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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

सोमवार, 27 सितंबर 2010

क्या CWG में भ्रष्टाचार उजागर करने की प्रतियोगता को सब भारतीयों को अब समापन तक बन्द कर देना चाहिए?

हम समझते हैं कि CWG गुलामी का प्रतीक है। CWG को भारत में करवाना तो दूर भारत को इस गुलामी की प्रतियोगिता में तब तक हिस्सा नहीं लेना चाहिए जब तक इसका प्रमुख UK की रानी की जगह Democratic Way में नहीं चुना जाता।


जिस किसी भी सरकार या व्यक्ति ने इन खेलों का भारत में करवाने का निर्णय किया वो जरूर गुलामी की मानसिकता का सिकार है।हम सबको मिलकर भारतीयों खासकर हिन्दूओं को 1947 से पहले वाली गुलामी की मानसिकता से बाहर निकालना होगा।


अब प्रश्न यह है कि जो लोग आज एंटोनिया की गुलाम UPA सरकार द्वारा एंटोनिया के इसारे पर किए गय भ्रष्टाचार को उजागर करने में दिनरात एक किए हुए हैं उनकी मानसिकता क्या है


हमारे विचार में किसी भी देशभक्त भारतीय की चिन्ता सिर्फ यह है कि जब गुलामी के प्रतीक खेल भारत में हो ही रहे हैं तो ये ठीक से हो जाने चाहिए।


इसलिए हमारी सब देशभक्त भारतीयों से से उमीद है कि वो CWG खेलों के समापन तक ऐसा कोई प्रयास नहीं करेंगे जिसे ये लगे कि वो विदेशियों के गुलाम Electronic Media के भारतविरोधी प्रोपेगंडे का सिकार हो चुके हैं।


क्योंकि Electronic Media को तो इसी बात के पैसे मिलते हैं कि वो भारत की जितनी बदनामी दुनिया के समाने कर सकता है उतनी करे अगर ऐसा न होता तो सांप की तसवीरें दिखाकर विदेशीयों को डराने की कमीनी कोशिश न की जाती।


खैर जो मिडीया चर्च के इसारे पर भौंकता हो उससे और उमीद भी क्या की जा सकती है। हमारे मन में सरकार या आयोजकों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं पर हमारे विचार में हम सबको अब संयम बर्तते हुए अपनी लेखनी पर विराम लगाना चाहिए CWG के मामले में।


आज अगर कोई देश में राष्ट्रवादी चैनल होता तो वो जरूर खेलगांव व अन्य तयारियों की साकारात्मक तसवीरें दिखाकर विदेशियों के मन में वयाप्त संकाओं को दूर करने की कोशिस करता। खेलों के वारे में दिखाकर नई पीढ़ी में रूची पैदा करता।


आओ इस कमी को हम सब मिलकर पूरी करने की कोशिस करें।






रविवार, 26 सितंबर 2010

भारतविरोधी UPA सरकार की गद्दार मुसलमानों को भारतीय सेना पर हमले करने की खुली छूट!

UPA के नेतृत्व में हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह लगातार भारतविरोधा आतंकवादियों का साथ दे रहा है । आप सब जानते हैं कि खुद सरकार कह चुकी है कि सैनिकों पर पत्थरों से हमाला करने वाले मुसलमान पाकिसतान समर्थक आतंकवादी हैं जो जिहादी आतंकवादी गिरोह लशकरे तैयवा के इसारे पर सैनिकों पर हमला वोल रहे हैं।
http://samrastamunch.blogspot.com/2010/07/blog-post_09.html

अब इस हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की UPA सरकार ने घोषणा की है कि मसजिदों व मदरसों में योजना बनाकर सैनिकों पर हमला करने वाले प्रत्येक पत्थरवाज के परिवार को 5 लाख रूपए दिए जायेंगे ताकि इन पत्थरबाजों के परिवारों का भारतीय सेना पर हमला करने का हौसला बना रहे ।साथ ही जिन मुसलमानों ने अभी तक भारतीय सैनिकों पर पत्थरवाजी नहीं की थी उन्हें भी प्रेरणा लेकर ये 5 पांच लाख प्राप्त करने के लिए अपने बच्चों को पाठशाला भेजने के बजाए सैनिकों पर हमले करने में लगा देना चाहिए।( ध्यान रहे कि ये वही सरकार है जिने 2004 में सता में आते ही अर्धसैनिक बलों के जवानों के देश की रक्षा की खातिर शहीद हो जाने पर मिलने वाली सहायता यह कहकर कम कर दी कि सरकार के पास पैसा नहीं मतलब देशभक्तों के लिए पैसा कम है पर गद्दारों के लिए कोई कमी नहीं)

इन पत्थरबाज गद्दार मुसलमानों पर मेहरवान होते हुए हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की UPA सरकार ने कहा कि जो पत्थरबाज देशभक्त सैनिकों का कत्ल करने की कोशिश में पकड़कर जेलों में डाले जा चुके हैं उन्हें भी रिहा कर दिया जाएगा ताकि पत्तवारबाजों की संख्या कम न हो सके।

हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की UPA सरकार ने इससे भी आगे जाते हुए मुसलमानों द्वारा सैनिकों पर किए गए हमलों व श्रीनगर में फहराए गए पाकिस्तानी झंडे जैसी हरकतों से खुश होकर इन गद्दारों को 10000000( 100 करोंड़) का इनाम देने की घोषणा की।

ये मुसलिम आतंकवादी कशमीर में अपनी स्थिति मजबूत कर सकें ताकि इन्हें भारत से अलग होकर पाकिस्तान के साथ मिलने में आसानी रहे इसके लिए हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की UPA सरकार ने भारतीय सैनिकों को आतंकवादियों द्वारा बताए गए स्थानों से हटाने की भी घोषणा की।

सरकार ने बायदा किया कि सैनिकों द्वारा आत्मरक्षा व देश की रक्षा के लिए प्रयोग किए ज रहे AFSPA को भी शीघ्र हटा दिया जाएगा।

ध्यान रहे कि 11 जून से शुरू हुए इन गद्दार मुसलमानों के हमलों में सैंकड़ों सैनिक घायल हो चुके हैं व दर्जनों सैनिक शहीद हो चुके हैं।

हमें यह भी ध्यान रकना चाहिए कि 11 जून को मुसलमानों के हमले शुरू होने का कारण यह था कि हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की UPA सरकार ने जिहादी आतंकवाद समर्थक उमर अबदुल्ला के कहने पर कशमीर से हजारों सैनिकों को उन स्थानों से हटा लिया था जहां पर आतंकवादियों को खदेड़कर भारत का नियन्त्रण स्थापित करने के लिए सैंकड़ों सैनिकों ने अपनी कुर्वानी दी थी। पर इस हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की UPA सरकार ने आतंकवादियों को फायदा पहंचाने के लिए शांति स्थापित करने के नाम पर वहां से हजारों सैनिकों को हटाकर उन क्षेत्रों को फिर से आतंकवादी मुसलमानों के हबाले कर दिया।

समझो मेरे प्यारे देशभक्त हिन्दूओं वरना वो दिन दूर नहीं जब इस हिन्दूविरोधी-देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की UPA सरकार की मदद से सारा भारत एकवार फिर इन मुसलिम आतंकवादीयों के कब्जे में चला जाएगा।

हमें आज यह प्रण करना चाहिए कि अगर कसमीर पर भारत का नियन्त्रण कंम करने की कोशिसें इसी तरह आगे बढ़ेंगी तो हर हाल में हम एक-एक मुसलिम आतंकवादी को चुन-चुन कर तब तक मारेंगे जब तक सारा भारत ,भारतविरोधी आतंकवादियों से मुक्त न हीं हो जाता।

http://samrastamunch.blogspot.com/2010/07/blog-post_12.html

बुधवार, 22 सितंबर 2010

क्या UPA के नेतृत्व में धर्मनिर्पेक्ष गिरोह अयोध्या में अनर्थ करवाने की तैयारी में है?


