Pages

मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

सोमवार, 12 जुलाई 2010

ये कौन हैं जो आतंकवादी मुसलमानों व मुसलिम संगठनों को निर्दोश और निर्दोश हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों को आतंकवादी सिद्ध करने के लिए एक के बाद एक षडयन्त्र रचे जा रहे हैं?

हम आपके सामने कुछ ऐसे तथ्य रखने जा रहे हैं जो आपको सायद उस हकीकत का सामना करवा सकें जिस हकीकत का सामना देशभक्त भारतीय सेना,हिन्दू व हिन्दू संगठन कर रहे हैं।


अगर हम भारत को आज वैचारिक व राजनीतिक आधार पर समझना चाहें तो कुल मिलाकर दो विचारधारायें उभर कर सामने आती हैं।


एक विचारधारा है सर्वधर्मसव्भाव व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में विश्वास रखने वाली भारतसमर्थक हिन्दूत्वनिष्ठ विचारधारा व दूसरी विचारधारा है भारतविरेधी-हिन्दूविरोधी धर्मनिर्पेक्षतावादी विचारधारा मतलब सैकुलर गिरोह की विचारधारा।


हिन्दूत्वनिष्ठ विचारधारा भारत को सांस्कृतिक समानता के आधार पर एकजुट कर अलगाववादियों को अलग-अलग कर भारत को आगे ले जाना चाहती है जबकि सेकुलर गिरोह की विचराधारा भारत को धर्मविहीन-हिन्दूविहीन कर धर्मनिर्पक्षता के नाम पर भारत को इसलामी व ईसाई टुकड़ों में विभाजित कर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को नष्ट कर आगे और खण्ड-खण्ड करने में विश्वास रखती है।


हिन्दूत्वनिष्ठ विचारधारा को आगे बढ़ाने का माध्यम है भारत को जोड़ने वाली सांसकृतिक कड़ियों पर जोर देकर हिन्दूएकता को प्रवल कर भारतीयों को संगठित करना जबकि सेकुलर गिरोह का जोर है हिन्दुओं को जात-पात के आधार लड़वाकर हिन्दू समाज को और विभाजित कर मुसलिम व इसाई आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारतीयों को आपस में लड़वाकर भारत के शत्रुओं को ताकतवर बनाना।


आज भारत के अधिकतर संचार साधनों पर सेकुलर गिरोह की पकड़ मजबूत होने के कारण देश में एक ऐसा महौल बना दिया गया है जिसमें हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा देशहित में कही गई या की गई हर बात को इस तरह से पेश किया जाता है मानों हिन्दूत्वनिष्ठ संगठन व भारतीय सेना ही देश की सब समस्याओं की जड़ है जबकि सच्चाई यह है कि भारत विरोधी पाक समर्थक मुसलिम आतंकवादियों, चीन समर्थक माओवादी आतंकवादियों व रोम समर्थक ईसाई आतंकवादियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में देसभक्तों का जीना दुशवार किया हुआ है।


मिडीया की सहायता से सेकुलर गिरोह भारतविरोधी आतंकवादियों द्वारा हिन्दूओं व देश पर किए गए हर हमले को या तो दबाने की कोशिश करता है या फिर आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले का दोश एक योजना के तहत देशभक्त भारतीय सेना, हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों पर मढ़ने की कोशिश की जाती है।


पिछले कुछ दिनों से ऐसे प्रमाण मिल रहे हैं कि सेकुलर गिरोह ने अपने देशविरोधी-हिन्दूविरोधी अभियानों की सफलता से उतसाहित होकर अब सीधे देश के सुरक्षाकव्च मतलब भारतीय सेना पर हमले तेज कर सैनिकों को बदनाम करना शुरू कर दिया है।


हमारा मानना है कि झूठ के पाँव नहीं होते झूठ चाहे कितने भी जोर से क्यों न कहा जाए अन्त में तो झूठ व पाप को तो हारना ही है क्योंकि प्रकृति का विधान ही ऐसा है जिसमें जीत तो सत्य और धर्म की ही होती है।


प्रकृति के इसी विधान के अनुरूप पापिओं व अधर्मियों के सेकुलर गिरोह द्वारा देसभक्त हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों के वारे में फैलाए जा रहे झूठों का एक के एक पर्दाफास होता जा रहा है।



सेकलर गिरोह का झूठ-चर्चों पर हमले हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों ने किए थे...

वर्ष 2000 में गुजरात व केन्द्र में BJP की सरकार थी । उन्हीं दिनों गुजरात, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश व कर्नाटक के कई चर्चों में एक के वाद एक बमबलास्ट हुए। सेकुलर गिरोह ने न आब देखा न ताब बस सीधे शोर मचा दिया कि संघ परिवार मतलब हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों ने अल्पसंख्यकों मतलब ईसाईयों और मुसलमानों को मिटाने के अपने अभियान को अंजाम देना शुरू कर दिया है।


देश के हर समाचार चैनल व समाचार पत्र ने मनघड़ंत कहानियां बनाकर हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों को बदनाम कर सारे संसार में भारत की छवि को धूमिल किया। हिन्दूओं को कातिल और अत्याचारी के रूप में पेश किया। संघपरिवार व हिन्दू संगठनों ने लाख कहा कि इन हमलों से उनका कोइ लेना–देना नहीं लेकिन सेकुलर गिरोह ने एक न सुनी बस शोर मचा दिया हिन्दू व हिन्दूओं के संगठन कातिल हैं अत्याचारी है ईसाईयों का नरसंहार कर रहे हैं। विदेशों से भी भारत सरकार को हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों पर नकेल कश कर अलपसंख्यकों की रक्षा करने के आदेश मिलने लगे ।चारों तरफ हाहाकार मचा दी गई।


तभी एक ऐसी घटना घटी जिसने सबको चौंका दिया।
आन्ध्रप्रदेश में दीनदार अन्जुमन के कुछ लोग गिरफ्तार किए गए जिन्होंने ने ये कबूल किया कि चर्चों में विस्फोट मुसलिम आतंकवादियों ने किए हैं ।क्योंकि चन्द्बाबाबू नायडू खुद सेकुलर गिरोह का हिस्सा थे इसलिए पकड़ें गए लोगों के कबूलनामे पर प्रश्न उठाना मुस्किल था फिर भी सेकुलर गिरोह ने अपनी योजना अनुशार हिन्दूओं और हिन्दू संगठनों को टारगेट करना जारी रखा।


सेकुलर गिरोह के सारे दुशप्रचार के बाद माननीय न्यायालय का ये फैसला पढ़ो....

