मित्रो हमारे जैसे बहुत से नौजवान और प्रौढ़ ऐसे हैं
जिनके खानदान में या तो हर कोई काँग्रेसी रहा है या फिर कोई न कोई तो काँग्रेसी
जरूर ही रहा है...कोई सहमत हो या न हो पर ये एक सच्चाई है कि संघ परिवार से जुड़े
संगठनों को छोड़कर सबकी सब पार्टियां या तो काँग्रेस से निकली हैं या फिर काँग्रेस
से टूटे नेताओं द्वारा बनाई गई हैं । हद तो ये है कि संघ की स्थापना करने वाले परम
पूजनीय डा हेडगवार जी भी संघ की स्थापना करने से पहले काँग्रेस के ही पदाधिकारी
थे...
लेकिन इटालिन अंग्रेज Advij Antoniya Albina Mino के काँग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद काँग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने जो हिन्दूबिरोधी-भारतविरोधी रूख अपनाया है उसे देखकर सच कहें तो हमारे होश उड़ गए हैं कि क्या एक व्यक्ति के बिदेशी होने से सारे के सारे भारतीय जो हिन्दूत्व समर्थक है रातों-रात अपने सब बिचार बदलकर एक ऐसे बिचार का साथ दे रहे हैं जिसका मूल Target ही हिन्दूओं को कमजोर कर भारत को समाप्त करना है...
बहुत से लोग ये कह सकते हैं कि इस अंग्रेज की लड़ाई सिर्फ
संघ परिवार से जुड़े उन हिन्दूओं से है जिन्होंने इसे भारत का प्रधानमन्त्री बनने
से रोका लेकिन ये बास्तविकता से कोसों दूर है...
क्योंकि अगर इस अंग्रेज या फिर यूँ कहें कि इस अंग्रेज के
नेतृत्व वाली काँग्रेस की लड़ाई अगर संघ परिवार से है तो फिर भारतीय सेना और पुलिस
पर हमला करने का क्या औचित्य है?
आप सब देख रहे हैं कि किस तरह
काँग्रेस सरकार लगातार भारतीय सुऱक्षाबलों पर ये दबाब बनाए हुए है कि इसलामिक और
बामपंथी आंतकवादियों के बिरूद्ध कोई कड़ी
कार्यवाही न की जाए और जो सैनिक या फिर पुलिस का जवान इन आतंकवादियों को ठिकाने
लगा रहा है उसे इस अंग्रेज की गुलाम सरकार जेल में डालकर न केवल बदनाम कर याताना
दे रही है वल्कि वाकी सुरक्षा बलों पर भी ये दबाब बना रही है कि इन आतंकवादियों के
बिरूद्ध कार्यवाही करने का क्या अन्जाम हो सकता है? परिणाम सबके सामने है कि एक वर्ष पहले बौद्ध गया पर हमले की
सूचना मिलने व महीनों पहले आतंकवादियों की नाम सहित जानकारी मिलने के बाबजूद किसी
भी सुरक्षा ऐजेंसी से जुड़े किसी भी वयक्ति ने सरकार के डर से इन आतंकवादियों के
बिरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की और परिणामस्वारूप शांति के दूत परम पूजनीय भगवान
बुद्ध की पाबन यादों पर ये आतंकवादी हमला करने में सफल रहे....
आप सबको जानाकरी है कि 2004 में इस
अंग्रेज की गुलाम सरकार बनते ही सरकार ने सहीद होने पर अर्धसैनिक बलो के परिवारों
को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर ये कहकर रोक लगा दी कि सरकार के पास पैसे की कमी
है...
उसके
बाद इस सरकार ने भारतीय सेना को साँप्रदायिक आधार पर बाँट कर भारत में गृहयुद्ध
करवाने के लिए सेना में हिन्दू-मुसलमान की गिनती करने के आदेश जारी कर दिए...जिसे
ततकाली थलसेना अध्यक्ष जनरल जे जे सिंह जी ने सिरे से नकार कर भारत को इस सरकार
द्वारा पैदा की जाने वाली भारत के इतिहास की सबसे बड़ी आपदा से बचा लिया।
फिर इस अंग्रेज के गुलाम
प्रधानमन्त्री ने घोषणा कर दी कि भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है...प्रश्न
ये उठता है कि हिन्दूओं का पहला अधिकार किस देश के संसाधनों पर होगा?
सरकार की अगली घोषणा देश में मुसलिम बहुल जिलों का विकाश
किया जाएगा...हिन्दूओं ने क्या अपराध किया है?
गुलाम प्रधानमन्त्री ने सुरक्षा
बलों की बैठक में कहा कि आतंकवादी हमला होने के बाद मुसलमानों पर शक न किया जाए न उन्हें
पकड़ा जाए...मतलब अगर इसलामिक आतंकवादी हमला करें तो हिन्दूओं को जेल में डाला जाए...हद
तो तब गई जब इस सरकार ने जेलों में बन्द इसलामिक आतंकवादियों को छोड़कर उनकी जगह सैनिकों,
पुलिस वालों और हिन्दूओं को जेलों में बन्द करना शुरू कर दिया...