भगवान करे कि जो हमें समझ आ रहा है वो पूरी तरह गलत हो। आज देश में जो हालात हैं चारों तरफ प्राकृतिक आपदा और हिंसा एक तरफ वामपंथी आतंकवादियों द्वारा व दूसरी तरफ मुसलिम आतंकवादियों द्वारा। इस दोनों तरह के भारतविरोधी आतंकवाद को UPA के नेतृत्व में धर्मनिर्पेक्ष गिरोह का समर्थन।


जो धर्मनिर्पेक्ष गिरोह गिरोह पिछले 4 वर्ष से मुसलिम आतंकवादी अफजल की फांसी रोके हुए है माननीय सर्वोच न्यायालय द्वारा पैसला करने के बाद भी वार-वार चेताय जाने के बाबजूद।


जो गिरोह मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमले के अपराधी मुसलमानों को बचाने का प्रयत्न कर रहा है।


जो गिरोह वामपंथी आतंकवादियों द्वारा सैंकड़ों वेगुनाह सैनिकों व हजारों निहत्थे आम लोगों के कत्ल के बाबजूद इन आतंकवादियों का साथ दे रहा है----कभी राहुल गांधी तो कभी ममता बनर्जी तो कभी दिगविजय सिह तो कभी चिदमबरम तो कभी एंटोनिया इन आतंकवादियों के साथ खड़ी नजर आ रही है।


सोचने का विषय सिर्फ इतना है कि जो धर्मनिर्पेक्ष गिरोह भारत विरोधी आतंकवादियों का हर तरह से बचाब कर रहा है वही गिरोह देशभक्त हिन्दूओं व भारत की आस्था के केन्द्र भगवा को आतंकवादी कहकर बदनाम करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है।


क्या वो गिरोह सब प्रमाण मौजूद होने के बाबजूद माननीय न्यायालय को अपना पैसला मर्यादा पुर्षोत्तम भगवान श्रीराम के समर्थन में सुनाने देगा?


ध्यान रखना होगा कि यह उसी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की सरकार है जिसने मर्यादा पुर्षोत्तम भगवान श्रीराम द्वारा निर्मित राम सेतु को तोड़ने के लिए माननीय न्यायालय में लिखकर दिया कि भगवान राम हुए ही नहीं।ये हिन्दू विरोधी गिरोह यहीं नही रूका इसने आगे बढ़कर इस गिरोह ने कहा कि पबित्र रामायण एक काल्पनिक पुस्तक है।


क्या ऐसा सम्भव है कि जो धर्मनिर्पेक्ष गिरोह भगवान राम के अस्तित्व तक को मानने के लिए तैयार न हो वही गिरोह मर्यादा पुर्षोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य मन्दिर निर्माण के पक्ष में दिए जाने वाले किसी भी फैसले की सम्भावना पैदा होने पर खामोस रहे ?


हमें नहीं लगता कि ये गिरोह माननीय न्यायालय के काम में हिन्दूओं की आस्था के विरूद्ध हस्तक्षेप न करे।


हमें यह भी याद रखना होगा कि यह वही गिरोह है जिसने बाबा अमरनाथ यात्रा के लिए आबंटित भूमि को हिन्दूओं को नीचा दिखाने के लिए बापिस ले लिया।


यह वही गिरोह है जो मुसलमानों की एक आह तक नहीं सुन सकता पर हिन्दूओं द्वारा 70 दिन तक अपने बाबा भोले नाथ के समर्थन में चलाय जा रहे अन्दोलन व कई हिन्दूओं की शहीदी के बाबजूद इस गिरोह के कान पर जूं तक न रेंगी।


कुल मिलाकर ये हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह हिन्दूओं की आस्था व पीड़ा के प्रति न केवल संवेदनहीन है पर उससे कहीं आगे जाकर इस गिरोह को हिन्दूओं की आस्था के केन्द्रों पर प्रहार कर हिन्दूओं को पीड़ा पहूंचाने में आनन्द का अनुभव होता है।


अब इस गिरोह की सरकार के सता में रहते कोई फैसला हिन्दूओं को राहत पहूंचाने के पक्ष में आए ऐसा कैसे हो सकता है?


हमें हैरानी तो इस बात की भी हो रही है कि जिन मुसलमानों ने आज तक माननीय न्यायालय के किसी भी आदेश के नहीं माना वही इस मामले में आदेश मानने की कसमें उठा रहे हैं।


जहां हिन्दू पक्ष भविष्य में किसी भी तरह के द्वेष से बचने के लिए समझौते की बात कर रहा है वहीं मुसलिम पक्ष समझौता करने के किसी भी मूढ़ में नजर नहीं आता कारण साफ है।


मुसलिम पक्ष जानता है कि वेशक प्रमाण हिन्दूओं की आस्था के पक्ष में हों लेकिन सता में बैठे लोग तो पूरी तरह से हिन्दू विरोधी है वो हर हाल में फैसला मर्यादा पुर्षोत्तम भगवान श्रीराम के मन्दिर के विरूद्ध करवाकर हिंसा और अत्याचार के प्रायवाची आक्रमणकारी बाबर को एकवार फिर विजयी बनायेंगे आखिर जयचंद के वंशज जो ठहरे ।


अन्त में हम एकवार फिर भगवान से यही प्रार्थना करेंगे कि जो हमें समझ आ रहा है वो पूरी तरह से गलत हो ।


आओ मिलकर भगवान से प्रार्थना करें कि धर्मनिर्पेक्ष गिरोह किसी तरह से जजों से हिन्दूओं के हित के विरूद्ध काम करवाने के अपने किसी भी षडयन्त्र में सफल न हो।


मंगलवार, 21 सितंबर 2010

जामा मसजिद क्षेत्र में किए गय हमले के निशाने पर कौन था ?

19-09-10 को एकवार फिर दिल्ली पर हमला किया गया। हमला होने के कुछ ही क्षण बाद खुद को ISI का ऐजेंट बताने वाले खानदान ने से सबन्धित इमाम ने सीघे –सीधे इस हमले का आरोप हिन्दूओं के सिर मढ़ने की कोशिश की।

इस ISI का ऐजेंट का कहना था कि क्योंकि इस हमले के निशाने पर जामा मसजिद थी इसलिए ये हमला इंडियन मुझाहीद्दीन(IM) का नहीं हो सकता---मतलब इंडियन मुझाहीद्दीन(IM) का काम सिर्फ हिन्दूओं और मन्दिरों पर हमले करना है न कि मस्जिदों पर।

ISI का ऐजेंट की इस बात को मान लिया जाए कि मुसलिम आतंकवादी मस्जिद पर हमला नहीं कर सकते तब तो ये मानना पड़ेगा कि आज तक पाकिस्तान में मस्जिदों पर जितने भी हमले हुए वो मुसलिम जिहादी आतंकवादियों ने नहीं किए। जबकि हर तर्कशील वयक्ति इस बात को अच्छी तरह जानता है कि जब कुता पागल हो जाता है फिर वो अपना पराया नहीं देखता। खैर ISI के ऐजेंट इमाम को ये बात समझाना गधे के सिर पर सींग उगाने समान है।

अब हम बात करते हैं इस आतंकवादी हमले के असली निशाने की। इस जिहादी आतंकवादी हमले का असली निशाना थे जामा मसजिद के चारों ओर तैनात सुरक्षाबलों के जवान। वो जवान जो आतंकवादियों से जामा मस्जिद की रक्षा के लिए तैनात किए गए हैं लेकिन सरकार को कौन जमझाए कि आतंकवादियों व उनके समर्थकों को आतंकवादियों से कोई खतरा नहीं होता। जो जवान इनकी रक्षा के लए खड़े किए गए हैं वही जवान इन आतंकवादियों को जामा मसजिद को अपनी पनाहगाह के तौर पर प्रयोग करने में बाधा प्रतीत हो रहे हैं। इसीलिए कार बम के निशाने पर पास की पुलिस चौकी थी न कि जामा मसजिद। इसी तरह गोली-वारी के निशाने पर भी गेट नम्वर 3 पर तैनात सुरक्षा कर्मी थे ये तो सौभाग्य से सैलानियों की बस बीच में आ गई।

आतंकवादियों को उसी वक्त पकड़ा जा सकता था यदि पूरे जामा मसजिद क्षेत्र का तलासी अभियान चलाया जा सकता तो। पर यदि ऐसे किया जाता तो कांग्रेस का बोट-बैंक खतरे में पड़ जाता इसीलिए इस जिहादी आतंकवादी हमले को कांग्रेस ने सिरे से नकारने की कोशिस की।

ऐसा नहीं कि इंडियन मुझाहीद्दीन(IM) का ये हमला कोई पहला हमला हो इससे पहले भी इंडियन मुझाहीद्दीन(IM) भारत पर कई हमलों को अंजाम दे चुका है।
http://www.mid-day.com/news/2010/sep/200910-Delhi-Indian-Mujahideen-terrorist-Jama-Masjid-Attack.htm
लैफ्टीनैंट कर्नल पुरोहित ने INTELIGENCE OFFICER की DUTY का निर्वाह करते हुए इसी इंडियन मुझाहीद्दीन(IM) से जुड़े 300 आतंकवादियों की सूची महाराष्ट्र सरकार को देने की गलती की थी । परिणाम सबके सामने हैं इंडियन मुझाहीद्दीन(IM) के आतंकवादी तो खुलेआम अपनी कार्यवाहियों को अंजाम दे रहे हैं पर देश के बफादार सैनिक को जेल में डालकर प्रताड़ित किया जा रहा है।

इंडियन मुझाहीद्दीन(IM) को जिस तरह का सरंक्षण देने की गलती कांग्रेस ने की है न जाने उसकी कितनी कीमत देश को चुकानी पड़ेगी पर कांग्रेस को इससे क्या फर्क पड़ता है इसकी आका तो वोरिया-विसतर उठाकर इटली भाग जाएगी पर भारतीय कहां जायेंगे?

