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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

भारतीय जीवन पद्धति की सबसे बड़ी जरूरत आज भारत को है संदर्भ 5 वर्ष की बच्ची से बलाताकार के बाद उसके पेट में मोमवती और सीसी का डाला जाना


मित्रो आज मर्यादापुर्षोत्म भगवान श्री राम जी का जन्मदिन है इस दिन जो समाचार आप सारा दिन संचार साधनों पर देखते रहे उन समाचारों ने आपसबको झकझोर कर रख दिया होगा अगर आपका दिमाग एक इनसान की तरह सोचता है तो । मित्रो समाज में अपराध होना कोई नई बात नहीं लेकिन अपराध का सतर इस हद तक गिर जाना कि दिलोदिमाग ये सोचने पर मजबूर हो जाए कि अपराध करने वाला इनसान है या कोई शैतान तो ये अमानबीयता की चर्मसीमा है। भारत कभी ऐसा नहीं रहा है न कभी भारत के संसकार में ऐसी शिक्षा दी गई लेकिन विदेशियों की गुलामी के परिणामस्वारूप भारत की पहचान बदलने की एक योजनाबद्ध कोशिश की जा रही है जिसमें ये कहा जा रहा है कि भारत के लोग अन्धविशवासी हैं इसलिए भारतीय संसकृति को समाप्त कर भारत को सेकुलर बनाना बहुत जरूरी है और सेकुलर का अर्थ समझाया जा रहा है धर्मनिर्पेक्ष मतलब धर्मविहीन । भारत में इनसानों को एक ऐसे सेकुलर सैतान में बदलना है जो किसी धर्म का पालन न करे न भाई-भहन के धर्म का, न पिता-पुत्र के धर्म का, न पति-पत्नि के धर्म,न देशधर्म का, न इनसानियत के धर्म का तभी तो संचार माध्यमों में गोत्र बयवस्था जो भाई-बहन के बयापक रिस्तों का आधार है को समाप्त करने की वकालत की जा रही है विना ये सोचे समझे कि आज भी भारत की 80% से अधिक जनता विना किसी पुलिस की सहायता के धर्म का पालन करते हुए अपना जीवन यापन करती है आज भी भारत के के बहुसंख्यक लोग कन्या यानिके वालिका को पैर से छूना पाप मानते हैं उनकी पूजा करते हैं लेकिन सेकुलर सैतानों को इस पर आपति है वो कहते हैं कि महिला को आजाद करो महिला को ही नहीं पुरूष को भी वेलुगाम करो ताकि वो मिलकर मानबता के हर रिस्ते को तार-तार कर सकें। भारतीयों की धर्मपरायाण मानसिकता को बदलने के लिए निशबध जैसी फिल्म बनाई जाती है जिसमें दादा की उमर(60 वर्ष) का वयक्ति 20 वर्ष की कन्या जो कि उसकी पौत्री की उमर की है से बिबाहोत्र सबन्ध बनाने की कामना ही नहीं करता है वल्कि उसको अनजाम तक पहुंचाने के लिए हर सम्भव प्रयास भी करता है मतलब महोश भट्ट-एम एफ हुसैन जैसे कंजरों से भरी पड़ी फिल्म इंडसटरी की पिशाचिक सोच(पशुवृति) को भारतीयों के दिलो-दिमाग पर हावी करने का सोचा-समझा प्रयास किया जाता है जिसमें अमिताभ बच्चन जैसा वयक्ति जिसको न पैसे की कमी है न नाम की सिर्फ इस पशुवृति को भारतीयों के दिमाग में भरकर उन्हें सेकुलर बनाने के अपने मकसद के लिए उपयोग किया जाता है मतलब अमिताभ की सौहरत का प्रयोग मानबीय मूल्यों को बढ़ाबा देने के बजाए अमानबायता को बढ़ाबा दने के लिए किया जाता है। हम जब छोटे थे तो बताया जाता था कि गांव की सब लड़कियां बहनें है बड़ों के लिए बेटी हैं व शादी