A special court, hearing cases related to serial bomb blasts in churches in Karnataka, Andhra Pradesh, Maharashtra and Goa in 2000, has convicted 23 people belonging to Deendar Channabasaveshwara Anjuman group. Of the 27 accused who were tried, four were acquitted. Special Court Judge SM Shivana Gowdar

who convicted the 23 in Bangalore on Friday, is yet to pronounce the quantum of punishment in the case which has been adjourned till December 3.



BANGALORE, India, December 3, 2008--A court in southern India has handed death sentences to 11 people convicted of bombing churches in three states in 2000



In addition to the death sentences, the court in Bangalore, capital of Karnataka state, 2,060 kilometers south of New Delhi, also sentenced 12 others involved in the blasts to life imprisonment on Nov. 29.

The explosions damaged the churches, but the only deaths were of two people suspected of involvement in the bombings. The convicted are members of a Muslim sect, Deendar Anjuman (organization for duty).

इस फैसले के अनुशार चर्चों में बम्मविस्फोट मुसलिम संगठन दीनदार अंजुमन ने करवाए थे। ये हमले करने के जुर्म में पकड़े गए 27 लोगों में से 4 को छोड़ दिया गया व 11 को फांसी की सजा सुनवाई गई तथा 12 को उम्रकैद की सजा सुनवाई गई।


अब सोचने वाला विषय ये है कि जिन लोगों ने हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों के वारे में अफवाहें फैलाकर संसार में भारत व हिन्दूओं की छवि खराब करने की कोशिश की ये कौन लोग हैं?


बास्तब में ये वो लोग हैं जो मुसलिम देशों से पैसे लेकर हिन्दू मुसलिम एकता(The group, now banned, was founded in 1924 in Karnataka to unite Muslims and Hindus, but that aim later changed and members began to work for the Islamization of India through violent activities, the prosecution reportedly told the special court. Police intelligence reports say the sect has some 12,000 followers in villages of Karnataka and neighboring Andhra Pradesh.)

के नाम पर हिन्दूओं की बर्बादी सुनिस्चित करने के लिए मुलिम आतंकवादियों की ढाल के रूप में काम करते हैं।मुसलिम देशों से मिलने वाले टुकड़ों के बदले ये लोग मुसलमानों द्वारा किए गए हर नरसंहार का दोश हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों पर डालने का हर सम्मभव प्रयास करते हैं।


सेकलर गिरोह का झूठ-इशरत जहां निर्दोष थी


वर्ष 2004 में गुजरात में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में लश्करे तैयवा के चार खूंखार फिदाय़ीन मारे गए।

इन चार में से एक लड़की थी जिसका नाम था इसरत जहां।


 इस इनकांटर के कुछ ही घंटे बाद समाचार चैनलों व समाचार पत्रों ने समचार चलाने शुरू कर दिए कि ये मुठबेड़ फर्जी थी।
http://www.hindilok.com/ishrat-jahan-fake-encounter-creates-question-prasun.html

 बैसे भी सेकुलर गिरोह हर मुलिम आतंकवादी को निर्दोष ही मानता है क्योंकि दोनों का मकसद एक ही है वो है हिन्दूओं का नरसंहार । ये कुछ घंटे भी शायद इसलिए लग गए क्योंकि झूठा समाचार चलाने के लिए इन सेकुलर गद्दारों को कितने पैसे मिलेंगे ये तय होनें में कुछ वक्त लगा होगा।


सौदा तय होते ही समाचार चैनलों ने जंगली कुतों की तरह हिन्दूओं पर भौंकना शुरू कर दिया ।हिन्दूओं व पुलिस को वरबर अत्याचारी सिद्ध करने के लिए तरह तरह की कहानियां प्रसारित की गई।

ये बात अलग है कि मुठबभेड़ के कुछ ही दिनों के अन्दर लश्करे तैयवा ने खुद ये सवीकार कर लिया कि इसरत जहां लश्करे तैयवा की आत्मघाती आतंकवादी थी। Shortly after the 2004 encounter, LeT claimed that Ishrat was its fidayeen through its Lahore-based mouthpiece 'Ghazwa Times'.

इसी वीच मुंबई ATS ने भी अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा कर दिया कि इसरत जहां लश्करे तैयवा की आत्मघाती आतंकवादी थी ।


लेकिन सेकुलर गिरोह कहां मानने वाला था उसने तो मुसलिम देशों से मिले पैसे को हलाल करना था हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों को बदनाम कर। इस वार सेकुलर गिरोह ने केन्द्र सरकार के साथ मिलकर नई रणनिती बनाई । इस रणनिती के अनुसार पहले इसरत जहां के परिवार वालों को समाने लाकर उनका रोना-धोना


दिखाया गया बाद में उनसे कोर्ट में केश करवा दिया गया ।

ठीक उसी समय जब कोर्ट में केश करवाया गया लश्करे तैयवा ने भी अपने पिछले बयान से पलटते हुए इसरतजहां का अपना सदस्य होने से इनकार कर दिया। However in 2007, LeT, which was then rechristened as Jamaat-ud-Dawa (JuD), disowned her and issued an apology to Ishrat's family for describing her as a LeT cadre.