हम तो सरकार से यही कह सकते हैं कि विना कोई समय गंवाए आतंकवादियों के प्रति हमदर्दी छोड़कर उनसे कढ़ाई से निपटे वरना कहीं एसा न हो कि ये काम खुद देश के नागरिकतों को अंजाम देना पड़े फिर न आतंकवादी बचेंगे न इन्हें पनाह व संरक्षण देने वाले । सबके सब मौत के घट उतार दिए जायेंगे।

रविवार, 19 सितंबर 2010

जला कर मार डालो इन भारतविरोधी आतंकवादियों व इनके समर्थकों को...




आप सब जानते हैं कि भारत में मुसलिम आतंकवाद का प्रवेश 7-8वीं शताब्दी में मुहम्मद विन कासिम के रूप में हुआ? तब से लेकर आज तक मुसलिम आतंकवादियों के हमले जारी हैं। इन हमलों के परिणामस्वारूप हिन्दू राष्ट्र भारत के कई विभाजन हो चुके हैं। क्या बजह है कि मुसलिम आतंकवादी हमलों में लाखों हिन्दूओं के कत्ल व करोड़ों के वेघर होने के बाबजूद हम आज तक मिुसलिम आतंकवाद का कोई ठोस समाधान न निकाल पाए?


आज तक मुसलिम आतंकवाद से बचे रहे पंजाब व हिमाचल को अब मुसलिम आतंकवादियों से वार-वार वम हमलों की चेतावनियां दी जा रही हैं। कभी सेना के प्रतिस्ठानों पर वम हमलों की तो कभी पाठशालाओं में कुरान न पढ़ाय जाने की सूरत में पाठशालाओं पर बम हमलों की।


ऐसा चेतावनी देने वाले पत्र इसबार शाहपुर व पठानकोट से जारी हुए हैं।मतलब हिमाचल व पंजाब में भी मुसलिम आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं। स्वाभाविक है कि ये कैंप जरूर किसी न किसी मस्जिद या मदरसे में चलाय जा रहे हों आखिर ये चेतावनियां कौन दे रहा है ? क्यों दे रहा है? इन हमलों से बचने का उपाय क्या है।


हमारे विचार में सबसे पहले तो देश में रहने वाले सब गैर मुस्लिमों खासकर हिन्दूओं को अपने आस-पास रहने वाले मुसलमानों पर निगाह रखनी चाहिए । उन्हें यह जानने का पूरा प्रयास करना चाहिए उनके आस-पास चलने वाले मदरसों व मसजिदों में क्या किया जा रहा है ?


बहुत मुमकिन है कि वहां पर आतंकवाद की ट्रेनिंग दी जा रही हो । किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर सबसे पहले अपने अन्य हिन्दू भाईयों को जागरूक करना चाहिए ।


अगर मुसलमानों में से भी किसी के भी इन आतंकवादी गतिविधियों में सामिल न होने के सम्भावना हो ते उन्हें भी साथ लेने की कोशिश करनी चाहिए।


सारे इन्तजाम हो जाने पर सब मुसलिम आतंकवादियों को उन मदरसों व मस्जिदों सहित आग के हवाले कर देना चाहिए । ऐसा करते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जानबूझकर किसी वेगुनाह का कत्ल न किया जाय पर यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी गुनाहगार शोर मचाने के लिए जिन्दा न बचने पाए।


अब मुसलिम आतंकवादियों व उनके ट्रेनिंग कैंपों के खत्म हो जाने के बाद बचे आम मुसलमानों को यथाशीघ्र अपने पैतृक धर्म में वापिस ले लेना चाहिए। हां ऐसा करते वक्त उनके मूल अधिकारों की जिम्मेदारी प्रमुख हिन्दूओं को अपने कन्धों पर उठानी होगी।


जो हिन्दू धर्म में वापिस आने से मना करें उन्हें किसी सुरक्षित क्षेत्र में चले जाने के लिए मजबूर कर देना चाहिए । परन्तु किसी भी हालात में किसी की भी मां-बहन-वेटी-बहू के साथ कोई बदसलूकी नहीं होनी चाहिए।


हमें यह समझना होगा कि मुसलिम आतंकवाद का मकसद गैर मुसलमानों का कत्ल कर इसलामी राज्य स्थापित करना है तो फिर उनके इस उद्देश्य को असफल करने के लिए इसलाम का नमोनिसान मिटाना आबस्यक है।


क्योंकि सदियों से हम इसलाम और आतंकवाद को अलग-अलग समझने की भूल कर हिंसा का सिकार होते आए हैं। हमें ये यह बात समझनी होगी कि इसलाम और मुसलिम आतंकवाद एक-दूसरे के प्रायवाची हैं।


जब तक मुसलिम कम संख्या में होते हैं तो हमें इसलाम नजर आता है लेकिन जिस दिन मुसलमानों की संख्या कत्लोगारद करने के काविल हो जाती है तो यही इसलाम मुसलिम आतंकवाद का रूप घारण कर लेता है।


इसलिए मुसलिम आतंकवाद से बचने के लिए इसलाम को खत्म करना हमारी मजबूरी है क्योंकि अगर हम इसलाम का खात्मा नहीं करेंगे तो इसलाम हमारा खात्मा सुनिस्चित कर देगा।


अगर विस्वास नहीं होता तो ध्यान करो देसभर में मुसलिम आतंकवादियों द्वारा हिन्दू बहुल क्षेत्रों व मन्दिरों पर बम हमले कर मारे गए हजारों हिन्दूओं का।इन हमलों में छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बढ़ों तक किसी को नहीं बख्शा गया।



ध्यान करो कशमीर घाटी में मुसलिम आतंकवादियों द्वारा मारे गए 60000 हिन्दूओं व उजाड़े गए 500000 हिन्दुओं का।

http://jagohondujago.blogspot.com/2010/07/blog-post.htmlध्यान करो आसाम व केरल में मारे गए व मारे जा रहे हिन्दूओं का ।ध्यान करो केरल सहित सारे दक्षिण भारत में हिन्दू लड़कियों को अपवित्र करने के लिए चलाए जा रहे लब जिहाद का।

1)http://www.hindujagruti.org/news/6389.html

2)http://samrastamunch.blogspot.com/2010/05/ibn7.html

3)http://islamicterrorism.wordpress.com/2009/03/10/love-jihad-in-kerala-how-islamofascists-trap-hindu-girls-and-convert-them/

4)http://in.christiantoday.com/articles/church-warns-of-love-jihad-in-kerala/4623.htm



अगर ये सब काफी न हो तो जरा सोचो कि जिस दिन आपके आस-पास रहने वाले मुसलमान आतंकवादी वन जायेंगे तो आपका आपके बच्चों का --- आपकी बहू वेटियों का व आपका वो क्या हश्र करेंगे ?


आओ मिलकर यह प्रण करें कि अब हम मुसलिम आतंकवादियों की हिंसा का और सिकार नहीं होंगे इससे पहले कि इसलाम हमारे गिरेवान तक पहुंचे हम इसलाम का अपने आस पड़ोस से नमोनिशान मिटा देंगे।


शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

21 सितम्बर को गद्दार मुसलमानों द्वारा सेना के कैंप्पों पर हमला करने की खुली चुनौती!

