Pages

मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

बुधवार, 28 सितंबर 2011

जब भगत सिंह जी ने भारत माँ की सेवा के लिए घर छोड़ दिया…

जब भगत सिंह जी पाँच वर्ष के हुए, तो पढ़ने के लिए गाँव की प्राईमरी पाठशाला में विठाये गये। वे पढ़ने लिखने में बढ़े तेज थे। खेलों में भी उनकी बड़ी रूची थी। प्राईमरी की शिक्षा के बाद उनके पिता जी ने उनका नाम लाहौर के खालसा स्कूल में लिखवा दिया।फलत: वे पढ़ने के लिए लाहौर चले गये।
भगत सिंहBhagat_Singh_1929 अधिक दिनों तक खालसा स्कूल में नहीं पढ़ सके। इसका कारण यह था कि स्कूल का बाताबरण विलकुल विदेशी था। लड़के अंग्रेजी बोलते थे और विदेशी ही पोशाक पहनते थे। खान-पान, रहन-सहन---सबकुछ अंग्रेजी ढ़ंग का था।
किशन सिंह जी को ये सब अच्छा नहीं लगता था क्योंकि वे देशभक्त थे, भारतीयता उनकी रग-रग में समाई हुई थी। वे नहीं चाहते कि विदेशी बाताबरण में उनका बच्चा भारतीय संस्कृति से दूर चला जाए।
अत: किशन जी ने भगत सिंह का नाम खालसा स्कूल से कटवाकर डी.ए.वी. स्कूल में लिखवा दिया। भगत सिंह ने डी. ए. वी. से ही दशवीं की कक्षा पास की। 1920ई. में गाँधी जी का असहयोग अन्दोलन चला। अहसहयोग अन्दोलन में अंग्रेजों के नियन्त्रण वाली सरकारी संसथाओं का वहिष्कार किया गया और जगह-जगह राष्ट्रीय स्कूल व कालेज खोले गए।
लाहौर में भी भाई परमानन्द जी के प्रयत्नों से नेशनल कालेज की स्थापना की गई। भाई जी ही उस कालेज की देखरेख करते थे।
नेसनल काले की स्थापना होने पर भगत सिंह ने डी.ए.वी. कालेज छोड़ दिया व नेशनल कालेज में एफ.ए. में नाम लिखवाकर पढ़ने लगे।
नेशनल कालेज में ही भगत सिंह जी का शुखदेव जीsukhdev-colour
और
भगवती चरण जी Bhagwati_Charan_Vohra से परिचय हुआ। यह परिचय धीरे-धीरे घनिष्ठ मित्रता में बदल गया।वह मित्रता जीवनभर वनी रही।
एकवार कालेज में चन्द्रगुप्त नाटक खेला गया।उस नाटक में भगत सिंह ने शशिगुप्त अर्थात चन्द्रगुप्त का अभिनय किया था। उन्होंने उनके सैनिक जीवन से लेकर सम्राट होने तक का अभिनय इतनी खूबी के साथ किया कि दर्शक मुग्ध होकर रह गये। स्वयं भाई परमानन्द जी ने उनके अभिनय की प्रशंसा करते हुए कहा था “तुम एक दिन अवश्य अपना नाम ज्जवल करोगे।”
कालेज की पढ़ाई के दिनों में ही भगत सिंह के जीवन में एक ऐसी घटना घटी, जिसके कारण उनके जीवन के रंगमंच का पर्दा बदल गया।
भगत सिंह तो भाई थे । उनके दूसरे भाई का नाम जगत सिंह था। अल्पावस्था में ही जगत सिंह की मृत्यु हो गई। कुछ दिनों में घर के लोगमृत्यु के शोक को भूल गए और घर में नई बहार लाने के लिए भगत सिंह का विवाह करने की बात सोचने लगे।
किशन सिंह जी ने भगत सिंह का विवाह करने का निश्चय कर लिया।उन्होंने विवाह के लिए एक लड़की को भी देख लिया।
भगत सिंह उन दिनों बी. ए. पास कर चुके थे। उन्होंने बी. ए. पास करने से पहले ही देश की सेवा करने का ब्रत ले लिया था। उन्होंने निश्चय किया था कि वे अपने चाचा अजित सिंह की तरह आजीबन देश की सेवा करेंगे, भारत की स्वातन्त्रता के लिए संघर्ष करेंगे।
भगत सिंह को जब अपने विबाह की बात मालूम हुई तो उन्होंने अपने पिता जी को पत्र लिखा, “पिता जी, मैंनें चाचा अजित सिंह जी की तरह देश सेवा का ब्रत लिया है। यह प्रेरणा मुझे आप से ही मिली है। अत: कृपा करके आप मुझे विवाह के बन्धन में न बाँधें । मैं विबाह नहीं करना चाहता।”
भगत सिंह के पत्र ने उनके घर में खलबली पैदा कर दी। उनकी माँ और उनकी दादी बहुत दुखी हुईं। वे किसी तरह भगत सिंह को विबाह करने के लिए राजी करना चाहतीं थीं। क्योंकि भगत सिंह ही अब उस घर के जीवनावलम्ब थे। अत: वे उन्हें छोड़ना नहीं चाहती थीं, उन्हें शीघ्र से शीघ्र गृहस्थ जीवन में लाना चाहती थीं।
फलत: किशन जी ने भगत सिंह को पत्र लिखा ,“मैंनें तुम्हारा विवाह करने का निश्चय कर लिया है। विवाह के लिए लड़की भी पसन्द कर ली है। तुम्हें अपना निश्चय बदलकर मेरी बात माननी चाहिए। तुम्हारी माँ और तुम्हारी दादी की भी यही इच्छा है कि तुम विबाह करके गृहस्थ जीवन व्यतीत करो ।”
पिता का पत्र पाकर भगत सिंह संकट में पड़ गये-वे सोचने लगे, अब करें तो क्या करें? पिता जी की बात मानकर विबाह करें या भारत माँ की सेवा करने के अपने व्रत को पूरा करने के लिए मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करें?
कई दिनों तक सोचने और विचार करने के बाद भगत सिंह जी ने निश्चय किया कि वे विबाह नहीं करेंगे, भारतमाता Bharat manकी सेवा में ही अपना जीवन व्यतीत करेंगे।
भगत सिंह जी ने पिता जी को उतर दिया , “पिता जी मातामही मुझे पुकार रही है। मैंनें उसकी पुकार पर अपने जीवन की डोर उसके हाथ दे दी है। अत: मैं आपकी बात न मानने पर विवश हूँ। वाद-विवाद अधिक न बढ़े और मैं कठिनाई में न पड़ूं, इसलिए अब मैं लाहौर छोड़ रहा हूँ। कहाँ जाऊँगा-कुछ कह नहीं सकता।”

