यक्ति मस्जिद कैसे कह सकता है ? हम तो चाहेंगे कि यह गिरोह देश को बताए कि मक्का मदीना में कितने मन्दिर या चर्च हैं ?
एन डी ए की सरकार के दौरान भारत यात्रा पर आए ईरान के धार्मिक प्रमुख खातमी जी ने स्पष्ट कहा “ जिस स्थान पर एक बार भी पूजा की गई हो उसे किसी भी स्थिति में मस्जिद नहीं कहा जा सकता । अगर इतना काफी न हो तो यह देशद्रोही हिन्दुविरोधी गिरोह यह बता दे कि अगर पूर्वजों की निशानी पर कोई आक्रमणकारी कब्जा कर ले तो उसे छुड़बाना बच्चों का फर्ज है कि नहीं ?
अन्त में इन जयचन्द की सन्तानों से हम इतना ही कहेंगे कि अगर हो सके तो सच का सामना करना सीखो और सच यही है कि अयोध्या में भगवान राम जी का मन्दिर था, है और रहेगा चाहे ये हिन्दुविरोधी जितना मर्जी जोर से चिल्लाते रहें सच तो सच है इसे दबाया नहीं जा सकता ।
अगर इस गिरोह में जरा सी भी इन्सानियत नाम की चीज या फिर माननीय न्यायालय के प्रति जरा सा भी सम्मान बाकी है तो इसे चाहिए कि माननीय न्यायालय का फैसला आने तक यथास्थिति का पालन करते हुए मन्दिर शब्द का प्रयोग करे या फिर अपना जहरीला प्रचार बन्द रखे अन्यथा माननीय न्यायालय का फैसला सत्य के पक्ष में आने पर होने वाले जान माल के नुकसान की जिम्मेवारी लेने के लिए तैयार रहे !
क्योंकि इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी गिरोह का झूठा और जहरीला प्रचार न केवल मुस्लिम जिहादियों को आम मुसलमानों को भड़काने का मसाला देता है पर साथ ही विदेशों में इस झूठ को फैलाकर धन इकट्ठा करने का मौका भी देता है। उसी धन से हथियार खरीद कर हिन्दुओं को शहीद किया जाता है।
हो सकता है उसी धन का कुछ हिस्सा शायद इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी गिरोह की जेब में भी जाता हो वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि यह गिरोह शान्तिप्रिय को हिंसक, देशभक्त को देशद्रोही, सर्वधर्मसमभाव के जन्मदाता पोषक व समर्थक शान्तिप्रिय हिन्दुओं को सांप्रदायिक व आतंकवादी सिद्ध करने का बार-बार असफल प्रयत्न करता है और बेनकाब होता जाता है। इनका यह जहरीला प्रचार कहीं न कहीं शान्तिप्रिय आस्तिक हिन्दुओं को भी उत्तेजित करता है। माना के हिन्दू शांतिप्रिय है सनातन में विश्वास रखता है पर हर बात की एक हद होती है !
मुस्लिम जाहादियों द्वारा तोड़ा गया शिबलिंग
ये लेख लिखना हमनें तब शुरु किया था जब यह घर्मनिर्पेक्ष गिरोह मुस्लिम जिहादी आतंकवादी संगठन सिमी उर्फ इंडियन मुझाहिदीन का बचाव कर आम मुसलमानों को भड़काकर इस आतंकवादी संगठन के साथ खड़े होने के लिए प्रेरित कर रहा था। जिसका परिणाम बाटाला हाऊस मुठभेड़ के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के उपकुलपति के नेतृत्व में देशद्रोही मुस्लिम आतंकवादियों के समर्थन में निकाली गई रैली के रूप में देखने को मिला । इस विश्वविद्यालय के जिहादियों के साथ सम्बन्धों की जांच भारतीय सेना से करवाई जानी चाहिए ।
हमें ये भी जानकारी मिली है कि इस विश्वविद्यालय को सब मुस्लिम आतंकवादियों के गढ़ साउदी अरब से भी आर्थिक सहायता मिलती है। अगर ये सत्य है फिर तो यह स्पष्ट है कि ये विश्वविद्यालय मुस्लिम आतंकवादियों को अपने यहां शरण देता है जो एक तरह से भारत के विरूद्ध युद्ध की तैयारी जैसा है । वैसे भी हम इन सैकुलर गद्दारों से जानना चाहेंगे कि क्या एक जिहादी देश के पैसे से चल रहे विश्वविद्यालय द्वारा मुस्लिम आतंकवादियों का समर्थन करना देशद्रोह नहीं तो और क्या है ?
जागो ! हिन्दू जागो !
बाद में ये सैकुलर गिरोह खुद इन देशद्रोही मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों के समर्थन में उत्तर आया और शहीद मोहन चन्द शर्मा जी के नेतृत्व में पुलिस जवानों की बहादुरी और बलिदान को गाली-गलौच करते हुए न्यायिक जांच की मांग करने लगा।
यह वही गिरोह है जिसके नेतृत्व में सारे भारत में वन्देमातरम् का गान करने का फैसला किया गया लेकिन मुठीभर देशद्रोही मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा वन्देमातरम् का विरोध इस आधार पर किए जाने पर कि वन्देमातरम् का गान उनकी जिहादी मानसिकता के विरूद्ध है। इस गिरोह की सरकार ने वन्देमातरम् गाने का फैसला वापिस लेते हुए यह कह दिया कि जिसको गाना है वो गाए जिसको नहीं गाना है वो न गाए।
· इस फैसले से एक तो राष्ट्रगीत का अपमान किया गया !
· दूसरे देशद्रोही मुस्लिम आतंकवादियों का हौंसला बढ़ाया गया !
· तीसरा आम मुसलमान को वन्देमातरम् का विरोधी घोषित कर दिया !
· जब ये देशविरोधी मानसिकता वाले देशद्रोही परिवार नियोजन जैसे कार्यक्रमों का विरोध करते हैं और अधिक से अधिक बच्चे पैदा कर देश के इस्लामीकरण की बात करते हैं तो ये सैकुलर गिरोह आम देशभक्त मुसलमान को परिवार नियोजन जैसे कार्यक्रमों के लाभ बताकर उसके साथ खड़ा होने के बजाए जिहादी मानसिकता वाले देशद्रोहियों का साथ देता है और परिवार नियोजन जैसे कार्यक्रमों का विरोध करता है।
परिवार नियोजन का समर्थन करने वालों को सांप्रदायिक कहकर आम देशभक्त मुसलमानों को डराकर जिहादी मानसिकता वाले देशद्रोहियों का साथ देने के लिए मजबूर करता है फिर मुसलमानों की गरीबी का ढिंढोरा पीटने के लिए सच्चर कमेटी बनाता है
अब इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी सैकुलर गिरोह को कौन समझाये कि बिना परिवार नियोजन के विकास सम्भव नहीं।
· चौथा मुठीभर अलगावबादी मानसिकता वाले सिरफिरों द्वारा वन्देमातरम् व परिवार नियोजन के विरोध को सब मुसलमानों की राय बताकर सब के सब मुसलमानों पर देशद्रोही होने का लैबल चिपका दिया ।
अब आप ही सोचो कि यह गिरोह देशद्रोही मुस्लिम आतंकवादियों का समर्थक है या आम देशभक्त मुसलमान का ?
हमारे विचार में यह गिरोह सिर्फ देशद्रोही मुस्लिम आतंकवादियों का समर्थक है न कि आम देशभक्त मुसलमान का क्योंकि यह गिरोह हर तरह से आम देशभक्त मुसलमान का नुकसान ही कर रहा है।
एक तरफ यह देशद्रोही गिरोह मुहम्मद अफजल, सोराबुदीन व आतिफ जैसे देशद्रोही मुस्लिम आतंकवादियों का समर्थन कर आम देशभक्त मुसलमानों के बच्चों को साफ संदेश दे रहा है कि तुम आतंकवादी बनो सारा सैकुलर बोले तो देशद्रोही गिरोह आपका सुरक्षा कवच बनकर खड़ा है !
दूसरी तरफ बहुत सी मस्जिदों व मदरसों पर इस अलगावबादी मानसिकता वाले आतंकवादियों के कब्जे की वजह से इस्लाम में ब्यापत बुराईयों को समाप्त करने के बजाए उल्टा उनका समर्थन कर इन बुराईयों को बढाबा देकर आम देशभक्त मुसलमानों के बच्चों व देश को एक ऐसे गर्त में धकेलता चला जा रहा है जिसका परिणाम अफगानिस्तान व पाकिस्तान के कबाइली इलाकों जैसी जाहलिएत है न कि जन्नत जो कि ये जिहादी मानसिकता वाले आतंकवादी इस गिरोह की सहायता से प्रचारित कर रहे हैं।
अगर इस सेकुलर गिरोह का ये आतंकवाद प्रेम व हिन्दूविरोध इसी तरह जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भारत में भी अफगानीस्तान जैसे हालात वन जायेंगे और हर जगह तालिबान ही नजर आयेंगे।
अगर इन्हें आम मुसलमान की चिन्ता होती तो ये अल्पसंख्यकवाद व धर्मनिर्पेक्षता के बहाने देशद्रोही मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों का समर्थन कर व शान्तिप्रिय हिन्दुओं और उनके राष्ट्रवादी संगठनों का खौफ दिखाकर आम मुसलमान को राष्ट्र की मुख्यधारा से काटने का यूँ प्रयत्न न करते बल्कि इस सत्य का एहसास करवाते कि वेशक दोनों की पूजा-पद्धति अलग-अलग है पर दोनों के पूर्वज एक ही हैं ।
क्योंकि आक्रमणकारी जिहादियों के साथ तो कुछ गिनेचुने जिहादी ही आए थे। आम मुसलमान वो परावर्तित हिन्दू हैं जो औरंगजेब और बाबर जैसे राक्षसों के अत्याचारों से तंग आकर इस्लाम अपनाने को मजबूर हुए और इस सैकुलर गिरोह की भारतीय संस्कृति विरोधी फूट डालो और राज करो के देशद्रोही षड्यन्त्रों की वजह से आज तक मजबूर हैं वरना इन मुठीभर देशद्रोही मुस्लिम आतंकवादियों में कहाँ इतना दम था कि इन आम देशभक्त मुसलमानों की आवाज को इस तरह दबाकर रखते और इनके होनहार बच्चों को आतंकवाद की उस अंधेरी गली में धकेलते जिसके रास्ते सीधे जहन्नुम में खुलते हैं ।
आम देशभक्त मुसलमान न तो जिहादी है,न आतंकी है, न ही कट्टर और न ही औरंगजेब और बाबर जैसे राक्षसों की संतान। ये तो भगवान राम की उस संतान की तरह है जो मन्दिर जाती है फर्क सिर्फ इतना है कि इसकी पूजा पद्धति थोड़ी अलग है । सारा मामला जयचंद के वंशज इस देशद्रोही गिरोह व औरंगजेब और बाबर जैसे राक्षसों की संतानों इन मुठ्ठीभर देशद्रोही मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों के द्वारा उलझाया हुआ है।
अगर आपको लगता है कि मामला इतना सीधा नहीं है तो जरा इस बात की ओर ध्यान दो ।
Ø हम दावे के साथ कह सकते हैं कि जिन हिन्दुओं व राष्ट्रवादी संगठनों का नाम लेकर आम देशभक्त मुसलमानों को डराया व उकसाया जाता है उनमें से किसी को भी अपने इन मुस्लिम भाईयों के मस्जिद जाने पर कोई आपत्ति नहीं है और न ही इन मुस्लिम भाईयों को हिन्दुओं के मन्दिर जाने या मूर्तिपूजा करने पर कोई आपत्ति हो सकती है।
Ø लेकिन औरंगजेब और बाबर जैसे राक्षसों की संतानों को व इस देशद्रोही सैकुलर गिरोह को, हिन्दुओं के मन्दिर जाने, मूर्तिपूजा करने और यहाँ तक कि हिन्दुओं के आस्तिक होने पर ही घोर आपत्ति है तभी तो यह गिरोह एक तरफ माननीय सर्वोच्चन्यायालय में सपथपत्र देकर घोषणा करता है कि भगवान राम हुए ही नहीं और दूसरी तरफ इनके लाडले देशद्रोही मुस्लिम जिहादी आतंकवादी मन्दिरों में बम्ब विस्फोट करते हैं ।
यह सैकुलर गिरोह यह भूल जाता है कि ये सबकुछ तबतक चल रहा है जब तक हिन्दू इनकी असलिएत से अनभिज्ञ है व अपने शान्तिप्रिय स्वभाव को नहीं छोड़ता लेकिन अब इनकी असलिएत बड़ी तेज गति से बेनकाब हो रही है और हिन्दू समझ रहा है कि जो शहीद मोहनचन्द शर्मा जी के बलिदान का अपमान कर रहे हैं वो भला देशभक्त कैसे हो सकते हैं ? जो देश के लिए प्राण जोखिम में डालकर देशद्रोहियों को पकड़ने व मारगिराने वाले सैनिकों व पुलिस के जवानों को शक की निगाह से देखते हैं उनकी शहीदी का अपमान करते हैं व देशद्रोही मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों का समर्थन करते हैं उनके समर्थन में रैलियां धरने प्रदर्शन जुलूस निकालते हैं इनकी खातिर कोर्ट पहुंचते हैं कोर्ट को गुमराह करने का जोर-शोर से प्रयास करते हैं फिर फैसला सत्य और न्याय के पक्ष में आने पर माननीय सर्वोच्चन्यायालय तक का अपमान करते हैं व आदेश नहीं मानते व माननीय सर्वोच्चन्यायालय तक को अपनी सीमा में रहने और इनके देशविरोधी कामों में हस्ताक्षेप न करने की धमकी तक दे डालते हैं । मानो ये सब काफी न हो तो इनके समर्थन से पलने वाले आतंकवादी न्यायालय परिसर,पुलिस व सेना के शिविरों और गाड़ियों में बम्ब विस्फोट कर डालते हैं मानो कि के कह रहे हों जब संइयां भय सरकार तो फिर डर काहे का ।
ü यही वजह है कि जब भी हम हिन्दू बोलते हैं तो उसका अभिप्राय उन सभी भारतीयों से है जो भारत भूमि को सच्चे मन से अपनी मातृभूमि मानते हैं भारतीय संस्कृति को अपनी संस्कृति मानते हैं भारत के शत्रु को अपना शत्रु मानते हैं फिर वो चाहे पूजा के लिए मन्दिर या गुरूद्वारा या मस्जिद या गिरजाघर कहीं भी जाएं या फिर कहीं भी न जाएं या फिर सब जगह जाएं उसके देशभक्त भारतीय अर्थात हिन्दू होने पर कोई फर्क नहीं पड़ता । इस हिन्दू को एक दूसरे की पूजा पद्धति पर कोई आपत्ति नहीं होती ।
ü आप जरा सोचो कंधार काबुल जो कभी भारत था अफगानिस्तान बनकर गृहयुद्ध का शिकार क्यों है ? सिंध , ब्लूचीस्तान, कराची, लाहौर, ढाका जो 60 वर्ष पहले भारत था आज आन्तरिक मार-काट का शिकार क्यों है ? लोग वही हैं, जमीन वही है, सब कुछ वही है बस फर्क पड़ा तो इतना कि वो खुद को हिन्दू नहीं मानते ।
ü हम बाहर की बात क्यों करें जरा भारत को ही ध्यान से देखें कि कहां-कहां अलगाववाद है, हिंसा है, दंगा है, अशांति है सिर्फ वहां पर जहां-जहां खुद को हिन्दू न मानने वालों की संख्या प्रभावशाली है जैसे कि कश्मीरघाटी,आसाम,गोधरा, कंधमाल,मऊ, उत्तर-पूर्व के कई हिस्से। देश में और भी कई स्थान ऐसे हैं जहां खुद को हिन्दू न मानने वाले अकसर हिन्दुओं पर हमला करते रहते हैं और यह सैकुलर गिरोह हमलावरों के समर्थन में हिन्दुओं व उनके संगठनों को सांप्रदायिक, कातिल,गुंडा प्रचारित कर बदनाम करने के लिए विश्वव्यापी अभियान चलाता रहता है
ü यह मूर्खों का गिरोह इतना भी सोचने का कष्ट नहीं करता कि अगर हिन्दुओं व उनके संगठनों को ही इस्लाम या ईसाईयत मिटाओ अभियान चलाना हो तो वो हिन्दुबहुल क्षेत्रों मे शुरू करें और सारे भारत में एक साथ चलाएं न कि उन क्षेत्रों में जहां इस्लाम या ईसाईयत को मानने वाले या तो बहुसंख्यक बन गय हैं या बहुसंख्यक बनने के कगार पर पहुंच गए हों जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दुओं व उनके संगठनों को इस्लाम या ईसाईयत से कोई समस्या नहीं ।
समस्या है तो उन देशद्रोहियों से है जो इस्लाम के बहाने जिहादी मानसिकता का प्रचार-प्रसार व समर्थन करते हैं व खुद को औरंगजेब और बाबर जैसे नरभक्षीयों की संतान कहलवाने में गर्व महसूस करते हैं या सेवा के नाम पर ईसाईयत के प्रचार-प्रसार के बहाने हिन्दूधर्म की निंदा कर हिन्दूधर्म विरोधी महौल बनाकर छल-कपट से जबरन धर्माँतरण को बढ़ावा देते हैं व धर्माँतरण का विरोध करने वाले परम पूजनीय स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती जी जैसे देशभक्त समाजसेवकों और सन्तों का कत्ल करते हैं ।
Ø इस देशद्रोही गिरोह को हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि खुद को औरंगजेब और बाबर जैसे नरभक्षियों की संतान कहलवाने वाले इन मुठ्ठीभर देशद्रोही मुस्लिम आतंकवादियों व धर्माँतरण करवाने वालों के लिए इस देश में न कोई जगह है और न ही कोई जगह हो सकती है फिर भी इस गिरोह को अगर विषय स्पष्ट नहीं तो हम इनके सामने वो सच्चाई रखने का प्रयास करेंगे जिसे आज हर देशभक्त महसूस करता है पर कहने से बचता है शायद इस उम्मीद में कि मानवता के शत्रु अपने आप मानवता को लहूलुहान करना छोड़ देंगे पर वो यह भूल जाता है कि राक्षस के मुँह अगर एक बार खून लग जाए तो वह तब तक नहीं रूकता जब तक सामने वाला खत्म न हो जाए या फिर इस राक्षस को खत्म न कर दिया जाए । हमारे विचार में भारत से अब इस राक्षस को मिटा देने का वक्त आ चुका है !
आप समझ ही गये होंगे कि हम किस राक्षस की बात कर रहे हैं । जी हाँ आप बिल्कुल ठीक समझे हम मुस्लिम आतंकवाद की बात कर रहे हैं ये आतंकवाद भारत के लिए कोई नया नहीं । इसका भारत में प्रवेश सातवीं/आठवीं शताब्दी में मुहम्मदबिन कासिम के रूप में सिंध के रास्ते हुआ जिसका असली राक्षसी चेहरा महमूदगजनबी ,औंरगजेब, बाबर, चंगेजखां ,जहांगीर आदि के रूप में सामने आया। इन राक्षसों ने हिन्दुओं पर कौन से जुल्म नहीं ढाए। अनगिनत हिन्दुओं का कत्ल किया, माताओं, बहनों, बहु, बेटियों, बच्चों तक को नहीं बख्शा माताओं, बहनों, बहु, बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ किया सो अलग और ये सब हुआ मुस्लिम जिहाद के नाम पर ईस्लाम के प्रसार के लिए।
आस्था विश्वाश भाईचारे का कौन सा ऐसा चिन्ह है जिसे इन जिहादियों ने बख्शा ?
बेहिसाब मन्दिरों को लूटा और तोड़ा प्रमाण ढूँढने की जरूरत नहीं प्रमाण देश के हर कोने में मौजूद हैं सोमनाथ, अयोध्या,मथुरा और काशी के बारे में कौन नहीं जानता । कोई तो बताए ये सब कैसे भुलाया जा सकता है ? और क्यों भुलाया जाना चाहिए? इस देश की मिट्टी का एक-एक कण इन नरभक्षी मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा किए गय कत्लेआम से सना है इस परंपरा का पालन मुस्लिम कम, सैकुलर गिरोह ज्यादा करने पर तुला हुआ है ।
गुरू तेगबहादुर जी की कुर्बानी को कौन भुला सकता है क्या यह झूठ है कि वह जिहाद का शिकार सिर्फ इसलिए हुए क्योंकि उन्होंने धर्मांतरण का विरोध किया ?
श्री गुरूगोविन्द सिह जी बेटों सहित बलिदान हुए किस लिए ? धर्म की रक्षा के लिए। पर किससे ? इन्हीं राक्षसों से, जिन्हें आप चाहे मुस्लिम आतंकवादी कहो चाहे जिहादी या फिर इनका बचाव करने के लिए बेचारा, गुमराह, गरीब, अनपढ़, सत्ताया हुआ मुस्लिम नौजवान ( देशद्रोही-हिन्दुविरोधी इन्हें इसी नाम से पुकारते हैं) पर सच्चाई यही है कि ये राक्षस यह सब कुछ इस्लाम पर हो रही काल्पनिक ज्यादतियों का अपने सैकुलर एजेंटों के माध्यम से झूठ फैलाकर इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए जिहाद का नाम लेकर करते थे, कर रहें हैं और तब तक करेंगे जब तक इस भारत से हिन्दुओं का नामोनिशान नहीं मिट जाता या फिर इन्हें इनके समर्थकों सहित मिटा नहीं दिया जाता ।
जरा याद करो महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज का बलिदान । सारी ज़िन्दगी धर्म की रक्षा के लिए लड़े और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान हुए। पर रक्षा किससे ? इन्हीं राक्षसों से जिन्हें यह सैकुलर गिरोह बेचारा गरीब सताया हुआ प्रचारित करके यह कुतर्क देता है कि वर्तमान भारत में यह सब हिन्दू संगठनों की वजह से हो रहा है और वो भी राम मन्दिर अंदोलन व गुजरात का बदला लेने को लिए।
लेकिन सच्ची-पक्की बात यह है कि जिस जिहाद से लड़ते हुए वह अनगिनत अमूल्य बलिदानी शहीद हुए थे उसी जिहाद का मुकाबला आज हिन्दू संगठन,सुरक्षावल व समस्त हिन्दूसमाज कर रहा है और जो गद्दारी उस वक्त जयचन्द जैसे देशद्रोहियों ने की थी वो ही गद्दारी आज ये देशद्रोहियों का सैकुलर गिरोह कर रहा है ।
· आओ जरा वर्तमान भारत में धर्म पर हो रहे हमलों का तार्किक विश्लेशण करें। दीवाली पर दिल्ली में धमाके, होली पर वाराणसी में बजरंगबली के मन्दिर में धमाके,राखी पर मुम्बई में धमाके,गणेशोत्सव पर फिर दिल्ली में धमाके ,इसके अतिरिक्त अहमदावाद, सूरत, जयपुर में मन्दिर के पास, कर्नाटक, रघुनाथ मन्दिर, अक्षरधाम मन्दिर । इन सब धमाकों में दो बातें स्पष्ट उभर कर आती हैं एक तो ये सब धमाके हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों को निशाना बनाकर किए जाते हैं ताकि अधिक से हिन्दुओं को मौत के घाट उतारा जा सके और दूसरी बात यह कि ये सब धमाके उन्हीं मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा किए जा रहे हैं जिन्हें इस गिरोह की सरकार का गृहमन्त्री सरकार में शामिल लोगों का भाई बताता है।
Ø इन सब धमाकों का एक ही उद्देश्य है शान्तिप्रिय हिन्दुओं की बर्बादी और राक्षसों का बर्चस्व स्थापित करना। जिहादियों के समर्थक यह तर्क देते हैं कि ये हमले हिन्दुओं को निशाना बनाकर नहीं किए जा रहे क्योंकि इसमें मुस्लिम भी मारे जाते हैं(इस झूठ का प्रचार करने के लिए इनका सहयोगी मीडिया धमाकों में मारे गये एक मुस्लिम को बार-बार दिखाकर इस झूठ को आगे बढ़ाकर सच को छुपाने की कोशिश करता है ) पर वो यह सच्चाई छुपाने की कुचेष्ठा करते हैं कि ऐसे धमाकों में मारे जाने वाले मुस्लिमों की संख्या न के बराबर होती है।
· जिहादियों के समर्थक यह तर्क भी देते हैं कि ये हमले तो मस्जिदों को निशाना बनकर भी किए जाते पर ये लोग यह बताने से बचते हैं कि जामामस्जिद में हुए बम्बविस्फोट में सिर्फ एक व्यक्ति घायल हुआ मरा कोई भी नहीं । मक्कामस्जिद में बम्बविस्फोट पानी की टांकी के पास हुआ न कि मस्जिद के अन्दर इसी तरह मालेगांव( यहाँ मुसलमान भगदड़ में मरे न कि धमाके से) में भी बम्बविस्फोट मस्जिद के पास हुआ न कि मस्जिद के अन्दर और ये दोनों बम्बविस्फोट दुर्घटनाबश हुए क्योंकि इन जिहादियों के प्रशिक्षण केन्द्र मदरसे हैं और संचालन केन्द्र मस्जिदें । ऐसे स्थानों पर परीक्षण के समय या दुर्घटनाबश बम्बविस्फोट होना सामान्य घटना है न कि कोई साजिश । ऐसी भी चर्चा है कि जिहादी हिन्दुबहुल क्षेत्र में बम्ब रखने जा रहे थे कि रास्ते में पड़ती मस्जिद में अपने सहयोगियों से मिलने के लिए व धमाकों से पहले नमाज पढ़ने के लिए रूके और इस बीच दुर्घटनाबस ये धमाके हो गये । वरना अगर ये बम्ब किसी हिन्दू ने लगाने होते तो मस्जिद में लगाता न कि बाहर ।
· जो लोग बार-बार हिन्दू आतंकवाद की काल्पनिक अवधारणा बना रहे हैं वो ये क्यों कैसे भूल रहे हैं कि पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों में जो मस्जिदों में तबाही हो रही है वो मुस्लिम जिहादी ही तो कर रहे हैं। फिर भारत में ये सब मुस्लिम जिहादी नहीं कर रहे हैं ऐसा तो जिहादियों का बचाव करने वाले बिके हुए दलालों द्वारा ही कहा जा सकता है या फिर उन कातिलों द्वारा जिन्होंने ये धमाके खुद करवाये हों !