धर्मनिर्पेक्ष गिरोह द्वारा संचालित भारत-विरोधी UPA सरकार की मुसलिम आतंकवाद समर्थक नितीयों के परिणामस्वारूप आज मुसलमान आतंकवादियों के हौसले इस कदर बढ़ गए हैं कि अब वो सेना को खुली चुनौती देने लगे हैं।

ऐसा नहीं कि मुसलिम आतंकवादियों के पास सेना को चुनौती देने की ताकत आ गई है लेकिन कहाबत है कि जब संइया भय सरदार तो डर काहे का। आतंकवादी अच्छी तरह जानते हैं कि UPA की केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों के कर्ता धर्ता खुद गद्दार हैं तो भला वो फिर क्यों गद्दारों के विरूद्ध कोई कड़ी कार्यवाही सेना को करने देंगे।
 http://samrastamunch.blogspot.com/2010/07/blog-post_09.html

आप सब इस बात से परिचित हैं कि किस तरह 25 जून को दो मुसलिम आतंकवादियों का खात्मा कर रहे बहादुर सैनिकों पर मुसलिम आतंकवादियों ने जानलेवा हमला कर सेना के वाहन को आग के हवाले कर दिया।

गद्दार उमर अबदुल्ला ने मुसलिम आतंकवादियों को इस तरह के हमलों से वाज आने की चेतावनी देने के बजाए आतंकवादियों का पक्ष लेना शुरू कर दिया। इनकी गद्दारी की हद तो तब पार हो गई जब भारतविरोधी केन्द्र सरकार व राज्य सरकार ने मिलकर सेना की एक पूरी बटालियन पर मुकद्दामा दर्ज कर आतंकवादियों का हौंसला बढ़ाने की एक अप्रत्यासित कार्यवाही को अंजाम दिया। मानो अपनी गद्दारी को साबित करने के लिए इतना काफी न हो इसीलिए अपने कमीनेपन का परिचय देते हुए उमर अबदुल्ला ने आतंकवादियों के हमलों में भारी जानमाल का नुकसान उठाने के बाबजूद अपना धैर्य न खोने वाली सेना पर वेलगाम होने का निराधार आरोप जड़ दिया http://samrastamunch.blogspot.com/2010/07/blog-post.html
वो भी सिर्फ इसलिए ताकि मुसलिम आकतंकवादीयों को पूरा भरोसा हो जाए कि UPA की भारतविरोधी केन्द्र सरकार व राज्य सरकार हर हाल में अलगाववादी मुसलमानों के साथ है।

आज कशमीरघाटी ही भारत में एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां मुसलमानों की आबादी हिन्दूओं से ज्यादा है । परिणाम सबके सामने हैं हिन्दूओं को कत्ल कर उन्हें घरों से उजाड़ दिया वो भी मुसलिम आतंकवादियों के सहयोगी सेकुलर गिरोह की सहायाता से। आज जरूरत है हिन्दूओं को कशमीरघाटी की घटानओं से सबक लेकर देशभर में मुसलिम आतंकवादियों के हमलों से खुद को सुरक्षित रखने के उपाय खोजने की।

हमारे विचार में हिन्दूओं को सबसे पहले अभिनव भारत जैसे हिन्दूएकता व रक्षा को समर्पित संगठनों के साथ मजबूती से खड़ा होकर उनके हाथ मजबूत कर खुद भी आत्मरक्षा की ट्रेनिंग लेकर अपनी व अपने वतन की रक्षा की खातिर किसी भी हमले का समाना करने के लिए तैयार रहने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर आतंकवादी मुसलमानों की पहचानकर उनका खात्मा सुनिश्चित करना।

आज जो आतंकवादी मुसलमान खुलेआम सेना पर हमलों की चुनौति दे रहे हैं ऐसा नहीं कि इससे पहले ये मुसलिम आतंकवादी सैनिकों पर हमले नहीं कर रहे थे ।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज भी भारत में हर रोज औसतन 11 सौनिकों का कत्ल भारतविरोधी आतंकवादियों द्वारा किया जाता है। इसमें से 9 सैनिक मुसलिम आतंकवादियों के हमलों में शहीद होते हैं। मुसलिम आतंकवादजियों के होथों कत्ल हो चुके हिन्दूओं की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है। अब जरूरत है राक्षस को उसी की भाषा में करारा जबाब देने की।

जागो हिन्दूओं और तैयार हो जाओ सैनिकों पर हमला करने वालों पर हमला करने के लिए। सैनिकों पर हमला करनेवालों का कत्ल देशभक्ति है। क्योंकि देश के नागरिक का ये फर्ज है कि जरूरत पड़ने पर अपनी रक्षा को समर्पित पर हमला होने के सथिति में हमलावर का नमोनिशान मिटाकर देश धर्म का पालन कर अपनी आने वाली पिढ़ियों के लिए मिशाल कायम करना।

हम देश के सैनिकों से सिर्फ यही कहेंगे कि दुशमन द्वारा अपने कैंप्पों पर आंख उठाने से पहले ही दुशमन का कत्ल कर उसे गद्दारी का अनजाम दिखा दिया जाए।हम बेसवरी से 21 सितम्बर का इन्तजार करेंगे जिस दिन आतंकवदी मुसलमानों की हार व हमारे देसभक्त सैनिकों की जीत सुनिशचित है।

अन्त में हम सैनिकों से यही कहेंगे के आज देश का हर देशभक्त नागरिक आपसे सिर्फ यही उम्मीद करता है कि दुशमनों की पैरवी करने वाले हर गद्दार को आप चौराहे पर खड़ा कर गोली से उड़ा दें फिर ये पैरवी करने वाला चाहे नेता हो या मानवाधिकारवादी या फिर कोई नौकरशाह।

मंगलवार, 14 सितंबर 2010

जब आक्रमणकारी मुसलमानों व ईसाईयों को आरक्षण दिया जा सकता है तो फिर जाटों को क्यों नहीं?



आज भारत के हालात दिन प्रतिदिन बद से बदतर होते जा रहे हैं ।धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की केन्द्र सरकार फूट डालो और राज करो के षडयन्त्र को पूरी वेशर्मी से आगे बढ़ा रही है।


एक तरफ ये सरकार आतंकवादियों का खुला साथ दे रही है तो दूसरी तरफ हिन्दूओं को आपस में लड़ाने का कोई मौका नहीं चूक रही है। ये देश का दुर्भागय ही है कि जो काम देश के शत्रुओं का है वही काम खुद देश की सरकार अन्जाम दे रही है।


सरकार का काम होता है समाज के अन्दर समरसता व एकता के लिए काम करना पर ये सरकार भारतीय संस्कृति के हर उस एकता सूत्र पर हमला वोल रही है जो एकता सूत्र सदियों से भारत को समरसता के पास में बांधे हुए था।


आज हम सिर्फ आरक्षण की बात करते हैं । आरक्षण की ब्यबस्था हिन्दू समाज में विकास की दौड़ में पीछे रह चुके अपने वंचित भाईयों को आगे बढ़ने का मौका देने के लिए सिर्फ 10 वर्ष के लिए की गई थी।इन 10 वर्षों में सरकार से उमीद थी कि वो सराकरी तानानवाना कुछ इस तरह से बुनेगी कि जाति अधारित भेदभाव के लिए कोई जगह न रहे । लेकिन सरकार ने आरक्षण को धीरे-धीरे हिन्दूओं को आपस में लड़वाने के लिए हथियार की तरह प्रयोग कर वोट बैंक निती में बदल डाला । परिणाम स्वारूप आज कभी एक जाति तो कभी दूसरी जाति आरक्षण के लिए हथियार उठाती हुई प्रतीत होती है।


धर्मनिर्पेक्ष गिरोह की गद्दारी की इन्तहां देखो कि ये गिरोह आक्रमणकारी मुसलमानों व ईसाईयों को तो आरक्षण देने के लिए संविधान व माननीय सर्वोच न्यायालय तक का उलंघन करने को तैयार है पर देश की रक्षा की रीढ़ देसभक्त जाटों को आरक्षण देने में इस गिरोह को तकलीफ महसूस हो रही है।


हमारे विचार में आरक्षण किसी समस्या का समाधान नहीं वल्कि खुद एक समस्या है ।


लेकिन जब देश से हर मोड़ पर गद्दारी करने वाले मुसलमानों व लुटेरे ईसाईयों को आरक्षण देने की गद्दारी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह कर रहा है तो इन आक्रमणकारियों को आरक्षण मिलने से पहले देश के हर गरीब हिन्दू , चाहे वो किसी भी जाति का हो को आरक्षण मिलना चाहिए।


हम तो सब हिन्दूओं से अपील करेंगे कि देश के साधनों पर आक्रमणकारियों के पहले हक की बात करने वाले गद्दारों को पहचानकर ऐसे गद्दारों का नमोनिसान मिटाने के प्रयत्न सब देसभक्त हिन्दूओं को एकजुट होकर करने चाहिए विना ये सोचे कि ये गद्दार कौन से सांप्रदाय—जाति-क्षेत्र या राजनीतिक दल से सबन्धित है।


क्योंकि आज मुद्दा जाटों के आरक्षण का है इसलिए हमारे विचार में सरकार को विना कोई समय गंवाय जाटों को आरक्षण दे देना चाहिए।


साथ ही हम अन्दोलनकारी जाटों से भी ये विनती करते है अन्दोलन के दौरान ये सुनिस्चत करें कि हिन्दू-हिन्दू से न उलझे न ही प्रदर्शनकारी अपने ही सैनिकों व पुलिसवलों से उलझें क्योंकि देश का दुशमन ये सेकुलरगिरोह यही तो चाहता है कि हम आपस में लड़कर कमजोर हों ताकि आक्रमणकारी मुसलमान व ईसाई फिर से हमें गुलाम बना सकें।






रविवार, 12 सितंबर 2010

सलमान खान(Salman Khan) ने क्या गलत कहा?