शनिवार, 24 सितंबर 2011

जब बालक भगत सिंह ने उतर दिया “मैं बंदूकें बनाता हूं।”

आज से लगभग सौ वर्ष पहले लायपुर जिले के गांव वंगा में एक हिन्दू-सिख कुटुम्ब रहता था।यह कुटुम्ब अपनी देशभक्ति के लिए प्रसिद्ध था। गांव के लोग इस कुटुम्ब का बड़ा आदर करते थे।
कुटुम्ब में तीन भाई थे--- सरदार किशन सिंह जी,सरदार स्वर्ण सिंह जी और सरदार अजीत सिंह जी। भारतविरोधी–हिन्दू विरोधी अंग्रेज सरकार ने तीनों भाईय़ों को देशभक्ति के अपराध में जेल भेज दिया था। इनमें से अजीत सिंह जी को काले पानी की सजा दी गई थी।
घर में किशन सिंह जी की मां जी और पत्नी को छोड़कर और कोई नहीं था।
1907 ई. के सितम्बर माह में किशन जी की पत्नी ने एक बालक को जन्म दिया । बालक देखने में शुन्दर था हष्टपुष्ट था ।
बालक के जन्म लेने से घर में हर्ष और उत्साह की लहर दौड़ पड़ी। गाना-बजाना होने लगा। गांव के लोग किशन सिंह जी की मां जी को बधाईयां देने आने लगे।
जिस समय किशन जी के घर में गाने बजाने का क्रम चल रहा था उसी समय वे जेल से छूटकर आ गये। उनके आने से हर्ष और उत्साह में पंख लग गये। किशन जी की मां की खुशी का तो कहना ही क्या था। मां तो खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी। मां जी के मुख से निकल पड़ा “ये लडका तो बड़े भागों वाला है । इसके पैदा होते ही इसके पिता जेल से छूट कर आ गये।”
किशन सिंह जी की मां ने इस बालक का नाम भगत सिंह रखा। यही बालक भगत सिंह वे अमर शहीद भगत सिंह जीshaeed ji हैं, जिन्होंने अपनी देशभक्ति से मातृभूमि का मस्तक ऊँचा करने के लिए सर्वोत्तम वलिदान दिया था।
भगत सिंह का लालन-पालन बड़े प्यार से हुआ। घर में सब लोग उन्हें बहुत प्यार करते थे। ये चंचल बालक हमेशा हंसता रहता था।
भगत सिंह ज्यों-ज्यों उमर की सीढ़ियां चढ़ने लगे ,त्यों-त्यों उनकी सुन्दरता निखरने लगी, उनकी चंचलता में पंख लगने लगे। जब वे कुछ और बड़े हुए, तो संगी साथियों के साथ खेलने लगे।
बालक भगत सिंह साथियों को दो दलों में बाँट दिया करते थे और बीरता के खेल खेला करते थे।
भगत सिंह का कुटुम्ब बड़ा धार्मिक था। घर में भजन और कीर्तन प्राय प्रतिदिन हुआ करते था। बालक भगत सिंह बड़े प्रेम से भजन और कीर्तन सुना करते थे। उन्होंने सुन करके ही बहुत से गीत याद कर लिए थे। वे अपने पिता जी को बड़े प्रेम से गायत्री मन्त्र सुनाया करते थे।
एक दिन भगत सिंह के पिता जी अपने मित्र के घर गये। आनन्द किशोर जी बड़े देशभक्त थे। उन्होंने बालक भगत सिंह से पूछा “तुम कौन सा काम करते हो?”
बालक भगत सिंह ने उतर दिया “मैं बंदूकें बनाता हूं।”
आनन्द किशोर जी ने पुन: दूसरा प्रश्न किया “तुम बन्दूकें क्यों बनाते हो?”
