Pages

मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

मंगलवार, 14 सितंबर 2010

जब आक्रमणकारी मुसलमानों व ईसाईयों को आरक्षण दिया जा सकता है तो फिर जाटों को क्यों नहीं?



आज भारत के हालात दिन प्रतिदिन बद से बदतर होते जा रहे हैं ।धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की केन्द्र सरकार फूट डालो और राज करो के षडयन्त्र को पूरी वेशर्मी से आगे बढ़ा रही है।


एक तरफ ये सरकार आतंकवादियों का खुला साथ दे रही है तो दूसरी तरफ हिन्दूओं को आपस में लड़ाने का कोई मौका नहीं चूक रही है। ये देश का दुर्भागय ही है कि जो काम देश के शत्रुओं का है वही काम खुद देश की सरकार अन्जाम दे रही है।


सरकार का काम होता है समाज के अन्दर समरसता व एकता के लिए काम करना पर ये सरकार भारतीय संस्कृति के हर उस एकता सूत्र पर हमला वोल रही है जो एकता सूत्र सदियों से भारत को समरसता के पास में बांधे हुए था।


आज हम सिर्फ आरक्षण की बात करते हैं । आरक्षण की ब्यबस्था हिन्दू समाज में विकास की दौड़ में पीछे रह चुके अपने वंचित भाईयों को आगे बढ़ने का मौका देने के लिए सिर्फ 10 वर्ष के लिए की गई थी।इन 10 वर्षों में सरकार से उमीद थी कि वो सराकरी तानानवाना कुछ इस तरह से बुनेगी कि जाति अधारित भेदभाव के लिए कोई जगह न रहे । लेकिन सरकार ने आरक्षण को धीरे-धीरे हिन्दूओं को आपस में लड़वाने के लिए हथियार की तरह प्रयोग कर वोट बैंक निती में बदल डाला । परिणाम स्वारूप आज कभी एक जाति तो कभी दूसरी जाति आरक्षण के लिए हथियार उठाती हुई प्रतीत होती है।


धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की गद्दारी की इन्तहां देखो कि ये गिरोह आक्रमणकारी मुसलमानों व ईसाईयों को तो आरक्षण देने के लिए संविधान व माननीय सर्वोच न्यायालय तक का उलंघन करने को तैयार है पर देश की रक्षा की रीढ़ देसभक्त जाटों को आरक्षण देने में इस गिरोह को तकलीफ महसूस हो रही है।


हमारे विचार में आरक्षण किसी समस्या का समाधान नहीं वल्कि खुद एक समस्या है ।


लेकिन जब देश से हर मोड़ पर गद्दारी करने वाले मुसलमानों व लुटेरे ईसाईयों को आरक्षण देने की गद्दारी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह कर रहा है तो इन आक्रमणकारियों को आरक्षण मिलने से पहले देश के हर गरीब हिन्दू , चाहे वो किसी भी जाति का हो को आरक्षण मिलना चाहिए।


हम तो सब हिन्दूओं से अपील करेंगे कि देश के साधनों पर आक्रमणकारियों के पहले हक की बात करने वाले गद्दारों को पहचानकर ऐसे गद्दारों का नमोनिसान मिटाने के प्रयत्न सब देसभक्त हिन्दूओं को एकजुट होकर करने चाहिए विना ये सोचे कि ये गद्दार कौन से सांप्रदाय—जाति-क्षेत्र या राजनीतिक दल से सबन्धित है।


क्योंकि आज मुद्दा जाटों के आरक्षण का है इसलिए हमारे विचार में सरकार को विना कोई समय गंवाय जाटों को आरक्षण दे देना चाहिए।


साथ ही हम अन्दोलनकारी जाटों से भी ये विनती करते है अन्दोलन के दौरान ये सुनिस्चत करें कि हिन्दू-हिन्दू से न उलझे न ही प्रदर्शनकारी अपने ही सैनिकों व पुलिसवलों से उलझें क्योंकि देश का दुशमन ये सेकुलरगिरोह यही तो चाहता है कि हम आपस में लड़कर कमजोर हों ताकि आक्रमणकारी मुसलमान व ईसाई फिर से हमें गुलाम बना सकें।






2 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

इस विचार से सहमत...

सूबेदार ने कहा…

धर्मनिरपेक्ष गिरोह शब्द क़ा प्रयोग बहुत अच्छा लगा थोड़ी सी कमी लग रही है हमें लगता है धर्मनिरपेक्ष क़े साथ बामपंथियो को भी गिरोह में सामिल करना चाहिए क्यों की ये दोनों हो धर्म बिरोधी,देश बिरोधी और समाज बिरोधी है.