लेकिन जिहादियों को अपना भाई मानने वाला यह गिरोह इन जिहादियों को हीरो बनाने के लिए कुछ भी कह सकता है कुछ भी कर सकता है।
v इस सैकुलर गिरोह ने तो मानो निर्दोष शान्तिप्रिय हिन्दुओं को इन घटनाओं में झूठा फंसाकर आतंकवादी सिद्ध करने की कसम उठा रखी हो और उठांए भी क्यों न एक तरफ शहीद मोहनचन्द शर्मा जी के बलिदान का अपमान करने के मुद्दे पर अभी देशभक्त हिन्दुओं का गुस्सा शान्त भी नहीं हुआ था कि राजठाकरे के माध्यम से हिन्दुओं को क्षेत्रवाद के आधार पर लड़ाकर फूट डालो और राज करो की साजिश का पर्दाफाश हो गया। ऊपर से पिछले कई दशकों से बोले जा रहे इस झूठ का कलंक कि हिन्दू आतंकवादी हैं जब पिछले पाँच सालों के षड्यन्त्रों के बावजूद कोई हिन्दू आतंकवादी न मिला तो मरता क्या न करता इसलिए हताशा में एक निर्दोष राष्ट्रभक्त साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को ए .टी .एस पर दबाव बनाकर डलबा दिया जेल में यह भी न सोचा कि देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद समर्थक गिरोह की सरकार द्वारा निर्दोष राष्ट्रभक्त हिन्दुओं को जेल में डालकर ‘हिन्दू आतंकवादी हैं , ‘हिन्दू आतंकवादी हैं , प्रचारित करने से कोई उस पर भरोसा करने वाला नहीं क्योंकि सब जानते हैं कि जिहादी आतंकवादियों को अपना भाई बताने वाली सरकार, उनको सजा से बचाने के लिए पोटा हटाने वाली सरकार, सेना व पुलिस के बहादुर जवानों द्वारा मारे गए जिहादी आतंकवादियों के परिवारों को मुआबजा देने वाली सरकार, माननीय सर्वोच्च न्यायालय से फाँसी की सजा प्राप्त जिहादी आतंकवादी मुहम्मद अफजल को फाँसी न देकर दो वर्ष से उसे बचाकर रखने वाली सरकार ,प्रतिशोध में बेबकूफ बने हिन्दू राहुल राज को एक पल में आनॅ द स्पाट गोली मारकर फाँसी देने वाली सरकार, क्वात्रोची जैसे देशविरोधी लुटेरे एन्टोनियो माइनो मारियो के एजेंट के लंदन बैंक में देशभक्त सरकार द्वरा जब्त करवाए गए वोफोर्स काँड दलाली के पैसे को कानूनमन्त्री भेज कर छुड़वाने वाली सरकार, आसाम में बंगलादेशी घुसपैठियों के साथ मिलकर सरकार बनाकर जिहादी आतंकवादियों द्वारा हिन्दुओं को मरवाने व बेघर करवाने वाली सरकार, इन हत्यारे बंगलादेशी घुसपैठिए जिहादी आतंकवादियों को बांगलादेश वापिस भेजने के लिए माननीय सर्वोच्चन्यायालय के आदेशों को न मानने व ऐसे सभी कानूनों को तोड़ने वाली सरकार, जिहादी आतंकवादियों को कानून बनवाकर जेलों से छुड़वाने वाली सरकार , जिहादी आतंकवादियों को अपने प्राणों की बाजी लगाकर पकड़ने या मारने वाले सेना व पुलिस के बहादुर जवानों को जेलों में डलवाने वाली सरकार,शहीद मोहन चन्द शर्मा जी जैसे देशभक्तों के बलिदान का अपमान करने वाली सरकार देशभक्तों को अपमानित करने के लिए कोई भी षड्यन्त्र रच सकती है, किसी भी हद तक गिर सकती है ।
v निर्दोष राष्ट्रभक्त साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी को जेल में डालना इसी षड्यन्त्र का एक हिस्सा है इससे पहले भी यह सरकार राष्ट्रभक्त सन्त परम पूजनीय स्वामी रामदेव जी को अपमानित करने के लिए कई षड्यन्त्र रचकर मुंह की खाकर अपनी फजीहत करवा चुकी है । निर्दोष राष्ट्रभक्त साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी के मामले में भी सरकार के षड्यन्त्र का यही हश्र होने वाला है । वैसे भी जरा आप निष्पक्ष होकर सोचो कि जो सरकार हिन्दूविरोधियों को खुश करने के लिए भगवान राम जी के अस्तित्व को ही नकार सकती हो वो भला भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए क्या नहीं कर सकती है बोले तो ,कुछ भी कर सकती है ये तो सेना, राष्ट्रभक्त हिन्दुओं व उनके संगठनों का डर है जो इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह को अपने नापाक कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर देता है वरना आज तक तो यह देशद्रोही हिन्दुविरोधी गिरोह जिहाद व धर्मांतरण समर्थकों के साथ मिलकर सारे भारत से भारतीय संस्कृति बोले तो हिन्दू संस्कृति का नामोनिशान उसी तरह मिटा देता जिस तरह कश्मीरघाटी,उत्तरपूर्व के कई क्षेत्रों से मिटाया व देश के कई अन्य हिस्सों में यह हिन्दू मिटाओ हिन्दू भगाओ अभियान जोर-शोर से चल रहा है पर यह वहीं सम्भव हो पा रहा है जहां हिन्दू संगठन बिल्कुल कमजोर हैं और हिन्दू संगठन वहां पर कमजोर हैं जहां पर राष्ट्रभक्त कम संख्या में हैं अतः सारे भारत में राष्ट्रभक्तों की संख्या बढ़ाकर व देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थकों की संख्या घटाकर भारतीय सेना के हाथ मज़बूत कर भारतीय संस्कृति को बचाकर विश्वगुरू भारत का पुनःनिर्माण करने के लिए हिन्दूक्रांती देश की जरूरत है शौक नहीं ।
हिन्दुओं को आतंकवादी व कातिल बताने बाला यह झूठ इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह का कोई पहला झूठ नहीं आप सबको याद होगा कि सन 2000 में जब केन्द्र में एन.डी.ए की सरकार थी और गुजरात में भाजपा की । कुछ समय बाद आंध्रप्रदेश, गोआ, गुजरात और कर्नाटक में चर्चों पर हमले होने लगे तो हिन्दूविरोधियों के इस गिरोह ने देश-विदेश में शोर मचा दिया कि ये हमले योजनाबद्ध तरीके से अल्पसंख्यकों को खत्म करने की साजिश के तहत हिन्दूसंगठन करवा रहे हैं बाद में मीडिया का एक बढ़ा वर्ग भी इस दुष्प्रचार में शामिल हो गया । हिन्दूसंगठनों ने लाख कहा कि कि इन हमलों से उसका कोई वास्ता नहीं पर ये कहाँ सुनने वाले थे इनको तो सिद्ध करना था कि हिन्दुत्व की बात करने वाले सांप्रदायिक हैं कातिल हैं ! आप समझ सकते हैं कि निर्दोष को दोषी साबित करना कितना मुस्किल होता है ? इसलिए इस टीम ने पूरा जोर लगाया सच्चाई को दबाने में, पर सच्चाई तो सच्चाई है कहां दबती है सामने आ ही जाती है इस मामले में भी यही हुआ और सिद्ध हो गया कि ये सैकुलर गिरोह गद्दारों का वो गिरोह है जो हिन्दुओं व उनके संगठनों को बदनाम कर, देश को तवाह करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है-झूठ बोल सकता है ।
आँध्रप्रदेश में दीनदार अंजुमन नामक मुस्लिम आतंकवादी गैंग के 23 जिहादी पकड़े गए जिन्होंने यह स्वीकार किया कि देश में चर्चों पर हमले इन्होंने किए थे। भगवान की दया से ये गैंग किसी भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य में नहीं पकड़ी गई वरना ये देशद्रोही गिरोह आरोप लगा देता कि ये गलत पकड़े गए ।
क्या हिन्दुओं व उनके संगठनों को बेवजह बदनाम करने वाले इन दुष्टों ने हिन्दुओं से माफी मांगी या इस बेवकूफी से कोई सबक लिया कोई नहीं । अगर इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह के लोग इतने ही समझदार होते तो भला वो देशद्रोहियों का साथ देते क्या ?
अगर आपको इन जिहादियों के दोषी होने के बारे में कोई सन्देह है तो आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि 22 नवम्बर 2008 को माननीय न्यायालय में इनका अपराध सिद्ध हो चुका है । अगर इस हिन्दुविरोधी तालिबानी मीडिया ब सैकुलर गिरोह में शर्म नाम की कोई चीज बाकी है तो इसे सारे संसार में हिन्दुओं को कातिल कहकर फैलाए गये झूठ के लिए समस्त जिन्दुओं से माफी मांग लेनी चाहिए वरना हमें विश्वास हो जाएगा कि ये असुरों का तालिबानी गिरोह है !
आओ जरा उड़ीसा के कंधमाल की बात करें जो 15 सितम्बर से 15 अक्तूबर 2008 तक पूरे जोर-शोर से न केवल भारत बल्कि पूरे संसार के ईसाई देशों खास कर एन्टोनियो मांइनो मारियो के घर इटली के पोप शासित रोम में पूरी तरह से छाया रहा । कई धर्मांतरण समर्थक हिन्दू विरोधी मंचों पर तो आज भी ये सुर्खियों में है । हो भी क्यों न कंधमाल को पोप शासित रोम बनाने के रास्ते में देशभक्त हिन्दू व उनके संगठन जो दीवार बनकर खड़े हो गए। हम इन धर्मांतरण के ठेकेदारों को यहाँ स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह इटली नहीं भारत है और भारत के किसी भी हिस्से को रोम नहीं बनने देंगे और भविष्य में अगर किसी हिस्से को रोम बनाने की कोशिश की तो वहां कंधमाल नजर आएगा ।
भगवान की लीला देखो नाइजीरिया में एक दूसरे का कत्ल कर उसे नरक बना देने वाले ये ईसाई व मुसलमान, अफगानिस्तान व ईराक में मुसलमानों की हत्या के लिए ईसाईयों को पानी पी-पी कर कोसने वाले व भारत में चर्चों पर हमला करने वाले मुसलमान भी देशभक्त हिन्दुओं व उनके संगठनों पर हमला करने के मुद्दे पर धर्मांतरण समर्थक ईसाईयों के साथ आ खडे हुए और स्पष्ट कर दिया कि सारी दुनिया में भले ही ईसाई मुसलमान एक दूसरे के खून के प्यासे हों पर हिन्दूराष्ट्र भारत को तबाह करने के मुद्दे पर ये जिहादी व धर्मांतरण समर्थक एक साथ हैं।
धर्मांतरण के ठेकेदार सारे भारत में हिन्दूधर्म के बारे में दुष्प्रचार कर भारतीय संस्कृति पर हमला बोले हुए हैं ये हमला भारत के बनवासी व दूरदराज क्षेत्रों में ज्यादा तीखा स्पष्ट और आक्रामक है ईसाईयों के इस अक्रामक दुष्प्रचार से देशभक्त हिन्दू समाज व उनके संगठन आक्रोश में हैं पर अपनी शांतिप्रिय सनातन संस्कृति के कारण शांतिप्रिय ढंग से इन धर्मांतरण के ठेकेदारों को समझाने व रोकने का असफल प्रयास कर रहे हैं लेकिन ये धर्मांतरण के ठेकेदार व उनके समर्थक अपनी आदत से मजबूर हैं क्योंकि ये सनातन संस्कृति को बदनाम कर समाप्त करने की कसम उठा चुके हैं और यही इनका ब्यापार भी है इन धर्मांतरण के ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार को सुन कर( ईसाई संसार में फैल रहे थे, हिन्दू घबरा गये,सनातन धर्म चकनाचूर हो गया सनातन को मानने वाले ईसाई बन गये) व इन इनके द्वारा लिखे जा रहे हिन्दू विरोधी सहित्य को पढ़ कर कोई भी आम समाज उत्तेजित होकर शाम दाम दण्ड भेद का उपयोग कर इनका नामोनिशान मिटाने पर उत्तर आए लेकिन ये देशभक्त हिन्दू समाज अपनी शांतिप्रिय सनातन संस्कृति के कारण सबकुछ सहन कर रहा है पर हर बात की हद होती है इसिलिए श्रीमद् भगवतगीता में साफ कहा गया है कि जब अत्याचार की अति हो जाए तो अत्याचारियों व अत्याचारियों के समर्थकों को समाप्त कर देना चाहिए !
ü ये जम्मू, गुजरात और उड़ीसा जैसी छुटपुट घटनांए इस आक्रोशित देशभक्त हिन्दू समाज की तात्कालिक हमले की प्रतिक्रिया का टरेलर मात्र हैं ये प्रतिक्रिया कितनी व्यापक व भयानक हो सकती है इसका अन्दाजा शायद इन धर्मांतरण के ठेकेदारों, जिहादियों व इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह को नहीं है इसीलिए ये सब गद्दार बारी-बारी से लगातार भारतीय संस्कृति पर प्रहार कर देशभक्त हिन्दू समाज की आत्मा को लहूलुहान कर अपनी मौत को बुलाबा दे रहे हैं।
परपूजनीय सन्त श्री लक्ष्मणानन्द जी का कत्ल अगर ये ईसाई मिशनरी न करते तो शायद बनवासी हिन्दू समाज का धैर्य न टूटता । जैसे देश के अन्य हिस्सों में हिन्दू समाज व हिन्दू संगठन ईसाई मिशनरियों के अत्याचार सह रहे हैं अनका गाली गलौच, भारतीय संस्कृति व हिन्दू समाज की घोर निन्दा वो भी असंसदीय भाषा में, सहन कर रहे हैं कंधमाल में भी करते रहते। परन्तु कत्ल सहने का धैर्य अब जबाब दे चुका है वो भी उस निहत्थे परपूजनीय सन्त व उनके सहयोगियों का जो दिन-रात बनवासियों की निस्वार्थ सेवा में लगे हुए थे ।
उन्हें चर्च ने इसलिए कत्ल करवा दिया कि वो धर्मांतरण का विरोध करते थे । कौन सहन करेगा इस साम्राज्यवादी सोच को ? क्यों सहन करेगा ? कब तक सहन करेगा ? हमारा देश हमारे लोग हमारी जमीन और हमारे पर ही आक्रमण और वो भी उन सम्राज्यवादी ईसाई मिशनरियों का जो 1600ई. में व्यापारियों के भेष में आए और हिन्दुओं के बीच फूट डलवाकर 300 वर्ष तक भारतीय अर्थव्यवस्था व संस्कृति को तहस नहस करते रहे और देशभक्त हिन्दुओं को मौत के घाट उतारते रहे और अब ईसाई मिशनरियों के रूप में आकर धर्मांतरण करवाकर हिन्दुओं के बीच फूट डलवाने का असफल प्रयास कर रहे हैं ।
परन्तु इनको यह नहीं भूलना चाहिए कि ये महारानी लक्ष्मीबाई व भगत सिंह का देश जलियांवाला बाग में ईसाई मिशनरी डायर द्वारा मचाई गई मार काट को अभी तक नहीं भूला है और न भूलेगा इसलिए ईसाई मिशनरियों को 16वीं शताब्दी की मानसिकता समय रहते त्याग देनी चाहिए या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाना चाहिए हिन्दू समाज धर्मांतरण के ठेकेदारों को बख्शेगा नहीं । परमपूजनीय सन्त लक्ष्मणानन्द जी के ऊपर ईसाई मिशनरियों का ये दसवां हमला था ।
इनकी दुष्टता की पराकाष्ठा देखो हमले के स्थान पर जो चिट्ठी छोड़ी उसमें लिखते हैं कि क्योंकि हम भारत को सैकुलर बोले तो हिन्दुविहीन बनाना चाहते हैं इस लिए हमने स्वामी जी का कत्ल किया । कौन राष्ट्रभक्त हिन्दू इस दुष्टता को सहन कर सकता है जब इनकी दुष्टता का जबाब इन्हीं के तरीके से मिलने लगा तो शोर मचा दिया कि स्वामी जी का कत्ल माओवादियों ने किया है फिर माओवादियों को पैसा देकर उनका ब्यान दिलबा दिया वरना माओवादियों को क्या जरूरत पड़ी थी उस कत्ल की जिम्मेवारी लेने की जो उनकी सोच से मेल नहीं खाता । पता तो उन अपराधीयों का लगाया जाना चाहिए जिन्होंने माओवादियों से यह झूठा ब्यान दिलवाया जांच एजैंसियों व हिन्दुओं को गुमराहकर धर्मांतरण के ठेकेदारों को निर्दोष सिद्ध करने के लिए और उनका भी जो ईसाई देशों में इस झूठ को फैलाकर हिन्दुस्थान को बदनाम कर देशद्रोही कामों को अन्जाम देने के लिए धनसंग्रह कर रहे हैं। मीडिया के उन गद्दारों का भी पता लगाया जाना चाहिए जो बार-बार हिन्दुविरोधी दुष्प्रचार कर हिन्दुओं व हिन्दुस्थान को बदनाम कर अपनी जेबें भर रहे हैं ।
v जिस वक्त ये सबकुछ उड़ीसा में घट रहा था ठीक उसी वक्त बंगलादेशी जिहादी घुसपैठियों द्वारा आसाम में देशभक्त निर्दोष हिन्दुओं को हलाल किया जा रहा था जिन्दा जलाया जा रहा था उनके घरों को जलाकर उन्हें बेघर किया जा रहा था और कर कौन रहा था विदेशी बंगलादेशी जिहादी घुसपैठिये, मुस्लिम आतंकवादी । इसी वक्त महाराष्ट्र के धुले में आतंकवाद के विरोध में हो रही रैली को रोकने के लिए जिहादियों द्वरा हिन्दुओं पर हमला कर कई हिन्दुओं का कत्ल कर दिया व सैंकड़ों हिन्दुओं को घायल कर दिया ये हिंसा लगभग पाँच दिन तक चलती रही।
v उड़ीसा में ईसाईयों द्वारा स्वामी जी की निर्मम हत्या से शुरू हुई हिंसा में कुल 30 लोग मारे गए 500 घर जलाए गए । जबकि आसाम में जिहादियों द्वारा चलाए जा रहे हिन्दू मिटाओ हिन्दू भगाओ अभियान के तहत अब तक सैंकड़ों हिन्दू मारे जा चुके हैं, हजारों घर जलाए जा चुके हैं लाखों हिन्दू बेघर हो चुके हैं अभियान आज 31अक्तूबर 2008 तक जारी है । क्या आपने इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह को (जो बटाला हाउस मुठभेड़ व उड़ीसा के बारे में तरह-तरह की बातें बना रहे थे विशेष चर्चा-परिचर्चा ,रैलियां करवा रहे थे ,जोर जोर से चिला रहे थे ,ईसाई मार दिए ईसाई मार दिए, हिन्दुओं व उनके संगठनों पर मन गढ़ंत आरोप लगाकर उन पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग कर रहे थे ) आसाम या धुले की बात करते हुए देखा चर्चा-परिचर्चा करवाते हुए देखा या फिर हिन्दू मार दिए हिन्दू मार दिए हिन्दुओं के घर जला दिए चिलाते हुए देखा नहीं न क्यों नहीं क्योंकि ये सैकुलर हैं
v धर्मनिर्पेक्षता इन्हें हिन्दुओं को, हिन्दुओं की सभ्यता संस्कृति को बदनाम करना, हिन्दुओं के देवी देवताओं को गाली-गलौच करना, साधु संतो को अपमानित करना यहां तक कि भारत की आत्मा भगवान राम के अस्तित्व को नकारना तो सिखाती है पर हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचार, हिन्दुओं के जानमाल के नुकसान का विरोध करना नहीं सिखाती ।
क्योंकि हिन्दुओं के जानमाल का नुकसान करने वाले ही तो इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह का वोटबैंक हैं इनके अर्थतन्त्र की रीढ़ हैं ऊपर से हिन्दुओं का समर्थन करने के बदले कोई पैसे भी तो नहीं देता !
अगर ये गिरोह हिन्दुओं पर जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों द्वारा होने वाले जुलमों-सितम के विरूद्ध आवाज उठाएगा तो इनको मुस्लिम व ईसाई देशों से मिलने वाला धन और समर्थन दोनों बन्द हो जांएगे फिर ये न हिन्दुओं को मरबा पायेंगे न धर्मांतरण करवा पायेंगे इन हालात में इनका वोटबैंक कम होता चला जाएगा। क्योंकि जिस दिन हिन्दू इनकी फूट डालो राज करो के षड्यन्त्र के चंगुल से निकलकर इनकी देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक मानसिकता को जानलेगा फिर इनको वोट तो क्या इस हिन्दूराष्ट्र भारत में इनका पिंडदान करने वाला भी कोई न मिलेगा ।
धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों द्वारा रचे जा रहे हिन्दूविरोधी-देशविरोधी षडयन्त्रों को उजागर करने की कोशिश। हमारा मानना है कि भारत में कानून सांप्रदाय,जाति,भाषा,क्षेत्र,लिंग अधारित न बनाकर भारतीयों के लिए बनाए जाने चाहिए । अब वक्त आ गया है कि हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाने वाले भारतविरोधी धर्मनिर्पेक्ष आतंकवादियों को उनके समर्थकों सहित खत्म करने के लिए सब देशभक्तों द्वारा एकजुट होकर निर्णायक अभियान चलाया जाए।
शनिवार, 31 जनवरी 2009
एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी के हिन्दुविरोधी षडयन्त्र
क्या आपने कभी फुर्सत के क्षणों में इस सरकार द्वारा भारतीय संस्कृति के आधार स्तम्भ भगवान राम के अस्तित्व पर किए जा रहे हमले के पीछे छुपे संदेश व कारण को समझने का प्रयास किया नहीं न आओ मेरो साथ मिलकर सोचो ।
जिस दिन एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई उसी दिन से भारतीय संस्कृति बोले तो हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने के प्रयत्नों को नई ताकत मिली असली हमला तो तब शुरू हुआ जब देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह ने एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को अपना प्रमुख चुन लिया ।
जब देशभक्त भारतीयों ने इस विदेशी ईसाई मिशनरी का प्रधानमन्त्री बनने का विरोध किया तो तर्क दिया गया कि, इसकी शादी एक हिन्दू से हुई है इसलिए एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी हिन्दू हो गई ,जो कि सरासर झूठ है । लोगों को उसी तरह गुमराह करने का षड्यन्त्र है जिस तरह लोगों को इसका असली नाम एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो न बताकर एक हिन्दू नाम बताकर व अंग्रेजी परिधान(जो हिलेरी कलिंटन व एंटोनियो की माता जी पहनती हैं) की जगह हिन्दू परिधान बोले तो भारतीय परिधान पहनाकर सच को छुपाकर हिन्दू के रूप में दिखाकर किया गया । आज भी ये प्रयत्न यथावत जारी है ।
अगर ये हिन्दू हो गई होती तो क्या ये अपनी बेटी की शादी एक हिन्दु से नहीं करती (हालांकि शादी/पूजा करनी न करनी किससे/कैसे करनी निजी मामला है पर जोर-शोर से फैलाए जा रहे झूठ को बेनकाब कर देश को इस गुलामीं के दौर से बाहर निकालना जरूरी है) हिन्दू धर्म अपनाने की एक शुद्धी प्रक्रिया है वो भी उन हिन्दुओं की घरवापसी के लिए है जो जिहादियों व धर्मांतरण के दलालों के चंगुल में फंस कर या उनके अत्याचारों से तंग आकर अपनी पूजा-पद्धति बदल लिए ।एंटोनियो इस पद्धति के योग्य है ही नहीं। फिर भी क्या एंटोनियो उस शुद्धी प्रक्रिया से गुजरी ? नहीं न । फिर ये झूठ किस लिए ?
अगर इस झूठ को मान भी लिया जाए तो भी एक विदेशी को देश को गुलाम बनाने का अधिकार नहीं दिया जा सकता चाहे वो परावर्तित हिन्दू ही क्यों न हो । हम देशभक्त ईसाईयों से विनम्र प्रार्थना करते हैं कि वे एंटोनियो और देश में सक्रिय अन्य ईसाई मिशनरियों से अपने आप को अलग कर लें वरना इन विदेशियों द्वारा किए जा रहे हिन्दू विरोधी देश विरोधी कार्यों की कीमत कहीं उनको न चुकानी पड़ जाए ?
§ क्योंकि सच्चाई यह है कि एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी एक अंग्रेज ईसाई है और हिन्दुओं व हिन्दूसंस्कृति बोले तो भारतीय संस्कृति को तबाह बर्बाद करने के हरेक प्रयत्न का प्रेरणा स्रोत व ताकत है बोलने से क्या फर्क पड़ता है आओ जरा कर्म देखें सबसे पहला कदम कांग्रेस के पहले शूद्र अध्यक्ष सीता राम जी केसरी को अपमानित कर हटाना व खुद को उस कुर्सी पर बिठाना। कांग्रेस के महत्वपूर्ण पदों से चुन चुन कर ताकतवर हिन्दू नेताओं को हटाना व हर जगह ईसाईयों को आगे बढ़ाना ।
§ एंटोनियो माइनो मारियो के इस कुर्सी पर पहुंचने व पकड़ मजबूत करने की प्रक्रिया में देश को स्वर्गीय संजय गाँधी, स्वर्गीय राजीव गाँधी, स्वर्गीय माधव राव सिन्धिया व स्वर्गीय राजेश पायलट जैसे हिन्दुओं को खोना पड़ा और संयोग देखिए इन सब का आकस्मिक स्वर्गबास हुआ । इसे भी संयोग ही कहेंगे कि इन में से अगर एक भी जिन्दा होता तो आज भारत सरकार इस विदेशी अंग्रेज की गुलाम न होती ।
§ क्या यह भी संयोग ही है कि भारतीय जनता को यह तक न बताया गया कि यह अंग्रेज कौन है ? इसके माता-पिता क्या करते थे ,या करते हैं ?
§ क्या ये भी संयोग ही है कि जिस क्वात्रोची का पैसा छुड़वाने के लिए इस अंग्रेज की गुलाम सरकार के कानूनमन्त्री को रातों-रात लंदन जाना पड़ता है ? उसी क्वात्रोची के बारे में यह समाचार आता है कि स्वर्गीय राजीव गाँधी जी के कत्ल से पहले इस क्वात्रोची की मुलाकात एल.टी.टी.ई प्रमुख प्रभाकरण के दूत वालासिंधम से फ्रांस के एक होटल में हुई थी।
क्या यह भी एक संयोग ही है कि जिस बैबसाइट हिन्दूयुनिटी डाट काम पर इस समाचार व ऐसे षडयन्त्रों की सच्चाई को जन जन तक पहुँचाने का प्रयत्न किया जाता है उसे यह गुलाम सरकार बलाकॅ कर देती है !
§ क्या ये भी एक संयोग ही है कि 1997 में जिस डी.एम.के को राजीव जी के कत्ल के लिए जिम्मेवार ठहराकर कांग्रेस ने सरकार गिराई उसी डी.एम.के के साथ मिलकर एंटोनियां ने 2004 में प्रधानमंत्री बनने की कोशिश की।
§ क्या ये भी संयोग ही है कि पिछले लगभग पांच वर्षों से एंटोनिया की गुलाम सरकार सता में होने के बाबजूद राजीव जी के कत्ल की तह तक पहुंचने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया उल्टा कातिलों के प्रति सहानुभूति दिखाकर जांच को बाधित करने के प्रयत्न किए गए ।
§ ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जिन लोगों को राजीव जी के कातिलों को बेनकाव करने की जी तोड़ कोशिश करनी चाहिए थी उन लोगों ने ही अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए षडयन्त्र की तह तक पहुंचने के सारे राश्ते बन्द कर दिए।
क्या इसे भी एक संयोग ही मानें कि जब से यह अंग्रेज नेत्री विपक्ष बनीं फिर नेत्री सरकार तब से कभी हिन्दूराष्ट्र भारत को ईसाई बना देने की पोप द्वारा घोषणा,कभी टेरेसा तो कभी केरला की किसी और महिला को अलंकृत कर चर्च द्वारा ईसाईयत का प्रचार-प्रसार, पोप की मृत्यु पर धर्म निर्पेक्ष सरकार द्वारा तीन दिन का शोक और मानो यह सब ईसाईयत के प्रचार-प्रसार के लिए काफी न हो तो साधु सन्तों का ईसाईयों द्वारा कत्ल और इस से भी काम न चले तो फिर साधु-सन्तों-सैनिकों को झूठे आरोप लगाकर बदनाम करना और फिर हिन्दू आतंकवादी कहकर जेलों मे डालना और अमानवीय यातनांयें देकर प्रताड़ित करना । जले पर नमक छिड़कने के लिए मर्यादापुर्षोत्तम भगवान राम के अस्तित्व को नकारना ।
अब आप इन सब घटनाओं-दुर्घटनाओं को संयोग कहते हो तो कहो पर हिन्दू जनता इसे संयोग नहीं षड्यन्त्र मानती है। भविष्य में बनने वाली किसी भी राष्ट्रवादी सरकार से मांग करती है कि सत्ता में आते ही सबसे पहले इस अंग्रेज एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को गिरफ्तार कर इसका नार्को टैस्ट करवाकर इस हिन्दुविरोधी-देशविरोधी षड्यन्त्र की तह तक पहुँचा जाए और दोषियों को फांसी पर लटकाया जाए ।
पता लगाया जाए कि हिन्दुओं को बदनाम कर हिन्दुस्थान को तवाह करने के षड्यन्त्रों को आगे बढ़ाने के लिए कहीं ईसाई देशों की खुफिया एजैंसियों की मदद तो नहीं ली जा रही और अगर राष्ट्रवादी सरकार नहीं बन पाती है तो सेना को शासन अपने हाथ में लेकर इस षड्यन्त्र का पर्दाफास कर देश को बर्बादी से बचाना चाहिए।
§ आज अगर आप कांग्रेस के कोर ग्रुप पर या सरकार के मालदार पदों पर नजर दौड़ाएं तो आपको दूर-दूर तक कांग्रेस के कोटे का कोई ताकतवर हिन्दू नेता नजर नहीं आएगा। सब जगह या तो ईसाई नजर आंएगे या फिर वे कमजोर हिन्दू जिनका अपना कोई जनाधार न होने के कारण उनके पास अपना स्वाभिमान व देशहित बेचकर एंटोनिया की गुलामी करने के सिबाय कोई और रास्ता नहीं है ।
· आप सबको याद होगा श्रीमति प्रतिभा पाटिल जी राष्ट्रपति कैसे चुनी गईं लेकिन एंटोनियो को उन पर भी भरोसा नहीं इसलिए उनका निजी सचिव भी ईसाई बनवाया। समझने वालों को संदेश बिल्कुल साफ है कि या तो ईसाई बनो या गुलाम नहीं तो कांग्रेस के कोर ग्रुप या सरकार के मालदार पदों को भूल जाओ ।
· जो ताकतवर हिन्दूनेता हैं उनको कमजोर करने के लिए एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी किसी भी हद तक जा सकती है इसका प्रमाण देखना हो तो आपको हिमाचल कांग्रेस में ताकतवर हिन्दूनेता राजा वीरभद्र सिंह जी की जगह ईसाई विद्या सटोक्स को विपक्ष का नेता बनाने के घटनाक्रम को ध्यान से समझना होगा ।
ü यह घटनाक्रम सामने आना शुरू होता है अगस्त 2006 में एंटोनियो माइनो मारीयो के हिमाचल दौरे से। यह वह वक्त था जब धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाईयों व देशभक्त हिन्दुओं के बीच धर्मांतरण के मुद्दे पर संघर्ष अपने चरम पर था। एक तरफ ईसाई केन्द्र में अंग्रेज एंटोनियो की गुलाम सरकार होने से उत्साहित होकर चलाए जा रहे जबरदस्त धर्मांतरण अभियान को हिन्दुओं व उनके संगठनों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। दूसरी तरफ राज्य में कांग्रेस सरकार होने पर धर्मांतरण के लिए जो अनुकूलता, सहयोग व सुविधायें देश के अन्य राज्यों में मिल रही थीं वे हिमाचल में नहीं मिल पा रही थीं क्योंकि राजा वीरभद्र सिंह जी छल कपट व आर्थिक अनियमितता से करवाए जा रहे धर्मांतरण के विरूद्ध थे । ऊपर से हिन्दुओं के वापिस अपने हिन्दू धर्म में लौटने के घर वापसी अभियान की सफलता से धर्मांतरण के दलाल देशी विदेशी ईसाई मिशनरी छटपटाए हुए थे।
दिल्ली में बैठे धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाईयों ने जब एंटोनिया को यह सबकुछ बताया तो एंटोनिया के क्रोध का ठिकाना न रहा और एकदम घूमने के बहाने शिमला आई और यहां पर हिमाचल में सक्रिय धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाईयों ने धर्मांतरण के काम में हिन्दूसंगठनों द्वारा पैदा की जा रही रूकाबटों व राजा वीरभद्र सिंह द्वारा अपनाए जा रहे न्यायसंगत रूख के बारे में बताया । बस फिर क्या था एंटोनिया ने आव देखा न ताव झट से राजा वीरभद्र सिंह जी को शीघ्रतिशीघ्र कठोर कार्यवाही कर धर्मांतरण के काम में आ रही रुकाबटों को दूर करने का आदेश दिया । राजा वीरभद्र सिंह जी ने भी ब्यान दे दिया कि हिन्दूसंगठनों से जुड़े कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा। लेकिन मन से तो राजा वीरभद्र सिंह जी धर्मांतरण के ठेकेदारों द्वारा धर्मांतरण के लिए अपनाए जा रहे असंवैधानिक अमानवीय तरीकों के विरूद्ध थे व हिन्दुओं व उनके संगठनों द्वारा चलाए जा रहे आन्दोलन की भी जानकारी उन्हें जरूर रही होगी जिसका बिराट रूप ठीक दो महीने बाद प्रदेशभर में आयोजित हिन्दूसम्मेलनों के रूप में देखने को मिला ।
ü राजा वीरभद्र सिंह जी के हिन्दुत्वनिष्ठ होने व बिराट हिन्दूसम्मेलनों का असर हिमाचल सरकार द्वारा लाए गए धर्म-स्वतन्त्रता विधेयक(इस कानून का महत्व समझने के लिए आपको ये ध्यान में रखना होगा कि किस तरह उतर पूर्व में इस सैकुलर गिरोह द्वारा प्रयोजित धर्मांतरण से वहां कई राज्यों की हिन्दू आवादी लगभग 100% तक ईसाई बना दी गई) के निर्बिरोध पास होने के रूप में दिखा । जिसकी सब देशभक्त व्यक्तियों ,संगठनों, राजनैतिक दलों, समाचारपत्रों,टी वी चैनलों ने दिलखोलकर प्रशंसा की व इसे देशभक्ति से ओतप्रोत सराहनीय ऐतिहासिक कदम बताया ।
लेकिन देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह को यह बात नागवार गुजरी और इस गिरोह ने धार्मिक स्वतन्त्रता के नाम पर धर्म स्वतन्त्रता विधेयक का विरोध किया व देश विदेश में हिन्दुविरोधी-देशविरोधी अभियान चलाकर ईसाई देशों से दबाव डलवाकर और पत्र लिखबाकर मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह जी पर धर्म-स्वतन्त्रता विधेयक को वापिस लेने का दबाव बनवाया लेकिन राजा वीरभद्र सिंह जी ने हिन्दूहित-देशहित में लिए गए निर्णय से पीछे हटने से मना कर दिया ।
ü इनका यह निर्णय और भी महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्येंकि वह उस राजनीतिक दल से सबन्धित हैं जो देशद्रोही-हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह का प्रमुख सदस्य है और जिसकी अध्यक्षा धर्मांतरण समर्थक अंग्रेज एंटोनियो माइनो मारीयो है । राजा वीरभद्र सिंह जी को इस राष्ट्रवादी हिन्दुत्वनिष्ठ काम की कीमत चुकानी पड़ी। एक उनकी इच्छा के विरूद्ध समय से पहले चुनाव करवा दिए जिसका विद्या स्टोक्स ने समर्थन किया, दूसरा उनकी योजना के अनुसार टिकटों का बितरण नहीं किया गया । कुल मिलाकर केन्द्रीय नेतृत्व के गलत निर्णयों की वजह से उन्हें चुनाव में हरबा दिया गया मानों इतने षड्यन्त्र काफी न हों तो एक कदम आगे बढ़कर एंटोनियो माइनो मारीयो ने अपनी योजनानुसार ईसाई विद्यास्टोक्स को नेता विपक्ष बनाकर हिमाचल में ईसाई शासन की नींब रख दी पर हमें पूरा भरोसा है कि हिमाचल की हिन्दुत्वनिष्ठ जनता एंटोनियो के इस षड़यन्त्र को कभी पूरा नहीं होने देगी । हिमाचल का हर प्रबुध नागरिक जानता है कि हिमाचल में वर्तमान में आज कांग्रेस जो भी है राजा वीरभद्र सिंह जी की वजह से है वरना एंटोनिया की हिन्दुविरोधी नीतियों की वजह से आज तक हिमाचल कांग्रेस की स्थिति गुजरात कांग्रेस जैसी हो चुकी होती ।
ü यह सब तब है जब हिमाचल में हिन्दू 98% से अधिक हैं । राजा वीरभद्र सिंह जी एंटोनियो के ईसाई जुनून का अकेले शिकार नहीं हैं । सत्यव्रत चतुर्वेदी(आपको याद होगा किस तरह मुस्लिम जिहादियों के ठेकेदार अमर सिंह द्वारा शहीद मोहन चन्द शर्मा जी का अपमान करने पर कांग्रेस ने खामोशी धारण कर ली लेकिन देशभक्त सत्यब्रत जी ने इस देशद्रोही हरकत पर अमर सिंह को पागल करार दिया) जैसे अनेक राष्ट्रभक्त कांग्रेसी आज वनवास काट रहे हैं । उन्हें सिर्फ एंटोनिया की गुलाम सरकार के हिन्दुविरोधी कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए आगे लाया जाता है । मेरा सभी देशभक्त हिन्दूकांग्रेसियों से अपनी चुप्पी तोड़ कर कांग्रेस को इस हिन्दुविरोधी देशविरोधी सोच से बाहर निकालने के लिए संघर्ष करने की विनम्र प्रार्थना है !