बालक ने सहज भाव से उतर दिया “मैं बन्दूकों से भारत मांab1_thumb[2] को स्वतन्त्र करूँगा”
आनन्द किशोर बालक भगत सिंह के उतर से बड़े प्रसन्न हुए।उन्होंने उनके पिता से कहा “तुम बड़े भाग्यशाली हो। तुम्हारा यह पुत्र अपने साहस और अपनी बीरता से तुम्हारे पूर्बजों का नाम उज्जल करेगा।”
आनन्द किशोर जी की कही हुई बात सत्य सिद्ध हुई। भगत सिंह ने बड़े होकर अपने साहस और वीरता से सिर्फ अपने पूर्बजों का ही नहीं वल्कि सारे देश का मुख उज्जवल किया।
दूसरी वार बालक भगत सिंह अपने पिता के साथ खेत पर गये। खेत में हल चल रहा था।
बालक भगत सिंह ने अपने पिता से पूछा, “पिता जी ,यह क्या हो रहा है?”
पिता ने उतर दिया,“खेत में हल चला रहा है। खेत की जुताई हो रही है। जुताई के बाद खेत में गेहूं के बीज बोये जायेंगे।”
बालक भगत सिंह ने सहज भाव से कहा, “पिता जी आप पिस्तौलों और बन्दूकों की खेती क्यों नहीं करते, guns_thumb[1]आप गेहूं के बीज न वोकर, बन्दूकों के बीज क्यों नहीं बोते?”
पिता जी आश्चर्यचकित होकर बालक भगत सिंह के मुख की ओर देखने लगे। उन्हें क्या मालूम था कि उनका यह बालक बड़ा होने पर सचमुच बन्दूंकों की खेती करेगा। सचमुच बन्दूकों और पिस्तौलों pistols_thumb[2]के बल पर आक्रमणकारी अंग्रेज लुटेरों के अन्दर दहशत पैदा कर भारत माता की आजादी का नायक बनेगा।

मंगलवार, 20 सितंबर 2011

कानून मन्त्री द्वारा आतंकवादियों के समर्थन में हाथ उठाना कितना जायज?

जो मुसलिम आतंकवाद भारत को लहूलुहान कर अफगानीस्थान(9वीं शताब्दी) पाकिस्तान ,बंगलादेश जैसे हिस्सों में विभाजित कर चुका है और अब फिर भारत को विभाजित करने के लिए लगातार लहुलुहान कर रहा है उसी मुसलिम आतंकवाद को इजरायल के विरूद्ध बढ़ाबा देने के लिए भारत के कानून मन्त्री द्वारा हाथ उठाना कितना जायज है?Khursheed
जब भारत सेकुलर देश है तो एक सांप्रदायिक देश के निर्माण के लिए हाथ उठाना वो भी अन्य सांप्रदायिक देशों के साथ, क्या देश से गद्दारी करने से कुछ कम कहा जा सकता है?
क्या ये भारत की धरती का मुसलिम आतंकवाद को बढ़ाबा देने के लिए दुरूपयोग नहीं?
जरा सोचो जो मुसलिम आतंकवाद हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान चलाकर अकेले कशमीरघाटी में ही भारत के 60000 निर्दोष नागरिकों का खून बहा चुका है व पांच लाख से अधिक को वेघर कर चुका है और देशभर मे  आए दिन हिन्दूबहुल क्षेत्रों में हमले कर भारत को लहूलुहान कर रहा है उस आतंकवाद के साथ जब भारतविरोधी केन्द्र सरकार खुद खड़ी हो तो भला  इस आतंकवाद को रोकेगा कौन?
मुसलिम आतंकवाद समर्थक ऐसी सरकार को हम देशविरोधी-हिन्दूविरोधी नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?