ये इस बात का प्रमाण था कि सेकुलर गिरोह व मुसलिम आतंकवादियों के वीच किस तरह के गहरे रिस्ते हें।


मान ,मर्यादा व विस्वास की सब हदें तब पार हो गयीं जब एक जज पी सी तमांग ने भी सेकुलर गिरोह के भारतविरोधी दुशप्रचार का सिकार होकर इसरत जहां को निर्दोश करार दे दिया।( तमांग की आख्या में कहा गया है कि इसरत जहां और उसके साथ मारे गये उसके तमाम साथी निर्दोष थे तथा गुजरात पुलिस ने कथित आतंकियों को मुम्बई से पकडकर लाई, दो दिनों तक अवैध पुलिस अभिरक्षण में रखी और फिर उसे मार कर मुठभेड दिखा दिया गया। न्यायमूर्ति तमांग की आख्या कहता है कि गुजरात पुलिस ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि कुछ अधिकारियों को मुख्यमंत्री के सामने अपना कद उंचा करना था)

http://www.pravakta.com/?p=3663  ( पढ़ें)


बस फिर क्या था कांग्रेस ने खुलकर मोदी को मौत का सौदागर व आतंकवादी इसरत जहां को मासूम निर्दोष प्रचारित करना शुरू कर दिया। कांग्रेस की वेशर्मी व गद्दारी का सबसे बढ़ा प्रमाण उस वक्त सामने आया जब ये पता चला कि ततकालीन कांग्रेस सरकार नमे खुद माननीय न्यायलय में हलफनामा देकर ये सवीकार किया था कि इसरत जहां लश्करे तैयवा की आत्मघाती आतंकवादी थी।


लेकिन कांग्रेस जानती है कि हिन्दू वेवकूफ हैं वो कहां इतनी गहराई में जाकर कांग्रेस की गद्दारी का पर्दाफास करने की कोशिस करेंगे। इसलिए मुसलिम आतंकवादियों को खुश करने के लिए आतंकवादी का साथ देना शुरू कर दिया कांग्रेस के नेतृत्व में सारे सेकुलर गिरोह ने।


ऐसा नहीं कि इससे पहले कांग्रेस ने इस आतंकवादी का साथ नहीं दिया था। 2000 में इसरत जहां के जनाजे में कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के हजारों कार्यकर्ता सामिल हुए ते।

ततकाली महाराष्ट्र सरकार ने इस आतंकवादी के परिवार को हरजाने के नाम पर आर्थिक मदद भी की थी।
यह वही कांग्रस है जिसने 2004 में सता में आते ही आतंकवादियों से लड़ाई के दौरान शहीद होने वाले अर्धसैनिक बसों को मिलने वाली आर्थिक सहायता ये कहकर कम कर दी थी कि सरकार के पास पैसे नहीं हैं।
http://samrastamunch.spaces.live.com/Blog/cns!1552E561935CF20F!532.entry    (पढ़े) 

आज जबकि NIA के सामने मुसलिम आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ये सवीकार कर चुका है इसरत जहां लश्करे तैयवा की आत्मघाती आतंकवादी थी तब आप समझ सकते हैं कि कौन सही है और कौन गलत।


क्या ये सारी बातें इस बात का प्रमाण नहीं कि इसरत जहां द्वारा मोदी को मारने की योजना की जानकारी सेकुलर गिरोह व कांग्रेस को थी ।जानकारी ही नहीं वल्कि सेकुलर गिरोह का समर्थन भी इसरत जहां को प्राप्त था।


ऐसा नहीं कि ये सेकुलर गिरोह का एकमात्र झूठ है जिका पर्दाफास हुआ है। सैंकड़ों ऐसे झूठ हैं जो सेकुलर गिरोह ने हिन्दूओं व हिन्दू संगठनों को बदनाम करने के लिए फैलाए और बाद में उन झूठों का परदाफस हुआ।


ऐसा नहीं कि अब इस गिरोह ने झूठ फैलाने वन्द कर दिए हें।


आपको याद होगा कि जब 2001 में ततकालीन गृहमन्त्री लालकृष्ण अडवानी जी ने सिमी(SIMI) को आतंकवादी संगठन घोषित किया तो समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में कांग्रेस सहित सभी सेकुलरगिरोह के सदस्यों ने अडवानी जी को मुसलिम विरोधी करार दिया। कौन सही था कौन गलत इसका प्रमाण आगे चलकर तब मिला जब SIMI ने दर्जनों बम्मविस्फोट कर हजारों वेगुनाह हिन्दूओं का कत्ल कर लाखों को नुकसान पहुंचाया।


आपको वो भी याद होगा कि जब गोधरा में 2000 मुसलमानों की भीड़ ने ट्रेन में आग लगाकर 58 हिन्दूओं को जिन्दा जला दिया । हिन्दूओं से सहानुभूति जताना तो दूर कांग्रेस सरकार ने बैनर्जी नामक भ्रष्ट जज से झूठी रिपोर्ट तैयार करवाकर ये कहलवा दिया कि आग हिन्दूओं ने खुद लगावाई थी।


ये सब सेकुलर गद्दारों ने तब किया जब माननीय नयायालय द्वारा नानवटी आयोग के माध्यम से जांच जारी थी।अब आप खुद सोचो कि सेकुलर गिरेह किस हद तक मुसलिम आतंकवादियों का साथ देकर हिन्दूओं का नरसंहार करवाने पर तुला है।


सेकलर गिरोह द्वारा आतंकवादियों को दिए जा रहे खुले समर्थन का ही परिणाम है कि कशमीर घाटी में 60000 हिन्दूओं का कत्ल कर 500000 हिन्दूओं को वेघर कर दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दिया गया।