जागो ! हिन्दू जागो !
छतीसगढ और आंध्रप्रदेश में हिन्दुओं की संख्या 90% से अधिक होने के बावजूद एंटोनिया ने ईसाई मुख्यमन्त्री बनवाए ।
आंध्रप्रदेश में यह ईसाई मुख्यमन्त्री मुसलमानों को संविधान के विरूद्ध जाकर आरक्षण देता है । जब माननीय न्यायालय इस ईसाई को देशविरोधी-सांप्रदायिक निर्णय न करने का आदेश देता है तो यह ईसाई अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति को आगे बढ़ाते हुए संविधान के विरूद्ध जाना ही उचित समझता है,फिर ईसाईयों और मुसलमानों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करता है मानो 90% हिन्दुओं को हर अधिकार से वंचित करना ही इसकी आका विदेशी अंग्रेज एंटोनिया का एकमात्र लक्ष्य हो । मानो हिन्दुओं के खून पसीने की कमाई को यह ईसाई अपने बाप की कमाई समझता हो इसलिए येरूशलम यात्रा के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 80000 रू देने की घोषणा भी करता है । किसी ने क्या खूब कहा है- “ अंधा बांटे रेबड़ियां अपनो को मुड़-मुड़ दे ”। फिर हैदराबाद बम्ब धमाकों के आरोपियों को छोड़ कर आटो देने की घोषणा करता है मानो कह रहा हो- हिन्दुओं को इसी तरह मारते रहो ! देखा न क्या होती है हिन्दुविरोधी-देशविरोधी मानसिकता !
इसी तरह केन्द्रसरकार में अच्छा काम कर रहे हिन्दू श्री प्रणवमुखर्जी को रक्षामन्त्री के पद से हटाबाकर ईसाई एन्टनी को रक्षामन्त्री बनवाया । इस फेरबदल का सबसे बढ़ा कारण एंटोनिया का हिन्दुओं पर अविश्वास व अपने ईसाई संप्रदाय को आगे बढ़ाकर हिन्दुओं को महत्वपूर्ण पदों से दूर करना है । क्योंकि निकट भविष्य में खरबों रूपये के रक्षा सौदे होने वाले थे और उनसे मिलने वाले कमीशन की राशी अरबों रूपये तक जा सकती थी और इतनी बड़ी राशी अगर अकेले श्री प्रणवमुखर्जी जी के पास रह जाती तो वे बहुत ताकतवर हो जाते और अगर आपस में बांट ली जाती तो श्री नटबर सिंह जी की तरह कभी भी पोल खोल देते(आपको याद होगा कि किस तरह तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में दलाली का मामला सामने आने पर जब नटवर जी को बलि का बकरा बनाने की कोशिश सरकार द्वारा की गई तो उन्होंने सपष्ट कर दिया था कि ये सब एंटोनियो ने करवाया था । जरा सोचो जो एंटोनियो ईराक में भूखे मर रहे मुसलमानों के लिए जा रहे भोजन में भी दलाली ढूंढती है वो और क्या छोड़ेगी, नार्को करवाकर स्विस बैंक के खातों का पता लगाओ सब पर्दाफाश अपने आप हो जायेगा) । ऊपर से हिन्दू होने के नाते विश्वास भी तो नहीं किया जा सकता अपने संप्रदाय का थोड़े ही है । इसलिए हिन्दू प्रणबमुखर्जी को हटाकर अपने संप्रदाय के एंटनी जी को रक्षामन्त्री बनवाया ताकि सब काम आसानी से अंजाम दिये जा सकें । अगर ऐसा नहीं था तो फिर देश को बताया जाना चाहिए कि और क्या कारण था ?
रक्षा सौदों से क्वात्रोची के बारे में याद आया- कौन क्वात्रोची अरे वही क्वात्रोची जिसके बारे में कुछ समाचारपत्रों व इंटरनैट पर यह छपा था कि स्वर्गीय राजीव गांधी जी की हत्या से पहले फ्रांस के एक होटल में क्वात्रोची की बैठक एल टी टी ई प्रमुख प्रभाकरण के दूत वालासिंघम के साथ हुई थी, वही क्वात्रोची जिसके लंदन बैंक के खाते में पिछली सरकार द्वारा जब्त करवाए गए वोफोर्स दलाली काँड के पैसे को छुड़बाने के लिए वर्तमान सरकार में कानूनमन्त्री श्री हँसराज जी भारद्वाज विशेष रूप से लंदन गये ।
सोचने वाला विषय यह है कि बोफोर्स दलाली काँड के पैसे से न तो श्री मनमोहन जी का सबन्ध है न श्री हँसराज जी भारद्वाज का । फिर उनको ये सब करने की क्या जरूरत थी ? हमारे विचार में ये पैसे छुड़बाना इनकी जरूरत नहीं मजबूरी थी क्योंकि ये लोग जिस सरकार में मन्त्री हैं वह सरकार एंटोनियो माइनो मारीयो की गुलाम है और क्वात्रोची, एंटोनियो के परिबारिक मित्र हैं व उनके ऊपर ही वोफोर्स दलाली काँड में कमीशन खाने का आरोप है । बेचारे राजीव गांधी जी ब्यर्थ में षड्यन्त्र का शिकार हुए । हमारा तो शुरू से ही यह मानना था कि राजीव जी जैसा व्यक्ति यह सब नहीं कर सकता । इस लंदन भागमभाग से बिल्कुल स्पष्ट हो गया कि वोफोर्स दलाली काँड क्वात्रोची और एंटोनियो की साजिश थी क्योंकि अगर ऐसा न होता तो राजीव जी के कत्ल के षडयन्त्रकारी क्वात्रोची द्वारा दलाली में लिए गए पैसे को छुड़वाने की एंटोनियो को क्या जरूरत थी ?
जो देशबिरोधी-चापलूस एंटोनियो को त्याग की मूर्ति बताकर भोले-भाले हिन्दुओं को गुमराह करते हैं उन्हें एंटोनियो के इस रूप को भी नहीं भूलना चाहिए । कुछ लोग यह कुतर्क देते हैं कि एंटोनियो ने प्रधानमन्त्री पद को ठोकर मार दी , त्याग कर दिया हमें इनकी बेवकूफी पर गुस्सा नहीं तरस आता है कि जो एंटोनियो प्रधानमन्त्री बनने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति जी से झूठ बोलती हैं कि उसे 273 सांसदो का समर्थन प्राप्त है। वह झूठ सारे देश के सामने पकड़ा जाता है । वही एंटोनियो 2004 में प्रधानमन्त्री बनने के लिए फिर से मारी-मारी फिरती हैं वह भी उस स्थिति में जब कांग्रेस को बहुमत से लगभग आधी सीटें मिलती हैं । एंटोनियो राष्ट्रपति भवन जाती हैं खुद प्रधानमन्त्री बनने के लिए बुलाबा पत्र लेने के लिए लेकिन, देशभर में हो रहे विरोध व भारतीय संविधान की भाबना (एक्ट 1955 के अनुसार किसी देश के नागरिक को भारत में बसने पर उतने ही अधिकार मिलते हैं जितने किसी भारतीय को उस देश में बसने पर मिल सकते हैं) को ध्यान में रखते हुए जब बुलाबा पत्र नहीं मिलता है तो ह्रदय परिबर्तन हो गया, ठोकर मार दी, त्याग कर दिया, मातम मनाया गया, आँसु बहाए गए, पूरा फिल्मी ड्रामा रचा गया । भाबुक हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिए वो भी लाइब सरकारी चैनल पर । ये भी न सोचा कि ये सरकारी चैनल भारतीयों की खून पसीने की उस कमाई से चलते हैं जो टैक्स के रूप में दी जाती है ,देश के विकास के लिए न कि किसी विदेशी को सत्ता न मिलने पर उसकी नौटंकी देखने के लिए । किसी ने क्या खूब कहा है- हाथ न लागे थू कौड़ी ।
जो लोग इस अंग्रेज एंटोनियो को प्रधानमन्त्री बनाने के लिए इतने कुतर्क दे रहे थे , काश उन्हें याद होता- शहीद भगत सिंह जैसे नौजवानों का इस देश से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए फांसी पर झूलना । काश उनको ज्ञान होता भारत के उस कानून का जिसके अनुसार सेना का कोई अधिकारी किसी विदेशी से शादी नहीं कर सकता । फिर इन अधिकारियों से देश की सुरक्षा से सबन्धित गुप्त जानकारी लेने वाला प्रधानमन्त्री विदेशी कैसे हो सकता है ?
काश उनको ज्ञान होता ईसाई बहुल देश फिजी की घटनाओं का । फिजी एक छोटा सा देश है इस देश में हिन्दुओं की बड़ी संख्या है और इन हिन्दुओं को यहां बसे हुए 20-25 नहीं सैंकड़ों वर्ष हो गए हैं। सोचो जरा वहां पर हिन्दू को अल्पसंख्यक होने के नाते क्या विशेषाधिकार प्राप्त हैं ? अरे ! क्या बात करते हो , विशेषाधिकार तो दूर मूलाधिकार तक प्राप्त नहीं हैं। भारत में इन अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक बना दिये गए !
विश्वास नहीं होता तो ये जानो
कुछ वर्ष पहले यहां हुए चुनावों में फिजी की जनता ने एक हिन्दू श्री महेन्द्र चौधरी जी को प्रधानमन्त्री चुना। क्या वहां के ईसाईसों ने उन्हें प्रधानमन्त्री स्वीकार किया ? नहीं न , क्यों नहीं, जरा सोचो, हिन्दू जनसंख्या की कमी नहीं ,हिन्दू सैंकड़ों वर्षों से वहां बसे हुए हैं फिर भी विदेशी । यहां भारत में अभी कुछ वर्ष पहले आई एक विदेशी अंग्रेज (जो भारत-पाक युद्ध के दौरान भागकर अपने मूलदेश के इटालिएन दूताबास में छिप गई । यह सोच कर कि कहीं अगर भारत की हार हो गई तो सुरक्षित इटली पहुँच जांऊ )को- हर तरह के झूठ बोलकर,नाम बदलकर,वेश बदलकर -भोले भाले शांतिप्रिय हिन्दुओं को फुसालाकर उसे भारतीय बताकर, उसके गुलाम बनने की होड़ ।
एक ईसाई जार्ज स्पीट उठा दर्जन भर स्टेनगनधारी युवक साथ लिए । चुने हुए प्रधानमन्त्री महेन्द्र चौधरी को बंधक बनाया जान से मारने की धमकी देकर त्यागपत्र लिखवाकर जान बख्सी । क्या वहां पुलिस नहीं थी ? सेना नहीं थी ?(भारतीय सेना को सोचना चाहिए) क्या वहां यू .एन. ओ. नहीं था ? सब कुछ था पर वहां क्योंकि ईसाई हिन्दुओं से ज्यादा हैं इसलिए ईसाई हित में सबकुछ जायज । हमारे भारत में कुछ वर्ष पहले आई एक अंग्रेज एंटोनियो, नाम बदल कर, वेश बदल कर ,सारी की सारी सरकार को गुलाम बनाकर बैठ गई । इसलिए यहां हिन्दूविरोध में सबकुछ जायज ।
जागो ! हिन्दू जागो !
हमें इस बात में कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस इटालिएन अंग्रेज के प्रभाव में आकर देशद्रोह-हिन्दूविरोध के रास्ते पर चल निकला है । परन्तु कांग्रेस में लम्बे समय से सक्रिय देशभक्त कार्य कर्ताओं की कमी नहीं, जो आज इन देशद्रोहियों की जुंडली की वजह से, योजनाबद्ध उपेक्षित किए जा रहे हैं व बड़ी जिम्मेबारियों से दूर रखे जा रहे हैं ।
जिस दिन एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को भारत में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई उसी दिन से भारतीय संस्कृति बोले तो हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने के प्रयत्नों को नई ताकत मिली असली हमला तो तब शुरू हुआ जब देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह ने एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को अपना प्रमुख चुन लिया ।
जब देशभक्त भारतीयों ने इस विदेशी ईसाई मिशनरी का प्रधानमन्त्री बनने का विरोध किया तो तर्क दिया गया कि, इसकी शादी एक हिन्दू से हुई है इसलिए एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी हिन्दू हो गई ,जो कि सरासर झूठ है । लोगों को उसी तरह गुमराह करने का षड्यन्त्र है जिस तरह लोगों को इसका असली नाम एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो न बताकर एक हिन्दू नाम बताकर व अंग्रेजी परिधान(जो हिलेरी कलिंटन व एंटोनियो की माता जी पहनती हैं) की जगह हिन्दू परिधान बोले तो भारतीय परिधान पहनाकर सच को छुपाकर हिन्दू के रूप में दिखाकर किया गया । आज भी ये प्रयत्न यथावत जारी है ।
अगर ये हिन्दू हो गई होती तो क्या ये अपनी बेटी की शादी एक हिन्दु से नहीं करती (हालांकि शादी/पूजा करनी न करनी किससे/कैसे करनी निजी मामला है पर जोर-शोर से फैलाए जा रहे झूठ को बेनकाब कर देश को इस गुलामीं के दौर से बाहर निकालना जरूरी है) हिन्दू धर्म अपनाने की एक शुद्धी प्रक्रिया है वो भी उन हिन्दुओं की घरवापसी के लिए है जो जिहादियों व धर्मांतरण के दलालों के चंगुल में फंस कर या उनके अत्याचारों से तंग आकर अपनी पूजा-पद्धति बदल लिए ।एंटोनियो इस पद्धति के योग्य है ही नहीं। फिर भी क्या एंटोनियो उस शुद्धी प्रक्रिया से गुजरी ? नहीं न । फिर ये झूठ किस लिए ?
अगर इस झूठ को मान भी लिया जाए तो भी एक विदेशी को देश को गुलाम बनाने का अधिकार नहीं दिया जा सकता चाहे वो परावर्तित हिन्दू ही क्यों न हो । हम देशभक्त ईसाईयों से विनम्र प्रार्थना करते हैं कि वे एंटोनियो और देश में सक्रिय अन्य ईसाई मिशनरियों से अपने आप को अलग कर लें वरना इन विदेशियों द्वारा किए जा रहे हिन्दू विरोधी देश विरोधी कार्यों की कीमत कहीं उनको न चुकानी पड़ जाए ?
§ क्योंकि सच्चाई यह है कि एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी एक अंग्रेज ईसाई है और हिन्दुओं व हिन्दूसंस्कृति बोले तो भारतीय संस्कृति को तबाह बर्बाद करने के हरेक प्रयत्न का प्रेरणा स्रोत व ताकत है बोलने से क्या फर्क पड़ता है आओ जरा कर्म देखें सबसे पहला कदम कांग्रेस के पहले शूद्र अध्यक्ष सीता राम जी केसरी को अपमानित कर हटाना व खुद को उस कुर्सी पर बिठाना। कांग्रेस के महत्वपूर्ण पदों से चुन चुन कर ताकतवर हिन्दू नेताओं को हटाना व हर जगह ईसाईयों को आगे बढ़ाना ।
§ एंटोनियो माइनो मारियो के इस कुर्सी पर पहुंचने व पकड़ मजबूत करने की प्रक्रिया में देश को स्वर्गीय संजय गाँधी, स्वर्गीय राजीव गाँधी, स्वर्गीय माधव राव सिन्धिया व स्वर्गीय राजेश पायलट जैसे हिन्दुओं को खोना पड़ा और संयोग देखिए इन सब का आकस्मिक स्वर्गबास हुआ । इसे भी संयोग ही कहेंगे कि इन में से अगर एक भी जिन्दा होता तो आज भारत सरकार इस विदेशी अंग्रेज की गुलाम न होती ।
§ क्या यह भी संयोग ही है कि भारतीय जनता को यह तक न बताया गया कि यह अंग्रेज कौन है ? इसके माता-पिता क्या करते थे ,या करते हैं ?
§ क्या ये भी संयोग ही है कि जिस क्वात्रोची का पैसा छुड़वाने के लिए इस अंग्रेज की गुलाम सरकार के कानूनमन्त्री को रातों-रात लंदन जाना पड़ता है ? उसी क्वात्रोची के बारे में यह समाचार आता है कि स्वर्गीय राजीव गाँधी जी के कत्ल से पहले इस क्वात्रोची की मुलाकात एल.टी.टी.ई प्रमुख प्रभाकरण के दूत वालासिंधम से फ्रांस के एक होटल में हुई थी।
क्या यह भी एक संयोग ही है कि जिस बैबसाइट हिन्दूयुनिटी डाट काम पर इस समाचार व ऐसे षडयन्त्रों की सच्चाई को जन जन तक पहुँचाने का प्रयत्न किया जाता है उसे यह गुलाम सरकार बलाकॅ कर देती है !
§ क्या ये भी एक संयोग ही है कि 1997 में जिस डी.एम.के को राजीव जी के कत्ल के लिए जिम्मेवार ठहराकर कांग्रेस ने सरकार गिराई उसी डी.एम.के के साथ मिलकर एंटोनियां ने 2004 में प्रधानमंत्री बनने की कोशिश की।
§ क्या ये भी संयोग ही है कि पिछले लगभग पांच वर्षों से एंटोनिया की गुलाम सरकार सता में होने के बाबजूद राजीव जी के कत्ल की तह तक पहुंचने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया उल्टा कातिलों के प्रति सहानुभूति दिखाकर जांच को बाधित करने के प्रयत्न किए गए ।
§ ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जिन लोगों को राजीव जी के कातिलों को बेनकाव करने की जी तोड़ कोशिश करनी चाहिए थी उन लोगों ने ही अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए षडयन्त्र की तह तक पहुंचने के सारे राश्ते बन्द कर दिए।
क्या इसे भी एक संयोग ही मानें कि जब से यह अंग्रेज नेत्री विपक्ष बनीं फिर नेत्री सरकार तब से कभी हिन्दूराष्ट्र भारत को ईसाई बना देने की पोप द्वारा घोषणा,कभी टेरेसा तो कभी केरला की किसी और महिला को अलंकृत कर चर्च द्वारा ईसाईयत का प्रचार-प्रसार, पोप की मृत्यु पर धर्म निर्पेक्ष सरकार द्वारा तीन दिन का शोक और मानो यह सब ईसाईयत के प्रचार-प्रसार के लिए काफी न हो तो साधु सन्तों का ईसाईयों द्वारा कत्ल और इस से भी काम न चले तो फिर साधु-सन्तों-सैनिकों को झूठे आरोप लगाकर बदनाम करना और फिर हिन्दू आतंकवादी कहकर जेलों मे डालना और अमानवीय यातनांयें देकर प्रताड़ित करना । जले पर नमक छिड़कने के लिए मर्यादापुर्षोत्तम भगवान राम के अस्तित्व को नकारना ।
अब आप इन सब घटनाओं-दुर्घटनाओं को संयोग कहते हो तो कहो पर हिन्दू जनता इसे संयोग नहीं षड्यन्त्र मानती है। भविष्य में बनने वाली किसी भी राष्ट्रवादी सरकार से मांग करती है कि सत्ता में आते ही सबसे पहले इस अंग्रेज एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी को गिरफ्तार कर इसका नार्को टैस्ट करवाकर इस हिन्दुविरोधी-देशविरोधी षड्यन्त्र की तह तक पहुँचा जाए और दोषियों को फांसी पर लटकाया जाए ।
पता लगाया जाए कि हिन्दुओं को बदनाम कर हिन्दुस्थान को तवाह करने के षड्यन्त्रों को आगे बढ़ाने के लिए कहीं ईसाई देशों की खुफिया एजैंसियों की मदद तो नहीं ली जा रही और अगर राष्ट्रवादी सरकार नहीं बन पाती है तो सेना को शासन अपने हाथ में लेकर इस षड्यन्त्र का पर्दाफास कर देश को बर्बादी से बचाना चाहिए।
§ आज अगर आप कांग्रेस के कोर ग्रुप पर या सरकार के मालदार पदों पर नजर दौड़ाएं तो आपको दूर-दूर तक कांग्रेस के कोटे का कोई ताकतवर हिन्दू नेता नजर नहीं आएगा। सब जगह या तो ईसाई नजर आंएगे या फिर वे कमजोर हिन्दू जिनका अपना कोई जनाधार न होने के कारण उनके पास अपना स्वाभिमान व देशहित बेचकर एंटोनिया की गुलामी करने के सिबाय कोई और रास्ता नहीं है ।
· आप सबको याद होगा श्रीमति प्रतिभा पाटिल जी राष्ट्रपति कैसे चुनी गईं लेकिन एंटोनियो को उन पर भी भरोसा नहीं इसलिए उनका निजी सचिव भी ईसाई बनवाया। समझने वालों को संदेश बिल्कुल साफ है कि या तो ईसाई बनो या गुलाम नहीं तो कांग्रेस के कोर ग्रुप या सरकार के मालदार पदों को भूल जाओ ।
· जो ताकतवर हिन्दूनेता हैं उनको कमजोर करने के लिए एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी किसी भी हद तक जा सकती है इसका प्रमाण देखना हो तो आपको हिमाचल कांग्रेस में ताकतवर हिन्दूनेता राजा वीरभद्र सिंह जी की जगह ईसाई विद्या सटोक्स को विपक्ष का नेता बनाने के घटनाक्रम को ध्यान से समझना होगा ।
ü यह घटनाक्रम सामने आना शुरू होता है अगस्त 2006 में एंटोनियो माइनो मारीयो के हिमाचल दौरे से। यह वह वक्त था जब धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाईयों व देशभक्त हिन्दुओं के बीच धर्मांतरण के मुद्दे पर संघर्ष अपने चरम पर था। एक तरफ ईसाई केन्द्र में अंग्रेज एंटोनियो की गुलाम सरकार होने से उत्साहित होकर चलाए जा रहे जबरदस्त धर्मांतरण अभियान को हिन्दुओं व उनके संगठनों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। दूसरी तरफ राज्य में कांग्रेस सरकार होने पर धर्मांतरण के लिए जो अनुकूलता, सहयोग व सुविधायें देश के अन्य राज्यों में मिल रही थीं वे हिमाचल में नहीं मिल पा रही थीं क्योंकि राजा वीरभद्र सिंह जी छल कपट व आर्थिक अनियमितता से करवाए जा रहे धर्मांतरण के विरूद्ध थे । ऊपर से हिन्दुओं के वापिस अपने हिन्दू धर्म में लौटने के घर वापसी अभियान की सफलता से धर्मांतरण के दलाल देशी विदेशी ईसाई मिशनरी छटपटाए हुए थे।
दिल्ली में बैठे धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाईयों ने जब एंटोनिया को यह सबकुछ बताया तो एंटोनिया के क्रोध का ठिकाना न रहा और एकदम घूमने के बहाने शिमला आई और यहां पर हिमाचल में सक्रिय धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाईयों ने धर्मांतरण के काम में हिन्दूसंगठनों द्वारा पैदा की जा रही रूकाबटों व राजा वीरभद्र सिंह द्वारा अपनाए जा रहे न्यायसंगत रूख के बारे में बताया । बस फिर क्या था एंटोनिया ने आव देखा न ताव झट से राजा वीरभद्र सिंह जी को शीघ्रतिशीघ्र कठोर कार्यवाही कर धर्मांतरण के काम में आ रही रुकाबटों को दूर करने का आदेश दिया । राजा वीरभद्र सिंह जी ने भी ब्यान दे दिया कि हिन्दूसंगठनों से जुड़े कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा। लेकिन मन से तो राजा वीरभद्र सिंह जी धर्मांतरण के ठेकेदारों द्वारा धर्मांतरण के लिए अपनाए जा रहे असंवैधानिक अमानवीय तरीकों के विरूद्ध थे व हिन्दुओं व उनके संगठनों द्वारा चलाए जा रहे आन्दोलन की भी जानकारी उन्हें जरूर रही होगी जिसका बिराट रूप ठीक दो महीने बाद प्रदेशभर में आयोजित हिन्दूसम्मेलनों के रूप में देखने को मिला ।
ü राजा वीरभद्र सिंह जी के हिन्दुत्वनिष्ठ होने व बिराट हिन्दूसम्मेलनों का असर हिमाचल सरकार द्वारा लाए गए धर्म-स्वतन्त्रता विधेयक(इस कानून का महत्व समझने के लिए आपको ये ध्यान में रखना होगा कि किस तरह उतर पूर्व में इस सैकुलर गिरोह द्वारा प्रयोजित धर्मांतरण से वहां कई राज्यों की हिन्दू आवादी लगभग 100% तक ईसाई बना दी गई) के निर्बिरोध पास होने के रूप में दिखा । जिसकी सब देशभक्त व्यक्तियों ,संगठनों, राजनैतिक दलों, समाचारपत्रों,टी वी चैनलों ने दिलखोलकर प्रशंसा की व इसे देशभक्ति से ओतप्रोत सराहनीय ऐतिहासिक कदम बताया ।
लेकिन देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह को यह बात नागवार गुजरी और इस गिरोह ने धार्मिक स्वतन्त्रता के नाम पर धर्म स्वतन्त्रता विधेयक का विरोध किया व देश विदेश में हिन्दुविरोधी-देशविरोधी अभियान चलाकर ईसाई देशों से दबाव डलवाकर और पत्र लिखबाकर मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह जी पर धर्म-स्वतन्त्रता विधेयक को वापिस लेने का दबाव बनवाया लेकिन राजा वीरभद्र सिंह जी ने हिन्दूहित-देशहित में लिए गए निर्णय से पीछे हटने से मना कर दिया ।
ü इनका यह निर्णय और भी महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्येंकि वह उस राजनीतिक दल से सबन्धित हैं जो देशद्रोही-हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह का प्रमुख सदस्य है और जिसकी अध्यक्षा धर्मांतरण समर्थक अंग्रेज एंटोनियो माइनो मारीयो है । राजा वीरभद्र सिंह जी को इस राष्ट्रवादी हिन्दुत्वनिष्ठ काम की कीमत चुकानी पड़ी। एक उनकी इच्छा के विरूद्ध समय से पहले चुनाव करवा दिए जिसका विद्या स्टोक्स ने समर्थन किया, दूसरा उनकी योजना के अनुसार टिकटों का बितरण नहीं किया गया । कुल मिलाकर केन्द्रीय नेतृत्व के गलत निर्णयों की वजह से उन्हें चुनाव में हरबा दिया गया मानों इतने षड्यन्त्र काफी न हों तो एक कदम आगे बढ़कर एंटोनियो माइनो मारीयो ने अपनी योजनानुसार ईसाई विद्यास्टोक्स को नेता विपक्ष बनाकर हिमाचल में ईसाई शासन की नींब रख दी पर हमें पूरा भरोसा है कि हिमाचल की हिन्दुत्वनिष्ठ जनता एंटोनियो के इस षड़यन्त्र को कभी पूरा नहीं होने देगी । हिमाचल का हर प्रबुध नागरिक जानता है कि हिमाचल में वर्तमान में आज कांग्रेस जो भी है राजा वीरभद्र सिंह जी की वजह से है वरना एंटोनिया की हिन्दुविरोधी नीतियों की वजह से आज तक हिमाचल कांग्रेस की स्थिति गुजरात कांग्रेस जैसी हो चुकी होती ।
ü यह सब तब है जब हिमाचल में हिन्दू 98% से अधिक हैं । राजा वीरभद्र सिंह जी एंटोनियो के ईसाई जुनून का अकेले शिकार नहीं हैं । सत्यव्रत चतुर्वेदी(आपको याद होगा किस तरह मुस्लिम जिहादियों के ठेकेदार अमर सिंह द्वारा शहीद मोहन चन्द शर्मा जी का अपमान करने पर कांग्रेस ने खामोशी धारण कर ली लेकिन देशभक्त सत्यब्रत जी ने इस देशद्रोही हरकत पर अमर सिंह को पागल करार दिया) जैसे अनेक राष्ट्रभक्त कांग्रेसी आज वनवास काट रहे हैं । उन्हें सिर्फ एंटोनिया की गुलाम सरकार के हिन्दुविरोधी कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए आगे लाया जाता है । मेरा सभी देशभक्त हिन्दूकांग्रेसियों से अपनी चुप्पी तोड़ कर कांग्रेस को इस हिन्दुविरोधी देशविरोधी सोच से बाहर निकालने के लिए संघर्ष करने की विनम्र प्रार्थना है !