शनिवार, 10 सितंबर 2011

ऐसा लगा मानो भारत का नहीं पाकिस्तान का प्रधानमन्त्री बोल रहा हो।

कांग्रेस ने पहले देश के सबसे बड़े देशभक्त संगठन RSS को मुसलिम विरोधी करार देकर RSS द्वारा भारत के नागरिकों के वीच भावनात्मक एकता पैदा करने के लिए उन्हें उनके खून के रिस्तों को याद करवाने के लिए किए जा रहे प्रयत्नों को अबरूद्ध करने की कोशिश की। जिसमें कांग्रेस काफी हद तक मुसलमानों के मन में RSS के प्रति संदेह की भावना पैदा करने में सफल रही। क्योंकि कांग्रेस के इस प्रयत्न को भारत के दुस्मनों द्वारा नियन्त्रित मिडीया का भरपूर साथ मिला। इस मिडीय ने ISI द्वारा प्रयोजित पत्रकारों व गौतम नबलखा जैसे दानवाधिकारवादियों के माध्यम से  कांग्रेस के देशविरोधी-हिन्दूविरोधी षडयन्त्रों को आम भारतीयों के मुंह से कहलवाने का भरपूर प्रयास किया जिसका खुलासा अमेरिका में आतंकवादी गुलामनवीफई की गिरफतारी के बाद हुआ।
भारत की खुशनसीबी देखिए कि जिस वक्त कांग्रेस ने मुसलिम आतंकवादियों को हथियार बनाकर अपना पूरा जोर RSS को ठिकाने लगाने में लगाया हुआ था ठीक उसी वक्त देश को भावनात्मक एकता के शूत्र में बांधने के लिए एक ऐसी आबाज उठी जिसने RSS से एक कदम आगे बढ़कर ब्यबस्था परिवर्तन का नारा देकर आज तक चली आ रही गुलामी की सब जंजीरों को तोड़कर एक ताकतबर भारत के निर्माण की बात आगे बड़ाई। ये आबाज   RSS से  भी बुलन्द व सपष्ट सुनाई दी। पहले तो कांग्रेस ने इस आबाज को RSS के विरूद्ध प्रयोग करने के लिए षडयन्त्र रचे लेकिन जब देखा कि जिस तरह खून-खून को पुकारता है उसी तरह इस आबाज ने भी संघ को पुकारा और दोनों आबाजें भारत मां की सेवा में एक होती दिखीं तो कांग्रेस ने इस आबाज को कुचलने के लिए इसे भी मुसलिम-विरोधी करार देकर देश की सब सुरक्षा ऐजेंसियों को स्वामी जी को पंसाने व बदनाम करने के काम में लगा  दिया। ये आबाज है स्वामी राम देव जी की। ये वो आबाज है जो बहुत जल्द कांग्रेस के असली भारतविरोधी चरित्र को जनता के सामने वेनकाब कर देगी।
भारतविरोधी  कांग्रेस ने जब अपना पूरा जोर  RSS और सवामी जी को कुचलने के लिए लगाया हुआ था तभी एक और आबाज उठी जिसने भारत की आजादी की दूसरी लड़ाई का विगुल बजा दिया। इस आबाज में वेसक किसी संगठन की ताकत नहीं थी लेकिन इस आबाज में वो बात थी जो हर स्वाभिमानी देशभक्त भारतीय के सीधे दिल तक जा पहूंची। यहां भी कांग्रेस ने पहले तो अपने ऐजेंट अग्निवेश जैसे भारतविरोधियों को पलांट कर इस आबाज को भी भारत वोले तो RSS के विरूद्ध मोड़ने की कोशिश की । फिर इनका चरित्र हनन करने की और फिर अपनी ऐजेंट अरूणा राय को आगे कर इस आबाज को कमजोर करने की कोशिस की।जब कोई षडयन्त्र कामयाब  न हो सका तो इसे भी मुसलिम विरोधी करार देकर इसे अमेरिका का ऐजेंट बताकर देश की ऐजेंसियों को इस आबाज को बुलन्द करने में जुटे देसभक्तों को बदनाम करने में लगा दिया।