सेकुलर गिरोह के आतंकवादियों को खुले समर्थन के परिणामसवारूप ही आसाम में बंगलादेशी मुसलिम आतंकवादियों ने जड़े जमाकर हिन्दूओं को उजाड़ना सुरू कर दिया।


सेकुलर गिरोह के आतंकवादियों को खुले समर्थन के परिणास्वारूप ही हिन्दूओं का कत्ल व जबरदस्ती धर्मांतरण कर उतर-पूर्व के कई राज्यों में इसाईयों की जनसंख्या 98% तक जा पहूंची।


आतंकवादियों को खुले समर्थन के परिणास्वारूप ही आज माओवादी आतंकवादी सारे देश में कोहराम मचा रहे हें। कुल मिलाकर भारत के अधिकतर राज्य आतंकवाद प्रभावित है।


सेकुलर गिरोह का हौसला अब इतना बढ़ गया है कि उसने सीधे सेना को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। जिसका विबरण हम अपने पिछले लेखों में दे चुके हैं।


आप सब जानते हैं कि किस तरह मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों का दोष हिन्दूओं के सिर डालने के लिए लैप्टीनैंट कर्नल पुरोहित ,साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित कुल 27 हिन्दूओं को विभिन्न जेलों में डालकर यातनायें दी जा रही हैं व मुसलिम आतंकवादियें की मददगार केन्द्र सरकार द्वारा हिन्दू आतंकवाद-हिन्दू आतंकवाद चिला चिलाकर हिन्दूओं को झूठे मामलों में फंसाकर देशभक्त हिन्दूओं को आतंकवादी के रूप में बदनाम करने की कोशिस की जा रही है जिसका परदाफास उस वक्त हुआ जब माननीय न्यायालय ने हिन्दूओं पर झूठे केश दर्ज कर लगवाया गया मकोका यह कहकर हटा दिया कि लगाए गए आरोप अधारहीन हैं।


कांग्रेस की वेशर्मी का एक और प्रमाण आपके सामने है कि पुणे बम्मविस्फोट के आरोपी( जो पहले भी अबैध रूप से हथियार रखने का दोशी पाया जा चुका है) को एक पखवाड़ें के अन्दर छोड़ दिया गया जबकि दूसरी तरफ माननीय न्यायलय द्वारा आरोप अधारहीन बताने के बाबजूद पिछले 2 बर्ष से हिन्दूओं को जबरदस्ती जेल में रखा गया है।


हमें उम्मीद ही नहीं पूरा विस्वास है कि वो वक्त बहुत जल्दी आएग जब जागरूक हिन्दूओं की मेहनत से बौद्धिक गुलाम हिन्दू सेकुलर गिरोह की असलियत पहचानकर जागरूक होकर सेकुलर गिरोह के मकड़जदाल में फंसे हिन्दूओं को जागरूक कर देश से आतंकवादियों व आतंकवादियों के समर्थकों का नमोनिशान मिटा देंगे।









शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

आओ हम बताते हैं आपको कि बाबा अमरनाथ यात्रा शरू होने से ठीक पहले घाटी में आग किसने लगाई और किसने हबा दी।





हम अक्कसर बहुत सी बातों को जानते हुए भी उनके प्रति आँखें मूंदकर अपनी बरबादी को अपने पास आने देते हैं। होना तो ये चाहिए था कि जब मुसलमानों ने 1985 में अलकायदा की स्थापना के बाद


1986 में कशमीरघाटी में हिन्दूओं व सुरक्षाबलों पर हमले शुरू किए उसी बक्त या तो सेना को खुला हाथ देकर हमलाबरों की कबर घाटी में ही खोद दी जाती या फिर सरकार द्वारा सैनिकों को खुला हाथ न देने की स्थिति में हिन्दू खुद अपने हिन्दू भाईयों की रक्षा की खातिर देश के अन्य हिस्सों में मुसलिम आतंकवादियों व उनके समर्थकों पर हमले शुरू कर आतंवादियों पर दबाब बनाकर आतंकवादियो को हिन्दूओं पर हमले रोकने पर मजबूर करते।


इससे न केबल कशमीरघाटी में हिन्दूओं की रक्षा होती बल्कि साथ ही आसाम व उतर पूर्ब सहित अन्य राज्यों में भी आतंकवादियों व उनके समर्थकों को सबक मिलता हिन्दूओं पर हमला न करने का।


यहां तो उल्टा हुआ उधर मुसलमानों ने हिन्दूओं पर हमले शुरू किए इधर सेकुलर गद्दारों ने उनके समर्थन में समाचार चैनलों ,पत्र-पत्रिकाओं व अन्य साधनों का उपयोग कर महौल बनाना शुरू कर दिया।


देश में जिस भी संगठन या वयक्ति ने हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में आबाज उठाई उसे बड़ी वेशर्मी से सांप्रदायिक करार देकर मुसलिम आतंकवादियों को अपने कुकर्मों को जारी रखने के लिए उकसाया गया।


परिणामस्वारूप कशमीर घाटी में 60000 हिन्दूओं का कत्ल कर 500000 हिन्दूओं को वेघर कर दिया गया।
ये काम अन्जाम दिया गया मस्जिदों व मदरसों से दुशप्रचार कर व लोगों को हिन्दूओं पर हमले करने के लिए उकसाकर।


अब जबकि घाटी से हिन्दूओं का लगभग सफाया हो चुका है मुसलिम आतंकवादियों ने पिछले कई बर्षों से सुरक्षाबलों पर हमले तेज किए हुए हैं।
आज शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता है जिस दिन देश की रक्षा की गारंटी हमारे बहादुर सैनिक शहीद नहीं होते।