सलमानखान( सल्लु-मियां) ने मुंमबई हमलों पर जुबान क्या खोली सारे मिडीया व भारत के मुसलिम आतंकवादियों की काली करतूतों को छुपाने वाले नेताओं ने आसमान सिर पर उठा लिया। आओ समझें जरा कि सलमानखान ने क्या कहा?


1. मुंमबई पर मुसलिम आतंकवादियों के हमले में अमीर लोग मारे गए इसलिए इतनी हाय तौवा मचाई जा रही है---बरना मुसलिम आतंकवादियों ने और भी बहुत से हमले किए हैं लेकिन क्योंकि उन हमलों में गरीब हिन्दू मारे गए इसलिए किसी ने भी आतंकवादियों के हमलों के सामने खड़े होने की जरूररत नहीं समझी।


हमारे विचार में सलामान खान की यह बात 100% सही है क्योंकि हम सब जानते हैं कि कशमीरघाटी में मारे जाने वाले 60000 हिन्दू व उजाड़े जाने वाले 500000 हिन्दू उतने अमीर व रसूकदार नहीं थे जितने कि पांच सितारा होटलों में रहने वाले हैं( हमारे विचार में अमीर लोगों पर हमला भी उतना ही जघन्य अपराध है जितना गरीब लोगों पर लेकिन गरीब हिन्दूओं की मौत पर चुपी सताने व रूलाने वाली है)। वरना क्या कारण है कि सैंकड़ों लोगों के कत्ल पर हाय तौवा मचाने वाले लाखों हिन्दूओं के कत्ल पर आज भी खामोशी धारण किए हुए हैं?


मिडीया तर्क दे रहा है कि हमला छत्रपतिशिवाजी रेलवे सटेसन पर भी हुआ है और वहां मारे जाने वाले गरीब थे ।इसमें कोई शक नहीं कि वहां मारे जाने वाले गरीब थे पर हाय तौवा उनके लिए नहीं मचाई जा रही वरना इससे पहले भी मुमबई की लोकल ट्रेनों पर मुसलिम आतंकवादियों के हमलों में हजारों लोग मारे जा चुके हैं तब क्यों ये नेता व मिडीया इस हद तक नहीं भड़का ?


2. सलमानखान ने दूसरी बात यह कही कि हमला पाकिस्तानियों ने नहीं वल्कि भारत के मुसलमानों ने किया है।


कौन नहीं जानता कि कशमीर घाटी से लेकर आसाम तक हिन्दूओं पर होने वाले हमलों में भारत के मुसलमान सामिल हैं न कि सिर्फ पाकिस्तान व वंगलादेश के।


कितने वार केरल व देश के अन्य हिस्सों के मुसलमान कशमीरघाटी में आतंकवादी कार्यवाहियों में सामिल होने व देश के अन्य हिस्सों में बम बिस्फोट करने के कारण सुरक्षाबलों की पकड़ में आ चुके हैं जिन में से कई मुकदमों में आरोप सिद्ध हो चुके हैं।


हमारा मानना है कि वेशक मुंमबई पर हमले के लिए पाकिस्तान से सहयोग मिला हो लेकिन ये हमला विना स्थानीय मुसलमानों के सहयोग से सम्भव नहीं था। भारत के मुलमानों के ही सहयोग से पाकिस्तानी मुसलमान भारत पर हमला करने में कामयाब रहे।


वेशक मुसलिम आतंकवाद समर्थक सरकार ने हमले में सामिल भारतीय मुसलमानों को बचाने की लाख कोशिश की फिर भी सबाऊद्दीन व उसके सहयोगी पर माननीय अदालत ने केस चलाने की बात कही है।


जो कि यह साबित करती है कि मुंम्बई हमले में पाकिस्तानी मुसलमानों के साथ-साथ भारत के मुसलमान भी सामिल थे।


3. तीसरी बात सलमानखान ने यह कही कि पाकिस्तान सरकार इन हमलों के लिए दोषी नहीं है ।


हम कहते हैं कि भारत विरोधी कांग्रेस सरकार पाकिस्तान की सरकार से ज्यादा दोषी है । क्योंकि मुसलिम आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कांग्रेस सरकार ने पोटा हटाने से लेकर अफजल की फांसी रोकने तक के कई कदम उठाय हैं।


क्या मुसलिम आतंकवादी अफजल की फांसी पाकिस्तान सरकार ने रोकी है


4) सलमानखान ने चौथी बात यह कही कि भारत की सुरक्षा बयबस्था असफल हुई इसीलिए मुसलिम आतंकवादी हमला करने में सफल हुए।


इसमें तो कोई शक नहीं कि हमारी सुरक्षा बयबस्था असफल रही । प्रश्न सिर्फ यह है कि 6 महीने तक भारत व पाकिस्तान के मुसलिम आतंकवादी मुमबई पर हमले की योजना बनाते रहे तो महारष्ट्र व केन्द्र की सरकार को क्यों पता नहीं चला?


ये सराकरें क्या कर रही थी?


देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि पिछले एक वर्ष से केन्द्र व महाराष्ट्र की सरकारें मुसलिम आतंकवादियों को बचाने की खातिर हिन्दूओं को आतंकवादी सिद्ध करने के लिए जोर लगाई हुई थीं । जिसके लिए पुलिस अधिकारियों व खुफिया एजेंसियो का जमकर दुरूपयोग किया जा रहा था। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर व कर्नल पुरोहित जी की गिफ्तारी हिन्दूओं को आतंकवादी सिद्ध करने के षडयन्त्र का ही हिस्सा तो थी।


अब आप खुद सोचो कि जब देश की सरकार अपने ही सैनिकों व सन्तों के विरूद्ध षडयन्त्र कतरने में बयस्त हो तो ऐसे में शत्रु भला हमला क्यों नहीं करेगा ?


5) पांचवी बात यह है कि मुंबई हमले पर हाय-तौवा मचाने का असली कारण यही है कि अब रहीसजादों को मुसलिम आतंकवाद की आग अपने गिरेवान तक पहुंचती हुई महसूस हो रही है।


इसके अतिरिक्त हाय-तौवा मचाने का सबसे बढ़ा कारण यह भी है कि इन हमलों में गरीब हिन्दूओं के साथ-साथ मुसलिम और इसाई भी मारे गए।जबकि इससे पहले होने वाले मुसलिम आतंकवादियों के हमलों में मारे जाने वाले वेचारे गरीब हिन्दू थे।


अन्त में हम तो यही कहेंगे कि सलमानखान का ब्यान एक कड़वी सच्चाई हम सबके साने रखता है जिसे हम सबको समझने व समझकर सही दिशा में काम करने की जरूरत है।


















शनिवार, 11 सितंबर 2010

कुरान को जलाना क्या सही ठहराया जा सकता है ?

ISLAM IS OF THE DEVIL



Islam is of the devil, by the devil for the devil जी हां यही निश्कर्ष है निकाला मध्यपूर्व के विशेषज्ञ ने इसलाम के वारे में । ये विशेशज्ञ आजकल अमेरिका के खूफिया विभाग में अधिकारी हैं । इन्होंने 18 जुलाई को अमेरिका में Dearborn, Mich की एक मस्जिद में (जैसा कि हम पहले ही लिख चुके हैं कि मदरसे मुसलिम आतंकवादियों के training Centre और मस्जिदें मुसलिम आतंकवादियों के Operating Centre हैं) अलकायदा से जुड़े मुसलिम आतंकवादियों को पकड़ने के लिए रेड डालने के दौरान Islamic prayer calendar पर लिखा। जिसका इशाई सांप्रदाय के प्रमुख ने भी कुरान जलाने की घोषणा कर समरथन किया।


अगर हम से कोई पूछे कि हमारी राय क्या है तो हम कहेंगे कि विशेषज्ञ का निष्कर्ष और ईसाईयों के प्रमुख पादरी की घोषणा दोनों ही सही हैं।


अब आप कहेंगे कि हम किसी सांप्रदाय के वारे ऐसी राय कैसे रख सकते हैं?