जब JJ Singh जी सेना प्रमुख थे तो इसी कांग्रेस ने सेना को भी मुसलिम विरोधी करार देकर सेना में मुसलमानों की गिनती की बात उठाकर भारतीय सेना को विभाजित करने की असफल कोशिस की। अगर JJ Singh जी ढटकर विरोध न करते तो जरा सोचो इन गद्दारों की योजना क्या थी?
आज तो प्रधानमन्त्री ने प्रधानमन्त्री पद की सारी गरिमा को ताक पर रखकर सभी सुरक्षाबलों को मुसलमानों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित बताकर सबके सब देशभक्त जवानों को मुसलिमविरोधी करार दे दिया। इसकी बातों को सुनकर ऐसा लगा मानो भारत का नहीं पाकिस्तान का प्रधानमन्त्री बोल रहा हो। ये भारतविरोधी आतंकवाद समर्थक मनमोहन खान यहीं रूक जाता तो गनीमत थी इस आतंकवादी ने एक कदम आगे बढ़क यहां तक कह दिया कि बम धमाका होने की स्थिति में सिर्फ मुसलमानों को न पकड़ों। अब इस गद्दार को कौन समझाए कि जब दुनियाभर में आतंकवाद मुसलमान पैला रहें तो तो मुसलमान ही पकड़ें जा रहे हैं पिर ये कौन सा न्याय है कि भारत में आतंकवादी घटनाओं को मुसलमान अंजाम देते और उन्हें न पकड़ा जाए।
ऐसे ही भारतविरोधी आतंकवाद समर्थक गद्दार नेताओं की हिन्दूविरोधी सोच के परिमामस्वारूप मुसलिम आतंकवादी कशमीरघाटी व देश के अन्य हिस्सों में हिन्दूमिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान को सफलता पूर्वक अन्जाम देने में सफल हो रहे हैं और हमारे 20 लाख जवान कुछ नहीं कर पा रहे हैं। आज ऐसे ही गद्दार नेताओं के कारण 20 लाख जवानों द्वारा देशभक्त भारतीयों की रक्षा करना तो दूर उल्टा ये अपनी रक्षा करने में भी सफल नहीं हो पा रहे हैं। हां ऐसे गद्दार नेताओ के आदेशों का पालन कर अफजल-जिलानी-गिलानी-कसाब-उमर जैसे भारतविरोधी आतंकवादियों की रक्षा के लिए अपना खून पसीना बहाकर जरूर सफल हो रहे हैं।
मामला यहां भी नहीं रूका इससे आगे जाकर इस गद्दार ने अपनी विदेशी आका एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी व इस अंग्रेज के भारतविरोधी-हिन्दूविरोधी गद्दारों द्वारा पाकिस्तान में वने ईशनिंदा कानून के नकसेकदम पर  तैयार किया गया एक ऐसा कानून (Prevention of Communal and Targeted Violence Bill- 2011)सुझाया जिसके अनुसार किसी मुसलमान या ईसाई आतंकवादी द्वारा किया गया हिन्दू का कत्ल या हिन्दू की मां-बहन का बालात्कार या फिर हिन्दू की आस्था पर प्रहार कोई अपराध नहीं है लेकिन किसी हिन्दू द्वारा Self Defence की गई कोई भी कार्यवाही जघन्य अपराध है।