अब जबकि कशमीरघाटी में सिर्फ मुसलिम आतंकवादी और उनके मददगार ही शेष बचे हैं तो फिर ऐसी कौन सी मजबूरी है जिसके कारण हमारे सैनिक अपनी रक्षा तक नहीं कर पा रहे हैं ।


सैनिकों के इस तरह कत्ल होने का एकमात्र कारण है केन्द्र

व राज्य सरकार का


आतंकवाद समर्थ रबैया। इन सराकारों ने आतंकवादियों के हमलों को सफल बनाने व सुरक्षावलों द्वारा निर्णायक जबाबी कार्यवाही न करने देने के लिए सेना के अधिकारों को इतना कम कर दिया है कि आतंकवादी वेखौफ होकर सैनिकों के बंकरों व टुकड़ियों पर हमला कर रहे हैं।



आज भी सरकार मुसलिम आतंकवादियों की विजय सुनिस्चित करने के लिए सेना पर और प्रतिबन्ध लगाने के चक्कर में है। जिसका सेना के तीनों अंगों के सेना प्रमुख विरोध कर रहे हैं। पर सरकार कहां मानने वाली है उसे तो हर हाल में मुसलिम आतंकवादियों की जीत सुनिस्चित करनी है मानबाधिकों को ढ़ाल बनाकर। पिछले दिनों में शायद ही ऐसी कोई घटना होगी जिसमें सैनिकों द्वारा आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराने पर सरकार ने सैनिकों के विरूद्ध मुकद्दमा दर्ज नहीं किया होगा।


मुसलिम आतंकवादियों के इरादों का पता आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जैसे ही कसमीरघाटी में बाबा अमरनाथ यात्रा शुरू होती है बैसे ही ये आतंकवादी अपने हमले तेज कर सैनिकों को उलझाकर इस पबित्र यात्रा में बाधा पैदा कर तीर्थ यात्रियों पर हमले शुरू कर देते हैं।


ऐसा नहीं कि सरकार इस यात्रा में कोई ब्याबधान नहीं डालती। हर बर्ष की तरह इस बर्ष भी सराकर ने लंगर लगाने बालों से 25000 रूपए का भारी भरकम जजियाकर बसूल किया । जब इतने से जिहादी मुसलिम उमर अबदुल्ला का मन नहीं भरा तो तीर्थ यात्रियों को ले जाने वाली बसों का एक दिन का टैक्स 2500 रूपए कर दिया गया मतलब टैक्स के साथ जजिया कर भी लगा दिया गया। इसेके अतिरिक्त यात्रीयों से रजिस्ट्रेसन फीस के नाम पर जजिया बसूला गया सो अलग।


हमें तो यह सोचकर ही हैरानी होती है कि जो सरकार मक्का मदीना की यात्रा के लिए प्रति मुसलमान 60000 रूपए की खैरात बांटती है माननीय नयायालय द्वारा रोक लगा देने के बाबजूद वही सरकार किस मुंह से हिन्दूओं की धार्मिक यात्राओं पर जजिया कर लादकर रूकबटें पैदा करती है?


इसे भी जयादा हैरानी हमें उन बैद्धिक गुलाम हिन्दूओं पर होती है जो सरकार के इन भेदभावपूर्ण अमानबीय सरोकारों का विरोध करने की जगह विरोध कर रहे जागरूक हिन्दूओं पर धावा वोल देते हैं।


अपने इन बौद्धिक गुलाम हिन्दूओं के सहयोग की बजह से भारतविरोधी देशविरोधी ताकतें (चाहे वो पाक समर्थक मुसलिम आतंकवादी हों या फिर चीन समर्थक माओवादी आतंकवादी या फिर धर्मातरण समर्थक इसाई आतंकवादी ) आगे बढ़ती जा रही हैं जिसके परिमामस्वारू हर भारतीय के जानमाल पर खतरा बढ़ता जा रहा है।


आओ पूर्वाग्रहों व दुशप्रचार से आगे निकलकर भारतविरोधियों का विनाश सुनिश्चित करेन के लिए एकजुट होकर काम करें।






मंगलवार, 6 जुलाई 2010

आओ अपनी भारतीय सेना के साथ मजबूती से खड़े होकर गद्दारों का सर्वनाश सुनिस्चित करें।



हमने आपको पिछले कई लेखों में बताया कि किस तरह एंटोनिया की गुलाम कांग्रेस सरकार ने अपने अन्य सेकुलर गिरोह के साथियों की सहायता से कशमीर घाटी सहित देश के अधिकतकर हिस्सों में भारतीय सेना सहित सबके सब सुरक्षाबलों को आत्मरक्षा के अधिकार से बंचित कर दिया है। जब भी आतंकवादी सुरक्षाबलों पर हमला करते हैं तब सरकार आतंकवादियों से सख्ती से निपटने के बजाए सुरक्षावलों पर दबाब बनाना शुरू कर देती है। परिणामस्वारूप सुरक्षावलों को लगातार जान-माल की हानि उठानी पड़ रही है वो भी विना आत्मरक्षा के लिए लड़े विना।

हैरानी तो इस बात की है कि अधिकतर समाचार चैनल व समाचार पत्र भी आतंकवादियों के विरूद्ध जनता को जागरूक करने के बजाए आदमखोर आतंकवादियों का खुल कर बड़ी वेशर्मी से समर्थन कर रहे हैं।
जोगिन्द्र जी पहले ही पहराग्राफ में जिस तसवीर की बात कर रहे हैं वो ये है।



आतंकवादियों द्वारा सुरक्षावलों पर किए जा रहे हमलों के बाद सरकार किस हद तक आतंकवादियों का साथ दे रही है उसका प्रमाण है फारूक अबदुल्ला का ये बयान।

हम ज्यादा न लिखते हुए आपसे सिर्फ इतनी उम्मीद करते हैं कि आप इस लेख को ध्यान से पढ़ने के बाद सरकार के आतंकवाद समर्थक कदमों का विरोध करते हुए अपने देश की रक्षा की खातिर संसार की सबसे अधिक संवेदनशील  भारतीय सेना के साथ खड़े होगें।