तो हम कहेंगे कि 7-8वीं शताब्दी में इसलाम के भारत में प्रवेश के बाद मुसलिम आतंकवादियों ने लाखों हिन्दूओं को जिहाद के नाम पर मौत के घाट उतारा ।


अगर आपको विशवास नहीं तो अफगानीस्तान ,पाकिस्तान, वंगलादेश में मुसलिम आतंकवादियों द्वारा कत्ल किए गय हिन्दूओं की संख्या में कशमीर घाटी में कत्ल किए 60000 हिन्दूओं(http://jagohondujago.blogspot.com/2010/07/blog-post.html  ) व देशभर के अधिकतर शहरों में बम्ब हमलों में कत्ल किए गय हिन्दूओं की संख्या भी जोड़ लो ।


फिर भगवान को साक्षी मानकर अमने मन से पूछो क्या कोई भी मुसलमना विना मुसलिम सांप्रदाय के समर्थन से व्यक्तिगत सतर पर लाखों लोगों का खून इस तरह वहा सकता है नहीं न । बचाब का एक ही तरीका है--- SHOW ISLAM NO RESPECT: MUSLIMS ARE NOT HUMAN


आतंकवाद की जड़ है इसलाम वरना ऐसे कैसे हो सकता था कि कश्मीर घाटी में मुसलिम आतंकवादियों द्वरा कत्ल कि किए जा रहे हजारों हिन्दू-सिखों पर तो भारत के मुसलिम खामोश रहें या कत्ल को अंजाम देने में सहयोग करें और अफगानीस्तान में मारे जा रहे तालिवानों के विरोध के लिए भारत में वन्द आयोजिक कर हिन्दूओं की दुकानों-मकानों में आग(http://samrasta.blogspot.com/2010/07/blog-post.html )


 लगा दें।


अभी जरा आगे देखें ISLAM: EVIL IN THE NAME OF GOD ™ नामक पुस्तक (http://godofreason.com/  )के cover page पर लिखा हैWHERE IS THE OUTRAGE?


GOD IS NOT A CRIMINAL


GOD IS NOT A MALE CHAUVINIST PIG






ONLY A


GOD OF MORAL PERFECTION™


IS GOD

इन शब्दों का अर्थ जितना हमें समझ आया उसके अनुशार समस्या कहां है ? इस बात को उपर लिखित चन्द शब्दों में सपष्ट कर दिया गया है।


अब समस्या तो गम्भीर है समाधान क्या है ?


आप देख रहे हैं कि पीछे का इतिहास हम छोड़ भी दें तो महात्मा गांधी जी ने सांम्प्रदाय के आधार पर भारत विभाजन का विरोध किया था यहां तक कहा था ----भारत का विभाजन गांधी जी के जिन्दा रहते नहीं हो सकता ------ लेकिन मजबूर होकर भारत का विभाजन स्वार किया क्यों ? ----- कभी सोचा आपने नहीं न ----- 1946 में जिन्ना द्वारा --- Direct action मतलब हिन्दूओं-सिखों के विरूद्ध सीधे युद्ध की घोषणा करते ही ------मुसलिम हिन्दूओं-सिखों पर टूट पड़े----- एक ही दिन में कलकता के आसपास 10000 से अधिक हिन्दूओं का कत्ल कर डाला -----गांवो के गांव हिन्दू विहीन कर डाले --- मजबूर होकर गांधी जी को कहना पड़ा----हिन्दू कायर है(कायर किसने बनाया ? ---धर्मननिर्पेक्षताबादियों ने )और मुसलिम राक्षस----दोनों को इकट्ठा रखा तो ये राक्षस हिन्दूओं का नोनिशान मिटा देंगे----परिमामस्वारूप गांधी जी को भारत का विभाजन स्वीकार करना पड़ा---डा. अम्वेडकर जी ने पाकिस्तना-पंगलादेश के सब हिन्दूओं को भारत बुलाकर सबके सब मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने पर जोर दिया----लेकिन धर्मनिर्पेक्षतावादियों की जिद व अंग्रेजों की कुटिल चालों ने देशभक्तों की जायज मांग को साकार नहीं होने दिया—परिणामस्वारूप कशमीर में 60000 हिन्दूओं-सिखों का कत्ल---असाम को हिन्दूविहीन करने पर जोर---देशभर में हिन्दूबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्म विस्फोट ---चारों तरफ हिंसा और कत्लोगारद---आए दिन सुरक्षाबलों पर हमले---प्रतिदिन एकदर्जन से अधिक सैनिकों का मुसलिम आतंकवादियों द्वारा कत्ल ।


ये सब तब हो रहा है जब मुसलमानों की आबादी 20 प्रतिशत से कम है----सरकारें हिन्दूओं के अधिकार छीनकर मुसलमानों को दे रहीं हैं चाहे सरकार किसी की भी हो ।


जरा कल्पना करो जब कशमीरघाटी की तरह सारे भारत में मुसलमानों की जनसंख्या 35 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी और कोई दूसरा जिन्ना Direct action मतलब हिन्दूओं-सिखों के विरूद्ध सीधे युद्ध की घोषणा करेगा---- जैसे कशमीर में कर रखी है----- तो फिर क्या होगा ? ----सारे भारत में हिन्दूओं-सिखों का नरसंहार ---मां-बहन वेटियों की इज्जत से खिलवाड़---छोटे-छोटे बच्चों का जिहाद की खातिर कतलयाम---आज जो, मुसलिम आतंकवादियों के साथ खड़ें हैं, क्या वो बचा पायेंगे हिन्दूओं को---क्या 1946-47 में ये बचा पाए थे हिन्दूओं को मुसलिम राक्षसों से ---बचाना तो दूर ये खुद मारे जा रहे थे मुसलमानों के हाथों--- छुपते पिर रहे थे ये घर कुदाल इन मुसलिम आतंकवादियों से---भूल गए उस कत्लयाम को ---आज फिर ये दुष्ट मुसलिम आतंकवादियों को आगे बढ़ाने के लिए देशभक्तों को गाली निकाल रहे हैं---जागो मेरे प्यारे हिन्दूओ---अपनी सुरक्षा का इन्तजाम करो ---समाधान सपष्ट है---


DESTROY THE


ISLAM OR


GET DESTROYED


BY IT










गुरुवार, 9 सितंबर 2010

क्या ये संयोग हो सकता है ?------संदर्भ --एंटोनिया उर्फ सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए 6 दावेदार नेताओं का कत्ल-------





कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें लाख कोशिश पर भी दबाया नहीं जा सकता।इन्हीं बातों में से एक है चर्च द्वारा योजनाबद्ध तरीके से एक फासीवादी इटालियन स्टीफैनो व पाओला माईनों की औलाद एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो उर्फ सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाकार गांधी परिवार की विरासत पर कब्जे के साथ ही शहीदों द्वारा 1857 से 1947 तक किए गए संघर्ष व बलिदानों के परिमामस्वारूप भारतीयों के हाथों आई सत्ता को भारतीयों वोले तो हिन्दूओं से छीन कर सीधे चर्च के हाथों तक पहुंचाना।


ये कहानी शुरू होती है राजीब गांधी जी के पढ़ाई के लिए विदेश जाने के साथ ही। जैसे ही राजीब गांधी जी पढ़ाई के लिए लन्दन पहुंचे चर्च ने उन्हें अपने जाल में फंसाने के लिए जाल बुनना शुरू कर दिया। अपने इस जाल को अंजाम तक पहुंचाने के लिए चर्च की निगाह पड़ी लुसियाना इटली में कैथोलिक परिवार में जन्मी व कैथोलिक स्कूल में पढ़ाई कर रही फासीवादी स्टीफैनो व पाओला माईनों की औलाद एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो पर । चर्च ने एंटोनिया को 1964 में Cambridge शहर के The bell education Trust में अंग्रेजी सीखने के नाम पर प्रवेश दिलवाया। राजीब गांधी जी को अपने षडयन्त्र में फांसने के उद्देश्य से चर्च नें 1965 में राजीब गांधी जी की मुलाकात एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो से ग्रीक रैस्तरां में करवाई।


1968 में इन्दिरा गांधी जी जो कि पूरी तरह इस विदेशी अंग्रेज से राजीब गांधी जी की शादी के विरूद्ध थीं पर ततकालीन सोवियतसंघ से दबाबा वनवाकर एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो की शादी भोले-भाले राजीब गांधी जी से करवा दी गई। इतिहास गवाह है कि चर्च ने कभी भी विदेशी भूमि पर कब्जा जमाने के लिए संयम का परिचय नहीं दिया ।यहां भी शादी तो हो गई लोकिन चर्च का भारत पर सीधे राज करने का जो षडयन्त्र था उसे अन्जाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी था एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो को कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाना।


1965 में एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो व राजीब गांधी को साथ लाने के एकदम बाद ही चर्च ने जनवरी 1966 में सोवियत संघ के तासकंद में एक मुसलिम के माध्यम से लाल बहादुर शास्त्री जी को जहर देकर मरवा दिया। मतलब चर्च ने भारत पर कब्जे की ओर पहला कदम आगे बढ़ाया।