गुरुवार, 8 सितंबर 2011

जब कांग्रेसी प्रवक्ता ने ISI के बचाब लिए रक्षा विशेषज्ञ भरत वर्मा जी पर हमला वोल दिया

कल दिनांक 7 सित्मबर 11 को आप सबने देखा कि किस तरह एकवार फिर भारतविरोधी आतंकवादियों ने दिल्ली उच्च न्यायलय में धमाका injuredकर भारतीयों का खून बहाया। इसी धमाके के संदर्भ में STAR NEWS ने  आतंकवाद से कैसे बचा जा सकता है विषय पर एक चर्चा का आयोजन किया।
इसी चर्चा के दौरान रक्षा विशेषज्ञ भरत वर्मा जी bbने बताया कि क्योंकि इस धमाके में RDX से भी खतरनाक explosive PETN का उपयोग किया गया जो कि इस बात की ओर इसारा करता है कि इस हमले में एकवार फिर ISI का हाथ है। यह वही विस्फोटक है जिसका उपयोग अलकायदा द्वारा किया जाता है। इसलिए अब वक्त आ गया है कि भारत अपने निर्दोष नागरिकों का लगातार कत्ल करवाते रहने के बजाए आतंकवादियों को उनके विल में घुश कर मारे।
इतना सुनते ही मानो कांग्रेसी प्रवक्ता शकील एहमद Shakeelके अन्दर छुपी जिहादी आतंकवादी मानसिकता  मानो उनकी जुवां पर भी आ गई और उसने न आब देखा न ताब बस सीधे रक्षा विशेषज्ञ  भरत वर्मा जी पर सीधा हमला वोल दिया। हमला भी ऐसा कि मानो वो रक्षा विशेषज्ञ उनका सबसे बड़ा शत्रु हो। शकील ने कहा तुम पदाधिकारियों मतलब सैनिकों की यही सबसे बड़ी दिक्कत है कि तुम इनको मतलब भारतविरोधी आतंकवादियों को मारने की बात कतरते हो…मतलब आतंकवादियों को मारना तो दूर  आतंकवादियों को मारने की बात सुना भी अब कांग्रेंस को बर्दाश नहीं। वेचारे भरत वर्मा जी चुप हो गए। आखिर कांग्रेसी गुण्डों से लड़ना किसी आम इनसान के वस की बात तो नहीं।
उसके बाद ANTI TERRORIST FRONT के मुखिया विट्टा BIttaजी ने एक देशभक्त कांग्रेसी होने के नाते इस आतंकवाद समर्थक कांग्रेसी  प्रवक्ता से पूछा कि क्यों दिल्ली की मुख्यमन्त्री भुलर की मां को एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी  से मिलाने ले गई थी? क्यों कपिल सिब्बल ने भुलर का केश लड़ा ?क्यों कांग्रेस ने देश से गद्दारी कर भारतीयों के कातिल अफजल की फांसी को रोका के  हुआ है?
बस फिर क्या था इस आतंकवाद समर्थक कांग्रेसी प्रवक्ता  ने विट्टा जी पर भी हमला वोल दिया उनको अपमानित करने के लिए जो भी अपमानजनक शब्द वोले जा सकते थे सब के सब वोल डाले पर इस वार इस गुण्डे का बास्ता एक देशभक्त कांग्रेसी से ही पड़ा था।
विट्टा जी फिर पूछा कि क्यों गद्दार कांग्रेसी मोहन चन्द शर्मा जी mcsकी शहीदी का अपमान करने के लिए एक आतंकवादी के घर गए ?उस आतंकवादी को निर्दोष बताकर आतंकवादियों का हौसला बढ़ाया ? सुरक्षावलों का मनोवल कमजोर किया ?फिर जो बिट्टा जी व अन्य सबने इस आतंकवादियों के समर्थक को खींच-खींच कर जूते मारे बस मजा आ गया।
उसके बाद ये आतंकवादवाद समर्थक कांग्रेसी प्रवक्ता आ गया अपनी  फूट डालो और राज करो की उस नीचता पर जिसके लिए कांग्रेस अक्कसर जानी जाती है । बस फिर क्या था इस आतंकवादी ने शुरू कर दिया कि हिन्दू देश में आतंकवाद फैला रहे हैं ।
अब इस आतंकवादी कांग्रेसी प्रवक्ता से कोई फूछता कि दिल्ली में अब तक हुए दर्जनों बम्म धमाकों में से कितने हिन्दूओं ने किए तो जरा सोचो ये गद्दार क्या जबाब देता…
ऐसा नहीं कि इस गद्दार को इसी चैनल पर जूते पड़े । लगभग सभी चैनलों पर जहां भी ये गद्दार गया उसका हर जगह यही हश्र हुआ।
हम ये नहीं कहते कि ये इसकी व्यक्तिगत गद्दारी है ये कांग्रेस की सरकारी गद्दारी है
भारतविरोधी आतंकवादियों से आम भारतीयों को मरवाकर उनके कत्त्ल का दोश देशभक्त भारतीयों पर लगाकर पाकिस्तन की ISI के भारतविरोधी षडयन्त्रों को सफल बनाने के लिए भारतीयों को आपस में लड़ाओ…
terrosits
पहचानों इन्हें