जागो ! हिन्दू जागो !
छतीसगढ और आंध्रप्रदेश में हिन्दुओं की संख्या 90% से अधिक होने के बावजूद एंटोनिया ने ईसाई मुख्यमन्त्री बनवाए ।
आंध्रप्रदेश में यह ईसाई मुख्यमन्त्री मुसलमानों को संविधान के विरूद्ध जाकर आरक्षण देता है । जब माननीय न्यायालय इस ईसाई को देशविरोधी-सांप्रदायिक निर्णय न करने का आदेश देता है तो यह ईसाई अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति को आगे बढ़ाते हुए संविधान के विरूद्ध जाना ही उचित समझता है,फिर ईसाईयों और मुसलमानों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करता है मानो 90% हिन्दुओं को हर अधिकार से वंचित करना ही इसकी आका विदेशी अंग्रेज एंटोनिया का एकमात्र लक्ष्य हो । मानो हिन्दुओं के खून पसीने की कमाई को यह ईसाई अपने बाप की कमाई समझता हो इसलिए येरूशलम यात्रा के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 80000 रू देने की घोषणा भी करता है । किसी ने क्या खूब कहा है- “ अंधा बांटे रेबड़ियां अपनो को मुड़-मुड़ दे ”। फिर हैदराबाद बम्ब धमाकों के आरोपियों को छोड़ कर आटो देने की घोषणा करता है मानो कह रहा हो- हिन्दुओं को इसी तरह मारते रहो ! देखा न क्या होती है हिन्दुविरोधी-देशविरोधी मानसिकता !
इसी तरह केन्द्रसरकार में अच्छा काम कर रहे हिन्दू श्री प्रणवमुखर्जी को रक्षामन्त्री के पद से हटाबाकर ईसाई एन्टनी को रक्षामन्त्री बनवाया । इस फेरबदल का सबसे बढ़ा कारण एंटोनिया का हिन्दुओं पर अविश्वास व अपने ईसाई संप्रदाय को आगे बढ़ाकर हिन्दुओं को महत्वपूर्ण पदों से दूर करना है । क्योंकि निकट भविष्य में खरबों रूपये के रक्षा सौदे होने वाले थे और उनसे मिलने वाले कमीशन की राशी अरबों रूपये तक जा सकती थी और इतनी बड़ी राशी अगर अकेले श्री प्रणवमुखर्जी जी के पास रह जाती तो वे बहुत ताकतवर हो जाते और अगर आपस में बांट ली जाती तो श्री नटबर सिंह जी की तरह कभी भी पोल खोल देते(आपको याद होगा कि किस तरह तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में दलाली का मामला सामने आने पर जब नटवर जी को बलि का बकरा बनाने की कोशिश सरकार द्वारा की गई तो उन्होंने सपष्ट कर दिया था कि ये सब एंटोनियो ने करवाया था । जरा सोचो जो एंटोनियो ईराक में भूखे मर रहे मुसलमानों के लिए जा रहे भोजन में भी दलाली ढूंढती है वो और क्या छोड़ेगी, नार्को करवाकर स्विस बैंक के खातों का पता लगाओ सब पर्दाफाश अपने आप हो जायेगा) । ऊपर से हिन्दू होने के नाते विश्वास भी तो नहीं किया जा सकता अपने संप्रदाय का थोड़े ही है । इसलिए हिन्दू प्रणबमुखर्जी को हटाकर अपने संप्रदाय के एंटनी जी को रक्षामन्त्री बनवाया ताकि सब काम आसानी से अंजाम दिये जा सकें । अगर ऐसा नहीं था तो फिर देश को बताया जाना चाहिए कि और क्या कारण था ?
रक्षा सौदों से क्वात्रोची के बारे में याद आया- कौन क्वात्रोची अरे वही क्वात्रोची जिसके बारे में कुछ समाचारपत्रों व इंटरनैट पर यह छपा था कि स्वर्गीय राजीव गांधी जी की हत्या से पहले फ्रांस के एक होटल में क्वात्रोची की बैठक एल टी टी ई प्रमुख प्रभाकरण के दूत वालासिंघम के साथ हुई थी, वही क्वात्रोची जिसके लंदन बैंक के खाते में पिछली सरकार द्वारा जब्त करवाए गए वोफोर्स दलाली काँड के पैसे को छुड़बाने के लिए वर्तमान सरकार में कानूनमन्त्री श्री हँसराज जी भारद्वाज विशेष रूप से लंदन गये ।
सोचने वाला विषय यह है कि बोफोर्स दलाली काँड के पैसे से न तो श्री मनमोहन जी का सबन्ध है न श्री हँसराज जी भारद्वाज का । फिर उनको ये सब करने की क्या जरूरत थी ? हमारे विचार में ये पैसे छुड़बाना इनकी जरूरत नहीं मजबूरी थी क्योंकि ये लोग जिस सरकार में मन्त्री हैं वह सरकार एंटोनियो माइनो मारीयो की गुलाम है और क्वात्रोची, एंटोनियो के परिबारिक मित्र हैं व उनके ऊपर ही वोफोर्स दलाली काँड में कमीशन खाने का आरोप है । बेचारे राजीव गांधी जी ब्यर्थ में षड्यन्त्र का शिकार हुए । हमारा तो शुरू से ही यह मानना था कि राजीव जी जैसा व्यक्ति यह सब नहीं कर सकता । इस लंदन भागमभाग से बिल्कुल स्पष्ट हो गया कि वोफोर्स दलाली काँड क्वात्रोची और एंटोनियो की साजिश थी क्योंकि अगर ऐसा न होता तो राजीव जी के कत्ल के षडयन्त्रकारी क्वात्रोची द्वारा दलाली में लिए गए पैसे को छुड़वाने की एंटोनियो को क्या जरूरत थी ?
जो देशबिरोधी-चापलूस एंटोनियो को त्याग की मूर्ति बताकर भोले-भाले हिन्दुओं को गुमराह करते हैं उन्हें एंटोनियो के इस रूप को भी नहीं भूलना चाहिए । कुछ लोग यह कुतर्क देते हैं कि एंटोनियो ने प्रधानमन्त्री पद को ठोकर मार दी , त्याग कर दिया हमें इनकी बेवकूफी पर गुस्सा नहीं तरस आता है कि जो एंटोनियो प्रधानमन्त्री बनने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति जी से झूठ बोलती हैं कि उसे 273 सांसदो का समर्थन प्राप्त है। वह झूठ सारे देश के सामने पकड़ा जाता है । वही एंटोनियो 2004 में प्रधानमन्त्री बनने के लिए फिर से मारी-मारी फिरती हैं वह भी उस स्थिति में जब कांग्रेस को बहुमत से लगभग आधी सीटें मिलती हैं । एंटोनियो राष्ट्रपति भवन जाती हैं खुद प्रधानमन्त्री बनने के लिए बुलाबा पत्र लेने के लिए लेकिन, देशभर में हो रहे विरोध व भारतीय संविधान की भाबना (एक्ट 1955 के अनुसार किसी देश के नागरिक को भारत में बसने पर उतने ही अधिकार मिलते हैं जितने किसी भारतीय को उस देश में बसने पर मिल सकते हैं) को ध्यान में रखते हुए जब बुलाबा पत्र नहीं मिलता है तो ह्रदय परिबर्तन हो गया, ठोकर मार दी, त्याग कर दिया, मातम मनाया गया, आँसु बहाए गए, पूरा फिल्मी ड्रामा रचा गया । भाबुक हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिए वो भी लाइब सरकारी चैनल पर । ये भी न सोचा कि ये सरकारी चैनल भारतीयों की खून पसीने की उस कमाई से चलते हैं जो टैक्स के रूप में दी जाती है ,देश के विकास के लिए न कि किसी विदेशी को सत्ता न मिलने पर उसकी नौटंकी देखने के लिए । किसी ने क्या खूब कहा है- हाथ न लागे थू कौड़ी ।
जो लोग इस अंग्रेज एंटोनियो को प्रधानमन्त्री बनाने के लिए इतने कुतर्क दे रहे थे , काश उन्हें याद होता- शहीद भगत सिंह जैसे नौजवानों का इस देश से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए फांसी पर झूलना । काश उनको ज्ञान होता भारत के उस कानून का जिसके अनुसार सेना का कोई अधिकारी किसी विदेशी से शादी नहीं कर सकता । फिर इन अधिकारियों से देश की सुरक्षा से सबन्धित गुप्त जानकारी लेने वाला प्रधानमन्त्री विदेशी कैसे हो सकता है ?
काश उनको ज्ञान होता ईसाई बहुल देश फिजी की घटनाओं का । फिजी एक छोटा सा देश है इस देश में हिन्दुओं की बड़ी संख्या है और इन हिन्दुओं को यहां बसे हुए 20-25 नहीं सैंकड़ों वर्ष हो गए हैं। सोचो जरा वहां पर हिन्दू को अल्पसंख्यक होने के नाते क्या विशेषाधिकार प्राप्त हैं ? अरे ! क्या बात करते हो , विशेषाधिकार तो दूर मूलाधिकार तक प्राप्त नहीं हैं। भारत में इन अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक बना दिये गए !
विश्वास नहीं होता तो ये जानो
कुछ वर्ष पहले यहां हुए चुनावों में फिजी की जनता ने एक हिन्दू श्री महेन्द्र चौधरी जी को प्रधानमन्त्री चुना। क्या वहां के ईसाईसों ने उन्हें प्रधानमन्त्री स्वीकार किया ? नहीं न , क्यों नहीं, जरा सोचो, हिन्दू जनसंख्या की कमी नहीं ,हिन्दू सैंकड़ों वर्षों से वहां बसे हुए हैं फिर भी विदेशी । यहां भारत में अभी कुछ वर्ष पहले आई एक विदेशी अंग्रेज (जो भारत-पाक युद्ध के दौरान भागकर अपने मूलदेश के इटालिएन दूताबास में छिप गई । यह सोच कर कि कहीं अगर भारत की हार हो गई तो सुरक्षित इटली पहुँच जांऊ )को- हर तरह के झूठ बोलकर,नाम बदलकर,वेश बदलकर -भोले भाले शांतिप्रिय हिन्दुओं को फुसालाकर उसे भारतीय बताकर, उसके गुलाम बनने की होड़ ।
एक ईसाई जार्ज स्पीट उठा दर्जन भर स्टेनगनधारी युवक साथ लिए । चुने हुए प्रधानमन्त्री महेन्द्र चौधरी को बंधक बनाया जान से मारने की धमकी देकर त्यागपत्र लिखवाकर जान बख्सी । क्या वहां पुलिस नहीं थी ? सेना नहीं थी ?(भारतीय सेना को सोचना चाहिए) क्या वहां यू .एन. ओ. नहीं था ? सब कुछ था पर वहां क्योंकि ईसाई हिन्दुओं से ज्यादा हैं इसलिए ईसाई हित में सबकुछ जायज । हमारे भारत में कुछ वर्ष पहले आई एक अंग्रेज एंटोनियो, नाम बदल कर, वेश बदल कर ,सारी की सारी सरकार को गुलाम बनाकर बैठ गई । इसलिए यहां हिन्दूविरोध में सबकुछ जायज ।
जागो ! हिन्दू जागो !
हमें इस बात में कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस इटालिएन अंग्रेज के प्रभाव में आकर देशद्रोह-हिन्दूविरोध के रास्ते पर चल निकला है । परन्तु कांग्रेस में लम्बे समय से सक्रिय देशभक्त कार्य कर्ताओं की कमी नहीं, जो आज इन देशद्रोहियों की जुंडली की वजह से, योजनाबद्ध उपेक्षित किए जा रहे हैं व बड़ी जिम्मेबारियों से दूर रखे जा रहे हैं ।
हिन्दुविरोध--कांग्रेस की पुरानी आदत
लेकिन कांग्रेस में ऐसे देशभक्त हिन्दू कार्यकर्ताओं की बहुत बढ़ी संख्या है, जो असंगठित हैं व एक दूसरे में विश्वाश की कमी की वजह से, इन देशद्रोहियों की जुंडली के देशविरोधी-हिन्दुविरोधी षड़यन्त्रों का मुंहतोड़ जबाब देने में अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं इसलिए खामोश हैं।
उन्हें अपनी चुपी तोड़ते हुए एक दूसरे पर विश्वास करते हुए संगठित होकर इस देशद्रोहियों की जुंडली को बेनकाब कर अपदस्थ करना होगा और देशभक्त लोगों को कांग्रेस के शीर्ष पदों पर बिठाकर कांग्रेस के देशविरोधी-हिन्दुविरोधी जिहादी आतंकवाद व धर्मांतरण समर्थक कदमों को रोककर देशभक्ति की राह पर चलाना होगा ।
नहीं तो हिन्दुस्थान की जनता ये मानने पर मजबूर हो जाएगी कि हरेक कांग्रेसी देशविरोधी-हिन्दुविरोधी जिहादी आतंकवाद व धर्मांतरण समर्थक है और देश मे आए दिन बम्ब विस्फोटों में मारे जाने वाले निर्दोष हिन्दुओं, सैनिकों, अर्धसैनिक बलों व पुलिस के जवानों के कत्ल के लिए जिम्मेवार है।
परिणाम स्वरूप ये सब मिलकर कांग्रेसियों के खून के प्यासे हो सकते हैं क्योंकि अब कांग्रेस के पाप का घड़ा भर चुका है । भगवान राम-जो करोड़ों हिन्दूस्थानियों के आस्था विश्वाश और श्रद्धा के केन्द्र हैं-के अस्तित्व को नकारना व सनातन में विश्वाश करने वाले शांतिप्रिय हिन्दुओं व सैनिकों को आतंकवादी कहकर जेलों में डालकर बदनाम करना-इस पाप के घड़े में समाने वाले अपराध नहीं हैं।
· वैसे भी कांग्रेस की स्थापना एक विदेशी अंग्रेज ए ओ हयूम(जो ब्यापार के बहाने भारत आकर धोखा देकर देश को गुलाम बनाने बाली ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकारी था) ने 1885 में विदेशियों के राज को भारत में लम्बे समय तक बनाए रखने के लिए अंग्रेजी शासकों के सहयोग से की थी । तब इसका मूल उदेश्य था क्रांतिकारियों की आवाज को जनसाधारण तक पहुंचने से रोकना और ये भ्रम फैलाना कि जनता का प्रतिनिधत्व कांग्रेस करती है न कि क्रांतिकारी।
· इसकी स्थापना का कारण बना 1857 का स्वतन्त्रता संग्राम जिससे अंग्रेजों के अन्दर दहशत फैल गई ।
· आओ ! जरा नमन करें, शहीद मंगलपांडे, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ,शहीद तांत्य टोपे, शहीद नाना साहिब जैसे अनगिनत शहीदों को जो राष्ट्र की खातिर बलिदान हुए।
· कांग्रेस की स्थापना के बाद कुछ समय तक अंग्रेजी शासकों को किसी अंदोलन का सामना नहीं करना पड़ा लेकिन धीरे- धीरे क्रांतिकारियों ने कांग्रेस को अपना मंच बना लिया । शहीद भगत सिंह , शहीद राजगुरू, शहीद सुखदेव, शहीद चन्दरशेखर आजाद, शहीद बाल गंगाधर तिलक , शहीद लाला लाजपतराय, शहीद विपन चन्द्र पाल जैसे असंख्य क्रांतिकारी कांग्रेस से जुड़े और देश के लिए बलिदान हुए ।
पर मोहन दास जी व नेहरू जी के नेतृत्व में कांग्रेस का एक ग्रुप क्रांतिकारियों को कभी गले न लगा पाया । वरना क्या वजह थी कि नेताजी सुभाषचन्द्र वोस (जिन्होने 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पट्टाभीसीतारमैइया जी को हराया जिनका समर्थन मोहन दास जी कर रहे थे) को कांग्रेस छोड कर आजाद हिन्द सेना बनानी पड़ी ।
· शहीद भक्तसिंह जैसे प्रखर राष्ट्रवादी देशभक्त के बचाव में यह ग्रुप खुलकर सामने नहीं आया उल्टा उनको गुमराह क्राँतिकारी कहकर उनके देश की खातिर किए गए बलिदान को अपमानित करने का दुःसाहस किया । यह ग्रुप या तो अपने आप को बचाने में लगा रहा या फिर मुस्लिमों के तुष्टीकरण में लगा रहा ।
मोहन दास जी व नेहरू जी ने मुस्लिमों को प्रसन्न करने के लिए उनकी हर उचित-अनुचित, छोटी-बड़ी मांग को यह सोच कर माना, कि इनके लिए त्याग करने पर इनके अन्दर भी राष्ट्र के लिए प्यार जागेगा और ये भी हिन्दुओं की तरह शान्ति से जीना सीख जायेंगे ।
परन्तु हुआ उल्टा मोहन दास जी व नेहरू जी ने मुस्लिमों को प्रसन्न करने का जितना ज्यादा प्रयत्न किया वे उतने ज्यादा अशान्त होते चले गये ।
परिणाम हुआ धर्म के नाम पर देश का विभाजन । मुसलमानों के लिए पाकिस्तान व हिन्दुओं के लिए वर्तमान भारत । सरदार बल्लभभाई पटेल व वीर साबरकर जी ने कई बार इनके गलत निर्णयों का विरोध किया लेकिन इन पर तो धर्मनिर्पेक्षता-बोले तो-मुस्लिम तुष्टिकरण का ऐसा भूत सबार था जिसने देश को तबाह कर दिया।
उधर देश का धर्म के आधार पर विभाजन स्वीकार कर लिया । अंग्रेजों को लिख कर दे दिया कि नेताजी सुभाष चन्द्रवोस जैसा घोर राष्ट्रवादी क्राँतिकारी जब भी हिन्दुस्थान आएगा तो उसे उन दुष्ट- डकैत साम्राज्यबादियों के हवाले कर दिया जाएगा, जिन्होंने 300 वर्ष तक इस देश का लहू पानी की तरह बहाया व देशछोड़ते वक्त अपने लिए काम करने वाले को कुर्सी पर बिठाया । इधर लोगों को यह कहकर बरगलाना शुरू कर दिया कि देश आजाद करवा दिया । आज तक लोगों को यह नहीं बताया कि अगर पाकिस्तान की ओर से हस्ताक्षर सैकुलर पुराने काँग्रेसी मुहम्मदअली जिन्ना ने किए थे तो भारत की ओर से सैकुलर काँग्रेसी ज्वाहरलाल नेहरू ने किए थे या किसी और ने ?
उधर मुसलमानों ने हिन्दुओं का कत्लेआम शुरू कर रखा था इधर मोहन दास जी व नेहरू जी हिन्दुओं को यह कहकर बरगलाने में लगे हुए थे कि वो हमारे भाई हैं जो हिन्दुओं का कत्लेआम कर रहे हैं , हिन्दुओं की माँ बहनों की इज्जत पर हमला कर रहे हैं इसलिए आप कायर और नपुंसक बनकर हमारी तरह तमाशा देखो, जिस तरह क्रांतिकारी देश के लिए शहीद होते रहे देश छोड़ते रहे और हम अपने अंग्रेज भाईयों से सबन्ध अच्छे बनाए रखने के लिए तमाशबीन बने रहे ब क्रांतिकारियों को भला बुरा कहते रहे।
1947 में धर्म के आधार पर विभाजन स्वीकार कर मुसलमानों के लिए अलग पाकिस्तान बनवा देने के बाद भी इन दोनों ने हिन्दुओं के हितों की रक्षा करने के बजाए हिन्दुओं के नाक में दम करने के लिए उन अलगावबादियों के वंशजों को देश में रख लिया जो देश विभाजन की असली जड़ थे व अपने हिन्दुविरोधी-देशविरोधी होने का परिचय दिया।
आज हिन्दू जानना चाहता है कि अगर हिन्दू-मुस्लिम एक साथ रह सकते थे तो देश का विभाजन क्यों करबाया गया ? और नहीं रह सकते थे तो उन्हें देश में क्यों रखा गया ?
वे कितने दूरदर्शी थे इसका पता आज आए दिन देश के विभिन्न हिन्दुबहुल क्षेत्रों में होने वाले बम्बविस्फोटों व मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में होने वाले दंगों से पता चलता है। काश ! उन्होंने बकिंम चन्द्र चटर्जी जी द्वारा लिखित उपन्यास आनंदमठ पढ़ा होता(सैकुलर गिरोह में सामिल हिन्दुओं को ये उपन्यास जरूर पढ़ना चाहिए) तो शायद वो ये गलती न करते और भारत के सर्बमान्य नेता होते और आज हिन्दू इस तरह न मारे जाते।
हम इस बात को यहां स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम निजी तौर पर मोहन दास जी की आर्थिक सोच व उनकी सादगी के कट्टर समर्थक हैं जिसमें उन्होंने स्वदेशी की खुलकर बकालत की । पर क्या नेहरू जी को यह सोच पसन्द थी ? नहीं न । कुर्सी की दौड़ में ईसाईयत की शिक्षा प्राप्त नेहरू जी मांउटबैटन की यारी व कुर्सी की दौड़ में इनसानित और देशभक्ति छोड़कर वो सब कर बैठे जो देशद्रोही गद्दार मुस्लिम जिहादियों और सम्राज्यबादी ईसाईयों के हित में व हिन्दुस्थान और हिन्दुओं के विरोध में था ।
कई बार मन यह सोचने पर मजबूर होता है कि मोहन दास जी के नाम जितनी भी बदनामियां हैं उन सबके सूत्रधार नेहरू जी थे । जिन हालात में मोहन दास जी के शरीर को खत्म किया गया उसके सूत्रधार भी कहीं न कहीं नेहरू जी ही थे क्योंकि नेहरू जी प्रधानमन्त्री थे, गांधी जी सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी थी और उनके खत्म होने का सबसे ज्यादा फायदा नेहरू परिवार ने ही उठाया। जिसके मोहन दास जी कटर विरोधी थे क्योंकि उन्होंने तो देश विभाजन के बाद ही कांग्रेस को समाप्त करने का आग्रह किया था जिसके नेहरू जी विरूद्ध थे अब जरा सोचो मोहन दास जी को किसने खत्म करवाया ?
क्या आपको याद है कि जब 1948 में पाकिस्तानी सेना ने कबाइली जिहादियों के वेश में भारत पर हमला किया तब भी नेहरू जी की भूमिका भारत विरोधी ही रही। यह वही नेहरू जी हैं जो पटेल जी के लाख समझाने के बावजूद, इस हमले का मुकाबला कर मुस्लिम जिहादी आक्रांताओं को मार भगाने के बजाए संयुक्तराष्ट्र में ले गए ।
यह वही नेहरू जी हैं जिन्होंने संयुक्तराष्ट्र की बैठक में पटेल जी के रोकने के बाबजूद, पाकिस्तान द्वारा कब्जे में लिए गए जम्मू-कश्मीर के हिस्से को बार-बार आजाद कश्मीर कहा जिसका खामियाजा भारत आज तक भुक्त रहा है। अब आप ही बताइए कि आज जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों द्वारा मारे गये या मारे जा रहे निर्दोष हिन्दुओं व शहीद हो रहे सैनिकों के कत्ल के लिए कांग्रेस व नेहरू जी को जिम्मेवार क्यों न ठहराया जाए ?
यह वही नेहरू जी हैं जिन्होंने हिन्दुविरोधीयों को खुश करने के लिए कहा था ‘ मैं दुर्घटनावश हिन्दू हूँ ’।
आपको यह जान कर हैरानी होगी कि पचास के दशक में आयुद्ध कारखानों में नेहरू जी का जोर हथियारों की जगह सौंदर्य-प्रसाधन बनवाने पर ज्यादा था । जिसके विरूद्ध तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी ने नेहरू जी को पत्र लिखकर चेताया भी था । पर नेहरू जी तो कबूतर की तरह आँखें बन्द किए हुए कहते फिर रहे थे, हमारे ऊपर कोई हमला नहीं कर सकता । वे कितने दूरदर्शी थे इसका पता 1962 में ही लग गया,जब हथियारों की कमी के कारण हमारे बहादुर सैनिकों को शहीद होना पड़ा और भारत युद्ध हार गया। हमारी मातृभूमि के एक बड़े हिस्से पर चीन ने कब्जा कर लिया।आओ उन शहीदों को हर पल प्रणाम करने का प्रण करें । काश नेहरू जी को पता होता कि शान्ति बनाए रखने का एकमात्र उपाय है युद्ध के लिए तैयार रहना।
Ø कांग्रेस का इस्लांम में व्याप्त बुराई यों का समर्थन करना व उन्हें बढ़ाबा देने का इतिहास कोई नया नहीं है यह मामला शुरू होता है तुर्की में चलाए जा रहे खिलाफत आन्दोलन के समर्थन से । बाद में ये कांग्रेस जन्म देती है जिन्ना जैसे नेताओं को, जो आगे चलकर पाकिस्तान की माँग उठाते हैं, कांग्रेस मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बनवाती है, इस दौरान जिहादी मुसलमान हिन्दुओं पर जगह-जगह हमला करते हैं, हिन्दू मारे जाते हैं परन्तु कांग्रेस यह सुनिश्चित करने का भरसक प्रयास करती है कि कोई मुस्लिम जिहादी आतंकी न मारा जाए ।
Ø मानो इतने हिन्दुओं का खून पी लेने के बाद भी इस कांग्रेस नामक डायन की प्यास न बुझी हो इसलिए इस डायन ने यह सुनिश्चित किया कि भारत के हिन्दुओं वाले हिस्से को हिन्दूराष्ट्र न बनने दिया जाए । इस कांग्रेस नामक डायन द्वरा यह भी सुनिश्चित किया गया कि भविष्य में हिन्दू सुखचैन से न जी सकें और कांग्रेस का वोट बैंक भी चलता रहे । अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए कांग्रेस ने भारत का विभाजन करवाने वाली, देशद्रोही जिहादी औंरगजेब और बाबर की संतानों को, यहां रख लिया ताकि हिन्दूराष्ट्र भारत में हिन्दुओं का खून पानी की तरह बहाया जाता रहे ।
Ø अब आप ही फैसला करें कि भारत में मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों द्वारा भारतीय संस्कृति के प्रतीक दर्जनों मन्दिरों पर किए जा रहे हमलों, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में हिन्दुओं को चुन चुन कर मार कर या हिन्दुबहुल क्षेत्रों में बम्बविस्फोट करके चलाए जा रहे हिन्दू मिटाओ अभियान के लिए कांग्रेस को जिम्मेवार क्यों न माना जाए ?
Ø अगर जिम्मेवार ठहराया जाए जो कि है तो क्यों न उसके विरूद्ध देशब्यापी गद्दार मिटाओ अभियान चलाकर उसी के बापू द्वारा 1947 में लिए गए कांग्रेस मिटाओ के निर्णय को आज 2009 से शुरू कर 2020 से पहले-पहले पूरा किया जाए ।
जिन दो नेताओं की क्राँतिविरोधी हिन्दुविरोधी मुस्लिमपरस्त षड्यन्त्रकारी सोच के चलते कई क्रांतिकारी शहीद होकर भी हिन्दूस्थानी जनता के अखण्ड भारत के स्वप्न को पूरा न कर सके । उन्हीं दो नेताओं में से कांग्रेसियों ने एक को अपना बापू व दूसरे को अपना चाचा बना लिया( उन दोनों की आत्मा से हम क्षमा मांगते हैं अगर उनकी कोई ऐसी मजबूरियां रहीं हों जो हम नहीं समझ पा रहे हैं । ये सबकुछ हम हरगिज न लिखते अगर मोहन दास जी की बात मान कर कांग्रेस को बिसर्जित कर दिया गया होता । तो न यह कांग्रेस इस तरह भगवान राम के अस्तित्व को नकारती, न देशद्रोह के मार्ग पर आगे बढ़ती। बेशक उनकी मजबूरियां रही हों पर आज की कांग्रेस की कोई मजबूरी नहीं है इसके काम स्पष्ट देशद्रोही और हिन्दुविरोधी हैं ये हम सब हिन्दू देख सकते हैं ) ।
फिर प्रचार के हर साधन व सरकारी तन्त्र का दुरूपयोग कर इन्हें सारे देश का बापू व चाचा प्रचारित करने का असफल प्रयत्न किया गया । यह देश को कांग्रेस की हिन्दुविरोधी-देशविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सोच का गुलाम बनाने जैसा था ।
प्रश्न ये भी उठता है कि जिस देश की सभ्यता संस्कृति इस दुनिया की सबसे प्राचीनतम हो व जिस देश के साधारण राजा अशोक महान जी व विक्रमादित्य जी को हुए 2000 वर्ष से अधिक हो चुके हों क्या ऐसे देश का बापू या चाचा 79 वर्ष का हो सकता है ?