गुरुवार, 1 जुलाई 2010

सेकुलर माओबादी आतंकवादियों के हमले में 27 सैनिक शहीद व 7 घायल। इन सेकुलर तालिवानों ने कत्ल के बाद शवों से घिनौनी हरकतें कर एक वार फिर अपनी तालिवानी प्रवृति का प्रमाण दिया।


आओ सबसे पहले शहीद सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए परमपिता परमातमा से प्रर्थना करें ।भगावना शहीद सैनिकों के परिजनों को इस अपूर्णीय क्षति को सहने करने की ताकत दे। भगवान घायल सैनिकों को शीघ्र स्वास्थय लाभ प्रदान कर उनके परिवारों का सहारा बरकरार रखे।



शत्रुओं से युद्ध में सैनिकों का सहीद होना कोई नई बात नहीं । यहां नई बात यह है कि अपने ही देश के नागरिक विदेशीयों के इसारे पर अपने ही लोगों का खून बहाने पर अमादा हैं।


जब अपने ही लोग( बैसे इनकी हरकतें देखकर इन राक्षसों को अपना कहना भी वेबकूपी ही है।) विदेशीयों के हाथों विक कर खूनखराबा करने लगें तो सरकार की जिम्मेदारी होती है सुरक्षाबलों के हाथ मजबूत कर बिदेशी साजिसों को विफल करना ।


लेकिन जब सरकार ही एक विदेशी की गुलाम हो तो आप सरकार से क्या उमीद करते हैं?






समान्य हालात में ये माना जाता है कि विदेशी खुद की देश के प्रति अपनी बफादारी साबित करने के लिए जोरदार तरीके से सैनिकों का समर्थन कर मनोबल बढ़ाकर ऐसे लोगों से निपटेगी । पर यहां तो विदेशी को पूरा भरोसा हो चला है कि देश में भारतविरोधी सेकुलर गद्दारों की चलती है इसलिए ये विदेशी सैनिकों पर वेढ़ियां डालकर उनको आतंकवादियों के हाथों हिंसा का सिकार होने पर बाध्य कर रही है।


जब देश की सरकार विदेशी की गुलाम होकर देश के विरूद्ध काम करे तो लेखक-आज की भाषा में वोलें तो-पत्रकार और सपष्ट वोलें तो समाचार पत्रों व चैनलों की जिम्मेदारी होती है कि वो जनता को सरकार की गद्दारी से अबगत करवाकर देश में क्रांति का शूत्रपात करें।


पर जब कलम भी विदेशीयों के हाथों विक कर उनकी कठपुतली बन जाए तो एक ही रास्ता बचता है और वो है सेना द्वारा गद्दार नेताओं को गोली मारकर सता अपने हाथ में लेकर देश से गद्दारों व उनके समर्थकों का नमोनिशान मिटाना।



आओ सेना से अपील करें ताकि वो हम सब भारतवासियों की आदमखोर पाकिस्तान समर्थक मुसलिम आतंकवादियों, चीन समर्थक माओवादी आतंकवादियों व रोम समर्थक ईसाई आतंकवादियों से रक्षा कर देश को शांति के मार्ग पर लौटाने का अपना फर्ज गद्दारों का नमोनिशान मिटाकर निभा सकें।


ऐसा नहीं कि सैनिकों का ये नरसंहार पहला है इससे से पहले भी ये आतंकवादी सरकार की आतंकवाद समर्थक नितीयों के कारण कई नरसंहार अंजाम देकर बच निकलने में सफल रहे हैं गद्दार सेकुलर गिरोह की सहायता के कारण।


• दिनांक 29-060-10 को छतीसगढ़ के नारायमपुर जिले के दौराई रोड़ पर बामपंथी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 27 सैनिक शहीद हुए व 7 जख्मी।कत्ल के बाद शवों के साथ छेड़छाड़।


• दिनांक 08-05-10 छतीसगढ़ के वीजापुर जिले में बामपंथी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 8 सी आर पी एफ जवान शहीद हुए।


• दिनांक 06-04-10 को छतीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में बांमपंथी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 75 सैनिक शहीद हुए ।


• दिनांक 04-04-10 को उड़ीसा के कोरापुट जिले में बामपंथी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में सुरक्षाबलों के 11 जबान शहीद हुए।


• दिनांक 15-02-10 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के सिलदा में लगे एक कैंप में बामपंथी आतंकवादियों ने 25 सैनिकों को जिन्दा जला दिया गया। जिसके बाद पुलिस के एक बढ़े अधिकारी ने विद्रोह कर दिया और जनता को बताया कि उसने भीड़-भाड़ वाले इलाके में कैंप लगाने का विरोध किया था लेकिन बामपंथी मुख्यमन्त्री ने जबरदस्ती वो कैंप ऐसी जगह लगवाया जहां सुरक्षावलों पर असानी से हमला किया जा सके।


• दिनांक 08-10-09 को महाराष्ट्र के गढ़चरौली जिले के लैहरी सटेसन पर बामपंथी आतंकवादियों ने हमला कर 15 पुलिस वालों को शहीद कर दिया।






ये तो हमने पिछले लगभग 6-8 महीनों के सिर्फ वो हमले बताए जिनमें सुरक्षाबलों के दर्जनों जवान शहीद हुए।


इन बामपंथी आतंकवादियों ने आज तक हजारों आम नागरिकों का भी कत्ल किया है ।
शायद आपको याद होगा हाल ही में ट्रेन पर किया गया वो हमला जिमें सैंकड़ों लोग मारे गए व सैंकड़ों ही घायल हुए।