बुधवार, 7 सितंबर 2011

Take on remand SAR Gilani &Umar Abdulla to solve High court attack case


हमें नहीं लगता कि भारतविरोधी अबदुल्ला खानदान के इस सपोले Umar abdulaका कोई परिचय करवाने या इसके भारतविरोधी कुकर्मों पर किसी विस्तृत लेख की जरूरत है। आप सब देख रहे हैं कि पिछले कुछ दिनों से किस तरह ये सपोला तमिलनाडु विधानसभा के फैसले की आड़ लेकर लगातार मुसलिम आतंकवादियों को भारत पर हमला करने के लिए उकसाने में लगा हुआ था ।जिसका परिणाम आज हम सबको दिल्ली उच्च न्यायालय में हुए धमाके में मारे गए व घायल हुए निर्दोष भारतीयों के कत्ल के रूप में देखने को मिला।
उमर अबदुल्ला आतंकवादियों से हमले करवाने के लिए महौल बनाने में में कितना शातिर है इसका प्रमाण कशमीर घाटी में भी कई बार देखने को मिल चुका है जिसके कुछ प्रमाण इस लिंक पर हैं।

वेशक ये धमाके करने के लिए महौल उमर अबदुल्ला ने बनाया लेकिन इन हमलों को दिल्ली में अन्जाम देने वाला कोई और नहीं वल्कि मोहम्द अफजल का वो साथी है जो संसद भवन पर हमले का भी mastermind  है।afzal guru
जी हां हम बात कर रहे हैं भारत विरोधी आतंकवादी SAR Geelani की जो दिल्ली university में अरवी पढ़ाने के बहाने भारतविरोधी आतंकवादी पैदा करने में मसरूफ है।
इस आतंकवादी ने अभी कुछ दिन पहले ही NDTV पर एक चर्चा के दौरान धमकी दी थी कि मोहम्मद अफजल की फांसी अगर माफ नहीं की गई तो सारे भारत में बम धमाके कर भारतीयों का लहू बहाया जाएगा। इस आतंकवादी ने न केवल धमकी दी थी पर साथ ही आतंकवाद विरोधी बिट्टा जी को हमलों की धमकी देकर अफजल के विरूद्ध चुप रहने के लिए धमकाया भी था। अगर दिल्ली पुलिस चाहे तो NDTV से इस कार्यक्रम की recoding लेकर देखने के बाद खुद तय कर सकती है कि इसकी धमकी में कितनी सच्चाई थी।
कुल मुलाकर अगर केन्द्र सरकार सच में इस केश को हल करना चाहती है तो सिर्फ इन दोनों को पकड़कर दिल्ली पुलिस को रिमांड पर दे दे । सारी सच्चाई कुछ ही घंटों में देश के सामने होगी।
अगर उमर अबदुल्ला क्योंकि एक तो राहुल का मित्र है दूसरा मुख्यमन्त्री भी है को रिमांड पर देना मुस्किल है तो कम से कम आतंकी प्रफैसर SAR Gilani को तो रिमांड पर लिया ही जा सकता है ।
हम दाबे के साथ कह सकते हैं कि सिर्फ SAR Gilani ही सारी सच्चाई उगलने के लिए काफी है बस जरूरत है तो उसे रिमांड पर लेकर ढंग से सेकने की।

सोमवार, 5 सितंबर 2011

उमर अबदुल्ला के प्रश्नों का सही उत्तर क्या हो सकता है ?