नहीं ,न । वैसे भी जिस देश के आदर्श मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम हों, उस देश को किसी छदम राजनीतिज्ञ या मझे हुए विस्वासघाती राजनीतिज्ञ को- वो भी उसे जो कभी खुलकर भारतीय संस्कृति का सम्मान न कर पाया हो- ऐसा स्थान देने की आवश्यकता ही क्या है ?
अगर आपको ये बात समझ नहीं आ रही है तो आप जरा ईराक के बारे में सोचिए । सद्दाम हुसैन बेशक मुसलमान था पर जिहादी नहीं था। वेशक तानाशाह था पर हमारे नेताओं की तरह देशद्रोही नहीं था । उसने अपने देश के साथ कभी गद्दारी नहीं की । उसने जो भी किया देशहित में किया । मतलब वो पक्का देशभक्त मुसलमान था । उसने कभी विदेशी अंग्रेज ईसाईयों की गुलामी स्वीकार नहीं की । दूसरी तरफ ईराक के कुछ सद्दाम विरोधी गद्दारों ने अंग्रेज ईसाईयों के साथ मिलकर उसके विरूद्ध देश हित के विपरीत काम किया । परिणाम ईराक में देशभक्त सद्दाम को फाँसी चढ़ाकर अंग्रेजों ने सत्ता इन गद्दारों को सौंप दी । यही सब कुछ अफगानिस्तान में किया गया वहां के देशभक्त शासक को हटाने के लिए तालिबान को पाला गया फिर तालिबान को हटाकर वहां पर अंग्रेज ईसाईयों ने ईसाईयों के बफादार व्यक्ति को शासक बना दिया ।
यही सबकुछ भारत में घटा था यहां भी सत्ता नेताजी सुभाषचन्द्र वोस, पटेल जी या वीर साबरकर जैसे किसी देशभक्त को न सौंपकर अंग्रेज ईसाईयों के प्रति बफादार हिन्दुविरोधी को सौंपी गई। जिसका परिणाम यह हुआ कि मैकाले द्वारा बनाई गई हिन्दुविरोधी ईसाई समर्थक शिक्षा नीति व कानून आज भी चालू है । आज भी भारत का नाम भारतीयों द्वारा दिया गया भारत नहीं, बल्कि अंग्रेज ईसाईयों द्वरा दिया गया गुलामी का प्रतीक इंडिया प्रचलित है ।
आज भी भारत में किसी ईसाई या मुस्लिम के मरने पर तो जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह मातम मनाता है पर हिन्दू के शहीद होने पर इस गिरोह द्वारा खुशियां मनाइ जाती हैं । ईसाई पोप के मरने पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है। साधु सन्तों को यातनांयें दी जाती हैं, अपमानित किया जाता है। देश में हजारों हिन्दुओं का खून बहाने वाले जिहादियों को बचाने के लिए कठोर कानून का विरोध किया जाता है और जिहादियों के हमलों से बचाने के लिए हिन्दुओं को जागरूक कर संगठित करने वाली देशभक्त बीरांगना साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, उसके देशभक्त सहयोगियों व सेना के अधिकारीयों को जेल में डाला जाता है । आतंकवादी कहकर अपमानित करने का प्रयास किया जाता है । जबकि आँध्रप्रदेश में हिन्दुबहुल क्षेत्रों में बम्बविस्फोट के आरोपियों को जेल से छोड़कर ईसाई कांग्रेसी मुख्यमन्त्री द्वारा तोहफे में आटोरिक्सा दिए जाते हैं !
§ हमें बड़ी हैरानी होती है जब हम किसी को 15 अगस्त 1947 को भारत का स्वतन्त्रता दिवस कहते हुए सुनते हैं । क्योंकि सच्चाई यह है कि इस दिन भारत को तीन टुकड़ों मे बांटा गया था, दो मुसलमानों को लिए (वर्तमान पाकिस्तान व बांगलादेश), एक हिन्दुओं के लिए (वर्तमान भारत) । पाकिस्तान व बांगलादेश में जो हिन्दू रह गए थे वो आज गिने-चुने रह गए हैं बाकी या तो इस्लाम अपनाने पर बाध्य कर दिय गए,भगा दिए गये या जिहादियों द्वारा जन्नत पाने के लिए हलाल कर दिए गये व किए जा रहे हैं लेकिन भारत में जो मुसलमान रह गए थे वो आज 300% से भी अधिक हो गए हैं और मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों को शरण, सहायता व सहयोग देकर हिन्दुओं का कत्ल करवा रहे हैं।
§ क्योंकि पाकिस्तान व बांगलादेश की तरह भारत में भी शासन हिन्दुविरोधी जिहाद समर्थकों ने किया और हिन्दुविरोधी कानून बनाकर हिन्दुओं को अपूर्णीय क्षति पहुँचाई ।आज भारत में ही जिहादी आतंकवाद जारी है देश के विभिन्न हिस्सों में जिहादियों द्वारा हिन्दुबहुल क्षेत्रों,मन्दिरों ,सेना ब पुलिस की गाड़ियों व कैंपों में बम्बविस्फोट कर हजारों हिन्दू मारे जा चुके हैं। इन मुस्लिम जिहादियों द्वारा इतने निर्दोश हिन्दुओं का कत्ल कर देने के बावजूद जिहाद समर्थक सैकुलर हिन्दुविरोधी देशद्रोही गिरोह का जिहादियों को समर्थन आज भी जारी है ।
उन्हें अपनी चुपी तोड़ते हुए एक दूसरे पर विश्वास करते हुए संगठित होकर इस देशद्रोहियों की जुंडली को बेनकाब कर अपदस्थ करना होगा और देशभक्त लोगों को कांग्रेस के शीर्ष पदों पर बिठाकर कांग्रेस के देशविरोधी-हिन्दुविरोधी जिहादी आतंकवाद व धर्मांतरण समर्थक कदमों को रोककर देशभक्ति की राह पर चलाना होगा ।
नहीं तो हिन्दुस्थान की जनता ये मानने पर मजबूर हो जाएगी कि हरेक कांग्रेसी देशविरोधी-हिन्दुविरोधी जिहादी आतंकवाद व धर्मांतरण समर्थक है और देश मे आए दिन बम्ब विस्फोटों में मारे जाने वाले निर्दोष हिन्दुओं, सैनिकों, अर्धसैनिक बलों व पुलिस के जवानों के कत्ल के लिए जिम्मेवार है।
परिणाम स्वरूप ये सब मिलकर कांग्रेसियों के खून के प्यासे हो सकते हैं क्योंकि अब कांग्रेस के पाप का घड़ा भर चुका है । भगवान राम-जो करोड़ों हिन्दूस्थानियों के आस्था विश्वाश और श्रद्धा के केन्द्र हैं-के अस्तित्व को नकारना व सनातन में विश्वाश करने वाले शांतिप्रिय हिन्दुओं व सैनिकों को आतंकवादी कहकर जेलों में डालकर बदनाम करना-इस पाप के घड़े में समाने वाले अपराध नहीं हैं।
· वैसे भी कांग्रेस की स्थापना एक विदेशी अंग्रेज ए ओ हयूम(जो ब्यापार के बहाने भारत आकर धोखा देकर देश को गुलाम बनाने बाली ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकारी था) ने 1885 में विदेशियों के राज को भारत में लम्बे समय तक बनाए रखने के लिए अंग्रेजी शासकों के सहयोग से की थी । तब इसका मूल उदेश्य था क्रांतिकारियों की आवाज को जनसाधारण तक पहुंचने से रोकना और ये भ्रम फैलाना कि जनता का प्रतिनिधत्व कांग्रेस करती है न कि क्रांतिकारी।
· इसकी स्थापना का कारण बना 1857 का स्वतन्त्रता संग्राम जिससे अंग्रेजों के अन्दर दहशत फैल गई ।
· आओ ! जरा नमन करें, शहीद मंगलपांडे, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ,शहीद तांत्य टोपे, शहीद नाना साहिब जैसे अनगिनत शहीदों को जो राष्ट्र की खातिर बलिदान हुए।
· कांग्रेस की स्थापना के बाद कुछ समय तक अंग्रेजी शासकों को किसी अंदोलन का सामना नहीं करना पड़ा लेकिन धीरे- धीरे क्रांतिकारियों ने कांग्रेस को अपना मंच बना लिया । शहीद भगत सिंह , शहीद राजगुरू, शहीद सुखदेव, शहीद चन्दरशेखर आजाद, शहीद बाल गंगाधर तिलक , शहीद लाला लाजपतराय, शहीद विपन चन्द्र पाल जैसे असंख्य क्रांतिकारी कांग्रेस से जुड़े और देश के लिए बलिदान हुए ।
पर मोहन दास जी व नेहरू जी के नेतृत्व में कांग्रेस का एक ग्रुप क्रांतिकारियों को कभी गले न लगा पाया । वरना क्या वजह थी कि नेताजी सुभाषचन्द्र वोस (जिन्होने 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पट्टाभीसीतारमैइया जी को हराया जिनका समर्थन मोहन दास जी कर रहे थे) को कांग्रेस छोड कर आजाद हिन्द सेना बनानी पड़ी ।
· शहीद भक्तसिंह जैसे प्रखर राष्ट्रवादी देशभक्त के बचाव में यह ग्रुप खुलकर सामने नहीं आया उल्टा उनको गुमराह क्राँतिकारी कहकर उनके देश की खातिर किए गए बलिदान को अपमानित करने का दुःसाहस किया । यह ग्रुप या तो अपने आप को बचाने में लगा रहा या फिर मुस्लिमों के तुष्टीकरण में लगा रहा ।
मोहन दास जी व नेहरू जी ने मुस्लिमों को प्रसन्न करने के लिए उनकी हर उचित-अनुचित, छोटी-बड़ी मांग को यह सोच कर माना, कि इनके लिए त्याग करने पर इनके अन्दर भी राष्ट्र के लिए प्यार जागेगा और ये भी हिन्दुओं की तरह शान्ति से जीना सीख जायेंगे ।
परन्तु हुआ उल्टा मोहन दास जी व नेहरू जी ने मुस्लिमों को प्रसन्न करने का जितना ज्यादा प्रयत्न किया वे उतने ज्यादा अशान्त होते चले गये ।
परिणाम हुआ धर्म के नाम पर देश का विभाजन । मुसलमानों के लिए पाकिस्तान व हिन्दुओं के लिए वर्तमान भारत । सरदार बल्लभभाई पटेल व वीर साबरकर जी ने कई बार इनके गलत निर्णयों का विरोध किया लेकिन इन पर तो धर्मनिर्पेक्षता-बोले तो-मुस्लिम तुष्टिकरण का ऐसा भूत सबार था जिसने देश को तबाह कर दिया।
उधर देश का धर्म के आधार पर विभाजन स्वीकार कर लिया । अंग्रेजों को लिख कर दे दिया कि नेताजी सुभाष चन्द्रवोस जैसा घोर राष्ट्रवादी क्राँतिकारी जब भी हिन्दुस्थान आएगा तो उसे उन दुष्ट- डकैत साम्राज्यबादियों के हवाले कर दिया जाएगा, जिन्होंने 300 वर्ष तक इस देश का लहू पानी की तरह बहाया व देशछोड़ते वक्त अपने लिए काम करने वाले को कुर्सी पर बिठाया । इधर लोगों को यह कहकर बरगलाना शुरू कर दिया कि देश आजाद करवा दिया । आज तक लोगों को यह नहीं बताया कि अगर पाकिस्तान की ओर से हस्ताक्षर सैकुलर पुराने काँग्रेसी मुहम्मदअली जिन्ना ने किए थे तो भारत की ओर से सैकुलर काँग्रेसी ज्वाहरलाल नेहरू ने किए थे या किसी और ने ?
उधर मुसलमानों ने हिन्दुओं का कत्लेआम शुरू कर रखा था इधर मोहन दास जी व नेहरू जी हिन्दुओं को यह कहकर बरगलाने में लगे हुए थे कि वो हमारे भाई हैं जो हिन्दुओं का कत्लेआम कर रहे हैं , हिन्दुओं की माँ बहनों की इज्जत पर हमला कर रहे हैं इसलिए आप कायर और नपुंसक बनकर हमारी तरह तमाशा देखो, जिस तरह क्रांतिकारी देश के लिए शहीद होते रहे देश छोड़ते रहे और हम अपने अंग्रेज भाईयों से सबन्ध अच्छे बनाए रखने के लिए तमाशबीन बने रहे ब क्रांतिकारियों को भला बुरा कहते रहे।
1947 में धर्म के आधार पर विभाजन स्वीकार कर मुसलमानों के लिए अलग पाकिस्तान बनवा देने के बाद भी इन दोनों ने हिन्दुओं के हितों की रक्षा करने के बजाए हिन्दुओं के नाक में दम करने के लिए उन अलगावबादियों के वंशजों को देश में रख लिया जो देश विभाजन की असली जड़ थे व अपने हिन्दुविरोधी-देशविरोधी होने का परिचय दिया।
आज हिन्दू जानना चाहता है कि अगर हिन्दू-मुस्लिम एक साथ रह सकते थे तो देश का विभाजन क्यों करबाया गया ? और नहीं रह सकते थे तो उन्हें देश में क्यों रखा गया ?
वे कितने दूरदर्शी थे इसका पता आज आए दिन देश के विभिन्न हिन्दुबहुल क्षेत्रों में होने वाले बम्बविस्फोटों व मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में होने वाले दंगों से पता चलता है। काश ! उन्होंने बकिंम चन्द्र चटर्जी जी द्वारा लिखित उपन्यास आनंदमठ पढ़ा होता(सैकुलर गिरोह में सामिल हिन्दुओं को ये उपन्यास जरूर पढ़ना चाहिए) तो शायद वो ये गलती न करते और भारत के सर्बमान्य नेता होते और आज हिन्दू इस तरह न मारे जाते।
हम इस बात को यहां स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम निजी तौर पर मोहन दास जी की आर्थिक सोच व उनकी सादगी के कट्टर समर्थक हैं जिसमें उन्होंने स्वदेशी की खुलकर बकालत की । पर क्या नेहरू जी को यह सोच पसन्द थी ? नहीं न । कुर्सी की दौड़ में ईसाईयत की शिक्षा प्राप्त नेहरू जी मांउटबैटन की यारी व कुर्सी की दौड़ में इनसानित और देशभक्ति छोड़कर वो सब कर बैठे जो देशद्रोही गद्दार मुस्लिम जिहादियों और सम्राज्यबादी ईसाईयों के हित में व हिन्दुस्थान और हिन्दुओं के विरोध में था ।
कई बार मन यह सोचने पर मजबूर होता है कि मोहन दास जी के नाम जितनी भी बदनामियां हैं उन सबके सूत्रधार नेहरू जी थे । जिन हालात में मोहन दास जी के शरीर को खत्म किया गया उसके सूत्रधार भी कहीं न कहीं नेहरू जी ही थे क्योंकि नेहरू जी प्रधानमन्त्री थे, गांधी जी सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी थी और उनके खत्म होने का सबसे ज्यादा फायदा नेहरू परिवार ने ही उठाया। जिसके मोहन दास जी कटर विरोधी थे क्योंकि उन्होंने तो देश विभाजन के बाद ही कांग्रेस को समाप्त करने का आग्रह किया था जिसके नेहरू जी विरूद्ध थे अब जरा सोचो मोहन दास जी को किसने खत्म करवाया ?
क्या आपको याद है कि जब 1948 में पाकिस्तानी सेना ने कबाइली जिहादियों के वेश में भारत पर हमला किया तब भी नेहरू जी की भूमिका भारत विरोधी ही रही। यह वही नेहरू जी हैं जो पटेल जी के लाख समझाने के बावजूद, इस हमले का मुकाबला कर मुस्लिम जिहादी आक्रांताओं को मार भगाने के बजाए संयुक्तराष्ट्र में ले गए ।
यह वही नेहरू जी हैं जिन्होंने संयुक्तराष्ट्र की बैठक में पटेल जी के रोकने के बाबजूद, पाकिस्तान द्वारा कब्जे में लिए गए जम्मू-कश्मीर के हिस्से को बार-बार आजाद कश्मीर कहा जिसका खामियाजा भारत आज तक भुक्त रहा है। अब आप ही बताइए कि आज जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों द्वारा मारे गये या मारे जा रहे निर्दोष हिन्दुओं व शहीद हो रहे सैनिकों के कत्ल के लिए कांग्रेस व नेहरू जी को जिम्मेवार क्यों न ठहराया जाए ?
यह वही नेहरू जी हैं जिन्होंने हिन्दुविरोधीयों को खुश करने के लिए कहा था ‘ मैं दुर्घटनावश हिन्दू हूँ ’।
आपको यह जान कर हैरानी होगी कि पचास के दशक में आयुद्ध कारखानों में नेहरू जी का जोर हथियारों की जगह सौंदर्य-प्रसाधन बनवाने पर ज्यादा था । जिसके विरूद्ध तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी ने नेहरू जी को पत्र लिखकर चेताया भी था । पर नेहरू जी तो कबूतर की तरह आँखें बन्द किए हुए कहते फिर रहे थे, हमारे ऊपर कोई हमला नहीं कर सकता । वे कितने दूरदर्शी थे इसका पता 1962 में ही लग गया,जब हथियारों की कमी के कारण हमारे बहादुर सैनिकों को शहीद होना पड़ा और भारत युद्ध हार गया। हमारी मातृभूमि के एक बड़े हिस्से पर चीन ने कब्जा कर लिया।आओ उन शहीदों को हर पल प्रणाम करने का प्रण करें । काश नेहरू जी को पता होता कि शान्ति बनाए रखने का एकमात्र उपाय है युद्ध के लिए तैयार रहना।
Ø कांग्रेस का इस्लांम में व्याप्त बुराई यों का समर्थन करना व उन्हें बढ़ाबा देने का इतिहास कोई नया नहीं है यह मामला शुरू होता है तुर्की में चलाए जा रहे खिलाफत आन्दोलन के समर्थन से । बाद में ये कांग्रेस जन्म देती है जिन्ना जैसे नेताओं को, जो आगे चलकर पाकिस्तान की माँग उठाते हैं, कांग्रेस मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बनवाती है, इस दौरान जिहादी मुसलमान हिन्दुओं पर जगह-जगह हमला करते हैं, हिन्दू मारे जाते हैं परन्तु कांग्रेस यह सुनिश्चित करने का भरसक प्रयास करती है कि कोई मुस्लिम जिहादी आतंकी न मारा जाए ।
Ø मानो इतने हिन्दुओं का खून पी लेने के बाद भी इस कांग्रेस नामक डायन की प्यास न बुझी हो इसलिए इस डायन ने यह सुनिश्चित किया कि भारत के हिन्दुओं वाले हिस्से को हिन्दूराष्ट्र न बनने दिया जाए । इस कांग्रेस नामक डायन द्वरा यह भी सुनिश्चित किया गया कि भविष्य में हिन्दू सुखचैन से न जी सकें और कांग्रेस का वोट बैंक भी चलता रहे । अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए कांग्रेस ने भारत का विभाजन करवाने वाली, देशद्रोही जिहादी औंरगजेब और बाबर की संतानों को, यहां रख लिया ताकि हिन्दूराष्ट्र भारत में हिन्दुओं का खून पानी की तरह बहाया जाता रहे ।
Ø अब आप ही फैसला करें कि भारत में मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों द्वारा भारतीय संस्कृति के प्रतीक दर्जनों मन्दिरों पर किए जा रहे हमलों, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में हिन्दुओं को चुन चुन कर मार कर या हिन्दुबहुल क्षेत्रों में बम्बविस्फोट करके चलाए जा रहे हिन्दू मिटाओ अभियान के लिए कांग्रेस को जिम्मेवार क्यों न माना जाए ?
Ø अगर जिम्मेवार ठहराया जाए जो कि है तो क्यों न उसके विरूद्ध देशब्यापी गद्दार मिटाओ अभियान चलाकर उसी के बापू द्वारा 1947 में लिए गए कांग्रेस मिटाओ के निर्णय को आज 2009 से शुरू कर 2020 से पहले-पहले पूरा किया जाए ।
जिन दो नेताओं की क्राँतिविरोधी हिन्दुविरोधी मुस्लिमपरस्त षड्यन्त्रकारी सोच के चलते कई क्रांतिकारी शहीद होकर भी हिन्दूस्थानी जनता के अखण्ड भारत के स्वप्न को पूरा न कर सके । उन्हीं दो नेताओं में से कांग्रेसियों ने एक को अपना बापू व दूसरे को अपना चाचा बना लिया( उन दोनों की आत्मा से हम क्षमा मांगते हैं अगर उनकी कोई ऐसी मजबूरियां रहीं हों जो हम नहीं समझ पा रहे हैं । ये सबकुछ हम हरगिज न लिखते अगर मोहन दास जी की बात मान कर कांग्रेस को बिसर्जित कर दिया गया होता । तो न यह कांग्रेस इस तरह भगवान राम के अस्तित्व को नकारती, न देशद्रोह के मार्ग पर आगे बढ़ती। बेशक उनकी मजबूरियां रही हों पर आज की कांग्रेस की कोई मजबूरी नहीं है इसके काम स्पष्ट देशद्रोही और हिन्दुविरोधी हैं ये हम सब हिन्दू देख सकते हैं ) ।
फिर प्रचार के हर साधन व सरकारी तन्त्र का दुरूपयोग कर इन्हें सारे देश का बापू व चाचा प्रचारित करने का असफल प्रयत्न किया गया । यह देश को कांग्रेस की हिन्दुविरोधी-देशविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सोच का गुलाम बनाने जैसा था ।
प्रश्न ये भी उठता है कि जिस देश की सभ्यता संस्कृति इस दुनिया की सबसे प्राचीनतम हो व जिस देश के साधारण राजा अशोक महान जी व विक्रमादित्य जी को हुए 2000 वर्ष से अधिक हो चुके हों क्या ऐसे देश का बापू या चाचा 79 वर्ष का हो सकता है ?
नहीं ,न । वैसे भी जिस देश के आदर्श मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम हों, उस देश को किसी छदम राजनीतिज्ञ या मझे हुए विस्वासघाती राजनीतिज्ञ को- वो भी उसे जो कभी खुलकर भारतीय संस्कृति का सम्मान न कर पाया हो- ऐसा स्थान देने की आवश्यकता ही क्या है ?
अगर आपको ये बात समझ नहीं आ रही है तो आप जरा ईराक के बारे में सोचिए । सद्दाम हुसैन बेशक मुसलमान था पर जिहादी नहीं था। वेशक तानाशाह था पर हमारे नेताओं की तरह देशद्रोही नहीं था । उसने अपने देश के साथ कभी गद्दारी नहीं की । उसने जो भी किया देशहित में किया । मतलब वो पक्का देशभक्त मुसलमान था । उसने कभी विदेशी अंग्रेज ईसाईयों की गुलामी स्वीकार नहीं की । दूसरी तरफ ईराक के कुछ सद्दाम विरोधी गद्दारों ने अंग्रेज ईसाईयों के साथ मिलकर उसके विरूद्ध देश हित के विपरीत काम किया । परिणाम ईराक में देशभक्त सद्दाम को फाँसी चढ़ाकर अंग्रेजों ने सत्ता इन गद्दारों को सौंप दी । यही सब कुछ अफगानिस्तान में किया गया वहां के देशभक्त शासक को हटाने के लिए तालिबान को पाला गया फिर तालिबान को हटाकर वहां पर अंग्रेज ईसाईयों ने ईसाईयों के बफादार व्यक्ति को शासक बना दिया ।
यही सबकुछ भारत में घटा था यहां भी सत्ता नेताजी सुभाषचन्द्र वोस, पटेल जी या वीर साबरकर जैसे किसी देशभक्त को न सौंपकर अंग्रेज ईसाईयों के प्रति बफादार हिन्दुविरोधी को सौंपी गई। जिसका परिणाम यह हुआ कि मैकाले द्वारा बनाई गई हिन्दुविरोधी ईसाई समर्थक शिक्षा नीति व कानून आज भी चालू है । आज भी भारत का नाम भारतीयों द्वारा दिया गया भारत नहीं, बल्कि अंग्रेज ईसाईयों द्वरा दिया गया गुलामी का प्रतीक इंडिया प्रचलित है ।
आज भी भारत में किसी ईसाई या मुस्लिम के मरने पर तो जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह मातम मनाता है पर हिन्दू के शहीद होने पर इस गिरोह द्वारा खुशियां मनाइ जाती हैं । ईसाई पोप के मरने पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है। साधु सन्तों को यातनांयें दी जाती हैं, अपमानित किया जाता है। देश में हजारों हिन्दुओं का खून बहाने वाले जिहादियों को बचाने के लिए कठोर कानून का विरोध किया जाता है और जिहादियों के हमलों से बचाने के लिए हिन्दुओं को जागरूक कर संगठित करने वाली देशभक्त बीरांगना साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, उसके देशभक्त सहयोगियों व सेना के अधिकारीयों को जेल में डाला जाता है । आतंकवादी कहकर अपमानित करने का प्रयास किया जाता है । जबकि आँध्रप्रदेश में हिन्दुबहुल क्षेत्रों में बम्बविस्फोट के आरोपियों को जेल से छोड़कर ईसाई कांग्रेसी मुख्यमन्त्री द्वारा तोहफे में आटोरिक्सा दिए जाते हैं !
§ हमें बड़ी हैरानी होती है जब हम किसी को 15 अगस्त 1947 को भारत का स्वतन्त्रता दिवस कहते हुए सुनते हैं । क्योंकि सच्चाई यह है कि इस दिन भारत को तीन टुकड़ों मे बांटा गया था, दो मुसलमानों को लिए (वर्तमान पाकिस्तान व बांगलादेश), एक हिन्दुओं के लिए (वर्तमान भारत) । पाकिस्तान व बांगलादेश में जो हिन्दू रह गए थे वो आज गिने-चुने रह गए हैं बाकी या तो इस्लाम अपनाने पर बाध्य कर दिय गए,भगा दिए गये या जिहादियों द्वारा जन्नत पाने के लिए हलाल कर दिए गये व किए जा रहे हैं लेकिन भारत में जो मुसलमान रह गए थे वो आज 300% से भी अधिक हो गए हैं और मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों को शरण, सहायता व सहयोग देकर हिन्दुओं का कत्ल करवा रहे हैं।
§ क्योंकि पाकिस्तान व बांगलादेश की तरह भारत में भी शासन हिन्दुविरोधी जिहाद समर्थकों ने किया और हिन्दुविरोधी कानून बनाकर हिन्दुओं को अपूर्णीय क्षति पहुँचाई ।आज भारत में ही जिहादी आतंकवाद जारी है देश के विभिन्न हिस्सों में जिहादियों द्वारा हिन्दुबहुल क्षेत्रों,मन्दिरों ,सेना ब पुलिस की गाड़ियों व कैंपों में बम्बविस्फोट कर हजारों हिन्दू मारे जा चुके हैं। इन मुस्लिम जिहादियों द्वारा इतने निर्दोश हिन्दुओं का कत्ल कर देने के बावजूद जिहाद समर्थक सैकुलर हिन्दुविरोधी देशद्रोही गिरोह का जिहादियों को समर्थन आज भी जारी है ।
अल्पसंख्यकवाद के बहाने देशद्रोह
इस देशद्रोही हिन्दुविरोधी गद्दारों के सेकुलर गिरोह द्वारा अल्पसंख्यकवाद व धर्मनिर्पेक्षता जैसे प्रावधानों का उपयोग जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों के षड्यन्त्रों को आगे बढ़ाने व हिन्दूविरोध के लिए इस हद तक किया जा रहा है कि अब देश की आम राष्ट्रभक्त हिन्दू जनता में यह धारणा बन चुकी है कि अल्पसंख्यकवाद व धर्मनिर्पेक्षता जैसे प्रावधान गद्दारी व देशद्रोह के ही पर्यायवाची हैं ।
देश को बचाने के लिए इन दोनों ही प्रावधानों को यथाशीघ्र समाप्त किया जाना परम आवश्यक है नहीं तो ये देशद्रोही हिन्दुविरोधी गद्दारों का सेकुलर गिरोह अल्पसंख्यकवाद व धर्मनिर्पेक्षता की आड़ में भारतीय सभ्यता व संस्कृति को तबाह कर, न जाने देश के कितने टुकड़े और करवा देगा । जिसका परिणाम हिन्दुओं को यहूदीयों की तरह दर-दर की ठोकरें खानें या फिर मरने पर मजबूर कर देगा । क्योंकि 9वीं शत्ताब्दी में अफगानिस्तान व 20वीं शताब्दी में पाकिस्तान बांगलादेश बनने पर जो हिन्दू जिहादियों के हमलों से बच निकले वो भागकर भारत आ गये पर अगर वर्तमान भारत भी न रहा तो कहाँ जाँएगे ?