से पहले किसी भी लड़की से बिबाहतोर सबन्ध बनाना पाप(गलत)है और अगर गलती से ये सबन्ध बन ही गए तो शादी करना जरूरी है बरना इससे बड़ा कोई अपराध न होगा लेकिन जैसे-जैसे हम पढ़ते गए तो हमारी सोच पूरी तरह से सेकुलर होती गई और हमें वताया जाने लगा कि जहां भी सम्भव हो विबाहतोर सबन्ध बनाना जरूरी है अब तो पाठसालाओं में घूम-घूम कर बताया जा रहा है कि डट के बिबाहतोर सबन्ध बनाओ लेकिन निरोध का उपयोग कर मतलब भारतीय मूल्य संसकार को समाप्त करने के लिए सरकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं । मित्रो आप किसी भी पढ़े-लिखे वयक्ति उमर चाहे 60 वर्ष ही क्यों न हो को देख लो और उसकी सोच का इमानदारी से मूल्यांकन करो तो आप पायेंगे कि वो भारतीय नहीं वल्कि पूरी तरह से सेकुलर है क्योंकि बर्तमान शिक्षा बद्धति मैकाले द्वारा भारत से भारतीयता को समाप्त करने के उद्देशय से ही लागू की गई थी उपर से कंजरो द्वार संचालित फिल्म इंडसटरी ने हालात को और बदतर कर दिया जो कसर रह गई थी उसे तथाकथित समाचार चैनलों व धारबाहिकों ने पूरा कर दिया । कहतें हैं करेला और नींव चढ़ा यहां तो पहले कलयुग का दुशपरिभाव, उपर से विदेशी आक्रमणकारी असभ्यताओं का दुशप्रभाव और साथ में मैकाले शिक्षा पद्धति मानो भारतीयों को बर्बाद करने के लिए इतना सब काफी न हो तो ये फिल्म इंडसटरी व समाचार चैनल और धारबाहिक व सरकारी प्रयास। परिणाम आप सबके सामने है हर दिन मां-बहन-बहू-बेटियों की इज्जत आबरू से खिलवाड़ उपर से सरकार द्वार इस तरह का अमानबीय बयबहार करने वालों को कठोर दंड देने के लिए कानून बनाने से इनकार और सरकार कठोर दंड देने का कानून बनाए भी तो कैसे क्योंकि संसद में ऐसे सांसदों व देशभर में ऐसे बिधायकों का बहुमत है जो पूरी तरह से सेकुलर हैं हद तो तब है जब बड़ों मतलब प्रौढ़ लोगों के लिए बनाई गई राज्यसभा में सभापति पर ही बालातकार के आरेप हैं उपर से सरकार एक ऐसी महिला की गुलाम जो शादी में दहेज में एक लुटेरा साथ में लेकर आती है तथा जिसके देश का प्रधानमन्त्री हर रात नई महिला का बलातकार करता है जिसमें नावालिक लड़कियां भी सामिल है। अब आप बताओ जिस देश में मानबता का शूत्रधार भारतीय संस्कार ही हर सेकुलर शैतान के निशाने पर हो और हर सेकुलर शैतान का ही मकसद हो धर्मविहीन समाज की स्थापना करना वहां क्या कोई मूल्य सुरक्षित रह सकता है और जब कोई मूल्य सुरक्षित नहीं रहेगा तब तो जो पैसे वाला है जिसके पास ताकत है हथियार है उसकी मां-बहन-बहु-वेटियां तो हर तरह से सुरक्षित हैं लेकिन यही ताकत गरीबों के लिए मध्यम बर्ग के लिए व आम लोगों के लिए जी का जंजाल बन चुकी है आओ सब भारतीयों की मां-बहन-बहू-बेटियों की इज्जत आबरू सुरक्षित करने के लिए भारत में फिर भारतीय जीवन पद्दति को पुनरस्थापित करने का इमानदार प्रयास करें क्योंकि दुनिया भर के देशों में आज भारत को ही सबसे ज्यादा हिन्दू जीवन पद्धति की जरूरत है

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