इस हमले के बाद आतंकवादी माओवादियों ने आरोप लगाया कि कत्ल सतारूढ़ बामपंथियों ने किया है। बैसे ये बामपंथी आतंकवादी सता में आने पर भी लोगों की कत्लोगारद मचाकर ही चुनाब में बोट लेने में विस्सास रखते हैं।


कौन भुला सकता है कि किस तरह आए दिन राजनितिक बांमपंथी मतलब CPM के हथियारबन्द आतंकवादी तृणमूल के कारयकर्ताओं को निशाना बनाते हैं।


ऐसा नहीं कि CPM के आतंकवादियों की इस हिंसा के सिकार सिर्फ एक ही पार्टी के कार्यकर्ता होते हैं कांग्रेस और भाजपा के भी सैंकड़ों कार्यकर्ता इन आतंकवादियों की हिंसा के सिकार हो चुके हैं। आज(30-06-10) ही झारखंड में छोटे कांग्रेसी नेता का कत्ल किया गया।


RSS के कितने कार्यकर्ता इन CPM आतंकवादियों के सिकार हुए हैं ये तो आप उन्ही से पता करो तो वेहतर होगा पर हमारी जानकारी के अनुसार ये शंख्या बहुत बढ़ी है।हमने You Tube पर एक रिकार्डिंग देखी थी जिसमें बामपंथी आतंकवादी RSS के एक कार्यकर्ता की चमड़ी उधेड़ रहे थे। साथ में कह रहे थे वोल गई तेरी देशभक्ति कि नहीं।


आम नागरिकों के उपर इन बामपंथी आतंकवादियों ने क्या-क्या जुल्म ढ़ाए हैं वो बयान करना हमारे बस की बात नहीं।


कितनी ही पाठशालायें, पंचायत भवन,चिकितसालय व सड़कें इन बामपंथी आतंकवादियों ने आज तक उड़ा दिए ये जानकारी आप सरकारों से RTI के तहत प्राप्त कर सकते हैं।


आज भी ऐसे देशविरोधी लोगों की कमी नहीं जो इन बांमपंथी आतंकवादियों को गरीबों का मसीहा कहते नहीं थकते । मजे की बात है कि गरीबों का खून चूसने वाले इन बामपंथी आतंकवादियों का गरीबों की लूट से तैयार किया गया लूट का सालाना बजट 16000 करोड़ रूपए का है।


जिसक उपयोग ये गरीबों के लिए बनाई जा रही सड़कों , चिकितसालयों,पाठशालाओं को बम्मों से उड़ाने के लिए करते हैं। इस सब ये इनका दिल नहीं भरता तो ये अकसर गरीबों का खून बहाकर उनकी मां-बहन-वेटियों की जिन्दगी को दुस्वार बना देते हैं।


माओवादी आतंकवादियों का सबसे बड़ा मददगार है सेकुलर गिरोह






जिसमें खुद केन्द्र सरकार व कई राज्य सरकारें सामिल हैं ।सेकुलर गिरोह की इस गद्दारी को छिपाने वा माओवादी आतंकवादियों का आगे बढ़ाने में सक्रिए सहयोग दिया जाता है मिडीय द्वारा।


जब भी माओवादी आतंकवादियों के हमले में सैनिक शहीद होते हैं ये गिरोह सैनिकों की कमियां गिनाकर जनता में आतंकवादियों के प्रति पैदा होने वाले आक्रोस को कम करने का हर सम्मभव प्रयत्न करता है जिसके परिणामस्वारूप ये माओवादी आतंकवाद लगातार बढ़ता जा रहा है।


सरकार का मोओवादी आतंकवादियों को किस सतर का समर्थन प्राप्त है इसका अन्दाजा इसी बात से हो जाता है कि जब गृहमन्त्री पी चिदमबरम ने आतंकवादियों से सख्ती से निपटने की बात की तो पहले कांग्रेस महासचिब दिगविजय सिंह ,मणिसंकर अययर व बाद में गद्दारों की सरदार इटालियन अंग्रेज एंटोनिया ने खुलकर माओवादी आतंकवादियों का समर्थन कर गृमन्त्री की योजना को रूकवा लगा दिया।


अब ऐसे हालता में जब सेकुलर गिरोह से जुड़ा हर ब्यक्ति व संगठन माओवादी आतंकवादियों का समर्थन कर रहा है तो सेना द्वारा तखतापलट के सिवा देश को बचाने को और कोई रास्ता नहीं दिखता ।


आज से लगभग 15-20 बर्ष पहले से देश के बहुत से हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन व अन्य देशभक्त संगठन चीन समर्थक माओवादी आतंकवादियों की बढ़ती देशविरोधी गतिविधियों पर अंगुली उठाते रहे हैं लेकिन सेकुलर गिरोह ने मिडीया का उपयोग कर इन आदमखोर तालिवीनों को गरीबों का मसीहा करार देकर सब संगठनों को चुप करवा दिया।


शायद सेकुलर गिरोह को लगता है कि इन माओवादी आतंकवादियों की सहायता से देश की संसकृति और सभ्यता को असानी से शीघ्रताशीघ्र समाप्त किया जा सकता है। आपको लालू से लेकर दिगविजय व ऐंटोनिया जैसे अनेक सेकुलर नेता व पार्टियां मिल जाएंगी जिन्होंने इन आतंकवादियों की सहायता लेकर चुनाब जीता ।


मकसद सिर्फ एक कि किसी तरह देशभक्ति व हिन्दूत्व की बात करने वाले संगठनों को आगे बढ़ने से रोका जा सके।


अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए सेकुलर गिरोह ने पाकसमर्थक मुसलिम आतंकवादियों ,चीन समर्थक माओवादी आतंकवादियों व धर्मांतर समर्थक इसाई आतंकवादियों को एकजुट होकर हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों पर हमला वोलने का मौका दिया।