चर्च के दबाब व प्रभाव के परिमामस्वारूप ही लाल बहादुर शास्त्री जी का पोस्टमार्टम तक नहीं कवाया गया जबकि उनकी विधवा पत्नी ललिता शास्त्री जी लगातार पोस्टमार्टम की मांग करती रहीं ---- आप तो जानते ही हैं कि आज भी भारत में चर्च के आगे किसी की भी नहीं चलती ---- जो भी ,र्चच के मार्ग में आया उसे चर्च ने विना कोई समय गंवाय ठिकाने लगा दिया।


शास्त्री जी के कत्ल के बाद चर्च ने एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो के भारत में 15 वर्ष पूरे होने का इन्तजार शुरू किया क्योंकि 15 वर्ष भारत में नागरिकता के लिए एक आवस्यक शर्त है। साथ ही इस समय में शास्त्री जी की मौत पर उठा बबाल भी ठंडा हो गया। इसके साथ ही चर्च ने अपने अगले सिकार की खोज जारी रखी।


भारत पर कब्जे की चर्च की राह में सबसे बड़ी रूकाबट बनकर उभरे प्रखर देशभक्त संजय गांधी जी।



23 जून 1980 को सफदरगंज हबाई अड्डे के पास संजय गांधी जी को चर्च ने एक विमान दुर्घटना में कत्ल करवा दिया। सारे देश में शोर मचा दिया कि इन्दिरा गांधी ने अपने बेटे को मरवा दिया । हर जगह गली मुहल्ले चौराहे पर एक ही चर्चा कि इन्दिरा गांधी जी ने कुर्सी के लिए अपने ही बेटे को मरवा दिया। इस देश में चर्च की अपवाह फैलाओ मशीनरी जो कि 1947 से पहले से ही काम कर रही है उसकी देश के हर कोने तक पकड़ है। इसी अपवाह फैलाओ मशीनरी के षडयन्त्र का सिकार होकर भारतीयों ने चर्च के इसारे पर किए जा रहे कत्लों को दुर्धटनायें मानने की बेबकूफी की ।


बैसे भी भारतीय विशेषकर हिन्दु राजनितीक रूप से बेबकूफ हैं ये किसी को भी बताने जताने की अबस्यकता नहीं। जो हिन्दू मुसलमानों व ईसाईयों द्वारा देश के कई हिस्सों से बेदखल कर दिए जाने के बाबजूद आज भी अपने ही हिन्दू भाईयों के हक छीन कर अल्पसंख्यबाद के नाम पर उन्हीं कातिल मुसलमानों व इसाई को देकर इन कातिलों को ताकतबर बनाने पर तुले हों वो मूर्ख नहीं तो और क्या हैं ?


1980 संजय गांधी जी के कत्ल के बाद चर्च ने रूख किया इन्दिरा गांधी जी की ओर


जिन्हें 1984 में कत्ल करवा दिया गया।




फिर 21 मई 1991 को राजीब गांधी जी का भी कत्ल करवाकर एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो को कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर पहूंचने का मार्ग साफ होग गया।


लोगों को असलियत पता न चल जाए इसके लिए कुछ दिन नौटंकी करने के बाद एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो उर्फ सोनिया गांधी को 1998 में कांग्रेस के पहले दलित कांग्रेस अध्यक्ष सीता राम केसरी जी को अनमानजनक रूप से हटाकर अध्यक्ष बना दिया गया।


1999 में कांग्रेस के तीन ताकतवर नेताओं सरद पवार, पूर्ण ए संगमा व तारिक अनवर ने कांग्रेस पर चर्च द्वारा विदेशी नेतृत्व थोपने के विरोध में एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो के विरूद्ध क्रांति का विगुल बजा दिया। लेकिन गुलाम मानसिकता से ग्रस्त कांग्रेसियों के सहयोग व भाजपा की मूर्खता के फलस्वारूप चर्च ने इन नेताओं को ठिकाने लगाकर इस क्रांति को दबाने में असफलता हासिल की । इसके वाद चर्च को डर सताने लगा । चर्च को लगा कि माधवराव सिंधिया



 व राजेश पायलट जैसे जनता से जुड़ें नेता कभी भी कांग्रेस के अध्यक्षपद के लिए दावेदारी पेसकर चर्च के सारे किए कराय पर पानी फेर सकते हैं। इसी समस्या का समाधान करने किए चर्च ने





11 जून 2000 को राजेश पायलट जी को कार दुर्घटना में मरवा दिया व बाद में एक जहाज दुर्घटना का सहारा लेकर माध्वराव सिंधिया जी को भी कत्ल करवा दिया गया।


इस तरह अब कांग्रेस में कोई भी ऐसा नेता न बचा जो चर्च की एजेंट एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो उर्फ सोनिया गांधी के लिए खतरा उत्पन्न कर सके। अब आप सोचो जरा कि क्या ये संयोग हो सकता है कि एक विदेशी एजेंट के रास्ते में रूकावट पैदा करने में सक्षम आधा दर्ज लोग अपने आप दुर्घटनाओं का सिकार हो जायें।


हमारे विचार में तो ये चर्च द्वारा किए गए कत्ल हैं, अपनी एंजेंट इटालियन ईसाई एडवीज एंटोनिया अलवीना माईनो को ,भारत में स्थापित करने के लिए.......अगर आप अलग राय रखते हैं तो हमें अपनी राय से अबगत जरूर करवाना।






शनिवार, 4 सितंबर 2010

नितीश जी वन्धक पुलिस जवानों को छुड़वाने का आसान रास्ता हैं वन्धक प्रकरण का शूत्रधार अग्निवेश





हम अग्निवेश जी को एक लम्बे समय से समझने की कोशिश कर रहे हैं। जितना अभी तक हम समझ पाए हैं अग्निवेश की जिन्दगी का एक अटूट हिस्सा है भारत विरोध व आतंकवादी प्रेम। आतंकवादी चाहे पाक समर्थक हों या फिर चीन समर्थक या फिर रोम समर्थक अग्निवेश को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता उनके पास आतंकवादियों द्वारा किए हर नरसंहार का आसान सपष्टीकरण उपलब्ध रहता है ।


लेकिन इसवार मामला ज्यादा गम्भीर है क्योंकि जो कुछ अग्निवेश ने 03-09-2010 शाम को IBN7 पर आशुतोष के साथ कहा वो सपष्ट संकेत देता है कि इसवार पुलिसवालों का अपरहण सीधे तौर पर अग्निवेश के इसारे पर नितीश कुमार को सबक सिखाने के इरादे से हुआ है।


कार्यक्रम के दौरान जब आशुतोष ने नितीश जी के माओवादियों के प्रति सहानुभूति रखने की बात उठाकर यह कहने की कोशिश की कि क्योंकि नितीश जी के मन में बामपंथी आतंकवादियों के प्रति विशेष सहानुभूति है इसलिए नितीस जी के राज्य में इस तरह का अपहरण जो कि नितीश जी को राजनितीक हानि पहुंचाने के इरादे से किया गया प्रतीत होता है विलकुल गलत है तो अग्निवेश जी ने एकदम भाव में आकर कहा कि अपहरण से पहले उन्होंने (अग्निवेश) ने खुद नितीश जी से वामपंथी आतंकवादी आजाद के मारे जाने की जांच सबन्धी बयान देने की मांग की थी जिसे नितीश जी ने नहीं माना ---परिणाम स्वारूप ये अपहरण हुआ।


इसके साथ ही अग्निवेश जी ने बामपंथी आतंकवादियों द्वारा पुलिसवाले के कतल को भी सही ठहराने की कोशिश की


साथ हगी ये भी कहा कि अगर नितीश जी दो लाइन की सटेटमैंट लिखकर मिडीया के सामने दे दें तो बन्धक पुलिस वाले छोड़े जा सकते हैं।


स्टेंटमैंट में नितीश जी को आतंकवादियों से उनकी बात नहीं माने जाने पर माफी मांगनी होगी व आतंकवादियों की बात मानने का बायदा करना होगा मतलब पूरी कानून बयवस्था का आतंकवादियों के सामने पूर्ण समर्पण। इतना ही नहीं अग्निवेश ने तो यहां तक कहा कि कानून ब्याबस्था संविधान की बात कर सरासर गलत है फैसला आतंकवादियों के जंगलराज के अनुशार होना चाहिए।आप ये कार्यक्रम IBN7 पर देख सकते हैं।


इस सारे कार्यक्रम का सार ये है कि क्योंकि नितीश जी ने अग्निवेश जी की बात(आतंकवादी आजाद की मौत की जांच करने की मांग) नहीं मानी इसलिए उनको सबक सिखाने के लिए पुलिस वालों का अपहरण कर इनमें से एक की हत्या कर दी गई वाकियों की हत्या करने की त्यारी है।