लोग कहते हैं युनान मिश्र रोमां सब मिट गये।
कुछ बात है के हस्ती मिटती नहीं हमारी।।
पर यह भी सत्य है कि
उस कौम का इतिहास नहीं होता।
जिसको मिटने का एहसास नहीं होता।।
संभल कर एकजुट होकर कदम उठाओ ए हिन्दूओ ।।।
बर्ना तुम्महारी दास्तान तक न होगी दास्तानों में।।।।
आओ जरा भारत में अल्पसंख्यक बनाए गए घटकों का वही खाता खंगाले। वास्तव में अल्पसंख्यक आयोग का गठन ही मुसलमानों को विशेषाधिकार देने के उद्देश्य से किया गया था । ये मुसलमान ही इस आयोग के प्रमुख नीति-निर्धारक हैं । ये मुसलमान वही है जिनके भले के लिए 1947 में संप्रदाय के आधार पर अखण्ड भारत का विभाजन करवाकर वर्तमान पाकिस्तान बांगलादेश बनाए गये जो कि मुसलमानों के लिए हैं ।
o पाकिस्तान, बांगलादेश बनाने का कारण भी कोई दबा छुपा नहीं है सबको जानकारी है कि इस्लाम एक तरफ सूफी सन्तों को जन्म देता है जो भाईचारे की बात कर, अब्दुल हमीद को जन्म देते हैं । पर उससे हजारों गुना ज्यादा इस्लाम के नाम पर ऐसी राक्षसी प्रबृतियों का जन्म होता है जो इस्लाम के सिबा और किसी विश्वास के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करतीं। यहाँ तक जो मुस्लिम होने के बावजूद कत्लोगारद का विरोध या निन्दा करते हैं उन्हें भी काफिर कहकर मौत के घाट उतारने की पैरवी की जाती है । इसी प्रबृति की वजह से 1947 में जिहादियों ने हिन्दुओं का खून बहाकर इस देश को अपनी मातृभूमि मानने व हिन्दुओं के साथ रहने से मना कर दिया ।
o आज लगभग फिर वही स्थिति देश में बन चुकी है मुसलमानों के जिहादी प्रतिनिधियों ने वन्देमातरम् का विरोध कर भारत को अपनी मातृभूमि मानने से मना कर दिया है। सारे देश में हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्ब विस्फोट कर हिन्दुओं का खून बहाकर अपने जिहादी अल्लाह को पिलाना शुरू कर दिया है ताकि बदले में ये आदमखोर जिहादी अल्लाह इनको जन्नत दे दे ।
हमें तो समझ ये नहीं आता कि जिस आदमखोर अल्लाह का पेट पूरे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांगलादेश, कश्मीरघाटी , गोधरा में रेल के डिब्बे व आसाम के इतने सारे हिन्दुओं का खून पीकर नहीं भरा क्या उसका पेट अब मुठी भर बचे हिन्दुओं के खून से भर पाएगा। नहीं ,ऐसा सम्भव नहीं, इसी लिए दुनियाभर के विभिन्न गैर मुस्लिमों व जहां गैर मुस्लिम न मिलें वहां पर उदार मुस्लिमों के खून से भी काम चलाना पड़ रहा है।
o इस जिहादी अल्लाह को तो मानो शांतिप्रिय हिन्दुओं के शिकार का चस्का ही लग गया है क्योंकि इस जिहादी अल्लाह ने मुहम्मदबिन कासिम के रूप में भारत में प्रवेश किया और हिन्दुओं का खून पीने लगा । उसके बाद मुहम्मदगौरी, औरंगजेब व बाबर के वक्त तो ये जिहादी अल्लाह मानो पानी की जगह भी हिन्दुओं का खून ही पीने लगा।
फिर महाराणा प्रताप,छत्रपति शिवाजी,महारानी लक्ष्मीबाई, वीर तांत्यटोपे, गुरू तेगबहादुर जी, उनके बेटे श्री गुरूगोविन्द सिंह जी व उनके चार बहादुर बेटों ने इस आदमखोर जिहादी अल्लाह के दान्त तोड़कर भारत से हिन्दुओं के खून के प्यासे आदमखोर जिहादी अल्लाह को मार भगाने की बहुत कोशिश की पर अफसोस हिन्दुओं के सैकुलर गिरोह की कबूतर की तरह बन्द आँख आज तक न खुली। कभी जयचन्द पैदा हो गये तो कभी जयचन्द के बंशज सैकुलर नेता । जो हमेशा इस आदमखोर जिहादी अल्लाह व उसके द्वारा प्रेरित जिहादियों के समर्थन में खड़े नजर आए । बाकी रणबांकुरों व वीरांगनाओं की बात तो छोड़ो इन बेशर्म धर्मनिर्पेक्षतावादियों को श्री गुरूगोविन्द सिंह जी के चार-चार बेटों के बहे लहु की भी लाज न आई ।
अब सोचने की बात ये है कि जो हिन्दुओं के खून का प्यासा है वो इनसान है या शैतानी राक्षस ? स्पष्ट रूप से शैतानी राक्षस है। उसका बंशज कहलवाने में फक्र महसूस करने वाले मुस्लिम जिहादी, सैकुलर नेता व मीडिया जो हर हाल में उसका गुणगान व समर्थन करके हिन्दुओं को मरवाने के लिए अनुकूल महौल बनाकर व अफवाहें फैलाकर हिन्दुओं को आपस में लड़बाकर, मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकारकर व साध्वी प्रज्ञा सिंह जैसी बीरांगनाओं व उसके नेतृत्व में इस जिहादी अल्लाह को मिटाने के लिए संघर्षरत जवानों को जेलों में डलवाकर बदनाम करने के लिए अफवाहें फैलाकर इस आदमखोर जिहादी अल्लाह को खुश रखने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। क्या वे हिन्दुओं के खून के प्यासे आदमखोर अल्लाह से कम हैं ?
यहाँ पर यह बात गौर करने वाली है कि इस्लाम में दो तरह के अल्लाह हैं । एक वे जिसको आम देशभक्त मुसलमान अल्लाह कहता है जो शान्ति और भाईचारे की बात करता है, सूफी सन्तों को जन्म देता है, देशभक्तों ,नमक हलालों को जन्म देता है ।
दूसरा आदमखोर जिहादी अल्लाह जिसे जिहादी अल्लाह या शैतान कहते हैं जो जिहादियों को जन्म देता है जिसकी शैतानी पुस्तक में लिखा है कि गैर जिहादियों को हलाल करने से जन्नत नसीब होती है । देशद्रोह, नमक हरामी व गद्दारी जिहादियों का पहला कर्तव्य है।
यही पुस्तक 7 वीं शत्ताब्दी से आज 21 वीं शताब्दी तक भारत को लहूलुहान करती आ रही है। सुलतानों, मुगलों, औरंगजेब , बाबर, अफजल, आतिफ, अबुबशर जैसे सैतानों को जन्म देती आ रही है और हिन्दुओं का खून बहाती आ रही है भारत के टुकड़े करवाती आ रही है।
अगर मानवता भाईचारे और शांति के प्रतीक, अंतिम सांसे ले रहे, मेरे प्यारे भारत को बचाना है तो मेरे प्यारे देशभक्त नमकहलाल भारतीयों को जात-पात, ऊंचनीच, छुआछूत ,संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद ,पार्टीवाद सब भूलाकर एकजुट होकर गुरू गुरूगोविन्द सिंह जी के मार्ग पर चलकर नमक का कर्ज चुकाकर इस आदमखोर जिहादी अल्लाह, जिहादियों व उसके कट्टर समर्थक सैकुलर गद्दारों का नामोनिशान मिटाना है ।
आज सुबह (07नवम्बर2008) हमने ये पिछला पेज लिखा और आज ही जिहादी अल्लाह के वंशज मुस्लिम जिहादियों और शांतिप्रिय मुसलमानों के बीच संघर्ष शुरु हो गया। ओसामाबिन लादेन के समर्थक मुस्लिम जिहादियों के विरूद्ध अल्लाह के वंशजों ने फतबा जारी कर दिया कि ओसामा की सोच का प्रचार प्रसार इस्लाम के विरूद्ध है ।
अल्लाह के बन्दों ने दो कदम आगे बढकर इस आदमखोर जिहादी अल्लाह के बंशज जाकिर हुसैन को व इस जिहादी द्वारा चलाए जा रहे टी वी चैनल(पीस) को मिल रहे बेशुमार पैसे की जांच करवाने की भी मांग की । भारतीयों को अमन चैन के प्रतीक अल्लाह व खूनखराबे की जड़ इस आदमखोर जिहादी अल्लाह के अन्तर को यथाशीध्र समझना होगा व अल्लाह के बन्दों का साथ देकर इस आदमखोर जिहादी अल्लाह को मिटाना होगा। नहीं तो ये सब भारतीयों को हिंसा की आग में जलाकर राख कर देगा।
आपको यह जान कर हैरत होगी कि जिस देशबिरोधी चैनल(एन डी टी वी) पर ये सब दिखाया जा रहा था उस चैनल ने अल्लाह के बन्दों का पक्ष लेने के बजाए आदमखोर जिहादी अल्लाह के जिहादी जाकिर हुसैन का पक्ष लिया ।
सोचने वाला विषय यह भी है कि जिस हिन्दुविरोधी-देशविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सरकार ने साध्वी व उसके देश भक्त सैनिक सहयोगियों को बिना सबूत जेल में डालने में इतनी जल्दबाजी दिखाई क्या वो सरकार इस जिहादी नासिर हुसैन के कुकर्मों को रोकने के लिए कोई कदम उठा पायेगी ?
हम वर्तमान भारत में अल्पसंख्यक आयोग की प्रासंगिकता पर बात कर रहे थे ये भारत अखण्ड भारत का वो हिस्सा है जो 1947 में अखण्ड भारत को विभाजित कर मुसलमानों के लिए दिए गये दो हिस्सों के बाद बचा है। स्वाभाविक व न्यायिक रूप से यह हिस्सा इस देश के मूल निबासियों हिन्दुओं का है जिसका सही नाम हिन्दूराष्ट्र भारत ही है । जिस किसी को भी इस नाम व हिन्दुओं के अधिकार पर आपत्ति है उसे प्राकृतिक न्याय के हिसाब से इस देवभूमि भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है । जो भी इस देश में रह रहा है उसे इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना होगा कि हिन्दू संस्कृति और सभ्यता ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता है जो खुद को हिन्दू नहीं मानता वो भारतीय कैसे हो सकता है और जो भारतीय नहीं वो यहां का नागरिक नहीं आगंतुक है उसे आज नहीं तो कल हमारी मातृभूमि को छोड़ना होगा ।
अब विचार करने वाली बात यह है कि जिन मुसलमानों को हिन्दू होने पर आपत्ति थी उनके लिए अखण्ड भारत को तोड़कर पाकिस्तान ,वंगलादेश बनवा दिए गए। जो भारत में रह गए वो सभी हिन्दू हैं फिर अल्पसंख्यक आयोग की क्या जरूरत ? अगर वो खुद को हिन्दू नहीं मानते फिर यहां रहे किस लिए और अभी भी क्या बिगड़ा है सारी सीमांयें खुली हैं, बसें जा रही हैं, जब वहां से इतने सारे घुसपैठिए-जिहादी आ रहे हैं तो इनको जाने से कौन रोकेगा ?
वैसे आज जागरूक हिन्दू एक साधारण सा प्रश्न पूछता है कि क और ख दो सगे भाई हैं क और ख के माता पिता के सिर्फ दो ही बच्चे हैं क लड़-झगड़ कर माता पिता के रहते ही अपना हिस्सा अलग करवा लेता है अब माता पिता की मृत्यु होने पर बाकी का हिस्सा किस्का है ? सीधा सा उत्तर है ख का ।
वैसे हिन्दू द्वारा ये प्रश्न पूछना भी उसकी उदारता का ही प्रतीक है क्योंकि जिन जिहादीयों से ये प्रश्न पूछा जा रहा है वो तो आक्राँता है भारत उसका मूल निबास नहीं बल्कि उपनिबेस था जिसका विभाजन करवाकर उसने तीन(अफगानिस्तान,पाकिस्तान,वंगलादेश) हिस्सों को हमेसा के लिए अपना उपनिवेश बना लिया ।अब इन जिहादीयों को चाहिए कि अपने उपनिवेश में रहकर जो मरजी करें और वर्तमान भारत को न छेड़ें क्योंकि अगर जागरूक हिन्दुओं व उनके संगठनों की तरह कहीं गलती से भी इस हिन्दुविरोधी देश विरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सैकुलर गिरोह में शामिल हिन्दुओं को भी अगर भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विरोधी आदमखोर जिहादी अल्लाह व जिहादियों की असलिएत समझ में आ गई तो भारत तो भारत बाकी के तीन हिस्से भी इन जिहादियों को खाली करने पड़ सकते हैं ।
अब आप ही फैसला करो कि जिस इस्लाम ने अखण्ड भारत पर हमला कर कब्जा कर लिया, हिन्दुओं पर बेपनाह जुलम ढाये, संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने का हर सम्भव प्रयास किया, शांति और भाईचारे के प्रतीक हजारों मन्दिर तोड़े, अन्त में देश का विभाजन करवाकर उसके बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया । क्या वह इस्लाम उस अखण्ड भारत के बचे हुए छोटे से हिस्से वर्तमान भारत में अल्पसंख्यक का दर्जा पाने का हकदार है ?
o अब रही बात उन मुसलमानों की जो अल्लाह को तो मानते हैं पर आदमखोर जिहादी अल्लाह को नहीं मानते । ऐसे शांतिप्रिय देशभक्त नमकहलाल मुसलमान जो इस देश को अपनी मातृभूमि मानते हैं को अल्पसंख्यक कहना उनका अपमान है क्योंकि अपनी मातृभूमि में कोई अल्पसंख्यक कैसे हो सकता है। अब आप ही बताओ अल्पसंख्यक आयोग की क्या जरूरत है ?
आओ अब अल्पसंख्यक आयोग के दूसरे घटक ईसाईयों की बात करें । यह वही संप्रदाय है जो 16 वीं सदी में ब्यापार के बहाने भारत पर कब्जा जमाकर बैठ गया और 300 वर्ष तक इन ईसाईयों ने इस देश को जमकर लूटा । यहां के मूल निबासी हिन्दुओं व कई वर्षों से कब्जा जमाकर बैठे मुसलमानों पर इन ईसाईयों ने जी भरकर जुल्म ढाए । ये तो भला हो शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरू, शहीद सुखदेव, शहीद चन्दरशेखर आजाद, शहीद बाल गंगाधर तिलक , शहीद लाला लाजपतराय, शहीद विपन चन्द्र पाल जैसे अनगिनत ज्ञात और अज्ञात क्रांतिकारियों का जिनके बलिदानों ने भारतीयों के अन्दर इन अंग्रेजों को भगाने की ज्वाला को हमेसा जगाए रखा और अन्त में नेताजी सुभाष चन्द्रवोस की आजाद हिन्द सेना के डर से इन अंग्रेज ईसाईयों को भारत छोड़ कर भागना पड़ा।
क्या कहें उस नेहरू जी को जिसने दुष्ट ईसाई अफसरों व उनकी घरबालियों की दोस्ती में फंस कर उनकी नजायज बातों को मान कर देश को एक ऐसी हिन्दुविरोधी दिशा देने का अपराध किया जो आज देशद्रोहियों व गद्दारों को भारतीय संस्कृति व सभ्यता के रक्षक देशभक्त हिन्दुओं और उनके संगठनों पर हर तरह से हमला करने में सहयोग दे रही है । अब आप खुद फैसला करो कि ये ईसाई समुदाय जो भारत की बरबादी के लिए हर तरह से जिम्मेवार है क्या अल्पसंख्यक का दर्जा पाने के काबिल है ? नहीं न ।
वैसे भी जिस ईसाई संप्रदाय से सबन्धित अंग्रेज इटालिएन एंटोनियो माइनो मारियो सारी की सारी भारत सरकार को गुलाम बनाकर बैठी हो व जिसके निर्देश पर गुलाम सरकार देशद्रोह के रास्ते पर चलते हुए देशभक्त साधुसंतो व सैनिकों को जेल में डाल रही हो, भारतीय संस्कृति व सभ्यता के आधार स्तम्भ मर्यादा पुर्षोतम भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकार रही हो उस संप्रदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देना कैसे उपयुक्त हो सकता है ?
मेरे प्यारे नासमझ हिन्दूओ क्या आपने कभी सोचा कि जिनके आप गुलाम रहे, जिन्होंने असहनीय यातनांयें देकर हिन्दुओं को सताया, हिन्दुओं को हर अधिकार से वंचित किया, आज वो ही इन गद्दार हिन्दुविरोधी नेताओं द्वारा अल्पसंख्यक का दर्जा देकर विशेषाधिकार के अधिकारी कैसे वना दिए गए।
जिस मजहब का संचालन आज भी भारत के बजाए इटली के रोम से होता हो ,जिस संप्रदाय के अनुयायी हिन्दुओं के धार्मिक गुरू व समाज सेवक स्वामी लक्ष्मणानन्द जी का कत्ल करने का दुस्साहस कर सकते हों । इसके परिणामस्वरूप पड़ी मार पर संसार के अधिकतर ईसाई देशों में हिन्दुओं के विरूद्ध महौल बनाने व भारत विरोधी प्रदर्शन करवाने में समर्थ हों उन्हें अल्पसंख्यक दर्जे की क्या जरूरत ?
देश को बचाने के लिए इन दोनों ही प्रावधानों को यथाशीघ्र समाप्त किया जाना परम आवश्यक है नहीं तो ये देशद्रोही हिन्दुविरोधी गद्दारों का सेकुलर गिरोह अल्पसंख्यकवाद व धर्मनिर्पेक्षता की आड़ में भारतीय सभ्यता व संस्कृति को तबाह कर, न जाने देश के कितने टुकड़े और करवा देगा । जिसका परिणाम हिन्दुओं को यहूदीयों की तरह दर-दर की ठोकरें खानें या फिर मरने पर मजबूर कर देगा । क्योंकि 9वीं शत्ताब्दी में अफगानिस्तान व 20वीं शताब्दी में पाकिस्तान बांगलादेश बनने पर जो हिन्दू जिहादियों के हमलों से बच निकले वो भागकर भारत आ गये पर अगर वर्तमान भारत भी न रहा तो कहाँ जाँएगे ?
लोग कहते हैं युनान मिश्र रोमां सब मिट गये।
कुछ बात है के हस्ती मिटती नहीं हमारी।।
पर यह भी सत्य है कि
उस कौम का इतिहास नहीं होता।
जिसको मिटने का एहसास नहीं होता।।
संभल कर एकजुट होकर कदम उठाओ ए हिन्दूओ ।।।
बर्ना तुम्महारी दास्तान तक न होगी दास्तानों में।।।।
आओ जरा भारत में अल्पसंख्यक बनाए गए घटकों का वही खाता खंगाले। वास्तव में अल्पसंख्यक आयोग का गठन ही मुसलमानों को विशेषाधिकार देने के उद्देश्य से किया गया था । ये मुसलमान ही इस आयोग के प्रमुख नीति-निर्धारक हैं । ये मुसलमान वही है जिनके भले के लिए 1947 में संप्रदाय के आधार पर अखण्ड भारत का विभाजन करवाकर वर्तमान पाकिस्तान बांगलादेश बनाए गये जो कि मुसलमानों के लिए हैं ।
o पाकिस्तान, बांगलादेश बनाने का कारण भी कोई दबा छुपा नहीं है सबको जानकारी है कि इस्लाम एक तरफ सूफी सन्तों को जन्म देता है जो भाईचारे की बात कर, अब्दुल हमीद को जन्म देते हैं । पर उससे हजारों गुना ज्यादा इस्लाम के नाम पर ऐसी राक्षसी प्रबृतियों का जन्म होता है जो इस्लाम के सिबा और किसी विश्वास के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करतीं। यहाँ तक जो मुस्लिम होने के बावजूद कत्लोगारद का विरोध या निन्दा करते हैं उन्हें भी काफिर कहकर मौत के घाट उतारने की पैरवी की जाती है । इसी प्रबृति की वजह से 1947 में जिहादियों ने हिन्दुओं का खून बहाकर इस देश को अपनी मातृभूमि मानने व हिन्दुओं के साथ रहने से मना कर दिया ।
o आज लगभग फिर वही स्थिति देश में बन चुकी है मुसलमानों के जिहादी प्रतिनिधियों ने वन्देमातरम् का विरोध कर भारत को अपनी मातृभूमि मानने से मना कर दिया है। सारे देश में हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्ब विस्फोट कर हिन्दुओं का खून बहाकर अपने जिहादी अल्लाह को पिलाना शुरू कर दिया है ताकि बदले में ये आदमखोर जिहादी अल्लाह इनको जन्नत दे दे ।
हमें तो समझ ये नहीं आता कि जिस आदमखोर अल्लाह का पेट पूरे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांगलादेश, कश्मीरघाटी , गोधरा में रेल के डिब्बे व आसाम के इतने सारे हिन्दुओं का खून पीकर नहीं भरा क्या उसका पेट अब मुठी भर बचे हिन्दुओं के खून से भर पाएगा। नहीं ,ऐसा सम्भव नहीं, इसी लिए दुनियाभर के विभिन्न गैर मुस्लिमों व जहां गैर मुस्लिम न मिलें वहां पर उदार मुस्लिमों के खून से भी काम चलाना पड़ रहा है।
o इस जिहादी अल्लाह को तो मानो शांतिप्रिय हिन्दुओं के शिकार का चस्का ही लग गया है क्योंकि इस जिहादी अल्लाह ने मुहम्मदबिन कासिम के रूप में भारत में प्रवेश किया और हिन्दुओं का खून पीने लगा । उसके बाद मुहम्मदगौरी, औरंगजेब व बाबर के वक्त तो ये जिहादी अल्लाह मानो पानी की जगह भी हिन्दुओं का खून ही पीने लगा।
फिर महाराणा प्रताप,छत्रपति शिवाजी,महारानी लक्ष्मीबाई, वीर तांत्यटोपे, गुरू तेगबहादुर जी, उनके बेटे श्री गुरूगोविन्द सिंह जी व उनके चार बहादुर बेटों ने इस आदमखोर जिहादी अल्लाह के दान्त तोड़कर भारत से हिन्दुओं के खून के प्यासे आदमखोर जिहादी अल्लाह को मार भगाने की बहुत कोशिश की पर अफसोस हिन्दुओं के सैकुलर गिरोह की कबूतर की तरह बन्द आँख आज तक न खुली। कभी जयचन्द पैदा हो गये तो कभी जयचन्द के बंशज सैकुलर नेता । जो हमेशा इस आदमखोर जिहादी अल्लाह व उसके द्वारा प्रेरित जिहादियों के समर्थन में खड़े नजर आए । बाकी रणबांकुरों व वीरांगनाओं की बात तो छोड़ो इन बेशर्म धर्मनिर्पेक्षतावादियों को श्री गुरूगोविन्द सिंह जी के चार-चार बेटों के बहे लहु की भी लाज न आई ।
अब सोचने की बात ये है कि जो हिन्दुओं के खून का प्यासा है वो इनसान है या शैतानी राक्षस ? स्पष्ट रूप से शैतानी राक्षस है। उसका बंशज कहलवाने में फक्र महसूस करने वाले मुस्लिम जिहादी, सैकुलर नेता व मीडिया जो हर हाल में उसका गुणगान व समर्थन करके हिन्दुओं को मरवाने के लिए अनुकूल महौल बनाकर व अफवाहें फैलाकर हिन्दुओं को आपस में लड़बाकर, मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकारकर व साध्वी प्रज्ञा सिंह जैसी बीरांगनाओं व उसके नेतृत्व में इस जिहादी अल्लाह को मिटाने के लिए संघर्षरत जवानों को जेलों में डलवाकर बदनाम करने के लिए अफवाहें फैलाकर इस आदमखोर जिहादी अल्लाह को खुश रखने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। क्या वे हिन्दुओं के खून के प्यासे आदमखोर अल्लाह से कम हैं ?
यहाँ पर यह बात गौर करने वाली है कि इस्लाम में दो तरह के अल्लाह हैं । एक वे जिसको आम देशभक्त मुसलमान अल्लाह कहता है जो शान्ति और भाईचारे की बात करता है, सूफी सन्तों को जन्म देता है, देशभक्तों ,नमक हलालों को जन्म देता है ।
दूसरा आदमखोर जिहादी अल्लाह जिसे जिहादी अल्लाह या शैतान कहते हैं जो जिहादियों को जन्म देता है जिसकी शैतानी पुस्तक में लिखा है कि गैर जिहादियों को हलाल करने से जन्नत नसीब होती है । देशद्रोह, नमक हरामी व गद्दारी जिहादियों का पहला कर्तव्य है।
यही पुस्तक 7 वीं शत्ताब्दी से आज 21 वीं शताब्दी तक भारत को लहूलुहान करती आ रही है। सुलतानों, मुगलों, औरंगजेब , बाबर, अफजल, आतिफ, अबुबशर जैसे सैतानों को जन्म देती आ रही है और हिन्दुओं का खून बहाती आ रही है भारत के टुकड़े करवाती आ रही है।
अगर मानवता भाईचारे और शांति के प्रतीक, अंतिम सांसे ले रहे, मेरे प्यारे भारत को बचाना है तो मेरे प्यारे देशभक्त नमकहलाल भारतीयों को जात-पात, ऊंचनीच, छुआछूत ,संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद ,पार्टीवाद सब भूलाकर एकजुट होकर गुरू गुरूगोविन्द सिंह जी के मार्ग पर चलकर नमक का कर्ज चुकाकर इस आदमखोर जिहादी अल्लाह, जिहादियों व उसके कट्टर समर्थक सैकुलर गद्दारों का नामोनिशान मिटाना है ।
आज सुबह (07नवम्बर2008) हमने ये पिछला पेज लिखा और आज ही जिहादी अल्लाह के वंशज मुस्लिम जिहादियों और शांतिप्रिय मुसलमानों के बीच संघर्ष शुरु हो गया। ओसामाबिन लादेन के समर्थक मुस्लिम जिहादियों के विरूद्ध अल्लाह के वंशजों ने फतबा जारी कर दिया कि ओसामा की सोच का प्रचार प्रसार इस्लाम के विरूद्ध है ।
अल्लाह के बन्दों ने दो कदम आगे बढकर इस आदमखोर जिहादी अल्लाह के बंशज जाकिर हुसैन को व इस जिहादी द्वारा चलाए जा रहे टी वी चैनल(पीस) को मिल रहे बेशुमार पैसे की जांच करवाने की भी मांग की । भारतीयों को अमन चैन के प्रतीक अल्लाह व खूनखराबे की जड़ इस आदमखोर जिहादी अल्लाह के अन्तर को यथाशीध्र समझना होगा व अल्लाह के बन्दों का साथ देकर इस आदमखोर जिहादी अल्लाह को मिटाना होगा। नहीं तो ये सब भारतीयों को हिंसा की आग में जलाकर राख कर देगा।
आपको यह जान कर हैरत होगी कि जिस देशबिरोधी चैनल(एन डी टी वी) पर ये सब दिखाया जा रहा था उस चैनल ने अल्लाह के बन्दों का पक्ष लेने के बजाए आदमखोर जिहादी अल्लाह के जिहादी जाकिर हुसैन का पक्ष लिया ।
सोचने वाला विषय यह भी है कि जिस हिन्दुविरोधी-देशविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सरकार ने साध्वी व उसके देश भक्त सैनिक सहयोगियों को बिना सबूत जेल में डालने में इतनी जल्दबाजी दिखाई क्या वो सरकार इस जिहादी नासिर हुसैन के कुकर्मों को रोकने के लिए कोई कदम उठा पायेगी ?
हम वर्तमान भारत में अल्पसंख्यक आयोग की प्रासंगिकता पर बात कर रहे थे ये भारत अखण्ड भारत का वो हिस्सा है जो 1947 में अखण्ड भारत को विभाजित कर मुसलमानों के लिए दिए गये दो हिस्सों के बाद बचा है। स्वाभाविक व न्यायिक रूप से यह हिस्सा इस देश के मूल निबासियों हिन्दुओं का है जिसका सही नाम हिन्दूराष्ट्र भारत ही है । जिस किसी को भी इस नाम व हिन्दुओं के अधिकार पर आपत्ति है उसे प्राकृतिक न्याय के हिसाब से इस देवभूमि भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है । जो भी इस देश में रह रहा है उसे इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना होगा कि हिन्दू संस्कृति और सभ्यता ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता है जो खुद को हिन्दू नहीं मानता वो भारतीय कैसे हो सकता है और जो भारतीय नहीं वो यहां का नागरिक नहीं आगंतुक है उसे आज नहीं तो कल हमारी मातृभूमि को छोड़ना होगा ।
अब विचार करने वाली बात यह है कि जिन मुसलमानों को हिन्दू होने पर आपत्ति थी उनके लिए अखण्ड भारत को तोड़कर पाकिस्तान ,वंगलादेश बनवा दिए गए। जो भारत में रह गए वो सभी हिन्दू हैं फिर अल्पसंख्यक आयोग की क्या जरूरत ? अगर वो खुद को हिन्दू नहीं मानते फिर यहां रहे किस लिए और अभी भी क्या बिगड़ा है सारी सीमांयें खुली हैं, बसें जा रही हैं, जब वहां से इतने सारे घुसपैठिए-जिहादी आ रहे हैं तो इनको जाने से कौन रोकेगा ?
वैसे आज जागरूक हिन्दू एक साधारण सा प्रश्न पूछता है कि क और ख दो सगे भाई हैं क और ख के माता पिता के सिर्फ दो ही बच्चे हैं क लड़-झगड़ कर माता पिता के रहते ही अपना हिस्सा अलग करवा लेता है अब माता पिता की मृत्यु होने पर बाकी का हिस्सा किस्का है ? सीधा सा उत्तर है ख का ।
वैसे हिन्दू द्वारा ये प्रश्न पूछना भी उसकी उदारता का ही प्रतीक है क्योंकि जिन जिहादीयों से ये प्रश्न पूछा जा रहा है वो तो आक्राँता है भारत उसका मूल निबास नहीं बल्कि उपनिबेस था जिसका विभाजन करवाकर उसने तीन(अफगानिस्तान,पाकिस्तान,वंगलादेश) हिस्सों को हमेसा के लिए अपना उपनिवेश बना लिया ।अब इन जिहादीयों को चाहिए कि अपने उपनिवेश में रहकर जो मरजी करें और वर्तमान भारत को न छेड़ें क्योंकि अगर जागरूक हिन्दुओं व उनके संगठनों की तरह कहीं गलती से भी इस हिन्दुविरोधी देश विरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सैकुलर गिरोह में शामिल हिन्दुओं को भी अगर भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विरोधी आदमखोर जिहादी अल्लाह व जिहादियों की असलिएत समझ में आ गई तो भारत तो भारत बाकी के तीन हिस्से भी इन जिहादियों को खाली करने पड़ सकते हैं ।
अब आप ही फैसला करो कि जिस इस्लाम ने अखण्ड भारत पर हमला कर कब्जा कर लिया, हिन्दुओं पर बेपनाह जुलम ढाये, संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने का हर सम्भव प्रयास किया, शांति और भाईचारे के प्रतीक हजारों मन्दिर तोड़े, अन्त में देश का विभाजन करवाकर उसके बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया । क्या वह इस्लाम उस अखण्ड भारत के बचे हुए छोटे से हिस्से वर्तमान भारत में अल्पसंख्यक का दर्जा पाने का हकदार है ?
o अब रही बात उन मुसलमानों की जो अल्लाह को तो मानते हैं पर आदमखोर जिहादी अल्लाह को नहीं मानते । ऐसे शांतिप्रिय देशभक्त नमकहलाल मुसलमान जो इस देश को अपनी मातृभूमि मानते हैं को अल्पसंख्यक कहना उनका अपमान है क्योंकि अपनी मातृभूमि में कोई अल्पसंख्यक कैसे हो सकता है। अब आप ही बताओ अल्पसंख्यक आयोग की क्या जरूरत है ?