इसके साथ ही सरकार ने सुरक्षा बलों को बगंलादेश से घुसपैठ
करने वाले आतंकवादियों पर भी गोली चलाने से मना कर दिया।
निहत्थे जवानों के हालात |
इस इटालियन अंग्रेज की गुलाम सरकार ने
हिन्दूविरोध-भारतविरोध की सब सीमांयें उस
वक्त लांघ दी जब इस सरकार ने उस कशमीरघाटी में( जिसमें 60000 हिन्दूओं को कत्ल कर
500000 हिन्दूओं को उनके घरबार से उजाड़ दिया...मां-बहन-बहु-बेटियों की इज्जत आबरू
को लूटा गया सो अलग ) भारतीय सेना को उस कशमीर पुलिस के निचे ला खड़ा किया जिस
कशमीर पुलिस में खुद सरकारों ने आतंकवादियों की भर्ती की हुई है...सेना की कितनी
ही बटालियनें ऐसी हैं जिन्हें सिर्फ इसलिए कमांडर सहित लाइन हाजिर कर दिया गया
क्योंकि उन सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकवादियों को मारा...
आगे चलकर इस
सरकार ने गद्दारी की सारी सीमांयें पार करते हुए सैनिकों को ये आदेश जारी कर दिए
कि जहां कहीं भी अलगाववादी मुसलमान विरोध करें वहाँ उन्हें पहले निहथे जाकर ही
लड़ना है और परिणाम सबके सामने हैं कि पिछले तीन महीनों में इन अलगाववादी
आतंकवादियों ने इतने अधिक सैनिकों का कत्ल किया है जितना आज तक कभी नहीं हुआ ...
इशरत जहां
का मामला तो आप सबके सामने है ही जिसे आतंकवादियों से भरी पड़ी J&K पुलिस से लेकर IB & FBI और LET तक सबने आतंकवादी बताया अब इस सरकार ने उस आतंकवादी सहित चार अन्य
आतंकवादियों को मारकर निर्दोष नागरिकों की रक्षा करने वाले पुलिस वालों को जेलों
में डालकर इस आतंकवादी हमले की सूचना देने वाली केन्द्रीय ऐजेंसी को भी कटघरे में
खड़ा कर दिया...
परिणामसबके
सामने है कि आज सरकार ने भारत की दो प्रमुख सुरक्षा ऐजेंसियों को आपस में लडवाकर भारत
की सुरक्षा को ही खतरे में डाल दिया है...
अब आप खुद फैसला कर
लो कि काँग्रेस का हमला सिर्फ संघ परिवार पर है या फिर सिर्फ भारतीय सेना पर या
फिर IB या CAG पर या फिर सिर्फ गुजरात
पुलिस पर या फिर सिर्फ नरेन्द्र मोदी पर या फिर सारे हिन्दूओं पर या फिर सारे भारत
पर...और हमारे बिचार में ये हमला हिन्दूओं के लिए भी उतना ही खतरनाक है जितना
मुसलमानों के लिए क्योंकि इटालियन अंग्रेज की मनसा तो भारतीयों के बीच झगड़ा पैदा
करने कि है पहले भी अंग्रजों ने भारत को इसी फूट डालो और राज करो के षडयन्त्र के
माध्यम से भारत को 300 वर्ष गुलाम रखा। क्या फिर इतिहास अपने आपको दोहरा रहा है? या फिर हमारी सोच में ही गडबढ़ है देश में ऐसा
कुछ नहीं हो रहा है ...हम सबको याद रखना पड़ेगा कि अगर देश के हालात बिगड़े तो
इसकी कीमत हम भारतीयों को ही चुकानी पड़ेगी ...ये अंग्रेज तो अपने देश इटली जाकर
आराम से आन्नद उठायेंगी हम भारतीयों के आपस में लडने का...
बहुत से हमारे
काँग्रेसी मित्र इस बात से नाराज हो जाते हैं कि हम काँग्रेस के वारे में ऐसा कह
रहे हैं इन मित्रों से हम यही कहेंगे कि वो एकवार आजाद होकर सोचें और समझने की
कोशिश करें कि जो हिन्दू 1300 वर्षों से चर्च व इसलाम द्वारा कुचले जाने के बाबजूद
आज तक हथियारवन्द लड़ाई से कोसों दूर भागते आए हैं उन्हीं निहत्थे हिन्दूओं को
आतंकवादी कहना और असली आतंकवादियों को 3,00,000 की एफ डी के साथ पेंसन देने के
साथ-साथ सुरक्षा बलों से बचाना क्या कोई सच्चा हिन्दू या यूँ कहें कोई सच्चा देशभक्त
बरदाश कर सकता है?