हमारे विचार में अग्निवेश को तुरन्त पुलिस के जवानों का अपहरण करवाने के बाद कतल करने के अपराध में गिरफ्तार कर जांच को आगे बढ़ाना चाहिए। हम दावे के साथ कह सकते हैं कि


1. एक तो इन तीन पुलिस वालों की जान बच जाएगी


2. दूसरा अपहरण का सच सबके सामने कुछ दिनों मे आ जायगा


3. तीसरा अग्निवेश ,गौतम नबलखा ,अरूंधती राय जैसे मानबाधिकारवाद के चोले में छुपे देश के गद्दारों की असलियत कानून से सबके सामने आ जाएगी।



4. कांग्रेस के नेतृत्व में देशविरोधी धर्मनिर्पेक्ष गिरोह द्वारा आतंकवाद(मुसलिम,वामपंथी 

वामपंथी आतंकवाद से साबधान
 इसाई) का उपयोग किस तरह राजनितीक हथियार के रूप में किया जा रहा है इसकी सच्चाई देश की भोली-भाली गरीब जनता के सामने उजागर हो जायगी।


5. अन्त में न जाने और कितने पुलिस व आम नागरिकों के जान-माल की रक्षा इन गद्दारों से हो सकेगी।


नितीश जी जल्दी से अग्निवेश को गिफ्तार कर सच्चाई को जनता के सामने लाकर देश को बचाने में अपनी भूमिका का निर्वाहन करें ।


अगर नितीश जी ये नहीं करते हैं तो छतीशगढ़ के मुख्यमन्त्री जी को अग्निवेश को उसके गिरोह सहित गिफ्तार कर ये सच्चाई सबके सामने लानी चाहिए।


अगर वो भी इन गद्दारों को हाथ नहीं डालते हैं तो फिर भगवा क्रांतिकारियों के साकार रूप के सामने आने का इन्तजार करना चाहिए ताकि वो हिन्दू क्रांतिकारी ऐसे गद्दारों व गद्दारों के मददगारों को चौराहे पर गोली से उड़ाकर देश की रक्षा कर सकें।


शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

क्रांतिकारी बनाम आतंकवादी


क्रांतिकारी अपनी मातृभूमि के आत्मसम्मान के लिए लड़ते हैं जैसे कि शहीद भगत सिंह जी



जबकि


आतंकवादी मातृभूमि के शत्रुओं के साथ मिलकर मातृभूमि को नुकसान पहुंचाने के लिए लड़ते हैं जैसे कि मुहम्मद अली जिन्ना



भारत में आज बहुमूल्य प्रश्न यह पैदा हो गया है कि हम भारतवासी किसे क्रांतिकारी मानते हैं व किसे आतंकवादी ?


हालांकि बात बहुत सपष्ट है कि जो अपनी मातृ-भूमि की आन-वान-शान के लिए काम करते हैं----- जरूरत पड़ने पर गद्दारों का सर्वनाश करते हुए मातृभूमि के की रक्षा के लिए हंसते-हंसते कुर्वान हो जाते हैं------- उन्हें क्रांतिकारी कहते हैं जैसे कि शहीद राजगुरू जी , चन्द्रशेखर आजाद जी


जबकि


जो देश के शत्रुओं से मिलने वाले टुकड़ों की खातिर बिककर अपनी मातृभूमि से दगा करते हैं उन्हें आतंकवादी या गद्दार कहते हैं। जैसे अफजल, भटकल जैसे मुसलिम आतंकवादी-----ये आतंकवादी देश की हर उस बात पर हमला करते हैं जो देश के आतमसम्मान को बढ़ाती है।ये आतंकवादी अक्कसर सुरक्षावलों व देसभक्तों को निसाना बनाते हैं । जैसे कि मुसलिम व माओवादी आतंकवादी






जबकि


क्रांतिकारी कभी सुरक्षाबलों पर हमला नहीं करते न हीं उनको बदनाम करते हैं। जैसे कि भगवा क्रांतिकारी अक्सर सुरक्षाबलों पर हमले को खुद पर हमला मानकर कर प्रतिक्रिया करते हैं।


हां क्रांतिकारियों को आतंकवादियों व उनके समर्थकों के विरूद्ध हिंसा का सहारा लेना पड़ता है पर इस हिंसा का निशाना कभी भीड़-भाड़ वाले वो स्थान नहीं होते जहां सब लोग अपनी रोजमर्रा के क्रिया कलापों को अंजाम देते हैं क्रांतिकारियों के निशाने पर आतंकवादियों के छुपने व प्रशिक्षण के स्थान होते हैं ।


आतंकवादी अपनी हर कार्यवाही को इस तरह अन्जाम देते हैं जिससे देश को अधिक से अधिक जान-माल व शाख का नुकशान हो--- इनके निशाने पर अक्कसर आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र होते हैं जैसे कि आर्थिक राजधानी मम्बई पर मुसलिम आतंकवादियों का हमला व सड़कों, पुलों, स्वास्थयकेन्द्रों पर वामपंथी आतंकवादियों का हमला।


जबकि


क्रांतिकारी कभी भी देश को आर्थिक नुकशान पंहुचाने की कोशिस नहीं करते।


आतंकवादी अपने बचाब के लिए आम लोगों को ढ़ाल के रूप में प्रयोग करते हैं जैसे कि मुसलिम आतंकवादियों द्वारा नेपाल से भारत जाने वाले जाहज का अपरहण।


जबकि


क्रांतिकारी अपने देशवासियों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व नयौछावर करने का मादा रखते हैं।


आओ जरा बर्तमान भारत में देखें कि कौन किसके साथ है ?


आप देख रहे हैं किस तरह अफजल की फांसी को एंटोनिया उर्फ सोनिया गांधी +मनमोहन सिंह+ दिगविजय सिंह+ गुलामनवी आजाद +पी चिदम्बरम पिछले चार वर्ष से रोके हुए हैं क्योंकि इन गद्दारों की निगाह में अफजल मुसलिम आतंकवादी नहीं वल्कि मुसलिम क्रांतिकारी है जो भारत को तवाह करने के इनके मकसद में हाथ वंटा रहा है।


आप देख रहे हैं कि किस तरह कभी एंटोनिया उर्फ सोनिया गांधी तो कभी दिगविजय सिंह माओवादी आतंकवादियों के बचाब में बयानवाजी कर सुरक्षावलों के काम में रोड़ा अटका रहे हैं मानो इनकी गद्दारी का इतना ही प्रमाण काफी न हो तो कभी रेल मन्त्री माओवादी आतंकवादियों के साथ मिलकर रैली कर उनका हौसला बढ़ा रही हैं इतने से काम न चले तो सरकार व कांग्रेस में नम्वर दो राहुल गांधी माओवादी आतंकवादियों के साथ मिलकर रैलीकर शहीद सैनिकों के परिवार वालों व शहीद सैनिकों के समर्थकों को चिढ़ा रहे हैं मानो राहुल गांधी कह रहे हों कि कांग्रेस चर्च के इसारे पर देश के सैनिकों को इसी तरह मरवाती रहेगी कोई देशभक्त उनका क्या उखाड़ लेगा ?



ये गद्दारों का टोला अच्छी तरह जानता है कि देशभक्त प्रतिक्रिया करेंगे इसीलिए ये गद्दार मिलकर चर्च के इसारे पर हिन्दूओं को आतंकवादी कहकर उनका हौसला तोड़ने का ख्वाब देख रहे हैं ।


अपने इस खवाब को पूरा करने के लिए इन गद्दारों में से एक ने देश की ताकत सुरक्षावलों को हिन्दूओं के विरूद्ध खड़ा करने के लिए सुरक्षाबलों की बैठक का दुरूपयोग किया। इससे पहले मनमोहन खान भी ऐसा ही कोशिश कर चुका है।


परन्तु इन गद्दारों को कौन समझाए कि भगवान के घर में देर है अन्धेर नहीं इन सब गद्दारों वोले तो भारतविरोधी आतंकवादियों व इनके समर्थकों का अन्त ----देशभक्त भगवा क्रांतिकारीयों --वोले तो ---हिन्दू क्रांतिकारियों वोले तो---- भारत समर्थक क्रांतिकारियों के हाथों सुनिश्चित है।


रही बात इन क्रांतिकारियों को आतंकवादी कहकर पुकारने की तो इन भारतविरोधियों ने तो शहीद राजगुरू व शहीद चन्द्रशेखर आजाद जी को भी कुछ ऐसा ही कहकर अपमानित करने का दुहशाहस किया था पर वास्तविकता यही है कि इन हिन्दूविरोधियों का समूलनाश भगवा क्रांतिकारियों के हाथों ही होगा आज नहीं तो कल।