आओ अब अल्पसंख्यक आयोग के दूसरे घटक ईसाईयों की बात करें । यह वही संप्रदाय है जो 16 वीं सदी में ब्यापार के बहाने भारत पर कब्जा जमाकर बैठ गया और 300 वर्ष तक इन ईसाईयों ने इस देश को जमकर लूटा । यहां के मूल निबासी हिन्दुओं व कई वर्षों से कब्जा जमाकर बैठे मुसलमानों पर इन ईसाईयों ने जी भरकर जुल्म ढाए । ये तो भला हो शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरू, शहीद सुखदेव, शहीद चन्दरशेखर आजाद, शहीद बाल गंगाधर तिलक , शहीद लाला लाजपतराय, शहीद विपन चन्द्र पाल जैसे अनगिनत ज्ञात और अज्ञात क्रांतिकारियों का जिनके बलिदानों ने भारतीयों के अन्दर इन अंग्रेजों को भगाने की ज्वाला को हमेसा जगाए रखा और अन्त में नेताजी सुभाष चन्द्रवोस की आजाद हिन्द सेना के डर से इन अंग्रेज ईसाईयों को भारत छोड़ कर भागना पड़ा।
क्या कहें उस नेहरू जी को जिसने दुष्ट ईसाई अफसरों व उनकी घरबालियों की दोस्ती में फंस कर उनकी नजायज बातों को मान कर देश को एक ऐसी हिन्दुविरोधी दिशा देने का अपराध किया जो आज देशद्रोहियों व गद्दारों को भारतीय संस्कृति व सभ्यता के रक्षक देशभक्त हिन्दुओं और उनके संगठनों पर हर तरह से हमला करने में सहयोग दे रही है । अब आप खुद फैसला करो कि ये ईसाई समुदाय जो भारत की बरबादी के लिए हर तरह से जिम्मेवार है क्या अल्पसंख्यक का दर्जा पाने के काबिल है ? नहीं न ।
वैसे भी जिस ईसाई संप्रदाय से सबन्धित अंग्रेज इटालिएन एंटोनियो माइनो मारियो सारी की सारी भारत सरकार को गुलाम बनाकर बैठी हो व जिसके निर्देश पर गुलाम सरकार देशद्रोह के रास्ते पर चलते हुए देशभक्त साधुसंतो व सैनिकों को जेल में डाल रही हो, भारतीय संस्कृति व सभ्यता के आधार स्तम्भ मर्यादा पुर्षोतम भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकार रही हो उस संप्रदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देना कैसे उपयुक्त हो सकता है ?
मेरे प्यारे नासमझ हिन्दूओ क्या आपने कभी सोचा कि जिनके आप गुलाम रहे, जिन्होंने असहनीय यातनांयें देकर हिन्दुओं को सताया, हिन्दुओं को हर अधिकार से वंचित किया, आज वो ही इन गद्दार हिन्दुविरोधी नेताओं द्वारा अल्पसंख्यक का दर्जा देकर विशेषाधिकार के अधिकारी कैसे वना दिए गए।
जिस मजहब का संचालन आज भी भारत के बजाए इटली के रोम से होता हो ,जिस संप्रदाय के अनुयायी हिन्दुओं के धार्मिक गुरू व समाज सेवक स्वामी लक्ष्मणानन्द जी का कत्ल करने का दुस्साहस कर सकते हों । इसके परिणामस्वरूप पड़ी मार पर संसार के अधिकतर ईसाई देशों में हिन्दुओं के विरूद्ध महौल बनाने व भारत विरोधी प्रदर्शन करवाने में समर्थ हों उन्हें अल्पसंख्यक दर्जे की क्या जरूरत ?
सेकुलर गिरोह का हिन्दुसिखों पर हमला
ü आज अगर अपने देश भारत में भारतीय जीवन पद्धति की रक्षा व उसमें व्याप्त बुराईयों को दूर करने के लिए हिन्दू समाज की प्रेरणा के स्रोत परम पूजनीय गुरूओं द्वरा स्थापित संप्रदाय से सबन्धित सिख भी अपनी अलग पहचान पर जोर दे रहे हैं तो यह बहुत ही चिन्ता का विषय है क्योंकि यह इस हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह द्वारा भारत को सदियों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर हिन्दुओं सिखों का खून बहाने वाले ईसाईयों व मुसलमानों को खुश करने के लिए बहुसंख्यक हिन्दुओं पर ढाये गये असहनीय अत्याचारों का ही असर है ।
अपने देश भारत में आज अल्पसंख्यकवाद व धर्मनिर्पेक्षता के नाम पर हिन्दुओं को मानसिक, सारीरिक व आर्थिक रूप से जिस तरह वंचित व प्रताड़ित किया जा रहा है ऐसे हालात में कौन जागरुक हिन्दू चैन से बैठ सकता है ?
· आज अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं और हिन्दू हैं तो एक पत्नी के रहते दूसरी शादी करने पर आपकी नौकरी जा सकती है पर अगर आप मुसलमान हैं तो चाहे चार-चार शादियां करो !
इस नियम की वजह से आज तक कई हिन्दू सरकारी कर्मचारी इस्लाम अपना चुके हैं जिसका सबसे बढ़ा प्रमाण तब मिलता है जब कांग्रेस का एक उपमुख्यमन्त्री व एक सेवादल प्रमुख हिन्दुओं पर लागु प्रतिबंध से बचने के लिए इस्लाम अपनाकर दूसरी शादी करते हैं ।
जो लोग खुद को सैकुलर बोलते हैं वो वास्तव में सैकुलर नहीं हिन्दुविरोधी हैं और इसी हिन्दूविरोध के चलते ये गद्दार ऐसे नियम बना चुके हैं व बना रहे हैं जिससे देश में हिन्दू विरोधी हालात की वजह से हिन्दू हर तरह से प्रताड़ित हो रहे हैं ।
· अगर आप हिन्दू हैं तो आपके द्वारा हिन्दू धर्म का प्रचार प्रसार व जिहादी आतंकवाद का विरोध सांप्रदायिकता है पर मुस्लिम होने पर चाहे आप इस्लाम के बहाने जिहादी आतंकवाद का प्रचार प्रसार करो या शहीदों का अपमान करो या फिर देशभक्तों का खून बहाओ सब आपका अधिकार है !
· अगर आप हिन्दू हैं तो दो से ज्यादा बच्चे करने पर आप कई जगह चुनाव के अयोग्य ठहराये जा सकते हैं पर मुस्लिम होने पर चाहे आप जितने चाहो उतने बच्चे करो मतलब चाहे आप 50 बच्चे पैदा करो आपको खुली छूट है आपका हौसला बना रहे इसके लिए गुलाम प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने घोषणा कर रखी है कि उनकी सरकार मुस्लिमबहुल जिलों का विकास करेगी क्योंकि हिन्दुबहुल जिलों से इस हिन्दुविरोधी सरकार को हिन्दूक्रांति का डर सताता है !
· अगर आप हिन्दू हैं और आप पर अल्पसंख्यक बोले तो ईसाईयों व मुसलमानों द्वारा हमला बोल दिया जाए और आप मार खाने या मरने के बजाए विरोध करें तो अल्पसंख्यक व मानवाधिकार आयोग अल्पसंख्यक की रक्षा का प्रश्न उठाकर सरकार पर दबाव बनाकर आपको आजादी से जीने के अधिकार से वंचित कर सकते हैं।
अगर इतने से काम न चले तो तालिबानी मीडिया का उपयोग कर देश विदेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं ऐसा चिला- चिलाकर दुष्प्रचार कर हिन्दुविरोधी माहौल बनाकर माननीय न्यायालय में झूठे साक्ष्य देकर आपकी जिन्दगी को खत्म भी करवाया जा सकता है।
पर मुस्लिम होने पर चाहे आप हिन्दुओं को हलाल कर हिन्दुओं का नामोनिशान मिटा दो (जैसे कश्मीर में मिटाया व बाकी जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों में बम्ब विस्फोट कर कोशिश चल रही है),हिन्दुओं को जिन्दा जला दो, ये हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह आपका पूरा सहयोग करेगा सैकुलर सरकार आपको बिशेष आर्थिक पैकेज देगी और जरूरत पड़ने पर आपको माननीय न्यायालय द्वारा सुनबाइ गई सजा को रोककर आम मुसलमानों को भी आपका सहयोग करने को प्रेरित करेगी ।
· अगर आप हिन्दू हैं और मन्दिर निर्माण की बात करते हैं तो ये हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह सबाल उठाएगा कि इतने लोग भूख से मर रहे हैं और आप मन्दिर की बात कर रहे हैं ।आप गरीब विरोधी हैं । अपने देश के अन्दर ही धार्मिक यात्रा के लिए तरह तरह के नाम देकर पैसे बसूले जांएगे ।
लेकिन अगर आप मुसलमान हैं तो यही गिरोह आपको हज यात्रा के लिए 50000 रूपये प्रति मुसलमान प्रतिवर्ष देगा और यहां तक कि माननीय न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को भी नहीं मानेगा । जेरूसलम की यात्रा के लिए भी 80000 रूपये प्रति ईसाई देगा।
पता है क्यों ? क्योंकि ऐसा करने से शेखों व धर्मांतरण के ठेकेदारों द्वारा डाले गये टुकडों से इस गिरोह की अपनी गरीबी दूर होती है ।
· अगर आप हिन्दू हैं और संगठित होने के लिए कोई संगठन बनाते हैं तो ये हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह आपके संगठनों के विरूद्ध तरह-तरह के षडयन्त्र रच कर उन्हें बदनाम करने का हर सम्भव प्रयत्न करेगा उन पर प्रतिबन्ध लगाने की कोशिश करेगा। पर अगर आप ईसाई या मुसलमान हैं तो फिर आपके संगठनों को हर तरह का सहयोग देना इस गिरोह का पहला कर्तव्य है। चाहे आप ईसाई या मुसलमान आतंकवादी संगठन ही क्यों न बनायें।
· अगर एम एफ हुसैन जैसे मुसलमान हिन्दू देवी देवताओं को अपमानित करने के लिए उनकी नंगी तसबीरें बनाते हैं, हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं देशभक्तों को चिड़ाने के लिए भारत माता की नंगी तसबीरें बनाते हैं तो ये सैकुलर हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह इसे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता बताकर व ऐसे गद्दारों को इनाम देकर जले पर नमक छिड़कने का काम करता है और ठीक उसी वक्त डेनमार्क में जब एक ईसाई द्वरा हजरत मुहम्मद को हाथों में बम्ब उठाकर गैर मुस्लिमों का खून बहाते हुए एक आतंकवादी के रूप में दिखाया जाता है तो यही गिरोह इसे मुसलमानों की भावनाओं से खिलबाड़ बताकर कार्टून बनाने वाले के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग उठाता है। मतलब मुसलमानों की भाबनाये भावनायें और हिन्दुओं की भावनायें अपराध !
· जब हिन्दूसंगठन देश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरूद्ध आवाज उठाते हैं तो उन्हें सांप्रदायिक कहकर अपमानित कर उनकी आवाज को दबाने का प्रयत्न किया जाता है प्रतिबन्ध की धमकी देकर उन्हें इस हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह की असलिएत जनता के सामने उजागर करने से रोकने का प्रयत्न किया जाता है पर इस गिरोह को हरबार मुँह की खानी पड़ती है क्योंकि देशभक्तों के ऊपर देशद्रोहियों को बचाने के लिए दबाव बनाना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है।
अगर आप सन्त हैं और हिन्दुत्व की बात करते हैं हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरूद्ध हिन्दुओं को संगठित करते हैं तो आपकी हत्या करवाई जाती है आपको सांप्रदायिक माना जाता है आपको जेल में डाला जाता है आपको आतंकवादी कहा जाता है पर आप ईसाई पोप हैं तो आपके मरने पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है !
· आज देशभक्त हिन्दुओं के पैसे का दुरूपयोग कर ईसाई शिक्षा संस्थानों को इतनी अधिक ब्याबसायिक सीटें दी जा चुकी हैं कि वो जाली ईसाई होने का प्रमाण पत्र बनाकर ये सीटें लाखों रूपय में इन वयावसायिक कोर्सों से वंचित हिन्दुओं को बेच रहे हैं ! सरकारी नौकरियों में कार्यरत हिन्दू अध्यापकों को ईसाई संस्थानों में बच्चों को भेजने पर 50000 रूपये देने का प्रलोभन दिया जाता है ।
· भारत में हिन्दू धर्म की शिक्षा को सांप्रदायिकता का नाम देकर विरोध किया जाता है जबकि मदरसों में कुरान व हदीस की हिंसक आयतों को पढ़ाकर हिन्दुविरोधी-देशविरोधी सोच का निर्माण ठीक ढंग से चला रहे इसके लिए सरकार बढ़चढ़कर आर्थिक सहायता देती है ईसाईयों द्वारा ईसाई स्कूलों में बाइबल पढ़ाने के बहाने हिन्दू धर्म की निंदा करने का भी न केवल समर्थन किया जाता है बल्कि आर्थिक सहायता भी दी जाती है वह भी हिन्दुओं से लिए टैक्स से।
· अगर आप हिन्दु विद्यार्थी हैं तो आपको कर्ज लेने के लिए 13% ब्याज के साथ-साथ 15% मार्जिन मनी भी देना पड़ेगा पर आप मुस्लिम विद्यार्थी हैं तो आपको सिर्फ 3% ब्याज देना पड़ेगा और मार्जिन मनी का तो सवाल ही पैदा नहीं होता सरकार आप पर 100% मेहरवान है।
· कुल मिलाकर हिन्दू संस्कृति को बदनाम कर भारतीय सभ्यता और संस्कृति को बर्बाद करने के लिए वो सब किया जाता है जो औरंगजेब जैसे मुसलमानों और डायर जैसे ईसाईयों के गुलामीकाल में किया गया । कैसे कहें कि देश आजाद है ?
पहले हिन्दू मुस्लिम जेहादीयों व धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाई सम्राज्यवादियों का गुलाम था अब हिन्दुविरोधी सैकुलर गद्दारों का ।
· देश में हर बड़े पद पर मुसलमान या ईसाई को पहुँचाने का जरूरत से ज्यादा प्रयत्न कर हिन्दुओं को इन पदों से वंचित करने का लगातार षड़यन्त्र रचा जाता है इसी का परिणाम है कि देश में 80% हिन्दू जनसंखया होने के बावजूद देश हिन्दुओं को जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों के हमलों से बचाने में सफल नहीं हो पा रहा है। क्योंकि ऊंचे पदों पर उनके समर्थकों के बैठे होने की वजह से इन आतंकवादियों के विरूद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकती है ।
इन्हीं के प्रभाव के चलते सरकार जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों की रक्षा के लिए ज्यादा आतुर नजर आती है । मुस्लिम जेहादियों के हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान में कोई रूकाबट न आ जाये इसलिए सुरक्षाबलों में हिन्दुओं को हटाकर मुस्लिमों की संख्या बढ़ाने की बकालत की जाती है।
हम सिखों की बात करने लगे थे पर देश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों व उनसे किए जा रहे भेदभाव से पैदा हो रहे दुःख व क्रोध ने आ घेरा और सहज ही ये घटना दिलोदिमाग पर छा गई । ये घटना उस वक्त की है जब जिहादी राक्षस औरंगजेब हिन्दुओं पर कहर बरपा रहा था, मन्दिर तोड़े जा रहे थे, मां बहन बेटियों की इज्जत से खिलबाड़ किया जा रहा था।
तभी हिन्दुओं का एक समूह कृपा राम जी की आगुबाइ में पटना में गुरू तेगबहादुर जी के पास पहुँचा व उनसे जिहादी राक्षस औरंगजेब के अत्याचारों से बचाने की गुहार लगाई और गुरू जी को बताया कि इस राक्षस ने हिन्दुओं को इस्लाम या मौत में से किसी एक को चुनने की धमकी दी है। इस राक्षस के समर्थकों का समूह जहां भी पहुँच रहा है वहां पर हिन्दुओं पर हर तरह के अत्याचार ढाने के बाद उनको हलाल किया जा रहा है जब ये सब कुछ हिन्दू गुरू तेगबहादुर जी को बता रहे थे उस वक्त उनका बेटा जो कि अभी बहुत छोटा था ये सब सुन रहा था तभी गुरूजी ने उन हिन्दुओं को उत्तर दिया कि हमारे पास कोई सेना तो है नहीं जो हम उस दुष्ट राक्षस से युद्ध कर सकेँ फिर भी आप मेरे पास आए हैं तो हम आपकी सहायता तो जरूर करेंगे । आप उस जिहादी राक्षस औरंगजेब से जाकर कह दो कि हमारा एक गुरू है गुरू तेग बहादुर जी अगर वो अपना धर्मबदल कर इस्लाम अपना ले तो हम सभी एक साथ इस्लाम अपना लेंगे ।
जब हिन्दुओं ने यही सबकुछ जाकर उस जिहादी राक्षस औरंगजेब को बताया तो उसे ये जानकर आश्चर्य हुआ कि कोई धर्मजागरण का काम करने वाला व्यक्ति उस जैसे राक्षस को इस तरह ललकार सकता है ।क्योंकि वो एक कठमुल्ला था ।गुरू जी के अलौकिक ताकत व धैर्य को समझना उसके बस से बाहर था।
इस बीच गुरू जी ने अपने योग्य पुत्र गोविन्द राय जी को गुरूपद देकर स्थापित कर दिया और स्वंयम धर्मजागरण का काम करते हुए दिल्ली की ओर निकल पड़े। कुछ ही दिनों बाद उस राक्षस के जिहादी सैनिक गुरू तेगबहादुर जी को आगरा से गिरफ्तार कर दिल्ली ले गए । दिल्ली में गुरूजी को हर तरह से सत्ताया गया। असहनीय कष्ट दिए गये ।
इन जिहादी राक्षसों द्वारा गुरू जी पर ढाए गए जुल्मों को ब्यान करना हमारे जैसे आम हिन्दू के बस की बात नहीं क्योंकि उन जुल्मों के बारे में सुनते ही किसी भी आम व्यक्ति के या तो प्राण निकल जांयें या वो सब कुछ भूल कर इन जिहादी राक्षसों के वंशजों ब उनके समर्थकों का नामोनिशान मिटाने निकल पड़े । आप जरा गुरू तेगबहादुर जी के बारे में सोचें जिन्होंने ये सबकुछ सहा और अपने धर्म पर टिके रहे अन्त में गुरू जी हिन्दू धर्म की रक्षा की खातिर इन जिहादी राक्षसों के जुल्मों को सहते सहते अमर हो गए । अपने अंतिम सांस तक धर्म और राष्ट्र का काम करने वाले नवम गुरू तेगबहादुर जी ने सदियों से गुलामी की मार से अचेत हो चुके हिन्दूसमाज के अन्दर नई उर्जा का संचार किया ।
बलिदान की परम्परा की तो ये शुरूआत थी आगे चल कर गुरू तेगबहादुर जी के बेटे गुरु गुरूगोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। अपने परिवार सहित धर्म की रक्षा की खातिर जिहादी राक्षसों से लोहा लेते रहे । गुरूगोबिन्द सिंह जी के दोनों छोटे बेटों शहीद जोरावर सिंह जी व शहीद फतेह सिंह जी को इन जिहादी राक्षसों नें सरहिन्द की दीवारों में चुनवा दिया । इन जिहादी राक्षसों ने गुरू गोबिन्द सिंह जी की माता जी को भी शहीद कर दिया । गुरू गोबिन्द सिंह जी भी अपने दोनों बड़े बेटों शहीद अजीत सिंह जी व शहीद जुझार सिंह जी सहित इन जिहादी राक्षसों के साथ धर्म की रक्षा की खातिर लड़ते-लड़ते शहीद हुए ।
अब सोचने वाला विषय ये है कि जो लोग इन गुरू साहिबान को सिर्फ सिखों के गुरू बताते हैं क्या वो सही हैं नहीं बिल्कुल नहीं ये गुरू साहिबान न केवल सिखों के बल्कि पूरे हिन्दू समाज के गुरू हैं, सब भारतीयों के गुरू हैं और जो भी इन्हें गुरू मानने से इन्कार करता है उसे इस देश में रहने का कोई अधिकार नहीं ।
सोचने वाला विषय यह भी है कि इतने बलिदानों के बावजूद ये हिन्दू समाज इन आदमखोर अल्लाह के राक्षसों का नामोनिशान मिटाने में क्यों असफल रहा । वजह बहुत साफ है जिस तरह आज 20वीं और 21वीं शताब्दी में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रचार प्रसार कर हिन्दूराष्ट्र भारत में धर्म की रक्षा के लिए संघर्षरत हिन्दुओं व उनके संगठनों पर मुस्लिम जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे हमलों का खुल्लम-खुल्ला समर्थन व सहयोग कर ये हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सैकुलर गिरोह हिन्दूसमाज को दगा दे रहा है ठीक इसी तरह हर शताब्दी में कोई न कोई सैकुलर गद्दार जयचन्द के रूप में जन्म लेकर हिन्दूसमाज को दगा देता रहा ।
प्रश्न यह भी पैदा होता है कि जिन सिखों ने धर्म की रक्षा के लिए पानी की तरह अपना खून बहाया,जिन सिखों के साथ हिन्दुओं का रोटी-बेटी का रिश्ता है,जिन हिन्दुओं-सिखों का खून एक है जिनके गुरू एक हैं जिनके पूर्वज एक हैं उनके बीच के खून के रिश्तों को आग किसने लगाई ?
कौन लगा सकता है इस हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सैकुलर गिरोह के सिवा । जी हां इसी गिरोह के एक ऐसे सहयोगी जिसकी स्थापना एक विदेशी अंग्रेज द्वारा हिन्दुओं को आपस में लड़वाकर विदेशियों का हित साधने के लिए की । जो आज भी भारत को एक विदेशी का गुलाम बनवाकर हिन्दुओं को आपस में लड़वाने के लिए हर तरह के षड्यन्त्र रच रहा है। जिस तरह आज महाराष्ट्र में शिवसेना को कमजोर करने के लिए कांग्रेस ने राज ठाकरे को आगे बढ़ाकर मराठी गैर मराठी के नाम पर हिन्दुओं को आपस में लड़वा दिया ठीक इसी तरह 80 के दशक में पंजाब में अकालियों को कमजोर करने के लिए कांग्रेस ने भिंडरावाले को आगे बढ़ाकर हिन्दू-सिखों को आपस में लड़वा दिया था।
जो कसर रह गई थी वो इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेसियों व उनके सहयोगी मुस्लिम गुंडो द्वारा सिखों के कत्ल कर पूरी कर दी गई । सिखों में अलगाववादी तत्वों द्वारा कांग्रेसियों द्वारा किए गये कत्लेआम के लिए हिन्दुओं को जिम्मेवार ठहराकर हिन्दुओं व उनके संगठनों के कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार कर कोंग्रेसियों के षड़यन्त्र को काफी हद तक सफल होने का मौका दिया ।
ये तो भला हो गुरू साहिबान के उन सच्चे सिखों का जिन्होंने मुसीबत की इस धड़ी में गुरूओं की शिक्षाओं को न भुलाकर और उन हिन्दुओं व उनके संगठनों का जिन्होंने गुरू साहिबान के द्वारा हिन्दूधर्म की खातिर किए गये बलिदान का कर्ज चुकाकर हिन्दुओं व हिन्दू कार्यकर्ताओं का कत्ल होने के बावजूद न खुद सिखों पर हमला किया न हमलों का समर्थन किया और जहां तक सम्भव हो सका अपने खून के रिश्ते की लाज रख सिखों को बचाया।
यदि कांग्रेस सिखों को कमजोर करने के लिए भिंडरावाला पैदा न करती तो न आपरेशन बल्यूस्टार होता न इन्दिरा जी का कत्ल होता न दंगे होते न हिन्दू-सिखों में अविश्वाश बढ़ता । पर इस कांग्रेस को कौन समझाय कि जो दूसरों के लिए गड्डा खोदता है उसके लिए कूँआ पहले ही तैयार होता है ।
सिखों को भी समझना चाहिए कि जैसे इंदिरा का कत्ल होने के बाद सिखों का खून बहाया गया घर जलाए गये ठीक इसी तरह मोहन दास जी की हिन्दुविरोधी नीतियों के परिणामस्वरूप उनका कत्ल होने के बाद इसी कांग्रेस ने हिन्दुओं के ऊपर हमले किए थे, उनके घर जलाए थे । इस लिए कांग्रेस न केवल सिखों की बरबादी का कारण है बल्कि हिन्दुओं की बरबादी के लिए भी जिम्मेवार है । सिखों पर तो इन कांग्रेसियों ने सिर्फ एक बार हमला बोला था हिन्दुओं पर तो ये हमला आज तक जारी है ।
छतीसिंहपुरा में मुस्लिम जिहादयों द्वारा सिखों का कत्ल
अब हिन्दूसिखों को यह समझना चाहिए कि सिख हिन्दुओं की जरूरत हैं और हिन्दू सिखों की जरूरत हैं जिस तरह महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, महारानी लक्ष्मीबाई जैसे क्राँतिकारी धर्म की रक्षा के लिए लड़ते लड़ते शहीद हुए ठीक उसी तरह गुरू अर्जुन देव जी, गुरू तेगबहादुर जी, गुरू गोबिन्द सिंह जी व उनके बेटे भी धर्म की रक्षा की खातिर लड़ते लड़ते शहीद हुए । शत्रु भी सबका एक ही था आज भी है वो है मुस्लिम जिहादी आदमखोर अल्लाह का विचार और इस विचार के समर्थक व उसके सहयोगी ये सैकुलर गद्दार।
हम सबने देखा कि किस तरह कश्मीर घाटी में भी हिन्दू सिख इस जिहादी मानसिकता का एक साथ शिकार हुए। इस देशद्रोही गिरोह के षड्यन्त्रों में फंसकर सारे भारत के हिन्दू-सिख एक साथ संगठित होकर युद्ध करने के बजाए आपस में छोटी-छोटी बातों पर बंटकर इस मुस्लिम जिहादी आदमखोर मानसिकता का काम आसान बनाते रहे । कामोबेश यही स्थिति सारे भारत में दिख रही है ।
हम तो कहते हैं अभी भी देर नहीं हुई है हम सब हिन्दूसिखों को एक साथ मिलकर इन मुस्लिम जिहादियों व उनके समर्थक इन धर्मनिर्पेक्षतावादियों का नामोनिशान इस गुरूओं की भूमि भारत से मिटाने के लिए अखिलभारतीय स्तर पर क्राँति का सूत्रपात कर खालसा पंथ के मूल उदेशय को पूरा करने की राह पर निकलना चाहिए। अन्यथा हम सब के साथ सारे भारत में वही होगा जो कश्मीर घाटी में हुआ ।
आज कश्मीर घाटी के वो जिहादी जो कश्मीर घाटी में हिन्दुओं व सिखों पर हुए अत्याचारों के गुनाहगार हैं। सारे भारत में किसी न किसी काम का बहाना लेकर बेखौफ घूम रहे हैं। मुस्लिम जिहादी आदमखोर मानसिकता व गोला बारूद का बिस्तार सारे भारत में कर रहे हैं। बेसमझ हिन्दू-सिख उनको उनके किए की सजा देने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और हिन्दुओं-सिखों व सैनिकों के खून से लथपथ समान खरीदकर इन जिहादियों को और ताकतवर बना रहे हैं । इससे बड़ी बेवकूफी और क्या हो सकती है ?
जागो ! हिन्दू जागो !
अफगानिस्तान पाकिस्तान बांगलादेश सब हिन्दुविहीन हो गए।
अब कश्मीर आसाम को हिन्दुविहीन घोषित करने की तैयारी है।।
आज जिहादी हमलों में वो घरबार परिवार सहित मारे गए।।।
कल हमारी फिर हमारे बच्चों को मारने की तैयारी है।।।।
जिस तरह सिखों का इतिहास धर्म की रक्षा के लिए किए गए बलिदानों से भरा पड़ा है ठीक इसके विपरीत जिहादी मुसलमानों का इतिहास हिन्दुओं-सिखों पर किए गये अत्याचारों व इस देव भूमि भारत से धर्म का नामोनिशान मिटाकर मुस्लिम जिहादी आदमखोर अल्लाह का राक्षसी राज्य स्थापित करने के दुस्साहसों से भरा पड़ा है !