आपको याद होगा कि किस तरह उड़ीसा के कंधमाल में ईसाईयों द्वारा हिन्दू सन्त का कत्ल करने पर माओवादी आतंकवादियों ने उनके कत्ल की जिम्मेदारी अपने सर पर ली ।


हिन्दू सन्त का कत्ल करने के बाद ईसाई आतंकवादियों ने वहां पर पर्चा छोड़कर लोगों को बताया कि क्योंकि हम देश को धर्मनिर्पेक्ष बनाना चाहते हैं इसलिए इस हिन्दू सन्त का कत्ल किया गया।


उसके बाद सरकार ने माओवादी या ईसाई आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही करने के बजाए हिन्दूत्वनिष्ठ देशभक्त संगठनों पर धाबा वोल दिया। जिसके परिणासवारूप जनता ने अपने हिसाब से प्रतिक्रिया की जिस पर रोना-धोना आज तक जारी है।


माओवादी आतंकवादियों ने जिस क्षेत्र में भी अपने पैर पसारे सबसे पहले उस क्षेत्र में इन आतंकवादियों ने हिन्दूओं के आस्था के केन्द्रों पर प्रहार किया।


यहां तक कि अपने प्रभाव वाले क्षत्रों में मर्यादापुरषोत्तम भगवान श्रीराम तक का नाम लोने पर प्रतिबन्ध लगा दिया। ये कदम कांग्रेस सरकार के उस कदम के समरूप था जिसमें सरकार ने माननीय न्यायलय में लिखकर दिया कि भगवान श्रीराम हुए ही नहीं।


सेकुलर गिरोह व माओवादी आतंकवादियों की हिन्दूविरोधी-देशविरोधी सोच की समरूपता ही आज सेकलरगिरोह की केन्द्र सरकार को इन सेकुलर आतंकवादियौं के विरूद्ध कार्यवाही करने से रोक रही है। कांग्रेस को लगता है कि माओवादी आतंकवादियों की हार धर्मनिर्पेक्षता की हार व राष्ट्रवाद की जीत है।


इसीलिए केन्द्र सरकार सेना को खुला हाथ देने के बजाए सुरक्षाबलों पर और वेढ़ियां डालने की बात कर रही है। वेशक गृहमन्त्री ने जनता के दबाब को कम करने के लिए आप्रेसन ग्रीनहंट की शुरूआत की पर केन्द्र सरकार के आकाओं ने ही इस आप्रेसन को पलीता लगा दिया।


आज जिस तरह से इन सेकुलर आतंकवादियों ने शहीद हुए सैनिकों की लाशों के साथ छेडछाड़ की वो वही तरीका है जो तालिवानी मुसलिम आतंकवादी अपनाते रहे हैं।

सेकुलर तालिवानों  के हमले में  शहीद सैनिक के विना सिर के शब को को उठाते अन्य  सैनिक।



नक्सलियों की क्रूरता चरम पर, जवानों के सिर काटे


रायपुर। नक्सलियों की क्रूरता का तांडव जारी है या यू कहें कि नक्सलियों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी हैं। मंगलवार को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के जवानों को न सिर्फ मार डाला बल्कि जवानों के सिरों को कलम कर दिया और कुछ के सिर तक कुचल डाले। नक्सलियों की इस घिनौनी हरकत से साबित होता है कि उन्हें किसी बात का खौफ नहीं है। वो जब चाहे, जहां चाहे कुछ भी कर सकते हैं और सरकार सिर्फ तमाशबीन बनी देखती रहेगी।

Naxals slit CRPF men's throats, smashed heads

"The Naxalites shot dead the CRPF personnel from a distance and later, they slit open the throats of three and smashed heads of two other jawans," a top police official told PTI.



हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों को समाप्त करवाने के चक्र में कांग्रेस सरकार ने न जाने कितने सैनिकों व आम लोगों की बली चढ़ा दी ।
हमें तो आशा है कि सरकार को ये बात समझ आ गई होगी कि किसी विचारधारा को खत्म करने के लिए सेकुलर आतंकवाद को आगे बढ़ाना कितना खतरनाक है।
आखिर राजनीति भी तभी तक हो सकेगी जब तक देश है जब देश ही नहीं रहेगा तो कहां राजनिती करोगे?


इस कांग्रेस सरकार ने माओवादी आतंकवादियों को फायदा पहुंचाने के लिए ततकालीन नेपाल सरकार को सैनिक सहायता बन्द कर दी । परिणामस्वारूप नेपाल पर माओवादियों के कब्जे के साथ ही नेपाल पर चीनी बर्चस्व बढ़ गया। साथ ही नेपाल पर कब्जे के बाद माओवादी आतंकवादियों ने भारत में भी हमले तेज कर दिए।


ऐसा नहीं कि इन सेकुलर आतंकवादियों ने लाशों से छेड़छाड़ कर पहलीबार अपनी तालिवानी मानसिकता का परिचय दिया हो इससे पहले भी ये सेकुलर आतंकवादी लोगों का सिर कलम कर अपनी तालिवानी प्रवृति का प्रमाण दे चुके हैं।


हमारे विचार में इन सेकुलर आतंकवादियों द्वार किए जा रहे नरसंहारों के लिए इन आतंकवादियों के साथ-साथ इनके मददगार भी उतने ही जिम्मेदार हैं।


अगर सरकार में थोड़ी भी शर्म वाकी है तो सबसे पहले इन सेकुलर आतंकवादियों के मददगारों को हाबालात में बन्द किया जाए पर अफसोस इन मददगारों में सबसे आगे सरकार में ही बैठे लोग हैं।





अन्त में हम फिर कहेंगे कि सेकलर गिरोह समर्थित व पोषित  आतंकवाद के भंवर में फंसते देश को बचाने के लिए सैनिक सासन के अलावा और कोई रास्त नहीं वो भी यथाशीघ्र बरना बहुत देर हो जाएगी।