बैसे तो अबदुल्ला परिबार की गद्दारी से हर देशभक्त परिचित है। लेकिन आज आतंकवादियों की फांसी को सांप्रदायिक रंग देने की जो घिनौनी हरकत इस गद्दार ने की है उसका उसी की भाषा में उतर देना जरूरी है।
सबसे पहले तो तमिलनाडु की विधान सभा की तुलना जम्मू-कशमीर की विधानसभा से करना ही गलत है क्योंकि एक तो जम्मू-कशमीर विधानसभा भारतविरोधी आतंकवादियों से भरी पड़ी है जबकि तमिलनाडु की विधानसभा में ऐसी कोई स्थिति नहीं है।
दूसरा जम्मू-कशमीर की विधानसभा में आतंकवादियों का बर्चस्व वानए रखने के लिए अबदुल्ला खानदान ने नैहरू खानदान की सहायता से जम्मू संभाग के लोगों को उनके हक से वंचित रखने के लिए जानबूझ कर जम्मू-संभाग में विधानसभा सीटों को कम रखा है । जबकि तमिलनाडु विधान सभा में ऐसी कोई गड़बड़ नहीं है।
जम्मू-कशमीर विधानसभा में बैठे आतंकवादियों ने सरकारी तन्त्र का प्रयोग कर कशमीरघाटी में हिन्दू-मिटाओ हिन्दू भगाओ अभियान चलाकर न केवल 60000 हिन्दूओं का कत्ल किया वल्कि 500000 हिन्दूओं को वेघर भी किया। मां-बहन वेटियों की इज्जत आबरू से खिलबाढ़ किया से अलग। अब आप ही बताओ कि कातिल राक्षसों से भरी पड़ी जम्मू-कशमीर विधानसभा की तुलना तमिलनाडु की विधानसभा से कैसे की जा सकती है?
राजीब गांधी पर हमला करने वालों की तुलना लोकतन्त्र के मन्दिर पर हमला करने वाले भारतविरोधी आतंकवादी से करना किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता।
राजीब गांधी का कत्ल किसने किया ये अभी पूरी तरह सपष्ट नहीं है क्योंकि  एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी ने पहले राजीब गांधी के कत्ल का आरोप DMK पर लगाकर सरकार केन्द्र सरकार गिरा दी बाद 2004 में इसी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी ने इसी DMK के साथ मिलकर सरकार बना ली।
जिस क्वात्रोची पर चर्च के इसारे पर वालासिंघम के माध्यम से LTTE प्रमुख प्रभाकरण को राजीब गांधी के कत्ल की सुपारी देने के आरोप लगे वही क्वात्रोची आज भी एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो उर्फ सोनिया गांधी का परिबारिक मित्र है जिसके लिए एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है।
अब जिन लोगों को फांसी की सजा सुनबाई गई उनमें से एक की सजा खुद एडवीज एंटोनिया अलवीना माइनो माफ कर चुकी तो स्वभाविक रूप से वाकी मुरूगन,स्नाथन व पेरारीवालन भी माफी की उमीद तो कर ही सकते हैं।
दूसरी तरफ मोहम्द अफजल खुद चीख-चीख कर कह रहा है कि कशमीरघाटी को काफिरों वोले तो हिन्दूओं से मुक्त करवाने के लिए उसने लोकतन्त्र के मन्दिर पर हमला किया। इतना ही नहीं उसके समर्थक मुसलिम आतंकवादी लगातार भारत को लहूलुहान करने की धमकियां दे रहे हैं जिनमें उमर-अबदुल्ला व गुलामनबी आजाद भी सामिल हैं। अगर इस राक्षस को फांसी नहीं दी जाती है तो इन आतंकवादियों के हौसले और बुलंद होंगे परिमास्वारूप भारत पर इनके हमले बढ जायेंगे।
हां एक बात जरूर है कि ये हमला अकेले मोहम्द अफजल ने नहीं किया था इसके साथ कुछ और लोग भी थे जैसे कि आतंकवादी  प्रोफैसर जिलानी व उसके अन्य भारतविरोधी आतंकवादी साथी। आतंकवादी प्रोफैसर जिलानी जैसे गद्दारों को कुलदीप नैयर जैसे पत्रकारों ने क्यों बचाया(कहीं ISI ऐजेन्ट मुहम्द फाई के आदेश पर तो नहीं) इन प्रश्नों का उतर भी देश की जनता को जानने का पूरा हक है।
मोहम्द अफजल के हमले में सुरक्षावलों के जवान मारे गय जबकि दूसरे हमले में एक नेता व उसके कुछ प्रशंसक मारे गय। दोनों में बहुत फर्क है ये नेता भारत पर भारतविरोधी कांग्रेस वोले तो  नैहरू खानदान का शासन बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा था जबकि सुरक्षावलों के जवान देश की अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्ष करते हुए मारे गय।
ऐसा नहीं कि उमर अबदुल्ला पहली बार गद्दारी कर रहा है इससे पहले भी ये आतंकवादी सैनिकों पर हमला करने वाले अपने साथी 1200 मुसलिम आतंकवादियों पर से केश वापिस लेकर उन्हें सैनिकों पर हमला करने खुली छूट दे चुका है। हमला करते वक्त सैनिकों के हाथों मारे जाने पर अपने इन आतंकवादी साथियों का हौसला बानाए रखने के लिए पांच-पांच लाख रूपए की आर्थिक सहायता भी दे चुका है।
इतना ही नहीं ये आतंकवादी केन्द्र सरकार में बैठे अपने आतंकवादी मददगारों की सहायता से सैनिकों पर तरह-तरह के प्रतिबन्ध लगवाने में भी समर्थ रहा है।
अब आप खुद फैसला करो कि जिस राज्य का मुख्यमन्त्री गद्दार उमर अबदुल्ला जैसा आतंकवादी हो क्या वहां कभी शांति हो सकती है ?