फिर क्या वजह है कि जो कांग्रेसी उन सिखों का खून बहाने व उन क्राँतिकारियों का अपमान करने का पाप करतें हैं जिनकी कुरबानियों की वजह से हिन्दू आज तक इन जिहादी राक्षसों का शिकार होने से बचे हैं व अपनी सभ्यता संस्कृति को बचाने में कुछ हद तक सफल हुए हैं।
पर वही काँग्रेसी उन जिहादी राक्षसों के लिए हिन्दुओं का खून बहाने के लिए तैयार हो जाते है जो अगर बाकी हिन्दुओं को मारने में सफल हो जाते हैं तो अंत में इन कांग्रेसियों को भी नही छोड़ेंगे ।
क्या इन जिहादी राक्षसों ने कश्मीर में हिन्दुओं को हलाल करते वक्त उन सैकुलर हिन्दुओं को छोड़ दिया जो हर वक्त हर हाल में इन जिहादियों को आगे बढ़ाने के लिए आतुर नजर आते हैं ? नहीं न ।
आज भारत में जम्मू-कश्मीर ही एकमात्र राज्य है जिसमें मुसलमान निर्णायक स्थिति के करीब हैं ये धर्मनिर्पेक्षता का ड्रामा करने वाले जोकर जरा देश को बताएँ कि आज तक हिन्दुओं का कत्लेआम करने वाले कितने जिहादियों को प्रशासन द्वारा फाँसी पर लटकाया गया व कितने सैनिकों व हिन्दुओं को इन जिहादियों ने शहीद किया और 60 वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आज तक कोई हिन्दू क्यों मुख्यामन्त्री न बन पाया या फिर इनकी भाषा में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक होने के नाते क्या विशेषाधिकार प्राप्त हैं ।
ये नहीं बता सकते, हम बताते हैं उनको सिर्फ एक विशेषाधिकार प्राप्त है और वह है जिहादियों की इच्छा अनुसार हलाल होने का वो भी इन सैकुलर गद्दारों द्वारा भारतीय सेना की कार्यवाही के ऊपर तरह-तरह के अंकुश लगा देने की वजह से । यही अंकुश सैनिकों के शहीद होने की बढ़ रही संख्या का भी प्रमुख कारण वन रहे हैं ।
एक तरफ ये गिरोह सेना के ऊपर अंकुश लगाकर देशद्रोहियों का हौसला बढा रहा है दूसरी तरफ मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैलाकर सेना को बदनाम करने के षड्यन्त्र रच रहा है।तीसरी तरफ देशविरोधी मानवाधिकार संगठनों द्वारा आतंकवादियों के मानवाधिकारों का प्रश्न उठाकर सैनिकों पर आतंकवादियों को न मारने के लिए दबाव वनाया जा रहा है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि सेना ने देश की रक्षा करने की कसम उठाई है न कि गद्दारों द्वारा सेना पर लगाय जाने वाले अंकुशों की वजह से बिना लड़े इन जेहादायों के हाथों मरने की !
यह वही गिरोह है जो सत्ता में आते ही सेना को भी अपनी हिन्दुविरोधी मुहिम में शामिल करने के लिए सेना में मुसलमानों की गिनती करने का आदेश देता है जिसे देशभक्त सेना विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर इस हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह के देशविरोधी षड्यन्त्र को असफल कर देती है ।
यही दुस्साहस यदि किसी मुस्लिम या ईसाईबहुल देश में किया जाता तो बहाँ की सेना तख्तापलट कर ऐसे देशद्रोहियों को फांसी पर लटकाकर प्रशासन अपने हाथ में ले लेती । ये तो भारतीय सेना के संयम की इंतहा है कि सेना ने ऐसा दुस्साहस करने वाले इस देशद्रोही गिरोह को बख्श दिया । वरना आज तक देश के बिभिन्न हिस्सों में सिर उठा रहे गद्दारों व देश की रग-रग को खोखला करने में लगे भ्रष्टाचारियों के होश ठिकाने आ गए होते।
अपने देश भारत में आज अल्पसंख्यकवाद व धर्मनिर्पेक्षता के नाम पर हिन्दुओं को मानसिक, सारीरिक व आर्थिक रूप से जिस तरह वंचित व प्रताड़ित किया जा रहा है ऐसे हालात में कौन जागरुक हिन्दू चैन से बैठ सकता है ?
· आज अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं और हिन्दू हैं तो एक पत्नी के रहते दूसरी शादी करने पर आपकी नौकरी जा सकती है पर अगर आप मुसलमान हैं तो चाहे चार-चार शादियां करो !
इस नियम की वजह से आज तक कई हिन्दू सरकारी कर्मचारी इस्लाम अपना चुके हैं जिसका सबसे बढ़ा प्रमाण तब मिलता है जब कांग्रेस का एक उपमुख्यमन्त्री व एक सेवादल प्रमुख हिन्दुओं पर लागु प्रतिबंध से बचने के लिए इस्लाम अपनाकर दूसरी शादी करते हैं ।
जो लोग खुद को सैकुलर बोलते हैं वो वास्तव में सैकुलर नहीं हिन्दुविरोधी हैं और इसी हिन्दूविरोध के चलते ये गद्दार ऐसे नियम बना चुके हैं व बना रहे हैं जिससे देश में हिन्दू विरोधी हालात की वजह से हिन्दू हर तरह से प्रताड़ित हो रहे हैं ।
· अगर आप हिन्दू हैं तो आपके द्वारा हिन्दू धर्म का प्रचार प्रसार व जिहादी आतंकवाद का विरोध सांप्रदायिकता है पर मुस्लिम होने पर चाहे आप इस्लाम के बहाने जिहादी आतंकवाद का प्रचार प्रसार करो या शहीदों का अपमान करो या फिर देशभक्तों का खून बहाओ सब आपका अधिकार है !
· अगर आप हिन्दू हैं तो दो से ज्यादा बच्चे करने पर आप कई जगह चुनाव के अयोग्य ठहराये जा सकते हैं पर मुस्लिम होने पर चाहे आप जितने चाहो उतने बच्चे करो मतलब चाहे आप 50 बच्चे पैदा करो आपको खुली छूट है आपका हौसला बना रहे इसके लिए गुलाम प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने घोषणा कर रखी है कि उनकी सरकार मुस्लिमबहुल जिलों का विकास करेगी क्योंकि हिन्दुबहुल जिलों से इस हिन्दुविरोधी सरकार को हिन्दूक्रांति का डर सताता है !
· अगर आप हिन्दू हैं और आप पर अल्पसंख्यक बोले तो ईसाईयों व मुसलमानों द्वारा हमला बोल दिया जाए और आप मार खाने या मरने के बजाए विरोध करें तो अल्पसंख्यक व मानवाधिकार आयोग अल्पसंख्यक की रक्षा का प्रश्न उठाकर सरकार पर दबाव बनाकर आपको आजादी से जीने के अधिकार से वंचित कर सकते हैं।
अगर इतने से काम न चले तो तालिबानी मीडिया का उपयोग कर देश विदेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं ऐसा चिला- चिलाकर दुष्प्रचार कर हिन्दुविरोधी माहौल बनाकर माननीय न्यायालय में झूठे साक्ष्य देकर आपकी जिन्दगी को खत्म भी करवाया जा सकता है।
पर मुस्लिम होने पर चाहे आप हिन्दुओं को हलाल कर हिन्दुओं का नामोनिशान मिटा दो (जैसे कश्मीर में मिटाया व बाकी जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों में बम्ब विस्फोट कर कोशिश चल रही है),हिन्दुओं को जिन्दा जला दो, ये हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह आपका पूरा सहयोग करेगा सैकुलर सरकार आपको बिशेष आर्थिक पैकेज देगी और जरूरत पड़ने पर आपको माननीय न्यायालय द्वारा सुनबाइ गई सजा को रोककर आम मुसलमानों को भी आपका सहयोग करने को प्रेरित करेगी ।
· अगर आप हिन्दू हैं और मन्दिर निर्माण की बात करते हैं तो ये हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह सबाल उठाएगा कि इतने लोग भूख से मर रहे हैं और आप मन्दिर की बात कर रहे हैं ।आप गरीब विरोधी हैं । अपने देश के अन्दर ही धार्मिक यात्रा के लिए तरह तरह के नाम देकर पैसे बसूले जांएगे ।
लेकिन अगर आप मुसलमान हैं तो यही गिरोह आपको हज यात्रा के लिए 50000 रूपये प्रति मुसलमान प्रतिवर्ष देगा और यहां तक कि माननीय न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को भी नहीं मानेगा । जेरूसलम की यात्रा के लिए भी 80000 रूपये प्रति ईसाई देगा।
पता है क्यों ? क्योंकि ऐसा करने से शेखों व धर्मांतरण के ठेकेदारों द्वारा डाले गये टुकडों से इस गिरोह की अपनी गरीबी दूर होती है ।
· अगर आप हिन्दू हैं और संगठित होने के लिए कोई संगठन बनाते हैं तो ये हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह आपके संगठनों के विरूद्ध तरह-तरह के षडयन्त्र रच कर उन्हें बदनाम करने का हर सम्भव प्रयत्न करेगा उन पर प्रतिबन्ध लगाने की कोशिश करेगा। पर अगर आप ईसाई या मुसलमान हैं तो फिर आपके संगठनों को हर तरह का सहयोग देना इस गिरोह का पहला कर्तव्य है। चाहे आप ईसाई या मुसलमान आतंकवादी संगठन ही क्यों न बनायें।
· अगर एम एफ हुसैन जैसे मुसलमान हिन्दू देवी देवताओं को अपमानित करने के लिए उनकी नंगी तसबीरें बनाते हैं, हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं देशभक्तों को चिड़ाने के लिए भारत माता की नंगी तसबीरें बनाते हैं तो ये सैकुलर हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह इसे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता बताकर व ऐसे गद्दारों को इनाम देकर जले पर नमक छिड़कने का काम करता है और ठीक उसी वक्त डेनमार्क में जब एक ईसाई द्वरा हजरत मुहम्मद को हाथों में बम्ब उठाकर गैर मुस्लिमों का खून बहाते हुए एक आतंकवादी के रूप में दिखाया जाता है तो यही गिरोह इसे मुसलमानों की भावनाओं से खिलबाड़ बताकर कार्टून बनाने वाले के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग उठाता है। मतलब मुसलमानों की भाबनाये भावनायें और हिन्दुओं की भावनायें अपराध !
· जब हिन्दूसंगठन देश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरूद्ध आवाज उठाते हैं तो उन्हें सांप्रदायिक कहकर अपमानित कर उनकी आवाज को दबाने का प्रयत्न किया जाता है प्रतिबन्ध की धमकी देकर उन्हें इस हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक देशद्रोही गिरोह की असलिएत जनता के सामने उजागर करने से रोकने का प्रयत्न किया जाता है पर इस गिरोह को हरबार मुँह की खानी पड़ती है क्योंकि देशभक्तों के ऊपर देशद्रोहियों को बचाने के लिए दबाव बनाना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है।
अगर आप सन्त हैं और हिन्दुत्व की बात करते हैं हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरूद्ध हिन्दुओं को संगठित करते हैं तो आपकी हत्या करवाई जाती है आपको सांप्रदायिक माना जाता है आपको जेल में डाला जाता है आपको आतंकवादी कहा जाता है पर आप ईसाई पोप हैं तो आपके मरने पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है !
· आज देशभक्त हिन्दुओं के पैसे का दुरूपयोग कर ईसाई शिक्षा संस्थानों को इतनी अधिक ब्याबसायिक सीटें दी जा चुकी हैं कि वो जाली ईसाई होने का प्रमाण पत्र बनाकर ये सीटें लाखों रूपय में इन वयावसायिक कोर्सों से वंचित हिन्दुओं को बेच रहे हैं ! सरकारी नौकरियों में कार्यरत हिन्दू अध्यापकों को ईसाई संस्थानों में बच्चों को भेजने पर 50000 रूपये देने का प्रलोभन दिया जाता है ।
· भारत में हिन्दू धर्म की शिक्षा को सांप्रदायिकता का नाम देकर विरोध किया जाता है जबकि मदरसों में कुरान व हदीस की हिंसक आयतों को पढ़ाकर हिन्दुविरोधी-देशविरोधी सोच का निर्माण ठीक ढंग से चला रहे इसके लिए सरकार बढ़चढ़कर आर्थिक सहायता देती है ईसाईयों द्वारा ईसाई स्कूलों में बाइबल पढ़ाने के बहाने हिन्दू धर्म की निंदा करने का भी न केवल समर्थन किया जाता है बल्कि आर्थिक सहायता भी दी जाती है वह भी हिन्दुओं से लिए टैक्स से।
· अगर आप हिन्दु विद्यार्थी हैं तो आपको कर्ज लेने के लिए 13% ब्याज के साथ-साथ 15% मार्जिन मनी भी देना पड़ेगा पर आप मुस्लिम विद्यार्थी हैं तो आपको सिर्फ 3% ब्याज देना पड़ेगा और मार्जिन मनी का तो सवाल ही पैदा नहीं होता सरकार आप पर 100% मेहरवान है।
· कुल मिलाकर हिन्दू संस्कृति को बदनाम कर भारतीय सभ्यता और संस्कृति को बर्बाद करने के लिए वो सब किया जाता है जो औरंगजेब जैसे मुसलमानों और डायर जैसे ईसाईयों के गुलामीकाल में किया गया । कैसे कहें कि देश आजाद है ?
पहले हिन्दू मुस्लिम जेहादीयों व धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाई सम्राज्यवादियों का गुलाम था अब हिन्दुविरोधी सैकुलर गद्दारों का ।
· देश में हर बड़े पद पर मुसलमान या ईसाई को पहुँचाने का जरूरत से ज्यादा प्रयत्न कर हिन्दुओं को इन पदों से वंचित करने का लगातार षड़यन्त्र रचा जाता है इसी का परिणाम है कि देश में 80% हिन्दू जनसंखया होने के बावजूद देश हिन्दुओं को जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों के हमलों से बचाने में सफल नहीं हो पा रहा है। क्योंकि ऊंचे पदों पर उनके समर्थकों के बैठे होने की वजह से इन आतंकवादियों के विरूद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकती है ।
इन्हीं के प्रभाव के चलते सरकार जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों की रक्षा के लिए ज्यादा आतुर नजर आती है । मुस्लिम जेहादियों के हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान में कोई रूकाबट न आ जाये इसलिए सुरक्षाबलों में हिन्दुओं को हटाकर मुस्लिमों की संख्या बढ़ाने की बकालत की जाती है।
हम सिखों की बात करने लगे थे पर देश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों व उनसे किए जा रहे भेदभाव से पैदा हो रहे दुःख व क्रोध ने आ घेरा और सहज ही ये घटना दिलोदिमाग पर छा गई । ये घटना उस वक्त की है जब जिहादी राक्षस औरंगजेब हिन्दुओं पर कहर बरपा रहा था, मन्दिर तोड़े जा रहे थे, मां बहन बेटियों की इज्जत से खिलबाड़ किया जा रहा था।
तभी हिन्दुओं का एक समूह कृपा राम जी की आगुबाइ में पटना में गुरू तेगबहादुर जी के पास पहुँचा व उनसे जिहादी राक्षस औरंगजेब के अत्याचारों से बचाने की गुहार लगाई और गुरू जी को बताया कि इस राक्षस ने हिन्दुओं को इस्लाम या मौत में से किसी एक को चुनने की धमकी दी है। इस राक्षस के समर्थकों का समूह जहां भी पहुँच रहा है वहां पर हिन्दुओं पर हर तरह के अत्याचार ढाने के बाद उनको हलाल किया जा रहा है जब ये सब कुछ हिन्दू गुरू तेगबहादुर जी को बता रहे थे उस वक्त उनका बेटा जो कि अभी बहुत छोटा था ये सब सुन रहा था तभी गुरूजी ने उन हिन्दुओं को उत्तर दिया कि हमारे पास कोई सेना तो है नहीं जो हम उस दुष्ट राक्षस से युद्ध कर सकेँ फिर भी आप मेरे पास आए हैं तो हम आपकी सहायता तो जरूर करेंगे । आप उस जिहादी राक्षस औरंगजेब से जाकर कह दो कि हमारा एक गुरू है गुरू तेग बहादुर जी अगर वो अपना धर्मबदल कर इस्लाम अपना ले तो हम सभी एक साथ इस्लाम अपना लेंगे ।
जब हिन्दुओं ने यही सबकुछ जाकर उस जिहादी राक्षस औरंगजेब को बताया तो उसे ये जानकर आश्चर्य हुआ कि कोई धर्मजागरण का काम करने वाला व्यक्ति उस जैसे राक्षस को इस तरह ललकार सकता है ।क्योंकि वो एक कठमुल्ला था ।गुरू जी के अलौकिक ताकत व धैर्य को समझना उसके बस से बाहर था।
इस बीच गुरू जी ने अपने योग्य पुत्र गोविन्द राय जी को गुरूपद देकर स्थापित कर दिया और स्वंयम धर्मजागरण का काम करते हुए दिल्ली की ओर निकल पड़े। कुछ ही दिनों बाद उस राक्षस के जिहादी सैनिक गुरू तेगबहादुर जी को आगरा से गिरफ्तार कर दिल्ली ले गए । दिल्ली में गुरूजी को हर तरह से सत्ताया गया। असहनीय कष्ट दिए गये ।
इन जिहादी राक्षसों द्वारा गुरू जी पर ढाए गए जुल्मों को ब्यान करना हमारे जैसे आम हिन्दू के बस की बात नहीं क्योंकि उन जुल्मों के बारे में सुनते ही किसी भी आम व्यक्ति के या तो प्राण निकल जांयें या वो सब कुछ भूल कर इन जिहादी राक्षसों के वंशजों ब उनके समर्थकों का नामोनिशान मिटाने निकल पड़े । आप जरा गुरू तेगबहादुर जी के बारे में सोचें जिन्होंने ये सबकुछ सहा और अपने धर्म पर टिके रहे अन्त में गुरू जी हिन्दू धर्म की रक्षा की खातिर इन जिहादी राक्षसों के जुल्मों को सहते सहते अमर हो गए । अपने अंतिम सांस तक धर्म और राष्ट्र का काम करने वाले नवम गुरू तेगबहादुर जी ने सदियों से गुलामी की मार से अचेत हो चुके हिन्दूसमाज के अन्दर नई उर्जा का संचार किया ।
बलिदान की परम्परा की तो ये शुरूआत थी आगे चल कर गुरू तेगबहादुर जी के बेटे गुरु गुरूगोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। अपने परिवार सहित धर्म की रक्षा की खातिर जिहादी राक्षसों से लोहा लेते रहे । गुरूगोबिन्द सिंह जी के दोनों छोटे बेटों शहीद जोरावर सिंह जी व शहीद फतेह सिंह जी को इन जिहादी राक्षसों नें सरहिन्द की दीवारों में चुनवा दिया । इन जिहादी राक्षसों ने गुरू गोबिन्द सिंह जी की माता जी को भी शहीद कर दिया । गुरू गोबिन्द सिंह जी भी अपने दोनों बड़े बेटों शहीद अजीत सिंह जी व शहीद जुझार सिंह जी सहित इन जिहादी राक्षसों के साथ धर्म की रक्षा की खातिर लड़ते-लड़ते शहीद हुए ।
अब सोचने वाला विषय ये है कि जो लोग इन गुरू साहिबान को सिर्फ सिखों के गुरू बताते हैं क्या वो सही हैं नहीं बिल्कुल नहीं ये गुरू साहिबान न केवल सिखों के बल्कि पूरे हिन्दू समाज के गुरू हैं, सब भारतीयों के गुरू हैं और जो भी इन्हें गुरू मानने से इन्कार करता है उसे इस देश में रहने का कोई अधिकार नहीं ।
सोचने वाला विषय यह भी है कि इतने बलिदानों के बावजूद ये हिन्दू समाज इन आदमखोर अल्लाह के राक्षसों का नामोनिशान मिटाने में क्यों असफल रहा । वजह बहुत साफ है जिस तरह आज 20वीं और 21वीं शताब्दी में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रचार प्रसार कर हिन्दूराष्ट्र भारत में धर्म की रक्षा के लिए संघर्षरत हिन्दुओं व उनके संगठनों पर मुस्लिम जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे हमलों का खुल्लम-खुल्ला समर्थन व सहयोग कर ये हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सैकुलर गिरोह हिन्दूसमाज को दगा दे रहा है ठीक इसी तरह हर शताब्दी में कोई न कोई सैकुलर गद्दार जयचन्द के रूप में जन्म लेकर हिन्दूसमाज को दगा देता रहा ।
प्रश्न यह भी पैदा होता है कि जिन सिखों ने धर्म की रक्षा के लिए पानी की तरह अपना खून बहाया,जिन सिखों के साथ हिन्दुओं का रोटी-बेटी का रिश्ता है,जिन हिन्दुओं-सिखों का खून एक है जिनके गुरू एक हैं जिनके पूर्वज एक हैं उनके बीच के खून के रिश्तों को आग किसने लगाई ?
कौन लगा सकता है इस हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक सैकुलर गिरोह के सिवा । जी हां इसी गिरोह के एक ऐसे सहयोगी जिसकी स्थापना एक विदेशी अंग्रेज द्वारा हिन्दुओं को आपस में लड़वाकर विदेशियों का हित साधने के लिए की । जो आज भी भारत को एक विदेशी का गुलाम बनवाकर हिन्दुओं को आपस में लड़वाने के लिए हर तरह के षड्यन्त्र रच रहा है। जिस तरह आज महाराष्ट्र में शिवसेना को कमजोर करने के लिए कांग्रेस ने राज ठाकरे को आगे बढ़ाकर मराठी गैर मराठी के नाम पर हिन्दुओं को आपस में लड़वा दिया ठीक इसी तरह 80 के दशक में पंजाब में अकालियों को कमजोर करने के लिए कांग्रेस ने भिंडरावाले को आगे बढ़ाकर हिन्दू-सिखों को आपस में लड़वा दिया था।
जो कसर रह गई थी वो इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेसियों व उनके सहयोगी मुस्लिम गुंडो द्वारा सिखों के कत्ल कर पूरी कर दी गई । सिखों में अलगाववादी तत्वों द्वारा कांग्रेसियों द्वारा किए गये कत्लेआम के लिए हिन्दुओं को जिम्मेवार ठहराकर हिन्दुओं व उनके संगठनों के कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार कर कोंग्रेसियों के षड़यन्त्र को काफी हद तक सफल होने का मौका दिया ।
ये तो भला हो गुरू साहिबान के उन सच्चे सिखों का जिन्होंने मुसीबत की इस धड़ी में गुरूओं की शिक्षाओं को न भुलाकर और उन हिन्दुओं व उनके संगठनों का जिन्होंने गुरू साहिबान के द्वारा हिन्दूधर्म की खातिर किए गये बलिदान का कर्ज चुकाकर हिन्दुओं व हिन्दू कार्यकर्ताओं का कत्ल होने के बावजूद न खुद सिखों पर हमला किया न हमलों का समर्थन किया और जहां तक सम्भव हो सका अपने खून के रिश्ते की लाज रख सिखों को बचाया।
यदि कांग्रेस सिखों को कमजोर करने के लिए भिंडरावाला पैदा न करती तो न आपरेशन बल्यूस्टार होता न इन्दिरा जी का कत्ल होता न दंगे होते न हिन्दू-सिखों में अविश्वाश बढ़ता । पर इस कांग्रेस को कौन समझाय कि जो दूसरों के लिए गड्डा खोदता है उसके लिए कूँआ पहले ही तैयार होता है ।
सिखों को भी समझना चाहिए कि जैसे इंदिरा का कत्ल होने के बाद सिखों का खून बहाया गया घर जलाए गये ठीक इसी तरह मोहन दास जी की हिन्दुविरोधी नीतियों के परिणामस्वरूप उनका कत्ल होने के बाद इसी कांग्रेस ने हिन्दुओं के ऊपर हमले किए थे, उनके घर जलाए थे । इस लिए कांग्रेस न केवल सिखों की बरबादी का कारण है बल्कि हिन्दुओं की बरबादी के लिए भी जिम्मेवार है । सिखों पर तो इन कांग्रेसियों ने सिर्फ एक बार हमला बोला था हिन्दुओं पर तो ये हमला आज तक जारी है ।
छतीसिंहपुरा में मुस्लिम जिहादयों द्वारा सिखों का कत्ल
अब हिन्दूसिखों को यह समझना चाहिए कि सिख हिन्दुओं की जरूरत हैं और हिन्दू सिखों की जरूरत हैं जिस तरह महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, महारानी लक्ष्मीबाई जैसे क्राँतिकारी धर्म की रक्षा के लिए लड़ते लड़ते शहीद हुए ठीक उसी तरह गुरू अर्जुन देव जी, गुरू तेगबहादुर जी, गुरू गोबिन्द सिंह जी व उनके बेटे भी धर्म की रक्षा की खातिर लड़ते लड़ते शहीद हुए । शत्रु भी सबका एक ही था आज भी है वो है मुस्लिम जिहादी आदमखोर अल्लाह का विचार और इस विचार के समर्थक व उसके सहयोगी ये सैकुलर गद्दार।
हम सबने देखा कि किस तरह कश्मीर घाटी में भी हिन्दू सिख इस जिहादी मानसिकता का एक साथ शिकार हुए। इस देशद्रोही गिरोह के षड्यन्त्रों में फंसकर सारे भारत के हिन्दू-सिख एक साथ संगठित होकर युद्ध करने के बजाए आपस में छोटी-छोटी बातों पर बंटकर इस मुस्लिम जिहादी आदमखोर मानसिकता का काम आसान बनाते रहे । कामोबेश यही स्थिति सारे भारत में दिख रही है ।
हम तो कहते हैं अभी भी देर नहीं हुई है हम सब हिन्दूसिखों को एक साथ मिलकर इन मुस्लिम जिहादियों व उनके समर्थक इन धर्मनिर्पेक्षतावादियों का नामोनिशान इस गुरूओं की भूमि भारत से मिटाने के लिए अखिलभारतीय स्तर पर क्राँति का सूत्रपात कर खालसा पंथ के मूल उदेशय को पूरा करने की राह पर निकलना चाहिए। अन्यथा हम सब के साथ सारे भारत में वही होगा जो कश्मीर घाटी में हुआ ।
आज कश्मीर घाटी के वो जिहादी जो कश्मीर घाटी में हिन्दुओं व सिखों पर हुए अत्याचारों के गुनाहगार हैं। सारे भारत में किसी न किसी काम का बहाना लेकर बेखौफ घूम रहे हैं। मुस्लिम जिहादी आदमखोर मानसिकता व गोला बारूद का बिस्तार सारे भारत में कर रहे हैं। बेसमझ हिन्दू-सिख उनको उनके किए की सजा देने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और हिन्दुओं-सिखों व सैनिकों के खून से लथपथ समान खरीदकर इन जिहादियों को और ताकतवर बना रहे हैं । इससे बड़ी बेवकूफी और क्या हो सकती है ?
जागो ! हिन्दू जागो !
अफगानिस्तान पाकिस्तान बांगलादेश सब हिन्दुविहीन हो गए।
अब कश्मीर आसाम को हिन्दुविहीन घोषित करने की तैयारी है।।
आज जिहादी हमलों में वो घरबार परिवार सहित मारे गए।।।
कल हमारी फिर हमारे बच्चों को मारने की तैयारी है।।।।
जिस तरह सिखों का इतिहास धर्म की रक्षा के लिए किए गए बलिदानों से भरा पड़ा है ठीक इसके विपरीत जिहादी मुसलमानों का इतिहास हिन्दुओं-सिखों पर किए गये अत्याचारों व इस देव भूमि भारत से धर्म का नामोनिशान मिटाकर मुस्लिम जिहादी आदमखोर अल्लाह का राक्षसी राज्य स्थापित करने के दुस्साहसों से भरा पड़ा है !
फिर क्या वजह है कि जो कांग्रेसी उन सिखों का खून बहाने व उन क्राँतिकारियों का अपमान करने का पाप करतें हैं जिनकी कुरबानियों की वजह से हिन्दू आज तक इन जिहादी राक्षसों का शिकार होने से बचे हैं व अपनी सभ्यता संस्कृति को बचाने में कुछ हद तक सफल हुए हैं।
पर वही काँग्रेसी उन जिहादी राक्षसों के लिए हिन्दुओं का खून बहाने के लिए तैयार हो जाते है जो अगर बाकी हिन्दुओं को मारने में सफल हो जाते हैं तो अंत में इन कांग्रेसियों को भी नही छोड़ेंगे ।
क्या इन जिहादी राक्षसों ने कश्मीर में हिन्दुओं को हलाल करते वक्त उन सैकुलर हिन्दुओं को छोड़ दिया जो हर वक्त हर हाल में इन जिहादियों को आगे बढ़ाने के लिए आतुर नजर आते हैं ? नहीं न ।
आज भारत में जम्मू-कश्मीर ही एकमात्र राज्य है जिसमें मुसलमान निर्णायक स्थिति के करीब हैं ये धर्मनिर्पेक्षता का ड्रामा करने वाले जोकर जरा देश को बताएँ कि आज तक हिन्दुओं का कत्लेआम करने वाले कितने जिहादियों को प्रशासन द्वारा फाँसी पर लटकाया गया व कितने सैनिकों व हिन्दुओं को इन जिहादियों ने शहीद किया और 60 वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आज तक कोई हिन्दू क्यों मुख्यामन्त्री न बन पाया या फिर इनकी भाषा में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक होने के नाते क्या विशेषाधिकार प्राप्त हैं ।
ये नहीं बता सकते, हम बताते हैं उनको सिर्फ एक विशेषाधिकार प्राप्त है और वह है जिहादियों की इच्छा अनुसार हलाल होने का वो भी इन सैकुलर गद्दारों द्वारा भारतीय सेना की कार्यवाही के ऊपर तरह-तरह के अंकुश लगा देने की वजह से । यही अंकुश सैनिकों के शहीद होने की बढ़ रही संख्या का भी प्रमुख कारण वन रहे हैं ।
एक तरफ ये गिरोह सेना के ऊपर अंकुश लगाकर देशद्रोहियों का हौसला बढा रहा है दूसरी तरफ मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैलाकर सेना को बदनाम करने के षड्यन्त्र रच रहा है।तीसरी तरफ देशविरोधी मानवाधिकार संगठनों द्वारा आतंकवादियों के मानवाधिकारों का प्रश्न उठाकर सैनिकों पर आतंकवादियों को न मारने के लिए दबाव वनाया जा रहा है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि सेना ने देश की रक्षा करने की कसम उठाई है न कि गद्दारों द्वारा सेना पर लगाय जाने वाले अंकुशों की वजह से बिना लड़े इन जेहादायों के हाथों मरने की !
यह वही गिरोह है जो सत्ता में आते ही सेना को भी अपनी हिन्दुविरोधी मुहिम में शामिल करने के लिए सेना में मुसलमानों की गिनती करने का आदेश देता है जिसे देशभक्त सेना विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर इस हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह के देशविरोधी षड्यन्त्र को असफल कर देती है ।
यही दुस्साहस यदि किसी मुस्लिम या ईसाईबहुल देश में किया जाता तो बहाँ की सेना तख्तापलट कर ऐसे देशद्रोहियों को फांसी पर लटकाकर प्रशासन अपने हाथ में ले लेती । ये तो भारतीय सेना के संयम की इंतहा है कि सेना ने ऐसा दुस्साहस करने वाले इस देशद्रोही गिरोह को बख्श दिया । वरना आज तक देश के बिभिन्न हिस्सों में सिर उठा रहे गद्दारों व देश की रग-रग को खोखला करने में लगे भ्रष्टाचारियों के होश ठिकाने आ गए होते।
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